संधि: संस्कृत में विस्तृत अध्ययन
1. परिचय (Introduction)
MP Board Class 12 Sanskrut Grammar Sandhi: संस्कृत व्याकरण का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है संधि (Sandhi)। यह वर्ण-संयोजन (combination of letters) की प्रक्रिया है, जो भाषा में वर्णों के मेल से होने वाले परिवर्तन को दर्शाती है। संधि से भाषा में प्रवाह और संक्षिप्तता आती है। परीक्षा की दृष्टि से संधि का गहन ज्ञान अत्यंत आवश्यक है।
संधि (Sandhi) का अर्थ है वर्णों का मेल (combination of letters), जिससे दो अत्यंत निकट वर्णों के आपस में मिलने से उनमें कोई परिवर्तन या विकार उत्पन्न होता है।
2. संधि (Sandhi)
2.1 संधि की परिभाषा (Definition of Sandhi)
जब दो वर्ण (letters) अत्यंत निकट आते हैं (अर्थात्, एक पद के अंत का वर्ण और दूसरे पद के आरंभ का वर्ण) और उनके आपस में मिलने से उनमें कोई परिवर्तन (change) या विकार (mutation) उत्पन्न होता है, तो उस मेल को संधि कहते हैं। संस्कृत में: “परः संनिकर्षः संहिता।” (पाणिनि व्याकरण) अर्थ: दो अत्यंत निकट वर्णों के मेल को संहिता या संधि कहते हैं। उदाहरण (Example):
- देव + आलयः = देवालयः (अ + आ = आ का विकार)
- इति + आदि = इत्यादि (इ + आ = य का विकार)
2.2 संधि के प्रकार (Types of Sandhi)
संधि के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं:
- स्वर संधि (Vowel Sandhi / अच्सन्धिः): जब दो स्वरों (vowels) के मेल से उनमें परिवर्तन होता है। इसे ‘अच् संधि’ भी कहते हैं क्योंकि संस्कृत में स्वरों को अच् कहा जाता है। उदाहरण:
- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी (आ + अ = आ)
- प्रति + एकम् = प्रत्येकम् (इ + ए = य)
- स्वर संधि के प्रमुख भेद (Major Sub-types of Vowel Sandhi):
- दीर्घ स्वर संधि (Dirgha Swar Sandhi / दीर्घसन्धिः): जब ह्रस्व (short) या दीर्घ (long) स्वर (अ, इ, उ, ऋ) के बाद वही (सजातीय/समान) ह्रस्व या दीर्घ स्वर आएँ, तो दोनों मिलकर दीर्घ हो जाते हैं (आ, ई, ऊ, ऋ)। संस्कृत उदाहरण:
- देव + आलयः = देवालयः (अ + आ = आ)
- गिरि + ईशः = गिरीशः (इ + ई = ई)
- भानु + उदयः = भानूदयः (उ + उ = ऊ)
- पितृ + ऋणम् = पितृणम् (ऋ + ऋ = ऋृ)
- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी (आ + अ = आ)
- गुण स्वर संधि (Guna Swar Sandhi / गुणसन्धिः): जब ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘इ’ या ‘ई’ आएँ तो ‘ए’, ‘उ’ या ‘ऊ’ आएँ तो ‘ओ’, और ‘ऋ’ आए तो ‘अर्’ हो जाता है। संस्कृत उदाहरण:
- उप + इंद्रः = उपेंद्रः (अ + इ = ए)
- महा + उत्सवः = महोत्सवः (आ + उ = ओ)
- देव + ऋषिः = देवर्षिः (अ + ऋ = अर्)
- गंगा + उदकम् = गंगोदकम् (आ + उ = ओ)
- वर्षा + ऋतु = वर्षर्तु (आ + ऋ = अर्)
- वृद्धि स्वर संधि (Vriddhi Swar Sandhi / वृद्धिसन्धिः): जब ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ए’ या ‘ऐ’ आएँ तो ‘ऐ’, और ‘ओ’ या ‘औ’ आएँ तो ‘औ’ हो जाता है। संस्कृत उदाहरण:
- मम + एव = ममैव (अ + ए = ऐ)
- विद्या + ऐश्वर्यम् = विद्यैश्वर्यम् (आ + ऐ = ऐ)
- महा + ओजः = महौजः (आ + ओ = औ)
- वन + औषधिः = वनौषधिः (अ + औ = औ)
- तव + ऐश्वर्यम् = तवैश्वर्यम् (अ + ऐ = ऐ)
- यण स्वर संधि (Yan Swar Sandhi / यण्सन्धिः): जब ‘इ’ या ‘ई’ के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो ‘य्’ (y), ‘उ’ या ‘ऊ’ के बाद भिन्न स्वर आए तो ‘व्’ (v), और ‘ऋ’ के बाद भिन्न स्वर आए तो ‘र्’ (r) हो जाता है। पूर्व वर्ण आधा रह जाता है। संस्कृत उदाहरण:
- इति + आदि = इत्यादि (इ + आ = य + आ = या)
- सु + आगतम् = स्वागतम् (उ + आ = व + आ = वा)
- प्रति + एकम् = प्रत्येकम् (इ + ए = य + ए = ये)
- अनु + अयः = अन्वयः (उ + अ = व + अ = व)
- पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा (ऋ + आ = र् + आ = रा)
- अयादि स्वर संधि (Ayadi Swar Sandhi / अयादिसन्धिः): जब ‘ए’, ‘ऐ’, ‘ओ’, ‘औ’ के बाद कोई भी स्वर आए तो क्रमशः ‘अय’, ‘आय’, ‘अव’, ‘आव’ हो जाता है। सं संस्कृत उदाहरण:
- ने + अनम् = नयनम् (ए + अ = अय + अ = अय)
- गै + अकः = गायकः (ऐ + अ = आय + अ = आय)
- भो + अनम् = भवनम् (ओ + अ = अव + अ = अव)
- नौ + इकः = नाविकः (औ + इ = आव + इ = आवि)
- पौ + अकः = पावकः (औ + अ = आव + अ = आव)
- दीर्घ स्वर संधि (Dirgha Swar Sandhi / दीर्घसन्धिः): जब ह्रस्व (short) या दीर्घ (long) स्वर (अ, इ, उ, ऋ) के बाद वही (सजातीय/समान) ह्रस्व या दीर्घ स्वर आएँ, तो दोनों मिलकर दीर्घ हो जाते हैं (आ, ई, ऊ, ऋ)। संस्कृत उदाहरण:
- व्यंजन संधि (Consonant Sandhi / हलसन्धिः): जब किसी व्यंजन (consonant) का मेल किसी व्यंजन या स्वर से होने पर पहले व्यंजन में परिवर्तन होता है। इसे ‘हल संधि’ भी कहते हैं क्योंकि संस्कृत में व्यंजनों को हल कहा जाता है। संस्कृत उदाहरण:
- जश्त्व संधि: दिक् + गजः = दिग्गजः (क् + ग् = ग्ग्) – (वर्ग का प्रथम वर्ण, घोष वर्ण के परे आने पर अपने ही वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है।)
- श्चुत्व संधि: सत् + चित् = सच्चित् (त् + च् = च्च्) – (त्/द् के बाद च/छ होने पर त्/द् को च् हो जाता है।)
- जगत् + ईशः = जगदीशः (त् + ई = द्) – (वर्ग का प्रथम वर्ण, स्वर के परे आने पर अपने ही वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है।)
- लत्व संधि: उत् + लासः = उल्लासः (त् + ल् = ल्ल) – (त्/द् के बाद ल होने पर त्/द् को ल् हो जाता है।)
- षट् + आननः = षडाननः (ट् + आ = ड्) – (वर्ग का प्रथम वर्ण, स्वर के परे आने पर अपने ही वर्ग का तृतीय वर्ण हो जाता है।)
- उत् + नतिः = उन्नतिः (त् + न् = न्न्) – (त्/द् के बाद न/म होने पर त्/द् को वर्ग का पंचम वर्ण)
- विसर्ग संधि (Visarga Sandhi / विसर्गसन्धिः): जब विसर्ग (ः) का मेल किसी स्वर या व्यंजन से होने पर विसर्ग में परिवर्तन होता है। विसर्ग में परिवर्तन या तो ‘र्’, ‘स्’, ‘श्’, ‘ष्’ में होता है, या ‘ओ’ में परिवर्तित होता है, या उसका लोप हो जाता है। संस्कृत उदाहरण:
- सत्व संधि: नमः + कारः = नमस्कारः (ः + क = स्) – (विसर्ग के बाद क, ख, प, फ हो तो विसर्ग को ‘स्’)
- रुत्व संधि: निः + बलः = निर्बलः (ः + ब = र्ब) – (विसर्ग से पहले ‘अ’/’आ’ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में घोष व्यंजन या स्वर हो तो विसर्ग को ‘र्’)
- मनः + बलम् = मनोबलम् (ः + ब = ओ) – (विसर्ग से पहले ‘अ’ हो और बाद में घोष व्यंजन या ‘अ’ हो तो विसर्ग को ‘ओ’)
- नमः + ते = नमस्ते (ः + त = स्) – (विसर्ग के बाद त/थ हो तो ‘स्’)
- दुः + शासनम् = दुश्शासनम् / दुःशासनम् (ः + श = श्श या विसर्ग अपरिवर्तित)
- रामः + गच्छति = रामो गच्छति (ः + ग = ओ)
- हरिः + एति = हरिरेति (ः + ए = र्)
3. परीक्षा के लिए महत्व (Importance for Exams)
एमपी बोर्ड की 12वीं कक्षा की संस्कृत परीक्षाओं में संधि से संबंधित प्रश्न निश्चित रूप से पूछे जाते हैं। इन पर पकड़ बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- परिभाषाओं को स्पष्ट रूप से समझें: प्रत्येक संधि की संस्कृत और हिंदी दोनों में स्पष्ट परिभाषा याद रखें।
- भेदों को पहचानें: स्वर संधि (दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण, अयादि), व्यंजन संधि और विसर्ग संधि के नियमों को समझें और उन्हें पहचानना सीखें।
- उदाहरणों पर अभ्यास करें: पुस्तक में दिए गए सभी उदाहरणों को बार-बार लिखकर अभ्यास करें। नए शब्दों का संधि विच्छेद और संधि का नाम ज्ञात करने का प्रयास करें।
- नियमों को लागू करें: जब कोई नया संस्कृत शब्द दिया जाए, तो उस पर संबंधित नियम को लागू करके देखें कि वह किस संधि का उदाहरण है।
- नियमित पुनरावृत्ति (Regular Revision): नियमों और उदाहरणों की नियमित रूप से पुनरावृत्ति करें ताकि वे स्मृति में बने रहें।
इन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करके आप संस्कृत में संधि के प्रश्नों को प्रभावी ढंग से हल कर सकते हैं और परीक्षा में उत्कृष्ट अंक प्राप्त कर सकते हैं।
संधि पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) – संस्कृत
“परः संनिकर्षः संहिता” यह परिभाषा संस्कृत व्याकरण में किससे संबंधित है?
a) समास से
b) कारक से
c) संधि से
d) अव्यय से
उत्तर: c) संधि से
“देवालयः” पद में कौन सी स्वर संधि है?
a) गुण संधि
b) वृद्धि संधि
c) दीर्घ संधि
d) यण संधि
उत्तर: c) दीर्घ संधि
“महोत्सवः” पद का संधि विच्छेद क्या है?
a) मह + उत्सवः
b) महा + उत्सवः
c) महो + उत्सवः
d) महि + उत्सवः
उत्तर: b) महा + उत्सवः
“ममैव” पद में कौन सी स्वर संधि है?
a) गुण संधि
b) वृद्धि संधि
c) यण संधि
d) अयादि संधि
उत्तर: b) वृद्धि संधि
“स्वागतम्” पद का संधि विच्छेद क्या है?
a) स्व + आगतम्
b) सु + आगतम्
c) स + आगतम्
d) स्वा + गतम्
उत्तर: b) सु + आगतम्
“गायकः” पद में कौन सी स्वर संधि है?
a) यण संधि
b) गुण संधि
c) अयादि संधि
d) दीर्घ संधि
उत्तर: c) अयादि संधि
“दिग्गजः” पद में कौन सी संधि है?
a) स्वर संधि
b) व्यंजन संधि
c) विसर्ग संधि
d) दीर्घ संधि
उत्तर: b) व्यंजन संधि
“मनोरथः” पद का संधि विच्छेद क्या है?
a) मन + रथः
b) मनः + रथः
c) मनो + रथः
d) मनर + अथः
उत्तर: b) मनः + रथः
“पित्राज्ञा” पद में कौन सी स्वर संधि है?
a) दीर्घ संधि
b) गुण संधि
c) यण संधि
d) अयादि संधि
उत्तर: c) यण संधि
“नायकः” पद का संधि विच्छेद क्या है?
a) न + अकः
b) नै + अकः
c) ना + अकः
d) नौ + अकः
उत्तर: b) नै + अकः
“जगदीशः” पद का संधि विच्छेद क्या है?
a) जगत् + ईशः
b) जगद + ईशः
c) जग + दीशः
d) जगती + ईशः
उत्तर: a) जगत् + ईशः
विसर्ग संधि में, “नमः + कारः” मिलकर क्या बनता है?
a) नमोकारः
b) नमस्कारः
c) नमःकारः
d) नमुरकारः
उत्तर: b) नमस्कारः
“वनौषधिः” पद में कौन सी स्वर संधि है?
a) गुण संधि
b) वृद्धि संधि
c) यण संधि
d) अयादि संधि
उत्तर: b) वृद्धि संधि
“प्रत्येकम्” पद का संधि विच्छेद क्या है?
a) प्रत + एकम्
b) प्रति + एकम्
c) प्रत्य + एकम्
d) प्र + तेकम्
उत्तर: b) प्रति + एकम्
“उल्लासः” पद में कौन सी व्यंजन संधि है?
a) जश्त्व संधि
b) श्चुत्व संधि
c) लत्व संधि
d) अनुस्वार संधि
उत्तर: c) लत्व संधि
“भवनम्” पद का संधि विच्छेद क्या है?
a) भा + अनम्
b) भव + अनम्
c) भो + अनम्
d) भव् + अनम्
उत्तर: c) भो + अनम्
“देवर्षिः” पद में कौन सी स्वर संधि है?
a) दीर्घ संधि
b) गुण संधि
c) वृद्धि संधि
d) यण संधि
उत्तर: b) गुण संधि
विसर्ग के बाद ‘त’ या ‘थ’ होने पर विसर्ग किसमें परिवर्तित होता है?
a) र्
b) श्
c) स्
d) ओ
उत्तर: c) स्
“निः + बलः” मिलकर क्या बनता है?
a) निबलः
b) निर्बलः
c) निषबलः
d) नोबलः
उत्तर: b) निर्बलः
“उन्नतिः” पद का संधि विच्छेद क्या है?
a) उद् + नतिः
b) उत् + नतिः
c) उन + नतिः
d) उन्न + अतिः
उत्तर: b) उत् + नतिः