MP Board Class 12 Sanskrut Grammar Samas
समास: संस्कृत में विस्तृत अध्ययन
1. परिचय (Introduction)
MP Board Class 12 Sanskrut Grammar Samas : संस्कृत व्याकरण का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है समास (Samas)। यह शब्द-संयोजन (word-combination) की एक प्रक्रिया है, जो भाषा को संक्षिप्तता, स्पष्टता और सौंदर्य प्रदान करती है। परीक्षा की दृष्टि से समास का गहन ज्ञान अत्यंत आवश्यक है।
समास (Samas) का अर्थ है शब्दों का संक्षेप (abbreviation of words), जिससे दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से एक नया, छोटा और अर्थपूर्ण शब्द बनता है। इस प्रक्रिया में पदों के बीच की विभक्ति (case ending) या संयोजक (conjunction) लुप्त हो जाती है।
2. समास (Samas)
2.1 समास की परिभाषा (Definition of Samas)
दो या दो से अधिक शब्दों (words) या पदों (पद) के मेल से एक नया, संक्षिप्त और अर्थपूर्ण शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं। इसमें शब्दों के बीच की विभक्ति (case ending) या संयोजक (conjunction) लुप्त हो जाते हैं। संस्कृत में: “समसनं समासः।” अर्थ: संक्षेप करना ही समास है। उदाहरण (Example):
- राज्ञः पुत्रः = राजपुत्रः (राजा का पुत्र / Son of the king)
- विद्यायाः आलयः = विद्यालयः (विद्या का घर / House of knowledge)
2.2 समास के प्रकार (Types of Samas)
संस्कृत में समास के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं, लेकिन हिंदी व्याकरण में कर्मधारय और द्विगु को अलग भेद माना जाता है। संस्कृत में वे तत्पुरुष के उपभेद हैं:
- अव्ययीभाव समास (Avyayibhava Samas / अव्ययीभावः): जिस समास में पहला पद (first word) प्रधान (dominant) और अव्यय (indeclinable) हो, तथा समस्त पद (compound word) भी अव्यय बन जाए (क्रिया विशेषण के रूप में प्रयुक्त हो)। इस समास में समस्त पद अव्यय बन जाता है और उस पर लिंग, वचन, कारक का प्रभाव नहीं पड़ता। उदाहरण:
- उप + नगरम् = उपनगरम् (नगर के समीप / Near the city)
- प्रति + दिनम् = प्रतिदिनम् (हर दिन / Every day)
- यथा + शक्ति = यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार / According to power)
- निर + जनम् = निर्जनम् (जनानाम् अभावः / Absence of people)
- स + चक्रम = सचक्रम (चक्रेण सहितम् / With the wheel)
- तत्पुरुष समास (Tatpurusha Samas / तत्पुरुषः): जिस समास में दूसरा पद (second word) प्रधान हो और पहले पद के साथ कारक की विभक्ति (case ending) का लोप हो जाता है। इसका विग्रह करने पर कारक की विभक्ति दिखाई देती है। यह द्वितीय विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के अनुसार वर्गीकृत होता है। उदाहरण:
- द्वितीया तत्पुरुष: ग्रामं गतः = ग्रामगतः (गाँव को गया हुआ / Gone to the village)
- तृतीया तत्पुरुष: देवैः दत्तम् = देवदत्तम् (देवताओं द्वारा दिया गया / Given by gods)
- चतुर्थी तत्पुरुष: भूताय बलिः = भूतबलिः (भूत के लिए बलि / Offering for ghosts)
- पंचमी तत्पुरुष: रोगान् मुक्तः = रोगमुक्तः (रोग से मुक्त / Free from disease)
- षष्ठी तत्पुरुष: राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः (राजा का पुरुष / King’s man)
- सप्तमी तत्पुरुष: कार्ये कुशलः = कार्यकुशलः (कार्य में कुशल / Skilled in work)
- तत्पुरुष समास के उपभेद (Sub-types of Tatpurusha Samas):
- कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas / कर्मधारयः): जिस तत्पुरुष समास में पहला पद विशेषण (adjective) और दूसरा पद विशेष्य (noun) हो, या एक पद उपमान (object of comparison) और दूसरा उपमेय (subject of comparison) हो। इसमें दोनों पदों में समान विभक्ति होती है। उदाहरण:
- नीलं कमलम् = नीलकमलम् (नीला कमल / Blue lotus)
- महान् पुरुषः = महापुरुषः (महान पुरुष / Great man)
- घन इव श्यामः = घनश्यामः (बादल के समान श्याम / Dark like a cloud)
- श्वेतं अम्बरम् = श्वेताम्बरम् (श्वेत वस्त्र / White cloth)
- द्विगु समास (Dvigu Samas / द्विगुः): जिस कर्मधारय समास में पहला पद संख्यावाची (numerical) हो और समस्त पद समूह (group) या समाहार का बोध कराए। यह हमेशा नपुंसक लिंग एकवचन या स्त्रीलिंग बहुवचन में होता है। उदाहरण:
- त्रयाणां लोकानां समाहारः = त्रिलोकी (तीन लोकों का समूह / Group of three worlds)
- पंचानां पात्राणां समाहारः = पंचपात्रम् (पाँच पात्रों का समूह / Group of five vessels)
- सप्तानां ऋषीणां समाहारः = सप्तर्षिः (सात ऋषियों का समूह / Group of seven sages)
- चतसृणां पथानां समाहारः = चतुष्पथम् (चार रास्तों का समूह / Crossroads)
- कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas / कर्मधारयः): जिस तत्पुरुष समास में पहला पद विशेषण (adjective) और दूसरा पद विशेष्य (noun) हो, या एक पद उपमान (object of comparison) और दूसरा उपमेय (subject of comparison) हो। इसमें दोनों पदों में समान विभक्ति होती है। उदाहरण:
- द्वंद्व समास (Dvandva Samas / द्वन्द्वः): जिस समास में दोनों पद (both words) प्रधान हों और उनके बीच ‘च’ (और / and) जैसे संयोजक का लोप हो। इसका विग्रह करने पर ‘च’ लगाया जाता है। उदाहरण:
- इतरेतर द्वंद्व: रामः च लक्ष्मणः च = रामलक्ष्मणौ (राम और लक्ष्मण / Rama and Lakshmana) – जहाँ दोनों पद अलग-अलग अस्तित्व रखते हैं।
- समाहार द्वंद्व: हस्तौ च पादौ च = हस्तपादम् (हाथ और पैर का समूह / Group of hands and feet) – जहाँ समूह का बोध हो।
- एकशेष द्वंद्व: माता च पिता च = पितरौ (माता और पिता / Mother and father) – जहाँ केवल एक पद शेष रहे।
- बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas / बहुव्रीहिः): जिस समास में कोई भी पद प्रधान न हो, बल्कि समस्त पद किसी अन्य (तीसरे) अर्थ का बोधक हो। यह समास अपने पदों के शाब्दिक अर्थ से भिन्न किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति का विशेषण होता है। उदाहरण:
- पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः (पीले वस्त्र हैं जिसके वह – विष्णु / One who has yellow garments – Vishnu)
- लम्बम् उदरं यस्य सः = लंबोदरः (लंबा पेट है जिसका वह – गणेश / One who has a long belly – Ganesha)
- दश आननानि यस्य सः = दशाननः (दस हैं मुख जिसके वह – रावण / One who has ten heads – Ravana)
- चत्वारि आननानि यस्य सः = चतुराननः (चार मुख हैं जिसके वह – ब्रह्मा / One who has four faces – Brahma)
- नीलं कण्ठं यस्य सः = नीलकण्ठः (नीला है कण्ठ जिसका वह – शिव / One who has a blue throat – Shiva)
3. परीक्षा के लिए महत्व (Importance for Exams)
एमपी बोर्ड की 12वीं कक्षा की संस्कृत परीक्षाओं में समास से संबंधित प्रश्न निश्चित रूप से पूछे जाते हैं। इन पर पकड़ बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- परिभाषाओं को स्पष्ट रूप से समझें: प्रत्येक समास की संस्कृत और हिंदी दोनों में स्पष्ट परिभाषा याद रखें।
- प्रकारों और उपभेदों को पहचानें: अव्ययीभाव, तत्पुरुष (कर्मधारय, द्विगु सहित), द्वंद्व और बहुव्रीहि समासों की पहचान और उनके विग्रह के नियमों पर विशेष ध्यान दें।
- उदाहरणों पर अभ्यास करें: पुस्तक में दिए गए सभी उदाहरणों को बार-बार लिखकर अभ्यास करें। नए शब्दों का समास विग्रह और समास का नाम ज्ञात करने का प्रयास करें।
- नियमों को लागू करें: जब कोई नया संस्कृत शब्द दिया जाए, तो उस पर संबंधित नियम को लागू करके देखें कि वह किस समास का उदाहरण है।
- नियमित पुनरावृत्ति (Regular Revision): नियमों और उदाहरणों की नियमित रूप से पुनरावृत्ति करें ताकि वे स्मृति में बने रहें।
इन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करके आप संस्कृत में समास के प्रश्नों को प्रभावी ढंग से हल कर सकते हैं और परीक्षा में उत्कृष्ट अंक प्राप्त कर सकते हैं।
समास पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) – संस्कृत
“समसनं समासः” इस परिभाषा का अर्थ क्या है?
a) वर्णों का मेल
b) संक्षेप करना
c) विस्तार करना
d) ध्वनियों को जोड़ना
उत्तर: b) संक्षेप करना
“राजपुत्रः” इस समस्त पद का विग्रह क्या है?
a) राज्ञा पुत्रः
b) राज्ञः पुत्रः
c) राज्ञे पुत्रः
d) राजनि पुत्रः
उत्तर: b) राज्ञः पुत्रः
जिस समास में पहला पद प्रधान और अव्यय होता है, वह कौन सा समास है?
a) तत्पुरुष समास
b) द्वंद्व समास
c) अव्ययीभाव समास
d) बहुव्रीहि समास
उत्तर: c) अव्ययीभाव समास
“प्रतिदिनम्” इस समस्त पद का विग्रह क्या है?
a) दिनस्य प्रति
b) दिने दिने इति
c) दिनं च दिनं च
d) प्रति च दिनम् च
उत्तर: b) दिने दिने इति (या हर दिन)
“ग्रामगतः” में कौन सा तत्पुरुष समास है?
a) तृतीया तत्पुरुष
b) चतुर्थी तत्पुरुष
c) द्वितीया तत्पुरुष
d) षष्ठी तत्पुरुष
उत्तर: c) द्वितीया तत्पुरुष
“भूतबलिः” इस समस्त पद का समास विग्रह क्या है?
a) भूताय बलिः
b) भूतेन बलिः
c) भूतस्य बलिः
d) भूतात् बलिः
उत्तर: a) भूताय बलिः
जिस तत्पुरुष समास में पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य हो, उसे क्या कहते हैं?
a) द्विगु समास
b) अव्ययीभाव समास
c) कर्मधारय समास
d) बहुव्रीहि समास
उत्तर: c) कर्मधारय समास
“नीलकमलम्” में कौन सा समास है?
a) द्विगु समास
b) बहुव्रीहि समास
c) द्वंद्व समास
d) कर्मधारय समास
उत्तर: d) कर्मधारय समास
जिस कर्मधारय समास में पहला पद संख्यावाची होता है, उसे क्या कहते हैं?
a) अव्ययीभाव समास
b) द्विगु समास
c) द्वंद्व समास
d) तत्पुरुष समास
उत्तर: b) द्विगु समास
“त्रिलोकी” इस समस्त पद का विग्रह क्या है?
a) त्रयाणां लोकानां समाहारः
b) त्रिणि लोकानि
c) त्रयः लोकाः
d) त्रिलोकेषु
उत्तर: a) त्रयाणां लोकानां समाहारः
“पंचपात्रम्” में कौन सा समास है?
a) कर्मधारय समास
b) द्विगु समास
c) बहुव्रीहि समास
d) द्वंद्व समास
उत्तर: b) द्विगु समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान हों, वह कौन सा समास है?
a) अव्ययीभाव समास
b) तत्पुरुष समास
c) द्वंद्व समास
d) बहुव्रीहि समास
उत्तर: c) द्वंद्व समास
“रामलक्ष्मणौ” में कौन सा समास है?
a) तत्पुरुष समास
b) द्वंद्व समास
c) अव्ययीभाव समास
d) द्विगु समास
उत्तर: b) द्वंद्व समास
“पितरौ” इस समस्त पद का समास विग्रह क्या है?
a) पिता च पुत्रः च
b) माता च पिता च
c) पितुः पुत्रः
d) पिता एव
उत्तर: b) माता च पिता च
जिस समास में कोई भी पद प्रधान न हो, बल्कि समस्त पद किसी अन्य (तीसरे) अर्थ का बोधक हो, उसे क्या कहते हैं?
a) कर्मधारय समास
b) अव्ययीभाव समास
c) बहुव्रीहि समास
d) तत्पुरुष समास
उत्तर: c) बहुव्रीहि समास
“लंबोदरः” किस समास का उदाहरण है?
a) कर्मधारय समास
b) द्विगु समास
c) बहुव्रीहि समास
d) तत्पुरुष समास
उत्तर: c) बहुव्रीहि समास
“पीताम्बरः” का विग्रह क्या है?
a) पीतं च अम्बरम्
b) पीतं अम्बरं यस्य सः
c) पीतस्य अम्बरम्
d) पीतेन अम्बरम्
उत्तर: b) पीतं अम्बरं यस्य सः
समास में किसका लोप होता है?
a) वर्णों का
b) क्रियापदों का
c) विभक्तियों का
d) सर्वनामों का
उत्तर: c) विभक्तियों का
“यथाशक्ति” इस समस्त पद का विग्रह क्या है?
a) शक्तिः च
b) शक्तिम् अनतिक्रम्य
c) शक्तिसहितम्
d) शक्तौ स्थितः
उत्तर: b) शक्तिम् अनतिक्रम्य (या शक्ति के अनुसार)
“नीलकण्ठः” किस समास का उदाहरण है?
a) तत्पुरुष समास
b) द्वंद्व समास
c) बहुव्रीहि समास
d) अव्ययीभाव समास
उत्तर: c) बहुव्रीहि समास