वाच्यपरिवर्तनम् (Voice Transformation in Sanskrit)
MP Board Class 10th Sanskrit Voice Transformation : संस्कृत भाषा में वाच्यपरिवर्तन अति महत्वपूर्ण व्याकरणिक विषयों में से एक है। यह हमें एक ही वाक्य को विभिन्न तरीकों से प्रस्तुत करने की क्षमता प्रदान करता है, जिससे भाषा की स्पष्टता और अभिव्यक्ति का स्तर बढ़ता है। 📌 वाच्यपरिवर्तन से वाक्य की संरचना में बदलाव तो होता है, लेकिन उसका मूल अर्थ अपरिवर्तित रहता है। यह कौशल परीक्षा में अति उपयोगी होता है तथा लेखन और भाषा की समझ को बढ़ाने में सहायक होता है।
वाच्य के प्रकार (Types of Voice)
संस्कृत में वाच्य तीन प्रकार के होते हैं—
🔹 १. कर्तृवाच्यम् (Active Voice) – इसमें कर्ता (क्रिया करने वाला) वाक्य में मुख्य रूप से प्रकट होता है और क्रिया सीधा उसे दर्शाती है। 🔹 २. कर्मवाच्यम् (Passive Voice) – इसमें क्रिया कर्म (क्रिया का प्रभाव पड़ने वाला) पर केंद्रित होती है और कर्ता द्वितीय रूप में दर्शाया जाता है। 🔹 ३. भाववाच्यम् (Impersonal Voice) – इसमें क्रिया का प्रभाव तो स्पष्ट होता है, लेकिन कर्ता अप्रकट या अनावश्यक होता है।
वाच्य परिवर्तन की विधि (Method of Transformation)
वाच्य को एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में बदलने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाता है—
📌 कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन: ✔ कर्ता को तृतीया विभक्ति (के द्वारा) में बदला जाता है। ✔ कर्म को प्रथम विभक्ति में लाया जाता है। ✔ क्रिया को कर्म के अनुसार संयोजित किया जाता है।
📌 कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन: ✔ क्रिया को तव्यम्, इतम्, यम् आदि प्रत्ययों के द्वारा परिवर्तित किया जाता है। ✔ कर्ता अनावश्यक हो जाता है, इसलिए वाक्य में उसका उल्लेख नहीं किया जाता।
उदाहरण (Examples with Explanation)
१. कर्तृवाच्य (Active Voice) से कर्मवाच्य (Passive Voice) में परिवर्तन
✅ रामः पुस्तकं पठति। (राम पुस्तक पढ़ता है।) → पुस्तकं रामेण पठ्यते। (पुस्तक राम द्वारा पढ़ी जाती है।)
✅ बालकः जलेन मुखं प्रक्षालयति। (बालक जल से मुख धोता है।) → मुखं बालकेन जलेन प्रक्षाल्यते। (मुख बालक द्वारा जल से धोया जाता है।)
✅ गुरुः शिष्याय ज्ञानं ददाति। (गुरु शिष्य को ज्ञान देता है।) → ज्ञानं गुरुणा शिष्याय दीयते। (ज्ञान गुरु द्वारा शिष्य को दिया जाता है।)
२. कर्तृवाच्य (Active Voice) से भाववाच्य (Impersonal Voice) में परिवर्तन
✅ सः सत्यं वदति। (वह सत्य बोलता है।) → सत्यं वदितव्यम्। (सत्य कहा जाना चाहिए।)
✅ वृक्षः सिंच्यते। (वृक्ष को सींचा जाता है।) → वृक्षं सिंचितव्यम्। (वृक्ष को सींचना चाहिए।)
✅ ग्रामवासिनः स्वच्छता अभियानं कुर्वन्ति। (गांववासी स्वच्छता अभियान करते हैं।) → स्वच्छता अभियानं कर्तव्यम्। (स्वच्छता अभियान किया जाना चाहिए।)
अभ्यास (Exercise – वाच्य परिवर्तन करें)
👉 निम्नलिखित संस्कृत वाक्यों को कर्मवाच्य या भाववाच्य में बदलें। (सभी वाक्य हल किए गए हैं, जिससे विद्यार्थियों को सही उत्तर भी मिल सकें।)
📜 कर्तृवाच्य → कर्मवाच्य
1️⃣ सीता पत्रं लिखति। → पत्रं सीतया लिख्यते।
2️⃣ बालकः अम्रं खादति। → अम्रं बालकेन खाद्यते।
3️⃣ गुरुः पाठं पठति। → पाठः गुरुणा पठ्यते।
4️⃣ शिक्षकः शिष्यं अनुशासयति। → शिष्यः शिक्षक द्वारा अनुशास्यते।
5️⃣ वृक्षपालः वाटिकां रक्षति। → वाटिका वृक्षपालेन रक्ष्यते।
6️⃣ शिष्यः प्रश्नं पृच्छति। → प्रश्नः शिष्यम् द्वारा पृच्छ्यते।
7️⃣ माली पुष्पं रोपयति। → पुष्पं मालिना रोप्यते।
8️⃣ राजा प्रजायाः रक्षणं करोति। → प्रजा राज्ञा रक्ष्यते।
9️⃣ विद्यार्थी गृहं निर्माति। → गृहं विद्यार्थीना निर्मीयते।
🔟 लिखकः ग्रन्थं रचयति। → ग्रन्थः लिखकेन रच्यते।
📜 कर्तृवाच्य → भाववाच्य
1️⃣ गुरुः शिष्यान् उपदेशं ददाति। → शिष्यानाम् उपदेशः दातव्यः।
2️⃣ राजा न्यायं करोति। → न्यायः कर्तव्यः।
3️⃣ शिक्षकः पाठं पठयति। → पाठः पठनीयः।
4️⃣ हम पुस्तकं पठामि। → पुस्तकं पठितव्यम्।
5️⃣ सः सत्यं वदति। → सत्यं वदितव्यम्।
6️⃣ ग्रामवासिनः वृक्षं रोपयन्ति। → वृक्षः रोपणीयः।
7️⃣ जनाः नियमं पालनं कुर्वन्ति। → नियमः पालनीयः।
8️⃣ शिष्यः अध्ययनं करोति। → अध्ययनं करणीयम्।
9️⃣ देवालये पूजा क्रियते। → पूजा करणीयम्।
🔟 पिता पुत्रं शिक्षयति। → पुत्रः शिक्षणीयः।
निष्कर्ष (Conclusion)
📌 वाच्यपरिवर्तन भाषा को अधिक स्पष्ट और अभिव्यंजक बनाता है। 📌 यह संस्कृत व्याकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 📌 यह परीक्षा में उपयोगी होने के साथ-साथ छात्रों की व्याकरणिक समझ को भी गहराई से विकसित करता है।