अध्याय 9: प्रकाश परावर्तन एवं अपवर्तन : MP Board 10th Science Chapter 9 Light Reflection and Refraction

MP Board 10th Science Chapter 9 Light Reflection and Refraction

अध्याय 9: प्रकाश परावर्तन एवं अपवर्तन

अध्याय 9 प्रकाशपरावर्तन तथा अपवर्तन

·  प्रकाश वस्तुओं को दृश्यमान बनाता है क्योंकि वस्तुएँ उस पर पड़ने वाले प्रकाश को परावर्तित करती हैं और हमारी आँखें उस परावर्तित प्रकाश को ग्रहण करती हैं।

·  पारदर्शी माध्यमों में प्रकाश के पार हो जाने की क्षमता के कारण हम आर-पार देख सकते हैं।

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·  प्रकाश से जुड़ी रोचक घटनाएँ, जैसे दर्पणों में प्रतिबिंब, तारे, इंद्रधनुष और प्रकाश का मोड़ना – ये सभी अद्भुत उदाहरण हैं जो प्रकाश के गुणों को दर्शाते हैं।

·  इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि प्रकाश सीधी रेखा में चलता है – इसी कारण छाया बनती है और हम प्रकाश किरण की कल्पना करते हैं।

  • जब प्रकाश एक बहुत छोटी अपारदर्शी वस्तु के पास से गुजरता है तो वह मुड़ने लगता है—इसे ही विवर्तन कहते हैं।
  • विवर्तन जैसे प्रभावों की व्याख्या करने के लिए प्रकाश को तरंग माना जाता है।
  • परन्तु, जब प्रकाश का पदार्थ से सूक्ष्म स्तर पर संपर्क होता है (जैसे फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव में), तो वह कणों की तरह व्यवहार करता है।
  • इसी विरोधाभास को हल करने के लिए क्वांटम सिद्धांत सामने आया, जिसमें कहा गया कि प्रकाश में तरंग और कण दोनों गुण होते हैं—इसे ही द्वैत प्रकृति (wave-particle duality) कहा जाता है।

क्या कमाल की बात है ना? प्रकृति हमें सिखाती है कि कभी-कभी कोई चीज़ एक साथ दो रूपों में भी हो सकती है—बस देखने का तरीका बदलना होता है।

प्रकाश की द्वैत प्रकृति और उसके अध्ययन का क्रमिक विकास

आइए इसे और स्पष्ट करें:

🔹 विवर्तन (Diffraction): जब कोई अपारदर्शी वस्तु बहुत ही छोटी होती है (जैसे किसी बाल के समान), तो प्रकाश की सीधी रेखा में चलने की अवधारणा विफल हो जाती है। प्रकाश मुड़ने लगता है, जो यह दर्शाता है कि उसमें तरंगों जैसी विशेषताएँ हैं। यह तरंग सिद्धांत की पुष्टि करता है।

🔹 तरंग सिद्धांत की सीमा: जब वैज्ञानिकों ने सूक्ष्म स्तर पर प्रकाश और पदार्थ के बीच की बातचीत (जैसे फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव) को समझने की कोशिश की, तो पाया गया कि तरंग सिद्धांत पर्याप्त नहीं है। यहाँ प्रकाश ने कणों की भाँति व्यवहार किया।

🔹 क्वांटम सिद्धांत का आगमन: इस उलझन ने विज्ञान को एक नए मोड़ पर पहुँचा दिया—प्रकाश को न केवल तरंग और न केवल कण, बल्कि दोनों की विशेषताओं वाला समझा गया। यह है क्वांटम द्वैत प्रकृति, जो बताती है कि प्रकाश अपने व्यवहार को परिस्थिति के अनुसार बदल सकता है।

इसका वैज्ञानिक सौंदर्य यही है कि एक ही चीज़ दो भिन्न रूपों में देखी जा सकती है, और दोनों सही होते हैं, बस देखने का तरीका और प्रयोग बदल जाता है।

🔦 प्रकाश का परावर्तन क्या है?

जब प्रकाश किसी चिकनी सतह (जैसे दर्पण) से टकराता है और वापिस मुड़ता है, तो उसे परावर्तन कहते हैं।

👉 परावर्तन के दो मुख्य नियम:

  1. आपतन कोण = परावर्तन कोण
  2. आपतित किरण, परावर्तित किरण और अभिलंब एक ही तल (plane) में होते हैं।

🪞 समतल और गोलीय दर्पण में अंतर

  • समतल दर्पण: हमेशा सीधा, आभासी और बिंब जितना ही बड़ा प्रतिबिंब देता है।
  • गोलीय दर्पण: इसमें दो प्रकार होते हैं:
    • अवतल दर्पण (Concave): जैसे चम्मच का अंदर वाला हिस्सा—यह बिंब को बड़ा/छोटा व उलटा या सीधा बना सकता है, दूरी के अनुसार।
    • उत्तल दर्पण (Convex): जैसे चम्मच का बाहर वाला हिस्सा—यह हमेशा छोटा और सीधा प्रतिबिंब दिखाता है।

🥄 चम्मच वाला प्रयोग क्यों मज़ेदार है?

यह हमें दर्पणों के व्यवहार का लाइव अनुभव देता है—और यह दिखाता है कि विज्ञान सिर्फ किताबों में ही नहीं, बल्कि रसोई में भी मौजूद है! 😉

🔮 गोलीय दर्पण क्या होते हैं?

वे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ किसी गोले का भाग होता है। ये दो प्रकार के होते हैं:

  1. अवतल दर्पण (Concave Mirror):
    • परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर वक्रित होता है।
    • जैसे: चम्मच का अंदर की ओर वक्रित हिस्सा।
  2. उत्तल दर्पण (Convex Mirror):
    • परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित होता है।
    • जैसे: चम्मच का बाहर की ओर उभरा भाग।

📘 प्रमुख पदावली (Key Terms):

पदअर्थ
ध्रुव (P)दर्पण का मध्य बिंदु
वक्रता केंद्र (C)जिस गोले का दर्पण भाग है, उसका केंद्र
वक्रता त्रिज्या (R)ध्रुव से वक्रता केंद्र तक की दूरी
मुख्य अक्षध्रुव और वक्रता केंद्र से गुजरने वाली सीधी रेखा
फोकस (F)जहाँ समानांतर किरणें परावर्तन के बाद मिलती हैं
फोकस दूरीध्रुव और फोकस के बीच की दूरी

🌞 सौर प्रकाश और अवतल दर्पण का चमत्कार

आपका दिया गया उदाहरण 🔥 कागज़ जलाने वाला बिल्कुल सही विज्ञान प्रयोग है! जब सूर्य की किरणें अवतल दर्पण पर पड़ती हैं, तो वे एक बिंदु (फोकस) पर अभिसारित होती हैं। वहीं एकाग्र प्रकाश और ऊष्मा मिलकर कागज़ को जला सकते हैं। यह प्रयोग दिखाता है कि प्रकाश को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।

अवतल और उत्तल दर्पण पर किरण आरेख (Ray Diagrams)

📌 अवतल दर्पण (Concave Mirror):

  • जब समानांतर प्रकाश किरणें मुख्य अक्ष के साथ आती हैं और अवतल दर्पण पर गिरती हैं,
  • वे परावर्तन के बाद मुख्य फोकस (F) पर मिलती हैं।

📌 उत्तल दर्पण (Convex Mirror):

  • इसमें आने वाली समानांतर किरणें परावर्तन के बाद ऐसे बिखरती हैं मानो वे मुख्य फोकस से आ रही हों।
  • यह फोकस वास्तव में आभासी होता है और दर्पण के पीछे स्थित होता है।

📏 प्रमुख तकनीकी शब्द:

पदअर्थ
ध्रुव (P)दर्पण का मध्य बिंदु
मुख्य अक्षध्रुव से होकर गुजरने वाली कल्पित सीधी रेखा
फोकस दूरी (f)ध्रुव और फोकस के बीच की दूरी
वक्रता त्रिज्या (R)ध्रुव से वक्रता केंद्र तक की दूरी
द्वारक (Aperture)दर्पण की परावर्तक सतह की गोलाई की चौड़ाई

🔁 वक्रता त्रिज्या और फोकस दूरी का संबंध:

छोटे द्वारक वाले गोलीय दर्पणों में:

R=2fR = 2f

यानी फोकस मुख्य अक्ष पर वक्रता केंद्र और ध्रुव के बीच में होता है। यह संबंध परावर्तन के ज्यामितीय विश्लेषण में काफी सहायक होता है।

अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब निर्माण (मोमबत्ती की स्थिति के अनुसार):

  1. वस्तु अनंत पर हो (बहुत दूर):
    1. प्रतिबिंब की प्रकृति: वास्तविक, उलटा
    1. साइज़: अत्यंत छोटा (बिंदु समान)
    1. स्थिति: फोकस (F) पर
  2. वस्तु C के परे हो:
    1. प्रतिबिंब की प्रकृति: वास्तविक, उलटा
    1. साइज़: छोटा
    1. स्थिति: F और C के बीच
  3. वस्तु C पर हो:
    1. प्रतिबिंब की प्रकृति: वास्तविक, उलटा
    1. साइज़: समान
    1. स्थिति: C पर
  4. वस्तु F और C के बीच हो:
    1. प्रतिबिंब की प्रकृति: वास्तविक, उलटा
    1. साइज़: बड़ा (आवर्धित)
    1. स्थिति: C के परे
  5. वस्तु F पर हो:
    1. प्रतिबिंब की प्रकृति: वास्तविक, उलटा
    1. साइज़: अत्यंत बड़ा (अनंत पर)
    1. स्थिति: नहीं बनता/संयोजन बिंदु पर
  6. वस्तु F और P के बीच हो:
    1. प्रतिबिंब की प्रकृति: आभासी, सीधा
    1. साइज़: बड़ा
    1. स्थिति: दर्पण के पीछे

यह प्रतिबिंब निर्माण का सिद्धांत अवतल दर्पणों की ज्यामिति पर आधारित है और जीवन में अनेक अनुप्रयोगों (जैसे मेकअप मिरर, टॉर्च, सैटेलाइट डिश) में उपयोग होता है।

🔁 किरण आरेखों में प्रयुक्त चार प्रमुख किरणें (Ray Rules):

इनमें से कोई भी दो किरणें चुनकर हम प्रतिबिंब की स्थिति और प्रकृति का निर्धारण कर सकते हैं:

  1. मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली किरण:
    • अवतल दर्पण में यह परावर्तन के बाद फोकस (F) से गुजरती है।
    • उत्तल दर्पण में परावर्तन के बाद यह ऐसे फैलती है मानो फोकस (F) से आ रही हो।
  2. फोकस की ओर जाती हुई किरण:
    • अवतल दर्पण में यह परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समांतर जाती है।
    • उत्तल दर्पण में भी यही व्यवहार होता है।
  3. वक्रता केंद्र (C) की ओर जाती हुई किरण:
    • यह परावर्तन के बाद उसी पथ से वापस लौटती है क्योंकि वह सतह पर अभिलंब पड़ती है।
  4. ध्रुव (P) पर तिरछी दिशा में गिरने वाली किरण:
    • यह परावर्तन के बाद उसी कोण पर लौटती है जिस पर वह आई थी (परावर्तन का नियम लागू होता है)।

इन नियमों का पालन करते हुए जब हम एक बिंदु बिंब (point object) से निकली दो उपयुक्त किरणों को दर्शाते हैं, तब उनकी परावर्तित किरणें जहाँ मिलती हैं, वहीं उस बिंदु का प्रतिबिंब बनता है। अगर परावर्तित किरणें वास्तव में नहीं मिलतीं लेकिन उनके पिछले हिस्से मिलते हैं (जैसे उत्तल दर्पण में), तब आभासी प्रतिबिंब बनता है।

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