कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास : MP Board 10th Science Chapter 9 Heredity and Biological Evolution

MP Board 10th Science Chapter 9 Heredity and Biological Evolution :

अध्याय 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

हमने देखा है कि जनन प्रक्रियाओं से नए जीव (व्यष्टि) उत्पन्न होते हैं, जो अपने जनक के समान होते हुए भी कुछ भिन्नताएँ प्रदर्शित करते हैं। हमने यह भी अध्ययन किया है कि अलैंगिक जनन में किस प्रकार भिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं, परंतु लैंगिक प्रजनन से सबसे अधिक और सफल भिन्नताएँ प्राप्त होती हैं।

उदाहरण के लिए, गन्ने के खेत में व्यक्तिगत पौधों में बहुत कम भिन्नताएँ दिखती हैं, जबकि मानव और अधिकांश जंतु, जो लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होते हैं, उनमें व्यक्तिगत स्तर पर कई भिन्नताएँ दिखाई देती हैं।

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इस अध्याय में हम उन तंत्रों का अध्ययन करेंगे जिनके कारण ये भिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत होती हैं।

लंबे समय तक भिन्नताओं के संचय के प्रभावों का अध्ययन अत्यंत रोचक है, और हम इसे जैव विकास में विस्तार से समझेंगे।

जनन के दौरान भिन्नताओं का संचयन

पूर्ववर्ती पीढ़ी से वंशागति के माध्यम से संतति को एक आधारभूत शारीरिक अभिकल्प (डिज़ाइन) और कुछ भिन्नताएँ प्राप्त होती हैं। अब विचार कीजिए कि यदि यह नई पीढ़ी स्वयं जनन करेगी, तो क्या परिणाम होगा?

➡ अगली पीढ़ी में, पहली पीढ़ी से प्राप्त भिन्नताओं के साथ-साथ कुछ नई भिन्नताएँ भी उत्पन्न होंगी।

चित्र 9.1 एक ऐसी स्थिति को दर्शाता है जहाँ केवल एक जीव जनन करता है—जैसे कि अलैंगिक जनन में होता है। यदि एक जीवाणु विभाजित होता है, तो वह दो जीवाणुओं में बदल जाता है, जो फिर आगे विभाजित होकर चार (व्यष्टि) जीवाणु बनाते हैं।

✔ इनमें आपसी समानता बहुत अधिक होती है। ✔ इनमें बहुत कम भिन्नताएँ होती हैं, और वे भी डी.एन.ए. की प्रतिकृति के समय हुई मामूली त्रुटियों के कारण उत्पन्न होती हैं।

लैंगिक जनन की स्थिति में, ऐसी भिन्नताओं की मात्रा बहुत अधिक होती। इस पर हम आगे आनुवंशिकता के नियमों में चर्चा करेंगे।

प्रश्न: क्या सभी भिन्नताओं वाले जीवों की अस्तित्व में बने रहने की संभावना एकसमान होती है? उत्तर: नहीं।

➡ प्रकृति में भिन्नताओं के आधार पर, विभिन्न जीवों को विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। उदाहरणस्वरूप, उष्णता सहनशील जीवाणु अधिक गर्मी से बच सकते हैं — जैसा कि हमने पहले अध्यायों में देखा है।

यह सिद्धांत, कि पर्यावरण कारक अनुकूल परिवर्तनों का चयन करते हैं, जैव विकास (Evolution) की प्रक्रिया का मूल आधार बनता है। इसकी विस्तृत चर्चा हम आगामी खंडों में करेंगे।

प्रश्न 1: यदि एक ‘लक्षण-A’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है और लक्षण-‘B’ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?

उत्तर: लक्षण-‘B’ पहले उत्पन्न हुआ होगा, क्योंकि वह अधिक जीवों में पाया जा रहा है। अलैंगिक प्रजनन में लक्षणों का संचरण एक जैसी संततियों में होता है, इसलिए जो लक्षण पहले उत्पन्न होता है, वह अधिक पीढ़ियों तक फैल जाता है। इस आधार पर, लक्षण-‘B’ का पहले उत्पन्न होना तर्कसंगत है।

प्रश्न 2: भिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है?

उत्तर: भिन्नताओं के कारण कुछ जीव पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति अधिक अनुकूल होते हैं। ये अनुकूल जीव कठिन परिस्थितियों में जीवित रहते हैं, प्रजनन करते हैं, और अपनी संतति को अगली पीढ़ी में पहुँचाते हैं। इस प्रक्रिया से स्पीशीज़ का अस्तित्व टिकाऊ होता है और वह विलुप्त होने से बचती है।

9.2 आनुवंशिकता (Heredity)

जनन प्रक्रिया (Reproduction process) का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम यह है कि offspring (संतति) अपने माता-पिता जैसी basic physical design (आधारभूत शारीरिक संरचना) प्राप्त करते हैं।

👉 ये inherited characteristics (वंशागत लक्षण) होते हैं।

Genetics के नियम यह तय करते हैं कि कौन-से traits (लक्षण) अगली पीढ़ी में सटीकता से transfer होंगे और किनमें variation (विभिन्नता) हो सकती है।

9.2.1 वंशागत लक्षण (Inherited Traits)

अब सवाल ये है—समानता (Similarity) और भिन्नता (Variation) से हमारा अभिप्राय क्या है?

हम जानते हैं कि एक शिशु (baby) में मानव के सभी मूलभूत लक्षण (basic traits) होते हैं, जैसे:

  • 2 eyes
  • nose, ears
  • hands and legs etc.

फिर भी, बच्चा बिल्कुल अपने माता-पिता जैसा नहीं होता। यही कारण है कि एक ही परिवार में भी बच्चों के चेहरे, आवाज़, रंग, ऊँचाई आदि अलग-अलग हो सकते हैं।

👀 यही variation पूरी मानव जाति को diverse बनाती है।

9.2.2 लक्षणों की वंशागति के नियम: मेंडल का योगदान (Rules of Inheritance: Mendel’s Contribution)

मानव में वंशागति के नियम (Rules of Heredity) इस सिद्धांत पर आधारित हैं कि: Mother और Father दोनों संतति (offspring) को समान मात्रा में आनुवंशिक पदार्थ (genetic material) प्रदान करते हैं। इसका अर्थ यह है कि एक संतति के प्रत्येक लक्षण के पीछे दो alleles (विकल्प) होते हैं— एक माता से (from mother) और एक पिता से (from father)

अब प्रश्न उठता है: “संतान में कौन-सा लक्षण प्रकट होगा?” (Which trait will be expressed?)

👉 इस प्रश्न का उत्तर Gregor Johann Mendel ने अपने प्रसिद्ध मटर के पौधों (pea plants) पर किए गए प्रयोगों से दिया।

Mendel ने क्या सिद्ध किया?

मेंडल ने लगभग एक शताब्दी पहले यह बताया कि:

  1. Traits inherit होते हैं predictable patterns में,
  2. कुछ लक्षण प्रबल (Dominant) होते हैं, और
  3. कुछ लक्षण मंद (Recessive) होते हैं,
  4. संतति में प्रकट होने वाला लक्षण इन्हीं के संयोजन पर निर्भर करता है।

उदाहरण: यदि एक बच्चा ऐसे माता-पिता से जन्मा हो जिनमें से एक की आँखें भूरी (brown) हैं और दूसरे की नीली (blue), तो संतान की आँखों का रंग इस पर निर्भर करेगा कि कौन-सा लक्षण प्रबल है।

Mendel के ये नियम आगे चलकर आधुनिक आनुवंशिकी (Modern Genetics) की नींव बने।

जॉन मेंडल (1822–1884): आनुवंशिकी के जनक (Father of Genetics)

  1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा जॉन मेंडल की प्रारंभिक शिक्षा एक गिरजाघर स्कूल में हुई थी। आगे चलकर उन्होंने वियना विश्वविद्यालय में विज्ञान (Science) और गणित (Mathematics) का अध्ययन किया।
  2. संकट में भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण वे अध्यापक बनने की परीक्षा में सफल नहीं हो सके, लेकिन उनकी वैज्ञानिक सोच और जिज्ञासा में कोई कमी नहीं आई। वे अपने मठ (monastery) लौट आए और वहीं से अपने प्रयोगों की शुरुआत की।
  3. मटर के पौधों पर प्रयोग मेंडल ने मटर के पौधों (Pea plants) पर क्रमबद्ध और गहन प्रयोग किए। उनसे पहले भी कई वैज्ञानिकों ने वंशागत गुणों का अध्ययन किया था, लेकिन मेंडल की पद्धति ने उन्हें सबसे अलग किया।
  4. वैज्ञानिक + गणितीय दृष्टिकोण मेंडल ने हर पीढ़ी के व्यक्तिगत पौधों के लक्षणों का रिकॉर्ड किया और उनकी संख्यात्मक गणना भी की। 👉 यह उनका quantitative approach था, जिसने आनुवंशिकता के नियमों की खोज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  5. वंशागति के नियम (Laws of Heredity) उनके प्रयोगों ने बताया कि किस तरह लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी में जाते हैं। इन्हीं प्रयोगों के आधार पर उन्होंने “Dominant” और “Recessive” लक्षणों का सिद्धांत प्रतिपादित किया।

मेंडल के मटर के प्रयोग: लक्षणों की वंशागति (Inheritance of Traits through Mendel’s Pea Experiments)

Gregor Mendel ने मटर के पौधों (Pea plants) के विभिन्न विपर्यासी लक्षणों (contrasting traits) का अध्ययन किया — जैसे:

  • गोल / झुर्रीदार बीज (Round/Wrinkled seeds)
  • लंबे / बौने पौधे (Tall/Dwarf plants)
  • बैंगनी / सफेद फूल (Purple/White flowers)

उन्होंने दो विपरीत लक्षणों वाले पौधों को cross-pollinate कर उनकी संतति पीढ़ियों (generations) में लक्षणों का निरीक्षण किया और गणना की।

🌱 प्रथम संतति पीढ़ी (F₁ Generation)

मेंडल ने पाया कि जब लंबे (Tall) और बौने (Dwarf) पौधों को संकरण (cross) कराया गया, तो F₁ पीढ़ी में सभी पौधे लंबे थे। 👉 इसका अर्थ हुआ कि दोनों लक्षणों में से केवल एक (Dominant trait) ही प्रकट हुआ, मिश्रित रूप (blending) नहीं दिखाई दिया।

> 🧠 F₁ Generation exhibited only the dominant trait — लंबाई (Tallness)

🌿 द्वितीय संतति पीढ़ी (F₂ Generation)

अब मेंडल ने F₁ के पौधों को self-pollinate कराया।

🔍 परिणाम:

  • F₂ पीढ़ी में लगभग ¾ पौधे लंबे और ¼ पौधे बौने निकले।

👉 इससे सिद्ध हुआ कि बौना लक्षण (recessive trait) F₁ में छिपा था, लेकिन नष्ट नहीं हुआ था। वह अगले generation में वापस उभर सकता है।

📚 वंशागति की परिकल्पना (Mendel’s Hypothesis)

Mendel ने यह निष्कर्ष निकाला कि:

  • हर लक्षण के लिए संतति में दो alleles (प्रतिकृतियाँ) होती हैं— एक माता से और एक पिता से।
  • यदि दोनों alleles समान हों = homozygous, और यदि भिन्न हों = heterozygous
  • Dominant allele प्रकट होता है और recessive allele छिप सकता है।

🧬 इस सिद्धांत को ग्राफिक रूप से Punnett Square या चित्र 9.3 के रूप में दर्शाया जाता है।

प्रभावी (Dominant) और अप्रभावी (Recessive) लक्षण

Gregor Mendel के प्रयोगों से यह सिद्ध हुआ कि कुछ traits (लक्षण) ऐसे होते हैं जो दूसरों पर प्रभाव डालते हैं — इन्हें कहते हैं Dominant traits

🔹 उदाहरण के लिए:

  • यदि किसी मटर के पौधे की जेनेटिक संरचना TT या Tt है, तो पौधा लंबा (tall) होगा।
  • केवल tt होने पर ही पौधा बौना (dwarf) होगा।

इसका मतलब यह है कि:

  • ‘T’ (tallness) एक प्रभावी लक्षण (dominant trait) है — इसकी एक ही प्रति (allele) मौजूद होने पर भी यह व्यक्त हो जाता है।
  • जबकि ‘t’ (dwarfness) एक अप्रभावी लक्षण (recessive trait) है — यह केवल तब ही दिखाई देता है जब दोनों प्रतियाँ ‘t’ हों यानी tt

👉 इस प्रकार:

  • Dominant trait = जो अन्य trait को दबा देता है।
  • Recessive trait = जो केवल homozygous स्थिति (दोनों allele एक जैसे होने पर) में ही व्यक्त होता है।

📊 चित्र 9.4 (जो संभवतः Punnett Square दर्शाता है) में दिखाया गया है कि लंबापन (Tallness) dominant है और बौनापन (Dwarfness) recessive।

🌿 मेंडल का द्वि-लक्षणीय संकरण प्रयोग (Dihybrid Cross: Independent Inheritance)

Gregor Mendel ने यह भी जाना चाहा कि अगर एक साथ दो विपरीत लक्षणों (two contrasting traits) का अध्ययन किया जाए — जैसे बीज का आकार (shape) और पौधे की ऊँचाई (height) — तो क्या ये लक्षण एक साथ वंशानुगत होते हैं या स्वतंत्र रूप से?

🧬 प्रयोग का उदाहरण:

  • Parent Plants (P): ⬩ गोल बीज वाला लंबा पौधा (Round & Tall) ⬩ झुर्रीदार बीज वाला बौना पौधा (Wrinkled & Dwarf)

🌱 F₁ पीढ़ी (First Filial Generation):

मेंडल ने पाया कि F₁ पीढ़ी के सभी पौधे लंबे और गोल बीज वाले थे। 👉 इसका अर्थ था कि लंबाई (Tallness) और गोल बीज (Round seed) दोनों ही प्रभावी लक्षण (Dominant Traits) हैं।

🌾 F₂ पीढ़ी (Second Filial Generation):

F₁ पीढ़ी को स्व-परागित (self-pollinated) किया गया, और F₂ पीढ़ी में Mendel को नए संयोजन (new combinations) मिले:

  • लंबे + गोल (Tall + Round)
  • लंबे + झुर्रीदार (Tall + Wrinkled)
  • बौने + गोल (Dwarf + Round)
  • बौने + झुर्रीदार (Dwarf + Wrinkled)

👉 निष्कर्ष: लक्षण एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं, यानी एक लक्षण का विरासत में जाना, दूसरे को प्रभावित नहीं करता। इसे कहते हैं:

🎯 स्वतंत्र स्वतंत्रता का नियम (Law of Independent Assortment)

📘 चित्र 9.5 में यही सिद्धांत Punnett Square के माध्यम से दर्शाया गया होगा, जिसमें चारों प्रकार के संयोजन बराबर अनुपात में दिखते हैं (संभावित अनुपात: 9:3:3:1)।

9.2.3 लक्षण स्वयं को कैसे व्यक्त करते हैं?

(How Traits Express Themselves)**

आइए समझते हैं कि आनुवंशिकता (Genetics) वास्तव में कैसे कार्य करती है।

🧬 DNA – सूचना का स्रोत (Source of Information) कोशिका के नाभिक (nucleus) में उपस्थित DNA में एक विशेष भाग होता है जिसमें किसी प्रोटीन के निर्माण (protein synthesis) की सूचना होती है। 👉 इस विशेष खंड को ही जीन (Gene) कहा जाता है।

🌱 लक्षणों की अभिव्यक्ति में प्रोटीन की भूमिका (Role of Proteins in Trait Expression)

उदाहरण: पौधे की लंबाई (plant height)

  1. पौधों में कुछ विशेष हार्मोन (hormones) होते हैं जो उनकी लंबाई को नियंत्रित करते हैं।
  2. किसी पौधे की लंबाई इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितनी मात्रा में यह हार्मोन बना पाता है।
  3. हार्मोन निर्माण की दक्षता उस biochemical process (जैव-रासायनिक प्रक्रिया) पर निर्भर करती है जिसमें ➤ एक enzyme (एंजाइम) कार्य करता है।
  4. यदि एंजाइम पूरी दक्षता से कार्य करता है, तो हार्मोन की मात्रा पर्याप्त होगी और पौधा लंबा होगा।
  5. परंतु यदि इस एंजाइम को बनाने वाले जीन (gene) में कोई mutation (परिवर्तन) होता है, तो:
    • प्रोटीन की गुणवत्ता घट सकती है
    • हार्मोन कम बन पाएगा
    • और परिणामस्वरूप पौधा बौना (dwarf) हो सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

जीन ही यह तय करते हैं कि कौन-सा trait (लक्षण) प्रकट होगा और कैसे प्रकट होगा, क्योंकि वे प्रोटीन निर्माण को नियंत्रित करते हैं—और प्रोटीन ही जीव के हर शारीरिक लक्षण का आधार होता है।

मेंडल के नियमों की आनुवंशिक व्याख्या: जीन और गुणसूत्र (Mendelian Explanation: Genes and Chromosomes)

🧬 यदि Mendel के प्रयोगों की व्याख्या सही मानी जाए, तो यह सिद्ध होता है कि:

  • Sexual reproduction के दौरान, offspring (संतति) को माता-पिता दोनों से DNA का समान योगदान (equal genetic contribution) प्राप्त होता है।
  • प्रत्येक parent अपने जीन (gene) की एक-एक copy (allele) प्रदान करता है।

👉 इसीलिए, मटर के हर पौधे में प्रत्येक जीन के दो सेट (diploid condition) होते हैं: एक माता से, एक पिता से।

🔁 Gametes में जीन की एकल प्रति क्यों?

  • नियमित कायिक कोशिकाओं (somatic cells) में जीन की दो प्रतियाँ होती हैं।
  • लेकिन जनन कोशिकाएँ (gametes) केवल एक जीन सेट लेकर चलती हैं— ताकि जब दो gametes (एक male और एक female) fertilize करें, तो संख्या फिर से सामान्य हो जाए।

यदि ऐसा न होता (i.e., दो जीन प्रतियाँ दोनों जनकों से आ जातीं), तो:

❌ चित्र 9.5 में दर्शाया गया dihybrid cross जैसा परिणाम कभी नहीं आ पाता, ❌ और traits स्वतंत्र रूप से विरासत में न जाकर linked हो जाते।

🧩 जीन और गुणसूत्रों की संरचना (Gene & Chromosome Structure)

  • जीन सिर्फ DNA का एक लंबा sequence नहीं है, बल्कि वह विभिन्न chromosomes पर व्यवस्थित होता है।
  • हर कोशिका में हर chromosome की दो copies (homologous pairs) होती हैं — ➤ एक पिता से (paternal), ➤ एक माता से (maternal)।

✔️ During gamete formation (गैमेट निर्माण के समय), प्रत्येक युग्मक को हर chromosome pair में से केवल एक chromosome ही मिलता है।

✳️ जब दो gametes fuse होते हैं (fertilization), तो offspring में chromosome number restore हो जाता है — species-specific and stable.

निष्कर्ष (Conclusion)

इस पूरी प्रक्रिया से Mendel के प्रयोगों में पाए गए results की व्याख्या हो जाती है और सिद्ध होता है कि:

  • Genes और Chromosomes ही लक्षणों की वंशागति के वाहक (carriers of heredity) हैं।
  • यह प्रक्रिया सभी लैंगिक जनन करने वाले जीवों (sexually reproducing organisms) में समान होती है।
  • यहाँ तक कि asexual organisms भी इन्हीं आनुवंशिक नियमों को follow करते हैं।

9.2.4 लिंग निर्धारण (Sex Determination)

हम जानते हैं कि लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) में दो भिन्न parent organisms भाग लेते हैं। परंतु सवाल यह है कि offspring का लिंग (Sex)लड़का या लड़की — कैसे तय होता है?

👉 अलग-अलग species में इसके अलग-अलग तरीके होते हैं:

  • कुछ सरीसृपों (Reptiles) में लिंग का निर्धारण अंडों के तापमान (Incubation Temperature) से होता है।
  • कुछ जीव, जैसे घोंघे (snails), समय के साथ अपना लिंग बदल सकते हैं, जो यह दर्शाता है कि उनमें यह प्रक्रिया आनुवंशिक (genetic) नहीं है।

🧬 मानव में लिंग निर्धारण की आनुवंशिक व्याख्या (Genetic Basis in Humans)

मनुष्य में लिंग निर्धारण पूरी तरह आनुवंशिक (hereditary) होता है। ➡ यह पूरी प्रक्रिया गुणसूत्रों (Chromosomes) और विशेष रूप से लिंग गुणसूत्रों (Sex Chromosomes) द्वारा नियंत्रित होती है।

🧩 मानव में गुणसूत्र संरचना:

  • प्रत्येक मानव कोशिका में कुल 23 जोड़ी (pairs) गुणसूत्र होते हैं। ⬩ इनमें 22 जोड़ी autosomes (सामान्य गुणसूत्र) होते हैं। ⬩ 23वीं जोड़ी होती है — Sex Chromosomes (X और Y)।

👩‍🦰 स्त्रियों की संरचना:

XX — दोनों sex chromosomes X होते हैं।

👨 पुरुषों की संरचना:

XY — एक X और एक छोटा Y गुणसूत्र।

👶 बच्चे का लिंग कैसे तय होता है?

  • हर बच्चा माँ से हमेशा X chromosome प्राप्त करता है।
  • बच्चे का लिंग इस पर निर्भर करता है कि उसे पिता से कौन-सा गुणसूत्र मिलता है:
माता से गुणसूत्रपिता से गुणसूत्रसंतान का लिंग
XX👧 लड़की (XX)
XY👦 लड़का (XY)

🔁 इसलिए, यह स्पष्ट है कि लड़का या लड़की होना पिता से प्राप्त गुणसूत्र पर निर्भर करता है — न कि माँ पर।

भिन्नताओं के प्रकारों में अंतर (Difference Between Types of Variations)

मेंडल के सिद्धांतों के आलोक में, भृंगों की समष्टियों (beetle populations) में हुए बदलावों से हम तीन प्रमुख जैविक अवधारणाओं को समझ सकते हैं:

🟢 1. प्राकृतिक चयन (Natural Selection)

  • हरे रंग के भृंगों की संख्या बढ़ती गई क्योंकि कौए उन्हें हरे पत्तों में नहीं देख पाए।
  • इस प्रकार, हरे भृंगों को उत्तरजीविता (survival) का लाभ मिला और वे चयनित हो गए
  • कौए एक पर्यावरणीय कारक (Environmental Factor) के रूप में कार्य कर रहे थे।
  • इसका परिणाम यह हुआ कि भृंगों की समष्टि में हरे रंग का लक्षण अधिक फैल गया।

निष्कर्ष: यह एक क्लासिक उदाहरण है कि प्राकृतिक चयन (Natural selection) कैसे काम करता है और धीरे-धीरे Population adaptation की ओर अग्रसर होती है।

🔵 2. आनुवंशिक अपवाद या ड्रिफ्ट (Genetic Drift)

  • नीले रंग के भृंग सिर्फ एक आकस्मिक दुर्घटना (जैसे हाथी द्वारा रौंदे जाने) से बच गए — कोई जैविक लाभ नहीं था।
  • यदि जनसंख्या छोटी है, तो ऐसी दुर्घटनाएँ जीन की आवृत्तियों (Gene Frequencies) को नाटकीय रूप से बदल सकती हैं।
  • लेकिन यह कोई अनुकूलन (Adaptation) नहीं है।

निष्कर्ष: Genetic Drift आकस्मिक होता है, और यह evolutionary change उत्पन्न कर सकता है बिना किसी प्राकृतिक चयन के

🟠 3. उपार्जित लक्षण बनाम आनुवंशिक लक्षण (Acquired vs. Inherited Traits)

स्थिति: पादप रोग के कारण भोजन की कमी हुई → भृंगों का औसत भार कम हो गया।

📌 प्रश्न: यदि बाद में भोजन की भरपूर मात्रा मिलती है, तो क्या ये भृंग दुबारा भारी हो सकते हैं?

➡️ उत्तर: हाँ! क्योंकि यह उपार्जित लक्षण (Acquired Trait) था — भोजन की कमी ने अस्थायी रूप से शरीर को प्रभावित किया, DNA को नहीं।

📢 इसका जीन से कोई लेना-देना नहीं, इसलिए यह बदलाव वंशानुगत नहीं होगा।

🧬 समाप्ति निष्कर्ष (Final Insight)

स्थितिलक्षण का प्रकारपरिवर्तन का कारणवंशागत है?विकास में योगदान?
प्राकृतिक चयनअनुवांशिक लक्षण (Genetic)पर्यावरणीय चयन✔️✔️
आनुवंशिक ड्रिफ्टअनुवांशिक लक्षण (Genetic)आकस्मिक घटना (Random Event)✔️✔️ (बिना अनुकूलन)
उपार्जित लक्षणअस्थायी, शरीर पर आधारितबाहरी कारण (e.g., starvation)

9.3.2 उपार्जित एवं आनुवंशिक लक्षण (Acquired vs. Inherited Traits)

लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) करने वाले जीवों में युग्मक (gametes) विशेष जनन ऊतकों (reproductive tissues) में बनते हैं। अब यदि कोई बाहरी परिस्थिति, जैसे भूखमरी (starvation) के कारण, किसी भृंग के शरीर के भार में कमी आती है, 👉 तो इसका प्रभाव केवल उसके शरीर पर होगा — उसके डी.एन.ए. या जनन कोशिकाओं (germ cells) पर नहीं।

🧬 क्या यह विकास है?

❌ नहीं। क्योंकि यह परिवर्तन वंशागत (heritable) नहीं है। यह एक उपार्जित लक्षण (Acquired Trait) है — यानी ऐसा लक्षण जो जीवन के अनुभवों से आया हो, न कि जीन द्वारा प्राप्त।

🔬 कायिक (Somatic) बनाम लैंगिक (Germline) प्रभाव

  • कोई भी शारीरिक (somatic) परिवर्तन — चाहे वह भोजन, व्यायाम या चोट से हुआ हो — जनन कोशिकाओं के DNA को प्रभावित नहीं करता।
  • इसलिए ऐसे लक्षण अगली पीढ़ी को ट्रांसफर नहीं होते और इन्हें जैव विकास (evolutionary change) नहीं कहा जा सकता।

🐭 एक प्रयोग द्वारा स्पष्टीकरण (Experimental Example):

  1. यदि हम पूँछ वाले चूहों (tailed mice) का संवर्धन करें, ➤ तो अगली पीढ़ी में भी पूँछ वाले चूहे पैदा होंगे — क्योंकि पूँछ एक आनुवंशिक लक्षण (genetic trait) है।
  2. अब यदि हम इन चूहों की पूँछ काटते रहें, पीढ़ी दर पीढ़ी — ➤ क्या अगली पीढ़ी पूँछविहीन (tailless) होगी?उत्तर:नहीं। क्योंकि पूँछ काटना शरीर का परिवर्तन है, जीन का नहीं।

📌 निष्कर्ष (Conclusion):

प्रकारक्या वंशागत है?डी.एन.ए. में परिवर्तन?जैव विकास में भूमिका?
उपार्जित लक्षण (Acquired Traits)❌ नहीं❌ नहीं❌ नहीं
आनुवंशिक लक्षण (Inherited Traits)✔️ हाँ✔️ हाँ✔️ हाँ

चार्ल्स डार्विन: जैव विकास के अग्रणी (Charles Darwin – Pioneer of Evolution Theory)

  1. युवावस्था में यात्रा और अवलोकन चार्ल्स डार्विन ने 22 वर्ष की आयु में HMS Beagle नामक जहाज पर एक साहसिक समुद्री यात्रा की। ✦ यह यात्रा लगभग 5 वर्षों तक चली, जिसमें उन्होंने दक्षिणी अमेरिका और विभिन्न द्वीपों जैसे गैलापागोस का भ्रमण किया। ✦ इस यात्रा का उद्देश्य था — पृथ्वी पर जैव विविधता (biodiversity) की प्रकृति को समझना। ✦ उनके अवलोकनों ने उस समय के जैविक दृष्टिकोणों को पूरी तरह बदल दिया
  2. प्राकृतिक वरण (Natural Selection) का सिद्धांत इंग्लैंड लौटने के बाद, डार्विन ने पुनः कोई यात्रा नहीं की। वह अपने घर पर रहे और अनेक प्रयोग किए। ✧ इन्हीं प्रयोगों के आधार पर उन्होंने प्रस्तावित किया: 👉 “Theory of Evolution by Natural Selection” — जो आज भी जीवविज्ञान का आधार स्तंभ है।
  3. भिन्नताओं की उत्पत्ति पर असमर्थता हालांकि डार्विन यह नहीं जानते थे कि स्पीशीज़ में variations (भिन्नताएँ) कैसे उत्पन्न होती हैं। ✦ यदि वे मेंडल के प्रयोगों से परिचित होते, तो उन्हें आनुवंशिकता (Genetics) की समझ मिलती। ✦ दुर्भाग्यवश, डार्विन और मेंडल एक-दूसरे के कार्यों से अनभिज्ञ रहे।
  4. अन्य योगदान डार्विन सिर्फ विकासवाद के लिए ही नहीं, बल्कि एक महान प्रकृतिशास्त्री (naturalist) के रूप में भी प्रसिद्ध थे। ❖ उन्होंने केंचुओं की भूमिका पर भी अध्ययन किया, जो मृदा उर्वरता (soil fertility) में सहायक होते हैं।
  5. आधुनिक दृष्टिकोण में प्रासंगिकता जैव विकासवाद को ठीक से समझने के लिए Genetics और Heredity का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। इसलिए, डार्विन का सिद्धांत अद्भुत होते हुए भी Incomplete था — जिसमें बाद में Mendelian Genetics ने पूर्णता लाई।

🌍 पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति (Origin of Life on Earth)

🧬 Darwin और Mendel: योगदान और सीमाएँ

  • Charles Darwin के सिद्धांत बताते हैं कि सरल जीवों से धीरे-धीरे जटिल जीवों का विकास (evolution) कैसे हुआ।
  • Gregor Mendel के प्रयोगों से यह समझ आया कि traits पीढ़ी-दर-पीढ़ी कैसे transfer होते हैं (heredity)।
  • लेकिन दोनों ही यह नहीं बता पाए कि “जीवन की शुरुआत” (origin of life) कैसे हुई।

🧪 J.B.S. Haldane का दृष्टिकोण (1929)

  • British scientist J.B.S. Haldane (जो बाद में भारत के नागरिक बन गए) ने यह सुझाव दिया कि: ➤ जीवन की उत्पत्ति पृथ्वी की प्रारंभिक दशा में मौजूद simple inorganic molecules से ही हुई होगी।
  • उन्होंने कल्पना की कि उस समय का वातावरण आज के वातावरण से बिल्कुल अलग था।
  • उस early atmosphere में complex organic molecules (जैसे amino acids) का निर्माण हुआ होगा। 👉 यहीं से life-forming chemical reactions की शुरुआत मानी जाती है।

⚗️ Miller-Urey प्रयोग (1953)

Stanley L. Miller और Harold C. Urey ने एक महत्वपूर्ण प्रयोग किया:

  1. उन्होंने एक बंद प्रणाली बनाई जो प्राचीन पृथ्वी जैसा वातावरण बनाती थी।
  2. इसमें शामिल थे:
    • Ammonia (NH₃),
    • Methane (CH₄),
    • Hydrogen Sulfide (H₂S),
    • Water (H₂O),
    • लेकिन Oxygen नहीं
  3. इस मिश्रण को लगभग 100°C पर गर्म किया गया और electrical sparks (बिजली के जैसा) छोड़ी गईं।

🔬 एक सप्ताह बाद: ➤ मिश्रण में से amino acids और अन्य organic compounds पाए गए — जो life के निर्माण में मूलभूत भूमिका निभाते हैं।

क्या आज भी पृथ्वी पर जीवन उत्पन्न हो सकता है?

यह प्रश्न अभी भी खुला है और विज्ञान तथा दर्शन दोनों के लिए रोमांचक है। आज के वातावरण में oxygen और जीवाणुओं की उपस्थिति नई life-form के spontaneous विकास को रोक सकती है।

👀 आप क्या सोचते हैं, क्या आज फिर से जीवन स्वयं से प्रारंभ हो सकता है?

9.4 जाति उद्भव (Speciation)

Micro-evolution उन छोटे-छोटे जैविक परिवर्तनों को कहा जाता है जो एक ही स्पीशीज़ की जनसंख्या में होते हैं। लेकिन जब ऐसी बड़ी अनुवांशिक भिन्नताएँ (genetic differences) उत्पन्न हो जाती हैं कि दो समूह आपस में जनन (interbreed) करने में असमर्थ हो जाते हैं, तो यह Speciation कहलाता है — अर्थात् नई स्पीशीज़ का जन्म

🧬 Speciation के कारण: भौगोलिक पृथक्करण (Geographical Isolation) और जीन प्रवाह (Gene Flow)

  1. यदि कोई जनसंख्या (जैसे भृंग) किसी बड़े क्षेत्र में फैल जाए, परंतु उनके जनन की गतिविधियाँ केवल पास-पास के समूहों में सीमित रहें, तो वहाँ उप-समष्टियाँ (sub-populations) बन जाती हैं।
  2. कुछ साहसी भृंग migrate करके दूसरी उप-समष्टियों के साथ interbreed करते हैं। यही है gene flow — जो भिन्न समूहों में जीन का आदान-प्रदान करता है।
  3. परंतु अगर बीच में कोई अवरोध आ जाए — जैसे एक नदी, पहाड़ या रेगिस्तान — तो दोनों उप-समष्टियाँ एक-दूसरे से पूरी तरह अलग (isolated) हो जाती हैं।
  4. समय के साथ इनमें:
    • Genetic Drift
    • Natural Selection अलग-अलग प्रभाव डालते हैं।

👉 इन दोनों का संयुक्त प्रभाव भिन्नताओं को इतना बढ़ा सकता है कि इन उप-समष्टियों के जीव अब आपस में प्रजनन नहीं कर सकते — यह है speciation

🌱 भिन्नताओं का संचयन और Speciation के उदाहरण

  • एक क्षेत्र में कौए हरे भृंगों को नहीं देख पाते → हरा रंग Selected होता है।
  • दूसरे क्षेत्र में कौए नहीं हैं → कोई विशेष रंग selected नहीं होता।
  • धीरे-धीरे ये दो समूह इतनी अनुवांशिक रूप से अलग हो जाते हैं कि आपस में संतान उत्पन्न नहीं कर सकते।

⚙️ Speciation के संभावित तरीके (Mechanisms of Speciation)

  • Genetic Mutation: यदि DNA में बड़े बदलाव आ जाएँ (जैसे Chromosome Number बदल जाए)।
  • Behavioral Isolation: मादा भृंग केवल हरे नर भृंग से ही प्रजनन करती है, लाल से नहीं।
  • Gametic Incompatibility: युग्मकों का संलयन ही न हो पाए (gametes fail to fuse)।

🧬 इससे भृंगों की एक नयी जाति (new species) जन्म लेती है।

🌱 9.5 विकास एवं वर्गीकरण (Evolution and Classification)

🔁 Evolutionary Relationships:

हम जीवों के shared characteristics का विश्लेषण करके उनके बीच के विकासीय संबंध (evolutionary links) को समझ सकते हैं। यह ठीक वैसा है जैसे हम समय की घड़ी को उल्टा घुमाकर shared ancestors को पहचानते हैं।

📚 What Are Characteristics? (Abhilakshan क्या हैं?)

  • Structure या function से जुड़े गुणों को “अभिलक्षण (characteristics)” कहते हैं। ✦ जैसे: “मनुष्यों के 4 पाँव नहीं होते” → structural abhilakshan ✦ “पौधे प्रकाशसंश्लेषण करते हैं” → functional abhilakshan

🧬 Classification का आधार – अभिलक्षणों की पदानुक्रम (Hierarchy of Traits):

स्तरविभाजन का आधारउदाहरण
1️⃣कोशिका की संरचना (Cell design)प्रोकैरियोटिक vs यूकैरियोटिक
2️⃣एककोशिकीय vs बहुकोशिकीयअमीबा vs मानव
3️⃣पोषण विधि (Nutrition)पौधे (autotroph) vs जंतु (heterotroph)
4️⃣कंकाल की स्थिति (Skeleton type)अंतःकंकाल (man) vs बाह्यकंकाल (कीट)

👉 इस पदानुक्रम से हम species को progressively specific समूहों में बाँट सकते हैं।

🔗 विकासीय संबंध और वर्गीकरण:

  • जितनी ज्यादा समानताएँ, उतना ही निकटतम विकासीय संबंध (closer ancestry)
  • जैसे:
    • भाई–बहन ⇒ immediate ancestry
    • चचेरे भाई–बहन ⇒ एक पीढ़ी दूर ancestry

🧠 इसी तर्क से species का classification किया जाता है — जिनमें समान लक्षण हैं, वे संभवतः समान पूर्वजों से आए हैं।

🔍 9.5.1 विकासीय संबंध खोजना (Finding Evolutionary Links):

  • जीवों में समान लक्षणों के माध्यम से हम उनके पूर्वजों (ancestors) की पहचान करते हैं।

🦴 जैसे: चार पाद — पक्षी, स्तनधारी, सरीसृप, उभयचर — सभी में ये संरचना पाई जाती है।

📌 इन समान संरचनाओं को कहते हैं Homologous Characteristics (समजात अभिलक्षण)। — समान संरचना, अलग कार्य

🐦 समरूप बनाम समजात अभिलक्षण (Analogous vs Homologous Traits)

प्रकारसंरचनाकार्यउदाहरण
Homologous✔️ समान❌ अलगमानव का हाथ, पक्षी का पंख, डॉल्फिन का पंख
Analogous❌ भिन्न✔️ समानपक्षी के पंख vs चमगादड़ के पंख (उड़ना)

> 🧠 चमगादड़ और पक्षी के पंख functionally समान हैं (उड़ना), > लेकिन structurally अलग — इसलिए ये समरूप (Analogous) हैं। > पर उनके forelimbs की हड्डी की संरचना समान है — इस कारण वे समजात (Homologous) हैं।

निष्कर्ष (Summary):

  • विकासीय वर्गीकरण (Evolution-based classification) यह मानता है कि जीवों में समानताएँ वंशागत (inherited) हैं।
  • विकास को समझने के लिए हमें ➤ समान लक्षणों की पहचान, ➤ भिन्नता के स्तर, ➤ और उनका क्रम (hierarchy) समझना होता है।
  • यह क्रम हमें evolutionary timeline तक वापस ले जा सकता है — जहाँ सभी species का उद्गम एक साझा पूर्वज से हुआ होगा।

9.5.2 जीवाश्म (Fossils)

जीवों के विकासीय इतिहास (evolutionary history) को समझने के लिए केवल जीवित species ही नहीं, बल्कि विलुप्त प्रजातियाँ भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। इनके अस्तित्व का प्रमाण हमें मिलता है — “जीवाश्मों” (Fossils) के माध्यम से।

🪨 Fossils क्या हैं? (What Are Fossils?)

➡️ जब किसी जीव की मृत्यु के बाद उसका शरीर अपघटित (decompose) नहीं होता और वह मिट्टी, रेत या लावा जैसी परतों में दब जाता है, तो वह शरीर या उसके अवशेष पत्थरों में सुरक्षित छाप (imprint) के रूप में संरक्षित हो जाते हैं। 👉 ऐसे परिरक्षित अवशेषों को ही जीवाश्म (fossils) कहा जाता है।

📍 उदाहरण:

  • नर्मदा घाटी में पाया गया राजासौरस (डायनासोर की खोपड़ी)
  • अमोनाइट, ट्राइलोबाइट, मछली नाइटिया, पेड़ के तने आदि

🧪 जीवाश्म कैसे बनते हैं? (Fossil Formation Process)

  1. जीव की मृत्यु → शरीर पर मिट्टी/रेत जमती है
  2. समय के साथ दबाव पड़ता है → चट्टान बनती है
  3. जीव की आकार/संरचना उसमें छप जाती है
  4. लाखों वर्षों बाद, अपरदन (erosion) के कारण ये fossils बाहर प्रकट होते हैं

✅ गहराई में जितना नीचे fossil मिलेगा → उतना पुराना माना जाएगा

🕰️ जीवाश्मों की आयु का निर्धारण (Dating Fossils)

विधितरीका
1. सापेक्ष डेटिंग (Relative Dating)गहराई से तुलना — जो fossil नीचे है वो पुराना है
2. परम-तिथि निर्धारण (Absolute/Radiometric Dating)रेडियोधर्मी तत्वों (जैसे कार्बन-14) के isotope ratio का विश्लेषण

📚 Fossil Record से विकास को समझना (What Fossils Tell Us)

  • जैसे-जैसे गहराई बढ़ती है → हमें पुराने जीवों के fossils मिलते हैं
  • जैसे:
    1. 100 मिलियन वर्ष पहले: अकशेरुकी जीव
    2. कुछ मिलियन वर्ष बाद: डाइनोसॉर
    3. और बाद में: घोड़े जैसे जीव

👉 परत-दर-परत ये fossils एक कालक्रम (timeline) बनाते हैं जो हमें दिखाता है कि जीव कैसे क्रमिक रूप से विकसित होते गए (progressive evolution)

🕰️ Timeline Chart: Fossil Formation Through Geological Time

समय (काल)प्रमुख जीवाश्मघटनाएँ / विशेषताएँ
100 करोड़ वर्ष पहले (Approx.)प्रारंभिक जीवनअकार्बनिक अणुओं से जीवन की शुरुआत की परिकल्पना
100 मिलियन वर्ष (10 करोड़)अकशेरुकी (Invertebrates)समुद्र तल पर दबे, रेत में संरक्षित हुए
70–80 मिलियन वर्षडाइनोसॉर (Dinosaurs)मिट्टी में दबकर चट्टानों में जीवाश्म बने
50 मिलियन वर्षस्तनधारी जैसे घोड़े (Horse-like mammals)ऊपरी परतों में मिले; जटिल जीवों का विकास दर्शाते हैं
अब से हाल तकमानव, वनस्पतियाँ आदिआधुनिक जीवों के अवशेष, वर्तमान से जोड़ने वाले जीवाश्म

🧬 9.6.1 मानव विकास (Human Evolution)

🧪 मानव विकास के अध्ययन के प्रमुख उपकरण

मनुष्य के विकास की जानकारी के लिए वैज्ञानिक वही साधन अपनाते हैं जो सामान्य जैव विकास में उपयोग किए जाते हैं:

  • Excavation (उत्खनन)
  • Fossil dating (जीवाश्म तिथि निर्धारण)
  • DNA sequencing (डी.एन.ए. अनुक्रमण)

इनके माध्यम से यह जाना जाता है कि होमो सेपियंस (Homo sapiens) की उत्पत्ति कैसे और कहाँ से हुई।

🌍 मनुष्यों में विविधता और वास्तविकता

  • पृथ्वी पर मानव आकृति, रंग, ऊँचाई आदि में बहुत विविधताएँ हैं: ✦ जैसे – पीला, काला, गोरा, भूरा आदि।

➡️ पहले इन्हीं विविधताओं के आधार पर “रैस/जातियाँ (races)” निर्धारित की जाती थीं।

📌 लेकिन वैज्ञानिक शोध ने यह सिद्ध कर दिया है: सभी मानव जातियाँ एक ही स्पीशीज़ (Homo sapiens) की सदस्य हैं — इनमें कोई जैविक (biological) भिन्नता नहीं है।

🌍 मानव जाति का मूल – अफ्रीका (Origin in Africa)

  • हमारे सभी पूर्वजों का जैविक और आनुवंशिक उद्गम अफ्रीका में हुआ।
  • वहाँ से आदिम होमो सेपियंस निकले और दुनिया भर में फैल गए।

📌 Migration Path (संभावित मार्ग):

स्थान →विस्तार →
अफ्रीकापश्चिम एशिया → मध्य एशिया → यूरेशिया → दक्षिण एवं पूर्व एशिया
पूर्व एशियाइंडोनेशिया → फिलीपींस → ऑस्ट्रेलिया
एशियाबेरिंग लैंड ब्रिज → उत्तर अमेरिका → दक्षिण अमेरिका

🔁 Migration और मिश्रण (Mixing of Lineages)

  • लोग एक सीधी यात्रा पर नहीं थे — वे समूहों में कभी आगे बढ़े, कभी पीछे लौटे।
  • कई बार समूह विलग (isolated) हो गए, फिर मिलकर पुनः जुड़ भी गए
  • इन सबका परिणाम हुआ — वर्तमान में विविध मानव आकृतियों का विकास, लेकिन आनुवंशिक रूप से सभी एक ही स्पीशीज़ हैं

🔬 निष्कर्ष (Conclusion)

  • मानव विकास भी एक जैव विकासीय घटना है — जैसे पृथ्वी की अन्य प्रजातियाँ विकसित हुईं।
  • हम सभी एक सामान्य पूर्वज से जुड़े हैं, और हमारी विविधता अनुकूलन (adaptation) तथा पर्यावरणीय प्रभावों की देन है — न कि किसी “श्रेष्ठता” की।

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