MP Board 10th Sanskrit Grammar Affixes in Sanskrit
प्रत्ययाः (Affixes in Sanskrit) संस्कृत व्याकरण में प्रत्यय (Affix) वह शब्दांश होता है जो मूल धातु या शब्द के अंत में जुड़कर एक नया अर्थ प्रदान करता है। प्रत्यय के प्रयोग से शब्दों का स्वरूप बदल जाता है, जिससे नए अर्थ और विभिन्न रूपों का निर्माण होता है। प्रत्ययों का प्रयोग मुख्यतः शब्दरूपों, लिंगों, वचन, कारक तथा संख्यावाचक रूपों के निर्माण में किया जाता है।
प्रत्ययों को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है:
- कृदन्त प्रत्यय (कृत् प्रत्यय) – जो धातु के साथ जुड़े होते हैं।
- तिङन्त प्रत्यय – जो क्रियाओं के रूपांतरण के लिए प्रयुक्त होते हैं।
- नामधातुज प्रत्यय – जो संज्ञाओं के साथ जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं।
1. कृत् प्रत्ययाः (Primary Derivative Affixes)
कृत् प्रत्यय वे प्रत्यय होते हैं जो धातु के साथ जुड़कर संज्ञा या विशेषण रूप बनाते हैं। इन्हें कृदन्त शब्द कहते हैं। ये प्रत्यय संज्ञाओं और विशेषणों को विभिन्न अर्थों में परिवर्तित करते हैं।
कृत् प्रत्यय के प्रमुख प्रकार:
(क) कर्तरि कृत् प्रत्यय (Agentive Affixes)
जो किसी कार्य को करनेवाले का बोध कराते हैं।
प्रत्यय | उदाहरण | अर्थ |
---|---|---|
-अन् | गायकः (गाय + अन) | गाने वाला |
-क | नर्तकः (नृत् + क) | नाचने वाला |
-तृ | दातारः (दा + तृ) | देने वाला |
(ख) भाववाचक कृत् प्रत्यय (Abstract Noun Derivatives)
जो किसी क्रिया के भाव (अवस्था) को व्यक्त करते हैं।
प्रत्यय | उदाहरण | अर्थ |
---|---|---|
-त्व | बालत्वम् (बाल + त्व) | बाल्य अवस्था |
-ता | सुन्दरता (सुन्दर + ता) | सुन्दर होने की अवस्था |
-ताम् | वृद्धताम् (वृद्ध + ताम्) | वृद्ध होने की अवस्था |
(ग) कर्मवाचक कृत् प्रत्यय (Object-Oriented Affixes)
जो कार्य के फल या प्रभाव को दर्शाते हैं।
प्रत्यय | उदाहरण | अर्थ |
---|---|---|
-य | अपास्यः (अप + अस्य) | त्यागने योग्य |
-अव्य | कर्तव्यः (कर्तुं + अव्य) | करने योग्य |
2. तिङन्त प्रत्ययाः (Verb Conjugation Affixes)
तिङ प्रत्यय क्रियाओं के रूपांतरण के लिए प्रयुक्त होते हैं। ये प्रत्यय लकारों के अनुसार विभाजित किए जाते हैं।
लकारों के अनुसार तिङ प्रत्ययः:
(अ) लट् लकार (Present Tense)
मूल धातु | प्रथम पुरुष | मध्यम पुरुष | उत्तम पुरुष |
---|---|---|---|
पठ् (पढ़ना) | पठति | पठसि | पठामि |
गम् (जाना) | गच्छति | गच्छसि | गच्छामि |
(ब) लङ् लकार (Past Tense)
मूल धातु | प्रथम पुरुष | मध्यम पुरुष | उत्तम पुरुष |
---|---|---|---|
पठ् (पढ़ना) | अपठत् | अपठः | अपठम् |
गम् (जाना) | अगच्छत् | अगच्छः | अगच्छम् |
3. नामधातुज प्रत्ययाः (Nominal Derivative Affixes)
ये प्रत्यय संज्ञा शब्दों से नए अर्थ वाले शब्द बनाते हैं।
उदाहरण:
प्रत्यय | मूल शब्द | नया शब्द | अर्थ |
---|---|---|---|
-क | बालः | बालकः | छोटा बालक |
-ता | गुरु | गुरूता | गुरु की अवस्था |
-त्व | देव | देवत्वम् | देवता का स्वरूप |
निष्कर्ष (Conclusion)
संस्कृत में प्रत्ययों का अत्यधिक प्रयोग होता है और ये व्याकरण की रीढ़ होते हैं। प्रत्ययों के माध्यम से संस्कृत भाषा में संज्ञा, विशेषण, एवं क्रिया रूपों का निर्माण होता है। प्रत्यय भाषा को अधिक समृद्ध बनाते हैं और इनके प्रयोग से नए शब्दों की उत्पत्ति होती है।
प्रत्ययों का प्रयोग संस्कृत भाषा में नए शब्दों के निर्माण और वाक्यों में विविध अर्थ देने के लिए किया जाता है। यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं:
1. कर्तरि कृत् प्रत्यय (Agentive Affixes)
ये प्रत्यय कर्ता (कर्ता व्यक्ति) को दर्शाते हैं।
- गायकः गीतं गायति। (गाय + अन = गायकः)
➝ गायक गीत गा रहा है। - नर्तकः रंगमंचे नृत्यं करोति। (नृत् + क = नर्तकः)
➝ नर्तक मंच पर नृत्य कर रहा है।
2. भाववाचक कृत् प्रत्यय (Abstract Noun Affixes)
ये किसी क्रिया या स्थिति के भाव को व्यक्त करते हैं।
- बालत्वं सुखदं भवति। (बाल + त्व = बालत्वम्)
➝ बाल्य अवस्था सुखद होती है। - गुरुत्वं ज्ञानस्य कारणं भवति। (गुरु + त्व = गुरुत्वम्)
➝ गुरुत्व ज्ञान का कारण होता है।
3. कर्मवाचक कृत् प्रत्यय (Object-Oriented Affixes)
ये क्रिया के फल या गुण को दर्शाते हैं।
- पठनीयः ग्रन्थः अस्ति। (पठ् + अनीय = पठनीयः)
➝ यह पुस्तक पढ़ने योग्य है। - कर्तव्यं सततं पालनं करोति। (कर्तुं + अव्य = कर्तव्यः)
➝ कर्तव्य का सदैव पालन करना चाहिए।
4. तिङन्त प्रत्यय (Verb Conjugation Affixes)
ये प्रत्यय क्रिया रूप को दर्शाते हैं।
- बालकः पठति। (लट् लकार) ➝ बालक पढ़ता है।
- गुरुः उपदेशं ददाति। (लट् लकार) ➝ गुरु उपदेश देता है।
- राजा युद्धे विजितवान। (लुट् लकार) ➝ राजा ने युद्ध जीता था।
5. नामधातुज प्रत्यय (Nominal Derivatives)
ये संज्ञा शब्दों से नए शब्दों का निर्माण करते हैं।
- बालकः क्रीडायाम् रमते। (बाल + क = बालकः)
➝ बालक खेल में आनंद लेता है। - महात्मा लोकहिताय कार्यं करोति। (महा + आत्मा = महात्मा)
➝ महात्मा समाज के कल्याण के लिए कार्य करता है।