हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखकों का जीवन परिचय
हिंदी साहित्य में कई लेखकों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज, संस्कृति और मानवता को नई दिशा दी। यहाँ रामवृक्ष बेनीपुरी, यशपाल और मन्नू भंडारी के जीवन परिचय को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है। ये लेखक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की दसवीं कक्षा की हिंदी पाठ्यपुस्तक में शामिल हैं और इनकी रचनाएँ छात्रों के लिए प्रेरणादायक और शैक्षिक हैं। प्रत्येक लेखक का जीवन परिचय उनकी जीवनी, साहित्यिक योगदान, प्रमुख रचनाओं और NCERT पाठ्यपुस्तक से संबंध को शामिल करता है।
1. रामवृक्ष बेनीपुरी: जीवन परिचय
जीवनी:
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 1899 में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर गाँव में हुआ। उनका बचपन अत्यंत कठिनाइयों में बीता, क्योंकि बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया। इस कारण उनका जीवन अभावों और संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने दसवीं तक की शिक्षा प्राप्त की और 1920 में राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। इस दौरान उनकी देशभक्ति और साहस के कारण उन्हें कई बार जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी। उनकी मृत्यु 1968 में हुई।
साहित्यिक योगदान:
रामवृक्ष बेनीपुरी एक प्रतिभाशाली साहित्यकार, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। मात्र 15 वर्ष की आयु में उनकी रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगीं। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई दैनिक, साप्ताहिक और मासिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। उनकी प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँ हैं:
- तरुण भारत
- किसान मित्र
- बालक
- युवक
- योगी
- जनता
- जनवाणी
- नयी धारा
बेनीपुरी ने गद्य की विभिन्न विधाओं—उपन्यास, कहानी, नाटक, रेखाचित्र, यात्रा-वृत्तांत और संस्मरण—में लेखन किया। उनका साहित्य ‘बेनीपुरी रचनावली’ के आठ खंडों में संकलित है। उनकी रचनाएँ स्वतंत्रता की चेतना, मानवता की चिंता और युगानुरूप इतिहास की व्याख्या से ओतप्रोत हैं। उनकी विशिष्ट और काव्यात्मक शैली के कारण उन्हें ‘कलम का जादूगर’ कहा जाता है।
प्रमुख रचनाएँ:
- उपन्यास: पतितों के देश में
- कहानी संग्रह: चिता के फूल
- नाटक: अंबपाली
- रेखाचित्र: माटी की मूरतें
- यात्रा-वृत्तांत: पैरों में पंख बाँधकर
- संस्मरण: ज़ंजीरें और दीवारें
‘बालगोबिन भगत’ रेखाचित्र का महत्व:
NCERT की दसवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक कृतिका में शामिल रेखाचित्र ‘बालगोबिन भगत’ (संकलन माटी की मूरतें से) बेनीपुरी की संवेदनशील और चित्रात्मक लेखन शैली का उत्कृष्ट नमूना है। इस रेखाचित्र में उन्होंने एक कबीरपंथी गृहस्थ, बालगोबिन भगत, के जीवन का चित्रण किया है, जो मानवता, लोकसंस्कृति और सामूहिक चेतना का प्रतीक हैं। लेखक यह दर्शाते हैं कि सच्चा संन्यासी बाह्य वेशभूषा या अनुष्ठानों से नहीं, बल्कि कर्म और मानवीय सरोकारों से बनता है। यह रेखाचित्र सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करता है और ग्रामीण जीवन की सजीव झाँकी प्रस्तुत करता है। बालगोबिन भगत का संगीत, उनकी सादगी, और आध्यात्मिकता पाठकों को गहरे तक प्रभावित करते हैं।
विशेषताएँ:
- शैली: बेनीपुरी की लेखनी में काव्यात्मकता, भावुकता और जीवंत चित्रण है।
- सामाजिक चेतना: उनकी रचनाएँ स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधार से प्रेरित हैं।
- मानवतावाद: मानवता और करुणा उनकी लेखनी का आधार हैं।
NCERT से संबंध:
‘बालगोबिन भगत’ दसवीं कक्षा के छात्रों को रेखाचित्र विधा, ग्रामीण संस्कृति, और सामाजिक मूल्यों से परिचित कराता है। यह पाठ नैतिकता, सादगी और आध्यात्मिकता जैसे गुणों को उजागर करता है।
2. यशपाल: जीवन परिचय
जीवनी:
यशपाल का जन्म 1903 में पंजाब के फिरोजपुर छावनी में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा काँगड़ा में हुई, और उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। लाहौर में उनकी मुलाकात भगत सिंह और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों से हुई, जिसके कारण वे स्वाधीनता संग्राम की क्रांतिकारी धारा से जुड़े। इस दौरान उन्हें जेल की सजा भी भुगतनी पड़ी। उनकी मृत्यु 1976 में हुई।
साहित्यिक योगदान:
यशपाल हिंदी साहित्य के यथार्थवादी लेखक थे, जिनकी रचनाएँ आम आदमी की समस्याओं, सामाजिक विषमता, राजनीतिक पाखंड, और रूढ़ियों के खिलाफ मुखर हैं। उनकी लेखनी में लखनवी अंदाज़ का व्यंग्य और स्वाभाविक, सजीव भाषा उनकी विशेषता रही। वे सामाजिक पतनशीलता और बनावटी जीवनशैली पर तीखा कटाक्ष करते थे। उनकी रचनाएँ कथ्य और शिल्प के संतुलन के लिए जानी जाती हैं।
प्रमुख रचनाएँ:
- कहानी संग्रह:
- ज्ञानदान
- तर्क का तूफान
- पिंजरे की उड़ान
- वाटुलिया
- फूलों का कुर्ता
- उपन्यास:
- झूठा सच: भारत विभाजन की त्रासदी का मार्मिक चित्रण।
- अमिता
- दिव्या
- पार्टी कामरेड
- दादा कामरेड
- मेरी तेरी उसकी बात
‘लखनवी अंदाज़’ कहानी का महत्व:
NCERT की दसवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक में शामिल कहानी ‘लखनवी अंदाज़’ यशपाल की व्यंग्यात्मक और यथार्थवादी शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह कहानी लखनऊ की नवाबी तहजीब के बनावटीपन और सामाजिक पतनशीलता पर तीखा कटाक्ष करती है। एक रेल यात्रा के दौरान लेखक और एक नवाब साहब के बीच संक्षिप्त मुलाकात में, नवाब साहब का खीरे को तैयार कर फेंक देना उनकी काल्पनिक रईसी और वास्तविकता से दूरी का प्रतीक है। यह कहानी ‘नई कहानी’ आंदोलन पर भी व्यंग्य करती है।
विशेषताएँ:
- यथार्थवाद: सामाजिक और राजनीतिक यथार्थ का बेबाक चित्रण।
- व्यंग्य: लखनवी शैली में तीखा और सूक्ष्म व्यंग्य।
- भाषा: स्वाभाविक, जीवंत और तहजीब से प्रभावित।
- सामाजिक आलोचना: सामाजिक असमानता और रूढ़ियों के खिलाफ आवाज।
NCERT से संबंध:
‘लखनवी अंदाज़’ दसवीं कक्षा के छात्रों को कहानी विधा, व्यंग्य, और सामाजिक यथार्थ से परिचित कराता है। यह पाठ सामाजिक बनावटीपन और साहित्यिक शिल्प के महत्व को समझाता है।
3. मन्नू भंडारी: जीवन परिचय
जीवनी:
मन्नू भंडारी का जन्म 1931 में मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर, राजस्थान में इंटरमीडिएट तक हुई। इसके बाद उन्होंने हिंदी में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की और दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापन कार्य किया, जहाँ से वे सेवानिवृत्त हुईं। उनकी मृत्यु 2021 में हुई।
साहित्यिक योगदान:
मन्नू भंडारी स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कथा-साहित्य की प्रमुख लेखिका थीं। उनकी रचनाएँ स्त्री-मन की संवेदनशीलता, यथार्थवाद, और सामाजिक चेतना के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास, पटकथाएँ, और आत्मकथ्य लिखे, जो हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। उनकी भाषा सादी, सहज, और भावनात्मक रूप से प्रामाणिक है। उनकी रचनाएँ स्त्री-जीवन की जटिलताओं और सामाजिक रूढ़ियों पर गहरी टिप्पणी करती हैं।
प्रमुख रचनाएँ:
- कहानी संग्रह:
- एक प्लेट सैलाब
- मैं हार गई
- यही सच है
- त्रिशंकु
- उपन्यास:
- आपका बंटी: बच्चों और टूटते परिवारों की भावनात्मक कहानी।
- महाभोज: सामाजिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार पर व्यंग्य।
- आत्मकथ्य:
- एक कहानी यह भी: उनके जीवन और लेखकीय यात्रा का स्मृति-संकलन।
- पटकथाएँ:
- फिल्म रजनीगंधा (कहानी यही सच है पर आधारित)।
पुरस्कार और सम्मान:
- हिंदी अकाद का शिखर सम्मान
- भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता
- राजस्थान संगीत नाटक अकादमी
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पुरस्कार
‘एक कहानी यह भी’ आत्मकथ्य का महत्व:
NCERT की दसवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक कृतिका में शामिल ‘एक कहानी यह भी’ मन्नू भंडारी का आत्मकतात्मक लेखन है, जो पारंपरिक आत्मकथा से अलग, उनके जीवन की महत्वपूर्ण स्मृतियों का संकलन है। यह उनके बचपन, परिवार, और 1946-47 के स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी को दर्शाता है। लेखिका अपने पिता के अनुशासनप्रिय और यश-लिप्सु व्यक्तित्व, माँ की त्यागमयता, और प्राध्यापिका शीला अग्रवाल के प्रेरणादायक योगदान को उजागर करती हैं। यह पाठ एक साधारण लड़की के असाधारण लेखिका बनने की यात्रा को चित्रित करता है।
विशेषताएँ:
- स्त्री-संवेदना: स्त्रियों के संघर्ष और भावनाओं का संवेदनशील चित्रण।
- यथार्थवाद: सामाजिक और पारिवारिक यथार्थ का प्रस्तुतीकरण।
- भाषा: सहज, आत्मीय और प्रभावी।
- सामाजिक चेतना: सामाजिक रूढ़ियों और स्त्री-शिक्षा पर बल।
NCERT से संबंध:
‘एक कहानी यह भी’ दसवीं कक्षा के छात्रों को आत्मकथ्य विधा, स्त्री-दृष्टिकोण, और स्वतंत्रता आंदोलन की पृष्ठभूमि से परिचित कराता है। यह पाठ व्यक्तिगत संघर्ष, सामाजिक जागरूकता और लेखन की प्रेरणा को समझाता है।
निष्कर्ष
रामवृक्ष बेनीपुरी, यशपाल और मन्नू भंडारी हिंदी साहित्य के ऐसे लेखक हैं जिन्होने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को नई दृष्टि दी। बेनीपुरी की ‘बालगोबिन भगत’ ग्रामीण जीवन और आध्यात्मिकता को उजागर करता है, यशपाल की ‘लखनवी अंदाज’ सामाजिक बनावट पर व्यंग्य है, और मन्नू भंडारी का ‘एक कहानी यह भी’ स्त्री-संवेदना और स्वतंत्रता की भावना को प्रस्तुत करता है। ये लेखक NCERT की दसवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक के माध्यम से छात्रों को साहित्यिक, सामाजिक और नैतिक मूल्यों से जोड़ते हैं। उनकी रचनाएँ न केवल साहित्य की समझ बढ़ाती हैं, बल्कि छात्रों को जीवन के विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझने में भी मदद करती हैं।