Harrappa Civilization Social Orgnization and Life style
हड़प्पा सभ्यता: सामाजिक संगठन और जीवन शैली
(कक्षा 12 इतिहास, NCERT पर आधारित छात्रों के लिए नोट्स)
1. परिचय (Introduction)
हड़प्पा सभ्यता एक जटिल शहरी सभ्यता थी और इसका नगर नियोजन, आर्थिक गतिविधियाँ तथा विशिष्ट पुरावस्तुएँ एक सुसंगठित समाज की ओर इशारा करती हैं। पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर, हम हड़प्पावासियों के सामाजिक संगठन, उनकी जीवन शैली और उनमें विद्यमान संभावित सामाजिक भिन्नताओं को समझने का प्रयास कर सकते हैं।
2. सामाजिक भिन्नताओं का अवलोकन (Observation of Social Differences)
पुरातत्वविद यह जानने के लिए कि क्या किसी संस्कृति विशेष में रहने वाले लोगों के बीच सामाजिक तथा आर्थिक भिन्नताएँ थीं, सामान्यतः कई विधियों का प्रयोग करते हैं। इन्हीं विधियों में से एक शवाधानों का अध्ययन और ‘विलासिता’ की वस्तुओं की खोज है।
2.1 शवाधान (Burials)
हड़प्पा स्थलों से मिले शवाधान हमें सामाजिक स्तरीकरण के बारे में कुछ संकेत देते हैं:
- सामान्य शवाधान: आमतौर पर मृतकों को गर्तों (pits) में दफनाया गया था।
- संरचना में विविधता: कभी-कभी शवाधान गर्त की बनावट एक-दूसरे से भिन्न होती थी—कुछ स्थानों पर गर्त की सतहों पर ईंटों की चिनाई की गई थी। हालांकि, यह निश्चित रूप से कहना कठिन है कि ये विविधताएँ सीधे तौर पर सामाजिक भिन्नताओं की ओर संकेत करती हैं।
- मृत्योपरांत प्रयोग की मान्यता: कुछ कब्रों में मृदभाण्ड (मिट्टी के बर्तन) तथा आभूषण मिले हैं, जो संभवतः एक ऐसी मान्यता की ओर संकेत करते हैं जिसके अनुसार इन वस्तुओं का मृत्योपरांत प्रयोग किया जा सकता था।
- पुरुषों और महिलाओं, दोनों के शवाधानों से आभूषण मिले हैं।
- हड़प्पा के कब्रिस्तान में (1980 के दशक के मध्य में), एक पुरुष की खोपड़ी के समीप शंख के तीन छल्ले, जैस्पर (एक प्रकार का उपरत्न) के मनके तथा सैकड़ों की संख्या में सूक्ष्म मनकों से बना एक आभूषण मिला था।
- कहीं-कहीं पर मृतकों को ताँबे के दर्पणों के साथ दफनाया गया था।
- मिस्र से भिन्नता: मिस्र के विशाल पिरामिडों (जो हड़प्पा सभ्यता के समकालीन थे) में जहाँ राजकीय शवाधानों में बहुत बड़ी मात्रा में धन-संपत्ति दफनाई जाती थी, वहीं हड़प्पा सभ्यता के निवासियों का मृतकों के साथ बहुमूल्य वस्तुएँ दफनाने में व्यापक विश्वास नहीं था। यह मिस्र की सभ्यता से एक महत्वपूर्ण भिन्नता दर्शाती है, जहाँ शासकों के साथ अपार संपत्ति दफनाई जाती थी।
2.2 ‘विलासिता’ की वस्तुओं की खोज (Searching for ‘Luxury’ Goods)
सामाजिक भिन्नता को पहचानने की एक अन्य विधि ऐसी पुरावस्तुओं का अध्ययन है जिन्हें पुरातत्वविद मोटे तौर पर, उपयोगी तथा विलास की वस्तुओं में वर्गीकृत करते हैं।
- उपयोगी वस्तुएँ:
- ये रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएँ थीं, जिन्हें पत्थर अथवा मिट्टी जैसे सामान्य पदार्थों से आसानी से बनाया जा सकता था।
- इनमें चक्कियाँ, मृदभाण्ड, सूइयाँ, झाँवा आदि शामिल हैं।
- ये वस्तुएँ सामान्य रूप से सभी बस्तियों में (मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगन आदि) सर्वत्र पाई गई हैं जो उनके व्यापक उपयोग को दर्शाती हैं।
- विलासिता/कीमती वस्तुएँ:
- पुरातत्वविद उन वस्तुओं को कीमती मानते हैं जो दुर्लभ हों अथवा महँगी, स्थानीय स्तर पर अनुपलब्ध पदार्थों से बनी हों, या जिन्हें बनाने में जटिल तकनीकों का प्रयोग हुआ हो।
- उदाहरण के लिए, फ़यॉन्स (घिसी हुई रेत अथवा बालू तथा रंग और चिपचिपे पदार्थ के मिश्रण को पका कर बनाया गया पदार्थ) से बने छोटे पात्र विलासिता की वस्तु माने जाते हैं।
- हालांकि, यह वर्गीकरण कभी-कभी जटिल हो जाता है, खासकर जब रोजमर्रा के प्रयोग की वस्तुएँ, जैसे तक़लियाँ (जो फ़यॉन्स जैसे दुर्लभ पदार्थ से बनी हों), मिलती हैं।
- वितरण का अध्ययन:
- महँगे पदार्थों से बनी दुर्लभ वस्तुएँ सामान्यतः मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसी बड़ी बस्तियों में केंद्रित थीं।
- छोटी बस्तियों (जैसे कालीबंगन) में ये वस्तुएँ विरले ही मिलती थीं।
- उदाहरण के लिए, फ़यॉन्स से बने लघुपात्र जो संभवतः सुगंधित द्रव्यों के पात्रों के रूप में प्रयुक्त होते थे, अधिकांशतः मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से मिले हैं और कालीबंगन जैसी छोटी बस्तियों से बिल्कुल नहीं।
- सोना भी दुर्लभ तथा संभवतः उस समय भी आज की तरह कीमती था। हड़प्पा स्थलों से मिले सभी स्वर्णाभूषण संचयों (hoards) से प्राप्त हुए थे न कि व्यवस्थित शवाधानों से जो यह संकेत दे सकता है कि इसका संग्रह किया जाता था।
यह वितरण पैटर्न सामाजिक स्तरीकरण का संकेत देता है, जहाँ बड़ी शहरी बस्तियों में अधिक धनवान लोग रहते होंगे और विलासिता की वस्तुओं तक उनकी पहुँच अधिक रही होगी।
3. सामाजिक संरचना का अनुमान (Inference of Social Structure)
पुरातत्वविदों ने मिले साक्ष्यों के आधार पर हड़प्पा समाज की संरचना के बारे में कुछ अनुमान लगाए हैं:
- शासक वर्ग: नगर नियोजन की एकरूपता, मानकीकृत ईंटों का उत्पादन, बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य (जैसे दुर्ग, विशाल स्नानागार, मालगोदाम), और जल निकासी प्रणाली का सफल प्रबंधन, एक शक्तिशाली और संगठित केंद्रीय सत्ता या शासक वर्ग की उपस्थिति का सुझाव देता है। यह शासक वर्ग शायद व्यापारियों, पुजारियों या अभिजात वर्ग का एक समूह हो सकता है।
- व्यापारी वर्ग: आंतरिक और बाह्य व्यापार के व्यापक साक्ष्य एक समृद्ध और संगठित व्यापारी वर्ग की उपस्थिति दर्शाते हैं। बाटों और मुहरों की एकरूपता व्यापारिक नियमों और एकीकरण को इंगित करती है।
- शिल्पकार और कारीगर: विभिन्न प्रकार के शिल्प उत्पादन (मनके बनाना, धातु कर्म, शंख काटना, मिट्टी के बर्तन बनाना) यह दर्शाता है कि समाज में कुशल शिल्पकारों और कारीगरों का एक महत्वपूर्ण वर्ग था।
- कृषक और पशुपालक: अर्थव्यवस्था का आधार होने के नाते, कृषक और पशुपालक समाज का एक बड़ा हिस्सा रहे होंगे, जो शहरों के लिए खाद्य सामग्री का उत्पादन करते थे।
- श्रमजीवी वर्ग: विशाल सार्वजनिक निर्माण कार्यों (जैसे चबूतरे बनाना) के लिए बड़े पैमाने पर श्रम की आवश्यकता होती थी, जिससे एक श्रमजीवी या श्रमिक वर्ग के अस्तित्व का पता चलता है।
यह संभावना है कि समाज विभिन्न वर्गों में विभाजित था, जिसमें शासक/अभिजात वर्ग शीर्ष पर, उसके बाद व्यापारी और शिल्पकार और सबसे नीचे कृषक और श्रमिक वर्ग थे।
4. जीवन शैली (Lifestyle)
हड़प्पावासियों की जीवन शैली उनके नगर नियोजन और प्राप्त पुरावस्तुओं से परिलक्षित होती है:
- शहरी जीवन: मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसे शहर सुनियोजित थे, जिनमें ग्रिड-पैटर्न सड़कें, ईंटों के घर, और उन्नत जल निकासी प्रणालियाँ थीं, जो उच्च-गुणवत्ता वाले शहरी जीवन को दर्शाती हैं।
- स्वच्छता: उन्नत जल निकासी और स्नानघरों की उपस्थिति स्वच्छता के प्रति उनकी जागरूकता को दर्शाती है।
- आहार: वे विविध प्रकार के अनाज, दालें, तिल, बाजरा तथा जानवरों के मांस (मवेशी, भेड़, बकरी, भैंस, सूअर, मछली, पक्षी) का सेवन करते थे।
- वस्त्र और आभूषण: सूती वस्त्रों के साक्ष्य मिले हैं, और पुरुष व महिलाएँ दोनों विभिन्न प्रकार के मनके, शंख के छल्ले, हार और अन्य आभूषण पहनते थे, जो सौंदर्य और कलात्मकता के प्रति उनके झुकाव को दर्शाता है।
- मनोरंजन: बच्चों के लिए टेराकोटा के खिलौने (जैसे गाड़ी, पशु आकृतियाँ) मिले हैं जो मनोरंजन गतिविधियों की ओर इशारा करते हैं। कुछ मुहरों पर नृत्य की आकृतियाँ भी मिली हैं।
- शासन और प्रशासन: शहरों की सुनियोजित प्रकृति, मानक बाट और माप तथा संगठित व्यापार प्रणाली एक प्रभावी प्रशासन और शासन संरचना का संकेत देती है, जो सार्वजनिक कार्यों और व्यापार को नियंत्रित करती होगी।
यह स्पष्ट है कि हड़प्पा सभ्यता के लोगों का जीवन एक सुनियोजित और व्यवस्थित शहरी समाज का हिस्सा था, जिसमें विभिन्न आर्थिक और सामाजिक भूमिकाएँ थीं।