कक्षा 12 इतिहास इकाई 1 हड़प्पा सभ्यता आर्थिक गतिविधियाँ : Harrappa Civilization Economical Activities Trade and Commerce

Harrappa Civilization Economical Activities Trade and Commerce

हड़प्पा सभ्यता: आर्थिक गतिविधियाँ (व्यापार और वाणिज्य)

(कक्षा 12 इतिहास, NCERT पर आधारित छात्रों के लिए नोट्स)

1. परिचय (Introduction)

हड़प्पा सभ्यता एक शहरी सभ्यता थी, और शहरीकरण के साथ ही विभिन्न प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का विकास स्वाभाविक था। कृषि और पशुपालन के अतिरिक्त, व्यापार और वाणिज्य इस सभ्यता के निवासियों के जीवन का एक अभिन्न अंग थे, जिसने इसकी समृद्धि और जटिल सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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2. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था (Agriculture-Based Economy)

यद्यपि व्यापार और वाणिज्य महत्वपूर्ण थे, हड़प्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था का आधार कृषि और पशुपालन ही था।

  • मुख्य फ़सलें: गेहूँ, जौ, दालें, सफ़ेद चना, तिल और बाजरा (विशेषकर गुजरात में) जैसी फ़सलें उगाई जाती थीं। चावल के साक्ष्य भी मिले हैं लेकिन कम मात्रा में।
  • पशुपालन: मवेशी, भेड़, बकरी, भैंस और सूअर जैसे जानवरों को पाला जाता था। जंगली जानवरों (जैसे वराह, हिरण) के शिकार के साक्ष्य भी मिले हैं।
  • कृषि प्रौद्योगिकी: हल (मिट्टी के प्रतिरूप मिले), बैल (मुहरों पर चित्रण) और सिंचाई (नहरों के अवशेष, कुएँ) का उपयोग किया जाता था।

3. शिल्प उत्पादन (Craft Production)

हड़प्पावासी विभिन्न प्रकार के शिल्प उत्पादन में अत्यधिक कुशल थे, जो व्यापार को बढ़ावा देता था।

  • मनके बनाना (Bead Making): चन्हुदड़ो जैसे स्थल मनके बनाने के लिए प्रसिद्ध थे। कारनेलियन, जैस्पर, स्फटिक, सेलखड़ी, और लाजवर्द जैसे विभिन्न पत्थरों का उपयोग किया जाता था। ताँबा, काँस्य, सोना और शंख, फ़यॉन्स तथा टेराकोटा भी मनके बनाने में प्रयुक्त होते थे।
    • मनके बनाने की तकनीकों में पत्थरों को काटना, छेद करना, और पॉलिश करना शामिल था।
  • शंख काटना (Shell Cutting): नागेश्वर और बालाकोट जैसे तटीय स्थल शंख से बनी वस्तुओं, जैसे चूड़ियाँ, करछियाँ और पच्चीकारी की वस्तुओं के निर्माण के विशेष केंद्र थे।
  • धातु कर्म (Metallurgy): ताँबा और काँस्य के औजार (जैसे कुल्हाड़ी, छेनी), हथियार (भाले, तीर), बर्तन और आभूषण बनाए जाते थे।
  • मुहरें बनाना (Seal Making): सेलखड़ी जैसी नरम पत्थरों से मुहरें बनाई जाती थीं जिन पर जानवरों और लिपि के चिह्न उत्कीर्णित होते थे।
  • मिट्टी के बर्तन (Pottery): विभिन्न प्रकार के चिकने, लाल रंग के मृदभाण्ड बनाए जाते थे जिन पर काले रंग से चित्रकारी की जाती थी।
  • कपास और वस्त्र उद्योग (Cotton and Textile Industry): मोहनजोदड़ो से सूती वस्त्रों के टुकड़े मिले हैं, जो यह दर्शाते हैं कि कपास की खेती और वस्त्र निर्माण भी महत्वपूर्ण शिल्प थे।

4. बाट और माप (Weights and Measures)

हड़प्पा सभ्यता में व्यापार और वाणिज्य की सुविधा के लिए एक मानकीकृत बाट और माप प्रणाली मौजूद थी।

  • बाट (Weights): बाट आमतौर पर चर्ट (chert) नामक पत्थर से बनाए जाते थे और ये घनीय आकार (cubical) के होते थे, जिन पर कोई निशान नहीं होता था।
  • माप प्रणाली: बाटों की निचली विमाएँ (छोटे मान) द्विआधारी (binary) प्रणाली (1, 2, 4, 8, 16, 32… 12,800 तक) का पालन करती थीं, जबकि ऊपरी विमाएँ (बड़े मान) दशमलव प्रणाली (decimal system) का।
  • माप के पैमाने: वस्तुओं को मापने के लिए भी पैमाने (scales) का उपयोग किया जाता था। ये मानकीकृत माप व्यापार में पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करते थे।

5. आंतरिक और बाह्य व्यापार (Internal and External Trade)

हड़प्पा सभ्यता का व्यापार नेटवर्क अत्यंत सुविकसित था, जिसमें आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के व्यापार शामिल थे।

5.1 आंतरिक व्यापार (Internal Trade)

  • कच्चे माल की प्राप्ति: हड़प्पा के शहरों में विभिन्न शिल्पों के लिए आवश्यक कच्चा माल दूर-दराज के स्थानों से प्राप्त किया जाता था।
    • सेलखड़ी: दक्षिणी राजस्थान, उत्तरी गुजरात।
    • धातुएँ:
      • ताँबा: राजस्थान के खेतड़ी क्षेत्र (गणेश्वर-जोड़पुरा संस्कृति) और बलूचिस्तान।
      • सोना: दक्षिणी भारत (कर्नाटक)।
      • टिन: अफगानिस्तान और ईरान।
    • लाजवर्द (Lapis Lazuli): अफगानिस्तान के शोर्तुगई।
    • कार्नेलियन (Carnelian): गुजरात के लोथल से।
    • जैस्पर (Jasper), स्फटिक (Crystal): विभिन्न स्थानों से।
  • तैयार माल का वितरण: शहरों में बने तैयार उत्पादों को विभिन्न बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में वितरित किया जाता था।
  • परिवहन: बैलगाड़ियों और नावों का उपयोग होता था। टेराकोटा के खिलौना-गाड़ी के प्रतिरूप और नावों के चित्र इसके प्रमाण हैं।

5.2 बाह्य व्यापार (External Trade)

हड़प्पा सभ्यता के मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक), ओमान और खाड़ी क्षेत्र के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संबंध थे।

  • साक्ष्य:
    • मेसोपोटामिया के लेख: मेसोपोटामिया के अभिलेखों में ‘मेलुहा’ नामक क्षेत्र के साथ व्यापार का उल्लेख है, जिसे आमतौर पर हड़प्पा क्षेत्र से पहचाना जाता है। इन लेखों में ‘मेलुहा’ से आने वाले उत्पादों जैसे कार्नेलियन, लाजवर्द, ताँबा, सोना और विभिन्न प्रकार की लकड़ी का जिक्र है।
    • ओमान के साथ संबंध: ओमान से ताँबा और हड़प्पा से मिट्टी के बर्तन (जैसे एक बड़ा हड़प्पाई जार जिस पर काली मिट्टी की परत चढ़ी थी) मिले हैं, जो रासायनिक विश्लेषण से ओमान में पाए गए हैं। यह व्यापार का प्रमाण है।
    • गोल मुहरें: मेसोपोटामिया में हड़प्पाई मुहरें (जैसे बेलनाकार और गोल मुहरें) और कुछ विशिष्ट बाट मिले हैं, जो हड़प्पा-मेसोपोटामिया व्यापार को दर्शाते हैं।
    • डायल्मन (Dilmun) और मगन (Magan): मेसोपोटामिया के लेखों में डायल्मन (संभवतः बहरीन) और मगन (संभवतः ओमान) को मेलुहा के मध्यवर्ती पड़ाव के रूप में वर्णित किया गया है।
  • परिवहन का साधन:
    • समुद्र मार्ग से व्यापार के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। लोथल में एक गोदीबाड़ा (dockyard) मिला है जो समुद्री व्यापार के लिए बंदरगाह के रूप में कार्य करता था।
    • मेसोपोटामिया के कुछ मुहरों पर नावों के चित्रण भी मिले हैं।

6. व्यापारिक संगठन (Trade Organization)

  • शहरी केंद्र: मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसे बड़े शहर व्यापार और शिल्प उत्पादन के प्रमुख केंद्र थे।
  • व्यापारी वर्ग: एक संगठित व्यापारी वर्ग मौजूद था जो इस जटिल व्यापार नेटवर्क का प्रबंधन करता था। बाट और मुहरों की एकरूपता इस संगठन को दर्शाती है।
  • मुहरों का प्रयोग: मुहरों का उपयोग संभवतः लंबी दूरी के संचार को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाता था, संभवतः माल से भरे थैलों को चिह्नित करने के लिए।

7. निष्कर्ष (Conclusion)

हड़प्पा सभ्यता की आर्थिक गतिविधियाँ केवल कृषि तक ही सीमित नहीं थीं, बल्कि इसमें एक उन्नत और विविध शिल्प उत्पादन तथा विस्तृत व्यापार नेटवर्क शामिल था। मानकीकृत बाट और माप, विशिष्ट शिल्प वस्तुएँ और विदेशी सभ्यताओं के साथ व्यापारिक संबंध इस सभ्यता की आर्थिक समृद्धि और संगठनात्मक क्षमता को उजागर करते हैं।

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