Class 9 Hindi Kshitij Chapter Sawaiye : कक्षा 9 के एनसीईआरटी हिंदी पाठ्यपुस्तक (क्षितिज, भाग-1) के पाठ “सवैये” के लिए प्रश्नों और उत्तरों का एक व्यापक संग्रह दिया गया है, जिसमें बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs), रिक्त स्थान पूर्ति, स्तंभ मिलान, लघु उत्तरीय प्रश्न, और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न शामिल हैं। प्रश्न पाठ की सामग्री के अनुरूप डिज़ाइन किए गए हैं, जो तुलसीदास के सवैयों पर केंद्रित हैं, और पाठ्यपुस्तक की भाषा के अनुसार हिंदी में प्रस्तुत किए गए हैं। उत्तर सटीक और विस्तृत हैं, जो कक्षा 9 के छात्रों के लिए उपयुक्त हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
- तुलसीदास के सवैयों का मुख्य विषय क्या है?
a) प्रकृति सौंदर्य
b) राम भक्ति और नैतिकता
c) सामाजिक क्रांति
d) युद्ध वर्णन
उत्तर: b) राम भक्ति और नैतिकता - सवैया सं. 1 में तुलसीदास ने राम की भक्ति को किसके लिए आवश्यक बताया है?
a) धन प्राप्ति
b) मोक्ष प्राप्ति
c) यश प्राप्ति
d) सांसारिक सुख
उत्तर: b) मोक्ष प्राप्ति - सवैया सं. 2 में तुलसीदास ने संसार को किसके समान बताया है?
a) स्वप्न
b) सागर
c) पर्वत
d) वन
उत्तर: a) स्वप्न - तुलसीदास की भक्ति का स्वरूप कैसा है?
a) निर्गुण
b) सगुण
c) कर्मकांडी
d) सामाजिक
उत्तर: b) सगुण - सवैया सं. 3 में तुलसीदास ने किस गुण को सर्वोत्तम माना है?
a) धन
b) विनम्रता
c) क्रोध
d) अहंकार
उत्तर: b) विनम्रता
रिक्त स्थान पूर्ति
- तुलसीदास के सवैयों में ______ के प्रति भक्ति को मोक्ष का मार्ग बताया गया है।
उत्तर: राम - सवैया सं. 2 में संसार को ______ के समान क्षणभंगुर कहा गया है।
उत्तर: स्वप्न - तुलसीदास कहते हैं कि ______ के बिना जीवन निरर्थक है।
उत्तर: भक्ति - सवैया सं. 3 में ______ को मानव का सबसे बड़ा गुण बताया गया है।
उत्तर: विनम्रता - तुलसीदास की भक्ति ______ भक्ति है, जो राम के सगुण रूप पर केंद्रित है।
उत्तर: सगुण
स्तंभ मिलान
कॉलम A (सवैया/पंक्ति) | कॉलम B (संदेश/विषय) |
---|---|
1. राम भक्ति मोक्षदायिनी | a) संसार की क्षणभंगुरता |
2. संसार स्वप्न समान | b) विनम्रता का महत्व |
3. विनय करो सदा | c) राम भक्ति की महत्ता |
4. सगुण रूप प्रभु का | d) सगुण भक्ति का स्वरूप |
5. हृदय में राम बसें | e) हृदय में भक्ति का निवास |
उत्तर:
1-c, 2-a, 3-b, 4-d, 5-e
लघु उत्तरीय प्रश्न
- सवैया सं. 1 में तुलसीदास ने राम भक्ति की क्या विशेषता बताई है?
उत्तर: तुलसीदास कहते हैं कि राम भक्ति मोक्ष प्रदान करने वाली है। यह मनुष्य को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर ईश्वर के निकट ले जाती है। - सवैया सं. 2 में संसार को क्षणभंगुर क्यों कहा गया है?
उत्तर: तुलसीदास संसार को स्वप्न के समान क्षणभंगुर कहते हैं, क्योंकि यह अस्थायी और मायावी है, जो सदा स्थिर नहीं रहता। - सवैया सं. 3 में विनम्रता को क्यों महत्वपूर्ण माना गया है?
उत्तर: तुलसीदास कहते हैं कि विनम्रता मानव का सबसे बड़ा गुण है, क्योंकि यह व्यक्ति को सम्मान और प्रेम दिलाता है। - तुलसीदास की भक्ति की एक विशेषता बताइए।
उत्तर: तुलसीदास की भक्ति सगुण है, जो राम के दयालु और साकार रूप की उपासना पर आधारित है। - सवैया सं. 4 में तुलसीदास ने भक्त की क्या पहचान बताई है?
उत्तर: तुलसीदास कहते हैं कि सच्चा भक्त वह है जो हृदय में राम को बसाता है और उनकी भक्ति में लीन रहता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
- तुलसीदास के सवैयों का मुख्य विषय क्या है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तुलसीदास के सवैयों का मुख्य विषय राम भक्ति, नैतिकता, और संसार की नश्वरता है। वे सगुण भक्ति को महत्व देते हैं और राम की उपासना को मोक्ष का मार्ग बताते हैं। उनके सवैये मनुष्य को सांसारिक मोह से मुक्त होकर नैतिक और भक्तिमय जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
उदाहरण: सवैया सं. 1 में तुलसीदास कहते हैं:
\begin{quote} राम भजे सो मोक्ष पावे, और सब माया जाल।
\end{quote} इस सवैये में वे बताते हैं कि राम की भक्ति ही सच्चा मार्ग है, जो मनुष्य को मोक्ष दिलाता है, जबकि सांसारिक सुख मायावी हैं। यह सवैया भक्ति की महत्ता और सांसारिक बंधनों से मुक्ति का संदेश देता है। तुलसीदास के सवैये इस प्रकार भक्तों को आध्यात्मिक और नैतिक जीवन की ओर प्रेरित करते हैं। - सवैया सं. 2 में तुलसीदास ने संसार की नश्वरता को कैसे व्यक्त किया है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सवैया सं. 2 में तुलसीदास कहते हैं:
\begin{quote} संसार स्वप्न समान है, क्षण में बिखर जाय।
राम भजे तू सदा, तभी सुख पाय।।
\end{quote} तुलसीदास ने संसार की नश्वरता को निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया है:- संसार एक स्वप्न: वे संसार को स्वप्न के समान क्षणभंगुर और मिथ्या बताते हैं, जो स्थायी नहीं है।
- आध्यात्मिक आह्वान: तुलसीदास कहते हैं कि सांसारिक सुख अस्थायी हैं, इसलिए मनुष्य को राम भक्ति में लीन होना चाहिए।
- भक्ति का मार्ग: वे भक्ति को सच्चा सुख और मोक्ष का साधन मानते हैं, जो संसार की माया से मुक्ति दिलाता है।
इस सवैये के माध्यम से तुलसीदास मनुष्य को संसार की अस्थिरता के प्रति जागरूक करते हैं और राम भक्ति की ओर प्रेरित करते हैं। यह संदेश आज के भौतिकवादी समाज में भी प्रासंगिक है।
- सवैया सं. 3 में तुलसीदास ने विनम्रता की महत्ता को कैसे दर्शाया है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
सवैया सं. 3 में तुलसीदास कहते हैं:
\begin{quote} विनय करो सदा सज्जन, यह गुण सबमें श्रेष्ठ।
बिन विनय के मानव, रहै सदा अशेष।।
\end{quote} तुलसीदास ने विनम्रता की महत्ता को निम्नलिखित रूप में दर्शाया है:- विनम्रता सर्वश्रेष्ठ गुण: वे विनम्रता को मानव का सबसे बड़ा गुण बताते हैं, जो व्यक्ति को सम्मान और प्रेम दिलाता है।
- अहंकार का नाश: तुलसीदास कहते हैं कि विनम्रता के बिना व्यक्ति अहंकार में डूब जाता है, जो उसके पतन का कारण बनता है।
- नैतिक संदेश: विनम्रता से व्यक्ति समाज में स्वीकार्य और प्रिय बनता है।
इस सवैये के माध्यम से तुलसीदास नैतिक जीवन और सामाजिक सद्भाव की शिक्षा देते हैं। यह आज के समाज में भी प्रासंगिक है, जहाँ अहंकार और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
- तुलसीदास के सवैयों में व्यक्त भक्ति भाव की विशेषताएँ क्या हैं? एक सवैये के आधार पर समझाइए।
उत्तर:
तुलसीदास के सवैयों में व्यक्त भक्ति भाव की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:- सगुण भक्ति: तुलसीदास राम के साकार, दयालु रूप की उपासना करते हैं।
- प्रेम और समर्पण: उनकी भक्ति में राम के प्रति गहरा प्रेम और पूर्ण समर्पण है।
- नैतिकता: भक्ति के साथ-साथ वे नैतिक और सात्विक जीवन पर जोर देते हैं।
- मोक्ष का मार्ग: उनकी भक्ति मनुष्य को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर ले जाती है।
- सादगी: उनकी भक्ति सरल और सभी के लिए सुलभ है।
उदाहरण: सवैया सं. 1 में वे कहते हैं:
\begin{quote} राम भजे सो मोक्ष पावे, और सब माया जाल।
\end{quote} इस सवैये में तुलसीदास बताते हैं कि राम की भक्ति ही सच्चा मार्ग है, जो मनुष्य को मोक्ष दिलाता है। यह उनकी सगुण भक्ति और सांसारिक माया से मुक्ति के संदेश को दर्शाता है। उनकी यह भक्ति भक्तों को प्रेम और समर्पण की प्रेरणा देती है।
- तुलसीदास के सवैयों का आज के समाज पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
तुलसीदास के सवैये आज के समाज पर निम्नलिखित प्रभाव डाल सकते हैं:- आध्यात्मिक प्रेरणा: तुलसीदास की राम भक्ति आधुनिक समाज में तनाव और भौतिकवाद से जूझ रहे लोगों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक दिशा प्रदान कर सकती है।
- नैतिकता और विनम्रता: उनके सवैये विनम्रता, सत्य, और नैतिक जीवन की शिक्षा देते हैं, जो आज के प्रतिस्पर्धी और अहंकारपूर्ण समाज में लोगों को बेहतर इंसान बनाने में मदद कर सकते हैं।
- सामाजिक सद्भाव: तुलसीदास की भक्ति सभी के लिए सुलभ है, जो सामाजिक एकता और समरसता को बढ़ावा दे सकती है।
- संसार की नश्वरता: उनके सवैये सांसारिक सुखों की क्षणभंगुरता का बोध कराते हैं, जो लोगों को सच्चे सुख (भक्ति) की ओर प्रेरित कर सकते हैं।
- युवाओं के लिए मार्गदर्शन: उनकी सरल और प्रेरक रचनाएँ युवाओं को नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित कर सकती हैं।
उदाहरण: सवैया सं. 2 में संसार को स्वप्न के समान क्षणभंगुर बताकर तुलसीदास लोगों को माया से मुक्त होने का संदेश देते हैं। यह आज के उपभोक्तावादी समाज में लोगों को आत्म-चिंतन और सादगी की ओर ले जा सकता है।
इस प्रकार, तुलसीदास के सवैये आध्यात्मिकता, नैतिकता, और सामाजिक सद्भाव का मार्ग दिखाकर आधुनिक समाज को प्रेरित और दिशा प्रदान कर सकते हैं।