Class 9 Hindi Chhand ka Parichay evam prakar :छंद का सामान्य परिचय एवं प्रकार

Class 9 Hindi Chhand ka Parichay evam prakar :छंद काव्य का वह आधारभूत तत्व है, जो कविता को लय, संगीतमयता और संरचना प्रदान करता है। यह काव्य को व्यवस्थित और आकर्षक बनाता है, जिससे पाठक या श्रोता को आनंद की अनुभूति होती है। हिंदी साहित्य में छंद काव्य की आत्मा का एक अभिन्न अंग है, जो शब्दों को मधुर और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत करता है। यह लेख छंद के सामान्य परिचय, परिभाषा, विशेषताओं और प्रकारों को संक्षेप में प्रस्तुत करता है, जो कक्षा 9 के स्तर के लिए उपयुक्त और सरल भाषा में है।

छंद का सामान्य परिचय

परिभाषा

छंद वह निश्चित नियमों पर आधारित शब्दों का समूह है, जो काव्य में लय, मात्रा, और संरचना के साथ प्रस्तुत होता है। यह कविता को संगीतमय और रमणीय बनाता है।

  • आचार्य विश्वनाथ: “छंदः काव्यस्य संनादति इति” अर्थात् छंद वह है, जो काव्य को संनादति (संगीतमय बनाता) है।
  • आधुनिक दृष्टिकोण: छंद काव्य की वह संरचना है, जो शब्दों को लयबद्ध और मधुर रूप में व्यवस्थित करती है।

छंद के तत्व

छंद का निर्माण निम्नलिखित तत्वों से होता है:

  1. मात्रा: शब्दों की ध्वनि की लंबाई, जैसे लघु (1 मात्रा) और गुरु (2 मात्राएँ)।
  2. वर्ण: अक्षरों की संख्या और उनके उच्चारण की व्यवस्था।
  3. यति: कविता में ठहराव या विराम का स्थान।
  4. तुक: छंद के अंत में समान ध्वनियों का प्रयोग।
  5. गति: छंद की लय और प्रवाह।

छंद की विशेषताएँ

  • लयबद्धता: छंद कविता को संगीतमय और प्रवाहपूर्ण बनाता है।
  • संरचनात्मकता: यह काव्य को निश्चित नियमों के अनुसार व्यवस्थित करता है।
  • आनंदप्रद: छंद सुनने और पढ़ने में आनंद देता है।
  • विविधता: छंद के विभिन्न प्रकार काव्य को विविध रूप प्रदान करते हैं।
  • स्मरणीयता: छंद के कारण कविता आसानी से स्मरण रहती है।

छंद के प्रकार

हिंदी साहित्य में छंदों को मुख्य रूप से दो आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है: मात्रिक छंद (मात्रा पर आधारित) और वर्णिक छंद (वर्णों की संख्या पर आधारित)। इसके अतिरिक्त, मुक्त छंद भी आधुनिक कविता में प्रचलित है। निम्नलिखित हैं छंद के प्रमुख प्रकार और उनके उदाहरण:

1. मात्रिक छंद

ये छंद मात्राओं (लघु और गुरु) की गणना पर आधारित होते हैं। प्रत्येक पंक्ति में निश्चित मात्राओं का प्रयोग होता है।

  • दोहा
    • संरचना: चार चरण, प्रथम और तृतीय चरण में 13 मात्राएँ, द्वितीय और चतुर्थ में 11 मात्राएँ। यति 13-11 पर।
    • उदाहरण: कबीर का दोहा – माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।
    • विशेषता: भक्ति और नीति कथनों के लिए प्रसिद्ध।
  • चौपाई
    • संरचना: चार चरण, प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ।
    • उदाहरण: तुलसीदास की चौपाई (रामचरितमानस) – मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदासरथ अजिर बिहारी।
    • विशेषता: भक्ति और कथात्मक काव्य के लिए उपयुक्त।
  • सोरठा
    • संरचना: दोहा का उल्टा रूप, प्रथम और तृतीय चरण में 11 मात्राएँ, द्वितीय और चतुर्थ में 13 मात्राएँ।
    • उदाहरण: कबीर का सोरठा – साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय। सार-सार को गहि रहै, थोथा देइ उड़ाय।
    • विशेषता: संक्षिप्त और प्रभावशाली।
  • रोला
    • संरचना: चार चरण, प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ, यति 11-13 पर।
    • उदाहरण: सूरदास के पदों में रोला का प्रयोग।
    • विशेषता: मधुर और लयबद्ध।

2. वर्णिक छंद

ये छंद वर्णों (अक्षरों) की संख्या और उनके क्रम पर आधारित होते हैं।

  • सवैया
    • संरचना: प्रत्येक चरण में 22 से 26 वर्ण, विभिन्न प्रकार जैसे मत्तगयंद, कवित्त आदि।
    • उदाहरण: तुलसीदास का सवैया (क्षितिज भाग-1) – राम भजे सो मोक्ष पावे, और सब माया जाल।
    • विशेषता: भक्ति और वर्णनात्मक काव्य के लिए उपयुक्त।
  • वसंततिलका
    • संरचना: प्रत्येक चरण में 14 वर्ण, निश्चित गणों (लघु-गुरु) का क्रम।
    • उदाहरण: संस्कृत और प्राचीन हिंदी काव्य में प्रचलित।
    • विशेषता: शास्त्रीय और गंभीर काव्य के लिए।
  • मालिनी
    • संरचना: प्रत्येक चरण में 15 वर्ण, विशिष्ट लय।
    • उदाहरण: प्राचीन काव्य में प्रयोग।
    • विशेषता: मधुर और सौंदर्यपूर्ण।

3. मुक्त छंद

मुक्त छंद आधुनिक कविता का प्रमुख रूप है, जिसमें मात्रा या वर्ण की बाध्यता नहीं होती। यह कवि की भावनाओं और विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करता है।

  • संरचना: कोई निश्चित नियम नहीं, लय और प्रवाह पर आधारित।
  • उदाहरण: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की मेघ आएमेघ आए बड़े बन-ठन, अतिथि बन।
    • विशेषता: आधुनिक कविता में व्यक्तिगत और सामाजिक भावनाओं की अभिव्यक्ति।

4. अन्य छंद

  • कुंडलिया: छह चरण, प्रथम दो चरण दोहा, शेष चार रोला।
    • उदाहरण: लोक काव्य में प्रचलित।
  • घनाक्षरी: प्रत्येक चरण में 31 मात्राएँ, तुकबंदी पर जोर।
    • उदाहरण: रीतिकालीन काव्य में प्रयोग।

छंद का महत्व

  • संगीतमयता: छंद कविता को मधुर और लयबद्ध बनाता है।
  • आनंदप्रद: यह पढ़ने और सुनने में आनंद देता है।
  • संरचनात्मक सुंदरता: छंद काव्य को व्यवस्थित और आकर्षक बनाता है।
  • स्मरणीयता: छंद के कारण कविता आसानी से याद रहती है।
  • सांस्कृतिक संरक्षण: छंद भारतीय साहित्य की परंपरा को जीवित रखता है।

निष्कर्ष

छंद काव्य का वह तत्व है, जो शब्दों को लय, संगीत और संरचना प्रदान करता है। इसके प्रकार, जैसे मात्रिक (दोहा, चौपाई), वर्णिक (सवैया, वसंततिलका), और मुक्त छंद, काव्य को विविधता और सौंदर्य देते हैं। कक्षा 9 की क्षितिज भाग-1 की कविताएँ, जैसे सवैये (तुलसीदास, सवैया छंद), कैदी और कोकिला (माखनलाल चतुर्वेदी, मुक्त छंद), और मेघ आए (सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मुक्त छंद), छंद की विविधता और प्रभाव को दर्शाती हैं। छंद के अध्ययन से छात्र काव्य की लय और सौंदर्य को गहराई से समझ सकते हैं।

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