Class 12 History Introduction of Harrappa Civilization
हड़प्पा सभ्यता का परिचय: छात्रों के लिए नोट्स
1. हड़प्पाई मुहर और सिंधु घाटी सभ्यता: एक प्रारंभिक दृष्टि
हड़प्पाई मुहर (चित्र 1.1) संभवतः हड़प्पा अथवा सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु है।

- ये मुहरें ‘सेलखड़ी’ नामक पत्थर से बनाई गई हैं।
- इन पर सामान्य रूप से जानवरों के चित्र तथा एक ऐसी लिपि के चिह्न उत्कीर्णित हैं जिन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
इसके बावजूद, हमें इस क्षेत्र में उस समय बसे लोगों के जीवन के विषय में उनके द्वारा पीछे छोड़ी गई विभिन्न पुरावस्तुओं के माध्यम से बहुत जानकारी मिलती है।
- इन पुरावस्तुओं में उनके आवास, मृदभाण्ड (मिट्टी के बर्तन), आभूषण, औजार और मुहरें शामिल हैं।
- दूसरे शब्दों में, हमें ये जानकारियाँ पुरातात्विक साक्ष्यों के माध्यम से प्राप्त होती हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस सभ्यता के कई पहलू आज भी हमारी जानकारी से परे हैं, और हो सकता है कि हमेशा ही रहें।
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2. सभ्यता की शर्तें, स्थान और समय
2.1 नामकरण (Nomenclature)
- हड़प्पा सभ्यता: इस सभ्यता को ‘हड़प्पा सभ्यता’ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि हड़प्पा वह पहला स्थान था जहाँ इस प्राचीन सभ्यता की पहचान की गई थी।
- सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization): इसे ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसके अधिकांश स्थल सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों की घाटियों में पाए गए हैं।
2.2 काल-निर्धारण (Chronology)
हड़प्पा सभ्यता का कुल समयकाल 6000 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक माना जाता है। इसे मुख्य रूप से तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है:
- प्रारंभिक हड़प्पा (Early Harappan):
- समयकाल: 6000 ईसा पूर्व से 2600 ईसा पूर्व तक।
- विशेषता: सभ्यता का प्रारंभिक चरण, जिसमें ग्रामीण बस्तियों का विकास हुआ और शहरीकरण की नींव पड़ी।
- परिपक्व हड़प्पा (Mature Harappan):
- समयकाल: 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक।
- विशेषता: सभ्यता का सबसे समृद्ध और शहरी चरण। इस दौरान सुनियोजित नगर, उन्नत जल निकास प्रणाली, मानकीकृत ईंटें और विशिष्ट मुहरों का विकास हुआ।
- उत्तर हड़प्पा (Late Harappan):
- समयकाल: 1900 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक।
- विशेषता: सभ्यता के पतन का चरण। शहरी विशेषताओं में गिरावट देखी गई और बस्तियाँ छोटे, ग्रामीण स्वरूप में परिवर्तित होने लगीं।
2.3 भौगोलिक विस्तार और पुरातात्विक साक्ष्य (Geographical Extent and Archaeological Evidence)
हड़प्पा सभ्यता का भौगोलिक विस्तार अत्यंत व्यापक था। इसके विशिष्ट पुरातात्विक साक्ष्य (जैसे मिट्टी के बर्तन, ईंटें, मुहरें, बाट, मोती, धातु की वस्तुएँ, टेराकोटा वस्तुएँ) विभिन्न स्थानों से प्राप्त हुए हैं:

- पाकिस्तान में प्राप्त स्थल:
- हड़प्पा क्षेत्र (पंजाब, पाकिस्तान)
- अफगानिस्तान (शोर्तुगई)
- बलूचिस्तान
- सिंध
- पाकिस्तान के पंजाब प्रांत
- भारत में प्राप्त स्थल:
- जम्मू
- पंजाब
- हरियाणा
- राजस्थान
- उत्तर प्रदेश का पश्चिमी भाग
- गुजरात
- महाराष्ट्र (कुछ दक्षिणी स्थल)
ये पुरातात्विक साक्ष्य हमें इस महान सभ्यता के जीवन, कला, व्यापार और संस्कृति को समझने में मदद करते हैं।
2.4 काल-निर्धारण में प्रयुक्त शब्दावली (Terminology Used in Chronology)
इतिहास और पुरातत्व में तिथियों को दर्शाने के लिए विभिन्न शब्दावलियों का प्रयोग होता है:
- ई.पू. (BC – Before Christ): ‘ईसा मसीह के जन्म से पहले’।
- ई. (AD – Anno Domini): ‘ईसा मसीह के जन्म के वर्ष से’।
- सी.ई. (CE – Common Era): ‘कॉमन एरा’ (आजकल AD की जगह)।
- बी.सी.ई. (BCE – Before Common Era): ‘बिफोर कॉमन एरा’ (आजकल BC की जगह)।
- बी.पी. (BP – Before Present): ‘बिफोर प्रेजेंट’ या ‘वर्तमान से पहले’।
यह शब्दावली विश्व के अधिकांश देशों में सामान्य रूप से प्रयोग की जाती है।