Class 10 Mathematics Fundamental Theorem of Arithmetic : अंकगणित की आधारभूत प्रमेय

परिभाषा (Definition)

Class 10 Mathematics Fundamental Theorem of Arithmetic : अंकगणित की आधारभूत प्रमेय (Fundamental Theorem of Arithmetic) के अनुसार, प्रत्येक संमिश्र संख्या (Composite Number), जो 1 से बड़ी हो, को अभाज्य संख्याओं (Prime Numbers) के गुणनफल के रूप में एकमात्र (Unique) तरीके से व्यक्त किया जा सकता है, बशर्ते अभाज्य संख्याओं के क्रम को न माना जाए।

  • अभाज्य संख्या (Prime Number): ऐसी संख्या जो केवल 1 और स्वयं से विभाज्य हो, जैसे 2, 3, 5, 7, 11।
  • संमिश्र संख्या (Composite Number): ऐसी संख्या जो 1, स्वयं, और कम से कम एक अन्य संख्या से विभाज्य हो, जैसे 4, 6, 8, 15।

यह प्रमेय इस बात की गारंटी देता है कि किसी भी संमिश्र संख्या का अभाज्य गुणनखंडन (Prime Factorization) अद्वितीय (Unique) होता है, चाहे उसे किसी भी तरह से तोड़ा जाए।

विस्तृत व्याख्या (Detailed Explanation)

  • अभाज्य गुणनखंडन (Prime Factorization): किसी संमिश्र संख्या को बार-बार अभाज्य संख्याओं से विभाजित करके उसे अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में लिखा जाता है।
    • उदाहरण: 36 को अभाज्य संख्याओं में तोड़ने पर 36 = 2 × 2 × 3 × 3 = 2² × 3²। यह एकमात्र तरीका है (क्रम को छोड़कर, जैसे 3 × 2 × 3 × 2 भी वही है)।
  • अद्वितीयता (Uniqueness): प्रमेय का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि गुणनखंडन का परिणाम हमेशा एक ही होता है। उदाहरण के लिए, 100 को हमेशा 2² × 5² के रूप में ही लिखा जाएगा।
  • संख्या 1 का स्थान: 1 न तो अभाज्य है और न ही संमिश्र, इसलिए यह प्रमेय 1 पर लागू नहीं होता।
  • अभाज्य संख्याएं: अभाज्य संख्याएं (जैसे 7, 13) स्वयं अपने गुणनखंड के रूप में अद्वितीय होती हैं।

यह प्रमेय गणित में संख्याओं की संरचना को समझने का आधार है और विभिन्न गणितीय अवधारणाओं, जैसे HCF, LCM, और भिन्नों के सरलीकरण में उपयोगी है।

उदाहरण (Examples)

  1. संख्या 48 का अभाज्य गुणनखंडन:
    • 48 को अभाज्य संख्याओं में तोड़ें:
      48 ÷ 2 = 24
      24 ÷ 2 = 12
      12 ÷ 2 = 6
      6 ÷ 2 = 3
      3 ÷ 3 = 1
    • इसलिए, 48 = 2 × 2 × 2 × 2 × 3 = 2⁴ × 3
    • यह गुणनखंडन अद्वितीय है।
  2. संख्या 180 का अभाज्य गुणनखंडन:
    • 180 को अभाज्य संख्याओं में तोड़ें:
      180 ÷ 2 = 90
      90 ÷ 2 = 45
      45 ÷ 3 = 15
      15 ÷ 3 = 5
      5 ÷ 5 = 1
    • इसलिए, 180 = 2 × 2 × 3 × 3 × 5 = 2² × 3² × 5
    • यह गुणनखंडन भी अद्वितीय है।
  3. संख्या 29 का अभाज्य गुणनखंडन:
    • 29 एक अभाज्य संख्या है, इसलिए इसका गुणनखंडन केवल 29 है।
    • यह भी प्रमेय के अनुसार अद्वितीय है।
  4. संख्या 225 का अभाज्य गुणनखंडन:
    • 225 को अभाज्य संख्याओं में तोड़ें:
      225 ÷ 3 = 75
      75 ÷ 3 = 25
      25 ÷ 5 = 5
      5 ÷ 5 = 1
    • इसलिए, 225 = 3 × 3 × 5 × 5 = 3² × 5²
    • यह गुणनखंडन अद्वितीय है।

उपयोग (Applications)

  1. महत्तम समापवर्तक (HCF) और लघुत्तम समापवर्तक (LCM):
    • अभाज्य गुणनखंडन का उपयोग करके HCF और LCM निकाला जाता है।
    • उदाहरण: 24 और 36 का HCF और LCM:
      • 24 = 2³ × 3
      • 36 = 2² × 3²
      • HCF = 2² × 3 = 12 (सामान्य अभाज्य संख्याओं का न्यूनतम घात)
      • LCM = 2³ × 3² = 72 (सभी अभाज्य संख्याओं का अधिकतम घात)
  2. भिन्नों का सरलीकरण:
    • उदाहरण: 36/48 को सरल करें।
      • 36 = 2² × 3², 48 = 2⁴ × 3
      • HCF = 2² × 3 = 12
      • 36 ÷ 12 = 3, 48 ÷ 12 = 4
      • इसलिए, 36/48 = 3/4
  3. संख्या सिद्धांत (Number Theory):
    • यह प्रमेय संख्याओं के गुणों, जैसे विभाज्यता और गुणनखंडन, को समझने में मदद करता है।
    • यह क्रिप्टोग्राफी और अन्य उन्नत गणितीय क्षेत्रों में भी उपयोगी है।
  4. वास्तविक जीवन में उपयोग:
    • समय, दूरी, या मात्रा से संबंधित समस्याओं में, जैसे दो व्यक्तियों के मिलने का समय (LCM) या सामान्य कार्य का हिस्सा (HCF)।

विशेष बिंदु (Key Points)

  • अंकगणित की आधारभूत प्रमेय केवल 1 से बड़ी संमिश्र संख्याओं (Composite Numbers) और अभाज्य संख्याओं (Prime Numbers) पर लागू होती है।
  • संख्या 1 न तो अभाज्य है और न ही संमिश्र, इसलिए यह प्रमेय का हिस्सा नहीं है।
  • अभाज्य गुणनखंडन की अद्वितीयता संख्याओं की मूलभूत संरचना को दर्शाती है।
  • यह प्रमेय गणित में HCF, LCM, और अन्य अवधारणाओं का आधार बनता है।

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