हिन्दी ब्रिज कोर्स लोककथा मिज़बान 9th Hindi Bridge Course WorkBook Mijbaan

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मिज़बान

एक परिवार में पति-पत्नी रह रहे थे। दोनों बड़े प्रेम से अपना जीवन बिता रहे थे। एक बार उनके घर मेहमान आए तो दोनों बड़े खुश हुए पति ने कहा इनका स्वागत करो बहुत दिनों बाद ये आए हैं। मेहमानों को जलपान कराओ।

जब साँझ होने लगी तो मेहमान जाने लगे तब पति – पत्नी ने कहा- ऐसे कैसे जाओगे हम बिना रोटी खिलाए आपको जाने नहीं देंगे। मेहमान बड़े खास थे। उनके लिए एक से एक पकवान बने। उन्हें भोजन में पापड़ ज़्यादा पसंद था ।

थाली परोसने पर मेहमान हाथ-मुँह धोकर बैठ गए। थाली में पापड़ न देखकर उन्हें लगा कि पापड़ बाद में परोसा जाएगा। लेकिन जब पति ने हाथ जोड़कर कहा चलो भाई शुरू करो तो मेहमानों का मन बैठ गया । पापड़ की थाली चौके में रखी दिखाई दे रही थी लेकिन वे शर्म के मारे कुछ नहीं बोले । पत्नी गर्म-गर्म रोटी बनाने लगी। मेहमान भोजन करने लगे लेकिन ले-देकर उनका ध्यान पापड़ पर ही चला जाता। चूल्हे के पास सिके पापड़ रखे हुए दिखाई दे रहे थे।

मेहमान ने बड़ी रुचि के साथ सभी चीजें खाईं – भुजिया, बरफी, लड्डू, खीर-पूरी लेकिन उनका ध्यान ले-देकर पापड़ पर ही था। उन्होंने सोचा कि यदि हमने पापड़ नहीं खाए तो ये कैसी मेहमान नवाजी । वे मन ही मन सोचने लगे कि भइया – भाभी कब पापड़ परोसें। जब उनकी समझ आया कि उन्हें पापड़ परोसना ध्यान नहीं आएगा तो उन्होंने जुगत लगाने की सोची, जिससे पापड़ खाने को मिल जाए ।

मेहमान ने कहा – एक बात बताना तो भूल ही गया। पति-पत्नी बोले कौन सी बात? मेहमान बोले बहुत ज़रूरी बात। कल तो भगवान ने ही मुझे बचाया । यदि भगवान मेरी रक्षा नहीं करते तो मैं तो मर जाता । और आज का भोजन करने को नहीं मिलता। मैं तो कल ही ख़त्म हो जाता। मैं तो बड़े मज़े से जा रहा था । इतने में सरसराते हुए काला नाग आ गया। क्या बताऊँ भाई कि इतना लम्बा साँप था, यहाँ से लेकर वहाँ तक जहाँ वो पापड़ रखे हैं।

इशारा करते ही पति-पत्नी एक साथ बोले अरे! हम तो पापड़ परोसना ही भूल गए। मेहमान ने कहा- अब रहने दो। पति-पत्नी बोले- ऐसे कैसे रहने दें, ये तो खाने ही पड़ेंगे। मेहमान ने कहा- अच्छा तो अब पापड़ की थाली ले आओ।

संदर्भ – मिज़बान

(बुंदेलखण्डी, लोककथाओं का संकलन)

दिनांक                                                               शिक्षक के हस्ताक्षर

कार्यपत्रक – 1

✍🏻 श्रुतलेख
👉 शिक्षक द्वारा बोले गए शब्दों को ध्यानपूर्वक सुनकर यहाँ लिखिए:

(यह भाग शिक्षक द्वारा बोले गए शब्दों के अनुसार विद्यार्थियों द्वारा भरना है।)

कार्यपत्रक – 2

✍🏻 कॉलम ‘अ’ में दिए गए शब्दों से समान अर्थ रखने वाले शब्दों को कॉलम ‘ब’ से चुनकर मिलाइए और दोनों कॉलम को उचित क्रम में लिखिए:

कॉलम ‘अ’समानार्थी शब्द (कॉलम ‘ब’)
स्वल्पाहारजलपान
मेहमान नवाजीआतिथ्य
जुगत लगानायुक्ति भिड़ाना
व्यंजनपकवान
आतिथ्य करने वालामेज़बान
मेहमानअतिथि

दिनांक: _______________ शिक्षक के हस्ताक्षर: _______________

कार्यपत्रक – 3

(i) नीचे दिए गए शब्दों की सूची बनाकर अपने स्वादानुसार वर्गों में भरिए:

शब्द:
भजिया, बरफी, लड्डू, खीर-पूरी, मालपुआ, नींबू, पापड़, सेब, पपीता, इमली

मीठापसंदनापसंद
बरफी
लड्डू
मालपुआ
खीर
नमकीनपसंदनापसंद
भजिया
पापड़
खट्टापसंदनापसंद
नींबू
इमली
सेब
पपीता

🔹 आप अपने स्वाद के अनुसार इस तालिका में परिवर्तन कर सकते हैं।

(ii) दिए गए संज्ञा शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए:

शब्दवाक्य
मेहमानआज हमारे घर मेहमान आए हैं।
पापड़माँ ने खाने में पापड़ तले।
थालीमेहमानों के लिए थाली सजाई गई।
पत्नीरमेश अपनी पत्नी के साथ बाज़ार गया।
भोजनसभी ने मिलकर स्वादिष्ट भोजन किया।

(iii) विशेषण और विशेष्य छाँटिए:

वाक्यांशविशेषणविशेष्य
ज़हरीला साँपज़हरीलासाँप
करारे पापड़करारेपापड़
गर्म-गर्म रोटीगर्म-गर्मरोटी
ख़ास मेहमानख़ासमेहमान

दिनांक: _______________ शिक्षक के हस्ताक्षर: _______________

कार्यपत्रक – 4

✍🏻 अपने दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले मुहावरों को लिखिए और उनके अर्थ भी बताइए:

मुहावराअर्थ
नाक में दम करनाबहुत परेशान कर देना
दाँतों तले उँगली दबानाअत्यधिक आश्चर्य होना
कान भरनाकिसी के खिलाफ भड़काना
मुँह में पानी आनास्वादिष्ट चीज देखकर खाने की इच्छा होना
आँखों का तारा होनाबहुत प्रिय होना
पेट में चूहे दौड़नाबहुत तेज भूख लगना
रंग में भंग पड़नाआनंद में बाधा आना
आसमान के तारे तोड़नाबहुत कठिन काम करने की कोशिश करना
सिर पर चढ़कर बोलनाबहुत अधिक उत्साह या उद्दंडता दिखाना
टालमटोल करनाकाम को टालते रहना

कार्यपत्रक – 5

✍🏻 निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करके एक कहानी लिखिए:
(काकी, हलवा, व्यंजन, बूढ़ी, कचोरी, मेहमान, गाँव, शादी)

कहानी का शीर्षक: “काकी की कचोरी”

गाँव में एक बूढ़ी काकी रहती थीं। उनका खाना बनाने का शौक पूरे गाँव में मशहूर था। किसी भी शादी या त्योहार में उन्हें बुलाए बिना गाँव का कोई आयोजन पूरा नहीं होता था। एक दिन गाँव में एक बड़े घर में शादी थी। बहुत सारे मेहमान दूर-दूर से आए थे।

काकी ने सोचा कि इस बार कुछ खास व्यंजन बनाए जाएँ। उन्होंने अपने हाथों से गरमा-गरम कचोरी और स्वादिष्ट हलवा बनाया। महक से ही लोग खिंचे चले आए। सब मेहमान काकी की तारीफ़ करते नहीं थक रहे थे।

जब सबने खाना खाया तो एक मेहमान बोला, “अरे काकी! आपके हाथों में तो जादू है।” काकी मुस्कराईं और बोलीं, “बेटा! यह तो गाँव का प्यार और बरसों का अनुभव है।”

उस दिन की शादी हमेशा के लिए यादगार बन गई – काकी की वजह से।

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