9th Hindi Bridge Course WorkBook Interview Pt Jasraaj:
साक्षात्कार – पं. जसराज
मेवाती घराने के शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का जन्म 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। अपने संगीत की शुरुआती शिक्षा अपने पिता पंडित मोतीराम जी से ली थी। अपने गायन के ज़रिए अध्यात्म से जोड़ने की कला की वजह से पंडित जसराज को रसराज भी कहा जाता है। आपको 1975 में पद्मश्री, 1990 में पद्मभूषण और 2000 में पद्मविभूषण से नवाज़ा गया। उनसे बातचीत के कुछ अंश – पंडित जी, अपने बचपन के बारे में बताएँ । अपने माँ-पिता जी और अन्य परिवार वालों के विषय में बताएँ ।
आपके पिता जी का निधन जल्दी हो गया था। क्या कुछ याद आता है उनके बारे में?
जय हो! मेरे पिताजी का नाम पंडित मोतीरामजी और माताजी का नाम कृष्णाबाई था। आपने सही कहा। जब मैं चार साल का ही था, तब मेरे पिताजी का निधन हो गया पर उस छोटी सी उम्र में ही मैं उनसे गाना सीखना शुरू कर चुका था और फिर वो शिक्षा जारी रही ।
पंडित जी हममें से हर इंसान ने बचपन में शैतानियाँ ज़रूर की होती हैं, आपकी कौन सी शैतानी है जो ताउम्र याद रहेगी?
बात आप सही कह रहे हैं, शैतानी तो ज़्यादातर लोग करते हैं लेकिन मुझे शैतानी करने का तो समय ही नहीं मिला। जब शैतानी करने की उम्र हुई, तब तक पिताजी हमें छोड़कर जा चुके थे। ऐसे में लगा कि मुझे घर के लिए कुछ करना है। 7 साल की उम्र में तो मैंने अपने मंझले भाई के साथ स्टेज पर तबला बजाना शुरू कर दिया था। पंडित प्रताप नारायण जी ने मुझे तबला बजाना सिखा दिया था। जिस उम्र में बच्चे शैतानी करते हैं, उस उम्र में मैं अपने घर के कामकाज में लग गया था ।
अपनी शिक्षा के बारे में बताएँ ?
मेरी एक ही शिक्षा है, संगीत की। जैसा मैंने कहा- मैं घर के कामकाज में जुट गया था। मेरी पढ़ाई-लिखाई वहीं ख़त्म हो गयी ।
आपकी संगीत शिक्षा की शुरुआत कैसे हुई ?
मैंने बचपन में ही पिताजी से सीखना शुरू कर दिया था। जब वो नहीं रहे तब भी मैंने अपनी साधना जारी रखी। बाद में जब मैं क़रीब 15 वर्ष का था तब मेरी संगीत की शिक्षा मेरे बड़े भाई पंडित मणिरामजी के साथ शुरू हुई।
आपको स्टेज पर पहला कार्यक्रम कब और कैसे मिला?
मेरा गाने का पहला कार्यक्रम 1952 में काठमाण्डु नेपाल में हुआ। दरअसल रेडिओ पर मैं गाया करता था। मेरा गाना सुनकर वहाँ से बुलावा आया । वहाँ के राजा त्रिभुवन विक्रम थे । मेरा पहला कार्यक्रम उनके सामने हुआ था। मुझे याद है कि उन्होंने मुझे 5000 मोहर का इनाम दिया था ।
आपको जो तमाम सम्मान मिले और उसके साथ श्रोताओं का जो प्यार मिला, उसे कैसे याद करते हैं?
जो सम्मान मिले हैं, उन्हें सम्मान से याद करता हूँ और जो श्रोताओं का प्यार मिलता है उसको भी बहुत सम्मान से याद करता हूँ। भगवान को लाख लाख शुक्राना भेजता हूँ ।
कार्यपत्रक-1
श्रुतलेख – शिक्षक द्वारा बोले गए शब्दों को लिखिए।
(चूंकि यह एक श्रुतलेख प्रश्न है, जिसमें शिक्षक द्वारा बोले गए शब्दों को लिखना होता है। वास्तविक स्थिति में, शिक्षक द्वारा बोले गए शब्दों को यहाँ लिखा जाएगा।)
कार्यपत्रक-2
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों का उपयुक्त पर्यायवाची शब्द विकल्पों में से चुनकर लिखिए :-
- अचानक चारों ओर आग प्रज्ज्वलित हो गई।
- विकल्प: (क) शोभा (ख) अग्नि (ग) समीर (घ) चिंगारी
- उत्तर: (ख) अग्नि
- वाक्य: अचानक चारों ओर अग्नि प्रज्ज्वलित हो गई।
- उसके नेत्र में छोटा-सा तिनका चला गया।
- विकल्प: (क) अलक (ख) कनक (ग) नयन (घ) हस्त
- उत्तर: (ग) नयन
- वाक्य: उसके नयन में छोटा-सा तिनका चला गया।
- उसका मन आनंद से भर गया।
- विकल्प: (क) अलंकार (ख) अपूर्व (ग) अभिमान (घ) उल्लास
- उत्तर: (घ) उल्लास
- वाक्य: उसका उल्लास आनंद से भर गया।
- हमें ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए।
- विकल्प: (क) गणेश (ख) महादेव (ग) अनंग (घ) परमात्मा
- उत्तर: (घ) परमात्मा
- वाक्य: हमें परमात्मा का धन्यवाद करना चाहिए।
- वह नदी के किनारे घूम रहा था।
- विकल्प: (क) तीर (ख) कतार (ग) बाण (घ) वसुंधरा
- उत्तर: (क) तीर
- वाक्य: वह तीर के किनारे घूम रहा था।
6. क्या कुछ याद आता है उनके बारे में।
- विकल्प: (क) स्मरण (ख) स्मृति (ग) स्मरणशक्ति (घ) याद्दाश्त
- उत्तर: (क) स्मरण
- वाक्य: क्या कुछ स्मरण आता है उनके बारे में।
- छोटी उम्र में वह बहुत शैतानी करता था।
- विकल्प: (क) आयु (ख) गिनती (ग) युवा (घ) बुढ़ापा
- उत्तर: (क) आयु
- वाक्य: छोटी आयु में वह बहुत शैतानी करता था।
- आज भी उन्हें सम्मान से याद किया जाता है।
- विकल्प: (क) पूजना (ख) आदर (ग) सहारा (घ) सामना
- उत्तर: (ख) आदर
- वाक्य: आज भी उन्हें आदर से याद किया जाता है।
दिनांक: 29 मई 2025 शिक्षक के हस्ताक्षर: _____________
कार्यपत्रक-3
समान अर्थ प्रकट करने वाले शब्द-युग्मों का अपने सरल शब्दों में प्रयोग करते हुए लिखिए।
- अगम – दुर्गम
- अगम: जो आसानी से पहुँचा न जा सके, कठिन।
वाक्य: पहाड़ का अगम रास्ता पार करना मुश्किल था। - दुर्गम: जो पहुँचने में कठिन हो।
वाक्य: जंगल का दुर्गम क्षेत्र खतरनाक था।
- अगम: जो आसानी से पहुँचा न जा सके, कठिन।
- ईर्ष्या – द्वेष
- ईर्ष्या: दूसरों की सफलता से जलन।
वाक्य: उसने ईर्ष्या के कारण अपने मित्र की मदद नहीं की। - द्वेष: किसी के प्रति नफरत या बैर का भाव।
वाक्य: हमें द्वेष की भावना को त्याग देना चाहिए।
- ईर्ष्या: दूसरों की सफलता से जलन।
- कार्य – कर्तव्य
- कार्य: करने योग्य काम।
वाक्य: उसने अपना कार्य समय पर पूरा किया। - कर्तव्य: जो करना आवश्यक हो, जिम्मेदारी।
वाक्य: देश की सेवा करना हमारा कर्तव्य है।
- कार्य: करने योग्य काम।
- आज्ञा – अनुमति
- आज्ञा: करने की आज्ञा या आदेश।
वाक्य: माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए। - अनुमति: करने की स्वीकृति।
वाक्य: शिक्षक ने हमें पिकनिक जाने की अनुमति दे दी।
- आज्ञा: करने की आज्ञा या आदेश।
- अभिमान – अहंकार
- अभिमान: स्वयं पर गर्व।
वाक्य: उसका अभिमान उसकी सफलता का कारण है। - अहंकार: स्वयं को सबसे बड़ा समझने का भाव।
वाक्य: अहंकार के कारण उसने सबका दिल दुखाया।
- अभिमान: स्वयं पर गर्व।
- नमस्ते – नमस्कार
- नमस्ते: अभिवादन का एक तरीका।
वाक्य: मैंने शिक्षक को नमस्ते कहा। - नमस्कार: सम्मान के साथ अभिवादन।
वाक्य: सभी को नमस्कार, आप कैसे हैं?
- नमस्ते: अभिवादन का एक तरीका।
कार्यपत्रक-4
पाठ में आए हुए शब्दों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए –
(चूंकि पाठ का संदर्भ स्पष्ट नहीं है, मैं पिछले संदर्भों (जैसे अब्दुल कलाम की आत्मकथा) के आधार पर शब्दों का चयन कर रहा हूँ।)
शब्द | अर्थ | वाक्य |
---|---|---|
शुरुआती | प्रारंभिक, आरंभ का | मेरे शुरुआती दिनों में पढ़ाई बहुत कठिन लगती थी। |
रसराज | रसों का राजा, स्वादिष्ट | आम को रसराज कहा जाता है। |
निधन | मृत्यु | उनके निधन की खबर सुनकर सभी दुखी हो गए। |
शैतानी | नटखटपन, शरारत | बचपन में उसकी शैतानी सबको हँसाती थी। |
ताउम्र | जीवन भर | उसने ताउम्र गरीबों की सेवा की। |
दिनांक: 30 मई 2025 शिक्षक के हस्ताक्षर: _____________
1. शब्दार्थ और वाक्य निर्माण
क्रमांक | शब्द | अर्थ | वाक्य |
---|---|---|---|
1. | कामकाज | कार्य या व्यवसाय | वह अपने कामकाज में बहुत निपुण है। |
2. | साधना | मेहनतपूर्वक किया गया अभ्यास | सफलता प्राप्त करने के लिए निरंतर साधना आवश्यक है। |
3. | मोहर | मुहर, छाप | राजा ने आदेश पर अपनी मोहर लगा दी। |
4. | श्रोता | सुनने वाला व्यक्ति | मंच पर कवि ने अपनी कविता श्रोताओं को सुनाई। |
5. | शुक्राना | धन्यवाद, आभार | मैंने उसकी मदद के लिए शुक्राना अदा किया। |
2. प्रश्न: अपनी रुचि के बारे में विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
मुझे पुस्तकें पढ़ने में विशेष रुचि है। खासकर हिंदी साहित्य, जीवनी और प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ना मुझे बहुत पसंद है। जब भी मुझे खाली समय मिलता है, मैं पुस्तकालय जाकर नई-नई किताबें पढ़ता हूँ। इससे न केवल मेरा ज्ञान बढ़ता है, बल्कि भाषा और विचार भी परिपक्व होते हैं। इसके अलावा मुझे चित्रकारी और संगीत सुनना भी अच्छा लगता है। ये सभी रुचियाँ मुझे मानसिक शांति और प्रेरणा देती हैं।
प्रश्न: अपने प्रिय शिक्षक के बारे में लिखिए।
उत्तर:
मेरे प्रिय शिक्षक का नाम श्री [अपना शिक्षक का नाम लिखें] है। वे हमारे विद्यालय में हिंदी/गणित/विज्ञान विषय पढ़ाते हैं। वे बहुत ही ज्ञानी, अनुशासनप्रिय और समझदार व्यक्ति हैं। वे पढ़ाने का ढंग बहुत सरल और रोचक बनाते हैं, जिससे हमें विषय अच्छी तरह समझ में आता है। वे हमेशा समय के पाबंद रहते हैं और हमें भी समय का महत्त्व समझाते हैं।
उनका व्यवहार सभी विद्यार्थियों के प्रति स्नेहपूर्ण और समान होता है। जब कोई छात्र किसी विषय को नहीं समझ पाता तो वे धैर्यपूर्वक उसे दोबारा समझाते हैं। उन्होंने मुझे न केवल पढ़ाई में बल्कि अच्छे संस्कारों और जीवन मूल्यों को समझने में भी मदद की है। मैं अपने प्रिय शिक्षक का बहुत आदर करता/करती हूँ और उनके जैसा बनने की प्रेरणा लेता/लेती हूँ।