कक्षा 9 विज्ञान जीवन की मौलिक इकाई महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर : The Fundamental Unit of Life Important Question Answer

The Fundamental Unit of Life Important Question Answer

अभ्यास प्रश्न और उत्तर (Practice Questions and Answers)

प्रश्न 1: कोशिका की खोज किसने और कैसे की?

उत्तर: कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक (Robert Hooke) ने सन् 1665 में की थी। उन्होंने अपने स्वयं निर्मित सूक्ष्मदर्शी से कार्क (cork) की पतली काट का अवलोकन किया। उन्होंने देखा कि कार्क में अनेक छोटे-छोटे प्रकोष्ठ (compartments) हैं, जिनकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी प्रतीत होती है। रॉबर्ट हुक ने इन प्रकोष्ठकों को कोशिका (Cell) नाम दिया।

प्रश्न 2: कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं?

उत्तर: कोशिका को जीवन की संरचनात्मक (structural) व क्रियात्मक (functional) इकाई कहने के निम्नलिखित कारण हैं:

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
  • संरचनात्मक इकाई (Structural Unit): सभी सजीव, चाहे वे पौधे हों या जंतु, एक या अनेक कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं। कोशिकाएँ ही सजीवों के शरीर की मूलभूत संरचना का निर्माण करती हैं, ठीक वैसे ही जैसे एक इमारत ईंटों से बनती है।
  • क्रियात्मक इकाई (Functional Unit): प्रत्येक जीवित कोशिका में वे सभी मूलभूत कार्य करने की क्षमता होती है जो जीवन के लिए आवश्यक हैं। ये कार्य जैसे श्वसन (respiration), पोषण (nutrition), उत्सर्जन (excretion) तथा नए पदार्थों का निर्माण (synthesis of new substances) आदि कोशिका के अंदर ही होते हैं। विभिन्न कोशिकांग (cell organelles) मिलकर ये विशिष्ट कार्य करते हैं, जिससे कोशिका जीवित रहती है और अपने सभी कार्य कर पाती है।

प्रश्न 3: क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है?

उत्तर: हाँ, दो ऐसे अंगक जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ (genetic material) होता है, वे हैं:

  1. माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria): इसमें अपना DNA तथा राइबोसोम होते हैं।
  2. प्लैस्टिड (Plastids): (जैसे क्लोरोप्लास्ट) इनमें भी अपना DNA तथा राइबोसोम होते हैं।

प्रश्न 4: यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा?

उत्तर: यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक (physical) अथवा रासायनिक (chemical) प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो कोशिका के अंदर के कोशिकांग (cell organelles) और उनके कार्य बाधित हो जाएँगे। ऐसे में लाइसोसोम (lysosomes) फट सकते हैं और उनमें मौजूद पाचक एंजाइम (digestive enzymes) अपनी ही कोशिका को पाचित (digest) कर देंगे। इससे कोशिका के सभी मूलभूत कार्य (basic functions) जैसे श्वसन, पोषण, उत्सर्जन आदि बंद हो जाएँगे, और अंततः कोशिका मर जाएगी (die)

प्रश्न 5: लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं?

उत्तर: लाइसोसोम (Lysosomes) को कोशिका की ‘आत्मघाती थैली (Suicidal Bags)’ कहते हैं क्योंकि इनमें बहुत शक्तिशाली पाचक एंजाइम (digestive enzymes) होते हैं जो कार्बनिक पदार्थों (organic substances) को तोड़ने में सक्षम होते हैं। कोशिकीय चयापचय (cellular metabolism) में व्यवधान के कारण जब कोशिका क्षतिग्रस्त (damaged) या मृत (dead) हो जाती है, तो लाइसोसोम फट जाते हैं और उनके एंजाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं। इस प्रकार, वे स्वयं कोशिका को “आत्महत्या” करने में मदद करते हैं।

प्रश्न 6: कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?

उत्तर: कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण (protein synthesis) मुख्य रूप से राइबोसोम (Ribosomes) पर होता है। ये राइबोसोम या तो कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में स्वतंत्र रूप से तैरते रहते हैं या खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (Rough Endoplasmic Reticulum – RER) की सतह पर लगे होते हैं।

प्रश्न 7: पादप कोशिकाओं तथा जंतु कोशिकाओं में तुलना करो।

उत्तर: पादप और जंतु कोशिकाओं में मुख्य तुलनाएँ निम्नलिखित हैं:

विशेषता (Feature)पादप कोशिका (Plant Cell)जंतु कोशिका (Animal Cell)
1. कोशिका भित्ति (Cell Wall)उपस्थित (मुख्यतः सेल्यूलोज की बनी)अनुपस्थित
2. प्लैस्टिड (Plastids)उपस्थित (जैसे क्लोरोप्लास्ट)अनुपस्थित
3. रसधानियाँ (Vacuoles)आमतौर पर एक बहुत बड़ी केंद्रीय रसधानी (50-90% आयतन तक)छोटी और संख्या में अधिक या अनुपस्थित हो सकती हैं
4. तारककाय (Centrosome/Centrioles)आमतौर पर अनुपस्थितउपस्थित (कोशिका विभाजन में सहायक)
5. कोशिका का आकारनिश्चित, आयताकारअनियमित या गोलाकार
6. पोषण विधिस्वयंपोषी (प्रकाश संश्लेषण)परपोषी

प्रश्न 8: प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं?

उत्तर: प्रोकैरियोटी और यूकैरियोटी कोशिकाओं में मुख्य भिन्नताएँ निम्नलिखित हैं:

विशेषता (Feature)प्रोकैरियोटी कोशिका (Prokaryotic Cell)यूकैरियोटी कोशिका (Eukaryotic Cell)
1. आकार (Size)प्रायः छोटा (1 – 10 µm)प्रायः बड़ा (5 – 100 µm)
2. केंद्रकीय क्षेत्रअस्पष्ट, केंद्रक झिल्ली नहीं होती, इसे केंद्रकाय (Nucleoid) कहते हैं।सुस्पष्ट, केंद्रक झिल्ली से घिरा होता है।
3. क्रोमोसोमएकएक से अधिक
4. झिल्ली युक्त कोशिका अंगकअनुपस्थित (जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, ER, गॉल्जी)उपस्थित होते हैं।
5. क्लोरोफिलझिल्लीदार पुटिका में (प्रकाश संश्लेषी बैक्टीरिया में)प्लैस्टिड (क्लोरोप्लास्ट) में होता है।

प्रश्न 9: यदि प्लैज़्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होगा?

उत्तर: यदि प्लैज़्मा झिल्ली (Plasma membrane) फट जाए अथवा टूट जाए तो कोशिका जीवित नहीं रह पाएगी। ऐसा होने पर:

  • कोशिका के अंदर का संगठन नष्ट हो जाएगा।
  • कोशिका के घटक बाहरी पर्यावरण से अलग नहीं रह पाएंगे और बिखर जाएँगे।
  • बाहरी हानिकारक पदार्थ (harmful substances) कोशिका के अंदर प्रवेश कर सकते हैं।
  • कोशिका अपने कार्यों (functions), जैसे विसरण (diffusion) और परासरण (osmosis) द्वारा पदार्थों का आदान-प्रदान, नियंत्रित रूप से नहीं कर पाएगी।
  • परिणामस्वरूप, कोशिका अपनी सभी जैविक क्रियाओं (biological activities) को करने में असमर्थ हो जाएगी और अंततः मर जाएगी

प्रश्न 10: यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?

उत्तर: यदि कोशिका में गॉल्जी उपकरण (Golgi apparatus) न हो तो कोशिका के जीवन में निम्नलिखित गंभीर समस्याएँ आ जाएँगी:

  • पदार्थों की पैकेजिंग और रूपांतरण नहीं होगा: अंतर्द्रव्यी जालिका (ER) में संश्लेषित (synthesized) प्रोटीन और लिपिड (lipids) की पैकेजिंग, संचयन (storage) और रूपांतरण (modification) नहीं हो पाएगा।
  • परिवहन बाधित होगा: कोशिका के अंदर और बाहर विभिन्न स्थानों पर पदार्थों का व्यवस्थित परिवहन (transport) रुक जाएगा।
  • लाइसोसोम का निर्माण नहीं होगा: गॉल्जी उपकरण लाइसोसोम (lysosomes) का निर्माण करता है। यदि यह नहीं होगा, तो लाइसोसोम नहीं बन पाएंगे, जिससे कोशिका का अपशिष्ट निपटान तंत्र (waste disposal system) प्रभावित होगा और कोशिका में कचरा जमा होने लगेगा।
  • जटिल शक्कर का निर्माण नहीं होगा: गॉल्जी उपकरण में सामान्य शक्कर से जटिल शक्कर (complex sugars) का निर्माण भी नहीं हो पाएगा।
  • इन सभी कार्यों के बाधित होने से कोशिका के सामान्य कामकाज में गंभीर व्यवधान आएगा और अंततः कोशिका जीवित नहीं रह पाएगी।

प्रश्न 11: कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है? और क्यों?

उत्तर: कोशिका का माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) अंगक बिजलीघर (Powerhouse of the Cell) कहलाता है। क्यों? माइटोकॉन्ड्रिया जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं (chemical reactions) को करने के लिए ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में ऊर्जा (energy) प्रदान करते हैं। यह ATP ही कोशिका की ऊर्जा मुद्रा (energy currency) है, जिसका उपयोग शरीर नए रासायनिक यौगिकों को बनाने (synthesis of new compounds) तथा यांत्रिक कार्य (mechanical work) करने के लिए करता है। जिस प्रकार एक बिजलीघर ऊर्जा उत्पन्न करता है, उसी प्रकार माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका के लिए ऊर्जा का उत्पादन करता है।

प्रश्न 12: कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?

उत्तर: कोशिका झिल्ली (Cell membrane) को बनाने वाले लिपिड (lipids) और प्रोटीन (proteins) का संश्लेषण विभिन्न स्थानों पर होता है:

  • लिपिड (Lipids): इनका संश्लेषण मुख्य रूप से चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका (Smooth Endoplasmic Reticulum – SER) पर होता है।
  • प्रोटीन (Proteins): इनका संश्लेषण खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (Rough Endoplasmic Reticulum – RER) पर लगे राइबोसोम (Ribosomes) पर होता है।

प्रश्न 13: अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?

उत्तर: अमीबा (Amoeba) अपना भोजन एन्डोसाइटोसिस (Endocytosis) नामक प्रक्रिया द्वारा प्राप्त करता है। यह कोशिका झिल्ली (cell membrane) के लचीलेपन (flexibility) के कारण संभव होता है। जब अमीबा भोजन के संपर्क में आता है, तो उसकी कोशिका झिल्ली भोजन के कण को चारों ओर से घेरकर एक थैली (sac) जैसी संरचना बनाती है, जिसे खाद्य रसधानी (food vacuole) कहते हैं। यह खाद्य रसधानी कोशिका के अंदर चली जाती है, जहाँ लाइसोसोम (lysosomes) के पाचक एंजाइम भोजन को पचाते हैं।

प्रश्न 14: परासरण क्या है?

उत्तर: परासरण (Osmosis) वह प्रक्रिया है जिसमें जल के अणु (water molecules) एक वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली (selectively permeable membrane) के माध्यम से उच्च जल सांद्रता (higher water concentration) वाले क्षेत्र (या कम विलेय सांद्रता) से निम्न जल सांद्रता (lower water concentration) वाले क्षेत्र (या अधिक विलेय सांद्रता) की ओर गति करते हैं। यह एक प्रकार का विसरण (diffusion) है, लेकिन विशेष रूप से जल के लिए होता है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें: (आलू कप प्रयोग) और प्रश्नों का उत्तर दें।

छिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब (a) कप ‘A’ को खाली रखो, (b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो, (c) कप ‘C’ में एक चम्मच नमक डालो तथा (d) उबले आलू से बनाए गए कप ‘D’ में एक चम्मच चीनी डालो। आलू के इन चारों कपों को दो घंटे तक रखने के पश्चात्‌ उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों का उत्तर दो:

(i) ‘B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया? इसका वर्णन करो। उत्तर: कप ‘B’ और ‘C’ के खाली भाग में जल परासरण (osmosis) के कारण एकत्र हो गया।

  • कप ‘B’ में चीनी और कप ‘C’ में नमक: चीनी और नमक दोनों ही विलेय (solutes) हैं। जब इन्हें आलू के कप में डाला जाता है, तो कप के अंदर का विलयन (solution) बाहर के शुद्ध जल की तुलना में अधिक सांद्र (more concentrated) हो जाता है (यानी, कप के अंदर जल की सांद्रता कम हो जाती है)।
  • अर्धपारगम्य झिल्ली: आलू की कोशिकाएँ अर्धपारगम्य झिल्ली (semipermeable membrane) की तरह कार्य करती हैं।
  • परासरण की प्रक्रिया: जल के अणु आलू की कोशिकाओं (झिल्ली) से होते हुए बर्तन में मौजूद उच्च जल सांद्रता वाले क्षेत्र (बाहरी शुद्ध जल) से कप के अंदर मौजूद निम्न जल सांद्रता वाले क्षेत्र (चीनी/नमक का घोल) की ओर गति करते हैं। इस प्रकार, कप के खाली भाग में जल एकत्र हो जाता है। यह अल्पपरासरण दाबी विलयन (hypotonic solution) का उदाहरण है, जहाँ जल कोशिका के अंदर जाता है।

(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? उत्तर: कप ‘A’ (खाली आलू का कप) इस प्रयोग के लिए नियंत्रण (control) के रूप में महत्वपूर्ण है।

  • यह हमें यह समझने में मदद करता है कि केवल आलू के कप में पानी डालने से या आलू की प्राकृतिक स्थिति के कारण पानी एकत्र नहीं हो रहा है।
  • यह यह सुनिश्चित करता है कि कप ‘B’ और ‘C’ में पानी का जमाव चीनी या नमक की उपस्थिति और परासरण की प्रक्रिया के कारण हो रहा है, न कि किसी अन्य कारण से। यह प्रयोग की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।

(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ? इसका वर्णन करो। उत्तर:

  • कप ‘A’ (खाली आलू का कप): इस कप में कोई विलेय (चीनी या नमक) नहीं डाला गया था। इसलिए, आलू के कप के अंदर और बाहर के पानी की सांद्रता लगभग समान थी। ऐसे में, परासरण द्वारा जल का कोई शुद्ध प्रवाह (net flow) नहीं हुआ, इसलिए पानी एकत्र नहीं हुआ।
  • कप ‘D’ (उबले आलू में चीनी): उबलने से आलू की कोशिकाओं की कोशिका झिल्ली (cell membrane) क्षतिग्रस्त (damaged) हो जाती है या नष्ट हो जाती है। जब कोशिका झिल्ली नष्ट हो जाती है, तो वह अपनी वर्णात्मक पारगम्यता (selectively permeable nature) खो देती है। इसलिए, परासरण की प्रक्रिया प्रभावी ढंग से नहीं हो पाती। भले ही कप में चीनी डाली गई थी, लेकिन क्षतिग्रस्त झिल्ली के कारण जल के अणु स्वतंत्र रूप से इधर-उधर जा सकते थे और परासरणीय दबाव (osmotic pressure) स्थापित नहीं हो पाया, जिससे पानी एकत्र नहीं हुआ। यह दर्शाता है कि परासरण के लिए एक जीवित और कार्यात्मक अर्धपारगम्य झिल्ली का होना आवश्यक है।

प्रश्न 16: कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु किस प्रकार के कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है तथा इसका औचित्य बताएं?

उत्तर: कायिक वृद्धि (somatic growth) एवं मरम्मत (repair) हेतु सूत्री विभाजन (Mitosis) नामक कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है।

औचित्य (Justification): सूत्री विभाजन में एक मातृ कोशिका (parent cell) विभाजित होकर दो समरूप संतति कोशिकाएँ (two identical daughter cells) बनाती है। इन संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या (chromosome number) मातृ कोशिका के बिल्कुल समान होती है।

  • वृद्धि हेतु: शरीर में कोशिकाओं की संख्या बढ़ाने के लिए सूत्री विभाजन आवश्यक है, जिससे जीव का आकार बढ़ता है।
  • मरम्मत हेतु: पुरानी, मृत (dead) या क्षतिग्रस्त (damaged) कोशिकाओं को बदलने के लिए नई समान कोशिकाओं की आवश्यकता होती है, जो सूत्री विभाजन से ही बनती हैं। यह सुनिश्चित करता है कि ऊतकों (tissues) और अंगों की संरचना और कार्यक्षमता बनी रहे।

प्रश्न 17: युग्मकों के बनने के लिए किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है? इस विभाजन का महत्व बताएं।

उत्तर: युग्मकों (gametes) (जैसे शुक्राणु और अंडाणु) के बनने के लिए अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) नामक कोशिका विभाजन होता है।

महत्व (Significance):

  • गुणसूत्रों की संख्या आधी करना: अर्धसूत्री विभाजन में एक मातृ कोशिका से चार नई कोशिकाएँ बनती हैं, और प्रत्येक नई कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका की तुलना में आधी (half) हो जाती है।
  • लैंगिक प्रजनन में महत्व: यह लैंगिक प्रजनन (sexual reproduction) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब नर और मादा युग्मक (male and female gametes), जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी होती है, निषेचन (fertilization) के दौरान आपस में मिलते हैं, तो युग्मनज (zygote) में गुणसूत्रों की संख्या फिर से सामान्य (द्विगुणित) हो जाती है। यदि युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या आधी नहीं होती, तो हर पीढ़ी में गुणसूत्रों की संख्या दोगुनी होती चली जाती, जिससे जीव में गंभीर आनुवंशिक असामान्यताएँ आ जातीं और प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता।
  • आनुवंशिक विविधता (Genetic Variation): अर्धसूत्री विभाजन के दौरान क्रॉसिंग ओवर (crossing over) जैसी प्रक्रियाएँ होती हैं, जो आनुवंशिक विविधता उत्पन्न करती हैं। यह विविधता प्रजातियों को बदलते वातावरण के अनुकूल बनाने में मदद करती है।

Leave a Comment