MP Board Is Matters Pure Surrounding Us ?
अभ्यास प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित को पृथक् करने के लिए आप किन विधियों को अपनाएँगे?
(a) सोडियम क्लोराइड को जल के विलयन से पृथक् करने में। विधि: वाष्पीकरण (Evaporation)। जल को गर्म करने पर वह वाष्पित हो जाएगा और सोडियम क्लोराइड (नमक) नीचे बर्तन में अवशेष के रूप में बच जाएगा।
(b) अमोनियम क्लोराइड को सोडियम क्लोराइड तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण से पृथक् करने में। विधि: ऊर्ध्वपातन (Sublimation)। अमोनियम क्लोराइड एक ऊर्ध्वपातज पदार्थ है जो गर्म करने पर सीधे ठोस से गैस में बदल जाता है, जबकि सोडियम क्लोराइड ऐसा नहीं करता। मिश्रण को गर्म करने पर अमोनियम क्लोराइड वाष्प बनकर अलग हो जाएगा और ठंडा होकर ठोस के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है।
(c) धातु के छोटे टुकड़े को कार के इंजन ऑयल से पृथक् करने में। विधि: निस्पंदन (Filtration)। इंजन ऑयल में धातु के टुकड़े निलंबित होते हैं। मिश्रण को एक फिल्टर पेपर से गुजारने पर धातु के टुकड़े फिल्टर पेपर पर रह जाएंगे और इंजन ऑयल नीचे इकट्ठा हो जाएगा। (या बड़े टुकड़ों के लिए अवसादन/निस्तारण भी)।
(d) दही से मक्खन निकालने के लिए। विधि: अपकेंद्रण (Centrifugation)। दही को तेजी से मथने या घुमाने पर मक्खन (जो हल्का होता है) ऊपर तैरने लगता है और अलग हो जाता है।
(e) जल से तेल निकालने के लिए। विधि: पृथक्करण कीप का उपयोग (Using Separating Funnel)। तेल और जल अमिश्रणीय द्रव हैं और उनके घनत्व अलग-अलग होते हैं। पृथक्करण कीप में डालने पर तेल (हल्का होने के कारण) जल के ऊपर एक परत बना लेता है, जिसे आसानी से अलग किया जा सकता है।
(f) चाय से चाय की पत्तियों को पृथक् करने में। विधि: निस्पंदन (Filtration) या छानना (Straining)। चाय को छलनी से छानकर चाय की पत्तियों को अलग किया जा सकता है।
(g) बालू से लोहे की पिनों को पृथक् करने में। विधि: चुंबकीय पृथक्करण (Magnetic Separation)। लोहा एक चुंबकीय पदार्थ है जबकि बालू गैर-चुंबकीय। चुंबक को मिश्रण के ऊपर घुमाने पर लोहे की पिनें चुंबक से चिपक जाएंगी।
(h) भूसे से गेहूँ के दानों को पृथक् करने में। विधि: ओसाना (Winnowing)। इस विधि में हवा का उपयोग किया जाता है। मिश्रण को ऊपर से गिराया जाता है, तो भारी गेहूँ के दाने सीधे नीचे गिरते हैं, जबकि हल्का भूसा हवा के साथ उड़कर अलग हो जाता है।
(i) पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कण को पानी से अलग करने के लिए। विधि: अवसादन (Sedimentation) और निस्तारण (Decantation), या अपकेंद्रण (Centrifugation)। महीन मिट्टी के कणों को नीचे बैठने के लिए छोड़ दिया जाता है (अवसादन), फिर साफ पानी को ऊपर से उड़ेल लिया जाता है (निस्तारण)। बहुत महीन कणों के लिए अपकेंद्रण अधिक प्रभावी होगा।
(j) पुष्प की पंखुड़ियों के निचोड़ से विभिन्न रंजकों को पृथक् करने में। विधि: क्रोमैटोग्राफी (Chromatography)। इस विधि का उपयोग उन पदार्थों को अलग करने के लिए किया जाता है जो एक ही विलायक में घुलनशील होते हैं लेकिन उनकी घुलनशीलता या अधिशोषण क्षमता भिन्न होती है।
2. नमक, चीनी तथा रेत के मिश्रण से चीनी तथा नमक को कैसे पृथक् करेंगे?
यह प्रश्न अधूरा प्रतीत होता है, इसमें नमक, चीनी तथा रेत के मिश्रण से केवल चीनी और नमक को पृथक करने के लिए पूछा गया है, जबकि रेत को अलग करने का उल्लेख नहीं है। फिर भी, मैं मानकर चल रहा हूँ कि तीनों को अलग करना है, और चरणों को व्यवस्थित रूप से समझा रहा हूँ:
नमक, चीनी तथा रेत के मिश्रण से चीनी, नमक और रेत को पृथक् करने के चरण:
- रेत को अलग करना (घुलनशीलता के आधार पर):
- सबसे पहले, मिश्रण को एक बीकर में डालें और उसमें पर्याप्त मात्रा में पानी (विलायक) डालकर अच्छी तरह हिलाएं।
- चीनी और नमक पानी में घुलनशील होते हैं और विलयन (Solution) बनाएंगे।
- रेत पानी में अघुलनशील होती है और यह पानी में निलंबित (Suspended) रहेगी।
- मिश्रण को कुछ देर शांत छोड़ दें ताकि रेत के कण बीकर की तली में अवशेष (Residue) के रूप में बैठ जाएं।
- अब, निस्तारण (Decantation) विधि का उपयोग करके सावधानीपूर्वक नमक और चीनी युक्त पानी के विलयन को रेत से अलग कर लें। आप निस्पंदन (Filtration) का भी उपयोग कर सकते हैं ताकि रेत के सभी महीन कण पूरी तरह से अलग हो जाएं। जो द्रव फिल्टर पेपर से गुजरेगा वह फ़िल्ट्रेट (Filtrate) कहलाएगा, जिसमें चीनी और नमक घुले होंगे।
- चीनी और नमक को अलग करना (क्रिस्टलीकरण द्वारा):
- रेत से अलग किए गए नमक और चीनी के विलयन (फ़िल्ट्रेट) को एक चाइना डिश में लें और इसे धीरे-धीरे गर्म करें।
- गर्म करने पर पानी वाष्पीकृत (Vaporized) होगा, जिससे विलयन की सांद्रता बढ़ेगी।
- जब विलयन संतृप्त अवस्था में आ जाए और चीनी के क्रिस्टल बनने लगें, तो गर्म करना बंद कर दें।
- चीनी की घुलनशीलता नमक की तुलना में अधिक होती है और यह सामान्य तापमान पर नमक की तुलना में बड़े क्रिस्टल बनाती है। विलयन को ठंडा होने दें। चीनी पहले क्रिस्टलीकृत हो जाएगी।
- चीनी के क्रिस्टल को निस्पंदन द्वारा अलग कर लें।
- अब बचे हुए द्रव (जिसमें मुख्य रूप से नमक और कुछ बचा हुआ पानी होगा) को फिर से गर्म करें और पानी को पूरी तरह से वाष्पीकृत होने दें। बर्तन की तली में नमक का अवशेष बचेगा।
इस प्रकार, हम मिश्रण से रेत, चीनी और नमक को अलग-अलग प्राप्त कर सकते हैं।
3.
(a) 50g जल में 313 K पर पोटैशियम नाइट्रेट के संतृप्त विलयन को प्राप्त करने हेतु कितने ग्राम पोटेशियम नाइट्रेट की आवश्यकता होगी? (नोट: इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए हमें 313 K पर पोटैशियम नाइट्रेट की घुलनशीलता का डेटा चाहिए, जो सामान्यतः एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक के भीतर दी गई सारणी में मिलता है। मान लेते हैं कि 313 K पर पोटैशियम नाइट्रेट की घुलनशीलता लगभग 62 g प्रति 100 g जल है।)
उत्तर: दिए गए तापमान (313 K) पर, 100 ग्राम जल में पोटैशियम नाइट्रेट की घुलनशीलता लगभग 62 ग्राम होती है। इसका अर्थ है कि 100 ग्राम जल को संतृप्त करने के लिए 62 ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट की आवश्यकता होती है।
तो, 50 ग्राम जल में पोटैशियम नाइट्रेट की आवश्यक मात्रा होगी: मात्रा=(100 g जल62 g)×50 g जल मात्रा=31 ग्राम
अतः, 50g जल में 313 K पर पोटैशियम नाइट्रेट का संतृप्त विलयन प्राप्त करने हेतु 31 ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट की आवश्यकता होगी।
(b) प्रज्ञा 353 K पर पोटैशियम क्लोराइड का एक संतृप्त विलयन तैयार करती है और विलयन को कमरे के तापमान पर ठंडा होने के लिए छोड़ देती है। जब विलयन ठंडा होगा तो वह क्या अवलोकित करेगी? स्पष्ट करें। उत्तर: जब प्रज्ञा 353 K (जो कि कमरे के तापमान से अधिक है) पर पोटैशियम क्लोराइड का संतृप्त विलयन तैयार करके उसे कमरे के तापमान पर ठंडा होने देगी, तो वह पोटैशियम क्लोराइड के क्रिस्टल को विलयन से अलग होते हुए (क्रिस्टलीकृत होते हुए) देखेगी।
स्पष्टीकरण: अधिकांश ठोस पदार्थों की घुलनशीलता तापमान बढ़ने पर बढ़ती है और तापमान कम होने पर घटती है। 353 K पर विलयन संतृप्त था, जिसका अर्थ है कि उस तापमान पर विलायक में अधिकतम पोटैशियम क्लोराइड घुला हुआ था। जैसे ही विलयन ठंडा होता है, पोटैशियम क्लोराइड की घुलनशीलता कम हो जाती है। क्योंकि अब कम तापमान पर उतनी मात्रा में पोटैशियम क्लोराइड नहीं घुल सकता जितनी कि उच्च तापमान पर घुली हुई थी, अतिरिक्त पोटैशियम क्लोराइड विलयन से बाहर निकलकर क्रिस्टल के रूप में अलग हो जाएगा।
(c) 293K पर प्रत्येक लवण की घुलनशीलता का परिकलन करें। इस तापमान पर कौन-सा लवण सबसे अधिक घुलनशील होगा? (नोट: इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए हमें 293 K पर विभिन्न लवणों (जैसे पोटैशियम नाइट्रेट, सोडियम क्लोराइड, पोटैशियम क्लोराइड, अमोनियम क्लोराइड) की घुलनशीलता का डेटा चाहिए, जो एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक में दिया गया है। मैं यहाँ सामान्य मानों का उपयोग कर रहा हूँ जो आमतौर पर उस सारणी में पाए जाते हैं।)
उत्तर: 293 K पर विभिन्न लवणों की घुलनशीलता (लगभग प्रति 100g जल में):
- पोटैशियम नाइट्रेट: लगभग 32 g
- सोडियम क्लोराइड: लगभग 36 g
- पोटैशियम क्लोराइड: लगभग 35 g
- अमोनियम क्लोराइड: लगभग 37 g
इस तापमान (293 K) पर, अमोनियम क्लोराइड सबसे अधिक घुलनशील होगा क्योंकि इसकी घुलनशीलता का मान अन्य दिए गए लवणों की तुलना में सर्वाधिक है।
(d) तापमान में परिवर्तन से लवण की घुलनशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर: तापमान में परिवर्तन का लवण की घुलनशीलता पर सामान्यतः सीधा प्रभाव पड़ता है।
- तापमान बढ़ने पर: अधिकांश ठोस लवणों की जल में घुलनशीलता बढ़ती है। (उदाहरण: गर्म पानी में चीनी ज्यादा घुलती है।)
- तापमान घटने पर: अधिकांश ठोस लवणों की जल में घुलनशीलता घटती है। (उदाहरण: ठंडा होने पर संतृप्त घोल से क्रिस्टल बनते हैं।)
हालांकि, कुछ अपवाद भी होते हैं जहां तापमान बढ़ने पर घुलनशीलता घट सकती है (जैसे कैल्शियम सल्फेट)। लेकिन सामान्य प्रवृत्ति यही है कि तापमान बढ़ने पर घुलनशीलता बढ़ती है।
4. निम्न की उदाहरण सहित व्याख्या करें:
(a) संतृप्त विलयन (Saturated Solution) व्याख्या: एक संतृप्त विलयन वह विलयन होता है जिसमें एक निश्चित तापमान पर और अधिक विलेय नहीं घोला जा सकता। इसका अर्थ है कि विलायक में विलेय की अधिकतम संभव मात्रा घुल चुकी होती है। यदि आप उस तापमान पर और विलेय डालने का प्रयास करेंगे, तो वह नीचे बैठ जाएगा (घुलेगा नहीं)। उदाहरण: यदि आप कमरे के तापमान पर पानी में चीनी मिलाते रहते हैं, तो एक बिंदु ऐसा आएगा जब चीनी घुलना बंद कर देगी और नीचे जमा होने लगेगी। उस बिंदु पर प्राप्त विलयन संतृप्त विलयन कहलाता है।
(b) शुद्ध पदार्थ (Pure Substance) व्याख्या: एक शुद्ध पदार्थ वह पदार्थ होता है जिसके सभी कण समान रासायनिक प्रकृति के होते हैं। इसके कणों की रासायनिक संरचना और गुण हर जगह एक समान होते हैं। शुद्ध पदार्थों को भौतिक विधियों द्वारा अलग नहीं किया जा सकता। इन्हें तत्वों और यौगिकों में वर्गीकृत किया जाता है। उदाहरण:
- तत्व: सोना (Gold), ऑक्सीजन (Oxygen), लोहा (Iron) – ये एक ही प्रकार के परमाणुओं से बने होते हैं।
- यौगिक: जल (Water – H₂O), कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), नमक (NaCl) – ये दो या दो से अधिक तत्वों के रासायनिक संयोजन से निश्चित अनुपात में बने होते हैं।
(c) कोलाइड (Colloid) व्याख्या: कोलाइडल विलयन (या कोलाइड) एक विषमांगी मिश्रण होता है जो देखने में समांगी लगता है। इसमें कणों का आकार विलयन के कणों से बड़ा (1 nm से 100 nm के बीच) लेकिन निलंबन के कणों से छोटा होता है। ये कण प्रकाश की किरण को फैलाते हैं (टिंडल प्रभाव प्रदर्शित करते हैं) लेकिन छानने पर अलग नहीं होते। उदाहरण: दूध, स्याही, रक्त, धुंध, जेली।
(d) निलंबन (Suspension) व्याख्या: निलंबन एक विषमांगी मिश्रण होता है जिसमें ठोस कण किसी द्रव में निलंबित (फैले हुए) रहते हैं लेकिन घुलते नहीं हैं। ये कण नंगी आँखों से देखे जा सकते हैं और प्रकाश की किरण को फैलाते हैं। निलंबन अस्थायी होते हैं, अर्थात शांत छोड़ देने पर ठोस कण नीचे बैठ जाते हैं। उदाहरण: मिट्टी और पानी का मिश्रण, चाक पाउडर और पानी का मिश्रण।
5. निम्नलिखित में से प्रत्येक को समांगी और विषमांगी मिश्रणों में वर्गीकृत करें:
- सोडा जल: समांगी मिश्रण (पानी में कार्बन डाइऑक्साइड गैस घुली हुई है)
- लकड़ी: विषमांगी मिश्रण (इसमें विभिन्न फाइबर, रेशे और घटक असमान रूप से वितरित होते हैं)
- बर्फ़: समांगी पदार्थ (यह शुद्ध जल का ठोस रूप है, हालाँकि कभी-कभी इसे मिश्रण का हिस्सा माना जा सकता है यदि इसमें अशुद्धियाँ हों। लेकिन शुद्ध बर्फ एक शुद्ध पदार्थ है, मिश्रण नहीं)। यदि विकल्प के रूप में पूछा जाए, तो यह एक शुद्ध पदार्थ (यौगिक) है।
- वायु: समांगी मिश्रण (विभिन्न गैसों का मिश्रण जिसमें घटक समान रूप से वितरित होते हैं)
- मिट्टी: विषमांगी मिश्रण (इसमें रेत, मिट्टी के कण, ह्यूमस, पत्थर आदि होते हैं जो असमान रूप से वितरित होते हैं)
- सिरका: समांगी मिश्रण (पानी में एसिटिक एसिड का घोल)
- छनी हुई चाय: समांगी मिश्रण (पत्तियों को छानने के बाद, चाय का घोल एक समान होता है, हालांकि अगर बहुत महीन कण बचे हों तो यह कोलाइडल या विषमांगी भी हो सकता है, लेकिन सामान्यतः इसे समांगी माना जाता है)।
6. आप किस प्रकार पुष्टि करेंगे कि दिया हुआ रंगहीन द्रव शुद्ध जल है?
उत्तर: किसी दिए गए रंगहीन द्रव के शुद्ध जल होने की पुष्टि करने का सबसे अच्छा तरीका उसका क्वथनांक (Boiling Point) ज्ञात करना है।
विधि:
- दिए गए रंगहीन द्रव को एक परखनली में लेकर उसे धीरे-धीरे गर्म करें।
- एक थर्मामीटर को परखनली में इस प्रकार डालें कि उसका बल्ब द्रव में डूबा रहे, लेकिन परखनली की तली या दीवारों को न छुए।
- तापमान को नोट करें जब द्रव उबलना शुरू करे और लगातार भाप में बदल रहा हो।
- यदि द्रव का क्वथनांक 100°C (या 373 K) पर स्थिर रहता है और यह पूरी तरह से वाष्प में बदल जाता है, तो यह पुष्टि करता है कि द्रव शुद्ध जल है।
कारण: शुद्ध पदार्थ का क्वथनांक एक निश्चित तापमान पर स्थिर रहता है। यदि द्रव में कोई अशुद्धि होगी, तो उसका क्वथनांक 100°C से भिन्न होगा (या तो अधिक या कम) और उबलते समय तापमान स्थिर नहीं रहेगा, या वह एक विस्तृत ताप परिसर पर उबलेगा।
7. निम्नलिखित में से कौन-सी वस्तुएँ शुद्ध पदार्थ हैं?
शुद्ध पदार्थ: वे पदार्थ जिनके सभी कण समान रासायनिक प्रकृति के होते हैं। (इसमें तत्व और यौगिक दोनों शामिल हैं)।
(a) बर्फ: शुद्ध पदार्थ (यह जल का ठोस रूप है, जो एक यौगिक है) (b) दूध: मिश्रण (पानी, वसा, प्रोटीन आदि का विषमांगी/कोलाइडल मिश्रण) (c) लोहा: शुद्ध पदार्थ (यह एक तत्व है) (d) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल: शुद्ध पदार्थ (यह एक यौगिक है) (e) कैल्सियम ऑक्साइड: शुद्ध पदार्थ (यह एक यौगिक है) (f) पारा: शुद्ध पदार्थ (यह एक तत्व है) (g) ईंट: मिश्रण (विभिन्न खनिजों, मिट्टी आदि का विषमांगी मिश्रण) (h) लकड़ी: मिश्रण (विभिन्न कार्बनिक यौगिकों, फाइबर आदि का विषमांगी मिश्रण) (i) वायु: मिश्रण (विभिन्न गैसों का समांगी मिश्रण)
शुद्ध पदार्थ हैं: बर्फ, लोहा, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, कैल्सियम ऑक्साइड, पारा।
8. निम्नलिखित मिश्रणों में से विलयन की पहचान करें।
विलयन: एक समांगी मिश्रण।
(a) मिट्टी: मिश्रण (विषमांगी) (b) समुद्री जल: विलयन (पानी में विभिन्न लवण घुले होते हैं, यह एक समांगी मिश्रण है) (c) वायु: विलयन (विभिन्न गैसों का समांगी मिश्रण) (d) कोयला: मिश्रण (विषमांगी) (e) सोडा जल: विलयन (पानी में कार्बन डाइऑक्साइड गैस घुली होती है, यह एक समांगी मिश्रण है)
विलयन हैं: समुद्री जल, वायु, सोडा जल।
9. निम्नलिखित में से कौन टिंडल प्रभाव को प्रदर्शित करेगा?
टिंडल प्रभाव: कोलाइडल विलयन और निलंबन के कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन। शुद्ध विलयन टिंडल प्रभाव प्रदर्शित नहीं करते।
(a) नमक का घोल: नहीं (यह एक शुद्ध विलयन है) (b) दूध: हाँ (यह एक कोलाइडल विलयन है) (c) कॉपर सल्फेट का विलयन: नहीं (यह एक शुद्ध विलयन है) (d) स्टार्च विलयन: हाँ (यह एक कोलाइडल विलयन है)
टिंडल प्रभाव प्रदर्शित करेंगे: दूध, स्टार्च विलयन।
10. निम्नलिखित को तत्व, यौगिक तथा मिश्रण में वर्गीकृत करें:
- सोडियम: तत्व
- मिट्टी: मिश्रण (विषमांगी)
- चीनी का घोल: मिश्रण (समांगी, यह एक विलयन है)
- चाँदी: तत्व
- कैल्सियम कार्बोनेट: यौगिक
- टिन: तत्व
- सिलिकन: तत्व
- कोयला: मिश्रण (कार्बन और अन्य पदार्थों का विषमांगी मिश्रण)
- वायु: मिश्रण (समांगी)
- साबुन: यौगिकों का मिश्रण (यह एक जटिल पदार्थ है जिसमें विभिन्न फैटी एसिड लवण होते हैं, आमतौर पर मिश्रण के रूप में वर्गीकृत)
- मीथेन: यौगिक (CH₄)
- कार्बन डाइऑक्साइड: यौगिक (CO₂)
- रक्त: मिश्रण (यह एक कोलाइडल विलयन है जिसमें प्लाज्मा, रक्त कोशिकाएं आदि होती हैं)
वर्गीकरण सारणी:
तत्व | यौगिक | मिश्रण |
सोडियम | कैल्सियम कार्बोनेट | मिट्टी |
चाँदी | मीथेन | चीनी का घोल |
टिन | कार्बन डाइऑक्साइड | कोयला |
सिलिकन | वायु | |
साबुन | ||
रक्त |
11. निम्नलिखित में से कौन-कौन से परिवर्तन रासायनिक हैं?
रासायनिक परिवर्तन: वे परिवर्तन जिनमें नए पदार्थ बनते हैं और पदार्थ की रासायनिक पहचान बदल जाती है। ये अक्सर अनुत्क्रमणीय होते हैं।
(a) पौधों की वृद्धि: रासायनिक परिवर्तन (जटिल जैविक प्रक्रियाओं के कारण नए पदार्थ बनते हैं) (b) लोहे में जंग लगना: रासायनिक परिवर्तन (लोहा ऑक्सीजन और पानी से अभिक्रिया कर नए पदार्थ – लोहे के ऑक्साइड – बनाता है) (c) लोहे के चूर्ण तथा बालू को मिलाना: भौतिक परिवर्तन (कोई नया पदार्थ नहीं बनता, केवल मिश्रण बनता है) (d) खाना पकाना: रासायनिक परिवर्तन (भोजन के घटकों की रासायनिक संरचना बदल जाती है) (e) भोजन का पाचन: रासायनिक परिवर्तन (जटिल खाद्य पदार्थों का सरल पदार्थों में टूटना) (f) जल से बर्फ़ बनना: भौतिक परिवर्तन (केवल अवस्था बदलती है, रासायनिक पहचान वही रहती है – H₂O) (g) मोमबत्ती का जलना: रासायनिक परिवर्तन (मोम जलकर कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनाता है; साथ ही, मोम का पिघलना एक भौतिक परिवर्तन है, लेकिन जलना एक रासायनिक परिवर्तन है)
रासायनिक परिवर्तन हैं: पौधों की वृद्धि, लोहे में जंग लगना, खाना पकाना, भोजन का पाचन, मोमबत्ती का जलना।