MP Board Class 9 Subject Hindi Diary Gadya Vidha :
गद्य की विधाओं में डायरी: एक आत्मीय दर्पण
हिंदी साहित्य की गद्य विधाएँ विचारों, भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करने के लिए विविध मार्ग प्रदान करती हैं। कहानी, निबंध, एकांकी, यात्रा वृत्तांत, संस्मरण, व्यंग्य—ये सभी अपनी-अपनी विशेषताएँ रखते हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत निजी, आत्मीय और सरल विधा है ‘डायरी‘। डायरी लेखन सिर्फ एक साहित्यिक रूप नहीं, बल्कि स्वयं से संवाद करने, अपने जीवन को समझने और अपनी स्मृतियों को सहेजने का एक सशक्त माध्यम भी है। यह एक ऐसा दर्पण है जिसमें व्यक्ति अपनी दिनचर्या, अपने विचारों और अपनी भावनाओं का सच्चा प्रतिबिंब देख पाता है।
डायरी क्या है?
‘डायरी’ शब्द अंग्रेजी के ‘डे’ (day) शब्द से बना है, जिसका अर्थ है ‘दिन’। इस प्रकार, डायरी का शाब्दिक अर्थ है ‘दैनिक लेखा-जोखा’ या ‘दैनंदिनी’। यह गद्य साहित्य की वह विधा है जिसमें कोई व्यक्ति अपने दिन-प्रतिदिन के अनुभवों, घटनाओं, विचारों, भावनाओं और मुलाकातों को तिथि (तारीख) के अनुसार नियमित रूप से लिखता है। यह लेखन किसी और के लिए नहीं, बल्कि स्वयं लेखक के लिए होता है। यही कारण है कि डायरी में लेखक बिना किसी संकोच, बनावट या लाग-लपेट के अपनी अंतरंग बातों को ईमानदारी से दर्ज करता है।
डायरी को आप एक निजी दोस्त की तरह समझ सकते हैं, जिससे आप वह सब कह सकते हैं जो शायद किसी और से न कह पाएँ। इसमें कोई औपचारिकता नहीं होती, कोई साहित्यिक शैली का बंधन नहीं होता; लेखक अपनी सहज भाषा में जो मन में आता है, लिखता चला जाता है।
डायरी की प्रमुख विशेषताएँ:
- व्यक्तिगतता और आत्मीयता: यह डायरी का सबसे महत्वपूर्ण गुण है। डायरी लेखन पूर्णतः व्यक्तिगत होता है। लेखक अपने अंतरंग, निजी और गुप्त विचारों को इसमें दर्ज करता है। इसमें किसी पाठक या श्रोता का ध्यान नहीं रखा जाता।
- तिथिबद्धता (Date-wise): डायरी की प्रत्येक प्रविष्टि एक विशिष्ट तिथि (तारीख) के साथ की जाती है। यह इसकी अनिवार्य शर्त है, जिससे लेखक अपने अनुभवों के कालक्रम को याद रख सके।
- तात्कालिकता: डायरी की प्रविष्टियाँ प्रायः घटनाओं के घटित होने या अनुभव के तुरंत बाद लिखी जाती हैं। इससे विचारों और भावनाओं में ताजगी और यथार्थता बनी रहती है।
- सत्यता और ईमानदारी: डायरी में लेखक पूर्ण ईमानदारी के साथ अपनी सच्ची भावनाओं, विचारों और अनुभवों को लिखता है। इसमें बनावटीपन या दिखावा नहीं होता, क्योंकि यह किसी को प्रभावित करने के लिए नहीं लिखी जाती।
- अनौपचारिकता और सहजता: डायरी की भाषा और शैली पूर्णतः अनौपचारिक और सहज होती है। इसमें व्याकरण या साहित्यिक नियमों का कठोरता से पालन नहीं किया जाता। लेखक अपनी इच्छानुसार किसी भी प्रकार की भाषा का प्रयोग कर सकता है।
- आत्म-संवाद: डायरी लेखन एक प्रकार का आत्म-संवाद है। लेखक अपने आप से बातें करता है, अपने विचारों को स्पष्ट करता है और अपने अनुभवों पर चिंतन करता है।
डायरी लेखन का उद्देश्य और महत्व
डायरी लेखन का महत्व केवल साहित्यिक ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत, मनोवैज्ञानिक और कभी-कभी ऐतिहासिक भी होता है। इसके कई उद्देश्य और लाभ हैं:
- आत्म-चिंतन और आत्म-मूल्यांकन: डायरी लिखने से व्यक्ति अपने दिनभर के कार्यों, निर्णयों, सफलताओं और असफलताओं पर विचार कर पाता है। यह उसे आत्म-मूल्यांकन का अवसर देता है और भविष्य के लिए सीखने में मदद करता है।
- स्मृति को सहेजना: मानव की याददाश्त सीमित होती है। डायरी में दर्ज की गई घटनाएँ और अनुभव समय के साथ धुँधले नहीं पड़ते। यह जीवन की महत्वपूर्ण स्मृतियों, खुशियों और सीखों को सहेजने का एक स्थायी तरीका है।
- भावनात्मक अभिव्यक्ति और तनाव मुक्ति: डायरी भावनाओं को व्यक्त करने का एक सुरक्षित और निजी माध्यम है। व्यक्ति इसमें अपनी निराशा, गुस्सा, खुशी, डर या किसी भी भावना को बिना किसी डर के व्यक्त कर सकता है। यह भावनात्मक दबाव को कम करने और मानसिक तनाव से मुक्ति पाने में सहायक होता है।
- व्यक्तिगत विकास: नियमित डायरी लेखन से व्यक्ति अपने सोचने के तरीके, अपनी प्रतिक्रियाओं और अपनी प्रगति को समझ पाता है। यह उसकी समझदारी और व्यक्तिगत विकास में सहायक होता है।
- समस्या समाधान: जब व्यक्ति किसी समस्या से जूझ रहा होता है, तो उसे डायरी में लिखने से उसके विचार स्पष्ट होते हैं। समस्याओं को शब्दों में ढालने से अक्सर उनका समाधान भी सूझ जाता है।
- सृजनात्मकता का पोषण: लिखने की आदत से व्यक्ति की अवलोकन क्षमता (चीजों को ध्यान से देखने की शक्ति) और अभिव्यक्ति क्षमता (अपनी बात कहने की शक्ति) बढ़ती है। यह उसकी सृजनात्मकता को बढ़ावा देता है, खासकर लेखकों, कवियों और कलाकारों के लिए।
- ऐतिहासिक और सामाजिक दस्तावेज़: हालाँकि डायरी मूलतः व्यक्तिगत होती है, यदि कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति (जैसे राजनेता, वैज्ञानिक, साहित्यकार) डायरी लिखता है, तो वह उसके जीवन के साथ-साथ उस कालखंड के समाज, राजनीति, संस्कृति और महत्वपूर्ण घटनाओं का एक अनमोल और विश्वसनीय दस्तावेज़ बन जाती है। इससे भावी पीढ़ियों को उस समय की वास्तविक स्थिति समझने में मदद मिलती है।
- मनोवैज्ञानिक लाभ: मनोवैज्ञानिक रूप से, डायरी लिखना एक प्रकार की ‘कथार्सिस’ (मनोभावों की शुद्धि) प्रदान करता है। यह व्यक्ति को अपने मन की बातों को बाहर निकालने का अवसर देता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
डायरी के प्रकार
डायरी को विभिन्न आधारों पर कई प्रकारों में बाँटा जा सकता है:
- व्यक्तिगत डायरी (Personal Diary): यह सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें व्यक्ति अपने दैनिक जीवन की घटनाओं, विचारों, भावनाओं और व्यक्तिगत अनुभूतियों को दर्ज करता है। इसका मुख्य उद्देश्य आत्म-चिंतन और स्मृति को सहेजना होता है।
- यात्रा डायरी (Travel Diary): जब कोई व्यक्ति अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों, दृश्यों, लोगों और अनुभवों का तिथिबद्ध विवरण लिखता है, तो उसे यात्रा डायरी कहते हैं। यह यात्रा वृत्तांत से अधिक निजी और तात्कालिक होती है।
- साहित्यिक डायरी (Literary Diary): लेखकों, कवियों और कलाकारों द्वारा लिखी गई डायरी को साहित्यिक डायरी कहते हैं। इसमें वे अपनी रचना प्रक्रिया, साहित्यिक विचार, प्रेरणाएँ, अध्ययन, समकालीन साहित्य पर टिप्पणियाँ और निजी जीवन के ऐसे अनुभव लिखते हैं जो उनके लेखन को प्रभावित करते हैं।
- युद्ध डायरी/आपदा डायरी (War/Disaster Diary): युद्ध या किसी बड़ी आपदा (जैसे भूकंप, महामारी) के दौरान लिखी गई डायरियाँ इन विशेष परिस्थितियों का प्रत्यक्ष और मार्मिक विवरण प्रस्तुत करती हैं। ये ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं।
- वैज्ञानिक/अनुसंधान डायरी (Scientific/Research Diary): वैज्ञानिक या शोधकर्ता अपने प्रयोगों, अवलोकनों, डेटा और निष्कर्षों को तिथिबद्ध रूप से इसमें दर्ज करते हैं। यह उनके शोध कार्य का एक महत्वपूर्ण रिकॉर्ड होता है।
- प्रकाशित डायरी: कुछ डायरियाँ, जो मूलतः निजी उपयोग के लिए लिखी जाती हैं, बाद में उनके साहित्यिक मूल्य, ऐतिहासिक महत्व या लेखक की प्रसिद्धि के कारण प्रकाशित की जाती हैं।
- अप्रकाशित डायरी: अधिकांश डायरियाँ निजी ही रहती हैं और कभी प्रकाशित नहीं होतीं।
हिंदी साहित्य में डायरी विधा
हिंदी साहित्य में डायरी लेखन की परंपरा अपेक्षाकृत नवीन है, लेकिन इसने धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई है। शुरू में इसे साहित्य की एक स्वतंत्र विधा के रूप में कम देखा जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इसके साहित्यिक मूल्य को समझा गया।
प्रमुख हिंदी डायरीकार और उनकी रचनाएँ:
- हरिवंश राय बच्चन: इन्हें हिंदी में डायरी विधा को स्थापित करने वाले प्रमुख लेखकों में से एक माना जाता है। उनकी ‘प्रवासी की डायरी’ (लंदन प्रवास के अनुभव), ‘दशद्वार से सोपान तक’ (जो उनकी आत्मकथा के अंश भी हैं), और ‘एक चक्र पूरा होने तक’ अत्यंत प्रसिद्ध डायरियाँ हैं। इनमें उनके गहन आत्म-विश्लेषण और साहित्यिक चिंतन की झलक मिलती है।
- मोहन राकेश: ‘मोहन राकेश की डायरी’ एक महत्वपूर्ण प्रकाशित डायरी है। इसमें उनके रचनात्मक संघर्षों, निजी जीवन की उलझनों और कलात्मक दृष्टिकोण का अंतरंग चित्रण मिलता है। यह साहित्य प्रेमियों को लेखक के मानस में झाँकने का अवसर देती है।
- घनश्यामदास बिड़ला: इनकी ‘डायरी के पन्ने’ अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें उन्होंने महात्मा गांधी के साथ बिताए गए पल, उनके विचार और उस कालखंड की महत्वपूर्ण घटनाओं का विश्वसनीय और आत्मीय वर्णन किया है। यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी है।
- धीरेन्द्र वर्मा: उनकी ‘मेरी कॉलेज डायरी’ एक छात्र के कॉलेज जीवन के अनुभवों, विचारों और भावनाओं को दर्शाती है।
- श्रीराम शर्मा: ‘सेवाग्राम की डायरी’ में उन्होंने सेवाग्राम आश्रम के जीवन, गाँधीवादी विचारों और वहाँ के अनुभवों का वर्णन किया है।
- अज्ञेय: अज्ञेय की कुछ यात्रा रचनाओं और व्यक्तिगत लेखों में डायरी के अंश मिलते हैं, जो उनके विचारों और अनुभवों की गहराई को दर्शाते हैं।
- रमेश चंद्र शाह: उनके ‘डायरी’ शीर्षक से प्रकाशित अंशों में समकालीन जीवन और साहित्य पर उनके सूक्ष्म चिंतन मिलते हैं।
हिंदी साहित्य में डायरी का महत्व:
- अंतरंग दर्शन: डायरी हमें किसी लेखक, विचारक या महत्वपूर्ण व्यक्ति के अंतरंग जीवन, उसके निजी विचारों और भावनाओं का सीधा दर्शन कराती है, जो उसकी आत्मकथा या अन्य रचनाओं में शायद पूरी तरह न मिले।
- कालखंड का सूक्ष्म चित्रण: यदि लेखक जागरूक और संवेदनशील हो, तो उसकी डायरी किसी विशेष कालखंड की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और साहित्यिक परिस्थितियों का सूक्ष्म और प्रामाणिक चित्रण बन जाती है।
- सृजन प्रक्रिया का बोध: लेखकों की डायरियाँ उनकी सृजन प्रक्रिया, प्रेरणा के स्रोतों, रचनाओं के पीछे के विचारों और उनके मानसिक संघर्षों को समझने में सहायक होती हैं।
- भाषा की सहजता का विकास: डायरी लेखन ने हिंदी गद्य में सहजता, अनौपचारिकता और बेबाकी को बढ़ावा दिया है, क्योंकि इसमें साहित्यिक अलंकरणों की आवश्यकता नहीं होती।
- आत्मकथा और संस्मरण की पूरक: कई बार डायरियाँ आत्मकथा या संस्मरण के लिए कच्ची सामग्री का काम करती हैं, या उनके पूरक के रूप में कार्य करती हैं।
डायरी कैसे लिखें? (विद्यार्थियों के लिए कुछ सुझाव)
कक्षा 9वीं के विद्यार्थियों के लिए डायरी लिखना एक बहुत ही उपयोगी आदत साबित हो सकती है। यहाँ कुछ सरल सुझाव दिए गए हैं:
- नियमितता: हर दिन (या कम से कम सप्ताह में कुछ दिन) सोने से पहले कुछ मिनट निकालकर डायरी लिखें।
- ईमानदारी: डायरी आपकी अपनी है, इसलिए इसमें पूरी तरह ईमानदार रहें। वही लिखें जो आपने सचमुच अनुभव किया या महसूस किया।
- तिथि का उल्लेख: हमेशा तारीख लिखना न भूलें। इससे आपको बाद में अपने अनुभवों को कालक्रमानुसार समझने में मदद मिलेगी।
- क्या-क्या लिखें: आप कुछ भी लिख सकते हैं –
- दिनभर की मुख्य घटनाएँ।
- किसी व्यक्ति से हुई बातचीत या मुलाकात।
- कोई नया विचार जो मन में आया हो।
- कोई प्रश्न जो आपको परेशान कर रहा हो।
- अपनी खुशी, गुस्सा, डर या किसी भी भावना का वर्णन।
- आज आपने क्या सीखा?
- आज की सबसे अच्छी या सबसे बुरी बात क्या थी?
- भाषा की स्वतंत्रता: किसी व्याकरण या शैली के बंधन में न बँधें। जैसी भाषा आपको सहज लगे, वैसे ही लिखें। यह आपकी अपनी अभिव्यक्ति है।
- सुरक्षा और गोपनीयता: अपनी डायरी को सुरक्षित रखें और उसे किसी और को न दिखाएँ, जब तक आप खुद न चाहें। यह आपकी निजी दुनिया है।
निष्कर्ष
डायरी गद्य की एक अनूठी और आत्मीय विधा है। यह केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि लेखक के अंतर्मन का सच्चा प्रतिबिंब है। इसका महत्व व्यक्तिगत आत्म-विकास से लेकर सामाजिक और ऐतिहासिक दस्तावेज़ीकरण तक फैला हुआ है। हिंदी साहित्य में डायरी लेखन ने लेखकों के निजी जीवन और उनके सृजन के अंतरंग पहलुओं को उजागर किया है। आज के डिजिटल युग में भले ही हम मोबाइल या कंप्यूटर पर नोट्स लेते हों, लेकिन हाथ से लिखी गई डायरी का अपना एक अलग charm और महत्व है। विद्यार्थियों के लिए डायरी लेखन एक मूल्यवान आदत है, जो उन्हें स्वयं को समझने, भावनाओं को व्यक्त करने और अपनी यादों को सहेजने में मदद करती है। यह उन्हें भविष्य में एक बेहतर लेखक, विचारक और अधिक आत्म-जागरूक व्यक्ति बनने की दिशा में पहला कदम उठाने में भी सहायक होती है।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) – डायरी गद्य विधा
‘डायरी’ गद्य विधा पर आधारित 25 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) उनके उत्तरों के साथ दिए गए हैं, जो कक्षा 9वीं के छात्रों के लिए परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण और उपयोगी होंगे:
निर्देश: सही विकल्प का चयन कीजिए।
- ‘डायरी’ शब्द किस अंग्रेजी शब्द से बना है? (अ) Dream (ब) Day (स) Dark (द) Do
उत्तर: (ब) Day
- डायरी गद्य साहित्य की वह विधा है जिसमें लेखक अपने अनुभवों को कैसे लिखता है? (अ) केवल कल्पना के आधार पर (ब) तिथि (तारीख) के अनुसार नियमित रूप से (स) केवल साहित्यिक शैली में (द) दूसरों को सुनाने के उद्देश्य से
उत्तर: (ब) तिथि (तारीख) के अनुसार नियमित रूप से
- डायरी लेखन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है? (अ) लंबी और विस्तृत होना (ब) दूसरों को प्रभावित करना (स) व्यक्तिगतता और आत्मीयता (द) केवल ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन
उत्तर: (स) व्यक्तिगतता और आत्मीयता
- डायरी में प्रत्येक प्रविष्टि की कौन-सी जानकारी अनिवार्य रूप से लिखी जाती है? (अ) स्थान का नाम (ब) लेखक का पता (स) तिथि (तारीख) (द) संपादक का नाम
उत्तर: (स) तिथि (तारीख)
- डायरी लेखन में लेखक किस प्रकार की भाषा शैली का प्रयोग करता है? (अ) औपचारिक और साहित्यिक (ब) अनौपचारिक और सहज (स) केवल काव्यमय (द) बहुत जटिल
उत्तर: (ब) अनौपचारिक और सहज
- डायरी लिखने का एक प्रमुख उद्देश्य क्या है? (अ) पैसे कमाना (ब) आत्म-चिंतन और आत्म-मूल्यांकन करना (स) दूसरों की आलोचना करना (द) परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना
उत्तर: (ब) आत्म-चिंतन और आत्म-मूल्यांकन करना
- डायरी लेखन किस प्रकार से तनाव मुक्ति में सहायक होता है? (अ) नए लोगों से मिलने से (ब) भावनाओं को सुरक्षित रूप से व्यक्त करने से (स) केवल पढ़कर (द) टीवी देखकर
उत्तर: (ब) भावनाओं को सुरक्षित रूप से व्यक्त करने से
- यदि कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति (जैसे राजनेता) डायरी लिखता है, तो वह क्या बन सकती है? (अ) केवल कहानी (ब) एक ऐतिहासिक और सामाजिक दस्तावेज़ (स) एक नाटक का मंचन (द) एक कविता संग्रह
उत्तर: (ब) एक ऐतिहासिक और सामाजिक दस्तावेज़
- लेखकों, कवियों और कलाकारों द्वारा लिखी गई डायरी को किस प्रकार की डायरी कहते हैं? (अ) व्यक्तिगत डायरी (ब) यात्रा डायरी (स) साहित्यिक डायरी (द) वैज्ञानिक डायरी
उत्तर: (स) साहित्यिक डायरी
- ‘प्रवासी की डायरी’ और ‘एक चक्र पूरा होने तक’ किस प्रसिद्ध हिंदी डायरीकार की रचनाएँ हैं? (अ) मोहन राकेश (ब) घनश्यामदास बिड़ला (स) हरिवंश राय बच्चन (द) धीरेन्द्र वर्मा
उत्तर: (स) हरिवंश राय बच्चन
- ‘मोहन राकेश की डायरी’ में लेखक के किस प्रकार के संघर्षों और विचारों का चित्रण मिलता है? (अ) केवल राजनीतिक (ब) केवल आर्थिक (स) रचनात्मक और निजी जीवन के (द) केवल यात्रा संबंधी
उत्तर: (स) रचनात्मक और निजी जीवन के
- ‘डायरी के पन्ने’ नामक महत्वपूर्ण डायरी किस लेखक की है, जिसमें गांधीजी से जुड़े अनुभव हैं? (अ) हरिवंश राय बच्चन (ब) मोहन राकेश (स) घनश्यामदास बिड़ला (द) श्रीराम शर्मा
उत्तर: (स) घनश्यामदास बिड़ला
- डायरी लेखन से व्यक्ति की कौन-सी क्षमताएँ विकसित होती हैं? (अ) केवल बोलने की (ब) अवलोकन और अभिव्यक्ति की (स) केवल सुनने की (द) दौड़ने की
उत्तर: (ब) अवलोकन और अभिव्यक्ति की
- डायरी लेखन में ‘तात्कालिकता’ का क्या अर्थ है? (अ) भविष्य की योजनाएँ लिखना (ब) घटनाओं के घटित होने के तुरंत बाद लिखना (स) बहुत पुराने अनुभव लिखना (द) दूसरों से पूछकर लिखना
उत्तर: (ब) घटनाओं के घटित होने के तुरंत बाद लिखना
- ‘मेरी कॉलेज डायरी’ के लेखक कौन हैं? (अ) हरिवंश राय बच्चन (ब) धीरेन्द्र वर्मा (स) मोहन राकेश (द) श्रीराम शर्मा
उत्तर: (ब) धीरेन्द्र वर्मा
- डायरी लेखन का एक मनोवैज्ञानिक लाभ क्या है? (अ) नींद न आना (ब) तनाव बढ़ना (स) मानसिक स्वास्थ्य में सुधार और तनाव कम होना (द) लोगों से दूरी बनाना
उत्तर: (स) मानसिक स्वास्थ्य में सुधार और तनाव कम होना
- डायरी को प्रायः किसके लिए लिखा जाता है? (अ) प्रकाशक के लिए (ब) स्वयं लेखक के लिए (स) परिवार के लिए (द) दोस्तों के लिए
उत्तर: (ब) स्वयं लेखक के लिए
- ‘सेवाग्राम की डायरी’ नामक रचना किस डायरीकार की है, जिसमें गाँधीवादी विचारों का वर्णन है? (अ) रमेश चंद्र शाह (ब) श्रीराम शर्मा (स) मोहन राकेश (द) अज्ञेय
उत्तर: (ब) श्रीराम शर्मा
- डायरी में लेखक किस प्रकार की भावनाएँ व्यक्त कर सकता है? (अ) केवल खुशी (ब) केवल गुस्सा (स) निराशा और भय (द) उपरोक्त सभी
उत्तर: (द) उपरोक्त सभी
- डायरी लेखन किस प्रकार लेखक के व्यक्तित्व को समझने में मदद करता है? (अ) यह केवल उसके काम को बताता है। (ब) यह उसके अंतरंग विचारों और भावनाओं का प्रतिबिंब होता है। (स) यह केवल उसकी यात्राओं का विवरण देता है। (द) यह केवल उसकी आय का लेखा-जोखा होता है।
उत्तर: (ब) यह उसके अंतरंग विचारों और भावनाओं का प्रतिबिंब होता है।
- डायरी में लेखक की ‘ईमानदारी’ का क्या महत्व है? (अ) दूसरों को प्रभावित करने के लिए (ब) बिना किसी बनावट के सच लिखना (स) केवल अच्छी बातें लिखना (द) बहुत सुंदर भाषा का प्रयोग करना
उत्तर: (ब) बिना किसी बनावट के सच लिखना
- डायरी लेखन को किस प्रकार का संवाद कहा जा सकता है? (अ) सार्वजनिक संवाद (ब) आत्म-संवाद (स्वयं से बातें करना) (स) औपचारिक संवाद (द) व्यावसायिक संवाद
उत्तर: (ब) आत्म-संवाद (स्वयं से बातें करना)
- ‘रमेश चंद्र शाह’ की ‘डायरी’ में किस प्रकार का चिंतन मिलता है? (अ) केवल प्राचीन इतिहास का (ब) केवल वैज्ञानिक तथ्यों का (स) समकालीन जीवन और साहित्य पर सूक्ष्म चिंतन (द) केवल भविष्य की घटनाओं का
उत्तर: (स) समकालीन जीवन और साहित्य पर सूक्ष्म चिंतन
- डायरी लेखन की आदत से विद्यार्थियों को क्या लाभ मिल सकता है? (अ) गणित में अच्छे अंक (ब) स्वयं को समझना और भावनाओं को व्यक्त करना (स) केवल नींद आना (द) खेल में जीतना
उत्तर: (ब) स्वयं को समझना और भावनाओं को व्यक्त करना
- डायरी गद्य की किस विधा से अधिक निजी और तात्कालिक मानी जाती है? (अ) कहानी (ब) निबंध (स) एकांकी (द) यात्रा वृत्तांत (विशेषकर यात्रा डायरी के संदर्भ में)
उत्तर: (द) यात्रा वृत्तांत (विशेषकर यात्रा डायरी के संदर्भ में)