MP Board Class 9 State of Matters Solid Liquid and Gas
पदार्थ की अवस्थाएँ : ठोस द्रव और गैस
हमारे आस-पास के पदार्थ विभिन्न रूपों में मौजूद होते हैं। मुख्य रूप से, पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती हैं: ठोस (Solid), द्रव (Liquid), और गैस (Gas)। इन अवस्थाओं में अंतर उनके कणों की विभिन्न विशेषताओं के कारण होता है।
1. ठोस अवस्था
ठोस पदार्थों का निश्चित आकार, स्पष्ट सीमाएँ और स्थिर आयतन होता है। इनमें नगण्य संपीड्यता होती है, जिसका अर्थ है कि इन्हें दबाकर इनके आयतन को बहुत कम नहीं किया जा सकता। ठोस पदार्थ दृढ़ होते हैं और बाह्य बल लगाने पर भी अपना आकार बनाए रखते हैं। हालांकि, अत्यधिक बल लगाने पर वे टूट सकते हैं।
ठोस अवस्था के महत्वपूर्ण गुण:
- निश्चित आकार और आयतन: पेन, किताब, सुई, और लकड़ी की छड़ जैसे ठोस वस्तुओं का एक निश्चित आकार और आयतन होता है।
- स्पष्ट सीमाएँ: ठोसों की सीमाएँ स्पष्ट होती हैं।
- नगण्य संपीड्यता: इन्हें आसानी से संपीड़ित नहीं किया जा सकता।
- दृढ़ता: ठोस पदार्थ दृढ़ होते हैं।
- विसरण (Diffusion): ठोसों का एक-दूसरे में विसरण नगण्य होता है।
अपवाद/विशेष स्थितियाँ:
- रबर बैंड: रबर बैंड को खींचने पर उसका आकार बदलता है, लेकिन बल हटाने पर वह वापस अपने मूल आकार में आ जाता है। अत्यधिक बल लगाने पर यह टूट जाता है। यह एक ठोस है क्योंकि इसका मूल आकार निश्चित होता है और यह बाह्य बल के अधीन बदलता है।
- चीनी और नमक: चीनी और नमक के क्रिस्टल का आकार निश्चित होता है, भले ही उन्हें किसी भी बर्तन में रखा जाए। वे केवल बर्तन का आयतन लेते हैं, कणों का आकार नहीं बदलता। इसलिए वे ठोस हैं।
- स्पंज: स्पंज में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिनमें हवा भरी होती है। जब हम इसे दबाते हैं, तो हवा बाहर निकल जाती है, जिससे यह संपीड़ित हो जाता है। यह भी एक ठोस है क्योंकि इसके कणों की व्यवस्था मूल रूप से ठोस जैसी होती है।
2. द्रव अवस्था
द्रवों का निश्चित आयतन होता है, लेकिन उनका कोई निश्चित आकार नहीं होता। वे जिस बर्तन में रखे जाते हैं, उसी का आकार ले लेते हैं। द्रव पदार्थ दृढ़ नहीं होते बल्कि तरल (Fluid) होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे बह सकते हैं।
द्रव अवस्था के महत्वपूर्ण गुण:
- निश्चित आयतन, अनिश्चित आकार: जल, तेल, दूध, जूस जैसे द्रवों का आयतन निश्चित होता है, लेकिन वे बर्तन का आकार ले लेते हैं।
- तरलता (Fluidity): द्रव बहते हैं।
- कम संपीड्यता: ठोसों की तुलना में द्रवों की संपीड्यता थोड़ी अधिक होती है लेकिन गैसों की तुलना में बहुत कम होती है।
- विसरण: ठोस और गैसों की तुलना में द्रवों में विसरण की दर अधिक होती है। वातावरण की गैसें (जैसे ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड) जल में विसरित हो जाती हैं, जो जलीय जीवों के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि द्रव अवस्था में कण स्वतंत्र रूप से गति करते हैं और उनके बीच रिक्त स्थान ठोसों की तुलना में अधिक होता है।
3. गैसीय अवस्था
गैसों का न तो निश्चित आकार होता है और न ही निश्चित आयतन। वे जिस भी बर्तन में रखी जाती हैं, उसे पूरी तरह से भर लेती हैं। गैसें अत्यधिक संपीड़ित होती हैं।
गैसीय अवस्था के महत्वपूर्ण गुण:
- अनिश्चित आकार और आयतन: गैसें उस पूरे आयतन को घेर लेती हैं जिसमें उन्हें रखा जाता है।
- उच्च संपीड्यता (High Compressibility): गैसों को अत्यधिक संपीड़ित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, LPG और CNG गैसें उच्च दाब पर संपीड़ित करके सिलेंडरों में भरी जाती हैं।
- उच्च विसरण दर: गैसों का विसरण अन्य गैसों में बहुत तीव्रता से होता है, क्योंकि उनके कणों की गति तेज होती है और उनके बीच अत्यधिक रिक्त स्थान होते हैं।
- बर्तन की दीवारों पर दबाव: गैसीय अवस्था में कणों की गति अनियमित और तीव्र होती है। ये कण आपस में और बर्तन की दीवारों से टकराते हैं, जिससे बर्तन की दीवारों पर प्रति इकाई क्षेत्र पर बल लगता है और गैस का दबाव बनता है।
पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन
पदार्थ अपनी अवस्था बदल सकता है। यह परिवर्तन तापमान और दाब में परिवर्तन के कारण होता है।
3.1. तापमान परिवर्तन का प्रभाव
तापमान बढ़ाने पर पदार्थ के कणों की गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) बढ़ जाती है। कण तेजी से कंपन करने लगते हैं, जिससे वे अपने नियत स्थान छोड़कर अधिक स्वतंत्र रूप से गति करने लगते हैं।
- गलनांक (Melting Point): वह न्यूनतम तापमान जिस पर कोई ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, उसका गलनांक कहलाता है। बर्फ का गलनांक 273.15 K (0°C) होता है। ठोस से द्रव अवस्था में परिवर्तन को संगलन (Fusion) भी कहते हैं।
- संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Fusion): गलनांक पर पहुँचने के बाद, जब तक पूरी बर्फ पिघल नहीं जाती, तापमान नहीं बदलता। यह ऊष्मा कणों के बीच के आकर्षण बल को तोड़ने में उपयोग होती है। वायुमंडलीय दाब पर 1 kg ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा को संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा कहते हैं। 0°C (273.15 K) पर जल के कणों की ऊर्जा बर्फ के कणों की ऊर्जा से अधिक होती है क्योंकि उन्होंने अतिरिक्त ऊष्मा (प्रसुप्त ऊष्मा) अवशोषित की होती है।
- क्वथनांक (Boiling Point): वायुमंडलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबलने लगता है और गैस में बदलना शुरू हो जाता है, उसका क्वथनांक कहलाता है। जल का क्वथनांक 373 K (100°C) होता है।
- वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporization): क्वथनांक पर द्रव के सभी कणों को इतनी ऊर्जा मिल जाती है कि वे वाष्प में बदल जाते हैं। 373 K (100°C) पर भाप (वाष्प) के कणों में उसी तापमान पर पानी के कणों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा होती है, क्योंकि भाप के कणों ने वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा के रूप में अतिरिक्त ऊष्मा अवशोषित कर ली होती है।
- उर्ध्वपातन (Sublimation): कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना सीधे ठोस अवस्था से गैस में और वापस ठोस में बदल जाते हैं। उदाहरण: अमोनियम क्लोराइड, कपूर, नेफ़थलीन और शुष्क बर्फ (ठोस CO₂)।
3.2. दाब परिवर्तन का प्रभाव
दाब में परिवर्तन से भी पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन हो सकता है।
- दाब बढ़ाने पर कण पास आते हैं: किसी सिलिंडर में भरी गैस पर दाब लगाने और संपीड़ित करने पर उसके कणों के बीच की दूरी कम हो जाती है।
- गैस का द्रवीकरण: दाब बढ़ने और तापमान घटने से गैस द्रव में बदल सकती है।
- ठोस कार्बन डाइऑक्साइड (शुष्क बर्फ): ठोस CO₂ को उच्च दाब पर संग्रहित किया जाता है। जब वायुमंडलीय दाब 1 एटमॉस्फीयर (atm) होता है, तो ठोस CO₂ द्रव अवस्था में आए बिना सीधे गैस में परिवर्तित हो जाती है। इसीलिए इसे शुष्क बर्फ कहते हैं।
इस प्रकार, पदार्थ की अवस्थाएँ (ठोस, द्रव और गैस) दाब और तापमान के द्वारा तय होती हैं।
तापमान बदलने के लिए सूत्र:
- सेल्सियस से केल्विन: TK=TC+273.15
- केल्विन से सेल्सियस: TC=TK−273.15 (आमतौर पर गणना में 273 का उपयोग किया जाता है।)
4. वाष्पीकरण (Evaporation)
वाष्पीकरण एक सतही प्रक्रिया है जहाँ द्रव के कण सतह से धीरे-धीरे गैस अवस्था में बदल जाते हैं, भले ही तापमान क्वथनांक से कम हो।
4.1. वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक
वाष्पीकरण की दर निम्नलिखित कारकों के साथ बढ़ती है:
- सतह क्षेत्र बढ़ने पर: वाष्पीकरण एक सतही प्रक्रिया है। सतह का क्षेत्र बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर भी बढ़ जाती है। जैसे, कपड़े फैलाने पर जल्दी सूखते हैं।
- तापमान में वृद्धि पर: तापमान बढ़ने पर कणों को पर्याप्त गतिज ऊर्जा मिलती है, जिससे वे द्रव से वाष्प अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं और वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है।
- आर्द्रता में कमी पर: वायु में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं। यदि वायु में आर्द्रता पहले से ही अधिक है, तो जलवाष्प धारण करने की उसकी क्षमता कम हो जाती है, और वाष्पीकरण की दर घट जाती है।
- वायु की गति में वृद्धि पर: तेज़ हवा चलने पर जलवाष्प के कण वायु के साथ उड़ जाते हैं, जिससे आस-पास की जल-वाष्प की मात्रा घट जाती है और वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है (जैसे हवा में कपड़े जल्दी सूख जाते हैं)।
4.2. वाष्पीकरण के कारण शीतलता (Cooling due to Evaporation)
वाष्पीकरण के दौरान, द्रव के कण अपनी कम हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए अपने आस-पास से ऊर्जा (ऊष्मा) अवशोषित कर लेते हैं। इस तरह आस-पास से ऊर्जा अवशोषित होने के कारण शीतलता महसूस होती है।
उदाहरण:
- एसीटोन/पेट्रोल हथेली पर: जब एसीटोन या पेट्रोल हथेली पर गिराते हैं, तो उसके कण हथेली या उसके आस-पास से ऊर्जा प्राप्त करके वाष्पीकृत हो जाते हैं, जिससे हथेली पर शीतलता महसूस होती है।
- छत पर पानी छिड़कना: गर्म दिन में छत या खुले स्थान पर जल छिड़कने से जल के वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा गर्म सतह को शीतल बनाती है।
- गर्मियों में सूती कपड़े: गर्मियों में हमें पसीना आता है। सूती कपड़े जल का अवशोषण अधिक करते हैं। पसीना इनमें अवशोषित होकर वायुमंडल में आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है। वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा हमारे शरीर से अवशोषित होती है, जिससे शरीर शीतल हो जाता है।
- बर्फीले जल से भरे गिलास की बाहरी सतह पर बूँदें: वायु में उपस्थित जलवाष्प की ऊर्जा ठंडे गिलास के संपर्क में आकर कम हो जाती है और यह द्रव अवस्था में बदल जाती है, जो हमें जल की बूँदों के रूप में नज़र आती है।
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न:
- पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं (ठोस, द्रव, गैस) के गुणों में अंतर को सारणीबद्ध करें। (यह एक बहुत ही सामान्य और महत्वपूर्ण प्रश्न है।)
- टिप्पणी करें: दृढ़ता, संपीड्यता, तरलता, घनत्व, विसरण, वाष्पीकरण, गलनांक, क्वथनांक, गुप्त ऊष्मा।
- कारण बताएँ:
- गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है जिसमें इसे रखते हैं।
- गैसें बर्तन की दीवारों पर दबाव डालती हैं।
- लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है।
- गर्म, शुष्क दिन में कूलर अधिक ठंडा क्यों करता है?
- गर्मियों में घड़े का जल ठंडा क्यों होता है?
- कप की अपेक्षा प्लेट से हम गर्म दूध या चाय जल्दी क्यों पी लेते हैं?
- गर्मियों में हमें किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए?
- ठोस, द्रव, और गैस के अंतरा-रूपांतरण को आरेख द्वारा समझाएँ।
- तापमान को सेल्सियस से केल्विन या केल्विन से सेल्सियस में कैसे बदलेंगे? उदाहरण दें।
- संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा और वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा को परिभाषित करें।
- वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें।
1. पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं (ठोस, द्रव, गैस) के गुणों में अंतर को सारणीबद्ध करें।
गुण | ठोस | द्रव | गैस |
आकार | निश्चित (definite) | अनिश्चित (indefinite) – बर्तन का आकार ले लेता है | अनिश्चित (indefinite) – बर्तन का आकार ले लेता है |
आयतन | निश्चित (definite) | निश्चित (definite) | अनिश्चित (indefinite) – पूरे बर्तन को भर देता है |
कणों के बीच आकर्षण बल | बहुत मजबूत | मध्यम | बहुत कमजोर (नगण्य) |
कणों की व्यवस्था | अत्यंत पास-पास और व्यवस्थित (नियमित) | पास-पास लेकिन अनियमित | बहुत दूर-दूर और अनियमित (यादृच्छिक) |
कणों की गति | केवल कंपन करते हैं | स्वतंत्र रूप से गति करते हैं | अत्यधिक तीव्र और अनियमित गति करते हैं |
संपीड्यता | नगण्य (negligible) | बहुत कम (very low) | अत्यधिक (very high) |
तरलता/दृढ़ता | दृढ़ (rigid) | तरल (fluid) – बह सकते हैं | तरल (fluid) – बह सकते हैं |
घनत्व | उच्च (high) | मध्यम (moderate) | बहुत कम (very low) |
विसरण | नगण्य या बहुत धीमा | मध्यम (ठोसों से तेज, गैसों से धीमा) | बहुत तेज (very fast) |
2. टिप्पणी करें:
a) दृढ़ता (Rigidity): पदार्थ का वह गुण जिसके कारण वह बाहरी बल लगाने पर भी अपना आकार बनाए रखता है और आसानी से नहीं बदलता, दृढ़ता कहलाता है। ठोस पदार्थ दृढ़ होते हैं।
b) संपीड्यता (Compressibility): पदार्थ का वह गुण जिसके कारण उसे दबाकर उसके कणों को एक-दूसरे के पास लाकर उसका आयतन कम किया जा सकता है, संपीड्यता कहलाता है। गैसों में संपीड्यता सबसे अधिक होती है, द्रवों में कम और ठोसों में नगण्य होती है।
c) तरलता (Fluidity): पदार्थ का वह गुण जिसके कारण वह आसानी से बह सकता है और अपने आकार को बदल सकता है, तरलता कहलाता है। द्रव और गैस दोनों तरल होते हैं, जबकि ठोस दृढ़ होते हैं।
d) घनत्व (Density): किसी पदार्थ के प्रति इकाई आयतन के द्रव्यमान को घनत्व कहते हैं। इसका सूत्र है: घनत्व=आयतनद्रव्यमान
पदार्थ के कण जितने पास-पास होंगे, उसका घनत्व उतना ही अधिक होगा। आमतौर पर, ठोस का घनत्व सबसे अधिक, द्रव का मध्यम और गैस का सबसे कम होता है।
e) विसरण (Diffusion): विभिन्न पदार्थों के कणों का एक-दूसरे में स्वतः मिलना विसरण कहलाता है। यह कणों की गतिज ऊर्जा के कारण होता है। गैसों में विसरण की दर सबसे तेज होती है, उसके बाद द्रवों में और सबसे कम (लगभग नगण्य) ठोसों में होती है।
f) वाष्पीकरण (Evaporation): वह प्रक्रिया जिसमें कोई द्रव अपने क्वथनांक से कम तापमान पर धीरे-धीरे वाष्प (गैस) में बदल जाता है, वाष्पीकरण कहलाती है। यह एक सतही घटना है।
g) गलनांक (Melting Point): वह न्यूनतम तापमान जिस पर कोई ठोस पदार्थ पिघलकर द्रव अवस्था में बदल जाता है, उसका गलनांक कहलाता है। वायुमंडलीय दाब पर, यह तापमान स्थिर रहता है जब तक कि पूरा ठोस पिघल न जाए।
h) क्वथनांक (Boiling Point): वह तापमान जिस पर कोई द्रव उबलना शुरू कर देता है और तेजी से गैस अवस्था में बदल जाता है, उसका क्वथनांक कहलाता है। वायुमंडलीय दाब पर, यह तापमान स्थिर रहता है जब तक कि पूरा द्रव वाष्प में न बदल जाए।
i) गुप्त ऊष्मा (Latent Heat): पदार्थ की अवस्था परिवर्तन (जैसे ठोस से द्रव या द्रव से गैस) के दौरान ली गई या मुक्त की गई वह ऊष्मा जो पदार्थ के तापमान को नहीं बढ़ाती, बल्कि उसके कणों के बीच के आकर्षण बल को तोड़ने या बनाने में उपयोग होती है, गुप्त ऊष्मा कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है: संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा और वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा।
3. कारण बताएँ:
a) गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है जिसमें इसे रखते हैं। कारण: गैस के कणों के बीच आकर्षण बल बहुत कम (लगभग नगण्य) होता है और उनकी गतिज ऊर्जा बहुत अधिक होती है। वे स्वतंत्र रूप से और अनियमित रूप से सभी दिशाओं में तेजी से गति करते हैं। इसी कारण वे पूरे उपलब्ध स्थान में फैल जाते हैं और बर्तन को पूरी तरह से भर देते हैं।
b) गैसें बर्तन की दीवारों पर दबाव डालती हैं। कारण: गैस के कण लगातार अनियमित गति करते रहते हैं। इस गति के दौरान वे आपस में और जिस बर्तन में वे बंद हैं, उसकी दीवारों से बार-बार टकराते हैं। जब कण दीवार से टकराते हैं, तो वे दीवार पर बल लगाते हैं। प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगे इस बल के कारण ही गैस बर्तन की दीवारों पर दबाव डालती है।
c) लकड़ी की मेज ठोस कहलाती है। कारण: लकड़ी की मेज का एक निश्चित आकार और निश्चित आयतन होता है। यह दृढ़ होती है और इसे आसानी से संपीड़ित या इसका आकार बदला नहीं जा सकता। ये सभी ठोस पदार्थों के मूलभूत गुण हैं, इसलिए लकड़ी की मेज एक ठोस है।
d) गर्म, शुष्क दिन में कूलर अधिक ठंडा क्यों करता है? कारण: कूलर वाष्पीकरण के सिद्धांत पर काम करता है। गर्म और शुष्क दिन में वायु में जलवाष्प की मात्रा (आर्द्रता) बहुत कम होती है और तापमान अधिक होता है। ये दोनों स्थितियाँ वाष्पीकरण की दर को बढ़ाती हैं। जब कूलर पानी को हवा में फेंकता है, तो पानी का तेजी से वाष्पीकरण होता है। वाष्पीकरण के लिए पानी आस-पास की हवा से गुप्त ऊष्मा लेता है, जिससे हवा ठंडी हो जाती है और कूलर अधिक प्रभावी ढंग से ठंडा करता है।
e) गर्मियों में घड़े का जल ठंडा क्यों होता है? कारण: मिट्टी के घड़े में बहुत छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। इन छिद्रों से पानी लगातार रिसता रहता है और घड़े की बाहरी सतह पर आ जाता है। गर्मी के कारण यह पानी लगातार वाष्पीकृत होता रहता है। वाष्पीकरण के लिए पानी घड़े के अंदर के पानी से गुप्त ऊष्मा लेता है, जिससे घड़े के अंदर का पानी ठंडा हो जाता है।
f) कप की अपेक्षा प्लेट से हम गर्म दूध या चाय जल्दी क्यों पी लेते हैं? कारण: प्लेट का सतही क्षेत्रफल कप की तुलना में बहुत अधिक होता है। वाष्पीकरण एक सतही प्रक्रिया है और सतही क्षेत्रफल बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है। जब चाय या दूध को प्लेट में डालते हैं, तो उसका सतही क्षेत्रफल बढ़ जाता है, जिससे वह तेजी से वाष्पीकृत होता है। वाष्पीकरण के कारण शीतलता उत्पन्न होती है (क्योंकि वाष्पीकरण के लिए तरल अपने परिवेश से ऊष्मा लेता है), जिससे चाय या दूध जल्दी ठंडा हो जाता है और हम उसे जल्दी पी पाते हैं।
g) गर्मियों में हमें किस तरह के कपड़े पहनने चाहिए? कारण: गर्मियों में हमें सूती कपड़े पहनने चाहिए। गर्मियों में हमें अधिक पसीना आता है। सूती कपड़े जल (पसीना) के अच्छे अवशोषक होते हैं। जब हमें पसीना आता है, तो सूती कपड़े उसे सोख लेते हैं और फिर उसे वायुमंडल में आसानी से वाष्पीकृत होने देते हैं। पसीने के वाष्पीकरण से हमारे शरीर से गुप्त ऊष्मा बाहर निकलती है, जिससे हमें ठंडक महसूस होती है। इसके विपरीत, सिंथेटिक कपड़े पसीने को अच्छी तरह अवशोषित नहीं करते और हवा को शरीर तक पहुंचने से रोकते हैं, जिससे गर्मी लग सकती है।
4. ठोस, द्रव, और गैस के अंतरा-रूपांतरण को आरेख द्वारा समझाएँ।
यहाँ पदार्थ की तीन अवस्थाओं के बीच रूपांतरण को दर्शाने वाला एक सरल आरेख है:
ऊष्मा जोड़ना (तापमान बढ़ाना)
ठोस <———————————> द्रव <———————————> गैस
गलना (Melting) वाष्पीकरण (Vaporization)
(संगलन) (क्वथन)
जमना (Freezing) संघनन (Condensation)
<---------------------------------> <--------------------------------->
ऊष्मा निकालना (तापमान घटाना)
वैकल्पिक आरेख (दाब और ऊर्ध्वपातन सहित):
ऊष्मा बढ़ाना/दाब घटाना
ठोस <---------------------------------------> गैस
^ ^
| उर्ध्वपातन (Sublimation) |
| (ठोस से सीधे गैस) | निक्षेपण (Deposition)
| | (गैस से सीधे ठोस)
| |
V V
ठोस <---------------------------------------> द्रव <---------------------------------------> गैस
गलना (Melting) वाष्पीकरण (Vaporization)
(संगलन) (क्वथन)
जमना (Freezing) संघनन (Condensation)
<---------------------------------------> <--------------------------------------->
ऊष्मा घटाना/दाब बढ़ाना
स्पष्टीकरण:
- गलना (Melting/Fusion): ठोस का द्रव में बदलना (ऊष्मा अवशोषित करके)।
- जमना (Freezing): द्रव का ठोस में बदलना (ऊष्मा मुक्त करके)।
- वाष्पीकरण (Vaporization/Boiling): द्रव का गैस में बदलना (ऊष्मा अवशोषित करके)।
- संघनन (Condensation): गैस का द्रव में बदलना (ऊष्मा मुक्त करके)।
- उर्ध्वपातन (Sublimation): ठोस का सीधे गैस में बदलना (जैसे कपूर) या गैस का सीधे ठोस में बदलना (निक्षेपण/Deposition)।
5. तापमान को सेल्सियस से केल्विन या केल्विन से सेल्सियस में कैसे बदलेंगे? उदाहरण दें।
a) सेल्सियस (°C) से केल्विन (K) में बदलना: सेल्सियस तापमान में 273.15 (या साधारण गणना के लिए 273) जोड़ दें। सूत्र: K=text°C+273.15 उदाहरण:
- 25text°C को केल्विन में बदलें: K=25+273.15=298.15textK (परीक्षा में 25+273=298textK भी स्वीकार्य है)
- 100text°C को केल्विन में बदलें: K=100+273.15=373.15textK (या 373textK)
b) केल्विन (K) से सेल्सियस (°C) में बदलना: केल्विन तापमान में से 273.15 (या साधारण गणना के लिए 273) घटा दें। सूत्र: text°C=K−273.15 उदाहरण:
- 300textK को सेल्सियस में बदलें: text°C=300−273.15=26.85text°C (या 300−273=27text°C)
- 573textK को सेल्सियस में बदलें: text°C=573−273.15=299.85text°C (या 573−273=300text°C)
6. संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा और वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा को परिभाषित करें।
a) संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Fusion): वायुमंडलीय दाब पर, 1 किलोग्राम ठोस को उसके गलनांक पर द्रव अवस्था में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा को संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा कहते हैं। यह ऊर्जा पदार्थ के तापमान को नहीं बढ़ाती, बल्कि ठोस के कणों के बीच के आकर्षण बल को तोड़ने और उन्हें अधिक स्वतंत्र रूप से गति करने में सक्षम बनाने में उपयोग होती है।
b) वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporization): वायुमंडलीय दाब पर, 1 किलोग्राम द्रव को उसके क्वथनांक पर गैसीय अवस्था में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा को वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा कहते हैं। यह ऊर्जा द्रव के तापमान को नहीं बढ़ाती, बल्कि द्रव के कणों के बीच के आकर्षण बल को पूरी तरह से तोड़ने और उन्हें गैसीय अवस्था में स्वतंत्र रूप से फैलने में सक्षम बनाने में उपयोग होती है।
7. वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें।
वाष्पीकरण की दर को कई कारक प्रभावित करते हैं:
a) सतही क्षेत्रफल (Surface Area): प्रभाव: सतही क्षेत्रफल बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ती है। कारण: वाष्पीकरण एक सतही प्रक्रिया है, जिसका अर्थ है कि केवल वे कण जो तरल की सतह पर होते हैं और जिनके पास पर्याप्त गतिज ऊर्जा होती है, वे ही वाष्प में बदल सकते हैं। यदि सतही क्षेत्रफल अधिक होगा, तो अधिक कण वाष्प में बदल पाएंगे। उदाहरण: कपड़े फैलाने पर जल्दी सूखते हैं क्योंकि उनका सतही क्षेत्रफल बढ़ जाता है।
b) तापमान (Temperature): प्रभाव: तापमान बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ती है। कारण: तापमान बढ़ने से कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। अधिक कणों में वाष्प में बदलने के लिए आवश्यक ऊर्जा आ जाती है, जिससे वाष्पीकरण तेज हो जाता है। उदाहरण: गर्म दिनों में कपड़े जल्दी सूखते हैं।
c) आर्द्रता (Humidity): प्रभाव: आर्द्रता बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर घटती है। कारण: आर्द्रता वायु में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा है। यदि वायु में पहले से ही बहुत अधिक जलवाष्प मौजूद है (यानी आर्द्रता अधिक है), तो वायु की जलवाष्प को धारण करने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में पानी के कणों के लिए वाष्प में बदलना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण: बरसात के दिनों में कपड़े देर से सूखते हैं क्योंकि हवा में आर्द्रता अधिक होती है।
d) वायु की गति (Wind Speed): प्रभाव: वायु की गति बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ती है। कारण: जब हवा तेजी से चलती है, तो यह तरल की सतह के ऊपर मौजूद जलवाष्प के कणों को अपने साथ उड़ा ले जाती है। इससे सतह के आस-पास जलवाष्प की सांद्रता कम हो जाती है, जिससे और अधिक पानी के कणों को वाष्प में बदलने के लिए जगह मिल जाती है। उदाहरण: हवादार दिनों में कपड़े जल्दी सूखते हैं।