MP Board Class 9 Science Uses of Sound
ध्वनि के अनुप्रयोग: बहुल परावर्तन, श्रव्यता परिसर और पराध्वनि के उपयोग
नमस्ते विद्यार्थियों! हमने ध्वनि की मूलभूत अवधारणाओं, उसके उत्पादन और संचरण को विस्तार से समझा है। अब समय आ गया है कि हम यह जानें कि ध्वनि के इन अद्भुत गुणों का उपयोग हमारे दैनिक जीवन, उद्योग और चिकित्सा विज्ञान में कैसे किया जाता है। ये अनुप्रयोग न केवल fascinating हैं बल्कि आपकी परीक्षा के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं।
ध्वनि के बहुल परावर्तन के उपयोग
हम जानते हैं कि प्रकाश की तरह, ध्वनि भी किसी सतह से परावर्तित (reflect) होती है। जब ध्वनि की तरंगें एक नहीं, बल्कि कई सतहों से बार-बार टकराकर वापस लौटती हैं, तो इस घटना को ध्वनि का बहुल परावर्तन (multiple reflections of sound) कहा जाता है। यह गुण हमें कई practical उपकरण बनाने और स्थानों को अनुकूलित करने में मदद करता है।
मेगाफोन और लाउडस्पीकर: आपने अक्सर नेताओं या शिक्षकों को भीड़ को संबोधित करते हुए मेगाफोन (megaphone) या लाउडस्पीकर (loudspeaker) का उपयोग करते देखा होगा। ये उपकरण ध्वनि को एक विशिष्ट दिशा में केंद्रित करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। इनकी शंक्वाकार (conical) नली की आंतरिक दीवारें ध्वनि को बार-बार परावर्तित करती हैं, जिससे ध्वनि ऊर्जा एक संकीर्ण (narrow) बीम के रूप में आगे बढ़ती है और दूर तक सुनी जा सकती है, बिना ऊर्जा व्यर्थ किए।
स्टेथोस्कोप: डॉक्टरों द्वारा उपयोग किया जाने वाला स्टेथोस्कोप (stethoscope) भी ध्वनि के बहुल परावर्तन के सिद्धांत पर काम करता है। यह एक चिकित्सा उपकरण है जिसका उपयोग हृदय (heart) और फेफड़ों (lungs) जैसी शरीर के अंदर की ध्वनियों को सुनने के लिए किया जाता है। स्टेथोस्कोप की ट्यूब (tube) के अंदर की दीवारें ध्वनि तरंगों को बार-बार परावर्तित करती हैं, जिससे ये ध्वनि तरंगें डॉक्टर के कानों तक पहुँचती हैं और वे शरीर के अंदर की कमज़ोर आवाज़ों को भी स्पष्ट रूप से सुन पाते हैं।
कंसर्ट हॉल और ऑडिटोरियम में छतें: बड़े सभागारों (auditoriums) या कंसर्ट हॉल (concert halls) की छतें अक्सर घुमावदार (curved) बनाई जाती हैं। इस विशेष डिज़ाइन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मंच (stage) से निकलने वाली ध्वनि इन घुमावदार सतहों से परावर्तित होकर पूरे हॉल में समान रूप से फैले। कुछ हॉल में, मंच के पीछे एक बड़ा घुमावदार साउंडबोर्ड (soundboard) भी लगाया जाता है ताकि ध्वनि सभी श्रोताओं (audience) तक बिना किसी रुकावट के पहुँच सके, जिससे ध्वनि की गुणवत्ता बेहतर बनी रहे।
श्रव्यता का परिसर (Range of Hearing)
सभी ध्वनियाँ हमारे कानों को सुनाई नहीं देतीं। मानव कान केवल एक निश्चित आवृत्ति (frequency) रेंज की ध्वनियों को ही सुन सकते हैं। इस विशेष रेंज को श्रव्यता का परिसर (range of hearing) कहा जाता है।
श्रव्य ध्वनि (Audible Sound): वे ध्वनियाँ जिन्हें मनुष्य आसानी से सुन सकते हैं, श्रव्य ध्वनि (audible sound) कहलाती हैं। मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परिसर लगभग 20 हर्ट्ज़ (Hz) से 20,000 हर्ट्ज़ (Hz) (या 20 kHz) होता है। हमारी बातचीत, संगीत और हमारे आसपास की अधिकांश आवाज़ें इसी परिसर में आती हैं।
अवश्रव्य ध्वनि (Infrasound): ऐसी ध्वनियाँ जिनकी आवृत्ति 20 Hz से कम होती है, अवश्रव्य ध्वनि (infrasound) कहलाती हैं। मनुष्य इन ध्वनियों को सुन नहीं सकते। प्रकृति में कई जानवर इन कम-आवृत्ति वाली ध्वनियों का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, हाथी (elephants) और व्हेल (whales) बहुत कम आवृत्ति वाली अवश्रव्य ध्वनियों का उपयोग करके लंबी दूरी पर एक-दूसरे से संवाद करते हैं। भूकंप (earthquakes) आने से पहले भी कुछ अवश्रव्य ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं, जिन्हें कुछ जानवर (जैसे कुत्ते) महसूस कर सकते हैं, जिससे उनका व्यवहार अजीब हो जाता है। राइनो (rhinos) भी 5 Hz तक की आवृत्ति वाली अवश्रव्य ध्वनि का उपयोग करके संवाद करते हैं।
पराध्वनि (Ultrasound): वे ध्वनियाँ जिनकी आवृत्ति 20,000 Hz (20 kHz) से अधिक होती है, पराध्वनि (ultrasound) कहलाती हैं। मनुष्य इन उच्च-आवृत्ति वाली ध्वनियों को भी सुन नहीं सकते। हालाँकि, कई जानवर पराध्वनि का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, कुत्ते (dogs) 20 kHz से अधिक आवृत्ति की ध्वनि सुन सकते हैं, इसीलिए वे कुत्ते की सीटी (dog whistle) की आवाज़ पर प्रतिक्रिया देते हैं जो हमें सुनाई नहीं देती। चमगादड़ (bats) और डॉल्फ़िन (dolphins) जैसे जानवर अपने शिकार का पता लगाने, नेविगेट (navigate) करने और संवाद करने के लिए पराध्वनि का उपयोग करते हैं, जिससे उन्हें अंधेरे या पानी के भीतर भी स्पष्ट रूप से ‘देखने’ में मदद मिलती है।
पराध्वनि के अनुप्रयोग (Applications of Ultrasound)
पराध्वनि की उच्च आवृत्ति और छोटी तरंगदैर्ध्य (short wavelength) इसे कई क्षेत्रों में एक अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली उपकरण बनाती है।
औद्योगिक उपयोग:
- पुर्जों की सफाई (Cleaning of Parts): पराध्वनि का उपयोग जटिल आकार के पुर्जों, जैसे इलेक्ट्रॉनिक घटकों या सर्पिल ट्यूबों, को साफ करने के लिए किया जाता है। पुर्जों को एक सफाई घोल (cleaning solution) में रखा जाता है, और जब पराध्वनि तरंगें उस घोल में भेजी जाती हैं, तो वे कंपन पैदा करती हैं जो गंदगी, धूल और तेल के कणों को सतहों से अलग कर देती हैं।
- धातुओं में दरारों का पता लगाना (Detecting Cracks in Metals): पराध्वनि तरंगों का उपयोग धातु के बड़े ब्लॉक (blocks) में छिपी हुई आंतरिक दरारों (internal cracks) या दोषों (flaws) का पता लगाने के लिए किया जाता है। यदि कोई दरार मौजूद होती है, तो पराध्वनि तरंगें उससे टकराकर वापस परावर्तित होती हैं, जिसे एक डिटेक्टर (detector) द्वारा पकड़ा जाता है, जिससे दोष का स्थान और आकार पता चल जाता है। यह तकनीक पुलों (bridges), मशीनों (machines) और इंजनों (engines) जैसे महत्वपूर्ण ढाँचों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक है।
चिकित्सा उपयोग:
- अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग (Ultrasound Scanning): चिकित्सा में यह एक बहुत ही सामान्य और सुरक्षित नैदानिक तकनीक (diagnostic technique) है। पराध्वनि तरंगों को शरीर के अंदर भेजा जाता है, और ये तरंगें विभिन्न अंगों, भ्रूण (fetus) या ट्यूमर (tumors) जैसी संरचनाओं से परावर्तित होकर वापस आती हैं। एक कंप्यूटर इन परावर्तित तरंगों का उपयोग करके शरीर के आंतरिक अंगों की छवियाँ (images) बनाता है। यह गर्भावस्था के दौरान बच्चे के विकास को देखने, आंतरिक अंगों की स्थिति का आकलन करने या शरीर में पथरी (stones) और ट्यूमर का पता लगाने के लिए अमूल्य है।
- गुर्दे की पथरी का तोड़ना (Breaking Kidney Stones): पराध्वनि का उपयोग गुर्दे की छोटी पथरी को तोड़ने के लिए भी किया जाता है। उच्च-ऊर्जा वाली पराध्वनि तरंगें पथरी पर केंद्रित की जाती हैं, जिससे वे छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं और आसानी से मूत्र (urine) के साथ शरीर से बाहर निकल जाती हैं। इस प्रक्रिया को लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) कहते हैं।
- चिकित्सा इमेजिंग (Medical Imaging): इकोकार्डियोग्राफी (echocardiography) में पराध्वनि का उपयोग हृदय की गति (heart movement) और उसकी आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।
समुद्र की गहराई मापना (Measuring Ocean Depth – SONAR): सोनार (SONAR – Sound Navigation And Ranging) एक तकनीक है जो पराध्वनि तरंगों का उपयोग करके समुद्र की गहराई (depth) मापने और पानी के नीचे की वस्तुओं (जैसे पनडुब्बी, डूबे हुए जहाज या मछली के झुंड) का पता लगाने और उनका स्थान निर्धारित करने के लिए की जाती है। एक ट्रांसमीटर (transmitter) पराध्वनि तरंगें उत्पन्न करता है जो पानी में यात्रा करती हैं। ये तरंगें समुद्र तल या किसी वस्तु से टकराकर वापस परावर्तित होती हैं और एक रिसीवर (receiver) द्वारा पकड़ी जाती हैं। ध्वनि के जाने और वापस आने में लगे समय (time taken) और पानी में ध्वनि की चाल (speed of sound in water) का उपयोग करके दूरी की गणना की जाती है।
- सूत्र (Formula): दूरी = (ध्वनि की चाल × लगा समय) / 2 (यहाँ 2 से भाग इसलिए दिया गया है क्योंकि ध्वनि को वस्तु तक जाने और वापस आने में दूरी का दोगुना तय करना पड़ता है)
चमगादड़ द्वारा नेविगेशन (Navigation by Bats): चमगादड़ रात में उड़ने और अपने शिकार (कीड़े) का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग करते हैं। वे उच्च-आवृत्ति वाली पराध्वनि तरंगें छोड़ते हैं। जब ये तरंगें किसी वस्तु से टकराती हैं, तो वे परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक प्रतिध्वनि (echo) के रूप में वापस आती हैं। इन प्रतिध्वनियों के समय, दिशा और तीव्रता का विश्लेषण करके, चमगादड़ अपने आसपास के वातावरण का एक विस्तृत ‘ध्वनि-मानचित्र’ (sound-map) बना लेते हैं और बाधाओं (obstacles) से टकराने या अपने शिकार को पकड़ने में सफल रहते हैं।