कक्षा 9 विज्ञान न्यूटन के गति के नियम : MP Board class 9 Science Newton’s Law of Motion

MP Board class 9 Science Newton’s Law of Motion

न्यूटन के गति के नियम (Newton’s Law of Motion)

अध्याय 8: बल तथा गति के नियम (Force and Laws of Motion) – एक परिचय

इस अध्याय में हम भौतिकी के सबसे मौलिक और प्रभावशाली अवधारणाओं में से एक – बल (Force) और इसके गति पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेंगे। हम यह समझेंगे कि वस्तुएँ कैसे चलती हैं, क्यों रुकती हैं या अपनी गति की दिशा क्यों बदलती हैं। यह अध्याय हमें गति के पीछे के ‘कारण’ को समझने में मदद करेगा।

पिछली इकाई में हमने गति (Motion) का वर्णन किया था – कि कोई वस्तु कितनी तेज़ी से चल रही है किस दिशा में चल रही है और उसका वेग कैसे बदल रहा है। लेकिन हमने इस बात पर विचार नहीं किया कि वस्तु क्यों चलती है, क्यों रुकती है या क्यों त्वरित होती है। बल ही वह भौतिक राशि है जो इन सभी परिवर्तनों का कारण बनती है।

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मुख्य अवधारणाएँ जो हम इस अध्याय में सीखेंगे:

  1. बल (Force): बल वह ‘धक्का’ या ‘खिंचाव’ है जो किसी वस्तु की विराम अवस्था या गति की अवस्था में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है या उसमें परिवर्तन लाता है। हम बल के प्रभावों जैसे गति, दिशा या आकार में परिवर्तन को समझेंगे।
  2. संतुलित और असंतुलित बल (Balanced and Unbalanced Forces):
    • संतुलित बल: जब किसी वस्तु पर लगने वाले सभी बलों का कुल (नेट) प्रभाव शून्य होता है, तो वस्तु या तो विराम अवस्था में रहती है या एकसमान वेग से गति करती रहती है। इससे गति की अवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होता।
    • असंतुलित बल: जब किसी वस्तु पर लगने वाले सभी बलों का कुल (नेट) प्रभाव शून्य नहीं होता, तो वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन आता है – वह या तो त्वरित होती है (उसका वेग बढ़ता या घटता है) या उसकी दिशा बदलती है।
  3. न्यूटन के गति के नियम (Newton’s Laws of Motion): सर आइजैक न्यूटन ने गति के तीन मूलभूत नियम दिए, जो बल और गति के बीच के संबंध को पूरी तरह से परिभाषित करते हैं। ये नियम शास्त्रीय यांत्रिकी (Classical Mechanics) की नींव हैं।
    • पहला नियम (जड़त्व का नियम – Law of Inertia): यह बताता है कि कोई वस्तु तब तक अपनी विराम अवस्था या एकसमान सीधी गति में बनी रहती है जब तक उस पर कोई असंतुलित बल कार्य न करे। हम जड़त्व (Inertia) और द्रव्यमान (Mass) के बीच के संबंध को भी समझेंगे।
    • दूसरा नियम: यह बल, द्रव्यमान और त्वरण के बीच मात्रात्मक संबंध स्थापित करता है। यह बताता है कि किसी वस्तु पर लगने वाला असंतुलित बल उसके द्रव्यमान और उसमें उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है (F=ma)।
    • तीसरा नियम: यह क्रिया और प्रतिक्रिया के सिद्धांत को बताता है कि “प्रत्येक क्रिया के लिए एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।”
  4. संवेग (Momentum): हम संवेग की अवधारणा का परिचय देंगे जो किसी गतिमान वस्तु में निहित गति की मात्रा का माप है। यह द्रव्यमान और वेग का गुणनफल होता है। हम संवेग के संरक्षण के नियम (Law of Conservation of Momentum) को भी समझेंगे, जो बताता है कि एक पृथक प्रणाली में कुल संवेग नियत रहता है।

यह अध्याय हमें हमारे दैनिक जीवन में होने वाली कई घटनाओं को समझने के लिए एक मजबूत वैचारिक आधार प्रदान करेगा, जैसे कि क्रिकेट गेंद को मारना, साइकिल चलाना, रॉकेट का प्रक्षेपण और वाहन में ब्रेक लगाना आदि। यह हमें ब्रह्मांड में बलों के मूलभूत व्यवहार और उनके परिणामों का विश्लेषण करने में सक्षम बनाएगा।

न्यूटन के गति के नियम (Newton’s Laws of Motion) भौतिकी के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक हैं, जो किसी वस्तु की गति और उस पर लगने वाले बलों के बीच के संबंध को समझाते हैं। इन नियमों को सर आइजैक न्यूटन ने अपनी पुस्तक “फिलोसॉफी नेचुरेलिस प्रिंसिपिया मैथमेटिका” (Philosophiæ Naturalis Principia Mathematica) में प्रतिपादित किया था। ये नियम शास्त्रीय यांत्रिकी की आधारशिला हैं।

1. न्यूटन का गति का प्रथम नियम (Newton’s First Law of Motion): जड़त्व का नियम (Law of Inertia)

परिभाषा: “प्रत्येक वस्तु अपनी विराम अवस्था में या एक सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में बनी रहती है, जब तक कि उस पर कोई बाहरी असंतुलित बल कार्य न करे।”

इसे जड़त्व का नियम भी कहा जाता है। जड़त्व (Inertia) किसी वस्तु का वह गुण है जिसके कारण वह अपनी अवस्था (विराम या एकसमान गति) में परिवर्तन का विरोध करती है। वस्तु का द्रव्यमान जितना अधिक होता है, उसका जड़त्व भी उतना ही अधिक होता है।

व्याख्या: यह नियम मूल रूप से बताता है कि वस्तुओं में ‘आलस्य’ होता है। यदि कोई वस्तु रुकी हुई है, तो वह रुकी ही रहना चाहती है। यदि कोई वस्तु चल रही है, तो वह उसी गति और उसी दिशा में चलते रहना चाहती है। इस अवस्था को बदलने के लिए एक बाहरी बल की आवश्यकता होती है।

उदाहरण:

  • चलती बस में यात्री का आगे की ओर झुकना:
    • स्थिति: जब एक चलती हुई बस अचानक रुकती है, तो बस के साथ-साथ उसमें बैठे यात्रियों का निचला शरीर (जो सीट से संपर्क में होता है) बस के साथ विराम अवस्था में आ जाता है।
    • जड़त्व का प्रभाव: लेकिन, यात्री के शरीर का ऊपरी हिस्सा जड़त्व के कारण गतिमान अवस्था में ही रहने की कोशिश करता है, जिसके कारण यात्री आगे की ओर झुक जाता है या गिर जाता है।
  • रुकी हुई बस में यात्री का पीछे की ओर झुकना:
    • स्थिति: जब एक रुकी हुई बस अचानक चलना शुरू करती है, तो बस के साथ-साथ यात्री के शरीर का निचला हिस्सा गति में आ जाता है।
    • जड़त्व का प्रभाव: लेकिन, यात्री के शरीर का ऊपरी हिस्सा जड़त्व के कारण विराम अवस्था में ही रहने की कोशिश करता है, जिसके कारण यात्री पीछे की ओर झुक जाता है।
  • पेड़ की शाखाओं को हिलाने पर फल का गिरना:
    • स्थिति: जब पेड़ की शाखाओं को तेज़ी से हिलाया जाता है, तो शाखाएँ गति में आ जाती हैं।
    • जड़त्व का प्रभाव: फल जड़त्व के कारण अपनी विराम अवस्था में ही बने रहना चाहते हैं। जब शाखाएँ हिलती हैं और फल अपनी स्थिति बनाए रखने का प्रयास करते हैं, तो वे शाखा से अलग होकर नीचे गिर जाते हैं।
  • कैरम बोर्ड पर स्ट्राइकर से गोटी को मारना:
    • स्थिति: जब कैरम बोर्ड पर गोटियों के ढेर में सबसे निचली गोटी को तेज़ गति से स्ट्राइकर से मारा जाता है।
    • जड़त्व का प्रभाव: स्ट्राइकर केवल सबसे निचली गोटी पर बल लगाता है, जिससे वह गति में आती है और बाहर निकल जाती है। ऊपर की गोटियाँ जड़त्व के कारण अपनी विराम अवस्था में ही रहती हैं और नीचे आ जाती हैं।

2. न्यूटन का गति का द्वितीय नियम (Newton’s Second Law of Motion): बल का नियम (Law of Force)

परिभाषा: “किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगाए गए असंतुलित बल के समानुपाती होती है और बल की दिशा में ही होती है।”

गणितीय रूप से, इसे F=ma के रूप में व्यक्त किया जाता है। जहाँ:

  • F = लगाया गया बल (Force)
  • m = वस्तु का द्रव्यमान (Mass)
  • a = वस्तु में उत्पन्न त्वरण (Acceleration)

व्याख्या: यह नियम बल, द्रव्यमान और त्वरण के बीच मात्रात्मक संबंध स्थापित करता है। यह बताता है कि किसी वस्तु पर लगाया गया बल उसके द्रव्यमान और उसमें उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के सीधे आनुपातिक होता है। इसका अर्थ है:

  • यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान नियत है, तो अधिक बल लगाने पर अधिक त्वरण उत्पन्न होगा।
  • यदि समान बल लगाया जाए, तो अधिक द्रव्यमान वाली वस्तु में कम त्वरण और कम द्रव्यमान वाली वस्तु में अधिक त्वरण उत्पन्न होगा।

उदाहरण:

  • क्रिकेट में गेंद पकड़ना (कैच लेना):
    • स्थिति: एक क्रिकेट खिलाड़ी तेज़ी से आती हुई गेंद को पकड़ते समय अपने हाथों को पीछे की ओर खींचता है।
    • द्वितीय नियम का प्रभाव: ऐसा करने से गेंद के संवेग में परिवर्तन का समय बढ़ जाता है। चूंकि संवेग परिवर्तन की दर (बल) कम हो जाती है, खिलाड़ी के हाथों पर लगने वाला बल भी कम हो जाता है और उसे चोट नहीं लगती। यदि खिलाड़ी अचानक गेंद को रोकने की कोशिश करता, तो संवेग परिवर्तन का समय बहुत कम होता, जिससे हाथों पर बहुत अधिक बल लगता और चोट लग सकती थी।
  • एक ही बल से फुटबॉल और पत्थर को किक करना:
    • स्थिति: यदि आप एक ही बल से एक फुटबॉल और एक बड़े पत्थर को किक करते हैं।
    • द्वितीय नियम का प्रभाव: फुटबॉल का द्रव्यमान कम होता है, इसलिए वह अधिक त्वरण प्राप्त करती है और दूर जाती है। पत्थर का द्रव्यमान अधिक होता है, इसलिए वह बहुत कम त्वरण प्राप्त करता है और मुश्किल से हिलता है। यह F=ma के सिद्धांत को दर्शाता है कि समान बल पर, कम द्रव्यमान अधिक त्वरण पैदा करता है।
  • गाड़ी को धकेलना:
    • स्थिति: एक छोटी गाड़ी को धकेलने में जितनी आसानी होती है, एक भारी ट्रक को धकेलने में उतनी ही मुश्किल होती है, भले ही आप समान बल लगा रहे हों।
    • द्वितीय नियम का प्रभाव: यह द्रव्यमान के प्रभाव को दर्शाता है। भारी ट्रक का द्रव्यमान बहुत अधिक होता है, इसलिए समान बल लगाने पर उसमें बहुत कम त्वरण उत्पन्न होता है।

3. न्यूटन का गति का तृतीय नियम (Newton’s Third Law of Motion): क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम (Law of Action-Reaction)

परिभाषा: “प्रत्येक क्रिया के लिए एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।”

व्याख्या: यह नियम बताता है कि बल हमेशा युग्मों में (pairs) मौजूद होते हैं। जब एक वस्तु (वस्तु A) दूसरी वस्तु (वस्तु B) पर बल लगाती है (क्रिया), तो दूसरी वस्तु (वस्तु B) भी पहली वस्तु (वस्तु A) पर समान परिमाण का लेकिन विपरीत दिशा में बल लगाती है (प्रतिक्रिया)। यह दोनों बल एक ही समय पर उत्पन्न होते हैं और हमेशा दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं।

उदाहरण:

  • चलना (Walking):
    • क्रिया: जब हम चलते हैं, तो हमारा पैर ज़मीन को पीछे की ओर धकेलता है।
    • प्रतिक्रिया: ज़मीन हमारे पैर पर समान परिमाण का लेकिन आगे की ओर बल लगाती है। इसी प्रतिक्रिया बल के कारण हम आगे बढ़ पाते हैं।
  • बंदूक से गोली चलाना:
    • क्रिया: जब बंदूक से गोली छोड़ी जाती है, तो बंदूक गोली पर आगे की ओर एक बड़ा बल लगाती है।
    • प्रतिक्रिया: गोली भी बंदूक पर समान परिमाण का लेकिन पीछे की ओर एक प्रतिक्रिया बल लगाती है। इसी प्रतिक्रिया बल के कारण बंदूक पीछे की ओर झटका (recoil) देती है। (चूंकि बंदूक का द्रव्यमान गोली से बहुत अधिक होता है, इसलिए बंदूक का वेग कम होता है, जबकि गोली का वेग बहुत अधिक होता है, संवेग संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार)।
  • रॉकेट का प्रक्षेपण:
    • क्रिया: रॉकेट अपने इंजन से नीचे की ओर गर्म गैसों को तेज़ी से बाहर निकालता है।
    • प्रतिक्रिया: गैसें रॉकेट पर समान परिमाण का लेकिन ऊपर की ओर एक बल लगाती हैं। इसी प्रतिक्रिया बल के कारण रॉकेट ऊपर की ओर उठता है।
  • नाव से कूदना:
    • स्थिति: जब कोई व्यक्ति नाव से किनारे पर कूदता है।
    • क्रिया: व्यक्ति नाव पर पीछे की ओर बल लगाता है।
    • प्रतिक्रिया: नाव व्यक्ति पर आगे की ओर बल लगाती है जिससे व्यक्ति किनारे पर कूद पाता है। लेकिन, नाव पीछे की ओर हट जाती है।

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