MP Board Class 9 Science Animal Tissues Basic Information
जंतु ऊतक (Animal Tissues)
जंतुओं में कोशिकाएँ विशिष्ट कार्यों को करने के लिए समूह बनाती हैं। इन समूहों को ऊतक (Tissues) कहते हैं। जंतुओं में विभिन्न कार्यों जैसे गति, संवेदना, पोषण और सुरक्षा के लिए अलग-अलग प्रकार के ऊतक होते हैं। रक्त और पेशियाँ दोनों ही हमारे शरीर में पाए जाने वाले ऊतकों के उदाहरण हैं।
जंतु ऊतक को मुख्य रूप से चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
- एपिथीलियमी ऊतक (Epithelial Tissue)
- संयोजी ऊतक (Connective Tissue)
- पेशीय ऊतक (Muscular Tissue)
- तंत्रिका ऊतक (Nervous Tissue)
6.3.1 एपिथीलियमी ऊतक (Epithelial Tissue)
- परिभाषा: ये ऊतक जंतु के शरीर को ढकने या बाहरी रक्षा प्रदान करने का कार्य करते हैं। ये शरीर के अंदर स्थित कई अंगों और गुहिकाओं (cavities) को भी ढकते हैं। ये विभिन्न शारीरिक तंत्रों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए एक अवरोध (barrier) का निर्माण करते हैं।
- उपस्थिति: हमारी त्वचा, मुँह का अस्तर (lining), आहारनली, रक्त वाहिनियों की अंदरूनी परत, फेफड़ों की कूपिकाएँ (alveoli), और वृक्कीय नलिकाएँ (kidney tubules) सभी एपिथीलियमी ऊतक से बनी होती हैं।
- संरचनात्मक विशेषताएँ:
- कसकर सटी कोशिकाएँ: एपिथीलियमी ऊतक की कोशिकाएँ एक-दूसरे से बहुत कसकर सटी होती हैं, जिससे वे एक अनवरत (continuous) परत बनाती हैं।
- कम अंतराकोशिकीय स्थान: इन कोशिकाओं के बीच चिपकाने वाले पदार्थ कम होते हैं और कोशिकाओं के बीच बहुत कम खाली जगह होती है।
- चयनशील पारगम्यता: चूंकि कोई भी पदार्थ शरीर में प्रवेश करने या बाहर निकलने से पहले एपिथीलियम की किसी परत से होकर गुजरता है, इसलिए इसकी पारगम्यता (permeability) शरीर और बाहरी वातावरण के बीच पदार्थों के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- आधार झिल्ली: सामान्यतः सभी एपिथीलियम को एक पतली बाहरी रेशेदार आधार झिल्ली (fibrous basement membrane) नीचे के ऊतकों से अलग करती है।
एपिथीलियमी ऊतक के प्रकार (कार्य और आकृति के आधार पर):
- सरल शल्की एपिथीलियम (Simple Squamous Epithelium):
- संरचना: ये कोशिकाएँ अत्यधिक पतली और चपटी होती हैं, जो एक कोमल, नाजुक अस्तर का निर्माण करती हैं।
- कार्य: जहाँ पदार्थों का संवहन (transport) या आदान-प्रदान एक चयनशील पारगम्य झिल्ली के माध्यम से होना होता है।
- उपस्थिति: रक्त नलिकाओं का अस्तर (blood vessel lining) और फेफड़ों की वायु कूपिकाएँ (air sacs of lungs)।
- उदाहरण: आहारनली और मुँह का अस्तर भी इसी प्रकार के एपिथीलियम से ढका होता है।
- स्तरित शल्की एपिथीलियम (Stratified Squamous Epithelium):
- संरचना: ये कोशिकाएँ कई परतों में व्यवस्थित होती हैं।
- कार्य: मुख्य कार्य शरीर को कटने और फटने से बचाना है।
- उपस्थिति: हमारी त्वचा इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो सुरक्षात्मक कवच का काम करती है। कई परतों में होने के कारण ये घर्षण का सामना कर पाती हैं।
- स्तंभाकार एपिथीलियम (Columnar Epithelium):
- संरचना: ये कोशिकाएँ लंबी (स्तंभ जैसी) होती हैं।
- कार्य: जहाँ अवशोषण (absorption) और स्राव (secretion) होता है। ये एपिथीलियमी अवरोध को पार करने में सहायता करती हैं।
- उपस्थिति: आँत के भीतरी अस्तर (lining) में पाई जाती हैं।
- पक्ष्माभी स्तंभाकार एपिथीलियम (Ciliated Columnar Epithelium):
- संरचना: स्तंभाकार एपिथीलियम की कोशिकाओं की सतह पर बाल जैसी रचनाएँ होती हैं जिन्हें पक्ष्माभ (Cilia) कहते हैं।
- कार्य: ये पक्ष्माभ गति (move) कर सकते हैं। इनकी गति श्लेष्मा (mucus) को एक विशिष्ट दिशा में आगे स्थानांतरित करके साफ करने में सहायता करती है।
- उपस्थिति: श्वास नली (windpipe) में पाई जाती हैं।
- घनाकार एपिथीलियम (Cuboidal Epithelium):
- संरचना: ये कोशिकाएँ घन के आकार की होती हैं।
- कार्य: यह यांत्रिक सहारा प्रदान करता है।
- उपस्थिति: वृक्कीय नली (kidney tubules) और लार ग्रंथि (salivary gland) की नलियों के अस्तर का निर्माण करती हैं।
- ग्रंथिल एपिथीलियम (Glandular Epithelium):
- विशेषता: कभी-कभी एपिथीलियमी ऊतक का कुछ भाग अंदर की ओर मुड़कर एक बहुकोशिकीय ग्रंथि (multicellular gland) का निर्माण करता है।
- कार्य: ये कोशिकाएँ पदार्थों का स्राव (secretion) कर सकती हैं, जैसे हार्मोन, एंजाइम, या पसीना।
6.3.2 संयोजी ऊतक (Connective Tissue)
- परिभाषा: संयोजी ऊतक विभिन्न ऊतकों और अंगों को आपस में जोड़ने (connect) और शरीर को सहारा (support) प्रदान करने का कार्य करते हैं।
- संरचनात्मक विशेषताएँ:
- ढीली कोशिकाएँ: संयोजी ऊतक की कोशिकाएँ आपस में कम जुड़ी होती हैं और उनके बीच काफी खाली जगह होती है।
- आधात्री (Matrix): ये कोशिकाएँ एक अंतरकोशिकीय आधात्री (intercellular matrix) में धँसी होती हैं। यह आधात्री जैली की तरह तरल, सघन, या कठोर हो सकती है। आधात्री की प्रकृति, विशिष्ट संयोजी ऊतक के कार्य के अनुसार बदलती रहती है।
संयोजी ऊतक के प्रकार:
- रक्त (Blood):
- विशेषता: यह एक तरल संयोजी ऊतक है।
- आधात्री: रक्त के तरल आधात्री भाग को प्लाज्मा (Plasma) कहते हैं।
- संघटक: प्लाज्मा में लाल रक्त कणिकाएँ (RBCs), श्वेत रक्त कणिकाएँ (WBCs) तथा प्लेटलेट्स (Platelets) निलंबित होते हैं। प्लाज्मा में प्रोटीन, नमक तथा हार्मोन भी होते हैं।
- कार्य:
- गैसों (ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड), पचे हुए भोजन, हार्मोन और अपशिष्ट पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक संवहन (transport) करता है।
- शरीर का तापमान नियंत्रित करता है और रोगों से लड़ता है।
- अस्थि (Bone):
- विशेषता: यह एक कठोर और मजबूत संयोजी ऊतक है।
- कार्य:
- यह पंजर (skeleton) का निर्माण कर शरीर को आकार (shape) प्रदान करती है।
- यह मांसपेशियों को सहारा देती है और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों (जैसे मस्तिष्क, फेफड़े) की रक्षा करती है।
- संरचना: अस्थि कोशिकाएँ एक कठोर आधात्री में धँसी होती हैं, जो मुख्य रूप से कैल्सियम (Calcium) और फॉस्फोरस (Phosphorus) के यौगिकों से बनी होती है।
- स्नायु (Ligament) / अस्थि बंधन तंतु:
- कार्य: यह एक संयोजी ऊतक है जो दो अस्थियों (bones) को आपस में एक-दूसरे से जोड़ता है।
- विशेषताएँ: यह ऊतक बहुत लचीला (flexible) और मजबूत होता है। स्नायु में आधात्री बहुत कम होती है।
- कंडरा (Tendon):
- कार्य: यह एक अन्य प्रकार का संयोजी ऊतक है जो अस्थियों (bones) से मांसपेशियों (muscles) को जोड़ता है।
- विशेषताएँ: कंडरा मजबूत तथा सीमित लचीलेपन वाले रेशेदार ऊतक होते हैं। ये मांसपेशियों की ताकत को हड्डियों तक पहुंचाते हैं।
- उपास्थि (Cartilage):
- विशेषताएँ: यह एक अन्य प्रकार का संयोजी ऊतक है जिसमें कोशिकाओं के बीच पर्याप्त स्थान होता है। इसकी ठोस आधात्री प्रोटीन और शर्करा की बनी होती है। यह अस्थि जितनी कठोर नहीं होती, बल्कि लचीली होती है।
- कार्य:
- यह अस्थियों के जोड़ों को चिकना (smooth) बनाती है, जिससे हड्डियाँ आसानी से हिल सकें।
- यह शरीर के कुछ हिस्सों को लचीलापन और सहारा प्रदान करती है।
- उपस्थिति: उपास्थि नाक की नोक, कान (जिसे मोड़ा जा सकता है), कंठ (larynx) और श्वास नली (trachea) में उपस्थित होती है।
- एरिओलर संयोजी ऊतक (Areolar Connective Tissue):
- विशेषताएँ: यह एक ढीला और अनियमित रेशेदार ऊतक है।
- उपस्थिति: यह त्वचा और मांसपेशियों के बीच, रक्त नलिकाओं के चारों ओर, नसों (nerves) और अस्थि मज्जा (bone marrow) में पाया जाता है।
- कार्य:
- यह अंगों के भीतर की खाली जगह को भरता है।
- आंतरिक अंगों को सहारा प्रदान करता है।
- ऊतकों की मरम्मत (repair) में सहायता करता है।
- वसामय ऊतक (Adipose Tissue):
- विशेषताएँ: यह एक विशेष प्रकार का ढीला संयोजी ऊतक है जो वसा (fat) का भंडारण करता है।
- उपस्थिति: यह मुख्य रूप से त्वचा के नीचे और आंतरिक अंगों के बीच पाया जाता है।
- संरचना: इस ऊतक की कोशिकाएँ (एडिपोसाइट्स – adipocytes) वसा की गोलिकाओं (fat globules) से भरी होती हैं।
- कार्य:
- यह ऊर्जा का भंडारण करता है।
- वसा संग्रहित होने के कारण यह शरीर के लिए एक ऊष्मीय कुचालक (thermal insulator) का कार्य भी करता है, जो शरीर के तापमान को बनाए रखने में मदद करता है।
- यह अंगों को झटकों से बचाता है (कुशन का काम करता है)।
6.3.3 पेशीय ऊतक (Muscular Tissue)
- परिभाषा: पेशीय ऊतक लंबी कोशिकाओं का बना होता है जिसे पेशीय रेशा (muscle fibre) भी कहा जाता है। यह हमारे शरीर में गति (movement) के लिए उत्तरदायी है।
- विशेषता: पेशियों में एक विशेष प्रकार की प्रोटीन होती है, जिसे सिकुड़ने वाला प्रोटीन (contractile protein) कहते हैं, जिसके संकुचन (contraction) एवं प्रसार (relaxation) के कारण गति होती है।
पेशीय ऊतक के प्रकार:
- ऐच्छिक पेशी (Voluntary Muscle) / रेखित पेशी (Striated Muscle) / कंकाल पेशी (Skeletal Muscle):
- कार्य: इन पेशियों की गति को हम अपनी इच्छानुसार नियंत्रित कर सकते हैं (जैसे हाथ और पैर हिलाना, चलना)।
- उपस्थिति: ये पेशियाँ हड्डियों (कंकाल) से जुड़ी होती हैं।
- संरचना:
- सूक्ष्मदर्शी से देखने पर इनमें हल्के और गहरे रंगों की पट्टियाँ या धारियाँ (striations) दिखाई देती हैं, इसीलिए इन्हें रेखित पेशी कहते हैं।
- इस ऊतक की कोशिकाएँ लंबी, बेलनाकार, शाखारहित (unbranched) और बहुनाभीय (multinucleated) होती हैं (यानी एक कोशिका में कई केंद्रक होते हैं)।
- अनैच्छिक पेशी (Involuntary Muscle) / चिकनी पेशी (Smooth Muscle) / आरेखित पेशी (Unstriated Muscle):
- कार्य: इन पेशियों की गति को हम अपनी इच्छा से नियंत्रित नहीं कर सकते हैं (जैसे आहारनली में भोजन का प्रवाह, रक्त नलिकाओं का सिकुड़ना और फैलना)।
- उपस्थिति: ये आँख की पलक, मूत्रवाहिनी (ureter), फेफड़ों की श्वसनी (bronchi) और अधिकांश आंतरिक अंगों (जैसे पेट, आँत) की दीवारों में पाई जाती हैं।
- संरचना:
- इनकी कोशिकाएँ लंबी और दोनों सिरों पर नुकीली (तर्कुरूपी – spindle-shaped) होती हैं।
- ये एक-केंद्रकीय (uninucleated) होती हैं (यानी एक कोशिका में एक ही केंद्रक होता है)।
- इनमें कोई धारियाँ या पट्टियाँ नहीं होती हैं, इसलिए इन्हें आरेखित पेशी कहते हैं।
- कार्डिक (हृदयक) पेशी (Cardiac Muscle):
- कार्य: यह एक विशेष प्रकार की अनैच्छिक पेशी है जो केवल हृदय (heart) की दीवारों में पाई जाती है। यह जीवन भर बिना रुके लयबद्ध (rhythmic) तरीके से संकुचन और प्रसार करती रहती है।
- संरचना:
- हृदय की पेशी कोशिकाएँ बेलनाकार (cylindrical), शाखाओं वाली (branched) और एक-केंद्रकीय होती हैं।
- इनमें हल्की धारियाँ भी दिखाई देती हैं, लेकिन इनकी कार्यप्रणाली अनैच्छिक होती है।
6.3.4 तंत्रिका ऊतक (Nervous Tissue)
- परिभाषा: सभी कोशिकाओं में उत्तेजना (stimuli) के अनुकूल प्रतिक्रिया करने की क्षमता होती है। यद्यपि, तंत्रिका ऊतक की कोशिकाएँ बहुत शीघ्र उत्तेजित होती हैं और इस उत्तेजना को बहुत ही शीघ्र पूरे शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाती हैं।
- उपस्थिति: मस्तिष्क (brain), मेरुरज्जु (spinal cord) तथा तंत्रिकाएँ (nerves) सभी तंत्रिका ऊतकों की बनी होती हैं।
- इकाई: तंत्रिका ऊतक की कोशिकाओं को तंत्रिका कोशिका (Nerve cell) या न्यूरॉन (Neuron) कहा जाता है।
न्यूरॉन की संरचना: एक विशिष्ट न्यूरॉन में तीन मुख्य भाग होते हैं:
- कोशिका काय (Cell Body / Soma): यह न्यूरॉन का मुख्य भाग होता है जिसमें केंद्रक (nucleus) और कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) होता है।
- डेंड्राइट्स (Dendrites): कोशिका काय से निकलने वाले बहुत सारे छोटे, शाखा वाले प्रवर्ध (branched processes) होते हैं। ये अन्य न्यूरॉन से सूचना प्राप्त करते हैं।
- एक्सॉन (Axon): प्रायः प्रत्येक न्यूरॉन में कोशिका काय से निकलने वाला एक लंबा, पतला बालों जैसा प्रवर्ध होता है, जिसको एक्सॉन कहते हैं। एक्सॉन संदेशों को कोशिका काय से दूर ले जाता है।
- एक तंत्रिका कोशिका 1 मीटर तक लंबी हो सकती है।
- बहुत सारे तंत्रिका रेशे (axon fibres) संयोजी ऊतक के द्वारा एक साथ मिलकर एक तंत्रिका (nerve) का निर्माण करते हैं।
- तंत्रिका स्पंदन (Nerve Impulse): तंत्रिका रेशे (एक्सॉन) से गुजरने वाली संवेदना को तंत्रिका स्पंदन (नर्व इम्पल्स) कहते हैं। यह एक विद्युत-रासायनिक संकेत होता है।
- संचरण: तंत्रिका स्पंदन का संचरण एक न्यूरॉन के एक्सॉन के अंतिम सिरे (तंत्रिका अंत) से होता हुआ अगली तंत्रिका कोशिका के डेंड्राइट में होता है।
- कार्य:
- तंत्रिका स्पंदन हमें अपनी पेशियों की इच्छानुसार गति करने में सहायता करता है।
- यह संवेदनाओं (sensations) (जैसे दर्द, स्पर्श, गर्मी) को मस्तिष्क तक पहुंचाता है।
- यह शरीर के विभिन्न भागों के बीच समन्वय (coordination) स्थापित करता है, जिससे हम पर्यावरण के प्रति प्रतिक्रिया कर पाते हैं।
- तंत्रिका तथा पेशीय ऊतकों का कार्यात्मक संयोजन प्रायः सभी जीवों में मौलिक है और यह उत्तेजना के अनुसार जंतुओं को गति प्रदान करता है।