MP Board Class 9 Hindi Saanvale Sapno Ki Yaad : जाबिर हुसैन ने सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न अपने गहरे दुख और अवसाद (गहरी उदासी) को ‘साँवले सपनों की याद’ के रूप में व्यक्त किया है। यह पाठ एक संस्मरण है जो डायरी शैली में लिखा गया है।
लेखक परिचय: जाबिर हुसैन
1. लेखक का परिचय
- नाम: जाबिर हुसैन
- जन्म: सन् 1945
- जन्म स्थान: गाँव नौनहीं, राजगीर, ज़िला नालंदा, बिहार
- शिक्षा और पेशा:
- वे अंग्रेज़ी भाषा एवं साहित्य के प्राध्यापक (प्रोफेसर) रहे।
- राजनैतिक एवं सामाजिक जीवन:
- वे सक्रिय राजनीति में शामिल रहे हैं।
- सन् 1977 में वे मुंगेर से बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और मंत्री भी बने।
- सन् 1995 से वे बिहार विधान परिषद् के सभापति हैं।
- भाषाओं पर अधिकार: जाबिर हुसैन हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी – तीनों भाषाओं में समान अधिकार (पकड़) के साथ लेखन करते रहे हैं।
2. प्रमुख हिंदी रचनाएँ
जाबिर हुसैन की हिंदी रचनाओं में प्रमुख हैं:
- ‘जो आगे हैं’
- ‘डोला बीबी का मज़ार’
- ‘अतीत का चेहरा’
- ‘लोकों’ (या ‘लोगां’ – जैसा आपने लिखा है)
- ‘एक नदी रेत भरी’
3. लेखन शैली और विषय-वस्तु
- जाबिर हुसैन ने अपने लंबे राजनैतिक-सामाजिक जीवन के अनुभवों को अपने साहित्य में प्रकट किया है।
- उनके लेखन का मुख्य विषय आम आदमी के संघर्ष रहे हैं। उन्होंने इन संघर्षों को बहुत संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है।
- उन्होंने आम आदमी और विशिष्ट व्यक्तित्वों पर लिखी गई अपनी डायरी विधा की रचनाओं के लिए विशेष ख्याति प्राप्त की है। उनकी डायरियाँ काफी चर्चित और प्रशंसित हुई हैं।
- जाबिर हुसैन ने डायरी विधा में एक अभिनव (नया और मौलिक) प्रयोग किया है। उनकी प्रस्तुति, शैली और शिल्प (लिखने का तरीका) में नवीनता दिखती है।
4. ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के संदर्भ में
- विधा: यह पाठ एक संस्मरण है, जो डायरी शैली में लिखा गया है।
- कब लिखा गया: यह पाठ जून 1987 में प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली की मृत्यु के तुरंत बाद लिखा गया था।
- मूल भावना: लेखक ने सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न अपने गहरे दुख और अवसाद (गहरी उदासी) को ‘साँवले सपनों की याद’ के रूप में व्यक्त किया है।
- विषय-वस्तु: इस संस्मरण में लेखक ने सालिम अली का स्मरण करते हुए उनका एक सुंदर व्यक्ति-चित्र (चरित्र-चित्रण) प्रस्तुत किया है।
- भाषा और शैली की विशेषता: इस पाठ में लेखक की भाषा की रवानी (प्रवाह) और अभिव्यक्ति की शैली दिल को छूने वाली है। यह पाठ सालिम अली के प्रति लेखक के गहरे प्रेम और सम्मान को दर्शाता है।
‘साँवले सपनों की याद’ – महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
1. किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
उत्तर: सालिम अली के जीवन की दिशा बदलने वाली घटना उनके बचपन से जुड़ी हुई है। एक बार उनके बचपन में उनकी एयरगन से एक नीले कंठ वाली गौरैया घायल होकर गिर पड़ी थी। इस घटना ने सालिम अली को बहुत व्यथित किया। उन्होंने उस घायल गौरैया की देखभाल की, उसके बारे में जानकारी जुटाई और इस घटना से वे पक्षियों के प्रति इतने संवेदनशील हो गए कि उन्होंने अपना पूरा जीवन पक्षियों के अध्ययन, संरक्षण और उनके रहस्य जानने में लगा दिया। यही छोटी सी घटना उनके जीवन में एक मील का पत्थर साबित हुई, जिसने उन्हें एक महान पक्षी विज्ञानी और पक्षी प्रेमी बना दिया।
2. सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर: सालिम अली ने तत्कालीन पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सामने पर्यावरण से संबंधित निम्नलिखित संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा, जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं:
- साइलेंट वैली (शांत घाटी) की सुरक्षा का मुद्दा: सालिम अली ने केरल की साइलेंट वैली को रेगिस्तानी हवाओं के झोंकों और पर्यावरण प्रदूषण से बचाने की बात उठाई होगी। उन्हें चिंता थी कि अगर इस घाटी को नहीं बचाया गया तो वहाँ के हरे-भरे जंगल, झरने और विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु नष्ट हो जाएँगे।
- प्रदूषण का बढ़ता खतरा: उन्होंने बढ़ती शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और प्रदूषण के कारण पक्षियों और उनके प्राकृतिक आवासों पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों को स्पष्ट किया होगा। बताया होगा कि कैसे प्रदूषण के कारण पक्षियों का जीवन खतरे में पड़ रहा है और उनकी प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं।
- जल स्रोतों का सूखना: सालिम अली ने यह भी बताया होगा कि कैसे जल स्रोतों के सूखने और वनों की कटाई से पक्षियों के जीवन पर संकट आ गया है, क्योंकि उन्हें भोजन और पानी नहीं मिल पा रहा है।
- प्रकृति के प्रति मानवीय संवेदनहीनता: उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया होगा कि मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का दोहन कर रहा है और प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहा है, जिसका सीधा असर पक्षी-जगत पर पड़ रहा है।
सालिम अली की प्रकृति और पक्षियों के प्रति गहरी चिंता, उनके तर्कों में सच्चाई और उनकी दूरदर्शिता को देखकर चौधरी चरण सिंह इतने भावुक हुए होंगे कि उनकी आँखें नम हो गईं। वे स्वयं भी गाँवों और मिट्टी से जुड़े व्यक्ति थे, इसलिए सालिम अली की चिंता को भली-भांति समझ पाए होंगे।
3. लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”
उत्तर: लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा का यह कथन कि “मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है” लॉरेंस के प्रकृति के प्रति गहरे लगाव और जुड़ाव को दर्शाता है। इसका आशय यह है कि:
- प्रकृति से आत्मीय संबंध: लॉरेंस का संबंध केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं था, बल्कि वे प्रकृति और पशु-पक्षियों के साथ भी एक आत्मीय और गहरा रिश्ता रखते थे। वे प्रकृति में इतना घुलमिल गए थे कि पक्षी भी उन्हें अपना समझते थे।
- शांत और संवेदनशील व्यक्तित्व: लॉरेंस स्वभाव से अत्यंत शांत, एकांतप्रिय और संवेदनशील व्यक्ति थे। वे प्रकृति के साथ समय बिताना पसंद करते थे और पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों की गतिविधियों को बड़े ध्यान से देखते थे। पक्षी उनके पास बिना किसी डर के आ जाते थे।
- मानवीयता से परे प्रकृति प्रेम: फ्रीडा यह कहना चाहती हैं कि लॉरेंस के जीवन के गूढ़ रहस्य, उनकी आंतरिक भावनाएँ और प्रकृति के प्रति उनका अगाध प्रेम शायद किसी मनुष्य से ज्यादा उन छोटी गोरैया को पता था जो हर दिन उनके साथ रहती थीं। यह लॉरेंस के ऐसे व्यक्तित्व को उजागर करता है जिसे शब्दों में पूरी तरह बयाँ करना शायद संभव न हो, लेकिन प्रकृति के छोटे से जीव उसे महसूस कर सकते थे।
- अद्वितीय प्रकृति प्रेम का प्रतीक: यह कथन लॉरेंस के अद्वितीय प्रकृति प्रेम का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि उनका जीवन और उनकी पहचान प्रकृति से इतनी गहराई से जुड़ी थी कि प्रकृति के छोटे-छोटे जीव भी उनके सबसे बड़े राजदार थे। यह कथन सालिम अली के व्यक्तित्व से भी मिलता-जुलता है, क्योंकि सालिम अली भी प्रकृति और पक्षियों के साथ ऐसा ही गहरा संबंध रखते थे।
4. आशय स्पष्ट कीजिए:
(क) वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक ज़िंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
आशय: इस पंक्ति का आशय यह है कि सालिम अली भी अंग्रेज़ी साहित्यकार डी. एच. लॉरेंस की तरह प्रकृति और सहज जीवन के प्रतीक बन गए थे।
- नैसर्गिक ज़िंदगी: का अर्थ है प्राकृतिक, सहज, आडंबरहीन और दिखावे से दूर जीवन। ऐसा जीवन जो प्रकृति के नियमों के अनुकूल हो और जिसमें बनावटीपन न हो।
- प्रतिरूप बन गए थे: का अर्थ है कि सालिम अली का जीवन प्रकृति के साथ इतना एकाकार हो गया था कि वे स्वयं प्रकृति के सहज और नैसर्गिक रूप का ही प्रतिबिंब बन गए थे।
- यह कथन सालिम अली के प्रकृति प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाता है। जिस प्रकार लॉरेंस प्रकृति से गहरे जुड़े थे और अपने जीवन में सहजता व प्रकृति के नियमों का पालन करते थे, उसी प्रकार सालिम अली भी पक्षियों और प्रकृति के साथ ऐसे घुलमिल गए थे कि उनका जीवन भी प्रकृति का ही एक सहज और स्वाभाविक हिस्सा बन गया था। उनमें कहीं भी बनावटीपन या शहरी चकाचौंध नहीं थी। वे प्रकृति के लिए ही जीते और उसी में खो जाते थे।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!
आशय: यह पंक्ति लेखक जाबिर हुसैन के गहरे दुख, निराशा और सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न अवसाद को व्यक्त करती है।
- यहाँ ‘पक्षी’ शब्द का प्रयोग सालिम अली के लिए किया गया है, क्योंकि सालिम अली का जीवन पक्षियों को समर्पित था और वे स्वयं पक्षियों की तरह ही प्रकृति में विचरण करते थे।
- ‘जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहें’ का अर्थ है कि भले ही कोई व्यक्ति अपनी पूरी शक्ति, अपना जीवन देकर भी सालिम अली को वापस जीवित करना चाहे, तो भी यह असंभव है। मृत्यु एक अटल सत्य है और एक बार प्राण निकल जाने पर व्यक्ति वापस नहीं लौट सकता।
- ‘वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा’ का भाव यह है कि सालिम अली जैसे प्रकृति प्रेमी और पक्षी विज्ञानी की मृत्यु के बाद, उनके अद्वितीय कार्य, उनके सपने और पक्षियों के लिए उनका जुनून अब कौन आगे बढ़ाएगा? उनकी मृत्यु से पक्षी-जगत को जो क्षति हुई है, उसकी पूर्ति कोई और नहीं कर सकता। उनके बिना पक्षियों के लिए चलाए गए अभियान, उनके शोध और उनके देखे गए ‘सपने’ (पक्षी संरक्षण के) अब अधूरे रह जाएंगे और उन सपनों के गीत फिर कभी उसी उत्साह और संवेदनशीलता के साथ नहीं गाए जा सकेंगे। यह पंक्ति सालिम अली की अपूरणीय क्षति को व्यक्त करती है।
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
आशय: यह पंक्ति सालिम अली के प्रकृति प्रेम और पक्षी-विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान की विशालता और व्यापकता को दर्शाती है।
- ‘टापू’ का अर्थ होता है पानी के बीच ज़मीन का छोटा-सा टुकड़ा, जो सीमित होता है।
- ‘अथाह सागर’ का अर्थ है असीमित, विशाल और गहरा।
- इस उपमा का आशय यह है कि सालिम अली का प्रकृति ज्ञान या पक्षी प्रेम किसी छोटे, सीमित क्षेत्र तक बंधा हुआ नहीं था। उनका ज्ञान, उनकी खोज और उनकी प्रकृति के प्रति समझ किसी छोटे ‘टापू’ की तरह सीमित नहीं थी, बल्कि वह एक ‘अथाह सागर’ की तरह विशाल, गहरा और व्यापक था।
- उन्होंने पक्षी-विज्ञान के क्षेत्र में बहुत व्यापक काम किया। उन्होंने केवल कुछ पक्षियों का अध्ययन नहीं किया, बल्कि पूरे पक्षी-जगत, उनके व्यवहार, उनके प्रवास और उनके पारिस्थितिकी तंत्र पर गहन शोध किया। उनका दृष्टिकोण एकांगी न होकर सर्वव्यापी था। वे प्रकृति के रहस्यों को असीमित गहराई से जानने की चेष्टा करते थे और उनका योगदान भी असीमित और अतुलनीय था।
5. इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर लेखक जाबिर हुसैन की भाषा-शैली की चार प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- संवेदनशील एवं भावुक शैली: लेखक ने सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न अपने गहरे दुख और अवसाद को अत्यंत संवेदनशीलता और भावुकता के साथ व्यक्त किया है। उनकी शैली हृदयस्पर्शी है, जो पाठक को भी सालिम अली के प्रति भावनात्मक रूप से जोड़ देती है।
- चित्रमय और बिंबात्मक भाषा: लेखक ने अपनी भाषा का प्रयोग इस प्रकार किया है कि पढ़ते समय सालिम अली का पूरा व्यक्तित्व और प्रकृति का दृश्य हमारी आँखों के सामने साकार हो उठता है। उन्होंने ‘साँवले सपनों’, ‘सुनहरे परिंदों के पंखों पर सवार’, ‘हरारत और दिल की धड़कन’ जैसे बिंबों का प्रयोग किया है, जिससे भाषा सजीव और प्रभावशाली बन गई है।
- मिश्रित शब्दावली का प्रयोग: लेखक ने हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी तीनों भाषाओं के शब्दों का सुंदर मिश्रण किया है, जो उनकी भाषा पर समान अधिकार को दर्शाता है। इससे भाषा में एक विशिष्ट प्रवाह और सौंदर्य आ गया है (जैसे – ‘साइलेंट वैली’, ‘नैसर्गिक’, ‘हरारत’, ‘जाहिर’, ‘अवसाद’ आदि)।
- संस्मरणात्मक एवं डायरी शैली: यह पाठ एक संस्मरण है जो डायरी शैली में लिखा गया है। लेखक ने अपने विचारों और भावनाओं को सीधे और व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठ में आत्मीयता और प्रवाह (रवानी) बनी रहती है। वे पाठक से सीधे संवाद करते प्रतीत होते हैं।
6. इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ में लेखक जाबिर हुसैन ने महान पक्षी विज्ञानी सालिम अली का एक अत्यंत मनोहारी और प्रभावशाली व्यक्ति-चित्र खींचा है:
- प्रकृति और पक्षियों के समर्पित: सालिम अली का व्यक्तित्व प्रकृति और पक्षी-जगत को पूरी तरह समर्पित था। वे पक्षियों की दुनिया में एक अथाह सागर की तरह थे, उनका ज्ञान और प्रेम असीमित था। वे पक्षियों के लिए ही जीते थे और उनके संरक्षण में ही उनका जीवन निहित था।
- अद्वितीय खोजी और दूरबीन वाले: वे हमेशा अपनी आँखों पर दूरबीन लगाए रखते थे, मानो पक्षियों को खोजने और उनकी दुनिया को जानने के लिए ही उनका जन्म हुआ हो। वे प्रकृति में घूम-घूमकर पक्षियों के रहस्य खोजते थे।
- शांत, संवेदनशील और नैसर्गिक: वे स्वभाव से बेहद शांत, सरल और संवेदनशील व्यक्ति थे। उनका जीवन दिखावे और आडंबरों से दूर, बिल्कुल नैसर्गिक (प्राकृतिक) था। उन्हें प्रकृति की हर छोटी-बड़ी गतिविधि में गहरी रुचि थी।
- पर्यावरण के रक्षक: वे केवल पक्षी विज्ञानी ही नहीं, बल्कि एक सच्चे पर्यावरण प्रेमी भी थे। उन्हें प्रकृति और पर्यावरण पर मंडराते खतरों की गहरी चिंता थी और वे इसके संरक्षण के लिए लगातार प्रयास करते रहते थे, जैसा कि उनका पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिलना दर्शाता है।
- कमजोर काया के बावजूद दृढनिश्चयी: अंतिम समय में कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से जूझते हुए भी उनकी दृष्टि कमजोर नहीं हुई थी और वे पक्षियों को देखने की अपनी इच्छा को नहीं छोड़ पाए थे। उनकी काया भले ही कमजोर पड़ गई थी, पर उनका संकल्प दृढ़ था।
- पक्षी-जगत के लिए अद्वितीय योगदान: लेखक उन्हें ‘परिंदों का सफर’ कहने वाले एक ऐसे यात्री के रूप में चित्रित करते हैं, जिसने अपनी अंतहीन यात्रा में पक्षी-जगत के लिए अद्भुत और अविस्मरणीय काम किया। वे हर पक्षी की भाषा को समझने वाले, उनके दुख-सुख में शामिल होने वाले अद्वितीय मानव थे।
संक्षेप में, सालिम अली एक ऐसे अद्भुत व्यक्ति थे जिनका जीवन पक्षियों और प्रकृति को समर्पित था। वे प्रकृति के लिए एक सच्चे ‘साइलेंट वॉचर’ थे, जिनका स्थान कोई नहीं ले सकता।
7. ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक इस संस्मरण की मूल भावना और विषय-वस्तु को अत्यंत सार्थकता के साथ व्यक्त करता है।
- ‘साँवले सपने’:
- यहाँ ‘साँवले’ शब्द गहरे, गंभीर, रहस्यमय और कुछ हद तक दुखद अर्थ लिए हुए है। यह उन सपनों, इच्छाओं, खोजों और अभियानों की ओर इशारा करता है जो सालिम अली ने पक्षी-जगत और प्रकृति के संरक्षण के लिए देखे थे।
- ये सपने ‘साँवले’ इसलिए हैं क्योंकि सालिम अली की मृत्यु के साथ ही ये सपने भी अधूरे रह गए हैं। उनकी अनुपस्थिति में इन सपनों को कौन पूरा करेगा, यह एक अनिश्चितता और दुख का भाव पैदा करता है। यह सालिम अली के जीवन की उस जटिलता और रहस्यमयता को भी दर्शाता है जिसे सामान्य व्यक्ति नहीं समझ पाता।
- यह पक्षियों और प्रकृति के प्रति सालिम अली के गहन प्रेम और उनकी दुनिया की ओर भी संकेत करता है, जो अक्सर आम दुनिया से थोड़ी अलग और ‘साँवली’ सी दिखती है।
- ‘की याद’:
- यह स्पष्ट करता है कि लेखक ये बातें सालिम अली की मृत्यु के बाद उन्हें याद करते हुए लिख रहे हैं। यह संस्मरण एक श्रद्धांजलि है, जो सालिम अली के व्यक्तित्व और उनके योगदान को स्मरण करती है।
- यह शीर्षक लेखक के उस शोक और अवसाद को भी प्रकट करता है जो सालिम अली के निधन से उत्पन्न हुआ है। वे उन ‘सपनों’ को याद कर रहे हैं जो अब सालिम अली के साथ ही विलीन हो गए हैं।
संक्षेप में, ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक अत्यंत प्रतीकात्मक और भावनात्मक है। यह सालिम अली के अद्वितीय प्रकृति प्रेम, उनके अधूरे रह गए सपनों, उनकी मृत्यु से उत्पन्न दुख और उनकी यादों की गहनता को दर्शाता है। यह शीर्षक पाठक के मन में जिज्ञासा और करुणा का भाव जगाता है और पाठ की पूरी संवेदना को अपने भीतर समेटे हुए है।
‘साँवले सपनों की याद’ – अतिरिक्त जानकारी
1. प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी: सालिम अली (Salim Ali)
- जन्म: 12 नवंबर 1896
- मृत्यु: 20 जून 1987
- विशेषता: वे भारत के एक अत्यंत प्रसिद्ध और महान पक्षी विज्ञानी (Ornithologist) थे। उन्हें ‘बर्डमैन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से भी जाना जाता है।
- आत्मकथा: उन्होंने अपनी आत्मकथा (Autobiography) लिखी है, जिसका शीर्षक है:
- मूल शीर्षक (अंग्रेज़ी में): ‘Fall of a Sparrow’ (अर्थात: एक गौरैया का गिरना)
- हिंदी अनुवाद: इसका हिंदी अनुवाद ‘एक गौरैया का गिरना’ शीर्षक से नेशनल बुक ट्रस्ट ने प्रकाशित किया है।
- आत्मकथा की विषय-वस्तु: उनकी आत्मकथा में पक्षियों से संबंधित अनेक रोमांचक और दिलचस्प किस्से (कहानियाँ) शामिल हैं, जो उनके पक्षी प्रेम और उनके अध्ययनों को दर्शाते हैं।
2. डी. एच. लॉरेंस (D.H. Lawrence)
- जीवनकाल: 1885 – 1930
- परिचय: वे 20वीं सदी के अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध उपन्यासकार थे। उन्होंने उपन्यास के साथ-साथ कविताएँ भी लिखी हैं।
- विशेषकर प्रकृति संबंधी कविताएँ: उनकी प्रकृति संबंधी कविताएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय (महत्वपूर्ण) हैं।
- प्रकृति से लगाव:
- डी. एच. लॉरेंस का प्रकृति से बहुत गहरा लगाव था।
- प्रकृति के साथ उनका सघन संबंध था, अर्थात वे प्रकृति में पूरी तरह एकाकार हो जाते थे और उसे महसूस करते थे।
- वे मानते थे कि मानव जाति एक उखड़े हुए महान वृक्ष की भाँति है, जिसकी जड़ें हवा में फैली हुई हैं। (इसका अर्थ है कि मनुष्य प्रकृति से कटकर बेसहारा और अस्थिर हो गया है, जैसे जड़ों के बिना पेड़।)
- वे यह भी मानते थे कि हमारा प्रकृति की ओर ‘लौटना’ बहुत ज़रूरी है। (उनका मानना था कि मनुष्य को अपने अस्तित्व और कल्याण के लिए फिर से प्रकृति से जुड़ना होगा, तभी वह सच्चा सुख और शांति पा सकेगा।)
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) – साँवले सपनों की याद
निर्देश: सही विकल्प का चयन कीजिए।
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के लेखक कौन हैं?
(अ) श्यामाचरण दुबे
(ब) प्रेमचंद
(स) जाबिर हुसैन (सही उत्तर)
(द) राहुल सांकृत्यायन
जाबिर हुसैन का जन्म किस वर्ष हुआ था?
(अ) 1935
(ब) 1945 (सही उत्तर)
(स) 1955
(द) 1965
जाबिर हुसैन का जन्म स्थान किस राज्य में है?
(अ) उत्तर प्रदेश
(ब) मध्य प्रदेश
(स) बिहार (सही उत्तर)
(द) राजस्थान
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ की विधा क्या है?
(अ) कहानी
(ब) नाटक
(स) संस्मरण (सही उत्तर)
(द) आत्मकथा
यह पाठ किस प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी की मृत्यु के बाद लिखा गया संस्मरण है?
(अ) डी. एच. लॉरेंस
(ब) डॉ. सलीम अली (सही उत्तर)
(स) जॉन कीट्स
(द) सुंदरलाल बहुगुणा
सालिम अली की आत्मकथा का नाम क्या है?
(अ) बर्डमैन ऑफ़ इंडिया
(ब) द वंडरफुल वर्ल्ड ऑफ़ बर्ड्स
(स) फ़ॉल ऑफ ए स्पैरो (सही उत्तर)
(द) बर्ड्स ऑफ़ इंडिया
सालिम अली की आत्मकथा ‘फ़ॉल ऑफ ए स्पैरो’ का हिंदी अनुवाद किस शीर्षक से प्रकाशित हुआ है?
(अ) गौरैया का पतन
(ब) एक गौरैया का गिरना (सही उत्तर)
(स) चिड़िया की कहानी
(द) पक्षी जीवन
किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
(अ) हिमालय की यात्रा
(ब) एक नीले कंठ वाली गौरैया का घायल होकर गिरना (सही उत्तर)
(स) डी. एच. लॉरेंस से मुलाकात
(द) एक पक्षी संबंधी पुस्तक पढ़ना
सालिम अली ने किस पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित खतरों का चित्र खींचा था?
(अ) इंदिरा गांधी
(ब) अटल बिहारी वाजपेयी
(स) चौधरी चरण सिंह (सही उत्तर)
(द) जवाहरलाल नेहरू
सालिम अली द्वारा पर्यावरण के बारे में चिंता व्यक्त करने पर किसकी आँखें नम हो गई थीं?
(अ) जाबिर हुसैन की
(ब) डी. एच. लॉरेंस की
(स) चौधरी चरण सिंह की (सही उत्तर)
(द) फ्रीडा की
डी. एच. लॉरेंस किस देश के प्रसिद्ध उपन्यासकार थे?
(अ) अमेरिका
(ब) फ्रांस
(स) इंग्लैंड (सही उत्तर)
(द) जर्मनी
डी. एच. लॉरेंस की पत्नी का नाम क्या था?
(अ) एलिज़ाबेथ
(ब) मारिया
(स) फ्रीडा (सही उत्तर)
(द) कैथरीन
फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”
(अ) लॉरेंस गोरैया को खाना खिलाते थे।
(ब) लॉरेंस का प्रकृति से गहरा आत्मीय संबंध था। (सही उत्तर)
(स) गोरैया बहुत बुद्धिमान थी।
(द) लॉरेंस गोरैया पर शोध कर रहे थे।
“वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक ज़िंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।” इस वाक्य में ‘नैसर्गिक’ का अर्थ क्या है?
(अ) बनावटी
(ब) दिखावटी
(स) प्राकृतिक (सही उत्तर)
(द) शहरी
“कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!” इस पंक्ति में ‘पक्षी’ किसे कहा गया है?
(अ) किसी आम पक्षी को
(ब) डी. एच. लॉरेंस को
(स) सालिम अली को (सही उत्तर)
(द) गौरैया को
“सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।” यहाँ ‘अथाह सागर’ क्या दर्शाता है?
(अ) सालिम अली का सीमित ज्ञान
(ब) सालिम अली का विशाल और व्यापक ज्ञान (सही उत्तर)
(स) उनका समुद्र के प्रति प्रेम
(द) उनकी अकेलापन
लेखक ने सालिम अली को किसके समान ‘परिंदों का सफर’ कहा है?
(अ) एक साधारण यात्री
(ब) एक दूरबीन लेकर चलने वाला
(स) एक अंतहीन यात्रा का यात्री (सही उत्तर)
(द) एक शिकारी
सालिम अली की मृत्यु किस रोग के कारण हुई थी?
(अ) हृदय रोग
(ब) कैंसर (सही उत्तर)
(स) मधुमेह
(द) टी.बी.
लेखक ने सालिम अली के लिए कौन सा विशेषण प्रयोग किया है जो उनके जीवन के आखिरी क्षणों तक उनकी आँखों की रोशनी को दर्शाता है?
(अ) सुनहरी पक्षी
(ब) जटिल प्राणी
(स) दूरबीन वाले (सही उत्तर)
(द) साइलेंट वैली का रक्षक
‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक में ‘साँवले सपने’ क्या प्रतीक हैं?
(अ) दुखद और अधूरे रह गए सपने (सही उत्तर)
(ब) रंगीन और सुंदर सपने
(स) रात के सपने
(द) बच्चों के सपने