कक्षा 9 विज्ञान परमाणु और अणु की अवधारणा : MP Board Class 9 Concept of Molecule and Atom

MP Board Class 9 Concept of Molecule and Atom

परमाणु और अणु की अवधारणा

विज्ञान में पदार्थ की मूलभूत इकाइयों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह समझ प्राचीन दार्शनिकों के विचारों से विकसित हुई है और आधुनिक रसायन विज्ञान का आधार बनी है। इस अवधारणा के केंद्र में परमाणु और अणु हैं।

परमाणु: पदार्थ की अविभाज्य इकाई

प्राचीन काल से ही भारतीय और ग्रीक दार्शनिक इस बात पर विचार करते रहे हैं कि यदि हम किसी पदार्थ को लगातार विभाजित करते जाएं तो अंत में क्या बचेगा। लगभग 500 ईसा पूर्व, भारतीय दार्शनिक महर्षि कणाद ने प्रस्ताव दिया कि पदार्थ को विभाजित करने पर हमें छोटे-छोटे कण प्राप्त होते जाएंगे, और अंततः एक ऐसी सीमा आएगी जब प्राप्त कण को और विभाजित नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने इस सूक्ष्मतम, अविभाज्य कण को परमाणु नाम दिया। उनके एक समकालीन, पकुधा कात्यायन ने इस विचार को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ये कण सामान्यतः संयुक्त रूप में पाए जाते हैं, जिससे हमें द्रव्यों के विभिन्न रूप प्राप्त होते हैं।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

लगभग इसी समय, ग्रीक दार्शनिक डेमोक्रिटस और ल्यूसिपस ने भी इसी तरह के विचार प्रस्तुत किए, और इन अविभाज्य कणों को यूनानी शब्द “एटमोस” (अर्थात् अविभाज्य) से परमाणु कहा। हालांकि, ये सभी विचार केवल दार्शनिक चिंतन पर आधारित थे और इनकी वैधता सिद्ध करने के लिए 18वीं शताब्दी तक कोई प्रयोगात्मक कार्य नहीं हुआ।

18वीं शताब्दी के अंत में, ब्रिटिश रसायनज्ञ जॉन डाल्टन ने दार्शनिक विचारों को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया। उन्होंने रासायनिक संयोजन के नियमों (द्रव्यमान संरक्षण का नियम और स्थिर अनुपात का नियम) के आधार पर अपना परमाणु सिद्धांत प्रस्तुत किया। डाल्टन के सिद्धांत के अनुसार:

  • सभी द्रव्य (तत्व, यौगिक या मिश्रण) सूक्ष्म कणों से बने होते हैं जिन्हें परमाणु कहते हैं।
  • परमाणु अविभाज्य होते हैं; उन्हें न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है (जो द्रव्यमान संरक्षण के नियम की व्याख्या करता है)।
  • एक ही तत्व के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान और रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं, जबकि भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान और रासायनिक गुणधर्म भिन्न-भिन्न होते हैं।
  • भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु सरल पूर्ण संख्या के अनुपात में संयोग करके यौगिक बनाते हैं (जो स्थिर अनुपात के नियम की व्याख्या करता है)।

उदाहरण: यदि आप 12 ग्राम कार्बन को 32 ग्राम ऑक्सीजन के साथ जलाते हैं, तो आपको हमेशा 44 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त होगी। यह डाल्टन के सिद्धांत के अनुसार परमाणुओं के निश्चित अनुपात में संयोजन और द्रव्यमान के संरक्षण को दर्शाता है।

परमाणु द्रव्यमान: प्रत्येक परमाणु की एक पहचान

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की सबसे महत्वपूर्ण संकल्पनाओं में से एक परमाणु द्रव्यमान की थी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक तत्व का एक विशिष्ट परमाणु द्रव्यमान होता है। चूँकि एक अकेले परमाणु का द्रव्यमान ज्ञात करना बहुत मुश्किल था, वैज्ञानिकों ने सापेक्ष परमाणु द्रव्यमान की अवधारणा विकसित की।

शुरुआत में, ऑक्सीजन के परमाणु द्रव्यमान के 1/16वें भाग को इकाई माना गया, क्योंकि ऑक्सीजन अनेक तत्वों के साथ आसानी से अभिक्रिया करती है और इस इकाई से अधिकांश तत्वों के परमाणु द्रव्यमान लगभग पूर्णांक में आते थे। हालाँकि, 1961 में, कार्बन-12 समस्थानिक को मानक संदर्भ के रूप में सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया गया।

परमाणु द्रव्यमान इकाई (u): कार्बन-12 समस्थानिक के एक परमाणु द्रव्यमान के 1/12वें भाग को मानक परमाणु द्रव्यमान इकाई (u) के रूप में परिभाषित किया जाता है। सभी तत्वों के परमाणु द्रव्यमान कार्बन-12 परमाणु के सापेक्ष प्राप्त किए जाते हैं।

उदाहरण:

  • हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान लगभग 1 u होता है।
  • ऑक्सीजन परमाणु का द्रव्यमान लगभग 16 u होता है।
  • कार्बन परमाणु का द्रव्यमान लगभग 12 u होता है।

अणु: परमाणुओं का संयोजन

अधिकांश तत्वों के परमाणु स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में नहीं रह पाते हैं। वे एक साथ मिलकर स्थायी संरचनाएं बनाते हैं जिन्हें अणु कहते हैं। एक अणु दो या दो से अधिक परमाणुओं का समूह होता है जो रासायनिक बंध द्वारा आपस में कसकर जुड़े होते हैं। अणु को किसी तत्व अथवा यौगिक के उस सूक्ष्मतम कण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में रह सकता है और उस यौगिक के सभी गुणधर्मों को प्रदर्शित करता है।

तत्वों के अणु: एक ही प्रकार के परमाणुओं से बने होते हैं।

  • एकपरमाणुक: कुछ तत्व, जैसे आर्गन (Ar) और हीलियम (He), केवल एक परमाणु से बने अणु के रूप में अस्तित्व में रहते हैं।
  • द्विपरमाणुक: अधिकांश गैसें, जैसे ऑक्सीजन (O2​) और नाइट्रोजन (N2​), दो परमाणुओं के संयोजन से अणु बनाती हैं।
  • बहुपरमाणुक: कुछ तत्वों के अणु तीन या अधिक परमाणुओं से बने होते हैं, जैसे ओजोन (O3​, तीन ऑक्सीजन परमाणु)।

यौगिकों के अणु: भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के निश्चित अनुपात में जुड़ने से बनते हैं।

  • उदाहरण:
    • जल (H2​O): इसमें 2 हाइड्रोजन परमाणु और 1 ऑक्सीजन परमाणु होते हैं। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का द्रव्यमान अनुपात हमेशा 1:8 होता है।
    • कार्बन डाइऑक्साइड (CO2​): इसमें 1 कार्बन परमाणु और 2 ऑक्सीजन परमाणु होते हैं। कार्बन और ऑक्सीजन का द्रव्यमान अनुपात हमेशा 3:8 होता है।

आण्विक द्रव्यमान का परिकलन: किसी पदार्थ का आण्विक द्रव्यमान उसके सभी संघटक परमाणुओं के परमाणु द्रव्यमानों का योग होता है।

उदाहरण:

  • जल (H2​O) का आण्विक द्रव्यमान = (2× हाइड्रोजन का परमाणु द्रव्यमान) + (1× ऑक्सीजन का परमाणु द्रव्यमान) = (2×1 u) + (1×16 u) = 18 u

आयन: आवेशित कण

धातुओं और अधातुओं से बने यौगिक आवेशित कणों से बने होते हैं जिन्हें आयन कहते हैं। आयन एक आवेशित परमाणु या परमाणुओं का समूह होता है।

  • धनायन (cation): धन आवेशित आयन।
    • उदाहरण: सोडियम आयन (Na+), मैग्नीशियम आयन (Mg2+)।
  • ऋणायन (anion): ऋण आवेशित आयन।
    • उदाहरण: क्लोराइड आयन (Cl−), ऑक्साइड आयन (O2−)।
  • बहुपरमाणुक आयन: परमाणुओं का ऐसा समूह जिस पर कुल आवेश होता है।
    • उदाहरण: हाइड्रॉक्साइड (OH−), सल्फेट (SO42−​)।

सूत्र इकाई द्रव्यमान: आयनिक यौगिकों के लिए आण्विक द्रव्यमान के समान ही सूत्र इकाई द्रव्यमान का उपयोग होता है, क्योंकि वे अणुओं के रूप में नहीं बल्कि आयनों के नेटवर्क के रूप में मौजूद होते हैं। यह उनके घटक आयनों के परमाणु द्रव्यमानों का योग होता है।

उदाहरण:

  • सोडियम क्लोराइड (NaCl) का सूत्र इकाई द्रव्यमान = (1×Na का परमाणु द्रव्यमान) + (1×Cl का परमाणु द्रव्यमान) = (1×23 u) + (1×35.5 u) = 58.5 u

रासायनिक सूत्र: यौगिकों का प्रतिनिधित्व

किसी यौगिक का रासायनिक सूत्र उसके संघटक तत्वों और उनकी संख्याओं का प्रतीकात्मक निरूपण होता है। सूत्र लिखने के लिए तत्वों के प्रतीक और उनकी संयोजकता (संयोजन शक्ति) जानना आवश्यक है।

रासायनिक सूत्र लिखने के नियम:

  1. धातु और अधातु से बने यौगिकों में, धातु का प्रतीक पहले (बाईं ओर) लिखा जाता है, उसके बाद अधातु का प्रतीक (दाईं ओर)।
    • उदाहरण: कैल्सियम ऑक्साइड (CaO), सोडियम क्लोराइड (NaCl)।
  2. बहुपरमाणुक आयनों वाले यौगिकों में, यदि आयन की संख्या एक से अधिक हो, तो आयन को कोष्ठक में रखकर संख्या कोष्ठक के बाहर लिखते हैं।
    • उदाहरण: मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (Mg(OH)2​)। यदि संख्या 1 हो तो कोष्ठक नहीं लगाते, जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH)।
  3. सरल यौगिकों (द्विअंगी यौगिक) के सूत्र लिखते समय, तत्वों के प्रतीकों के नीचे उनकी संयोजकताएँ लिखकर उन्हें ‘क्रिस-क्रॉस’ (criss-cross) किया जाता है।

उदाहरण:

  • हाइड्रोजन क्लोराइड: H (संयोजकता 1), Cl (संयोजकता 1) → HCl
  • मैग्नीशियम क्लोराइड: Mg2+ (आवेश 2+), Cl− (आवेश 1−) → MgCl2​ (धनायन और ऋणायन का आवेश संतुलित होना चाहिए)।

परमाणु और अणु की अवधारणा रसायन विज्ञान की आधारशिला है जो हमें पदार्थ की संरचना और उसके व्यवहार को समझने में मदद करती है।

Leave a Comment