कक्षा 9 विज्ञान -कार्य की अवधारणा : MP Board Class 9 Basic Concept of Work

MP Board Class 9 Basic Concept of Work

कार्य की अवधारणा (Basic Concept of Work)

यहाँ “कार्य” (Work), “कार्य की वैज्ञानिक संकल्पना” (Scientific Concept of Work) और “बल द्वारा किया गया कार्य” (Work Done by a Force) की विस्तृत व्याख्या दी गई है, जिसे परीक्षा के लिए उपयोगी और छात्रों के लिए आसानी से समझने योग्य बनाया गया है।

कार्य (Work)

सामान्य जीवन में, ‘कार्य’ (Work) का अर्थ किसी भी गतिविधि को करने से होता है, जैसे पढ़ना, लिखना या कोई शारीरिक श्रम करना। लेकिन भौतिकी (Physics) में ‘कार्य’ की एक बहुत ही विशिष्ट और वैज्ञानिक परिभाषा है। भौतिकी में कार्य को तभी किया हुआ माना जाता है जब ऊर्जा का स्थानांतरण (transfer of energy) हो।

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कार्य की वैज्ञानिक संकल्पना (Scientific Concept of Work)

भौतिकी में, कार्य (Work) को तभी संपन्न (done) माना जाता है जब दो मुख्य शर्तें पूरी होती हैं:

  1. बल का अनुप्रयोग (Application of Force): किसी वस्तु पर बल (Force) लगाया गया हो। यानी, आप वस्तु को धक्का दे रहे हों या खींच रहे हों।
  2. विस्थापन (Displacement): वस्तु बल की दिशा में या बल के घटक (component) की दिशा में विस्थापित (displaced) हो। इसका मतलब है कि वस्तु अपनी मूल स्थिति (initial position) से बल के प्रभाव में अपनी जगह बदले।

उदाहरण के लिए:

  • यदि आप एक दीवार पर बल लगाते हैं, लेकिन दीवार अपनी जगह से हिलती नहीं है (विस्थापन शून्य है), तो वैज्ञानिक रूप से आपके द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया है, भले ही आप थक जाएँ।
  • यदि कोई व्यक्ति अपने सिर पर भारी बोझ रखकर क्षैतिज (horizontally) चलता है, तो गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) द्वारा बोझ पर किया गया कार्य शून्य होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल नीचे की ओर कार्य करता है, जबकि व्यक्ति क्षैतिज दिशा में चलता है। बल और विस्थापन के बीच का कोण 90∘ है।

कार्य एक अदिश राशि (Scalar Quantity) है। इसका अर्थ है कि इसमें केवल परिमाण (Magnitude) होता है, दिशा (Direction) नहीं।

कार्य का SI मात्रक (SI Unit) जूल (Joule) है, जिसे ‘J’ से दर्शाया जाता है। 1 जूल कार्य तब होता है जब 1 न्यूटन (Newton) का बल किसी वस्तु को बल की दिशा में 1 मीटर (Meter) विस्थापित करता है।

गणितीय सूत्र (Mathematical Formula): यदि किसी वस्तु पर F बल लगाने पर वह बल की दिशा में s दूरी विस्थापित होती है, तो किया गया कार्य (W) होगा: W=F×s जहाँ,

  • W = कार्य (Work)
  • F = लगाया गया बल (Applied Force)
  • s = बल की दिशा में विस्थापन (Displacement in the direction of force)

बल द्वारा किया गया कार्य (Work Done by a Force)

किसी बल द्वारा किया गया कार्य इस बात पर निर्भर करता है कि बल और विस्थापन की दिशाएँ एक-दूसरे के सापेक्ष (relative to each other) कैसी हैं। इसे तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. धनात्मक कार्य (Positive Work)

जब बल (Force) और विस्थापन (Displacement) की दिशा एक ही होती है (अर्थात, बल विस्थापन की दिशा में कार्य कर रहा हो), तो किया गया कार्य धनात्मक (Positive) होता है। इस स्थिति में बल वस्तु की गति में सहायता करता है या उसकी गति को बढ़ाता है।

उदाहरण:

  • एक खिलौना कार को धकेलने पर आपके द्वारा किया गया कार्य, यदि कार उसी दिशा में आगे बढ़ती है।
  • एक वस्तु को ऊपर उठाने पर आपके द्वारा लगाया गया बल, यदि वस्तु ऊपर की ओर उठती है।
  • एक स्प्रिंग (Spring) को खींचने पर लगाया गया बल, यदि स्प्रिंग खिंचती है।

सूत्र: W=F×s (जब बल और विस्थापन के बीच का कोण θ=0∘ हो, क्योंकि cos0∘=1)

2. ऋणात्मक कार्य (Negative Work)

जब बल (Force) और विस्थापन (Displacement) की दिशा एक-दूसरे के विपरीत होती है (अर्थात, बल विस्थापन की विपरीत दिशा में कार्य कर रहा हो), तो किया गया कार्य ऋणात्मक (Negative) होता है। इस स्थिति में, बल वस्तु की गति का विरोध करता है या उसे धीमा करता है।

उदाहरण:

  • एक गेंद को ऊपर फेंकने पर गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) द्वारा किया गया कार्य (गेंद ऊपर जाती है, लेकिन गुरुत्वाकर्षण बल नीचे की ओर खींचता है)।
  • एक चलती हुई कार पर घर्षण बल (Frictional Force) द्वारा किया गया कार्य (घर्षण बल हमेशा गति की विपरीत दिशा में कार्य करता है)।
  • एक स्प्रिंग को दबाने पर स्प्रिंग द्वारा लगाया गया प्रत्यानयन बल (Restoring Force), जो विस्थापन के विपरीत दिशा में होता है।

सूत्र: यदि बल और विस्थापन के बीच का कोण θ=180∘ हो, तो W=F×s×cos180∘=−F×s

3. शून्य कार्य (Zero Work)

शून्य कार्य (Zero Work) तब होता है जब वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कोई कार्य नहीं किया जाता है। यह तीन स्थितियों में हो सकता है:

  • कोई बल नहीं लगाया जाता (No Force Applied): यदि वस्तु पर कोई बल नहीं लग रहा है, तो कोई कार्य नहीं होगा।
  • कोई विस्थापन नहीं होता (No Displacement): यदि बल लगाया जाता है लेकिन वस्तु में कोई विस्थापन नहीं होता है (जैसे दीवार पर धक्का देना), तो किया गया कार्य शून्य होता है।
    • उदाहरण: एक भारी चट्टान को धकेलना जो हिलती नहीं है।
  • बल और विस्थापन एक दूसरे के लंबवत हों (Force and Displacement are Perpendicular): यदि बल की दिशा विस्थापन की दिशा के लंबवत (Perpendicular) हो (अर्थात, उनके बीच 90∘ का कोण हो), तो किया गया कार्य शून्य होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बल का कोई भी घटक विस्थापन की दिशा में नहीं होता है।
    • उदाहरण:
      • एक कुली द्वारा सिर पर बोझ रखकर क्षैतिज रूप से चलने पर गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य। (गुरुत्वाकर्षण बल नीचे की ओर, विस्थापन क्षैतिज)।
      • एक वृत्ताकार पथ (Circular Path) में गतिमान पिंड पर अभिकेन्द्रीय बल (Centripetal Force) द्वारा किया गया कार्य। (अभिकेन्द्रीय बल हमेशा केंद्र की ओर होता है, जबकि विस्थापन हमेशा स्पर्शरेखीय (Tangential) होता है, जो बल के लंबवत होता है)।

सामान्य सूत्र (General Formula) – सभी स्थितियों के लिए: जब बल और विस्थापन के बीच कोई कोण (θ) हो, तो किया गया कार्य का सूत्र है: W=F×s×cosθ जहाँ,

  • W = कार्य (Work)
  • F = बल (Force)
  • s = विस्थापन (Displacement)
  • cosθ = बल और विस्थापन के बीच के कोण का कोज्या (Cosine of the angle between Force and Displacement)

इस सूत्र से तीनों प्रकार के कार्य को समझा जा सकता है:

  • धनात्मक कार्य: जब θ=0∘, cos0∘=1, तो W=F×s
  • ऋणात्मक कार्य: जब θ=180∘, cos180∘=−1, तो W=−F×s
  • शून्य कार्य: जब θ=90∘, cos90∘=0, तो W=0

संक्षेप में: बल द्वारा किया गया कार्य उस बल के परिमाण, विस्थापन के परिमाण और बल तथा विस्थापन के बीच के कोण के कोज्या (cosine) पर निर्भर करता है।

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