MP Board Class 10 Hindi Question Bank Unit 1 : Blueprint के अनुसार MP Board Class 10 Hindi Question Bank Unit 1 मे सभी संभावित प्रश्नो का संग्रह दिया गया है ।

इकाई 1: क्षितिज भाग-2, काव्य खण्ड
- पद्य साहित्य का इतिहास एवं काल-विभाजन
- रीतिकाल
- आधुनिक काल (प्रयोगवाद, प्रगतिवाद, नई कविता)
- कवि परिचय
- भावार्थ
- संदर्भ
- प्रसंग
- भावार्थ
- काव्य सौन्दर्य
- सौंदर्य बोध तथा भाव एवं विषय-वस्तु आधारित प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न: सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए
- हिन्दी के पद्य साहित्य का दूसरा काल है-
(अ) रीतिकाल
(ब) भक्तिकाल
(स) आदिकाल
(द) आधुनिक काल
उत्तर: (ब) भक्तिकाल - आधुनिक काल का आरम्भ होता है-
(अ) संवत् 1900 से
(ब) संवत् 1050 से
(स) संवत् 1375 से
(द) संवत् 1800 से
उत्तर: (अ) संवत् 1900 से - छायावाद के आधार स्तम्भ कवि नहीं है-
(अ) निराला
(ब) जयशंकर प्रसाद
(स) महादेवी वर्मा
(द) सूरदास
उत्तर: (द) सूरदास - प्रयोगवाद के कवि हैं-
(अ) अज्ञेय
(ब) सुमित्रानंदन पंत
(स) महादेवी वर्मा
(द) रघुवीर सहाय
उत्तर: (अ) अज्ञेय - नई कविता के कवि हैं-
(अ) निराला
(ब) रघुवीर सहाय
(स) महादेवी वर्मा
(द) सुमित्रानंदन पंत
उत्तर: (ब) रघुवीर सहाय - भक्तिकाल की समय सीमा है-
(अ) संवत् 1050 से संवत् 1375
(ब) संवत् 1375 से संवत् 1700
(स) संवत् 1700 से संवत् 1900
(द) संवत् 1900 से अब तक
उत्तर: (ब) संवत् 1375 से संवत् 1700
- प्रयोगवाद का आरंभ माना जाता है-
(अ) सन् 1943 से
(ब) सन् 1911 से
(स) सन् 1963 से
(द) सन् 1936 से
उत्तर: (अ) सन् 1943 से - नंद नंदन का प्रयोग किया गया है-
(अ) उद्धव के लिए
(ब) गोपियों के लिए
(स) कृष्ण के लिए
(द) सूरदास के लिए
उत्तर: (स) कृष्ण के लिए - गोपियों को ज्ञान व योग की बातें लगती है-
(अ) मधुर
(ब) नीरस
(स) कड़वी ककड़ी सी
(द) अग्नि के समान
उत्तर: (स) कड़वी ककड़ी सी - गोपियों ने श्रीकृष्ण की तुलना की है-
(अ) हारिल की लकड़ी से
(ब) नीम की लकड़ी से
(स) चंदन की लकड़ी से
(द) तुलसी की लकड़ी से
उत्तर: (अ) हारिल की लकड़ी से - ‘व्याधि’ शब्द का अर्थ है-
(अ) आधार
(ब) चिंता
(स) रोग
(द) विरह
उत्तर: (स) रोग - सूर के पद में भाषा है-
(अ) ब्रज
(ब) मैथिली
(स) खड़ी बोली
(द) बघेली
उत्तर: (अ) ब्रज - ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से मर्यादा की बात कही है-
(अ) समाज की
(ब) प्रेम संबंध की
(स) परिवार की
(द) ग्राम घर की
उत्तर: (ब) प्रेम संबंध की - सूरदास के गुरु थे-
(अ) नरहरिदास
(ब) विठ्ठलनाथ
(स) हरिदास
(द) वल्लभाचार्य
उत्तर: (द) वल्लभाचार्य - सूर के आराध्य है-
(अ) श्रीराम
(ब) नानक
(स) श्रीकृष्ण
(द) शिव
उत्तर: (स) श्रीकृष्ण - ‘पुरइनि पात’ का अर्थ है-
(अ) कमल का पत्ता
(ब) कमल का फूल
(स) पूरी तरह
(द) पुरवाई
उत्तर: (अ) कमल का पत्ता - सूर की रचना नहीं है-
(अ) सूरसागर
(ब) साहित्य लहरी
(स) सूरसारावली
(द) विनय पत्रिका
उत्तर: (द) विनय पत्रिका - परशुराम को व्यंग्य भरे उत्तर दिए-
(अ) राम ने
(ब) लक्ष्मण ने
(स) विश्वामित्र ने
(द) जनक
उत्तर: (ब) लक्ष्मण ने - शिव धनुष के टूटने पर क्रोधित हो उठे-
(अ) विश्वामित्र
(ब) लक्ष्मण
(स) परशुराम
(द) रावण
उत्तर: (स) परशुराम - रामचरितमानस की भाषा है-
(अ) ब्रज
(ब) बुन्देली
(स) अवधी
(द) मालवी
उत्तर: (स) अवधी - राम-लक्ष्मण के गुरु का नाम था-
(अ) परशुराम
(ब) विश्वामित्र
(स) भृगु
(द) तुलसीदास
उत्तर: (ब) विश्वामित्र - · सहस्त्रबाहु का वध किया था-
(अ) राम ने
(ब) परशुराम ने
(स) लक्ष्मण ने
(द) विश्वामित्र ने
उत्तर: (ब) परशुराम ने - · कवि अपनी आत्मकथा को बता रहा है-
(अ) भोली
(ब) करुण
(स) सच्ची
(द) सुन्दर
उत्तर: (अ) भोली - · थके पथिक की पंधा में अलंकार है-
(अ) उपमा
(ब) अनुप्रास
(स) यमक
(द) रूपक
उत्तर: (अ) उपमा - · छायावाद के प्रतिनिधि कवि है-
(अ) जयशंकर प्रसाद
(ब) ऋतुराज
(स) सूरदास
(द) धर्मवीर भारती
उत्तर: (अ) जयशंकर प्रसाद - · प्रसाद जी को कामायनी पर पारितोषिक मिला-
(अ) ज्ञानपीठ
(ब) दिनकर पारितोषिक
(स) सरस्वती सम्मान
(द) मंगला पारितोषिक
उत्तर: (द) मंगला पारितोषिक - · जयशंकर प्रसाद का संग्रह नहीं है-
(अ) आकाशदीप
(ब) इंद्रजाल
(स) आंधी
(द) साये में धूप
उत्तर: (द) साये में धूप - · ‘उत्साह’ कविता में बादल प्रतीक है-
(अ) शांति का
(ब) गति का
(स) क्रांति का
(द) सुख का
उत्तर: (स) क्रांति का - · कवि ने बादलों को किसकी कल्पना के समान पाले हुए माना है-
(अ) बाल कल्पना
(ब) आसमान की कल्पना
(स) विद्युत की कल्पना
(द) काले घुंघराले वालों की कल्पना
उत्तर: (अ) बाल कल्पना - · कवि ने बादलों के लिए विशेषण प्रयोग किया है-
(अ) अनन्त
(ब) ललिता
(स) नवजीवन वाले
(द) मनमोहक
उत्तर: (स) नवजीवन वाले - · कवि बादलों से बरसने का आह्वान कर रहा है-
(अ) गोल-गोल घूमकर बरसने को
(ब) आकाश को घेरकर बरसने को
(स) धीरे-धीरे बरसने को
(द) तीव्र वेग में बरसने को
उत्तर: (ब) आकाश को घेरकर बरसने को - · कवि ने तृप्त धरा के माध्यम से संकेत किया है-
(अ) जनसामान्य की पीड़ा
(ब) अत्यधिक गर्मी
(स) जलवायु परिवर्तन
(द) वैश्विक तपन
उत्तर: (अ) जनसामान्य की पीड़ा - · ‘यह दन्तुरित मुस्कान’ पाठ के लेखक हैं-
(अ) नवीन
(ब) नागार्जुन
(स) ऋतुराज
(द) निराला
उत्तर: (ब) नागार्जुन
रिक्त स्थान में सही शब्द चुनकर लिखिए
- सूर की भक्ति साख्य भाव की है।
(साख्य भाव / दास भाव) - सूरदास जन्मांध थे।
(जन्मांध / गूंगे) - गोपियाँ उद्धव को बड़भागी मानती हैं।
(हतभागी / बड़भागी) - गोपियों के लिए श्री कृष्ण हारिल की लकड़ी की तरह है।
(लकड़ी / फूल) - हरि है राजनीति।
(राजनीति / कूटनीति) - सूरदास का निधन पारसौली में हुआ।
(रुनकता / पारसौली) - गोपियों ने मधुर संबोधन के लिए कृष्ण के लिए दिया।
(कृष्ण / उद्धव) - सूरदास जी मुख्यतः वात्सल्य रस के कवि है।
(वात्सल्य रस / शांत रस) - योग संदेश लेकर उद्धव मथुरा से बृजधाम आये हैं।
(अक्रूर / उद्धव) - छुअत टूट रघुपति न दोसू कथन का है लक्ष्मण।
(विश्वामित्र / लक्ष्मण) - परशुराम स्वभाव से क्रोधी थे।
(क्रोधी / दयालु) - रघुकुल में देवता ब्राह्मण, ईश्वर भक्त और गाय का वध नहीं किया जाता था।
(गाय / पक्षियों) - परशुराम कायर थे।
(निडर / कायर) - परशुराम के गुरु भगवान शिव थे।
(भगवान शिव / भगवान विष्णु) - कवि के सरल स्वभाव के कारण मित्रों।
(मित्रों / रिश्तेदारों) - आलिंगन में आते-आते मुसक्या।
(रूठकर / मुसक्या) - निराला ने बादलों से बरसने का आग्रह कर रहा है।
(बरसने / नाचने) - निराला ने बादलों को केशों के समान सुन्दर बताया है।
(केशों / आँखों) - उत्साह कविता की भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली है।
(संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली / बघेली) - निराला की अधिकांश रचनाएँ मुक्तक छन्द में मिलती है।
(गीतिका / मुक्तक) - दुविधाहत साहस का शाब्दिक अर्थ साहस होते हुए दुविधाग्रस्त रहना है।
(साहस होते हुए दुविधाग्रस्त रहना / बिना दुविधा के रहना) - हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
(कृष्णा / सुंदर)
23. ही जोड़ी बनाकर लिखिए
24. खंड I
I | II |
1. सूर के पद | (य) सूरदास |
2. उत्साह | (अ) निराला |
3. निराला | (स) अट नहीं रही है |
4. राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद | (व) तुलसीदास |
5. आत्मकथ्य | (उ) जयशंकर प्रसाद |
25. खंड II
I | II |
1. विनयपत्रिका | (उ) तुलसीदास |
2. कामायनी | (अ) जयशंकर प्रसाद |
3. साहित्य लहरी | (य) सूरदास |
4. युगधारा | (स) नागार्जुन |
5. पहाड़ पर लालटेन | (व) मंगलेश डबराल |
26. खंड III
I | II |
1. तुम्हारी यह | (स) दंतुरित मुस्कान |
2. थके पथिक की | (उ) पंथा की |
3. मुख्य गायक की | (व) गरज में |
4. मन की मन ही | (अ) माँझ रही |
5. आभा फागुन की | (य) अट नहीं रही है |
27. खंड IV
I | II |
1. सूरदास का जन्म एवं मृत्यु | (उ) सन् 1478, सन् 1583 |
2. तुलसीदास का जन्म एवं मृत्यु | (अ) सन् 1532, सन् 1623 |
3. जयशंकर प्रसाद का जन्म एवं मृत्यु | (स) सन् 1889, सन् 1937 |
4. निराला का जन्म एवं मृत्यु | (व) सन् 1899, सन् 1961 |
5. नागार्जुन का जन्म एवं मृत्यु | (य) सन् 1911, सन् 1998 |
6. मंगलेश डबराल का जन्म | (ब) सन् 1948 |
एक वाक्य में उत्तर लिखिए
- सूरदास भक्तिकाल की किस शाखा के कवि हैं?
उत्तर: सूरदास भक्तिकाल की कृष्ण भक्ति शाखा के कवि हैं। - गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या है?
उत्तर: गोपियों के अनुसार राजा का धर्म प्रजा की रक्षा करना है। - सूरसारावली के कवि का क्या नाम है?
उत्तर: सूरसारावली के कवि का नाम सूरदास है। - गोपियों ने भ्रमर के बहाने 4 पद कहाँ से लिए गए हैं?
उत्तर: गोपियों ने भ्रमर के बहाने 4 पद सूरसागर से लिए गए हैं। - गोपियों ने भ्रमर के बहाने किस पर व्यंग्य बाण छोड़े हैं?
उत्तर: गोपियों ने भ्रमर के बहाने उद्धव पर व्यंग्य बाण छोड़े हैं। - राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद रामचरितमानस के किस कांड से लिया गया है?
उत्तर: राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद रामचरितमानस के बालकांड से लिया गया है। - गोस्वामी तुलसीदास की मृत्यु कहाँ हुई?
उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास की मृत्यु काशी (वाराणसी) में हुई। - सीता स्वयंवर में राम-लक्ष्मण किसके साथ आए थे?
उत्तर: सीता स्वयंवर में राम-लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ आए थे। - ‘बालकु बोलि बधौ नाहि तोही’ में कौन सा अलंकार है?
उत्तर: ‘बालकु बोलि बधौ नाहि तोही’ में अनुप्रास अलंकार है। - ऊँगली दिखाने से कौन मुरझा जाता है?
उत्तर: ऊँगली दिखाने से पत्तियाँ मुरझा जाती हैं। - कवि प्रसाद जी अपने किस स्वभाव को दोष नहीं देना चाहते?
उत्तर: कवि प्रसाद जी अपने सरल स्वभाव को दोष नहीं देना चाहते। - मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ किसका प्रतीक हैं?
उत्तर: मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ जीवन की नश्वरता का प्रतीक हैं। - ‘आत्मकथ्य’ कविता में किस पक्ष की अभिव्यक्ति हुई?
उत्तर: ‘आत्मकथ्य’ कविता में कवि के अंतर्मन की अभिव्यक्ति हुई है।
एक वाक्य में उत्तर लिखिए
- प्रेयसी के कपोलों की लालिमा की तुलना किससे की गई है?
उत्तर: प्रेयसी के कपोलों की लालिमा की तुलना बिम्ब फल की लालिमा से की गई है। - प्रसाद जी के आलिंगन में आते-आते क्या भाग गया?
उत्तर: प्रसाद जी के आलिंगन में आते-आते हँसी भाग गई। - बादल के हृदय में कौन छुपा है?
उत्तर: बादल के हृदय में मेघ छुपा है। - विश्व के सकल जन कैसे हो रहे हैं?
उत्तर: विश्व के सकल जन तप्त धरा से तप रहे हैं। - ‘घेर घेर घोर गगन’ में कौन सा अलंकार है?
उत्तर: ‘घेर घेर घोर गगन’ में अनुप्रास अलंकार है। - बादल किस दिशा से आते हैं?
उत्तर: बादल पूर्व दिशा से आते हैं। - तप्त धरा का सांकेतिक अर्थ क्या है?
उत्तर: तप्त धरा का सांकेतिक अर्थ अत्यधिक गर्मी और प्यास से पीड़ित धरती है।
सत्य-असत्य लिखिए
- गोपियाँ कृष्ण द्वारा चुराए गए अपने मन को वापस माँग रही हैं।
उत्तर: असत्य
(गोपियाँ अपने मन को वापस नहीं माँग रही हैं, बल्कि वे कृष्ण के प्रति अपनी विरह-व्यथा व्यक्त कर रही हैं।) - अच्छे लोग परहित के लिए दौड़े चले आते हैं।
उत्तर: सत्य - उद्धव का संदेश गोपियों को गुड़ की तरह मीठा लगा।
उत्तर: असत्य
(उद्धव का संदेश गोपियों को कड़वी ककड़ी की तरह लगा।) - योग संदेश सुनकर गोपियों की विरह अग्नि बढ़ रही है।
उत्तर: सत्य - राजा का धर्म है कि प्रजा को न सताए।
उत्तर: सत्य - शिव धनुष राम ने तोड़ा।
उत्तर: सत्य - कुछ क्षत्रिय राजाओं को हराकर परशुराम, राम-लक्ष्मण को हराने के सपने देख रहे थे।
उत्तर: असत्य
(परशुराम राम-लक्ष्मण को हराने का सपना नहीं देख रहे थे, बल्कि वे शिव धनुष तोड़े जाने से क्रोधित थे।) - वीर व्यक्ति अपनी प्रशंसा स्वयं करते हैं।
उत्तर: असत्य
(आत्मकथ्य में प्रसाद जी कहते हैं कि वीर अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करते।) - शिव धनुष को खंडित देखकर परशुराम क्रोधित हो उठे।
उत्तर: सत्य - परशुराम के फरसे को देखकर लक्ष्मण भयभीत हो गए।
उत्तर: असत्य
(लक्ष्मण भयभीत नहीं हुए, बल्कि उन्होंने परशुराम को व्यंग्य भरे उत्तर दिए।) - जयशंकर प्रसाद का जन्म वाराणसी में हुआ।
उत्तर: सत्य - आत्मकथ्य कविता पहली बार 1932 में हंस पत्रिका के आत्मकथा विशेषांक में प्रकाशित हुई थी।
उत्तर: सत्य - जयशंकर प्रसाद मौन रहकर औरों की कथा सुनने के इच्छुक थे।
उत्तर: सत्य - कवि जयशंकर प्रसाद अपने जीवन के निजी अनुभवों को सबसे बाँटना चाहते हैं।
उत्तर: असत्य
(प्रसाद जी आत्मकथ्य में कहते हैं कि वे अपने अनुभवों को बाँटना नहीं चाहते।) - कवि प्रसाद ने अपने मन को भँवरे का रूप दिया है।
उत्तर: सत्य - अट नहीं रही कविता फागुन की मादकता को प्रकट करती है।
उत्तर: सत्य - छायावादी कवियों में निराला ने सबसे पहले मुक्तक छंद का प्रयोग किया।
उत्तर: सत्य - निराला पूँजीवाद के समर्थक तथा पोषक थे।
उत्तर: असत्य
(निराला पूँजीवाद के विरोधी थे और प्रगतिवादी विचारधारा से जुड़े थे।) - निराला को आधुनिक कवि भी कहा जाता है।
उत्तर: सत्य - निराला प्रगतिवादी कवि हैं।
उत्तर: सत्य
लघु उत्तरीय प्रश्न (02 अंक)
- पद्य साहित्य से आप क्या समझते हैं? लिखिए।
उत्तर: पद्य साहित्य वह साहित्य है जो छंद, लय, तुक और अलंकारों के माध्यम से भावनाओं, विचारों और कल्पनाओं को काव्यात्मक रूप में व्यक्त करता है। यह गद्य से भिन्न होता है और इसमें कविता, दोहा, चौपाई जैसे रूप शामिल होते हैं। - हिन्दी पद्य साहित्य को कितने कालों में बाँटा गया है, नाम लिखते हुए समयावधि भी लिखिए।
उत्तर: हिन्दी पद्य साहित्य को चार कालों में बाँटा गया है:- आदिकाल (संवत् 1050 से 1375 तक)
- भक्तिकाल (संवत् 1375 से 1700 तक)
- रीतिकाल (संवत् 1700 से 1900 तक)
- आधुनिक काल (संवत् 1900 से अब तक)
- रीतिकाल को शृंगार काल क्यों कहा गया है? लिखिए।
उत्तर: रीतिकाल को शृंगार काल इसलिए कहा गया है, क्योंकि इस काल की कविता में शृंगार रस की प्रधानता थी, जिसमें प्रेम, सौंदर्य, और नायक-नायिका के भावों का चित्रण प्रमुखता से किया गया। रीतिकालीन कवियों ने काव्य में अलंकारों और रसों पर विशेष ध्यान दिया, जिससे यह काल शृंगारिकता का पर्याय बन गया। - रीतिकालीन दो कवियों के नाम एवं प्रत्येक की एक-एक रचना लिखिए।
उत्तर: रीतिकालीन दो कवि और उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं:- बिहारी: रचना – बिहारी सतसई
- घनानंद: रचना – सुजानहित
- प्रयोगवाद की कोई दो विशेषताएँ / प्रवृत्तियाँ लिखिए।
उत्तर: प्रयोगवाद की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:- नई काव्य शैली और भाषा का प्रयोग, जिसमें पारंपरिक छंदों से हटकर मुक्त छंद का उपयोग किया गया।
- व्यक्तिगत भावनाओं और अनुभवों को प्रतीकात्मक और जटिल रूप में व्यक्त करना।
- प्रयोगवादी दो कवियों के नाम एवं प्रत्येक की एक-एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर: प्रयोगवादी दो कवि और उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं:- अज्ञेय: रचना – भागे हुए से फिरें
- मुक्तिबोध: रचना – चाँद का मुँह टेढ़ा है
- प्रगतिवादी दो कवियों के नाम एवं प्रत्येक की एक-एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर: प्रगतिवादी दो कवि और उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं:- निराला: रचना – जुही की कली
- नागार्जुन: रचना – बादल को घिरते देखा है
- प्रगतिवाद की कोई दो विशेषताएँ / प्रवृत्तियाँ लिखिए।
उत्तर: प्रगतिवाद की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:- सामाजिक असमानता, शोषण और पूँजीवाद का विरोध करना।
- जनसामान्य के दुख-दर्द और संघर्षों को कविता में व्यक्त करना।
- नई कविता की कोई दो विशेषताएँ / प्रवृत्तियाँ लिखिए।
उत्तर: नई कविता की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:- आधुनिक जीवन की जटिलताओं और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को व्यक्त करना।
- पारंपरिक काव्य रूपों से हटकर व्यक्तिगत और प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग करना।
- नई कविता के दो कवि एवं उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर: नई कविता के दो कवि और उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं:- रघुवीर सहाय: रचना – हँसो हँसो जल्दी हँसो
- कुँवर नारायण: रचना – चक्रव्यूह
- सूरदास की काव्यगत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: सूरदास की काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:- वात्सल्य और शृंगार रस की प्रधानता, विशेष रूप से बाल-कृष्ण के चित्रण में।
- ब्रज भाषा का सरल और मधुर प्रयोग, जिसमें लोक जीवन की झलक दिखती है।
- सूरदास के साहित्य का भावपक्ष लिखते हुए 2 रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर: सूरदास के साहित्य का भावपक्ष भक्ति, प्रेम, और विरह के भावों से परिपूर्ण है, जिसमें वे कृष्ण की लीलाओं और गोपियों की भावनाओं को मार्मिक रूप से व्यक्त करते हैं। उनकी दो रचनाएँ हैं: सूरसागर और सूरसारावली।
- महाकवि सूरदास का साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
उत्तर: सूरदास भक्तिकाल के महान कवि हैं, जिन्हें हिंदी साहित्य में “कृष्ण भक्ति काव्य का सूर्य” कहा जाता है; उनकी रचनाएँ जैसे सूरसागर में वात्सल्य और शृंगार रस की अनुपम अभिव्यक्ति ने उन्हें हिंदी साहित्य में सर्वोच्च स्थान दिलाया। - गोस्वामी तुलसीदास की दो रचनाओं के नाम एवं काव्यगत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास की दो रचनाएँ हैं: रामचरितमानस और विनयपत्रिका। उनकी काव्यगत विशेषताएँ हैं – अवधी भाषा का सरल और मधुर प्रयोग, दोहा-चौपाई छंदों का प्रभावी उपयोग, और भक्ति, वीर रस, एवं नीति तत्वों का समन्वय। - गोस्वामी तुलसीदास के काव्य का भावपक्ष एवं हिंदी साहित्य में उनका स्थान लिखिए।
उत्तर: तुलसीदास के काव्य का भावपक्ष राम भक्ति, लोकहित, और नैतिक मूल्यों पर केंद्रित है, जिसमें वे भक्ति और जीवन दर्शन को एक साथ पिरोते हैं। हिंदी साहित्य में उन्हें “राम भक्ति काव्य का शिरोमणि” माना जाता है, और रामचरितमानस को हिंदी साहित्य का महाकाव्य कहा जाता है। - जयशंकर प्रसाद की काव्यत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: जयशंकर प्रसाद की काव्यगत विशेषताएँ हैं – छायावादी शैली में प्रकृति और मानव भावनाओं का सूक्ष्म चित्रण, प्रतीकात्मकता और कल्पनाशीलता का प्रयोग, खड़ी बोली में लयात्मकता, और शृंगार, करुणा, एवं राष्ट्रीय चेतना का समावेश। - जयशंकर प्रसाद के काव्य का भावपक्ष स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जयशंकर प्रसाद के काव्य का भावपक्ष प्रेम, प्रकृति, और मानव जीवन की करुणा पर केंद्रित है; उनकी कविताओं जैसे आत्मकथ्य में व्यक्तिगत भावनाओं और कामायनी में मानव सभ्यता के विकास की गहरी अभिव्यक्ति मिलती है। - आधुनिक हिंदी साहित्य में जयशंकर प्रसाद का क्या स्थान है?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिंदी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ हैं; उनकी रचनाओं जैसे कामायनी और आँसू ने हिंदी काव्य को नई दिशा दी, और वे हिंदी साहित्य के “त्रयी” (प्रसाद, पंत, निराला) में अग्रणी माने जाते हैं। - निराला के काव्य का भावपक्ष एवं कलापक्ष लिखिए।
उत्तर: निराला के काव्य का भावपक्ष सामाजिक विसंगति, करुणा, और प्रगतिवादी चेतना से भरा है, जबकि कलापक्ष में मुक्त छंद, खड़ी बोली का प्रभावी प्रयोग, और अनुप्रास, उपमा जैसे अलंकारों की समृद्धि दिखती है। - निराला की दो रचनाएँ एवं हिंदी साहित्य में उनका स्थान स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: निराला की दो रचनाएँ हैं: जुही की कली और राम की शक्तिपूजा। हिंदी साहित्य में वे छायावाद और प्रगतिवाद के सेतु के रूप में जाने जाते हैं, और उनकी कविताओं ने आधुनिक हिंदी काव्य को नवीन दृष्टिकोण प्रदान किया। - कवि नागार्जुन की दो रचनाएँ एवं हिंदी साहित्य में उनका स्थान लिखिए।
उत्तर: नागार्जुन की दो रचनाएँ हैं: बादल को घिरते देखा है और प्यास। हिंदी साहित्य में वे प्रगतिवादी और जनवादी कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं, जिन्होंने जनसामान्य के दुख-दर्द को अपनी कविता में उभारा। - कवि नागार्जुन के काव्य का भावपक्ष लिखिए।
उत्तर: नागार्जुन के काव्य का भावपक्ष सामाजिक शोषण, गरीबी, और प्रकृति के प्रति प्रेम पर केंद्रित है; उनकी कविताएँ जनसामान्य की पीड़ा और संघर्ष को करुणा और व्यंग्य के साथ व्यक्त करती हैं। - गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?
उत्तर: गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में व्यंग्य यह है कि वे उनकी योग-ज्ञान की बातों को तुच्छ समझती हैं और कहती हैं कि असली भाग्य तो कृष्ण के प्रेम में है, जो उद्धव को प्राप्त नहीं है। - उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?
उत्तर: उद्धव के व्यवहार की तुलना भ्रमर (भँवरे), कड़वी ककड़ी, और कूटनीतिज्ञ व्यक्ति से की गई है। - गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?
उत्तर: गोपियों ने भ्रमर, चंदन की लकड़ी, कड़वी ककड़ी, और हारिल की लकड़ी जैसे उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं। - उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?
उत्तर: उद्धव के योग संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम इसलिए किया, क्योंकि यह संदेश उनके प्रेम और भावनाओं के विपरीत था, जिससे उनकी विरह-व्यथा और तीव्र हो गई। - ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?
उत्तर: ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से यह बात की जा रही है कि प्रेम की मर्यादा टूट गई है, क्योंकि कृष्ण ने गोपियों को छोड़कर मथुरा चले गए। - कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?
उत्तर: गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को विरह-व्यथा, व्यंग्य, और उनकी लीलाओं की स्मृति के माध्यम से अभिव्यक्त किया है, जैसे भ्रमर गीत में उद्धव को उलाहना देना। - गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
उत्तर: गोपियों के अनुसार राजा का धर्म प्रजा की रक्षा करना और उनके दुख-दर्द को दूर करना होना चाहिए। - परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
उत्तर: लक्ष्मण ने तर्क दिया कि धनुष स्वयं ही पुराना और कमजोर था, राम ने केवल छुआ भर था, और यह कि धनुष टूटना स्वाभाविक था, इसमें राम का कोई दोष नहीं है। - लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?
उत्तर: लक्ष्मण ने वीर योद्धा की विशेषताएँ बताईं कि वह निडर होता है, अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करता, और धर्म के लिए युद्ध करता है। - अवधी भाषा आज किन-किन क्षेत्रों में बोली जाती है?
उत्तर: अवधी भाषा आज उत्तर प्रदेश के लखनऊ, अयोध्या, प्रयागराज, और फैजाबाद जैसे क्षेत्रों में बोली जाती है। - कवि जयशंकर प्रसाद आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते थे?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहते थे, क्योंकि वे अपने निजी अनुभवों को सार्वजनिक नहीं करना चाहते थे और मानते थे कि वीर अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करते। - आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में अभी समय भी नहीं, कवि ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर: कवि ऐसा इसलिए कहता है, क्योंकि उसे लगता है कि अभी उसकी स्मृतियाँ ताजी हैं और उन्हें व्यक्त करने का सही समय नहीं आया है। - स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि प्रसाद जी का क्या आशय है?
उत्तर: स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का आशय है कि वह अपनी स्मृतियों को जीवन यात्रा का सहारा बनाना चाहता है, न कि उन्हें सार्वजनिक कर आत्मप्रशंसा करे। - निराला बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने के लिए क्यों कहते हैं?
उत्तर: निराला बादल से गरजने के लिए इसलिए कहते हैं, क्योंकि वे बादल को क्रांति का प्रतीक मानते हैं और उससे शक्ति और परिवर्तन की माँग करते हैं। - कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ क्यों रखा गया है?
उत्तर: कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ इसलिए रखा गया, क्योंकि यह कविता बादलों के माध्यम से जीवन में नई ऊर्जा, क्रांति, और प्रेरणा का संदेश देती है। - ‘उत्साह’ कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर: ‘उत्साह’ कविता में बादल क्रांति, परिवर्तन, और नवजीवन के अर्थों की ओर संकेत करता है। - कवि निराला की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर: कवि निराला की आँख फागुन की सुंदरता से इसलिए नहीं हट रही, क्योंकि फागुन का प्राकृतिक सौंदर्य और मादकता उन्हें आकर्षित कर रही है। - फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?
उत्तर: फागुन में प्रकृति का सौंदर्य, फूलों की बहार, और रंगों की मादकता होती है, जो इसे बाकी ऋतुओं से भिन्न बनाती है। - बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि नागार्जुन के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: बच्चे की दंतुरित मुस्कान कवि नागार्जुन के मन में आनंद, करुणा, और जीवन के प्रति आशा का संचार करती है। - बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंतर है?
उत्तर: बच्चे की मुस्कान निश्छल, स्वाभाविक, और भावनाओं से भरी होती है, जबकि बड़े व्यक्ति की मुस्कान में प्रायः बनावट और सामाजिक औपचारिकता आ जाती है। - कवि नागार्जुन के अनुसार फसल क्या है?
उत्तर: कवि नागार्जुन के अनुसार फसल किसानों की मेहनत, प्रकृति का वरदान, और जीवन का आधार है। - फसल को हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर: फसल को हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा कहकर कवि यह व्यक्त करना चाहता है कि फसल किसानों की कड़ी मेहनत और श्रम का परिणाम है, जिसमें उनका सम्मान और परिश्रम की महत्ता झलकती है।
कवि नागार्जुन ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुणधर्म क्यों कहा है?
उत्तर: कवि नागार्जुन ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुणधर्म इसलिए कहा, क्योंकि फसल में मिट्टी की उर्वरता, प्रकृति की शक्ति, और खेतों की विविधता का समन्वय होता है।
भावार्थ: संदर्भ, प्रसंग सहित
- पद्यांश:
ऊधो, तुम हो अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तें नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्यों जल माँह तेल की गागरि, बूँद न ताक लागी।
प्रीति नदी मैं पाँऊ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी।
सूरदास अबला हम भोरी, गुर चोंटी ज्यों पागी।।
संदर्भ (Context):
यह पद्यांश महाकवि सूरदास द्वारा रचित सूरसागर से लिया गया है, जो क्षितिज भाग-2 (काव्य खंड) में संकलित है। यह पद “भ्रमरगीत” परंपरा का हिस्सा है, जिसमें गोपियाँ उद्धव के माध्यम से श्रीकृष्ण के प्रति अपनी विरह-व्यथा और प्रेम को व्यक्त करती हैं।
प्रसंग (Background):
श्रीकृष्ण मथुरा चले गए हैं और उन्होंने उद्धव को गोपियों को योग और ज्ञान का संदेश देने के लिए भेजा है। उद्धव का यह संदेश गोपियों को अच्छा नहीं लगा, क्योंकि वे श्रीकृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम और विरह की भावना में डूबी हैं। इस पद में गोपियाँ उद्धव को व्यंग्य भरे शब्दों में संबोधित करते हुए उनके प्रति अपनी नाराजगी और श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त कर रही हैं।
भावार्थ (Meaning):
इस पद में गोपियाँ उद्धव को व्यंग्य के साथ “बड़भागी” (भाग्यशाली) कहकर संबोधित करती हैं। वे कहती हैं कि तुम बड़े भाग्यशाली हो, क्योंकि तुम्हारा मन प्रेम के बंधन से मुक्त है और किसी के प्रति अनुराग नहीं रखता। गोपियाँ उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से करती हैं, जो पानी में रहते हुए भी पानी से नहीं भीगता, और तेल की गागर से, जो पानी में होने पर भी पानी की एक बूँद उस पर नहीं लगती। अर्थात्, उद्धव प्रेम की गहराई को समझने में असमर्थ हैं और प्रेम की नदी में अपने पाँव तक नहीं डुबोते, न ही उनकी दृष्टि सौंदर्य की ओर आकर्षित होती है। अंत में, गोपियाँ स्वयं को अबला (कमजोर) और भोली कहती हैं, जो गुड़ की चींटी की तरह प्रेम में लिपट गई हैं और उससे मुक्त नहीं हो सकतीं। इस प्रकार, गोपियाँ अपने प्रेम की गहराई और उद्धव की उदासीनता पर व्यंग्य करती हैं।
काव्य सौंदर्य (Poetic Beauty):
- रस: शृंगार रस (विप्रलंभ) और व्यंग्य की अभिव्यक्ति।
- अलंकार: अनुप्रास (“रहत सनेह तगा तें”) और उपमा (“पुरइनि पात रहत जल भीतर”, “ज्यों जल माँह तेल की गागरि”)।
- भाषा: ब्रज भाषा का मधुर और सरल प्रयोग।
- भाव: गोपियों का श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम और उद्धव के प्रति व्यंग्यपूर्ण भाव।
भावार्थ: संदर्भ, प्रसंग सहित
2. पद्यांश (सूरदास):
हमारे हरि हारिल की लकरी मन क्रम बचन नंद नंदन उर,
जागत सोवत स्वप्न दिवस निसि यह दृढ़ करि पकरी।
कान्ह कान्ह जरूरी सुनत जोग लागत है ऐसों, ज्यौं कुरुई ककरी।
सु तो ब्याही हमको ले आए, देखी सुनी न करी।
यह तो सूर तिनहि ले सीपों जिनके मन चकरी।
संदर्भ (Context):
यह पद्यांश महाकवि सूरदास की रचना सूरसागर से लिया गया है, जो क्षितिज भाग-2 (काव्य खंड) में संकलित है। यह पद “भ्रमरगीत” परंपरा का हिस्सा है, जिसमें गोपियाँ उद्धव के माध्यम से श्रीकृष्ण के प्रति अपनी विरह-व्यथा और प्रेम को व्यक्त करती हैं।
प्रसंग (Background):
श्रीकृष्ण मथुरा चले गए हैं और उन्होंने उद्धव को गोपियों को योग और ज्ञान का संदेश देने के लिए भेजा है। गोपियाँ इस संदेश से नाराज हैं, क्योंकि वे श्रीकृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम और विरह की भावना में डूबी हैं। इस पद में गोपियाँ उद्धव को व्यंग्य भरे शब्दों में संबोधित करते हुए उनके प्रति अपनी नाराजगी और श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रगाढ़ प्रेम को व्यक्त कर रही हैं।
भावार्थ (Meaning):
गोपियाँ कहती हैं कि हमारे हरि (श्रीकृष्ण) हारिल की लकड़ी की तरह हैं, जिन्हें हमने मन, कर्म, और वचन से नंद के पुत्र (कृष्ण) के हृदय में मजबूती से पकड़ रखा है। जागते, सोते, स्वप्न में, दिन-रात हर पल हमारा मन श्रीकृष्ण को याद करता है। लेकिन उद्धव बार-बार “कान्ह-कान्ह” कहकर हमें योग का उपदेश दे रहे हैं, जो हमें कड़वी ककड़ी की तरह कुरुचिपूर्ण लगता है। गोपियाँ व्यंग्य करते हुए कहती हैं कि श्रीकृष्ण ने हमें प्रेम में ब्याहकर ले आए, लेकिन हमारी बातें देखी-सुनी नहीं। सूरदास कहते हैं कि यह प्रेम की सीप उन लोगों को ही मिलती है, जिनके मन चकरी (चंचल) हैं, अर्थात् जो प्रेम की गहराई को समझते हैं, न कि उद्धव जैसे ज्ञानियों को।
काव्य सौंदर्य (Poetic Beauty):
- रस: शृंगार रस (विप्रलंभ) और व्यंग्य।
- अलंकार: उपमा (“ज्यौं कुरुई ककरी”) और अनुप्रास (“दृढ़ करि पकरी”)।
- भाषा: ब्रज भाषा का सरल और मधुर प्रयोग।
- भाव: गोपियों का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और उद्धव के प्रति व्यंग्य।
3. पद्यांश (तुलसीदास):
नाथ संभुधनु भंजनिहारा, होइहि केउ एक दास तुम्हारा।
आयिसु काह कहिअ किन मोही, सुनि रिसाई बोले मुनि कोही।
सेवकु सो जो करे सेवकाई, अरिकरनी करि करिअ लराई।
सुनहु राम जोहि सिवधनु तोरा, सहसबाहु सम से रिपु मोरा।
संदर्भ (Context):
यह पद्यांश गोस्वामी तुलसीदास की रचना रामचरितमानस के बालकांड से लिया गया है, जो क्षितिज भाग-2 में संकलित है। यह अंश “राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद” का हिस्सा है।
प्रसंग (Background):
सीता स्वयंवर में राम ने शिव धनुष तोड़ दिया है, जिससे परशुराम क्रोधित होकर वहाँ पहुँचते हैं। परशुराम राम और लक्ष्मण को देखकर क्रोध में बोलते हैं और धनुष तोड़ने वाले को अपना शत्रु मानते हैं। इस संदर्भ में लक्ष्मण परशुराम से व्यंग्यपूर्ण ढंग से बात करते हैं और राम की रक्षा में तर्क देते हैं।
भावार्थ (Meaning):
लक्ष्मण परशुराम से कहते हैं कि हे नाथ, जिसने शिव धनुष तोड़ा है, वह आपका कोई एक दास (राम) होगा। मुझे आज्ञा देने की क्या आवश्यकता है? यह सुनकर क्रोधी मुनि परशुराम रिसाते हुए बोलते हैं कि सच्चा सेवक वही होता है जो सेवा करता है, न कि शत्रुता करके लड़ाई करता है। परशुराम राम से कहते हैं कि सुनो राम, जिसने शिव धनुष तोड़ा है, वह मेरा शत्रु है, जैसे सहस्रबाहु मेरा शत्रु था। इस पद्यांश में लक्ष्मण का व्यंग्य और परशुराम का क्रोध स्पष्ट रूप से व्यक्त हुआ है।
काव्य सौंदर्य (Poetic Beauty):
- रस: वीर रस और रौद्र रस।
- अलंकार: अनुप्रास (“सुनहु राम जोहि सिवधनु”)।
- भाषा: अवधी भाषा का प्रभावी प्रयोग।
- भाव: लक्ष्मण का व्यंग्य और परशुराम का क्रोध।
4. पद्यांश (जयशंकर प्रसाद):
मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रही पत्तियों देखो कितनी आज घनी।
इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन इतिहास,
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास।
संदर्भ (Context):
यह पद्यांश जयशंकर प्रसाद की कविता आत्मकथ्य से लिया गया है, जो क्षितिज भाग-2 में संकलित है। यह कविता छायावाद की विशेषताओं को दर्शाती है।
प्रसंग (Background):
कवि अपनी आत्मकथा लिखने से हिचक रहा है और कहता है कि वह अपनी निजी बातें सबसे साझा नहीं करना चाहता। इस पद्यांश में कवि प्रकृति के माध्यम से जीवन की नश्वरता और व्यंग्य को व्यक्त करता है।
भावार्थ (Meaning):
कवि कहता है कि भँवरा (मधुप) गुनगुनाते हुए अपनी कहानी कहकर चला जाता है, लेकिन वह कौन सी कहानी है? देखो, कितनी पत्तियाँ मुरझाकर आज घनी होकर गिर रही हैं। इस अनंत और गंभीर नीले आकाश में असंख्य जीवन-इतिहास छिपे हैं, जो अपनी व्यंग्य भरी और मलिन हँसी के साथ उपहास करते रहते हैं। कवि यहाँ प्रकृति के माध्यम से जीवन की क्षणभंगुरता और उसकी विडंबना को दर्शाता है।
काव्य सौंदर्य (Poetic Beauty):
- रस: करुण रस।
- अलंकार: प्रतीकात्मकता (“मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ” जीवन की नश्वरता का प्रतीक)।
- भाषा: खड़ी बोली का लयात्मक प्रयोग।
- भाव: जीवन की नश्वरता और विडंबना।
5. पद्यांश (निराला):
बादल गरजो,
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ ललित ललित,
काले घुँघराले, बाल कल्पना के से पालि,
वज छिपा, नूतन कविता, फिर भर दो-
बादल, गरजो।
संदर्भ (Context):
यह पद्यांश सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता उत्साह से लिया गया है, जो क्षितिज भाग-2 में संकलित है। यह कविता छायावाद और प्रगतिवाद का समन्वय दर्शाती है।
प्रसंग (Background):
कवि निराला बादलों को संबोधित करते हुए उनसे गरजने और बरसने का आह्वान करते हैं। बादल यहाँ क्रांति और परिवर्तन के प्रतीक हैं। कवि प्रकृति के माध्यम से जीवन में नई ऊर्जा और प्रेरणा की कामना करता है।
भावार्थ (Meaning):
कवि बादलों से कहता है कि हे बादल, गरजो! तुम आकाश को घेरकर घनघोर अंधेरा कर दो। तुम धाराधर (वर्षा करने वाले) हो, सुंदर और काले घुँघराले बालों जैसे कल्पना के पालने में पले हुए हो। तुम्हारे भीतर बिजली (वज) छिपी है, जो एक नई कविता की तरह है। इस नई ऊर्जा से संसार को फिर से भर दो और गरजो। कवि यहाँ बादलों को प्रेरणा और परिवर्तन का प्रतीक मानकर उनसे शक्ति और उत्साह की माँग करता है।
काव्य सौंदर्य (Poetic Beauty):
- रस: उत्साह और वीर रस।
- अलंकार: अनुप्रास (“घेर घेर घोर गगन”) और प्रतीकात्मकता (“बादल” क्रांति का प्रतीक)।
- भाषा: खड़ी बोली का लयात्मक और प्रभावी प्रयोग।
- भाव: प्रकृति के माध्यम से क्रांति और उत्साह की अभिव्यक्ति।
6. पद्यांश (निराला):
बादल, गरजो,
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर शीतल कर दो-
बादल, गरजो।
संदर्भ (Context):
यह पद्यांश भी सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता उत्साह से लिया गया है, जो क्षितिज भाग-2 में संकलित है।
प्रसंग (Background):
कवि निराला इस कविता में बादलों को संबोधित करते हुए उनसे गरजने और बरसने का आह्वान करते हैं। यहाँ बादल क्रांति और परिवर्तन के प्रतीक हैं, और कवि उनके माध्यम से विश्व के लोगों को नई ऊर्जा और शीतलता प्रदान करने की कामना करता है।
भावार्थ (Meaning):
कवि बादलों से कहता है कि हे बादल, गरजो! विश्व के सभी लोग गर्मी (निदाघ) से व्याकुल और चंचल हो गए हैं, उनके मन अस्थिर हैं। तुम अनंत आकाश के बादल हो, जो अज्ञात दिशा से आए हो। इस तप्त धरती को अपनी वर्षा के जल से शीतल कर दो और गरजो। कवि यहाँ बादलों को परिवर्तन और राहत का प्रतीक मानकर उनसे लोगों के दुख-दर्द को दूर करने की माँग करता है।
काव्य सौंदर्य (Poetic Beauty):
- रस: करुण और वीर रस।
- अलंकार: अनुप्रास (“विकल विकल”) और प्रतीकात्मकता (“तप्त धरा” पीड़ा का प्रतीक)।
- भाषा: खड़ी बोली का प्रभावी और लयात्मक प्रयोग।
- भाव: लोगों की पीड़ा को दूर करने की कामना।
7. पद्यांश (नागार्जुन):
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान,
धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य,
चिर प्रवासी में इतर में अन्य,
इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क,
उँगलियाँ माँ की कराती है मधुपर्क।
संदर्भ (Context):
यह पद्यांश कवि नागार्जुन की कविता यह दंतुरित मुस्कान से लिया गया है, जो क्षितिज भाग-2 में संकलित है। यह कविता प्रगतिवाद की विशेषताओं को दर्शाती है।
प्रसंग (Background):
कवि एक बच्चे की मुस्कान को देखकर भाव-विभोर हो जाता है। वह इस मुस्कान में निश्छलता और पवित्रता देखता है, जो उसे जीवन के प्रति आशा और करुणा से भर देती है। इस पद्यांश में कवि बच्चे की मुस्कान और उसकी माँ के प्रेम को चित्रित करता है।
भावार्थ (Meaning):
कवि कहता है कि तुम्हारी यह दंतुरित (दाँतों वाली) मुस्कान बहुत सुंदर है। तुम धन्य हो और तुम्हारी माँ भी धन्य है, जिसने तुम्हें जन्म दिया। मैं (कवि) एक चिर प्रवासी हूँ, जो इस संसार में इधर-उधर भटकता है, और इस अतिथि (बच्चे) से मेरा प्रिय संपर्क क्या रहा है? फिर भी, माँ की उँगलियाँ तुम्हें मधुपर्क (स्वागत की प्रक्रिया) कराती हैं, अर्थात् माँ का प्रेम और देखभाल तुम्हें और भी प्यारा बनाती है। कवि यहाँ बच्चे की मुस्कान में जीवन की सादगी और माँ के प्रेम की महिमा को देखता है।
काव्य सौंदर्य (Poetic Beauty):
- रस: करुण और वात्सल्य रस।
- अलंकार: प्रतीकात्मकता (“मधुपर्क” माँ के प्रेम का प्रतीक)।
- भाषा: खड़ी बोली का सरल और भावपूर्ण प्रयोग।
- भाव: बच्चे की मुस्कान और माँ के प्रेम की पवित्रता।