Class 9 Hindi Yamak Alankar Parichay : यमक अलंकार: परिचय, परिभाषा और उदाहरण

परिचय

Class 9 Hindi Yamak Alankar Parichay: यमक अलंकार हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण शब्दालंकार है, जो काव्य में शब्दों के समान उच्चारण लेकिन भिन्न अर्थों के प्रयोग से सौंदर्य और चमत्कार उत्पन्न करता है। यह कविता को रमणीय और अर्थपूर्ण बनाता है, जिससे पाठक या श्रोता के मन में कौतूहल और आनंद की भावना जागृत होती है। यमक का उपयोग विशेष रूप से रीतिकालीन कविता में शृंगार रस के चित्रण के लिए किया गया, लेकिन यह भक्तिकाल और आधुनिक काल में भी देखा जाता है। यह कक्षा 9 के पाठ्यक्रम में अलंकारों के अध्ययन का हिस्सा है, जो काव्य की रचनात्मकता को समझने में सहायक है।

यमक अलंकार की परिभाषा

यमक अलंकार वह शब्दालंकार है, जिसमें एक ही शब्द का प्रयोग एक पंक्ति या कविता में बार-बार किया जाता है, लेकिन हर बार उसका अर्थ भिन्न होता है।

  • आचार्य दंडी: “यमकं तद् यत्र समानं पदं भिन्नार्थं भवति” अर्थात् यमक वह है, जहाँ समान शब्द भिन्न अर्थों में प्रयुक्त हो।
  • आधुनिक दृष्टिकोण: यमक अलंकार शब्दों की समान ध्वनि के साथ विभिन्न अर्थों के प्रयोग से काव्य में सौंदर्य और चमत्कार उत्पन्न करता है।

विशेषताएँ

  • चमत्कारिकता: समान शब्दों के भिन्न अर्थ काव्य में आश्चर्य और रुचि उत्पन्न करते हैं।
  • मधुरता: शब्दों की पुनरावृत्ति कविता को मधुर और लयबद्ध बनाती है।
  • अर्थ विविधता: एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ काव्य में गहराई और बहुआयामी चित्रण लाते हैं।
  • रचनात्मकता: यमक कवि की भाषा और शब्द-चयन की कुशलता को दर्शाता है।
  • स्मरणीयता: शब्दों की समानता और अर्थों की नवीनता कविता को याद रखने योग्य बनाती है।

यमक के प्रकार

यमक अलंकार को शब्दों की पुनरावृत्ति के स्थान और प्रकृति के आधार पर निम्नलिखित प्रकारों में बाँटा जा सकता है:

  1. आद्यंत यमक: जब शब्द पंक्ति के आदि और अंत में भिन्न अर्थों में आए।
    • उदाहरण: कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय। (यहाँ ‘कनक’ पहले सोना और बाद में धतूरा के अर्थ में।)
  2. मध्य यमक: जब शब्द पंक्ति के मध्य में भिन्न अर्थों में आए।
    • उदाहरण: सखि सजनी सजन की, सजन सजाये साज। (यहाँ ‘सजन’ पहले प्रियतम और बाद में सजाना के अर्थ में।)
  3. पूर्ण यमक: जब पूरी पंक्ति में शब्द बार-बार भिन्न अर्थों में आए।
    • उदाहरण: रति रति बिनु रति नहिं, रति रति रस राय। (यहाँ ‘रति’ प्रेम, रति देवी, और आनंद के अर्थ में।)

उदाहरण

  1. रहीम का दोहा (नीति): कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय। या खाए बौराय नर, वा पाए बौराय।। यमक: ‘कनक’ शब्द पहले सोने (स्वर्ण) और बाद में धतूरे (विषैले पौधे) के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।
    प्रभाव: यह नीति कथन को चमत्कारिक और स्मरणीय बनाता है, साथ ही धन और मादकता की तुलना को प्रभावी करता है।
  2. बिहारी का दोहा (शृंगार रस): सखि सजनी सजन की, सजन सजाये साज। नैनन की कटारी से, मारत मारे काज।। यमक: ‘सजन’ शब्द पहले प्रियतम और बाद में सजाना (सज्जा) के अर्थ में।
    प्रभाव: शृंगार रस को मधुर और अर्थपूर्ण बनाता है, प्रियतम के सौंदर्य को चित्रित करता है।
  3. आधुनिक कविता में यमक (काल्पनिक उदाहरण): मेघ मेघ बन आए, मेघ मन में छाए। यमक: ‘मेघ’ पहले बादल और बाद में आकर्षण या प्रभाव के अर्थ में।
    प्रभाव: प्रकृति और भावनाओं के सामंजस्य को चमत्कारिक रूप से व्यक्त करता है।

यमक का महत्व

  • काव्य सौंदर्य: यमक शब्दों के भिन्न अर्थों से कविता को रमणीय और आकर्षक बनाता है।
  • भावनात्मक गहराई: यह भावनाओं और विचारों को बहुआयामी रूप में प्रस्तुत करता है।
  • रचनात्मकता: यमक कवि की भाषा-कुशलता और शब्द-चयन की रचनात्मकता को दर्शाता है।
  • सांस्कृतिक मूल्य: यह भारतीय साहित्य की शास्त्रीय परंपरा को संरक्षित करता है।
  • शैक्षिक महत्व: यमक के अध्ययन से छात्र काव्य की शब्द-शक्ति और सौंदर्य को समझते हैं।

कक्षा 9 के संदर्भ में

कक्षा 9 की क्षितिज भाग-1 में यमक अलंकार का प्रत्यक्ष उदाहरण स्पष्ट रूप से नहीं मिलता, लेकिन तुलसीदास के सवैये, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की मेघ आए, और माखनलाल चतुर्वेदी की कैदी और कोकिला में शब्दालंकारों (जैसे अनुप्रास) के साथ यमक की संभावना देखी जा सकती है। उदाहरण के लिए, मेघ आए में ‘बन’ शब्द का प्रयोग वन और सजावट के अर्थ में यमक की तरह प्रभाव डालता है। यमक का अध्ययन भक्तिकाल और रीतिकाल के कवियों (रहीम, बिहारी) की रचनाओं में अधिक प्रचलित है, जो कक्षा 9 के पाठ्यक्रम में भक्तिकाल के अध्ययन का हिस्सा हैं।

निष्कर्ष

यमक अलंकार काव्य का एक चमत्कारिक शब्दालंकार है, जो समान शब्दों के भिन्न अर्थों के प्रयोग से कविता को रमणीय, अर्थपूर्ण, और आकर्षक बनाता है। इसके प्रकार, जैसे आद्यंत, मध्य, और पूर्ण यमक, काव्य में विविधता लाते हैं। रहीम और बिहारी जैसे कवियों के दोहों में यमक का उत्कृष्ट प्रयोग देखा जाता है। कक्षा 9 की क्षितिज भाग-1 की कविताएँ, विशेष रूप से मेघ आए और सवैये, शब्दालंकारों के साथ यमक की संभावना को दर्शाती हैं। यमक के अध्ययन से छात्र काव्य की शब्द-शक्ति, रचनात्मकता, और सौंदर्य को गहराई से समझ सकते हैं।

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