Class 9 Hindi Savaiya Chhand Parichay सवैया छंद: परिचय, संरचना और उदाहरण

परिचय

Class 9 Hindi Savaiya Chhand Parichay : सवैया हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण वर्णिक छंद है, जो अपनी मधुरता, लयबद्धता, और संरचनात्मक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यह भक्तिकाल और रीतिकाल में विशेष रूप से लोकप्रिय रहा, जहाँ इसे भक्ति, शृंगार, और वीर रस के चित्रण के लिए उपयोग किया गया। सवैया की संरचना में वर्णों की निश्चित संख्या और गणों का क्रम होता है, जो इसे शास्त्रीय और प्रभावशाली बनाता है। यह छंद कक्षा 9 के पाठ्यक्रम में तुलसीदास की रचनाओं के माध्यम से अध्ययन किया जाता है।

सवैया की संरचना

  • वर्ण संख्या: सवैया के प्रत्येक चरण में 22 से 26 वर्ण होते हैं, जो इसके प्रकार पर निर्भर करता है।
  • गण व्यवस्था: यह छंद लघु (।) और गुरु (।।) गणों के संयोजन पर आधारित है, जो लय को व्यवस्थित करता है।
  • चरण: सवैया में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण स्वतंत्र या कथानक से जुड़ा हो सकता है।
  • तुक: चरणों के अंत में तुकबंदी होती है, जो इसे मधुर बनाती है।
  • प्रकार: सवैया के कई प्रकार हैं, जैसे मत्तगयंद सवैया, कवित्त सवैया, और सुंदरी सवैया, जिनमें वर्णों की संख्या और गण भिन्न हो सकते हैं।

विशेषताएँ

  • मधुरता: सवैया की लय और तुक इसे संगीतमय बनाती है।
  • शास्त्रीयता: यह शास्त्रीय नियमों पर आधारित है, जो इसे गंभीर और सौंदर्यपूर्ण बनाता है।
  • विषय विविधता: भक्ति, शृंगार, और वीर रस के लिए उपयुक्त।
  • संरचनात्मक सुंदरता: वर्ण और गणों की व्यवस्था इसे व्यवस्थित और आकर्षक बनाती है।
  • प्रभावशीलता: सवैया भावनाओं और विचारों को गहराई से व्यक्त करता है।

उदाहरण

  1. तुलसीदास का सवैया (क्षितिज भाग-1, भक्तिकाल, राम भक्ति):

राम भजे सो मोक्ष पावे, और सब माया जाल।

संसृति सागर तरन को, राम नाम अवलंबन थाल।।

जो सुमिरत सिद्धि होई, गन नायक करि करुणा निधान।

तुलसी रघुबर सों प्रीति करहु, मन मति बुद्धि समान।।

भावार्थ: तुलसीदास कहते हैं कि राम का भजन करने से मोक्ष प्राप्त होता है और संसार का मायाजाल छूटता है। राम नाम इस संसार सागर को पार करने का आधार है। जो राम का स्मरण करता है, उसे सिद्धि मिलती है और मन, मति, बुद्धि में प्रेम बढ़ता है।
छंद विश्लेषण: यह मत्तगयंद सवैया है, जिसमें प्रत्येक चरण में 24 वर्ण हैं। भक्ति रस की प्रधानता है।

  1. बिहारी का सवैया (रीतिकाल, शृंगार रस):

नैनन की करि कोर, लखि स्याम सलोनी सूरत।

मनहु मधुप रस रागिनी, राग रस में बसी पूरी।।

बिहारी बिनु बैनन के, बैनन बसी नयन मंजु।

तहँ सूरज चंद्रमा बसे, जैसे गगन मध्य पूरी।।

भावार्थ: बिहारी प्रियतम के सुंदर रूप को देखकर कहते हैं कि नयन उनकी छवि में डूब गए हैं, जैसे मधुमक्खी रस में। बिना बोले ही नयनों में प्रेम की बातें बस गई हैं, जैसे आकाश में सूर्य और चंद्रमा।
छंद विश्लेषण: यह कवित्त सवैया है, जिसमें शृंगार रस और बिंबात्मकता का सुंदर चित्रण है।

    सवैया का महत्व

    • साहित्यिक मूल्य: सवैया भक्तिकाल (तुलसीदास, सूरदास) और रीतिकाल (बिहारी, घनानंद) में व्यापक रूप से प्रयुक्त हुआ, जिसने हिंदी काव्य को समृद्ध किया।
    • सांस्कृतिक महत्व: यह भारतीय साहित्य की शास्त्रीय परंपरा को दर्शाता है।
    • शैक्षिक महत्व: सवैया के अध्ययन से छात्र छंद की संरचना, रस, और काव्य सौंदर्य को समझते हैं।
    • भावनात्मक प्रभाव: सवैया भक्ति, प्रेम, और वीरता की भावनाओं को गहराई से व्यक्त करता है।

    कक्षा 9 के संदर्भ में

    कक्षा 9 की क्षितिज भाग-1 में तुलसीदास के सवैये (राम भक्ति) सवैया छंद के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। ये सवैये भक्ति रस से युक्त हैं और मत्तगयंद सवैया की संरचना का पालन करते हैं। इनके माध्यम से छात्र सवैया की लय, वर्ण व्यवस्था, और भक्ति भाव को समझ सकते हैं। अन्य कविताएँ, जैसे कैदी और कोकिला या मेघ आए, मुक्त छंद में हैं, लेकिन सवैया की तुलना में उनकी शास्त्रीयता को समझने में सवैया सहायक है।

    निष्कर्ष

    सवैया हिंदी साहित्य का एक शास्त्रीय और मधुर छंद है, जो अपनी वर्णिक संरचना और लयबद्धता के लिए प्रसिद्ध है। यह भक्ति, शृंगार, और वीर रस को प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है। तुलसीदास और बिहारी जैसे कवियों के सवैयों ने हिंदी काव्य को अनुपम सौंदर्य प्रदान किया है। कक्षा 9 के छात्रों के लिए सवैया का अध्ययन छंद की संरचना, काव्य की लय, और रस की गहराई को समझने का अवसर प्रदान करता है।

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