Class 9 Hindi Sandhi Samaas Samanya Parichay : संधि एवं समास का सामान्य परिचय

Class 9 Hindi Sandhi Samaas Samanya Parichay : संधि और समास हिंदी व्याकरण के अनिवार्य अंग हैं जो भाषा को सुदृढ़ता और सौंदर्य प्रदान करते हैं। संधि वर्णों के मेल से उच्चारण में प्रवाह और लय लाती है, जिससे काव्य एवं गद्य दोनों में सहजता आती है। वहीं, समास शब्दों या पदों को संक्षिप्त कर भाषा में गागर में सागर भरने का सामर्थ्य देता है जिससे अभिव्यक्ति अधिक प्रभावशाली और सटीक बनती है। साहित्यकार इन व्याकरणिक तत्वों का प्रयोग करके अपनी रचनाओं को संक्षिप्त, स्पष्ट, लयात्मक और अधिक कलात्मक बनाते हैं जो हिंदी साहित्य की संप्रेषणीयता और साहित्यिक गुणवत्ता के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

संधि एवं समास का सामान्य परिचय

संधि (Sandhi): वर्णों का मेल

संधि का शाब्दिक अर्थ है ‘मेल’ या ‘जोड़’। व्याकरण में, जब दो निकटवर्ती वर्ण (अक्षर) आपस में मिलते हैं और उनके मेल से कोई नया परिवर्तन (विकार) होता है, तो उसे संधि कहते हैं। संधि का उद्देश्य उच्चारण को सहज और प्रवाहपूर्ण बनाना है।

संधि के मुख्य तीन भेद होते हैं:

1. स्वर संधि (Swar Sandhi)

जब दो स्वर वर्णों के आपस में मिलने से परिवर्तन होता है, तो उसे स्वर संधि कहते हैं। उदाहरण:

  • सूर्य + उदय = सूर्योदय (अ + उ = ओ)
  • विद्या + आलय = विद्यालय (आ + आ = आ)

स्वर संधि के मुख्य पाँच उपभेद हैं:

1.1. दीर्घ संधि (Dirgha Sandhi)

जब दो समान स्वर (ह्रस्व या दीर्घ) आपस में मिलते हैं, तो वे दीर्घ हो जाते हैं।

  • नियम: अ/आ + अ/आ = आ ; इ/ई + इ/ई = ई ; उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
  • उदाहरण:
    • धर्म + अर्थ = धर्मार्थ (अ + अ = आ)
    • कवि + इंद्र = कवींद्र (इ + इ = ई)
    • गुरु + उपदेश = गुरुपदेश (उ + उ = ऊ)
    • विद्या + आलय = विद्यालय (आ + आ = आ)

1.2. गुण संधि (Guna Sandhi)

जब ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘इ/ई’, ‘उ/ऊ’ या ‘ऋ’ आए तो उनके मेल से क्रमशः ‘ए’, ‘ओ’ या ‘अर्’ हो जाता है।

  • नियम: अ/आ + इ/ई = ए ; अ/आ + उ/ऊ = ओ ; अ/आ + ऋ = अर्
  • उदाहरण:
    • नर + इंद्र = नरेंद्र (अ + इ = ए)
    • महा + ईश्वर = महेश्वर (आ + ई = ए)
    • ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश (अ + उ = ओ)
    • महा + उत्सव = महोत्सव (आ + उ = ओ)
    • देव + ऋषि = देवर्षि (अ + ऋ = अर्)

1.3. वृद्धि संधि (Vriddhi Sandhi)

जब ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ए/ऐ’ या ‘ओ/औ’ आए तो उनके मेल से क्रमशः ‘ऐ’ या ‘औ’ हो जाता है।

  • नियम: अ/आ + ए/ऐ = ऐ ; अ/आ + ओ/औ = औ
  • उदाहरण:
    • एक + एक = एकैक (अ + ए = ऐ)
    • महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य (आ + ऐ = ऐ)
    • वन + औषधि = वनौषधि (अ + औ = औ)
    • महा + ओजस्वी = महौजस्वी (आ + ओ = औ)

1.4. यण संधि (Yan Sandhi)

जब ‘इ/ई’, ‘उ/ऊ’ या ‘ऋ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो उनके मेल से क्रमशः ‘य’, ‘व’ या ‘र’ हो जाता है।

  • नियम: इ/ई + भिन्न स्वर = य् + स्वर ; उ/ऊ + भिन्न स्वर = व् + स्वर ; ऋ + भिन्न स्वर = र् + स्वर
  • उदाहरण:
    • अति + अधिक = अत्यधिक (इ + अ = य)
    • इति + आदि = इत्यादि (इ + आ = या)
    • सु + आगत = स्वागत (उ + आ = वा)
    • पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा (ऋ + आ = रा)

1.5. अयादि संधि (Ayadi Sandhi)

जब ‘ए’, ‘ऐ’, ‘ओ’, ‘औ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो उनके मेल से क्रमशः ‘अय’, ‘आय’, ‘अव’, ‘आव’ हो जाता है।

  • नियम: ए + भिन्न स्वर = अय् + स्वर ; ऐ + भिन्न स्वर = आय् + स्वर ; ओ + भिन्न स्वर = अव् + स्वर ; औ + भिन्न स्वर = आव् + स्वर
  • उदाहरण:
    • ने + अन = नयन (ए + अ = अय)
    • गै + अक = गायक (ऐ + अ = आय)
    • पो + अन = पवन (ओ + अ = अव)
    • पौ + अक = पावक (औ + अ = आव)

2. व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi)

जब किसी व्यंजन का मेल किसी स्वर या किसी व्यंजन से होता है और उनके मेल से व्यंजन में कोई परिवर्तन होता है, तो उसे व्यंजन संधि कहते हैं। उदाहरण:

  • दिक् + गज = दिग्गज (क् + ग = ग्ग)
  • उत् + लास = उल्लास (त् + ल = ल्ल)
  • जगत् + नाथ = जगन्नाथ (त् + न = न्न)

3. विसर्ग संधि (Visarga Sandhi)

जब विसर्ग (:) का मेल किसी स्वर या किसी व्यंजन से होता है और विसर्ग में कोई परिवर्तन होता है, तो उसे विसर्ग संधि कहते हैं। उदाहरण:

  • निः + चल = निश्चल (: + च = श)
  • निः + आशा = निराशा (: + आ = रा)
  • मनः + बल = मनोबल (: + ब = ओ)

समास (Samas): शब्दों का संक्षिप्तीकरण


समास का शाब्दिक अर्थ है ‘संक्षेप’ या ‘संक्षिप्तीकरण’। जब दो या दो से अधिक शब्दों (पदों) को मिलाकर एक नया, छोटा और अर्थपूर्ण शब्द बनाया जाता है, तो उस प्रक्रिया को समास कहते हैं। समास में वर्णों का मेल नहीं, बल्कि शब्दों (पदों) का मेल होता है।

समास के मुख्य छह भेद होते हैं:

1. अव्ययीभाव समास (Avyayibhava Samas)

इसमें पहला पद अव्यय होता है और वही प्रधान होता है। समस्त पद भी अव्यय का काम करता है (अर्थात उस पर लिंग, वचन, कारक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता)।

  • पहचान: पहला पद अक्सर ‘यथा’, ‘आ’, ‘प्रति’, ‘हर’, ‘बे’, ‘भर’ आदि होता है।
  • उदाहरण:
    • यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार)
    • आजन्म (जन्म पर्यंत/जन्म से लेकर)
    • प्रतिदिन (प्रत्येक दिन)
    • भरपेट (पेट भरकर)

2. तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)

इसमें दूसरा पद प्रधान होता है। समास करते समय कारक चिह्नों (जैसे को, से, के लिए, का, में, पर) का लोप हो जाता है।

  • पहचान: विग्रह करने पर कारक चिह्न आते हैं।
  • उदाहरण:
    • राजपुत्र (राजा का पुत्र) – (‘का’ का लोप)
    • यशप्राप्त (यश को प्राप्त) – (‘को’ का लोप)
    • रसोईघर (रसोई के लिए घर) – (‘के लिए’ का लोप)
    • रोगमुक्त (रोग से मुक्त) – (‘से’ का लोप)

3. कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)

इसमें भी दूसरा पद प्रधान होता है। इसमें एक पद विशेषण और दूसरा विशेष्य होता है, या एक पद उपमान और दूसरा उपमेय होता है।

  • पहचान: विग्रह करने पर ‘है जो’, ‘के समान’ जैसे शब्द आते हैं।
  • उदाहरण:
    • नीलकमल (नीला है जो कमल) – (नील-विशेषण, कमल-विशेष्य)
    • महात्मा (महान है जो आत्मा)
    • चंद्रमुख (चंद्रमा के समान मुख) – (चंद्रमा-उपमान, मुख-उपमेय)
    • चरणकमल (कमल के समान चरण)

4. द्विगु समास (Dwigu Samas)

इसमें पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और वह किसी समूह या समाहार का बोध कराता है।

  • पहचान: पहला पद संख्या होती है।
  • उदाहरण:
    • त्रिलोक (तीन लोकों का समाहार)
    • पंचवटी (पाँच वटों का समाहार)
    • चौराहा (चार राहों का समाहार)
    • नवरात्रि (नौ रात्रियों का समूह)

5. द्वंद्व समास (Dwandwa Samas)

इसमें दोनों पद प्रधान होते हैं और उनके बीच ‘और’, ‘या’, ‘तथा’, ‘एवं’ जैसे योजक शब्दों का लोप होता है।

  • पहचान: दोनों पद समान महत्व के होते हैं और अक्सर एक-दूसरे के विपरीतार्थी होते हैं या जोड़े में आते हैं।
  • उदाहरण:
    • माता-पिता (माता और पिता)
    • रात-दिन (रात और दिन)
    • भाई-बहन (भाई और बहन)
    • दाल-रोटी (दाल और रोटी)

6. बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)

इसमें कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद या विशेष अर्थ की ओर संकेत करते हैं।

  • पहचान: विग्रह करने पर ‘वाला’, ‘वाली’, ‘है जो’, ‘है जिसका’ जैसे शब्द आते हैं और एक विशेष अर्थ निकलता है।
  • उदाहरण:
    • दशानन (दस हैं आनन जिसके अर्थात् रावण) – (न दस प्रधान है न आनन, बल्कि ‘रावण’ अर्थ है)
    • नीलकंठ (नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव)
    • लंबोदर (लंबा है उदर जिसका अर्थात् गणेश)
    • गिरिधर (गिरि को धारण करने वाला अर्थात् कृष्ण)

मुख्य अंतर (Difference between Sandhi and Samas):

विशेषतासंधिसमास
क्या होता हैवर्णों का मेलशब्दों (पदों) का मेल
परिवर्तनवर्णों में विकार/परिवर्तनशब्दों का संक्षिप्तीकरण
विग्रहअलग-अलग वर्णों को मूल रूप में लानापदों के बीच संबंध स्पष्ट करना
उदाहरणविद्या + आलय = विद्यालयराजा का पुत्र = राजपुत्र

संधि पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

  1. ‘संधि’ का शाब्दिक अर्थ क्या है? (अ) अलग करना (ब) मेल या जोड़ (स) तोड़ना (द) दूर करना उत्तर: (ब) मेल या जोड़
  2. जब दो स्वर वर्णों के मेल से परिवर्तन होता है, तो उसे क्या कहते हैं? (अ) व्यंजन संधि (ब) विसर्ग संधि (स) स्वर संधि (द) गुण संधि उत्तर: (स) स्वर संधि
  3. ‘विद्या + आलय’ की संधि करने पर सही शब्द क्या बनेगा? (अ) विद्यालय (ब) विद्यलय (स) विद्यालै (द) विद्यालाय उत्तर: (अ) विद्यालय
  4. ‘नर + इंद्र’ किस संधि का उदाहरण है? (अ) दीर्घ संधि (ब) गुण संधि (स) वृद्धि संधि (द) यण संधि उत्तर: (ब) गुण संधि
  5. ‘अति + अधिक’ की संधि करने पर ‘अत्यधिक’ बनता है। यह किस संधि का उदाहरण है? (अ) गुण संधि (ब) वृद्धि संधि (स) यण संधि (द) अयादि संधि उत्तर: (स) यण संधि
  6. ‘ने + अन’ से बनने वाला शब्द ‘नयन’ किस संधि का उदाहरण है? (अ) यण संधि (ब) अयादि संधि (स) दीर्घ संधि (द) गुण संधि उत्तर: (ब) अयादि संधि
  7. जब व्यंजन का मेल किसी स्वर या व्यंजन से हो और परिवर्तन हो, तो कौन-सी संधि होती है? (अ) स्वर संधि (ब) व्यंजन संधि (स) विसर्ग संधि (द) यण संधि उत्तर: (ब) व्यंजन संधि
  8. ‘उत् + लास’ की संधि करने पर सही शब्द क्या बनेगा? (अ) उथलास (ब) उल्लास (स) उत्लास (द) उललास उत्तर: (ब) उल्लास
  9. ‘निः + आशा’ किस संधि का उदाहरण है? (अ) स्वर संधि (ब) व्यंजन संधि (स) विसर्ग संधि (द) दीर्घ संधि उत्तर: (स) विसर्ग संधि
  10. ‘एक + एक’ की संधि करने पर ‘एकैक’ बनता है। यह किस स्वर संधि का उदाहरण है? (अ) दीर्घ संधि (ब) गुण संधि (स) वृद्धि संधि (द) यण संधि उत्तर: (स) वृद्धि संधि

समास पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

  1. ‘समास’ का शाब्दिक अर्थ क्या है? (अ) विस्तार करना (ब) बढ़ाना (स) संक्षेप या संक्षिप्तीकरण (द) तोड़ना उत्तर: (स) संक्षेप या संक्षिप्तीकरण
  2. किस समास में पहला पद अव्यय होता है और वही प्रधान होता है? (अ) तत्पुरुष समास (ब) अव्ययीभाव समास (स) द्विगु समास (द) द्वंद्व समास उत्तर: (ब) अव्ययीभाव समास
  3. ‘यथाशक्ति’ शब्द में कौन-सा समास है? (अ) तत्पुरुष समास (ब) अव्ययीभाव समास (स) कर्मधारय समास (द) बहुव्रीहि समास उत्तर: (ब) अव्ययीभाव समास
  4. ‘राजपुत्र’ (राजा का पुत्र) किस समास का उदाहरण है? (अ) कर्मधारय समास (ब) द्वंद्व समास (स) तत्पुरुष समास (द) द्विगु समास उत्तर: (स) तत्पुरुष समास
  5. किस समास में एक पद विशेषण और दूसरा विशेष्य होता है? (अ) द्विगु समास (ब) द्वंद्व समास (स) कर्मधारय समास (द) अव्ययीभाव समास उत्तर: (स) कर्मधारय समास
  6. ‘नीलकमल’ (नीला है जो कमल) में कौन-सा समास है? (अ) तत्पुरुष समास (ब) कर्मधारय समास (स) बहुव्रीहि समास (द) द्विगु समास उत्तर: (ब) कर्मधारय समास
  7. किस समास में पहला पद संख्यावाचक विशेषण होता है और वह समूह का बोध कराता है? (अ) कर्मधारय समास (ब) द्वंद्व समास (स) द्विगु समास (द) बहुव्रीहि समास उत्तर: (स) द्विगु समास
  8. ‘दशानन’ (दस हैं आनन जिसके अर्थात् रावण) किस समास का उदाहरण है? (अ) द्विगु समास (ब) द्वंद्व समास (स) तत्पुरुष समास (द) बहुव्रीहि समास उत्तर: (द) बहुव्रीहि समास
  9. ‘माता-पिता’ शब्द में कौन-सा समास है? (अ) अव्ययीभाव समास (ब) तत्पुरुष समास (स) द्वंद्व समास (द) द्विगु समास उत्तर: (स) द्वंद्व समास
  10. किस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद या विशेष अर्थ की ओर संकेत करते हैं? (अ) कर्मधारय समास (ब) बहुव्रीहि समास (स) अव्ययीभाव समास (द) तत्पुरुष समास उत्तर: (ब) बहुव्रीहि समास

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