परिचय
Class 9 Hindi Doha Chhand Parichay : दोहा हिंदी साहित्य में एक लोकप्रिय मात्रिक छंद है, जो अपनी संक्षिप्तता, लयबद्धता, और प्रभावशाली शैली के लिए प्रसिद्ध है। यह भक्ति, नीति, प्रकृति, और सामाजिक विषयों को व्यक्त करने का प्रभावी माध्यम रहा है। दोहा भक्तिकाल से लेकर आधुनिक काल तक कवियों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। यह छंद अपनी सरलता और गहन अर्थ के10 के कारण छात्रों और शिक्षकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
दोहा की संरचना
- मात्राएँ: दोहा चार चरणों (पंक्तियों) का छंद है। प्रथम और तृतीय चरण में 13 मात्राएँ, द्वितीय और चतुर्थ चरण में 11 मात्राएँ होती हैं।
- यति: प्रत्येक चरण में यति (विराम) 6-7 या 7-6 मात्राओं पर होती है।
- तुक: द्वितीय और चतुर्थ चरण में तुकबंदी (अंत में समान ध्वनि) अनिवार्य होती है।
- लय: दोहा की लय मधुर और संगीतमय होती है, जो इसे सुनने में आकर्षक बनाती है।
विशेषताएँ
- संक्षिप्तता: दोहा कम शब्दों में गहन अर्थ व्यक्त करता है।
- लयबद्धता: इसकी मात्रा और यति इसे संगीतमय बनाती है।
- बहुमुखी: भक्ति, नीति, प्रेम, और सामाजिक विषयों के लिए उपयुक्त।
- स्मरणीयता: इसकी लय और तुक के कारण यह आसानी से याद रहता है।
उदाहरण
- कबीर का दोहा (भक्ति और नीति):
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।
भावार्थ: कबीर कहते हैं कि युगों तक माला फेरने से मन का मैल (अहंकार) नहीं हटता। बाहरी कर्मकांड छोड़कर मन को शुद्ध करना चाहिए। - रहीम का दोहा (नीति):
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुस, चून।।
भावार्थ: रहीम कहते हैं कि पानी (आदर, नम्रता) को बनाए रखना चाहिए, क्योंकि इसके बिना मोती, मनुष्य, और आटा भी मूल्यहीन हो जाते हैं। - बिहारी का दोहा (शृंगार):
साँवरे सलोने नैनन में, बैनन बिना बसे। जैसे सूरज-चंद्रमा, गगन बीच निवासे।।
भावार्थ: प्रियतम के सुंदर नैनों में बिना बोले ही बातें बसती हैं, जैसे आकाश में सूर्य और चंद्रमा निवास करते हैं।
दोहा का महत्व
- साहित्यिक मूल्य: दोहा भक्तिकाल के कवियों (कबीर, तुलसीदास, रहीम) और रीतिकाल के कवियों (बिहारी) की रचनाओं में प्रमुखता से प्रयुक्त हुआ।
- सांस्कृतिक महत्व: यह लोक साहित्य और जनमानस की भावनाओं का वाहक रहा है।
- शैक्षिक महत्व: दोहा नैतिकता, भक्ति, और जीवन दर्शन की शिक्षा देता है।
- स्मरण और प्रचार: इसकी संक्षिप्तता और लय के कारण यह आसानी से प्रचारित और स्मरणीय है।
कक्षा 9 के संदर्भ में
कक्षा 9 की क्षितिज भाग-1 में दोहा छंद का प्रत्यक्ष उदाहरण नहीं है, लेकिन तुलसीदास के सवैये और अन्य कविताओं में छंद की लयबद्धता देखी जा सकती है। दोहा भक्तिकाल के कवियों जैसे कबीर और रहीम की रचनाओं में व्यापक रूप से मिलता है, जो कक्षा 9 के पाठ्यक्रम में भक्तिकाल के अध्ययन का हिस्सा हैं।
निष्कर्ष
दोहा हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण छंद है, जो अपनी संक्षिप्तता, लय, और गहन अर्थ के लिए प्रिय है। यह भक्ति, नीति, और शृंगार जैसे विविध विषयों को व्यक्त करता है। कबीर, रहीम, और बिहारी जैसे कवियों के दोहों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। दोहा का अध्ययन छात्रों को काव्य की लय और सौंदर्य को समझने में मदद करता है।