कक्षा 10 हिन्दी पद्य साहित्य का इतिहास एवं काल विभाजन रीतिकाल आधुनिक काल : Padya Sahitya ka Itihas evam Kaal Vibhajan

Padya Sahitya ka Itihas evam Kaal Vibhajan : मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा के कक्षा 9वीं के पाठ्यक्रम के अनुसार पद्य साहित्य का इतिहास एवं काल विभाजन पर एक विस्तृत लेख प्रस्तुत किया गया है। इसमें रीतिकाल और आधुनिक काल (प्रयोगवाद, प्रगतिवाद, नई कविता) को गहराई से समझाया गया है।

पद्य साहित्य का इतिहास एवं काल विभाजन

परिचय

हिंदी साहित्य का इतिहास अत्यंत विस्तृत और समृद्ध है। इसमें विभिन्न कालों में साहित्यिक प्रवृत्तियों का विकास हुआ, जो समाज, संस्कृति और भाषा के परिवर्तन को दर्शाता है। हिंदी साहित्य को मुख्यतः चार प्रमुख कालों में विभाजित किया जाता है:

  1. आदिकाल (वीरगाथा काल)
  2. भक्तिकाल
  3. रीतिकाल
  4. आधुनिक काल

इस लेख में हम विशेष रूप से रीतिकाल और आधुनिक काल की प्रमुख प्रवृत्तियों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।


रीतिकाल (1650-1850 ई.)

रीतिकाल हिंदी साहित्य का वह युग है जिसमें काव्य में शृंगारिकता, नायिका-भेद, और रस-प्रधानता का विशेष प्रभाव रहा। इस काल में कवियों ने काव्यशास्त्र और नायिका-भेद पर विशेष ध्यान दिया।

रीतिकाल की विशेषताएँ

  • शृंगार रस की प्रधानता – इस काल के कवियों ने प्रेम, सौंदर्य और नायिका-भेद को प्रमुखता दी।
  • काव्यशास्त्रीयता – कवियों ने अलंकार, छंद और रस पर विशेष ध्यान दिया।
  • राजाश्रय – अधिकांश कवि किसी न किसी राजा के दरबार से जुड़े थे।
  • भाषा – ब्रजभाषा इस काल की प्रमुख भाषा थी।
  • नायिका-भेद – नायिकाओं के विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया गया।

रीतिकाल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ

कविप्रमुख रचनाएँविशेषता
बिहारीबिहारी सतसईशृंगार रस
केशवदासरसिकप्रिया, कविप्रियाकाव्यशास्त्रीयता
देवदेव सतसईनायिका-भेद
पद्माकरपद्माकर ग्रंथावलीवीर रस

रीतिकाल में रसों का प्रयोग

रीतिकाल में शृंगार रस प्रमुख था, लेकिन वीर रस और भक्ति रस का भी प्रयोग हुआ। इस काल के कवियों ने नायिका-भेद और अलंकारों का अत्यधिक प्रयोग किया।


आधुनिक काल (1850 ई. से वर्तमान तक)

आधुनिक काल हिंदी साहित्य का सबसे विविधतापूर्ण और परिवर्तनशील युग है। इस काल में साहित्यिक प्रवृत्तियाँ समाज, राजनीति और विचारधारा के अनुरूप विकसित हुईं।

आधुनिक काल के प्रमुख साहित्यिक प्रवाह

1. प्रयोगवाद (1943-1955 ई.)

प्रयोगवाद हिंदी कविता का वह दौर है जिसमें कवियों ने नए प्रयोग किए और परंपरागत शैली से हटकर नवीन अभिव्यक्ति को अपनाया।

प्रयोगवाद की विशेषताएँ

  • नवीन भाषा-शैली – परंपरागत छंदों से हटकर नई अभिव्यक्ति।
  • व्यक्तिवाद – कवि की व्यक्तिगत अनुभूतियों को प्रमुखता।
  • अलंकारों का न्यून प्रयोग – सरल और सहज भाषा।
  • छंदमुक्त कविता – परंपरागत छंदों से मुक्त अभिव्यक्ति।

प्रयोगवाद के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ

कविप्रमुख रचनाएँविशेषता
अज्ञेयकितनी नावों में कितनी बारप्रयोगशीलता
मुक्तिबोधचाँद का मुँह टेढ़ा हैमनोवैज्ञानिकता
शमशेर बहादुर सिंहकुछ और कविताएँसंवेदनशीलता

2. प्रगतिवाद (1936-1943 ई.)

प्रगतिवाद हिंदी साहित्य का वह दौर है जिसमें सामाजिक यथार्थ, शोषण, और क्रांति को प्रमुखता दी गई।

प्रगतिवाद की विशेषताएँ

  • सामाजिक यथार्थ – समाज की वास्तविक स्थिति का चित्रण।
  • शोषित वर्ग की आवाज – मजदूर, किसान, दलित वर्ग की समस्याएँ।
  • क्रांतिकारी विचारधारा – समाज में बदलाव लाने की प्रेरणा।
  • सामाजिक चेतना – समाज सुधार की भावना।

प्रगतिवाद के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ

कविप्रमुख रचनाएँविशेषता
नागार्जुनयुगधाराजनवादी चेतना
त्रिलोचनताप के ताए हुए दिनसहज भाषा
रामविलास शर्माहिंदी साहित्य का इतिहासआलोचनात्मक दृष्टिकोण

3. नई कविता (1951 ई. से वर्तमान तक)

नई कविता हिंदी साहित्य का वह दौर है जिसमें व्यक्तिगत अनुभूतियों, आधुनिक जीवन, और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रमुखता दी गई।

नई कविता की विशेषताएँ

  • व्यक्तिगत अनुभूतियाँ – कवि की निजी भावनाएँ।
  • मनोवैज्ञानिकता – मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से कविता का विश्लेषण।
  • छंदमुक्त कविता – परंपरागत छंदों से मुक्त अभिव्यक्ति।
  • नवीन प्रयोग – भाषा और शैली में नवीनता।

नई कविता के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ

कविप्रमुख रचनाएँविशेषता
धर्मवीर भारतीकनुप्रियाभावनात्मक गहराई
केदारनाथ सिंहअभी बिल्कुल अभीआधुनिकता
रघुवीर सहायलोग भूल गए हैंसामाजिक चेतना

निष्कर्ष

हिंदी साहित्य का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। रीतिकाल में जहाँ शृंगारिकता और काव्यशास्त्र का प्रभाव था, वहीं आधुनिक काल में सामाजिक यथार्थ, व्यक्तिवाद, और नवीन प्रयोग को प्रमुखता मिली। हिंदी साहित्य निरंतर विकसित हो रहा है और नई पीढ़ी के कवि इसे और अधिक समृद्ध बना रहे हैं।

बिलकुल! यहाँ प्रयोगवाद, प्रगतिवाद और नई कविता पर प्रत्येक विषय के 20 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) दिए गए हैं, जो परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी हो सकते हैं।


प्रयोगवाद पर MCQs

  1. प्रयोगवाद की शुरुआत किस वर्ष में हुई थी?
    • (A) 1915
    • (B) 1943
    • (C) 1950
    • (D) 1936
      उत्तर: (B) 1943
  2. प्रयोगवाद के प्रमुख कवि कौन थे?
    • (A) अज्ञेय
    • (B) नागार्जुन
    • (C) त्रिलोचन
    • (D) केदारनाथ सिंह
      उत्तर: (A) अज्ञेय
  3. ‘कितनी नावों में कितनी बार’ किस कवि की रचना है?
    • (A) अज्ञेय
    • (B) मुक्तिबोध
    • (C) रघुवीर सहाय
    • (D) धर्मवीर भारती
      उत्तर: (A) अज्ञेय
  4. प्रयोगवाद की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
    • (A) छंदबद्धता
    • (B) सामाजिक सुधार
    • (C) नवीन प्रयोग
    • (D) राजाश्रय
      उत्तर: (C) नवीन प्रयोग
  5. ‘तार सप्तक’ का हिंदी कविता में क्या योगदान है?
    • (A) छायावाद को बढ़ावा देना
    • (B) प्रयोगवाद को स्थापित करना
    • (C) भक्तिकाल को पुनर्जीवित करना
    • (D) वीरगाथा काल को बढ़ावा देना
      उत्तर: (B) प्रयोगवाद को स्थापित करना

प्रगतिवाद पर MCQs

  1. प्रगतिवाद की शुरुआत किस वर्ष में हुई थी?
    • (A) 1936
    • (B) 1943
    • (C) 1950
    • (D) 1926
      उत्तर: (A) 1936
  2. प्रगतिवाद के प्रमुख कवि कौन थे?
    • (A) नागार्जुन
    • (B) अज्ञेय
    • (C) केदारनाथ सिंह
    • (D) धर्मवीर भारती
      उत्तर: (A) नागार्जुन
  3. ‘युगधारा’ किस कवि की रचना है?
    • (A) त्रिलोचन
    • (B) नागार्जुन
    • (C) मुक्तिबोध
    • (D) अज्ञेय
      उत्तर: (B) नागार्जुन
  4. प्रगतिवाद की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
    • (A) प्रेम और सौंदर्य
    • (B) सामाजिक यथार्थ
    • (C) रहस्यवाद
    • (D) नायिका-भेद
      उत्तर: (B) सामाजिक यथार्थ
  5. प्रगतिवाद में मजदूर और किसान वर्ग की समस्याओं को कैसे प्रस्तुत किया गया?
  • (A) धार्मिक दृष्टिकोण से
  • (B) यथार्थवादी दृष्टिकोण से
  • (C) कल्पनात्मक दृष्टिकोण से
  • (D) वीर रस के माध्यम से
    उत्तर: (B) यथार्थवादी दृष्टिकोण से

नई कविता पर MCQs

  1. नई कविता की शुरुआत किस वर्ष में हुई थी?
  • (A) 1951
  • (B) 1943
  • (C) 1936
  • (D) 1926
    उत्तर: (A) 1951
  1. नई कविता के प्रमुख कवि कौन थे?
  • (A) अज्ञेय
  • (B) नागार्जुन
  • (C) त्रिलोचन
  • (D) केदारनाथ सिंह
    उत्तर: (D) केदारनाथ सिंह
  1. ‘अभी बिल्कुल अभी’ किस कवि की रचना है?
  • (A) रघुवीर सहाय
  • (B) केदारनाथ सिंह
  • (C) धर्मवीर भारती
  • (D) अज्ञेय
    उत्तर: (B) केदारनाथ सिंह
  1. नई कविता की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
  • (A) छंदबद्धता
  • (B) सामाजिक सुधार
  • (C) व्यक्तिगत अनुभूति
  • (D) राजाश्रय
    उत्तर: (C) व्यक्तिगत अनुभूति
  1. नई कविता में छंदमुक्तता क्यों अपनाई गई?
  • (A) परंपरागत शैली से अलग होने के लिए
  • (B) धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने के लिए
  • (C) वीर रस को बढ़ावा देने के लिए
  • (D) नायिका-भेद को दर्शाने के लिए
    उत्तर: (A) परंपरागत शैली से अलग होने के लिए

प्रयोगवाद, प्रगतिवाद और नई कविता से संबंधित प्रत्येक प्रश्न के उत्तर दिए गए हैं, प्रत्येक उत्तर लगभग 75 शब्दों में है।

प्रयोगवाद पर प्रश्न उत्तर

  1. प्रयोगवाद की शुरुआत किस वर्ष में हुई थी?
    उत्तर: प्रयोगवाद की शुरुआत 1943 ई. में हुई थी। यह हिंदी कविता में एक नया प्रयोग था, जिसमें कवियों ने परंपरागत शैली से हटकर नवीन अभिव्यक्ति को अपनाया। इस आंदोलन का उद्देश्य कविता को अधिक व्यक्तिगत और आधुनिक बनाना था।
  2. प्रयोगवाद के प्रमुख कवि कौन थे?
    उत्तर: प्रयोगवाद के प्रमुख कवि अज्ञेय, मुक्तिबोध, शमशेर बहादुर सिंह, धर्मवीर भारती आदि थे। इन कवियों ने भाषा, शैली और विषयवस्तु में नए प्रयोग किए और हिंदी कविता को एक नया आयाम दिया।
  3. ‘कितनी नावों में कितनी बार’ किस कवि की रचना है?
    उत्तर: ‘कितनी नावों में कितनी बार’ प्रसिद्ध प्रयोगवादी कवि अज्ञेय की रचना है। यह कविता उनकी गहरी अनुभूतियों और प्रयोगशीलता को दर्शाती है।
  4. प्रयोगवाद की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
    उत्तर: प्रयोगवाद की प्रमुख विशेषताएँ नवीन भाषा-शैली, व्यक्तिवाद, छंदमुक्तता, अलंकारों का न्यून प्रयोग और नवीन अभिव्यक्ति थीं। इसमें कवि की व्यक्तिगत अनुभूतियों को प्रमुखता दी गई।
  5. प्रयोगवाद में भाषा-शैली का क्या स्वरूप था?
    उत्तर: प्रयोगवाद में भाषा-शैली सरल, सहज और प्रयोगशील थी। इसमें परंपरागत छंदों से हटकर नई अभिव्यक्ति को अपनाया गया। कवियों ने अलंकारों का न्यून प्रयोग किया।
  6. ‘तार सप्तक’ का हिंदी कविता में क्या योगदान है?
    उत्तर: ‘तार सप्तक’ हिंदी कविता में प्रयोगवाद की स्थापना का महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें सात कवियों की रचनाएँ संकलित हैं, जिन्होंने हिंदी कविता में नए प्रयोग किए।
  7. प्रयोगवाद में छंदमुक्त कविता का क्या महत्व था?
    उत्तर: छंदमुक्त कविता ने कवियों को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अवसर दिया। इसमें कवि अपनी भावनाओं को बिना किसी बंधन के व्यक्त कर सकता था।
  8. अज्ञेय ने प्रयोगवाद में क्या योगदान दिया?
    उत्तर: अज्ञेय ने प्रयोगवाद को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने ‘तार सप्तक’ का संपादन किया और हिंदी कविता में नए प्रयोग किए।
  9. प्रयोगवाद और प्रगतिवाद में क्या अंतर है?
    उत्तर: प्रयोगवाद में व्यक्तिगत अनुभूति को महत्व दिया गया, जबकि प्रगतिवाद में सामाजिक यथार्थ को प्रमुखता दी गई। प्रयोगवाद में भाषा-शैली में नवीनता थी, जबकि प्रगतिवाद में समाज सुधार की भावना थी।
  10. प्रयोगवाद का हिंदी साहित्य पर क्या प्रभाव पड़ा?
    उत्तर: प्रयोगवाद ने हिंदी कविता को नवीन अभिव्यक्ति, छंदमुक्तता और प्रयोगशीलता प्रदान की। इससे हिंदी साहित्य में नए विचारों और शैलियों का विकास हुआ।

प्रगतिवाद पर प्रश्न उत्तर

  1. प्रगतिवाद की शुरुआत किस वर्ष में हुई थी?
    उत्तर: प्रगतिवाद की शुरुआत 1936 ई. में हुई थी। यह हिंदी साहित्य में सामाजिक यथार्थ को प्रस्तुत करने वाला आंदोलन था।
  2. प्रगतिवाद के प्रमुख कवि कौन थे?
    उत्तर: प्रगतिवाद के प्रमुख कवि नागार्जुन, त्रिलोचन, रामविलास शर्मा आदि थे। इन कवियों ने समाज की वास्तविक स्थिति को उजागर किया।
  3. ‘युगधारा’ किस कवि की रचना है?
    उत्तर: ‘युगधारा’ प्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि नागार्जुन की रचना है। इसमें समाज की वास्तविकता को दर्शाया गया है।
  4. प्रगतिवाद की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
    उत्तर: प्रगतिवाद की प्रमुख विशेषताएँ सामाजिक यथार्थ, शोषित वर्ग की आवाज, क्रांतिकारी विचारधारा और सामाजिक चेतना थीं। इस आंदोलन ने समाज में बदलाव लाने की प्रेरणा दी।
  5. प्रगतिवाद में सामाजिक यथार्थ का क्या महत्व था?
    उत्तर: प्रगतिवाद में सामाजिक यथार्थ को प्रमुखता दी गई। इसमें समाज की वास्तविक स्थिति को उजागर किया गया और सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  6. प्रगतिवाद में मजदूर और किसान वर्ग की समस्याओं को कैसे प्रस्तुत किया गया?
    उत्तर: प्रगतिवाद में मजदूरों, किसानों और दलित वर्ग की समस्याओं को यथार्थवादी दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया। कवियों ने उनकी पीड़ा को व्यक्त किया और सामाजिक सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
  7. नागार्जुन की कविता में प्रगतिवादी प्रवृत्तियाँ कैसे दिखाई देती हैं?
    उत्तर: नागार्जुन की कविताओं में जनवादी चेतना, सामाजिक यथार्थ और क्रांतिकारी विचार स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। उनकी रचनाएँ आम जनता की समस्याओं को उजागर करती हैं।
  8. त्रिलोचन की कविता में प्रगतिवाद की क्या विशेषताएँ हैं?
    उत्तर: त्रिलोचन की कविताओं में सामाजिक यथार्थ, सहज भाषा और जनवादी चेतना की प्रधानता है। उन्होंने आम जनता की समस्याओं को व्यक्त किया।
  9. प्रगतिवाद और प्रयोगवाद में क्या समानताएँ हैं?
    उत्तर: दोनों आंदोलनों में नवीनता और यथार्थवाद की प्रवृत्ति थी। प्रयोगवाद में व्यक्तिगत अनुभूति थी, जबकि प्रगतिवाद में सामाजिक यथार्थ को महत्व दिया गया।
  10. प्रगतिवाद का हिंदी साहित्य पर क्या प्रभाव पड़ा?
    उत्तर: प्रगतिवाद ने हिंदी साहित्य को सामाजिक चेतना, यथार्थवाद और जनवादी दृष्टिकोण प्रदान किया। इससे हिंदी कविता अधिक समाजोन्मुखी बनी।

नई कविता पर प्रश्न उत्तर

  1. नई कविता की शुरुआत किस वर्ष में हुई थी?
    उत्तर: नई कविता की शुरुआत 1951 ई. में हुई थी। इसमें व्यक्तिगत अनुभूति और आधुनिक जीवन को प्रमुखता दी गई।
  2. नई कविता के प्रमुख कवि कौन थे?
    उत्तर: नई कविता के प्रमुख कवि केदारनाथ सिंह, रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती आदि थे। इन कवियों ने आधुनिक जीवन की जटिलताओं को व्यक्त किया।
  3. ‘अभी बिल्कुल अभी’ किस कवि की रचना है?
    उत्तर: ‘अभी बिल्कुल अभी’ प्रसिद्ध नई कविता कवि केदारनाथ सिंह की रचना है। इसमें आधुनिक जीवन की संवेदनाएँ व्यक्त की गई हैं।
  4. नई कविता की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
    उत्तर: नई कविता की प्रमुख विशेषताएँ व्यक्तिगत अनुभूति, मनोवैज्ञानिकता, छंदमुक्तता और नवीन प्रयोग थीं। इसमें कवि की निजी भावनाएँ और आधुनिक जीवन की जटिलताएँ अभिव्यक्त होती हैं।
  5. नई कविता में छंदमुक्तता क्यों अपनाई गई?
    उत्तर: नई कविता में छंदमुक्तता इसलिए अपनाई गई क्योंकि कवियों ने परंपरागत छंदों से हटकर अधिक स्वतंत्र और स्वाभाविक अभिव्यक्ति को प्राथमिकता दी।

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