MP board Class 9 What is Democracy Why Democracy : कक्षा 9 के छात्रों के लिए उनकी परीक्षा की तैयारी हेतु “लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों?” पर यह एक विस्तृत और संपूर्ण लेख है। इसमें उचित शीर्षक, उप-शीर्षक और महत्वपूर्ण अंग्रेजी शब्दों को भी शामिल किया गया है।
अध्याय 1: लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों? (What is Democracy? Why Democracy?)
भूमिका (Introduction)
आज जब हम दुनिया के अधिकांश देशों पर नजर डालते हैं, तो हम पाते हैं कि लोकतंत्र (Democracy) शासन का सबसे लोकप्रिय और स्वीकृत रूप है। समाचार पत्रों, टेलीविजन और हमारी रोजमर्रा की बातचीत में यह शब्द बार-बार आता है। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि लोकतंत्र का वास्तविक अर्थ क्या है? क्या सिर्फ चुनाव करा देना ही किसी देश को लोकतांत्रिक बना देता है? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल, हमें लोकतंत्र की आवश्यकता क्यों है? क्या तानाशाही (Dictatorship) या राजतंत्र (Monarchy) जैसी अन्य शासन प्रणालियों से यह बेहतर क्यों है?
यह अध्याय इन्हीं मूलभूत प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करता है। हम पहले यह समझेंगे कि लोकतंत्र को कैसे परिभाषित किया जाए और इसकी मुख्य विशेषताएँ क्या हैं जो इसे अन्य शासन प्रणालियों से अलग करती हैं। इसके बाद, हम इस बात पर गहराई से विचार करेंगे कि लोकतंत्र के पक्ष और विपक्ष में क्या तर्क दिए जाते हैं, ताकि हम यह निष्कर्ष निकाल सकें कि आधुनिक विश्व में लोकतंत्र क्यों इतना महत्वपूर्ण और आवश्यक है।
भाग 1: लोकतंत्र क्या है? (What is Democracy?)
लोकतंत्र की सरल परिभाषा (A Simple Definition of Democracy)
“लोकतंत्र” शब्द की उत्पत्ति यूनानी (Greek) भाषा के दो शब्दों से हुई है: ‘डेमोस’ (Demos), जिसका अर्थ है ‘लोग’ या ‘जनता’, और ‘क्रेटिया’ (Kratia), जिसका अर्थ है ‘शासन’। इस प्रकार, लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ है “लोगों का शासन”।
इसकी सबसे सरल और व्यापक रूप से स्वीकृत परिभाषा है:
“लोकतंत्र शासन का एक ऐसा रूप है जिसमें शासकों का चुनाव जनता करती है।”
यह एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन यह परिभाषा अपने आप में पूरी नहीं है। इस परिभाषा का उपयोग करते समय कई सवाल उठते हैं:
- ‘शासक’ कौन हैं? क्या इसमें वे सभी अधिकारी शामिल हैं जिन्हें जनता नहीं चुनती?
- ‘चुनाव’ का क्या मतलब है? क्या किसी भी तरह के चुनाव को लोकतांत्रिक माना जा सकता है?
- ‘जनता’ कौन है? क्या इसमें देश के सभी नागरिक शामिल हैं, या कुछ को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है?
- ‘शासन का रूप’ कैसा होना चाहिए? क्या चुने हुए शासक अपनी मनमानी कर सकते हैं?
इन सवालों का जवाब देने के लिए, हमें लोकतंत्र की विशेषताओं को गहराई से समझना होगा। कई देश खुद को लोकतांत्रिक कहते हैं, लेकिन वे वास्तव में होते नहीं हैं। इसलिए, एक सच्चे लोकतंत्र की पहचान करने के लिए हमें उसकी विशेषताओं की पड़ताल करनी होगी।
लोकतंत्र की विशेषताएँ (Features of Democracy)
1. प्रमुख फैसले निर्वाचित नेताओं के हाथ में (Major Decisions by Elected Leaders)
एक सच्चे लोकतंत्र में, अंतिम और महत्वपूर्ण निर्णय लेने की शक्ति उन लोगों के पास होनी चाहिए जिन्हें जनता ने अपने प्रतिनिधि (Representative) के रूप में चुना है। कोई भी बाहरी शक्ति या गैर-निर्वाचित संस्था इन फैसलों को प्रभावित नहीं कर सकती।
- उदाहरण: पाकिस्तान (Example: Pakistan):अक्टूबर 1999 में, जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने एक सैनिक तख्तापलट (Military Coup) के माध्यम से पाकिस्तान की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका। उन्होंने खुद को देश का ‘मुख्य कार्यकारी’ (Chief Executive) घोषित किया और बाद में एक जनमत संग्रह (Referendum) कराकर खुद को राष्ट्रपति भी बनवा लिया, जिस पर धोखाधड़ी के आरोप लगे।2002 में, उन्होंने ‘लीगल फ्रेमवर्क ऑर्डर’ (Legal Framework Order) नामक एक आदेश जारी किया, जिसने पाकिस्तान के संविधान को बदल दिया। इस आदेश के अनुसार, राष्ट्रपति को राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं को भंग करने का अधिकार मिल गया। यद्यपि इन विधानसभाओं के लिए चुनाव हुए और चुने हुए प्रतिनिधियों को कुछ शक्तियाँ दी गईं, लेकिन सर्वोच्च सत्ता सेना और जनरल मुशर्रफ के हाथ में ही रही। एक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (National Security Council), जिसमें सैन्य अधिकारियों का दबदबा था, महत्वपूर्ण फैसले लेती थी। इस प्रकार, पाकिस्तान में लोगों ने अपने शासकों को चुना तो था, लेकिन वे वास्तविक शासक नहीं थे। अंतिम निर्णय सेना और जनरल मुशर्रफ के हाथ में था, जो जनता द्वारा नहीं चुने गए थे। इसलिए, इसे सच्चा लोकतंत्र नहीं कहा जा सकता।
2. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावी मुकाबला (Free and Fair Electoral Competition)
लोकतंत्र केवल चुनाव कराने का नाम नहीं है। यह चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष भी होने चाहिए, जहाँ सत्ता में बैठे लोगों के लिए हारने और जीतने की समान संभावना हो। नागरिकों के पास एक वास्तविक विकल्प (Real Choice) होना चाहिए।
- उदाहरण: चीन (Example: China):चीन में, संसद, जिसे ‘क्वांगो रेन्मिन दाएबिओ दाहुई’ (राष्ट्रीय जन संसद) कहा जाता है, के लिए हर पाँच साल में नियमित रूप से चुनाव होते हैं। लेकिन यहाँ चुनाव लड़ने से पहले सभी उम्मीदवारों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) से मंजूरी लेनी पड़ती है। केवल कम्युनिस्ट पार्टी या उससे संबद्ध कुछ छोटी पार्टियों के सदस्य ही चुनाव लड़ सकते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि सरकार हमेशा कम्युनिस्ट पार्टी की ही बनती है। यहाँ लोगों के पास कोई वास्तविक विकल्प नहीं होता, इसलिए इसे लोकतांत्रिक नहीं माना जा सकता।
- उदाहरण: मेक्सिको (Example: Mexico):मेक्सिको में 1930 से लेकर 2000 तक, हर चुनाव में इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी (PRI) नामक एक ही पार्टी को जीत मिलती थी। यद्यपि वहाँ विपक्षी दल थे, लेकिन वे कभी जीत नहीं पाते थे। PRI चुनाव जीतने के लिए कई तरह के हथकंडे (डर्टी ट्रिक्स – Dirty Tricks) अपनाती थी। वह सरकारी कर्मचारियों को अपनी पार्टी की बैठकों में आने के लिए मजबूर करती थी, सरकारी संसाधनों का उपयोग अपने चुनाव प्रचार में करती थी, और मीडिया को विपक्ष की आलोचना करने और अपनी प्रशंसा करने के लिए मजबूर करती थी। इस प्रकार, कागज पर तो चुनाव होते थे, लेकिन वे निष्पक्ष नहीं थे।
3. एक व्यक्ति, एक वोट, एक मोल (One Person, One Vote, One Value)
लोकतंत्र का एक और fundamental principle (बुनियादी सिद्धांत) है सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Franchise)। इसका मतलब है कि देश के सभी वयस्क नागरिकों को वोट देने का अधिकार होना चाहिए, और हर किसी के वोट का मूल्य समान होना चाहिए।
- उदाहरण (Examples of Violation):
- सऊदी अरब (Saudi Arabia): 2015 तक, वहाँ महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था।
- एस्टोनिया (Estonia): इस देश ने अपनी नागरिकता के नियम इस तरह बनाए थे कि रूसी अल्पसंख्यक (Russian minority) समुदाय के लोगों को मतदान का अधिकार हासिल करने में बहुत मुश्किल होती थी।
- फिजी (Fiji): फिजी की चुनाव प्रणाली में, वहाँ के मूल निवासी फिजी के वोट का मूल्य भारतीय मूल के फिजी नागरिक के वोट से अधिक था।
ये सभी उदाहरण राजनीतिक समानता (Political Equality) के सिद्धांत के खिलाफ हैं और इसलिए, इन प्रणालियों को पूरी तरह से लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता।
4. कानून का राज और अधिकारों का आदर (Rule of Law and Respect for Rights)
एक लोकतांत्रिक सरकार केवल इसलिए मनमानी नहीं कर सकती क्योंकि उसने चुनाव जीता है। उसे संविधान द्वारा निर्धारित बुनियादी नियमों और कानूनों के दायरे में रहकर ही काम करना होता है। उसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का सम्मान करना चाहिए।
- उदाहरण: जिम्बाब्वे (Example: Zimbabwe):जिम्बाब्वे को 1980 में अल्पसंख्यक गोरों के शासन से आजादी मिली। तब से, देश पर रॉबर्ट मुगाबे और उनकी पार्टी ZANU-PF का शासन रहा। मुगाबे एक लोकप्रिय नेता थे, लेकिन उन्होंने चुनाव जीतने के लिए हमेशा गलत तरीके अपनाए। उन्होंने कई बार संविधान में बदलाव करके राष्ट्रपति की शक्तियों को बढ़ाया और उनकी जवाबदेही को कम किया। विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं को परेशान किया जाता था, और सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया था। मीडिया पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में था, और न्यायपालिका (Judiciary) पर भी दबाव डाला जाता था। इस उदाहरण से पता चलता है कि एक लोकप्रिय नेता भी अलोकतांत्रिक हो सकता है। लोकतंत्र के लिए सिर्फ चुनाव जीतना ही काफी नहीं है, बल्कि सरकार का कानूनों और नागरिक अधिकारों का सम्मान करना भी उतना ही आवश्यक है।
परिभाषा का सारांश (Summary of the Definition)
इन सभी विशेषताओं के आधार पर, हम लोकतंत्र की एक स्पष्ट और व्यापक परिभाषा दे सकते हैं:
“लोकतंत्र शासन का एक ऐसा रूप है जिसमें जनता द्वारा चुने गए शासक ही सारे प्रमुख फैसले करते हैं; चुनाव लोगों के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष अवसर प्रदान करते हैं कि वे मौजूदा शासकों को बदल सकें; यह अवसर और विकल्प सभी लोगों को समान रूप से उपलब्ध हो; और इस चुनाव से बनी सरकार संविधान द्वारा तय किए गए बुनियादी कानूनों और नागरिक अधिकारों के दायरे में रहकर ही काम करती है।”
भाग 2: लोकतंत्र ही क्यों? (Why Democracy?)
अब जब हम यह समझ चुके हैं कि लोकतंत्र क्या है, तो अगला सवाल यह उठता है कि हमें लोकतंत्र की आवश्यकता क्यों है? क्या यह शासन का सबसे अच्छा रूप है? इस पर विचार करने के लिए, हमें इसके पक्ष और विपक्ष दोनों में दिए गए तर्कों को समझना होगा।
लोकतंत्र के खिलाफ तर्क (Arguments Against Democracy)
लोकतंत्र की अक्सर निम्नलिखित आधारों पर आलोचना की जाती है:
- अस्थिरता (Instability): लोकतंत्र में नेता बदलते रहते हैं। हर कुछ वर्षों में चुनाव होते हैं, जिससे सरकारें बदल सकती हैं। इससे नीतियों में बार-बार बदलाव होता है और राजनीतिक अस्थिरता पैदा होती है।
- नैतिकता का अभाव (Lack of Morality): लोकतंत्र में सारा खेल राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और सत्ता का होता है। नेता चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, जिससे नैतिकता का कोई स्थान नहीं रह जाता।
- फैसलों में देरी (Delay in Decision-Making): लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बहुत सारे लोगों से सलाह-मशविरा करना पड़ता है, जिससे किसी भी फैसले पर पहुँचने में बहुत देरी हो जाती है।
- खराब फैसलों की संभावना (Possibility of Bad Decisions): यह तर्क दिया जाता है कि चुने हुए नेताओं को हमेशा लोगों के सर्वोत्तम हितों की जानकारी नहीं होती है। इससे खराब फैसले लिए जा सकते हैं।
- भ्रष्टाचार को बढ़ावा (Leads to Corruption): चुनावी प्रतिस्पर्धा बहुत खर्चीली होती है। इसलिए, कई नेता चुनाव जीतने और सत्ता में बने रहने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं।
- आम लोगों की सीमित समझ: एक आम नागरिक को देश की जटिल समस्याओं की गहरी समझ नहीं होती है। इसलिए, यह संभव है कि वे अपने लिए सही नेता का चुनाव न कर पाएं।
ये तर्क कुछ हद तक सही हो सकते हैं, लेकिन वे हमें पूरी तस्वीर नहीं दिखाते हैं। अब हम लोकतंत्र के पक्ष में तर्कों पर विचार करेंगे।
लोकतंत्र के पक्ष में तर्क (Arguments for Democracy)
1. अधिक जवाबदेह शासन (A More Accountable Form of Government)
लोकतंत्र अन्य किसी भी शासन प्रणाली से इसलिए बेहतर है क्योंकि यह अधिक जवाबदेह (Accountable) होता है। लोकतांत्रिक सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती है। अगर सरकार जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरती है, तो जनता उसे अगले चुनाव में सत्ता से हटा सकती है। दूसरी ओर, एक तानाशाह या राजा जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होता; वह केवल अपनी इच्छा के अनुसार शासन करता है।
- उदाहरण: भारत और चीन का अकाल (The Famine of India and China, 1958-61):1958 से 1961 के दौरान चीन में दुनिया का सबसे भयानक अकाल पड़ा, जिसमें लगभग 3 करोड़ लोगों की मृत्यु हो गई। उस समय भारत की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन भारत में कभी भी इस स्तर का अकाल नहीं पड़ा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इसका मुख्य कारण दोनों देशों की शासन प्रणालियों में अंतर था। भारत में एक लोकतांत्रिक सरकार थी, एक स्वतंत्र प्रेस (Free Press) थी, और विपक्षी दल (Opposition Parties) थे। सरकार की गलत नीतियों की आलोचना हो सकती थी, और सरकार को जनता की खाद्य सुरक्षा के प्रति जवाबदेह होना पड़ता था। चीन में एक-दलीय शासन होने के कारण, सरकार पर ऐसा कोई दबाव नहीं था, और समस्या की भयावहता पर ध्यान नहीं दिया गया।
2. बेहतर निर्णय लेने की संभावना (Improves the Quality of Decision-Making)
यह सच है कि लोकतंत्र में फैसलों में देरी होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई भी निर्णय लेने से पहले व्यापक चर्चा और बहस होती है। कई लोगों की राय ली जाती है, और विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार किया जाता है। यद्यपि इस प्रक्रिया में समय लगता है, लेकिन यह जल्दबाजी में लिए गए या गैर-जिम्मेदाराना फैसलों के जोखिम को कम कर देता है। एक तानाशाह बहुत तेजी से फैसले ले सकता है, लेकिन इस बात का बहुत अधिक खतरा होता है कि वह फैसला गलत और जनता के हितों के खिलाफ हो।
3. मतभेदों और टकरावों को संभालने का तरीका (Provides a Method to Deal with Differences and Conflicts)
भारत जैसे देश में, जहाँ अपार सामाजिक विविधता (Social Diversity) है – विभिन्न धर्म, भाषाएँ, जातियाँ और संस्कृतियाँ – लोगों के बीच मतभेद और टकराव होना स्वाभाविक है। लोकतंत्र इन मतभेदों को संभालने का सबसे शांतिपूर्ण और प्रभावी तरीका प्रदान करता है। यह बातचीत और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने को प्रोत्साहित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि बहुमत, अल्पसंख्यक पर अपनी इच्छा न थोपे और सभी समूह एक साथ सम्मान के साथ रह सकें। तानाशाही में, ऐसे मतभेदों को अक्सर बलपूर्वक दबा दिया जाता है, जिससे असंतोष और बढ़ता है।
4. नागरिकों का सम्मान बढ़ाता है (Enhances the Dignity of Citizens)
लोकतंत्र का सबसे मजबूत तर्क यह है कि यह अपने नागरिकों की गरिमा (Dignity) को बढ़ाता है। यह राजनीतिक समानता (Political Equality) के सिद्धांत पर आधारित है। लोकतंत्र में, सबसे गरीब और सबसे कम पढ़े-लिखे व्यक्ति का भी वही राजनीतिक दर्जा होता है जो किसी अमीर और शिक्षित व्यक्ति का होता है, क्योंकि दोनों के वोट का मूल्य बराबर होता है। लोग केवल शासक की प्रजा (Subjects) नहीं होते, बल्कि वे स्वयं शासक होते हैं। जब वे अपने देश के निर्माण में भागीदार बनते हैं, तो उनका आत्म-सम्मान बढ़ता है।
5. अपनी गलती ठीक करने का अवसर देता है (Allows Us to Correct Our Own Mistakes)
कोई भी शासन प्रणाली त्रुटिहीन नहीं है; हर सरकार से गलतियाँ हो सकती हैं। लोकतंत्र का एक बड़ा फायदा यह है कि इसमें गलतियों को लंबे समय तक छुपाया नहीं जा सकता। सार्वजनिक बहस और मीडिया की स्वतंत्रता के कारण गलतियाँ सामने आ जाती हैं। और सबसे महत्वपूर्ण बात, लोकतंत्र में इन गलतियों को सुधारने का एक तरीका होता है। यदि सरकार कोई गलत निर्णय लेती है, तो जनता के दबाव में उसे अपना निर्णय बदलना पड़ सकता है। यदि सरकार लगातार गलतियाँ करती है, तो जनता अगले चुनाव में उस सरकार को ही बदल सकती है। यह अवसर किसी भी तानाशाही या राजशाही में उपलब्ध नहीं होता।
लोकतंत्र का वृहत्तर अर्थ (The Broader Meaning of Democracy)
अब तक हमने लोकतंत्र को केवल सरकार के एक रूप के रूप में समझा है। लेकिन लोकतंत्र का अर्थ इससे कहीं अधिक व्यापक है।
आज दुनिया के अधिकांश देशों में प्रतिनिधि लोकतंत्र (Representative Democracy) है, जहाँ लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो उनकी ओर से निर्णय लेते हैं। यह बड़े समुदायों के लिए आवश्यक है जहाँ सभी नागरिकों का एक साथ बैठकर निर्णय लेना संभव नहीं है।
लेकिन एक “अच्छा लोकतंत्र” केवल चुनाव कराने तक सीमित नहीं है। एक आदर्श लोकतंत्र वह है जहाँ कोई भी भूखा न सोए, जहाँ हर नागरिक को बुनियादी शिक्षा और संसाधन उपलब्ध हों, और जहाँ हर नागरिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में समान रूप से भाग ले सके।
इसलिए, लोकतंत्र सिर्फ एक शासन प्रणाली नहीं है, बल्कि यह एक लक्ष्य और एक आदर्श (Ideal) है। यह एक सिद्धांत है जिसे हम अपने परिवार, अपने स्कूल और अपने समाज के हर हिस्से में लागू करने का प्रयास कर सकते हैं। लोकतंत्र का वास्तविक मूल्य यह है कि यह आम नागरिकों को राजनीतिक शक्ति देता है और उन्हें अपने भाग्य का निर्माता बनाता है।