MP Board Class 9 Subject Hindi Ekanki Gadya Vidha :
गद्य की विधाओं में एकांकी: एक सामान्य परिचय, स्वरूप और महत्व
हिंदी साहित्य की गद्य विधाओं में ‘एकांकी’ का अपना एक विशिष्ट स्थान है। यह नाटक का ही एक संक्षिप्त और सघन रूप है, जिसने बीसवीं सदी में हिंदी साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई। जहाँ नाटक जीवन के विस्तृत फलक को प्रस्तुत करता है, वहीं एकांकी जीवन के किसी एक पक्ष, एक भाव या एक समस्या को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से उजागर करती है।
एकांकी क्या है?
‘एकांकी’ शब्द ‘एक + अंक’ से बना है, जिसका अर्थ है ‘एक अंक वाला नाटक’। यह गद्य साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी एक महत्वपूर्ण घटना या समस्या को एक ही अंक (पर्दा), एक ही स्थान और सीमित समय में प्रस्तुत किया जाता है। इसका उद्देश्य सीमित साधनों और संक्षिप्तता के साथ दर्शकों या पाठकों पर गहरा और तीव्र प्रभाव डालना होता है। एकांकी मूलतः रंगमंच पर अभिनय के उद्देश्य से लिखी जाती है।
एकांकी के प्रमुख तत्व
एक सफल एकांकी के निर्माण के लिए निम्नलिखित तत्वों का होना आवश्यक है:
- कथानक (Plot): एकांकी का कथानक अत्यंत संक्षिप्त और सुगठित होता है। इसमें एक ही प्रमुख घटना या विचार पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिससे कोई अनावश्यक विस्तार न हो। कथा सीधी रेखा में आगे बढ़ती है और उसमें कौतूहल एवं उत्सुकता बनी रहती है।
- पात्र (Characters): एकांकी में पात्रों की संख्या बहुत सीमित होती है (प्रायः 2 से 5)। हर पात्र का अपना स्पष्ट उद्देश्य और व्यक्तित्व होता है। उनके चरित्र का विकास कम समय में ही संवादों और क्रियाओं के माध्यम से दिखाया जाता है।
- संवाद (Dialogue): एकांकी के संवाद संक्षिप्त, सजीव, चुस्त और प्रभावशाली होते हैं। हर संवाद का अपना एक विशिष्ट उद्देश्य होता है – चाहे वह कथानक को आगे बढ़ाना हो, पात्रों का चरित्र-चित्रण करना हो, या नाटक के उद्देश्य को स्पष्ट करना हो। अनावश्यक संवादों से बचा जाता है।
- देशकाल/वातावरण (Setting/Atmosphere): एकांकी में स्थान और समय (देशकाल) की भी सीमितता होती है। प्रायः पूरी एकांकी एक ही स्थान और थोड़े समय अंतराल में घटित होती है। वातावरण का निर्माण संवादों, मंच-निर्देशों और ध्वनि-प्रकाश के माध्यम से किया जाता है।
- उद्देश्य (Purpose): प्रत्येक एकांकी का एक निश्चित और स्पष्ट उद्देश्य होता है। यह किसी सामाजिक समस्या, नैतिक संदेश, मनोवैज्ञानिक सत्य या दार्शनिक विचार को उजागर करने पर केंद्रित होता है।
- संघर्ष (Conflict): एकांकी में एक केंद्रीय संघर्ष (बाह्य या आंतरिक) होता है, जो पात्रों और घटनाओं को गति प्रदान करता है। इसी संघर्ष के माध्यम से नाटक अपने चरम बिंदु तक पहुँचता है और फिर समाधान की ओर बढ़ता है।
- संकलन त्रय (Three Unities): पाश्चात्य नाट्यशास्त्र से प्रभावित एकांकी में अक्सर ‘संकलन त्रय’ का पालन किया जाता है –
- कार्य की एकता (Unity of Action): एक ही प्रमुख घटना।
- स्थान की एकता (Unity of Place): एक ही स्थान पर घटित होना।
- समय की एकता (Unity of Time): एक ही दिन या कम समय में घटना का समाप्त होना।
हिंदी साहित्य में एकांकी का महत्व
हिंदी साहित्य में एकांकी का महत्व निम्नलिखित कारणों से है:
- सामाजिक चित्रण और समस्या समाधान: एकांकियों ने समाज में व्याप्त विभिन्न समस्याओं (जैसे दहेज, बेमेल विवाह, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी) को सशक्त ढंग से प्रस्तुत किया और उनके समाधान पर विचार करने के लिए पाठकों व दर्शकों को प्रेरित किया।
- मनोरंजन और शिक्षा: एकांकी कम समय में गहन मनोरंजन प्रदान करती है और साथ ही दर्शकों को किसी विचार या संदेश से अवगत कराती है।
- मंचन की सुगमता: इसकी संक्षिप्तता और सीमित साधनों की आवश्यकता इसे रंगमंच के लिए अत्यंत उपयुक्त बनाती है। विद्यालयी और महाविद्यालयी स्तर पर भी इसका मंचन आसान होता है।
- तीव्र प्रभाव: सीमित समय और केंद्रित कथानक के कारण एकांकी पाठक या दर्शक पर गहरा और तीव्र प्रभाव छोड़ती है।
- अभिनय कौशल का विकास: एकांकी कलाकारों के लिए अभिनय कौशल दिखाने और उसे निखारने का एक उत्कृष्ट माध्यम है।
प्रमुख हिंदी एकांकीकार और उनकी रचनाएँ
हिंदी एकांकी साहित्य को समृद्ध करने वाले कुछ प्रमुख एकांकीकार और उनकी रचनाएँ इस प्रकार हैं:
- डॉ. रामकुमार वर्मा: इन्हें हिंदी एकांकी का जनक माना जाता है। इनकी प्रमुख एकांकियाँ हैं: ‘दीपदान’, ‘रेशमी टाई’, ‘पृथ्वीराज की आँखें’, ‘चारुमित्रा’।
- उपेन्द्रनाथ अश्क: ‘अंधा युग’, ‘सूखी डाली’, ‘पर्दा उठाओ पर्दा गिराओ’।
- भुवनेश्वर: ‘कारवाँ’, ‘ताँबे के कीड़े’ (आधुनिक और प्रतीकवादी एकांकियाँ)।
- जगदीशचंद्र माथुर: ‘रीढ़ की हड्डी’, ‘भोर का तारा’, ‘ओ मेरे सपने’।
- मोहन राकेश: ‘अंडे के छिलके’ (सामाजिक व्यंग्यात्मक एकांकी)।
- धर्मवीर भारती: ‘नदी प्यासी थी’ (प्रतीकात्मक एकांकी)।
निष्कर्ष
एकांकी गद्य साहित्य की वह महत्वपूर्ण विधा है जो अपनी संक्षिप्तता, सघनता और नाटकीय प्रभाव के कारण विशिष्ट पहचान रखती है। इसने हिंदी रंगमंच को समृद्ध किया है और सामाजिक, नैतिक तथा मानवीय मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भी एकांकी अपनी प्रासंगिकता और लोकप्रियता बनाए हुए है।