कक्षा 9 विज्ञान उत्प्लावकता एवं आर्किमिडीज का सिद्धांत : MP Board Class 9 Science Buoyancy And Archimedes Principle

MP Board Class 9 Science Buoyancy And Archimedes Principle

उत्प्लावकता एवं आर्किमिडीज का सिद्धांत (Buoyancy And Archimedes Principle)

उत्प्लावकता (Buoyancy)

उत्प्लावकता तरल पदार्थों (द्रव और गैस) का वह गुण है जिसके कारण वे उनमें आंशिक या पूर्ण रूप से डूबी हुई वस्तुओं पर ऊपर की ओर एक बल लगाते हैं। इस ऊपर की ओर लगने वाले बल को उत्प्लावन बल (Buoyant Force) कहते हैं।

1. उत्प्लावकता की परिभाषा

जब किसी वस्तु को किसी तरल (जैसे पानी या हवा) में डुबोया जाता है, तो तरल उस वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है। यह ऊपर की ओर लगने वाला बल ही उत्प्लावन बल कहलाता है, और इस घटना को उत्प्लावकता कहते हैं। इसी बल के कारण वस्तुएँ तरल में हल्की महसूस होती हैं, तैरती हैं या डूब जाती हैं। यह बल गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत दिशा में कार्य करता है, जो वस्तु को नीचे की ओर खींचता है। उत्प्लावन बल वस्तु के आभासी भार में कमी का कारण बनता है।

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2. आर्किमिडीज का सिद्धांत (Archimedes Principle)

उत्प्लावकता के पीछे का वैज्ञानिक सिद्धांत आर्किमिडीज के सिद्धांत के रूप में जाना जाता है, जिसे प्राचीन यूनानी वैज्ञानिक आर्किमिडीज ने प्रतिपादित किया था। यह सिद्धांत उत्प्लावन बल के परिमाण की सटीक गणना करने का तरीका बताता है।

सिद्धांत का कथन: “जब किसी वस्तु को किसी तरल में आंशिक या पूर्ण रूप से डुबोया जाता है, तो उस पर ऊपर की ओर लगने वाला उत्प्लावन बल उस वस्तु द्वारा विस्थापित किए गए तरल के भार के बराबर होता है।”

दूसरे शब्दों में, जितना तरल (द्रव या गैस) वस्तु अपने आयतन के बराबर हटाती है, उस हटाए गए तरल का जो भार होता है, वही उत्प्लावन बल के रूप में वस्तु पर ऊपर की ओर लगता है। यह बल वस्तु के केंद्र से ऊपर की ओर कार्य करता है।

गणितीय रूप में, उत्प्लावन बल (Fb​) को निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है:Fb​=ρ⋅V⋅g

जहाँ:

  • Fb​ = उत्प्लावन बल
  • ρ (rho) = तरल का घनत्व (Density of the fluid)
  • V = वस्तु द्वारा विस्थापित तरल का आयतन (Volume of the fluid displaced by the object)
  • g = गुरुत्वीय त्वरण (Acceleration due to gravity)

यह सूत्र स्पष्ट करता है कि उत्प्लावन बल सीधे तरल के घनत्व और वस्तु द्वारा विस्थापित तरल के आयतन पर निर्भर करता है। वस्तु का अपना द्रव्यमान या घनत्व सीधे उत्प्लावन बल को प्रभावित नहीं करता बल्कि यह निर्धारित करता है कि वस्तु तैरेगी या डूबेगी।

3. उत्प्लावकता को प्रभावित करने वाले कारक

उत्प्लावन बल का परिमाण मुख्य रूप से दो कारकों पर निर्भर करता है:

  • तरल का घनत्व (ρ): तरल का घनत्व जितना अधिक होगा, उत्प्लावन बल उतना ही अधिक होगा। यही कारण है कि खारे पानी (जो मीठे पानी से अधिक सघन होता है) में तैरना आसान होता है।
  • वस्तु द्वारा विस्थापित तरल का आयतन (V): वस्तु द्वारा विस्थापित तरल का आयतन जितना अधिक होगा, उत्प्लावन बल उतना ही अधिक होगा। यही कारण है कि एक ही द्रव्यमान की नाव तैरती है जबकि लोहे का एक छोटा टुकड़ा डूब जाता है (नाव अपने बड़े आयतन के कारण अधिक पानी विस्थापित करती है)।

वस्तु का अपना घनत्व भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निर्धारित करता है कि वस्तु तैरेगी, डूबेगी या निलंबित रहेगी:

  • यदि वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व से कम है, तो वस्तु तैरेगी।
  • यदि वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व से अधिक है, तो वस्तु डूब जाएगी।
  • यदि वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व के बराबर है, तो वस्तु तरल में निलंबित रहेगी (न तैरेगी न डूबेगी)।

4. उत्प्लावकता के अनुप्रयोग

उत्प्लावकता के सिद्धांत के कई व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं:

  • जहाजों और नावों का तैरना: जहाज और नावें पानी से अधिक भारी होने के बावजूद तैरती हैं क्योंकि उनका डिज़ाइन ऐसा होता है कि वे अपने भार के बराबर या उससे अधिक पानी विस्थापित करती हैं, जिससे पर्याप्त उत्प्लावन बल उत्पन्न होता है।
  • पनडुब्बियां: पनडुब्बियां अपने अंदर पानी भरकर या बाहर निकालकर अपने औसत घनत्व को बदलती हैं, जिससे वे पानी में डूब या तैर सकती हैं।
  • गुब्बारे और एयरशिप: गर्म हवा के गुब्बारे और एयरशिप हवा में ऊपर उठते हैं क्योंकि उनके अंदर की गर्म हवा बाहर की ठंडी हवा से कम सघन होती है, जिससे उन पर ऊपर की ओर उत्प्लावन बल लगता है।
  • हाइड्रोमीटर: हाइड्रोमीटर एक उपकरण है जिसका उपयोग तरल पदार्थों के आपेक्षिक घनत्व को मापने के लिए किया जाता है, और यह उत्प्लावकता के सिद्धांत पर आधारित है।
  • जीवन जैकेट: जीवन जैकेट व्यक्ति के आयतन को बढ़ाती है, जिससे वह अधिक पानी विस्थापित करता है और उस पर लगने वाला उत्प्लावन बल बढ़ जाता है, जिससे व्यक्ति पानी में तैरता रहता है।
  • तैराकी: तैराक पानी में तैरने के लिए अपने शरीर के आयतन और घनत्व को नियंत्रित करते हैं ताकि उन पर पर्याप्त उत्प्लावन बल लग सके।

उत्प्लावकता एक मौलिक अवधारणा है जो हमें यह समझने में मदद करती है कि वस्तुएँ तरल पदार्थों में कैसे व्यवहार करती हैं।

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