MP Board Class 9 Irrational Numbers Introduction
अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers)
गणित में संख्याएँ कई प्रकार की होती हैं और परिमेय संख्याएँ उनमें से एक महत्वपूर्ण प्रकार हैं। एक परिमेय संख्या वह संख्या होती है जिसे दो पूर्णांकों के अनुपात (या भिन्न) के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ हर (denominator) शून्य नहीं होता है। इसे p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q=0।
परिमेय संख्याओं के कुछ प्रमुख गुण:
- इन्हें दशमलव रूप में लिखने पर या तो दशमलव प्रसार शांत (terminating) होता है (जैसे 1/2=0.5) या अशांत आवर्ती (non-terminating repeating) होता है (जैसे 1/3=0.333…)।
- सभी पूर्णांक, जैसे −3,0,5, परिमेय संख्याएँ हैं क्योंकि उन्हें p/1 के रूप में लिखा जा सकता है।
परिमेय संख्याएँ हमारे दैनिक जीवन में बहुत उपयोगी हैं, चाहे वह किसी चीज़ को मापने के लिए हो, अनुपात निकालने के लिए हो या पैसे का हिसाब रखने के लिए हो।
वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers)
वास्तविक संख्याएँ उन सभी संख्याओं का संग्रह हैं जिन्हें संख्या रेखा पर दर्शाया जा सकता है। इसमें परिमेय संख्याएँ (rational numbers) और अपरिमेय संख्याएँ (irrational numbers) दोनों शामिल हैं।
- परिमेय संख्याएँ: जैसा कि ऊपर बताया गया है, ये वे संख्याएँ हैं जिन्हें p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
- अपरिमेय संख्याएँ: ये वे संख्याएँ हैं जिन्हें p/q के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता। इनका दशमलव प्रसार अशांत अनावर्ती (non-terminating non-repeating) होता है, जिसका अर्थ है कि दशमलव के बाद अंक न तो कभी समाप्त होते हैं और न ही किसी विशेष पैटर्न में दोहराते हैं। प्रसिद्ध अपरिमेय संख्याओं के उदाहरण हैं
,
,
वास्तविक संख्याओं का समुच्चय सबसे व्यापक संख्या प्रणालियों में से एक है जिसका उपयोग हम गणित में करते हैं। यह हमें सभी प्रकार की दूरियों, मात्राओं और मापनों को व्यक्त करने की अनुमति देता है।
पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras Theorem)
पाइथागोरस प्रमेय ज्यामिति का एक मूलभूत सिद्धांत है जो समकोण त्रिभुज (right-angled triangle) की भुजाओं के बीच संबंध को बताता है। यह प्रमेय केवल समकोण त्रिभुजों पर लागू होता है, जिसमें एक कोण 90∘ (समकोण) का होता है।
प्रमेय का कथन: एक समकोण त्रिभुज में, कर्ण (hypotenuse) का वर्ग अन्य दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है।
गणितीय रूप में: यदि एक समकोण त्रिभुज की भुजाएँ a और b हैं (जिन्हें लंब और आधार कहा जाता है) और कर्ण c है, तो पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार: a2+b2=c2
जहाँ:
- a और b त्रिभुज के समकोण को बनाने वाली भुजाएँ हैं (लंब और आधार)।
- c कर्ण है, जो समकोण के सामने की सबसे लंबी भुजा होती है।
उपयोग: पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग अज्ञात भुजा की लंबाई ज्ञात करने के लिए किया जाता है जब एक समकोण त्रिभुज की अन्य दो भुजाएँ ज्ञात हों। इसका व्यापक उपयोग इंजीनियरिंग, वास्तुकला, नेविगेशन और कई अन्य वैज्ञानिक क्षेत्रों में होता है।
उदाहरण 3: संख्या रेखा पर का स्थान निर्धारण (को निरूपित) कीजिए।
हल:यह समझने के लिए कि को संख्या रेखा पर कैसे दर्शाया जाए, हम पाइथागोरस प्रमेय का उपयोग करेंगे।
चरण 1: एक वर्ग का निर्माण
एक इकाई लंबाई (अर्थात 1 इकाई) की भुजा वाला एक वर्ग OABC लीजिए। (जैसा कि आकृति 1.6 में दिखाया गया है)
बिंदु O को मूलबिंदु (0) मानिए।
OA, x-अक्ष पर 1 इकाई की लंबाई की एक भुजा है।
AB, OA पर लंबवत (perpendicular) 1 इकाई की लंबाई की एक भुजा है।

चरण 2: कर्ण OB की लंबाई ज्ञात करना
अब, त्रिभुज OAB पर ध्यान दीजिए। यह एक समकोण त्रिभुज है, जिसमें कोण A पर समकोण () है।
पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार:
यहाँ,


तो,
चरण 3: को संख्या रेखा पर निरूपित करना
अब हमें इस लंबाई OB () को संख्या रेखा पर स्थानांतरित करना है।
मूलबिंदु का संरेखण: कल्पना कीजिए कि वर्ग OABC संख्या रेखा पर इस प्रकार रखा गया है कि इसका शीर्ष O, संख्या रेखा पर शून्य (0) के साथ संरेखित (संपाती) हो।
चाप खींचना: अब, O को केंद्र मानकर और OB को त्रिज्या लेकर एक चाप (arc) खींचिए।
बिंदु का निर्धारण: यह चाप संख्या रेखा को जिस बिंदु पर काटता है, वही बिंदु को निरूपित करेगा।
यह विधि हमें दिखाती है कि कैसे अपरिमेय संख्याओं (जैसे ) को भी संख्या रेखा पर सटीक रूप से दर्शाया जा सकता है। यह दर्शाता है कि वास्तविक संख्या रेखा में परिमेय और अपरिमेय दोनों प्रकार की संख्याएँ शामिल होती हैं।
उदाहरण 4: वास्तविक संख्या रेखा पर का स्थान निर्धारण कीजिए।
हल:
