MP Board Class 9 Hindi Grammar Muhaware Lokoktiyan :
मुहावरे और लोकोक्तियाँ: हिंदी भाषा की जान और शान
MP Board Class 9 Hindi Grammar Muhaware Lokoktiyan : हिंदी व्याकरण में मुहावरे और लोकोक्तियाँ ऐसे अनमोल रत्न हैं जो हमारी भाषा को सिर्फ़ शब्दों का समूह नहीं बल्कि जीवंत और प्रभावशाली बनाते हैं। ये हमारी बात को कम शब्दों में ज़्यादा गहराई और असर के साथ कहने का ज़रिया हैं। ये वे खास वाक्यांश या वाक्य हैं जो अपने शाब्दिक अर्थ से हटकर एक नया और गहरा अर्थ देते हैं, और अक्सर हमारे समाज के अनुभवों और मान्यताओं का निचोड़ होते हैं। क्लास 9 के छात्रों के लिए इन्हें समझना बेहद ज़रूरी है क्योंकि ये न केवल आपकी हिंदी को समृद्ध करेंगे, बल्कि आपको बोलचाल और साहित्य की बारीकियों को भी सिखाएँगे।
चलिए, आज हम इन दोनों को विस्तार से जानते हैं!
मुहावरे: शब्दों का छिपा हुआ अर्थ
मुहावरे ऐसे वाक्यांश होते हैं जिनका सीधा-सादा अर्थ कुछ और होता है, लेकिन उनका प्रयोग किसी विशेष, लाक्षणिक अर्थ में किया जाता है। ये अपने आप में पूर्ण वाक्य नहीं होते, बल्कि वाक्य का एक छोटा-सा हिस्सा होते हैं जो भाषा को ज़्यादा प्रभावी और मज़ेदार बनाते हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप इनके शब्दों को बदल नहीं सकते; ये अपने मूल रूप में ही इस्तेमाल होते हैं।
मुहावरों की विशेषताएँ:
- ये हमेशा एक लाक्षणिक अर्थ देते हैं, यानी इनका शाब्दिक अर्थ मान्य नहीं होता।
- ये वाक्यांश होते हैं, पूरे वाक्य नहीं।
- इनमें इस्तेमाल हुए शब्दों को बदला नहीं जा सकता; जैसे, ‘अँगूठा दिखाना’ को ‘उँगली दिखाना’ कहना ग़लत होगा।
- ये भाषा में सजीवता और प्रवाह लाते हैं, जिससे हमारी बात और प्रभावशाली लगती है।
कुछ प्रमुख मुहावरे और उनका प्रयोग:
मुहावरों की दुनिया में गोता लगाएँ तो आप देखेंगे कि ये कैसे शब्दों को नया जीवन देते हैं। जैसे, अगर कोई आपको मदद करने से साफ़ मना कर दे, तो आप कह सकते हैं कि उसने आपको अँगूठा दिखा दिया। ‘अँगूठा दिखाना’ का मतलब ही है साफ़ इनकार करना। इसी तरह, अगर कोई बच्चा माँ को बहुत प्यारा हो, तो वह उसकी आँखों का तारा होता है, जिसका अर्थ है ‘बहुत प्यारा होना’।
जब कोई व्यक्ति बहुत दिनों बाद दिखाई दे, तो हम मज़ाक में कहते हैं, “अरे राहुल! तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।” यहाँ ‘ईद का चाँद होना’ बताता है कि व्यक्ति बहुत कम दिखाई देता है। परीक्षा की तैयारी के लिए बच्चे पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं, जिसे मुहावरे की भाषा में कमर कसना कहते हैं, यानी ‘तैयार होना’। किसी के खिलाफ़ दूसरे के कान भरना यानी चुगली करना या भड़काना, जो एक अच्छी आदत नहीं है।
अगर आपको नौकरी की तलाश में हर जगह भटकना पड़े, तो आप कह सकते हैं कि आपने सारे शहर की खाक छान डाली, जिसका मतलब है ‘दर-दर भटकना’ या ‘खोज करना’। जब जीवन में बहुत खुशियाँ आती हैं, तो लोग घी के दिए जलाते हैं, यानी ‘बहुत खुशियाँ मनाना’। बच्चे अक्सर अपनी शैतानियों से माँ की नाक में दम कर देते हैं, जिसका मतलब है ‘बहुत परेशान करना’। कोई मौका चूक जाने पर बाद में हाथ मलने के सिवा कुछ नहीं बचता, जिसका अर्थ है ‘पछताना’।
भारतीय सेना ने दुश्मनों को बुरी तरह हराया, जिसे हम मुहावरे में दाँत खट्टे करना कहते हैं, यानी ‘हरा देना’ या ‘पराजित करना’। यह भी एक सच है कि जब सब मिलकर काम करते हैं, तो काम आसानी से हो जाता है, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं, जिसका मतलब है ‘एकता में बल होना’। अगर कोई व्यक्ति उल्टे काम करे, तो उसे उल्टी गंगा बहाना कहते हैं, यानी ‘विपरीत कार्य करना’। जब कोई बहुत ज़्यादा गुस्सा हो, तो उसे देखकर लगता है मानो वह आग बबूला हो रहा है। वहीं, परीक्षा में प्रथम आने पर बच्चा फूला नहीं समाता, जिसका मतलब है ‘बहुत खुश होना’। जीवन में चुनौतियों का सामना करने के लिए लोहा लेना पड़ता है, यानी ‘मुकाबला करना’।
लोकोक्तियाँ: जीवन के अनुभव का निचोड़
लोकोक्तियाँ, जिन्हें हम ‘कहावतें’ भी कहते हैं, वे पूर्ण वाक्य होती हैं जो किसी विशेष स्थान, समाज या सदियों के अनुभव पर आधारित होकर कही जाती हैं। ये किसी गहरे सत्य, उपदेश या सार्वभौमिक अनुभव को बहुत ही संक्षिप्त और सारगर्भित रूप में व्यक्त करती हैं। मुहावरों के विपरीत, लोकोक्तियाँ अपने आप में एक पूरा कथन होती हैं।
लोकोक्तियों की विशेषताएँ:
- ये पूर्ण वाक्य होती हैं और स्वतंत्र रूप से प्रयोग की जा सकती हैं।
- ये अक्सर जीवन के अनुभवों, लोक-मान्यताओं और ज्ञान का निचोड़ होती हैं।
- इनमें प्रायः कोई उपदेश, शिक्षा या सार्वभौमिक सत्य छिपा होता है।
- ये किसी स्थिति का सार प्रस्तुत करती हैं।
कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ और उनका प्रयोग:
लोकोक्तियाँ हमें जीवन के गूढ़ रहस्यों को सरल शब्दों में समझाती हैं। जैसे, अगर कोई व्यक्ति थोड़ा-सा ज्ञान पाकर बहुत दिखावा करता है, तो उसके लिए कहा जाता है, “अधजल गगरी छलकत जाए”, जिसका अर्थ है कि कम ज्ञान या गुण वाला व्यक्ति अधिक दिखावा करता है।
समय निकल जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं होता, इसी बात को दर्शाने के लिए कहा जाता है, “अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत”। जब कोई व्यक्ति दोनों ओर से मुसीबत में फँस जाए, तो कहा जाता है कि उसके सामने तो “आगे कुआँ, पीछे खाई” वाली स्थिति है। एक ही काम से दो फायदे हो जाएँ, तो उसे “एक पंथ दो काज” कहावत से समझाया जाता है।
जीवन का एक बड़ा सच यह भी है कि जैसे कर्म करोगे, वैसा ही फल मिलेगा, जिसे “जैसी करनी वैसी भरनी” कहावत दर्शाती है। वहीं, जो वस्तुएँ दूर से अच्छी लगती हैं, पर पास जाने पर उनका सच सामने आता है, उनके लिए कहा जाता है, “दूर के ढोल सुहावने”। अपनी गलती छिपाने के लिए दूसरों पर दोष मढ़ने वाले व्यक्ति के लिए बिल्कुल सटीक लोकोक्ति है, “नाच न जाने आँगन टेढ़ा”।
अगर बहुत मेहनत के बाद भी बहुत कम लाभ मिले, तो उसे “खोदा पहाड़ निकली चुहिया” कहावत से व्यक्त करते हैं। किसी पर ज़बरदस्ती मेहमान बनने वाले व्यक्ति के लिए “मान न मान, मैं तेरा मेहमान” जैसी कहावतें बनी हैं। वहीं, बहुत कठिन कार्य करना “लोहे के चने चबाने” जैसा होता है। कितनी भी कोशिश कर लो, अगर स्थिति में कोई बदलाव न आए, तो कहते हैं, “ढाक के तीन पात”। जो व्यक्ति बिल्कुल अनपढ़ हो, उसके लिए “काला अक्षर भैंस बराबर” कहावत का प्रयोग होता है।
जो लोग सिर्फ़ बातें करते हैं, काम कुछ नहीं करते, उनके लिए कहा जाता है, “जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं”। कई बार लोग कहते कुछ और हैं, और करते कुछ और हैं; ऐसी स्थिति को “हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के और” लोकोक्ति से समझाते हैं। अंत में, यह सत्य है कि जैसा बीज बोओगे, वैसा ही फल काटोगे – जिसे “बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाए” कहावत से स्पष्ट किया जाता है।
उपसंहार:
मुहावरे और लोकोक्तियाँ सिर्फ़ व्याकरण के नियम नहीं हैं, बल्कि ये हमारी भाषा की आत्मा हैं। ये हमारे संवाद को प्रभावी, संक्षिप्त और यादगार बनाते हैं। इन्हें सीखने से न केवल आपकी हिंदी भाषा पर पकड़ मज़बूत होगी, बल्कि आप अपने आसपास की दुनिया और अनुभवों को भी बेहतर ढंग से समझ पाएँगे। तो, अपनी हिंदी को और रंगीन बनाने के लिए इनका प्रयोग ज़रूर करें!
महत्वपूर्ण मुहावरे और उनके प्रयोग
मुहावरे वाक्य के ऐसे अंश होते हैं जो अपना शाब्दिक अर्थ छोड़कर विशेष अर्थ देते हैं। इन्हें ध्यान से समझें और वाक्य में सही ढंग से प्रयोग करना सीखें।
- अँगूठा दिखाना
- अर्थ: साफ इनकार करना, मना करना।
- वाक्य प्रयोग: मैंने उससे मदद मांगी, पर उसने मुझे अँगूठा दिखा दिया।
- आँखों का तारा
- अर्थ: बहुत प्यारा होना।
- वाक्य प्रयोग: मोहन अपनी माँ की आँखों का तारा है।
- ईद का चाँद होना
- अर्थ: बहुत दिनों बाद दिखाई देना।
- वाक्य प्रयोग: अरे राहुल! तुम तो ईद का चाँद हो गए हो, आजकल दिखते ही नहीं।
- कमर कसना
- अर्थ: तैयार होना।
- वाक्य प्रयोग: परीक्षा के लिए छात्रों ने कमर कस ली है।
- कान भरना
- अर्थ: चुगली करना, भड़काना।
- वाक्य प्रयोग: किसी के खिलाफ़ दूसरे के कान भरना अच्छी बात नहीं है।
- खाक छानना
- अर्थ: दर-दर भटकना, खोज करना।
- वाक्य प्रयोग: नौकरी की तलाश में उसने सारे शहर की खाक छान डाली।
- घी के दिए जलाना
- अर्थ: बहुत खुशियाँ मनाना।
- वाक्य प्रयोग: जब बेटा विदेश से लौटा, तो माता-पिता ने घी के दिए जलाए।
- नाक में दम करना
- अर्थ: बहुत परेशान करना।
- वाक्य प्रयोग: बच्चों ने आज अपनी माँ की नाक में दम कर रखा है।
- हाथ मलना
- अर्थ: पछताना।
- वाक्य प्रयोग: मौका निकल जाने के बाद वह केवल हाथ मलता रह गया।
- दाँत खट्टे करना
- अर्थ: हरा देना, पराजित करना।
- वाक्य प्रयोग: भारतीय सेना ने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिए।
- एक और एक ग्यारह होना
- अर्थ: एकता में बल होना।
- वाक्य प्रयोग: हमें मिलकर काम करना चाहिए, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।
- उल्टी गंगा बहाना
- अर्थ: विपरीत कार्य करना।
- वाक्य प्रयोग: तुम अपने पिता को सीख दे रहे हो, यह तो उल्टी गंगा बहाने जैसा है।
- आग बबूला होना
- अर्थ: बहुत गुस्सा होना।
- वाक्य प्रयोग: मेरा मोबाइल टूट जाने पर पिताजी आग बबूला हो गए।
- फूला न समाना
- अर्थ: बहुत खुश होना।
- वाक्य प्रयोग: परीक्षा में प्रथम आने पर वह फूला नहीं समा रहा था।
- लोहा लेना
- अर्थ: मुकाबला करना, टक्कर लेना।
- वाक्य प्रयोग: भारत हर चुनौती से लोहा लेने के लिए तैयार है।
महत्वपूर्ण लोकोक्तियाँ और उनके प्रयोग
लोकोक्तियाँ अपने आप में पूर्ण वाक्य होती हैं और किसी अनुभव या सत्य को दर्शाती हैं। इन्हें अक्सर सीधे ही वाक्य में प्रयोग किया जाता है।
- अधजल गगरी छलकत जाए
- अर्थ: कम ज्ञान या गुण वाला व्यक्ति अधिक दिखावा करता है।
- वाक्य प्रयोग: वह थोड़ा-सा पढ़कर ही खुद को विद्वान समझता है, सच है अधजल गगरी छलकत जाए।
- अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत
- अर्थ: समय निकल जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं।
- वा वाक्य प्रयोग: परीक्षा में फेल हो गया, अब रोने से क्या फायदा, अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।
- आगे कुआँ, पीछे खाई
- अर्थ: दोनों ओर से मुसीबत में फँसना।
- वाक्य प्रयोग: नौकरी छोड़ने के बाद कोई और नौकरी मिली नहीं, उसके सामने तो आगे कुआँ, पीछे खाई वाली स्थिति थी।
- एक पंथ दो काज
- अर्थ: एक काम से दो फायदे होना।
- वाक्य प्रयोग: मैं दिल्ली घूमने गया और साथ ही अपने दोस्त से भी मिल लिया, यह तो एक पंथ दो काज हो गए।
- जैसी करनी वैसी भरनी
- अर्थ: जैसे कर्म करोगे, वैसा फल मिलेगा।
- वाक्य प्रयोग: उसने हमेशा दूसरों को धोखा दिया, आज खुद फँस गया, इसे कहते हैं जैसी करनी वैसी भरनी।
- दूर के ढोल सुहावने
- अर्थ: दूर की वस्तुएँ अच्छी लगना (परंतु पास आने पर सच्चाई का पता चलना)।
- वाक्य प्रयोग: दूसरे शहरों में नौकरी अच्छी लगती है, पर जाकर देखो तो पता चलता है कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं।
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा
- अर्थ: अपनी गलती छिपाने के लिए दूसरों या साधनों पर दोष मढ़ना।
- वाक्य प्रयोग: उसे काम करना आता नहीं और कह रहा है कि मशीन खराब है, यह तो वही बात हुई नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
- खोदा पहाड़ निकली चुहिया
- अर्थ: बहुत परिश्रम के बाद बहुत कम या न के बराबर लाभ होना।
- वाक्य प्रयोग: हमने इस प्रोजेक्ट पर महीनों मेहनत की, पर मिला कुछ नहीं, ये तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया साबित हुआ।
- मान न मान, मैं तेरा मेहमान
- अर्थ: जबरदस्ती गले पड़ना या बिन बुलाए आ जाना।
- वाक्य प्रयोग: बिना बुलाए कहीं भी पहुँच जाता है, बिल्कुल मान न मान, मैं तेरा मेहमान।
- काला अक्षर भैंस बराबर
- अर्थ: बिल्कुल अनपढ़ होना।
- वाक्य प्रयोग: उसे तो कुछ समझ नहीं आता, उसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।