कक्षा 12 हिन्दी आरोह आलोक धन्वा: पतंग : MP Board Class 12 Hindi Aaroh Dhanwa Patang

MP Board Class 12 Hindi Aaroh Dhanwa Patang :

कक्षा 12 हिन्दी आरोह आलोक धन्वा: पतंग

आलोक धन्वा: कवि परिचय एवं ‘पतंग’ कविता का संदर्भ (परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण बिंदु)

यह अंश आलोक धन्वा के कवि परिचय और उनकी कविता ‘पतंग’ के संदर्भ में है। इसे पढ़कर आप परीक्षा में पूछे जाने वाले वस्तुनिष्ठ (MCQ) और अन्य प्रश्नों के उत्तर आसानी से दे सकते हैं।

I. कवि आलोक धन्वा का परिचय (मुख्य बिंदु):

  • जन्म: सन् 1948 में मुंगेर, बिहार में।
  • प्रारंभिक प्रसिद्धि:
    • सातवें-आठवें दशक (लगभग 1970-1980 के दशक) में ही छोटी उम्र में कविताओं से अपार लोकप्रियता मिली।
    • उनकी आरंभिक कविताएँ (विशेषकर 1972-1973 में प्रकाशित) हिंदी के गंभीर काव्यप्रेमियों को जुबानी याद रही हैं।
  • लेखन शैली/विशेषता:
    • कभी ‘थोक के भाव में’ लेखन नहीं किया (यानी बहुत कम और चुनिंदा कविताएँ लिखीं)।
    • उनकी कविताओं ने हिंदी कवियों और कविताओं को बहुत प्रभावित किया, जिसका मूल्यांकन अभी बाकी है।
  • एकमात्र काव्य संग्रह:
    • ‘दुनिया रोज़ बनती है’ (सन् 1998 में प्रकाशित)।
    • यह उनका पहला और अभी तक का एकमात्र काव्य संग्रह है।
  • प्रमुख सम्मान:
    • राहुल सम्मान
    • बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् का साहित्य सम्मान
    • बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान
    • पहल सम्मान
  • सामाजिक/सांस्कृतिक योगदान:
    • पिछले दो दशकों से देश के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे हैं।
    • जमशेदपुर में अध्ययन-मंडलियों का संचालन किया।
    • रंगकर्म (थिएटर) और साहित्य पर कई राष्ट्रीय संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता के रूप में भागीदारी की है।

II. कविता ‘पतंग’ का संदर्भ एवं सारांश (मुख्य बिंदु):

  • स्रोत: कविता ‘पतंग’ आलोक धन्वा के एकमात्र काव्य संग्रह ‘दुनिया रोज़ बनती है’ का हिस्सा है।
  • स्वरूप: यह एक लंबी कविता है। पाठ्यपुस्तक में इसका तीसरा भाग शामिल किया गया है।
  • मुख्य विषय:
    • बालसुलभ इच्छाओं और उमंगों का सुंदर चित्रण।
    • बच्चों की क्रियाकलापों और प्रकृति में आए परिवर्तन को दर्शाने के लिए सुंदर बिंबों (Images) का उपयोग।
  • पतंग का प्रतीक:
    • बच्चों की उड़ानों का रंग-बिरंगा सपना।
    • आसमान में उड़ती हुई पतंग ऊँचाइयों की वे हदें हैं, जिन्हें बालमन छूना और उनके पार जाना चाहता है।
  • कविता द्वारा चित्रित बिंब एवं वातावरण:
    • शरद ऋतु का चमकीला इशारा (उजाला, नई शुरुआत)।
    • तितलियों की रंगीन दुनिया।
    • दिशाओं के मृदंग बजते हुए (खुशी और उत्साह का माहौल)।
    • छत्तों के खतरनाक कोने से गिरने का भय।
    • भय पर विजय पाते बच्चे जो गिर-गिरकर सँभलते हैं।
    • पृथ्वी का हर कोना बच्चों के पास खुद-ब-खुद आ जाता है (साहस और आत्मविश्वास)।
    • बच्चे हर बार नई पतंगों को सबसे ऊँचा उड़ाने के हौसले के साथ भादो (अँधेरा, परेशानी) के बाद के शरद (उजाला, अवसर) की प्रतीक्षा करते हैं।

पतंग

सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया
सबेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए.
अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए
पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए.
कि पतंग ऊपर उठ सके.
दुनिया की सबसे हलकी और रंगीन चीज़ उड़ सके
दुनिया का सबसे पतला कागज़ उड़ सके-
बाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके-
कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और
तितलियों की इतनी नाज़ुक दुनिया

जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
जब वे पेंग भरते हुए चले आते हैं
डाल की तरह लचीले वेग से अकसर

छतों के खतरनाक किनारों तक-
उस समय गिरने से बचाता है उन्हें
सिर्फ़ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
अपने रंध्रों के सहारे

अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से
और बच जाते हैं तब तो
और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं
पृथ्वी और भी तेज़ घूमती हुई आती है
उनके बेचैन पैरों के पास।


यहाँ आलोक धन्वा की कविता पतंगसे संबंधित प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं:

1. “सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गयाके बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में करें।

कवि आलोक धन्वा ने ‘सबसे तेज़ बौछारें गयीं, भादो गया’ के बाद शरद ऋतु के आगमन का सुंदर और जीवंत चित्रण किया है। भादों (सावन-भादो, वर्षा ऋतु) के जाने के साथ ही प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं:

  • सबेरा लालिमा युक्त: सुबह का वातावरण ‘खरगोश की आँखों जैसा लाल’ होता है, जो प्रकृति में एक नई चमक, ताजगी और उल्लास भर देता है। यह वर्षा के बाद की साफ और चमकदार सुबह का प्रतीक है।
  • उजास और स्वच्छता: आकाश साफ और नीला हो जाता है, जिसमें नमी और घने बादल नहीं होते। चारों ओर एक प्रकार का उजियारा और पारदर्शिता छा जाती है।
  • शांत और अनुकूल वातावरण: तेज़ बौछारों और उमस भरा माहौल समाप्त हो जाता है, जिससे मौसम खुशनुमा और सुहावना हो जाता है। यह पतंग उड़ाने और बच्चों के खेलकूद के लिए आदर्श वातावरण बन जाता है।
  • शरद का आगमन: शरद ऋतु का आगमन होता है, जिसे कवि ने एक ऐसे बच्चे के रूप में चित्रित किया है जो ‘पुलों को पार करते हुए’, ‘अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए’ और ‘घंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से’ आता है। यह आगमन अत्यंत उत्साहपूर्ण और ऊर्जावान है।
  • आकाश का मुलायम होना: शरद ऋतु के आगमन से आकाश इतना स्वच्छ और मुलायम हो जाता है कि पतंगें आसानी से ऊपर उठ सकें। यह पतंगबाज़ी के लिए अनुकूल परिस्थितियों का संकेत है।

संक्षेप में, कवि ने वर्षा ऋतु की विदाई के बाद शरद ऋतु के शांत, स्वच्छ, चमकीले और खेल-कूद के लिए आदर्श माहौल का वर्णन किया है।

2. सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हलकी और रंगीन चीज़, सबसे पतला कागज़, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?

कवि ने पतंग के लिए ‘सबसे हलकी और रंगीन चीज़’, ‘सबसे पतला कागज़’, ‘सबसे पतली कमानी’ जैसे विशेषणों का प्रयोग इसलिए किया है क्योंकि ये विशेषण पतंग के साथ-साथ बच्चों के मन की कोमलता, उनकी आकांक्षाओं की सूक्ष्मता और उनके सपनों की उड़ान को भी अभिव्यक्त करते हैं:

  • सबसे हलकी चीज़: यह पतंग को हवा में आसानी से उड़ने में मदद करता है। लाक्षणिक रूप से, यह बच्चों के मन की सरलता, निर्मलता और बोझमुक्तता को दर्शाता है। उनका मन इतना हल्का और उन्मुक्त होता है कि वह असीम ऊँचाइयों को छूना चाहता है।
  • सबसे रंगीन चीज़: पतंग के रंगीन होने से वह आकर्षक लगती है, खासकर बच्चों को। यह बच्चों के कल्पनाशील, उमंग भरे और खुशहाल सपनों की रंगीन दुनिया का प्रतीक है। बच्चों के सपने और इच्छाएँ रंगीन और विविध होती हैं।
  • सबसे पतला कागज़, सबसे पतली कमानी: यह पतंग की नाजुकता और भंगुरता को दर्शाता है। पतंग जितनी पतली और हल्की होगी, उतनी ही आसानी से हवा में ऊपर उठेगी। यह बच्चों के कोमल शरीर, उनके नाजुक मनोभावों और उनके सपनों की सहज भंगुरता का भी प्रतीक है। उनके सपने भले ही ऊँचे हों, पर वे बेहद कोमल और संवेदनशील होते हैं।

कुल मिलाकर, इन विशेषणों का प्रयोग पतंग की भौतिक विशेषताओं के माध्यम से बच्चों के कोमल, कल्पनाशील, संवेदनशील और महत्वाकांक्षी मन का बिंब प्रस्तुत करने के लिए किया गया है, जो ऊँचाइयों को छूने का सपना देखता है।

3. बिंब स्पष्ट करें-सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गयासवेरा हुआखरगोश की आँखों जैसा लाल सवेराशरद आया पुलों को पार करते हुएअपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए.घंटी बजाते हुए ज़ोर-जोर सेचमकीले इशारों से बुलाते हुए औरआकाश को इतना मुलायम बनाते हुएकि पतंग ऊपर उठ सके।

इन पंक्तियों में कवि आलोक धन्वा ने शरद ऋतु के आगमन और उससे जुड़े दृश्यों, ध्वनियों तथा अनुभूतियों को दर्शाने के लिए कई सशक्त बिंबों का प्रयोग किया है:

  • सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया‘ (श्रव्य और दृश्य बिंब): यह वर्षा ऋतु के समाप्त होने और तेज़ बारिश के थम जाने का संकेत देता है। भादों का जाना एक मौसमी परिवर्तन को दर्शाता है।
  • सबेरा हुआ खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा‘ (दृश्य बिंब): यह प्रातः काल के सूर्योदय की लालिमा का चित्रण है। ‘खरगोश की आँखों जैसा’ उपमा से लाल रंग की कोमलता और ताजगी का अनुभव होता है, जो वर्षा के बाद के स्वच्छ आसमान की विशेषता है।
  • शरद आया पुलों को पार करते हुए अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए घंटी बजाते हुए ज़ोर-जोर से‘ (दृश्य और श्रव्य बिंब, मानवीकरण): शरद ऋतु का मानवीकरण एक ऐसे बालक के रूप में किया गया है जो अपनी नई, चमकीली साइकिल पर तेज़ी से आता है, घंटी बजाता है। यह बिंब शरद के आगमन को अत्यंत गतिशील, उत्साही और बच्चों के खेल से जुड़ा हुआ दर्शाता है। ‘पुलों को पार करना’ पिछले मौसम को पीछे छोड़कर नए मौसम में प्रवेश करने का प्रतीक है।
  • चमकीले इशारों से बुलाते हुए पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को चमकीले इशारों से बुलाते हुए‘ (दृश्य बिंब): यह शरद की धूप की चमक और निमंत्रण का बिंब है। शरद की धूप बच्चों को पतंग उड़ाने के लिए बाहर आने का संकेत दे रही है। ‘चमकीले इशारे’ मौसम की चमक और उत्साह दोनों को दर्शाते हैं।
  • आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए कि पतंग ऊपर उठ सके‘ (स्पर्श और दृश्य बिंब): यह शरद ऋतु में आकाश की निर्मलता और स्वच्छता का बिंब है। मुलायम आकाश पतंगों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करता है, जहाँ वे बिना किसी बाधा के ऊँचाई छू सकती हैं। यह एक सुखद और हल्कापन का अहसास कराता है।

कुल मिलाकर, ये बिंब शरद ऋतु के आगमन को एक जीवंत, गतिशील और बच्चों के खेल से जुड़े उत्सव के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जहाँ प्रकृति स्वयं बच्चों की उमंगों को बढ़ावा देती है।

4. जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास- कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है।

‘जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास’ इस पंक्ति में कवि ने बच्चों की कुछ स्वाभाविक विशेषताओं को उजागर करने के लिए कपास का सुंदर बिंब प्रयोग किया है:

  • कपास जैसी कोमलता/मुलायमियत: कपास अत्यंत नरम और मुलायम होती है। कवि यह कहना चाहता है कि बच्चे जन्म से ही शरीर से कपास जैसे कोमल और मुलायम होते हैं, जिससे उन्हें गिरने या चोट लगने पर कम चोट लगती है।
  • कपास जैसी लचीलापन/लोच: कपास में एक प्रकार का लचीलापन होता है। बच्चों के शरीर में भी अद्भुत लचीलापन होता है, जिसके कारण वे उछलते-कूदते, गिरते-पड़ते भी ज़्यादा चोटिल नहीं होते और आसानी से संभल जाते हैं। यह उन्हें छतों जैसे खतरनाक स्थानों पर भी बेफिक्री से खेलने की स्वतंत्रता देता है।
  • कपास जैसी हल्कीपन/निर्मलता: कपास वजन में हल्की होती है। बच्चों का मन भी कपास जैसा हल्का, बोझमुक्त और निर्मल होता है, जो उन्हें उत्साह और उमंग से भरने में मदद करता है।
  • कपास जैसी सहनशीलता: कपास दबाव को सह सकती है और फिर अपनी मूल स्थिति में आ जाती है। इसी तरह बच्चे भी गिरने-पड़ने या चोट लगने के बाद जल्दी ठीक हो जाते हैं और फिर से खेल में लग जाते हैं।

इस प्रकार, कपास का बिंब बच्चों के शारीरिक और मानसिक कोमलता, लचीलेपन, हलकेपन और अद्भुत सहनशीलता को दर्शाता है, जो उन्हें निर्भय होकर खेलने और ऊँचाइयों को छूने का हौसला देता है।

5. पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं- बच्चों का उड़ान से कैसा संबंध बनता है?

‘पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं’ इस पंक्ति में बच्चों का उड़ान से एक गहरा मानसिक और भावनात्मक संबंध बनता है, जो शारीरिक उड़ान से कहीं अधिक है:

  • मानसिक उड़ान और कल्पना: जब बच्चे पतंग उड़ाते हैं, तो उनका मन भी पतंग के साथ-साथ आकाश में ऊँचाई पर पहुँच जाता है। वे पतंग के साथ ही अपनी कल्पनाओं की उड़ान भरते हैं, अपने सपनों में खो जाते हैं।
  • उन्मुक्तता और स्वतंत्रता: पतंग का हवा में बेफिक्री से उड़ना बच्चों के मन की उन्मुक्तता और स्वतंत्रता की भावना को दर्शाता है। वे सारी चिंताओं और बंधनों से मुक्त होकर, अपने खेल में पूरी तरह डूब जाते हैं।
  • आकांक्षाओं की पूर्ति: पतंग को ऊँचाई पर उड़ते देख बच्चों को लगता है कि उनकी अपनी आकांक्षाएँ और इच्छाएँ भी उसी तरह आकाश छू रही हैं। पतंग उनकी ऊँची आकांक्षाओं और लक्ष्य-प्राप्ति की प्रतीकात्मक उड़ान है।
  • रोमांच और रोमांचकता: पतंग उड़ाने के रोमांच में उनका पूरा शरीर और मन रम जाता है। वे पतंग के हर झटके, हर घुमाव के साथ खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते हैं, मानो वे स्वयं हवा में गोते लगा रहे हों।
  • आत्मविश्वास और निडरता: जैसे-जैसे पतंग ऊँचाई छूती है, बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है। गिरने के भय पर विजय पाकर वे और भी निडर होकर ऊँचाई को छूने की कोशिश करते हैं।

यह संबंध बच्चों के शारीरिक आवेग (दौड़ना, उछलना) और मानसिक कल्पना (ऊंचाई छूने का सपना) के अद्भुत समन्वय को दर्शाता है। वे केवल पतंग नहीं उड़ा रहे होते, बल्कि पतंग के माध्यम से अपने बचपन की असीम ऊर्जा, निर्भीकता और सपनों को उड़ान दे रहे होते हैं।

6. निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़ कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।(अ) छतों को भी नरम बनाते हुए.दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए(ब) अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों सेऔर बच जाते हैं तब तोऔर भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।

  • दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है? ‘दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने’ का तात्पर्य बच्चों की दौड़, उछल-कूद और उनके उत्साह से उत्पन्न ध्वनि से है। जब बच्चे पतंग उड़ाने के लिए छतों पर बेसुध होकर दौड़ते हैं, तो उनकी पदचाप, किलकारियाँ और पतंग की डोर खींचने की आवाज़ें चारों दिशाओं में गूँज उठती हैं। यह ध्वनियाँ इतनी तीव्र और लगातार होती हैं, मानो चारों दिशाएँ ही मृदंग (एक प्रकार का ढोल जैसा वाद्य यंत्र) की तरह बज रही हों। यह बच्चों के खेल में व्याप्त उमंग, जोश और संगीतपूर्ण वातावरण को दर्शाता है, जहाँ उनका खेल पूरे परिवेश में एक जीवंत ध्वनि भर देता है।
  • जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती है? नहीं, जब पतंग सामने हो और बच्चे उसे उड़ाने में पूरी तरह लीन हों, तो उन्हें छत कठोर नहीं लगती। यह बच्चों के मन की एकाग्रता और खेल में पूर्ण तन्मयता को दर्शाता है। पतंग उड़ाने के रोमांच और उत्साह में वे इतने डूबे होते हैं कि उन्हें छत की कठोरता या उससे गिरने का खतरा महसूस ही नहीं होता। उनके भीतर की उमंग और रोमांच छत की कठोरता की अनुभूति को दबा देती है, और छत उन्हें अपने पैरों तले नरम और खेलने के लिए सुरक्षित लगने लगती है।
  • खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने के बाद आप दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को कैसा महसूस करते हैं? खतरनाक परिस्थितियों का सामना करने और उनसे बच निकलने के बाद व्यक्ति अधिक निडर, आत्मविश्वासी और सशक्त महसूस करता है। जैसा कि कविता में बच्चे छतों के खतरनाक किनारों से गिरने के बाद बच जाते हैं तो ‘और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं’। यह अनुभव उन्हें सिखाता है कि चुनौतियाँ भले ही कठिन हों, पर उन्हें पार किया जा सकता है। यह आत्मविश्वास उन्हें दुनिया की अन्य चुनौतियों या बाधाओं के सामने अधिक साहसी बनाता है। वे जोखिम लेने से नहीं डरते और समस्याओं का सामना करने में हिचकिचाते नहीं, बल्कि एक नए जोश और उत्साह के साथ उनका सामना करते हैं। यह अनुभव उन्हें जीवन के प्रति अधिक सकारात्मक और साहसिक दृष्टिकोण प्रदान करता है।

यहां आलोक धन्वा की कविता पतंगसे संबंधित शेष प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं:

1. आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर आपके मन में कैसे खयाल आते हैं? लिखिए.

आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर मन में कई तरह के खयाल आते हैं, जो अक्सर स्वतंत्रता, उमंग और बचपन की यादों से जुड़े होते हैं:

  • स्वतंत्रता और उन्मुक्तता: पतंगें हवा में बिना किसी बंधन के उड़ती हैं, जो मन में आज़ादी और उन्मुक्तता का भाव जगाती हैं। ऐसा लगता है मानो वे किसी सीमा में नहीं बंधी हैं और कहीं भी जा सकती हैं।
  • बचपन और खेलकूद: पतंगें सीधे बचपन की याद दिलाती हैं – वो समय जब चिंताएं कम थीं और खेल ही जीवन का सबसे बड़ा हिस्सा था। बच्चों की किलकारियां, उनकी भागदौड़ और पतंगों के पीछे का उत्साह याद आता है।
  • ऊँचाइयों को छूने का सपना: पतंगें जितनी ऊपर जाती हैं, उतनी ही प्रेरणा देती हैं कि हमें भी अपने सपनों को ऊँची उड़ान देनी चाहिए, चुनौतियों को पार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
  • रंग और उत्सव: रंग-बिरंगी पतंगें आसमान को जैसे एक कैनवास बना देती हैं, जिस पर रंगों का त्योहार मनाया जा रहा हो। यह दृश्य मन को प्रफुल्लित करता है और एक उत्सव का माहौल बनाता है।
  • संवेदनशीलता और नाज़ुकता: पतंगें जितनी हल्की और नाज़ुक होती हैं, उतना ही वे जीवन की संवेदनशीलता का प्रतीक लगती हैं। कैसे एक पतले धागे पर पूरी उड़ान टिकी होती है, ठीक वैसे ही जीवन की कई आशाएं भी नाज़ुक डोर पर टिकी होती हैं।
  • समूह और एकता: कई पतंगों को एक साथ उड़ते देखकर लगता है मानो सभी मिलकर एक बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हों, एक सामूहिक ऊर्जा का प्रदर्शन हो रहा हो।

संक्षेप में, रंग-बिरंगी पतंगें मन में एक सुखद, कल्पनाशील और उमंग भरा वातावरण रचती हैं, जो बचपन की निर्भीकता और जीवन की असीम संभावनाओं को दर्शाता है।

2. “रोमांचित शरीर का संगीतका जीवन के लय से क्या संबंध है?

“रोमांचित शरीर का संगीत” का जीवन के लय से गहरा संबंध है। यह वाक्यांश बच्चों के खेल में पूरी तरह लीन होने और उस क्षण में उनके भीतर उत्पन्न होने वाली आंतरिक ऊर्जा, तालमेल और आनंद को दर्शाता है।

  • शारीरिक और मानसिक तालमेल: जब बच्चे पतंग उड़ाते हुए बेसुध दौड़ते हैं, तो उनके शरीर में एक अनोखी ऊर्जा और तालमेल होता है। उनकी हर गति, हर उछाल, हर पलटाव एक आंतरिक ‘संगीत’ की तरह होता है – यह उनके उत्साह, एकाग्रता और खेल के प्रवाह से उत्पन्न एक अदृश्य लय है। यह लयबद्ध गति इतनी सहज और स्वाभाविक होती है कि वह उन्हें छतों के खतरनाक किनारों से गिरने से बचाती है।
  • जीवन का सहज प्रवाह: यह ‘संगीत’ जीवन के सहज और निडर प्रवाह का प्रतीक है। जब मनुष्य अपने काम में पूरी तरह डूब जाता है, बिना किसी बाहरी बाधा या भय के, तो उसके भीतर एक अद्भुत सामंजस्य और ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा ही जीवन को गतिशील बनाए रखती है।
  • जीवंतता और उत्साह: ‘रोमांचित शरीर’ का अर्थ है उत्साह और जोश से भरा शरीर। यह उत्साह ही एक प्रकार का आंतरिक संगीत पैदा करता है जो जीवन को जीवंत बनाता है। यह दर्शाता है कि जब हम किसी कार्य में पूरी लगन और आनंद से जुड़ते हैं, तो हमारे भीतर एक विशेष प्रकार की जीवंतता और लय आ जाती है।
  • भय पर विजय: यह संगीत भय पर विजय पाने का प्रतीक भी है। छतों के खतरनाक किनारों पर भी बच्चे अपने रोमांच और खेल की धुन में इतने खो जाते हैं कि उन्हें गिरने का डर नहीं लगता। यह आंतरिक लय उन्हें संतुलन और आत्मविश्वास देती है।

इस प्रकार, “रोमांचित शरीर का संगीत” जीवन की उस आंतरिक लय, ऊर्जा और आनंद को दर्शाता है जो हमें चुनौतियों का सामना करने और जीवन को पूरी तन्मयता से जीने के लिए प्रेरित करती है। यह बताता है कि जब हम अपने भीतर के आवेग और उत्साह के साथ तालमेल बिठाते हैं, तो जीवन में एक सहज और शक्तिशाली प्रवाह आता है।

3. ‘महज़ एक धागे के सहारे, पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँउन्हें (बच्चों को) कैसे थाम लेती हैं? चर्चा करें।

‘महज़ एक धागे के सहारे, पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ’ बच्चों को कई मायनों में थाम लेती हैं:

  • मनोवैज्ञानिक जुड़ाव और एकाग्रता: बच्चे शारीरिक रूप से भले ही छत पर हों, लेकिन उनका पूरा ध्यान, उनकी भावनाएँ और उनका मन पतंग के साथ ही आकाश में उड़ रहा होता है। पतंग की धड़कती ऊँचाइयाँ (यानी हवा में पतंग की तेज़ हलचल) उनके मन को पूरी तरह से एकाग्र कर देती हैं। इस एकाग्रता में उन्हें अपने आसपास के खतरनाक किनारों का ध्यान ही नहीं रहता।
  • अदृश्य डोर का सहारा: यह धागा केवल पतंग को ही नहीं थामता, बल्कि बच्चों के मन को भी थामे रखता है। यह एक प्रतीकात्मक डोर है जो उनके उत्साह, सपनों और कल्पनाओं को दिशा देती है। यह डोर उन्हें अपने लक्ष्य (पतंग को ऊँचा उड़ाना) से जोड़े रखती है और उन्हें भटकने नहीं देती।
  • भीतरी उत्साह का बल: पतंग की ऊँचाई और उसकी धड़कन बच्चों के भीतर के रोमांच और उत्साह को बढ़ाती है। यह रोमांच ही उन्हें एक अदृश्य शक्ति देता है, जिससे वे गिरने के भय को भूल जाते हैं और अपने शरीर को संतुलित रख पाते हैं। उनका पूरा शरीर और मन इस खेल के साथ इस कदर लयबद्ध हो जाता है कि गिरने का भय गौण हो जाता है।
  • आत्मविश्वास और बेफिक्री: जब पतंग ऊँचाई पर सफलतापूर्वक उड़ रही होती है, तो बच्चों में एक प्रकार का आत्मविश्वास और बेफिक्री आती है। यह भावना उन्हें छत के किनारों पर भी निर्भीक होकर दौड़ने की आज़ादी देती है, क्योंकि उनका ध्यान सिर्फ पतंग की उड़ान पर होता है।

संक्षेप में, पतंग का वह पतला धागा और उसकी ऊँचाई बच्चों के मन को इस कदर बांध लेती है, उन्हें इतना एकाग्र और रोमांचित कर देती है कि वे अपने आसपास के भौतिक खतरों से अनभिज्ञ हो जाते हैं। यह धागा उनकी कल्पनाओं, आकांक्षाओं और आत्मविश्वास की अदृश्य डोर बन जाता है, जो उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से थामे रखती है।


परीक्षा हेतु तैयारी के लिए सुझाव:

  • तथ्यों पर ध्यान दें: कवि का जन्म, प्रमुख रचना (एकमात्र संग्रह), सम्मान, ‘पतंग’ कविता का कौन सा भाग शामिल है – इन पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न आ सकते हैं।
  • बिंबों को समझें: ‘शरद का चमकीला इशारा’, ‘तितलियों की रंगीन दुनिया’, ‘दिशाओं के मृदंग’, ‘छत्तों के खतरनाक कोने’, ‘पृथ्वी का हर कोना’ – ये सभी कविता के महत्वपूर्ण बिंब हैं, इन्हें समझें।
  • प्रतीकात्मक अर्थ: पतंग बच्चों के सपनों और ऊँचाइयों को छूने की इच्छा का प्रतीक है।
  • भाव को समझें: बच्चों की निडरता, गिरने के बाद संभलने का हौसला, और भविष्य की उम्मीद – ये प्रमुख भाव हैं।

इस ‘टू-द-पॉइंट’ जानकारी के साथ, आप इस गद्यांश पर आधारित किसी भी प्रश्न का उत्तर आसानी से दे पाएंगे।


MCQs from Alok Dhanwa’s Poem ‘पतंग’

Instructions: Choose the best option for each question. The correct answer is marked with a checkmark (✓).

  1. ‘सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गया’ के बाद किस ऋतु का आगमन होता है?
    a) ग्रीष्म ऋतु
    b) हेमंत ऋतु
    c) शरद ऋतु (✓)
    d) वसंत ऋतु
  2. कवि ने सुबह की लालिमा की तुलना किससे की है?
    a) टमाटर की आँखों से
    b) लाल गुलाब से
    c) खरगोश की आँखों से (✓)
    d) सूर्य के रंग से
  3. शरद ऋतु को कवि ने किस रूप में प्रस्तुत किया है?
    a) एक शांत व्यक्ति के रूप में
    b) एक बूढ़े व्यक्ति के रूप में
    c) एक नन्हें बालक के रूप में साइकिल चलाते हुए (✓)
    d) एक शक्तिशाली राजा के रूप में
  4. पतंग उड़ाने वाले बच्चों को शरद ऋतु किस तरह बुलाती है?
    a) आवाज़ लगाकर
    b) इशारे करके
    c) चमकीले इशारों से (✓)
    d) घंटी बजाकर
  5. आकाश को मुलायम बनाने का क्या उद्देश्य है?
    a) मौसम को सुहावना बनाना
    b) बादलों को हटाना
    c) पतंग को ऊपर उठने में मदद करना (✓)
    d) बच्चों के खेलने के लिए जगह बनाना
  6. ‘जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास’ – पंक्ति में ‘कपास’ किसका प्रतीक है?
    a) बच्चों की गरीबी का
    b) बच्चों के कपड़ों का
    c) बच्चों के शरीर की कोमलता और लचीलेपन का (✓)
    d) बच्चों के सफेद मन का
  7. बच्चे जब बेसुध दौड़ते हैं तो छतों को क्या बना देते हैं?
    a) खतरनाक
    b) चिकना
    c) नरम (✓)
    d) कठोर
  8. बच्चे दिशाओं को किस वाद्य यंत्र की तरह बजाते हैं?
    a) ढोल
    b) तबला
    c) बांसुरी
    d) मृदंग (✓)
  9. ‘पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे’ – इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
    a) पतंग का धागा बच्चों को गिरने से बचाता है।
    b) बच्चे धागे को कसकर पकड़ते हैं।
    c) पतंग के रोमांच में बच्चे इतने लीन हो जाते हैं कि खतरा भूल जाते हैं। (✓)
    d) पतंग बच्चों का संतुलन बनाए रखती है।
  10. यदि बच्चे छतों के खतरनाक किनारों से गिरकर बच जाते हैं, तो उनमें क्या परिवर्तन आता है?
    a) वे डर जाते हैं
    b) वे खेलना बंद कर देते हैं
    c) वे सावधान हो जाते हैं
    d) वे और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं (✓)
  11. ‘पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास’ – इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
    a) उपमा
    b) रूपक
    c) मानवीकरण (✓)
    d) उत्प्रेक्षा
  12. कविता में बच्चों की उड़ान को किसके साथ जोड़ा गया है?
    a) पक्षियों की उड़ान
    b) वायुयान की उड़ान
    c) पतंगों की उड़ान (✓)
    d) सपनों की उड़ान

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