जल निकास की विधियाँ: MP Board Class 12 Agriculture Drainage Methods

जल निकास की विधियाँ: Drainage Methods

MP Board Class 12 Agriculture Drainage Methods : खेती में जलभराव की समस्या से निपटने और स्वस्थ फसल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न जल निकास विधियाँ अपनाई जाती हैं। ये विधियाँ मुख्य रूप से सतही जल निकास और भूमिगत जल निकास के तहत आती हैं। आइए, इन विधियों और उन्हें बनाने के तरीके को विस्तार से समझते हैं।

1. सतही जल निकास की विधियाँ (Surface Drainage Methods)

सतही जल निकास का उद्देश्य खेत की ऊपरी सतह पर जमा अतिरिक्त पानी को बहाकर बाहर निकालना है।

अस्थायी नालियाँ (Temporary Drains)

  • क्या हैं: ये खेत में बनाई जाने वाली छोटी और उथली नालियाँ होती हैं, जिनका उपयोग एक या दो फसल चक्रों के लिए किया जाता है। ये आमतौर पर फसल की बुवाई या कटाई के बाद बनाई जाती हैं और फिर भर दी जाती हैं।
  • कैसे बनाते हैं: इन्हें बनाने के लिए साधारण हल, ट्रैक्टर-माउंटेड डिचर (ditcher) या यहाँ तक कि हाथ के औजारों का उपयोग किया जाता है। इन्हें खेत की ढलान के अनुसार इस तरह से बनाया जाता है कि पानी खेत से बाहर मुख्य नाली की ओर बह सके।

कट-आउट नालियाँ (Cut-out Drains / Diversion Drains)

  • क्या हैं: इन्हें ‘मोड़ नालियाँ’ या ‘डाइवर्जन ड्रेन्स’ भी कहा जाता है। ये उन खेतों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होती हैं जो ढलान वाले क्षेत्रों में स्थित होते हैं, जहाँ ऊपर से अत्यधिक पानी खेत में प्रवेश कर सकता है।
  • कैसे बनाते हैं: ये नालियाँ खेत के ऊपरी किनारों पर, ढलान के आर-पार (कंटूर के साथ) अपेक्षाकृत गहरी और चौड़ी खोदी जाती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य ऊपर से आने वाले सतही पानी को खेत में प्रवेश करने से पहले ही रोककर या मोड़कर दूसरे रास्ते से बाहर निकालना होता है, जिससे खेत में जलभराव और मिट्टी का कटाव दोनों रुक जाते हैं।

स्थायी नालियाँ (Permanent Drains)

  • क्या हैं: ये खेत के निचले या किनारे वाले हिस्सों में बनाई जाने वाली गहरी और चौड़ी नालियाँ होती हैं, जिन्हें लंबे समय तक उपयोग के लिए डिज़ाइन किया जाता है। ये कई खेतों से या एक बड़े क्षेत्र से पानी इकट्ठा करने के लिए मुख्य निकास चैनल के रूप में कार्य करती हैं।
  • कैसे बनाते हैं: इन्हें बनाने के लिए आमतौर पर अर्थ-मूविंग मशीनरी जैसे जेसीबी (JCB) या ड्रेजिंग मशीनों का उपयोग किया जाता है। इनकी गहराई और चौड़ाई पानी की मात्रा के अनुसार निर्धारित की जाती है। इन नालियों की दीवारों को कटाव से बचाने के लिए घास, पत्थर या कंक्रीट से स्थिर किया जा सकता है।

भूमि को समतल करना / ढलान देना (Land Smoothing / Grading for Drainage)

  • क्या है: यह एक विधि है जिसमें खेत की सतह को इस तरह से तैयार किया जाता है कि उसमें एक समान और हल्की ढलान बन जाए। इससे पानी बिना रुके एक निश्चित दिशा में बह सके और खेत में कहीं भी जमा न हो।
  • कैसे बनाते हैं: खेत की सतह का सर्वेक्षण (survey) किया जाता है ताकि उच्च और निम्न बिंदुओं की पहचान हो सके। फिर, लेज़र लेवलर (laser leveler) या अन्य समतलीकरण उपकरणों का उपयोग करके मिट्टी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाकर सतह को समतल और एक विशिष्ट ढलान वाला बनाया जाता है। यह विधि पानी के ठहराव को पूरी तरह से समाप्त कर देती है।

2. भूमिगत जल निकास की विधियाँ (Underground Drainage Methods)

भूमिगत जल निकास का उद्देश्य मिट्टी की सतह के नीचे से अतिरिक्त पानी (भूजल) को हटाना है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

टाइल ड्रेन्स (Tile Drains)

  • क्या हैं: ये सबसे आम और प्रभावी भूमिगत जल निकास विधि है। इसमें मिट्टी के नीचे छिद्रित पाइप (परफोरेटेड पाइप) बिछाए जाते हैं, जो आमतौर पर मिट्टी (मिट्टी की टाइलें) या प्लास्टिक (पीवीसी) के बने होते हैं।
  • कैसे बनाते हैं: खेत में विशिष्ट गहराई और ढलान पर खाइयाँ (trenches) खोदी जाती हैं (अक्सर ड्रेन्चर मशीन का उपयोग करके)। इन खाइयों में छिद्रित टाइल पाइप बिछाए जाते हैं। पाइप के छिद्रों से भूजल रिसकर अंदर आता है। मिट्टी के बारीक कणों को पाइप में जाने से रोकने के लिए पाइपों को अक्सर ग्रेवल (gravel) या फिल्टर कपड़े (geotextile filter fabric) से ढका जाता है। अंत में, खाइयों को वापस मिट्टी से भर दिया जाता है। ये पाइप एक मुख्य संग्रहकर्ता पाइप या नाली से जुड़े होते हैं जो पानी को खेत से बाहर निकालता है।

मोल ड्रेन्स (Mole Drains)

  • क्या हैं: ये मिट्टी के नीचे बनाई गई अस्थायी, बिना अस्तर वाली सुरंगें (चैनल) होती हैं।
  • कैसे बनाते हैं: ‘मोल प्लो’ नामक एक विशेष उपकरण का उपयोग किया जाता है। इस उपकरण में एक बुलेट के आकार का धातु का हिस्सा होता है, जिसे खेत में ट्रैक्टर द्वारा खींचा जाता है। यह हिस्सा मिट्टी के नीचे से गुजरते हुए एक गोलाकार सुरंग बनाता है। यह सुरंग मिट्टी के संपीड़न से बनती है और इसमें कोई पाइप नहीं होता।
  • उपयोग: यह विधि आमतौर पर चिकनी मिट्टी (clayey soils) के लिए उपयुक्त होती है क्योंकि ऐसी मिट्टी में बनी सुरंगें थोड़ी देर तक स्थिर रहती हैं। यह कम लागत वाली और त्वरित विधि है, लेकिन इसकी उम्र कम होती है (कुछ वर्षों तक चलती है) क्योंकि सुरंगें समय के साथ ढह सकती हैं।

स्टोन ड्रेन्स (Stone Drains)

  • क्या हैं: यह एक पुरानी भूमिगत निकास विधि है जिसमें पाइप के बजाय पत्थरों या बजरी का उपयोग किया जाता है।
  • कैसे बनाते हैं: खेत में विशिष्ट गहराई और चौड़ाई की खाइयाँ खोदी जाती हैं। इन खाइयों को मोटे पत्थरों, बजरी या टूटी हुई ईंटों से भर दिया जाता है। पानी पत्थरों के बीच से रिसकर बहता है। आमतौर पर सबसे नीचे बड़े पत्थर और ऊपर की ओर छोटे पत्थर भरे जाते हैं, और सबसे ऊपर मिट्टी की परत होती है।
  • उपयोग: यह उन क्षेत्रों में उपयोग की जाती है जहाँ पाइप उपलब्ध नहीं होते या लागत कम रखनी हो, लेकिन यह पाइप ड्रेनेज जितनी कुशल या दीर्घकालिक नहीं होती।

पाइप ड्रेन्स (Pipe Drains)

  • क्या हैं: ‘पाइप ड्रेन्स’ शब्द अक्सर व्यापक रूप से छिद्रित या गैर-छिद्रित पाइपों के उपयोग को संदर्भित करता है। जब इसे ‘टाइल ड्रेन्स’ से अलग किया जाता है, तो यह आमतौर पर उन बड़े व्यास के गैर-छिद्रित पाइपों को संदर्भित करता है जो भूमिगत जल निकास प्रणाली में मुख्य संग्रहकर्ता (collector) या आउटलेट (outlet) के रूप में कार्य करते हैं। ये छोटे छिद्रित ‘टाइल ड्रेन्स’ से पानी इकट्ठा करके उसे खेत से दूर मुख्य निकास बिंदु तक ले जाते हैं।
  • कैसे बनाते हैं: इन्हें भी टाइल ड्रेनेज के समान ही खाइयों में बिछाया जाता है, लेकिन क्योंकि ये मुख्य प्रवाह के लिए होते हैं, इसलिए इनका व्यास बड़ा होता है और ये आमतौर पर छिद्रित नहीं होते ताकि पानी सिर्फ़ अंतिम बिंदु पर ही निकले। इन्हें सही ढलान पर बिछाया जाना महत्वपूर्ण है ताकि पानी का प्रवाह सुचारू बना रहे।

पोल ड्रेन्स (Pole Drains)

  • क्या हैं: यह एक बहुत पुरानी और अब शायद ही कभी उपयोग की जाने वाली भूमिगत निकास विधि है जिसमें लकड़ी के लट्ठों (पोल) का उपयोग किया जाता था।
  • कैसे बनाते हैं: खाइयाँ खोदी जाती थीं और उनमें लकड़ी के लट्ठों को बिछाया जाता था। इन लट्ठों को या तो बीच से खोखला किया जाता था, या दो हिस्सों में काटकर एक चैनल बनाने के लिए जोड़ा जाता था। लकड़ी के लट्ठों के बीच से पानी बहता था।
  • उपयोग: यह विधि ऐतिहासिक रूप से या उन क्षेत्रों में उपयोग की जाती थी जहाँ लकड़ी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी और अन्य सामग्री महंगी थी। चूंकि लकड़ी समय के साथ सड़ जाती है, ये ड्रेन्स स्थायी नहीं होते और इन्हें नियमित रखरखाव या प्रतिस्थापन की आवश्यकता होती है।

सतही और भूमिगत जल निकास नालियों के बीच अंतर (Difference Between Surface and Underground Drainage Canals)

सतही और भूमिगत जल निकास प्रणालियाँ दोनों ही खेतों से अतिरिक्त पानी को हटाने का काम करती हैं, लेकिन उनके तरीके, उद्देश्य और प्रभाव में महत्वपूर्ण अंतर होते हैं:

विशेषतासतही जल निकास नालियाँ (Surface Drainage Canals)भूमिगत जल निकास नालियाँ (Underground Drainage Canals)
स्थानखेत की सतह पर या उसके ठीक नीचे दिखाई देती हैं।मिट्टी की सतह के नीचे (भूमिगत) होती हैं, दिखाई नहीं देतीं।
मुख्य उद्देश्यखेत की सतह पर जमा अतिरिक्त वर्षा या सिंचाई के पानी को हटाना।मिट्टी के भीतर से अतिरिक्त भूजल और लवणीयता को कम करना, जल स्तर को नियंत्रित करना।
लागतआमतौर पर कम होती है, खासकर अस्थायी नालियों के लिए।स्थापना लागत आमतौर पर बहुत अधिक होती है।
रखरखावअधिक बार-बार सफाई और रखरखाव की आवश्यकता होती है (खरपतवार, गाद)।कम बार-बार रखरखाव की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि समस्या आती है तो पहचानना और ठीक करना मुश्किल होता है।
खेती पर प्रभावखेत के कुछ क्षेत्र को घेरती हैं, कृषि कार्यों में बाधा डाल सकती हैं।खेत की सतह पर कोई बाधा नहीं डालतीं, कृषि कार्य आसानी से किए जा सकते हैं।
मिट्टी का कटावयदि ढलान तेज़ हो या डिज़ाइन ठीक न हो तो मिट्टी के कटाव का जोखिम अधिक होता है।मिट्टी का कटाव लगभग नगण्य होता है, क्योंकि पानी भूमिगत रूप से बहता है।
दक्षतासतह से पानी को तेज़ी से हटाती हैं, लेकिन भूजल स्तर को नियंत्रित करने में कम प्रभावी होती हैं।भूजल स्तर को नियंत्रित करने और मिट्टी में वायु संचार सुधारने में अत्यधिक प्रभावी होती हैं। सतह से पानी निकालने में धीमी हो सकती हैं।
मिट्टी की संरचनासीधे तौर पर मिट्टी की आंतरिक संरचना में बहुत सुधार नहीं करतीं।मिट्टी की संरचना में सुधार करती हैं, वायु संचार बढ़ाती हैं और जड़ों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाती हैं।
लवण नियंत्रणलवणीयता को सीधे तौर पर नियंत्रित करने में कम प्रभावी होती हैं।लवणीयता नियंत्रण में बहुत प्रभावी होती हैं क्योंकि ये जड़ों के क्षेत्र से लवणों को धोकर बाहर निकालती हैं।

Leave a Comment