कक्षा 10 समकालीन भारत II राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं प्रश्नोत्तर :MP Board Class 10th Rashtriy Arthvyavastha Ki Jivan Rekhayen Question Answer

MP Board Class 10th Rashtriy Arthvyavastha Ki Jivan Rekhayen Question Answer

अध्याय 7 : राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं

हमारे दैनिक जीवन में परिवहन और संचार का महत्व

हम अपने दैनिक जीवन में विभिन्न सामग्रियों और सेवाओं का उपयोग करते हैं। इनमें से कुछ चीजें हमें अपने आस-पास आसानी से मिल जाती हैं, जबकि कुछ अन्य चीजों की जरूरतें हमें दूसरे स्थानों से पूरी करनी पड़ती हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि वस्तुएँ और सेवाएँ अपने आप आपूर्ति स्थल से माँग स्थल तक नहीं पहुँच जातीं। इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए परिवहन की आवश्यकता होती है। जो लोग उत्पादों को परिवहन के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं, उन्हें व्यापारी कहते हैं।

परिवहन और देश का विकास

किसी भी देश के विकास की गति केवल वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन पर ही निर्भर नहीं करती, बल्कि उनके एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से पहुँचने की सुविधा पर भी निर्भर करती है। इसीलिए, तीव्र विकास के लिए सक्षम परिवहन के साधन का होना अत्यंत आवश्यक है।

परिवहन के प्रकार

वस्तुओं और सेवाओं को पृथ्वी के तीन मुख्य क्षेत्रों – स्थल, जल, और वायु – के माध्यम से लाया और ले जाया जाता है। इसी आधार पर परिवहन को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • स्थल परिवहन
  • जल परिवहन
  • वायु परिवहन

संसार का एक बड़े गाँव में बदलना

आधुनिक और तीव्र गति वाले परिवहन साधनों के कारण आज संसार एक बड़े गाँव में बदल गया है। यह तीव्र विकास संचार साधनों के विकास के बिना संभव नहीं हो पाता। यही कारण है कि परिवहन, संचार और व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं।

भारत में परिवहन और संचार का प्रभाव

आज भारत अपने विशाल आकार, विविधताओं और भाषाई तथा सामाजिक-सांस्कृतिक बहुलताओं के बावजूद संसार के सभी क्षेत्रों से कुशलतापूर्वक जुड़ा हुआ है। रेल, वायु एवं जल परिवहन, साथ ही समाचारपत्र, रेडियो, दूरदर्शन, सिनेमा और इंटरनेट जैसे संचार के साधन इसके सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। स्थानीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक के व्यापार ने अर्थव्यवस्था को नई गति दी है, हमारे जीवन को समृद्ध बनाया है, और आरामदायक जीवन के लिए सुविधाओं व साधनों में बढ़ोतरी की है।

परिवहन: स्थल परिवहन

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क जाल वाला देश है, जिसका सड़क जाल लगभग 62.16 लाख किलोमीटर (2020-21) है। भारत में सड़क परिवहन, रेल परिवहन से पहले शुरू हुआ था। निर्माण और व्यवस्था के मामले में सड़क परिवहन, रेल परिवहन की तुलना में ज़्यादा सुविधाजनक है।

सड़क परिवहन की बढ़ती महत्ता के कारण

सड़क परिवहन की बढ़ती अहमियत के पीछे कई कारण हैं:

  • कम निर्माण लागत: रेलवे लाइन की तुलना में सड़कों के निर्माण में लागत बहुत कम आती है।
  • भू-भाग की अनुकूलता: सड़कें अपेक्षाकृत ऊबड़-खाबड़ और विच्छिन्न भू-भागों पर भी आसानी से बनाई जा सकती हैं।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में सुगमता: ज़्यादा ढलान वाले और पहाड़ी क्षेत्रों में भी सड़कें बनाना संभव है।
  • कम दूरी के लिए किफायती: कम व्यक्तियों, कम दूरी और कम वस्तुओं के परिवहन के लिए सड़क परिवहन ज़्यादा किफ़ायती होता है।
  • घर-घर सेवा: यह घर-घर तक सेवाएँ उपलब्ध कराता है, और सामान चढ़ाने व उतारने की लागत भी अपेक्षाकृत कम होती है।
  • अन्य साधनों का पूरक: सड़क परिवहन, अन्य परिवहन साधनों (जैसे रेल, जल और वायु) के उपयोग में सहायक होता है, क्योंकि यह उन्हें गंतव्य तक पहुँचाने का काम करता है।

भारत में प्रमुख सड़क परियोजनाएँ और श्रेणियाँ

भारत में सड़कों को कई श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जो उनकी भूमिका और महत्त्व के आधार पर हैं:

स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग (Golden Quadrilateral Super Highways)

भारत सरकार ने दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई को जोड़ने वाली 6 लेन वाली महा राजमार्गों की एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है। इस परियोजना के तहत दो मुख्य गलियारे प्रस्तावित हैं:

  • उत्तर-दक्षिण गलियारा: यह श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ता है।
  • पूर्व-पश्चिम गलियारा: यह सिलचर (असम) को पोरबंदर (गुजरात) से जोड़ता है। इस महा राजमार्ग का मुख्य उद्देश्य भारत के मेगा शहरों के बीच की दूरी और परिवहन समय को कम करना है। यह राजमार्ग परियोजना भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकार क्षेत्र में है।

राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways)

ये सड़कें देश के दूरस्थ भागों को आपस में जोड़ती हैं। ये प्राथमिक सड़क तंत्र हैं और कई प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम दिशाओं में फैले हुए हैं।

राज्य राजमार्ग (State Highways)

ये वे सड़कें हैं जो राज्यों की राजधानियों को विभिन्न ज़िला मुख्यालयों से जोड़ती हैं।

ज़िला मार्ग

ये सड़कें ज़िले के विभिन्न प्रशासनिक केंद्रों को ज़िला मुख्यालय से जोड़ती हैं।

अन्य सड़कें

इस वर्ग में वे सड़कें शामिल हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों और गाँवों को शहरों से जोड़ती हैं। ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना’ के तहत इन सड़कों के विकास को विशेष प्रोत्साहन मिला है। इस परियोजना का एक विशेष प्रावधान यह है कि देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों (वे सड़कें जिन पर वर्ष भर वाहन चल सकें) द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है।

सीमांत सड़कें

उपरोक्त सड़कों के अतिरिक्त, भारत सरकार के प्राधिकरण के अधीन सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation – BRO) है। यह संगठन 1960 में बनाया गया था, जिसका मुख्य कार्य देश के सीमांत क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण और उनकी देख-रेख करना है, विशेषकर उत्तर और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में सामरिक महत्त्व की सड़कों का विकास करना। इन सड़कों के विकास से दुर्गम क्षेत्रों तक पहुँच बढ़ी है और इन्होंने इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सहायता की है।

क्या आप जानते हैं?

विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग, अटल टनल (9.02 किलोमीटर), सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाई गई है। यह सुरंग पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ती है। पहले यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी। यह सुरंग हिमालय की पीरपंजाल पर्वतमाला में औसत समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊँचाई पर अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ बनाई गई है।

रेल परिवहन

भारत में रेल परिवहन वस्तुओं और यात्रियों के आवागमन का एक प्रमुख साधन है। यह सिर्फ एक यातायात का माध्यम ही नहीं, बल्कि व्यापार, भ्रमण, तीर्थ यात्राओं और लंबी दूरी तक सामान ढोने जैसे कई कार्यों में सहायक है। पिछले 150 से अधिक वर्षों से, भारतीय रेल देश के एक महत्वपूर्ण समन्वयक के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था, उद्योगों और कृषि के तीव्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारतीय रेलवे: एक विशाल सार्वजनिक प्राधिकरण

भारतीय रेल परिवहन देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण है। भारत की पहली रेलगाड़ी 1853 में मुंबई और ठाणे के मध्य चलाई गई थी, जिसने 34 किलोमीटर की दूरी तय की थी। वर्तमान में, भारतीय रेल परिवहन को 17 रेल प्रखंडों में पुनर्संकलित किया गया है।

(क्रियाकलाप: वर्तमान रेल प्रखंड और उनके मुख्यालयों की जानकारी प्राप्त करें और उन्हें भारत के मानचित्र पर प्रदर्शित करें।)

रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक

देश में रेल परिवहन के वितरण को मुख्य रूप से भू-आकृतिक, आर्थिक और प्रशासकीय कारक प्रभावित करते हैं:

  • उत्तरी मैदान: उत्तरी मैदान अपनी विस्तृत समतल भूमि, सघन जनसंख्या घनत्व, संपन्न कृषि और प्रचुर संसाधनों के कारण रेल परिवहन के विकास और वृद्धि में बहुत सहायक रहा है। हालांकि, यहाँ की असंख्य नदियों के विस्तृत जलमार्गों पर पुलों के निर्माण में कुछ बाधाएँ आई हैं।
  • पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र: भारत में रेलमार्ग अक्सर ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्रों, छोटी पहाड़ियों और सुरंगों से होकर गुजरते हैं। हिमालय पर्वतीय क्षेत्र, अपने दुर्लभ उच्चावच, विरल जनसंख्या और आर्थिक अवसरों की कमी के कारण रेलवे लाइन के निर्माण में प्रतिकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न करते हैं। इसी तरह, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात के दलदली भाग, मध्य प्रदेश के वन-क्षेत्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसे क्षेत्रों में भी रेल लाइन का निर्माण करना कठिन है। प्रायद्वीपीय भारत और उससे संबंधित क्षेत्रों को भी घाटों या दरों के माध्यम से ही पार किया जा सकता है।

कोंकण रेलवे

कुछ वर्ष पहले, भारत के महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्र में पश्चिमी तट के साथ कोंकण रेलवे के विकास ने यात्री और वस्तुओं के आवागमन को अत्यधिक सुविधाजनक बनाया है। हालांकि, इस मार्ग पर भी भूस्खलन और कुछ भागों में रेलवे ट्रैक के धँसने जैसी असंख्य समस्याएँ मौजूद हैं।

रेल परिवहन की समस्याएँ

आज राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में परिवहन के अन्य सभी साधनों की अपेक्षा रेल परिवहन प्रमुख हो गया है। हालांकि, रेल परिवहन समस्याओं से मुक्त नहीं है। कुछ प्रमुख समस्याएँ इस प्रकार हैं:

  • बिना टिकट यात्रा: बहुत से यात्री बिना टिकट यात्रा करते हैं, जिससे रेलवे को राजस्व का भारी नुकसान होता है।
  • रेल संपत्ति की हानि और चोरी: रेल संपत्ति को नुकसान पहुँचाना और उसकी चोरी करना भी एक बड़ी समस्या है जो पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है।
  • अनावश्यक चेन पुलिंग: कुछ यात्री अनावश्यक रूप से अलार्म चेन खींचकर गाड़ी रोकते हैं, जिससे रेलवे को भारी हानि उठानी पड़ती है और ट्रेनों की समय-सारणी प्रभावित होती है।

भारतीय रेल मार्ग की लंबाई और गेज

भारतीय रेल 67,956 किलोमीटर लंबे मार्ग को अनेक गेज पर तय करती है:

गेजरूट (किमी.)
बड़ी लाइन (1.676 मी)63,950
मीटर लाइन (1.000 मी)2,402
छोटी लाइन (0.762 & 0.610 मी)1,604
कुल67,956

पाइपलाइन परिवहन: एक आधुनिक विकल्प

भारत के परिवहन मानचित्र पर पाइपलाइन एक अपेक्षाकृत नया साधन है, लेकिन इसका महत्व तेजी से बढ़ा है। पहले इसका उपयोग मुख्य रूप से शहरों और उद्योगों तक पानी पहुँचाने के लिए होता था। आज, इसका दायरा कहीं अधिक व्यापक हो गया है।

पाइपलाइनों का प्रयोग अब कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद और प्राकृतिक गैस को गैस शोधनशालाओं, उर्वरक कारखानों और बड़े ताप विद्युत गृहों तक पहुँचाने में किया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि ठोस पदार्थों को भी तरल अवस्था (slurry) में परिवर्तित कर पाइपलाइनों द्वारा ले जाया जा सकता है।

दूरदराज के आंतरिक भागों में स्थित शोधनशालाएँ जैसे बरौनी, मथुरा, पानीपत, और गैस-आधारित उर्वरक कारखाने पाइपलाइनों के इस विस्तृत जाल के कारण ही स्थापित हो पाए हैं।

पाइपलाइन परिवहन के फायदे

पाइपलाइन बिछाने की प्रारंभिक लागत भले ही अधिक हो, लेकिन एक बार स्थापित हो जाने के बाद इसे चलाने की (running) लागत बहुत कम होती है। इसके अतिरिक्त, इसमें सामान के वाहनांतरण में देरी और हानियाँ लगभग न के बराबर होती हैं, जो इसे एक बहुत ही कुशल और विश्वसनीय परिवहन का साधन बनाती हैं।

भारत में प्रमुख पाइपलाइन नेटवर्क

देश में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख नेटवर्क हैं:

  1. असम से कानपुर तक: यह ऊपरी असम के तेल क्षेत्रों से शुरू होकर गुवाहाटी, बरौनी और इलाहाबाद के रास्ते उत्तर प्रदेश के कानपुर तक जाता है। इसकी कुछ शाखाएँ भी हैं:
    • एक शाखा बरौनी से राजबंध होकर हल्दिया तक जाती है।
    • दूसरी राजबंध से मौरी ग्राम तक।
    • एक और शाखा गुवाहाटी से सिलीगुड़ी तक है।
  2. गुजरात से जालंधर तक: यह गुजरात में सलाया से शुरू होकर वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली और सोनीपत के रास्ते पंजाब में जालंधर तक पहुँचती है। इसकी एक अन्य शाखा वडोदरा के निकट कोयली को चक्शु और अन्य स्थानों से जोड़ती है।
  3. हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर (HVJ) गैस पाइपलाइन: पहली 1,700 किलोमीटर लंबी HVJ क्रॉस कंट्री गैस पाइपलाइन, मुंबई हाई और बसीन गैस क्षेत्रों को पश्चिमी और उत्तरी भारत के विभिन्न उर्वरक, बिजली और औद्योगिक परिसरों से जोड़ती है। कुल मिलाकर, भारत की गैस पाइपलाइन के बुनियादी ढाँचे का विस्तार अब 1,700 किलोमीटर से बढ़कर 18,500 किलोमीटर तक हो गया है।

जल परिवहन

भारत के लोग प्राचीन काल से ही समुद्री यात्राएँ करते रहे हैं, और इसके नाविकों ने दूर-दराज के क्षेत्रों में भारतीय संस्कृति व व्यापार का प्रसार किया है। जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। यह भारी और स्थूलकाय (बड़ी) वस्तुओं को ढोने के लिए सबसे उपयुक्त है। साथ ही, यह परिवहन साधनों में ऊर्जा-सक्षम और पर्यावरण के अनुकूल भी है।

भारत में अंतःस्थलीय नौसंचालन (देश के अंदरूनी हिस्सों में जलमार्गों पर नौकायन) का जलमार्ग 14,500 किलोमीटर लंबा है। इसमें से केवल 5,685 किलोमीटर मार्ग ही मशीनीकृत नौकाओं द्वारा उपयोग किया जाता है।

भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग

भारत सरकार द्वारा कुछ जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:

  • राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1: हल्दिया और इलाहाबाद के मध्य गंगा जलमार्ग, जो 1620 किलोमीटर लंबा है।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-2: सदिया और धुबरी के मध्य 891 किलोमीटर लंबा ब्रह्मपुत्र नदी जलमार्ग।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-3: केरल में पश्चिम-तटीय नहर (कोट्टापुरम से कोल्लम, उद्योगमंडल तथा चंपककारा नहरें) – 205 किलोमीटर।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग-4: काकीनाडा और पुदुच्चेरी नहर स्ट्रेच के साथ-साथ गोदावरी और कृष्णा नदी का विशेष विस्तार (1078 किलोमीटर)।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग-5: मातई नदी, महानदी के डेल्टा चैनल, ब्राह्मणी नदी और पूर्वी तटीय नहर के साथ-साथ ब्राह्मणी नदी का विशेष विस्तार (588 किलोमीटर)।

इनके अतिरिक्त, कुछ अन्य अंतर-जलमार्ग भी हैं जिन पर परिवहन होता है। इनमें माण्डवी, जुआरी और कम्बरजुआ नदियाँ, सुंदरवन क्षेत्र, बराक नदी, और केरल के पश्चजल (बैकवाटर्स) शामिल हैं।

प्रमुख समुद्री पत्तन (बंदरगाह)

विदेशी व्यापार भारतीय तट पर स्थित पत्तनों द्वारा किया जाता है। देश का 95 प्रतिशत व्यापार (मुद्रा मूल्य के संदर्भ में 68 प्रतिशत) समुद्रों द्वारा ही होता है।

भारत की 7,516.6 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा के साथ 12 प्रमुख पत्तन और लगभग 200 मध्यम व छोटे पत्तन हैं। ये प्रमुख पत्तन देश के 95 प्रतिशत विदेशी व्यापार का संचालन करते हैं।

प्रमुख समुद्री पत्तनों का विवरण

  • कांडला (दीनदयाल पत्तन): स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कच्छ में कांडला को पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य देश विभाजन से पाकिस्तान में चले गए कराची पत्तन की कमी को पूरा करना और मुंबई पत्तन पर व्यापारिक दबाव को कम करना था। कांडला एक ज्वारीय पत्तन है, जो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के औद्योगिक तथा खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संभालता है।
  • मुंबई पत्तन: यह भारत का सबसे बड़ा पत्तन है, जिसमें प्राकृतिक रूप से खुले, विस्तृत और सुचारु पोताश्रय (हार्बर) हैं। मुंबई पत्तन पर बढ़ते परिवहन दबाव को कम करने के लिए इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया, जो इस पूरे क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा प्रदान करता है।
  • मारमागाओ पत्तन: यह लौह-अयस्क के निर्यात के संदर्भ में देश का एक महत्वपूर्ण पत्तन है। यहाँ से देश के कुल लौह-अयस्क निर्यात का आधा (50 प्रतिशत) हिस्सा निर्यात किया जाता है।
  • न्यू-मैंगलोर पत्तन: कर्नाटक में स्थित यह पत्तन कुद्रेमुख खानों से निकले लौह-अयस्क का निर्यात करता है।
  • कोची पत्तन: सुदूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित कोची पत्तन एक लैगून के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पोताश्रय है।
  • तूतीकोरन पत्तन: पूर्वी तट के साथ तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित तूतीकोरन पत्तन एक प्राकृतिक पोताश्रय है जिसकी पृष्ठभूमि अत्यंत समृद्ध है। यह पत्तन श्रीलंका, मालदीव जैसे पड़ोसी देशों और भारत के तटीय क्षेत्रों की विभिन्न वस्तुओं के व्यापार को संचालित करता है।
  • चेन्नई पत्तन: यह हमारे देश का सबसे प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है। व्यापार की मात्रा तथा लदे सामान के संदर्भ में इसका मुंबई के बाद दूसरा स्थान है।
  • विशाखापत्तनम पत्तन: यह स्थल से घिरा, गहरा और सुरक्षित पत्तन है। प्रारंभ में इसे मुख्य रूप से लौह-अयस्क निर्यातक पत्तन के रूप में विकसित किया गया था।
  • पारादीप पत्तन: ओडिशा में स्थित पारादीप पत्तन विशेषतः लौह-अयस्क का निर्यात करता है।
  • कोलकाता पत्तन: यह एक अंतःस्थलीय नदीय (Riverine) पत्तन है। यह पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के विशाल और समृद्ध पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है। एक ज्वारीय (Tidal) पत्तन होने के कारण और हुगली नदी में तलछट जमाव के कारण इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है। कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार को कम करने के लिए हल्दिया पत्तन को इसके सहायक पत्तन के रूप में विकसित किया गया है।

वायु परिवहन

  • आज वायु परिवहन सबसे तेज़, आरामदायक और प्रतिष्ठित यातायात का साधन है। यह हमें ऊँचे पर्वतों, मरुस्थलों, घने जंगलों और लंबे समुद्री रास्तों जैसे अत्यंत दुर्गम स्थानों को भी आसानी से पार करने में मदद करता है।
  • कल्पना कीजिए उत्तरी-पूर्वी राज्यों को वायु परिवहन के बिना, जहाँ बड़ी नदियाँ, ऊबड़-खाबड़ ज़मीन, घने जंगल और लगातार आने वाली बाढ़ एक आम बात है। हवाई यात्रा ने इन क्षेत्रों तक पहुँच को बहुत आसान बना दिया है।

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·         पवन हंस हेलीकाप्टर लिमिटेड

  • पवन हंस हेलीकाप्टर लिमिटेड तेल और प्राकृतिक गैस आयोग (ONGC) को उसकी अपतटीय (offshore) गतिविधियों में सहायता प्रदान करता है। साथ ही, यह उत्तरी-पूर्वी राज्यों, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अंदरूनी हिस्सों जैसे दुर्गम और दुर्लभ भू-भागों में भी हेलीकाप्टर सेवाएँ उपलब्ध कराता है।

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·         क्या आप जानते हैं?

  • उड़ान (UDAN – ‘उड़े देश का आम नागरिक’) एक अनूठी योजना है जिसे क्षेत्रीय विमानन बाज़ार को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नागर विमानन मंत्रालय ने इस क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (RCS) – उड़ान की कल्पना की थी ताकि आम नागरिकों के लिए हवाई यात्रा को किफ़ायती बनाकर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सके। इस योजना का मुख्य विचार सक्षम नीतियों और प्रोत्साहनों के माध्यम से एयरलाइनों को क्षेत्रीय और दूरस्थ मार्गों पर उड़ानें संचालित करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

संचार सेवाएँ

जब से मानव ने पृथ्वी पर कदम रखा है, उसने अलग-अलग संचार माध्यमों का इस्तेमाल किया है। लेकिन आज के आधुनिक युग में बदलाव की गति बहुत तेज़ है। अब संदेश भेजने वाला या प्राप्त करने वाला एक जगह स्थिर रहकर भी लंबी दूरी तक आसानी से संवाद कर सकता है।

भारत में निजी दूरसंचार के साथ-साथ जनसंचार के मुख्य साधन दूरदर्शन, रेडियो, समाचार-पत्र समूह, प्रेस और सिनेमा हैं।

डाक-संचार तंत्र

भारत का डाक-संचार तंत्र दुनिया में सबसे बड़ा है। यह पार्सल, निजी पत्र व्यवहार और तार जैसी सेवाओं का संचालन करता है।

  • पहली श्रेणी की डाक: इसमें कार्ड और लिफाफा बंद चिट्ठियाँ शामिल होती हैं। इन्हें विभिन्न स्थानों पर वायुयान द्वारा पहुँचाया जाता है।
  • द्वितीय श्रेणी की डाक: इसमें रजिस्टर्ड पैकेट, किताबें, अखबार और मैगजीन शामिल हैं। इन्हें धरातलीय डाक द्वारा पहुँचाया जाता है, जिसके लिए स्थल और जल परिवहन का उपयोग होता है।

बड़े शहरों और नगरों में डाक-संचार में तेज़ी लाने के लिए हाल ही में छह डाक मार्ग बनाए गए हैं। इन्हें राजधानी मार्ग, मेट्रो चैनल, ग्रीन चैनल, व्यापार (Business) चैनल, भारी चैनल और दस्तावेज़ चैनल के नाम से जाना जाता है।

दूरसंचार-तंत्र

दूरसंचार-तंत्र में भारत एशिया महाद्वीप में अग्रणी है। शहरी क्षेत्रों के अलावा, भारत के दो-तिहाई से अधिक गाँव एसटीडी (STD) दूरभाष सेवा से जुड़े हुए हैं। सूचनाओं के प्रसार को जमीनी स्तर से उच्च स्तर तक बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार ने देश के हर गाँव में चौबीस घंटे एसटीडी सुविधा के विशेष इंतज़ाम किए हैं। पूरे देश में एसटीडी की दरों को भी नियमित किया गया है। यह सब सूचना, संचार और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के एकीकृत विकास से ही संभव हो पाया है।

जन-संचार

जन-संचार मानव को मनोरंजन के साथ-साथ कई राष्ट्रीय कार्यक्रमों और नीतियों के बारे में जागरूक करता है। इसमें रेडियो, दूरदर्शन, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, किताबें और चलचित्र शामिल हैं।

  • आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो): यह राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं में देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग वर्गों के व्यक्तियों के लिए विविध कार्यक्रम प्रसारित करता है।
  • दूरदर्शन: यह देश का राष्ट्रीय समाचार और संदेश माध्यम है, और दुनिया के सबसे बड़े संचार-तंत्रों में से एक है। यह विभिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए मनोरंजक, ज्ञानवर्धक और खेल-जगत संबंधी कार्यक्रम प्रसारित करता है।

भारत में साल भर कई समाचार-पत्र और सामयिक पत्रिकाएँ प्रकाशित की जाती हैं। ये पत्रिकाएँ अपनी सामयिकता के अनुसार कई प्रकार की होती हैं (जैसे मासिक, साप्ताहिक आदि)। समाचार-पत्र लगभग 100 भाषाओं और बोलियों में प्रकाशित होते हैं। क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में सबसे ज़्यादा समाचार-पत्र हिंदी भाषा में प्रकाशित होते हैं, जिसके बाद अंग्रेजी और उर्दू के समाचार पत्र आते हैं?

भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा चलचित्रों (फिल्में) का भी उत्पादक है। यह कम अवधि वाली फिल्में, वीडियो फीचर फिल्म और छोटी वीडियो फिल्में बनाता है। भारतीय और विदेशी सभी फिल्मों को प्रमाणित करने का अधिकार केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (Central Board of Film Certification) को है।

डिजिटल भारत

डिजिटल भारत एक विशाल कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य भारत को ज्ञान-आधारित परिवर्तन के लिए तैयार करना है। डिजिटल भारत कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य IT (भारतीय प्रतिभा) + IT (सूचना प्रौद्योगिकी) > IT (कल का भारत) में होने वाले परिवर्तन को समझना और प्रौद्योगिकी को केंद्र में रखकर बदलाव लाना है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से तात्पर्य देशों के बीच वस्तुओं के आदान-प्रदान से है। यह व्यापार समुद्री, हवाई या स्थलीय मार्गों से किया जा सकता है। जबकि स्थानीय व्यापार शहरों, कस्बों और गाँवों के भीतर होता है, और राज्यस्तरीय व्यापार दो या अधिक राज्यों के बीच होता है। किसी देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रगति उसके आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण संकेतक है, इसलिए इसे राष्ट्र का आर्थिक बैरोमीटर भी कहा जाता है।

सभी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर करते हैं क्योंकि संसाधनों की उपलब्धता स्थानीय होती है, यानी उनका वितरण असमान है। आयात (अन्य देशों से वस्तुएँ खरीदना) और निर्यात (अन्य देशों को वस्तुएँ बेचना) व्यापार के मुख्य घटक हैं।

व्यापार संतुलन

आयात और निर्यात के बीच का अंतर ही किसी देश के व्यापार संतुलन को निर्धारित करता है।

  • यदि निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो, तो इसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।
  • इसके विपरीत, यदि निर्यात की अपेक्षा आयात अधिक हो, तो इसे असंतुलित व्यापार कहा जाता है।

पर्यटन: एक व्यापार के रूप में

पिछले तीन दशकों में भारत में पर्यटन उद्योग में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। वर्तमान में, 150 लाख से अधिक व्यक्ति सीधे तौर पर पर्यटन उद्योग से जुड़े हुए हैं। पर्यटन न केवल राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह स्थानीय हस्तकला और सांस्कृतिक उद्यमों को भी संरक्षण प्रदान करता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, पर्यटन हमें विभिन्न संस्कृतियों और विरासत को समझने में मदद करता है।

विदेशी पर्यटक भारत में विभिन्न प्रकार के पर्यटन के लिए आते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • विरासत पर्यटन
  • पारि-पर्यटन (इको-टूरिज्म)
  • रोमांचकारी पर्यटन
  • सांस्कृतिक पर्यटन
  • चिकित्सा पर्यटन
  • व्यापारिक पर्यटन

भारत के विभिन्न भागों में पर्यटन की अपार संभावनाएँ हैं, और पर्यटन उद्योग के विकास के लिए विभिन्न प्रकार के पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

MP Board Class 10th Rashtriy Arthvyavastha Ki Jivan Rekhayen One Liner :

  1. जो व्यक्ति उत्पाद को परिवहन द्वारा उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं, वे व्यापारी कहलाते हैं।
  2. परिवहन के तीन साधन होते हैं – स्थल, जल और वायु।
  3. भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक सड़क जाल वाला देश है।
  4. भारत में सड़क जाल लगभग 62.16 लाख किमी तक फैला है।
  5. सड़क परिवहन अन्य परिवहन साधनों को जोड़ने का कार्य करता है।
  6. उत्तर-दक्षिण गलियारा श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ता है।
  7. पूर्व-पश्चिम गलियारा सिलचर (असम) को पोरबंदर (गुजरात) से जोड़ता है।
  8. स्वर्णिम चतुर्भुज महामार्ग का उद्देश्य भारत के मेगासिटी के मध्य की दूरी को कम करना है।
  9. स्वर्णिम चतुर्भुज महामार्ग भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आता है।
  10. NHAI का पूर्ण रूप है – भारत का राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण
  11. राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं।
  12. CPWD का पूर्ण रूप है – केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग
  13. भारत में सड़कों का रखरखाव व निर्माण केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है।
  14. प्रसिद्ध शेरशाह सूरी मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के नाम से जाना जाता है।
  15. ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग दिल्ली व अमृतसर को आपस में जोड़ता है।
  16. राज्य राजमार्गों का निर्माण व रखरखाव का दायित्व राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग का होता है।
  17. ·  PWD का पूर्ण रूप सार्वजनिक निर्माण विभाग होता है।
  18. ·  जिलामार्गों की व्यवस्था का उत्तरदायित्व जिला परिषद् का होता है।
  19. ·  भारत देश के प्रत्येक गांव को प्रमुख शहरों से सड़कों द्वारा जोड़ने का कार्य प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना के तहत किया जाता है।
  20. ·  भारत सरकार के प्राधिकरण के अधीन सीमा सड़क संगठन (BRO) को 1960 में बनाया गया।
  21. ·  सीमा सड़क संगठन देश की सीमांत क्षेत्रों की सड़कों का निर्माण व रखरखाव करती है।
  22. ·  भारत के उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों की सामरिक महत्व की सड़कों का उत्तरदायित्व सीमा सड़क संगठन का है।
  23. ·  विश्व की सबसे लम्बी राजमार्ग सुरंग भारत में स्थित है, जिसकी लंबाई 9.02 किमी है।
  24. ·  विश्व की सबसे लम्बी राजमार्ग सुरंग अटल टनल है।
  25. ·  अटल टनल भारत सरकार की सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाई गई है।
  26. ·  अटल टनल पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ती है।
  27. ·  अटल टनल हिमालय की पीरपंजाल पर्वतमाला में स्थित है।
  28. ·  अटल टनल समुद्र तल से 8000 फीट की ऊँचाई पर बनी है।
  29. ·  भारत देश की पहली रेलगाड़ी 1853 में चलाई गई
  30. ·  यह रेलगाड़ी मुम्बई और थाणे के मध्य चलाई गई थी।
  31. ·  भारत की पहली रेलगाड़ी ने 34 किमी की दूरी तय की थी।
  32. ·  भारतीय रेल परिवहन को 16 रेल प्रखंडों में बाँटा गया है।
  33. ·  भारत देश में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख जाल हैं।
  34. ·  भारत देश की पहली गैस पाइपलाइन हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर (HVJ) 1700 किमी लम्बी है।
  35. ·  भारत की समुद्री तट रेखा 7,516.6 किमी लम्बी है।
  36. ·  स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कच्छ में कांडला को पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया।
  37. ·  भारत का 95 प्रतिशत विदेशी व्यापार प्रमुख समुद्री पत्तनों से होता है।
  38. ·  भारत का प्रमुख पहला पत्तन कांडला है।
  39. ·  भारत के कांडला पत्तन को दीनदयाल पत्तन के नाम से भी जाना जाता है।
  40. ·  भारत का कांडला पत्तन एक ज्वारीय पत्तन है।
  41. ·  भारत में मुम्बई वृहत्तम पत्तन है।
  42. ·  मुम्बई पत्तन के अधिक परिवहन को कम करने के लिए जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया है।
  43. ·  भारत के कुल निर्यात का 50 प्रतिशत लौह-अयस्क का निर्यात मारमागाओ पत्तन के द्वारा किया जाता है।
  44. ·  न्यू-मैंगलोर पत्तन कुद्रेमुख (कर्नाटक) में स्थित है।
  45. ·  भारत का कोची पत्तन सुदूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
  46. ·  कोची पत्तन एक प्राकृतिक पोताश्रय है।
  47. ·  चेन्नई हमारे देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है।
  48. ·  विशाखापट्टनम पत्तन स्थल से घिरा, गहरा व सुरक्षित पत्तन है।
  49. ·  भारत का पारादीप पत्तन ओडिशा राज्य में स्थित है।
  50. ·  कोलकाता एक अन्त:स्थलीय नदीय पत्तन है।
  51. ·  कोलकाता एक ज्वारीय पत्तन होने के कारण इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है।
  52. ·  सन् 1953 में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया गया।
  53. ·  एयर इंडिया घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवाएँ प्रदान करती है।
  54. ·  पवन हंस दूरगामी क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है।
  55. ·  दूरदर्शन, रेडियो, समाचार-पत्र आदि देश के प्रमुख संचार साधन हैं।
  56. ·  विश्व का वृहत्तम डाक-संचार भारत में है।
  57. ·  डिजिटल भारत, सूचना प्रौद्योगिकी को समझने का एक विशाल कार्यक्रम है।
  58. ·  दूर संचार-तंत्र में भारत एशिया महाद्वीप में अग्रणी है।
  59. ·  भारत में समाचार-पत्र लगभग 100 भाषाओं में प्रकाशित होते हैं।
  60. ·  भारत विश्व में सर्वाधिक चलचित्रों का उत्पादक भी है।
  61. ·  बाज़ार एक ऐसी जगह है जहाँ वस्तुओं का विनिमय होता है।
  62. ·  दो देशों के मध्य व्यापार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है।
  63. ·  अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रगति किसी राष्ट्र की आर्थिक बैरोमीटर कहलाती है।
  64. ·  कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार के दबाव को कम करने के लिए हल्दिया पत्तन विकसित किया गया है।
  65. ·  हल्दिया तथा इलाहाबाद के मध्य गंगा जलमार्ग 1620 किमी लम्बा है।
  66. ·  नौगम्य जलमार्ग संख्या-1 हल्दिया को इलाहाबाद से जोड़ती है।
  67. ·  भारतीय व विदेशी सभी फिल्मों को प्रमाणित करने का अधिकार केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को है।

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