MP Board Class 10th Bharat Me Rashtravaad Question Answer
MP Board Class 10th Bharat Me Rashtravaad One Liner
महात्मा गांधी जनवरी 1915 में भारत लौटे। इससे पहले वे दक्षिण अफ्रीका में थे।
सत्याग्रह का अर्थ है – सत्य को स्वीकार कराने के लिए आग्रह करना।
भारत आने के बाद गांधी जी ने सत्याग्रह आन्दोलन चलाया, जिसके अंतर्गत 1917 में बिहार के चम्पारण में दमनकारी नील की खेती के खिलाफ सत्याग्रह किया गया।
गांधी जी द्वारा चलाए गए प्रमुख सत्याग्रह आंदोलन
वर्ष
स्थान
कारण
1917
चम्पारण (बिहार)
नील की खेती में किसानों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में
1918
खेड़ा (गुजरात)
किसानों की फसल खराब होने पर कर माफ करवाने हेतु
1918
अहमदाबाद
सूती कपड़ा मिल के मजदूरों के वेतन बढ़ाने हेतु
रौलट एक्ट 1919 में पारित हुआ, जिसके अंतर्गत राजनीतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए दो वर्ष तक जेल में बंद रखा जा सकता था।
6 अप्रैल 1919 को महात्मा गांधी के नेतृत्व में अखिल भारतीय हड़ताल आयोजित की गई। इसमें रैली, जुलूस, रेलवे वर्कशॉप में हड़ताल और दुकानों का बंद होना शामिल था।
जलियावाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियावाला बाग में हुआ।
गांधी जी ने इस कांड के विरोध में ‘केसर-ए-हिन्द‘ की उपाधि त्याग दी थी।
खिलाफत आंदोलन 1919 में शौकत अली और मुहम्मद अली द्वारा शुरू किया गया।
महात्मा गांधी ने ‘हिन्द स्वराज‘ नामक पुस्तक 1909 में लिखी थी।
असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव 1920 में कलकत्ता अधिवेशन में पारित हुआ था।
1922 में चौरी-चौरा घटना से दुखी होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था।
विरोध के एक स्वरूप को पिकेटिंग कहा जाता है, जिसमें लोग किसी दुकान, फैक्ट्री या दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।
औपनिवेशिक शासन के दौरान बहुत से लोगों को काम के लिए फीजी, गुयाना, वेस्टइंडीज आदि जगहों पर ले जाया गया, जिन्हें बाद में गिरमिटिया कहा गया।
जिस अनुबंध के अंतर्गत इन मजदूरों को ले जाया गया, उसे गिरमिट कहा जाता था।
बिना किसी पारिश्रमिक के काम करवाना बेगार कहलाता है।
आंध्र प्रदेश में बेगारी प्रथा के विरोध का नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया था, जिन्हें 1924 में फाँसी दे दी गई थी।1928 में वल्लभभाई पटेल ने गुजरात के बारडोली तालुका में किसान आंदोलन का नेतृत्व किया, जो कि भू-राजस्व में वृद्धि के विरोध में था। यह आंदोलन बारडोली सत्याग्रह के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू ने कांग्रेस के भीतर रहते हुए परिषद् राजनीति में भाग लेने के लिए स्वराज पार्टी का गठन किया।
भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यप्रणाली के अध्ययन हेतु 1927 में साइमन कमीशन का गठन ब्रिटेन में किया गया।
1928 में साइमन कमीशन भारत पहुँचा, जिसका पूरे देश में विरोध हुआ और “साइमन वापस जाओ” का नारा लगाया गया।
दिसम्बर 1929 को जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग को औपचारिक रूप से स्वीकृत किया गया।
12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने अपने 78 अनुयायियों के साथ नमक सत्याग्रह या दांडी यात्रा प्रारंभ की।
गांधी जी ने 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी गाँव में पहुँचकर नमक कानून तोड़ा।
गांधी जी ने पुनः आंदोलन वापस लिया और 15 मार्च 1931 को इरविन समझौता किया।
1929 में हुई विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत पर भी पड़ा।
वायसराय लार्ड इरविन ने अक्टूबर 1929 में भारत को डोमिनियन स्टेटस देने की घोषणा की।
26 जनवरी 1930 को गांधी जी ने वायसराय को पत्र लिखकर 11 सूत्रीय माँगें प्रस्तुत कीं।
1928 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में हुई बैठक में हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) की स्थापना हुई, जिसमें भगत सिंह, जतिन दास और अजय घोष शामिल थे।
1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेंका।
इसी वर्ष उस ट्रेन को उड़ाने का प्रयास किया गया जिसमें लार्ड इरविन यात्रा कर रहे थे।
भगत सिंह को जब फाँसी दी गई, तब उनकी उम्र मात्र 23 वर्ष थी। उन्होंने अपने मुकदमे के दौरान कहा था —
“हम बम और पिस्तौल की पूजा नहीं करते, हम समाज में क्रांति लाना चाहते हैं।”
भगत सिंह ने “इंकलाब जिंदाबाद” का नारा दिया।
सिविल नाफरमानी आंदोलन में महिलाओं ने बड़े पैमाने पर भाग लिया।
महात्मा गांधी ने कहा था —
“जब तक अस्पृश्यता (छुआछूत) समाप्त नहीं की जाती, तब तक स्वराज प्राप्त नहीं किया जा सकता, चाहे सौ साल लग
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 1930 में दलितों को संगठित कर दमित वर्ग एसोसिएशन की स्थापना की।
1930 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष सर मोहम्मद इक़बाल ने मुसलमानों के अल्पसंख्यक राजनीतिक हितों की रक्षा हेतु पृथक निर्वाचिका की मांग की।
भारत माता की छवि — 20वीं सदी में राष्ट्रवाद के विकास के साथ भारत की पहचान “भारत माता” की छवि से जोड़ दी गई। ➤ इस छवि की शुरुआत बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने की। ➤ उन्होंने 1870 के दशक में मातृभूमि की स्तुति में “वन्दे मातरम्” गीत लिखा। ➤ यह गीत उनके उपन्यास “आनन्दमठ” में भी सम्मिलित है।
स्वदेशी आंदोलन की प्रेरणा से प्रसिद्ध चित्रकार अबनीन्द्रनाथ ठाकुर ने भारत माता की एक प्रसिद्ध पेंटिंग बनाई। इसमें भारत माता को एक सन्यासिनी के रूप में दर्शाया गया, जिनके हाथ में पुस्तक, चावल, माला और कपड़ा है।
नटेसा शास्त्री ने “द फोकलोर्स ऑफ सदर्न इंडिया” नामक पुस्तक के माध्यम से तमिल लोककथाओं का चार खंडों में संग्रह प्रकाशित किया।
बंगाल में स्वदेशी आंदोलन के दौरान एक तिरंगा झण्डा (हरा, पीला, लाल) तैयार किया गया था।
1921 में गांधी जी ने स्वराज का झंडा तैयार किया। यह भी तिरंगा (सफेद, हरा, लाल) था, जिसमें बीच में चरखा बनाया गया था। यह स्वावलंबन और गांधीवादी विचारधारा का प्रतीक था।
🔹भारत छोड़ो आन्दोलन
कृप्स मिशन की असफलता और द्वितीय विश्व युद्ध के प्रभावों से उत्पन्न असंतोष ने गांधी जी को “भारत छोड़ो आंदोलन” शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
अगस्त 1942 में गांधी जी ने “भारत छोड़ो” आंदोलन की शुरुआत की और प्रसिद्ध नारा दिया —
“करो या मरो”
इस आंदोलन में प्रमुख नेताओं एवं महिलाओं ने सक्रिय भागीदारी की:
जयप्रकाश नारायण, अरुणा आसफ अली, राम मनोहर लोहिया
मातंगिनी हाजरा (बंगाल)
कनकलता बरुआ (असम)
रमा देवी (उड़ीसा)
🔹भारत में राष्ट्रवाद – एक नज़र में (महत्वपूर्ण वर्ष और घटनाएँ)
वर्ष
प्रमुख घटना
1857
भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
1870
बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा “वन्दे मातरम्” गीत की रचना
1885
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (मुम्बई में)
1905
बंगाल विभाजन (लॉर्ड कर्जन द्वारा)
1905
अबनीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा भारत माता का चित्र निर्माण
1915
महात्मा गांधी का दक्षिण अफ्रीका से भारत आगमन
1919
रौलट एक्ट पारित, जलियांवाला बाग हत्याकांड
1920
असहयोग आंदोलन की शुरुआत
1928
बारडोली सत्याग्रह (वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में)
1930
दांडी मार्च और नमक सत्याग्रह
1931
गांधी-इरविन समझौता
1942
भारत छोड़ो आंदोलन एवं “करो या मरो” का नारा
इस प्रकार, राष्ट्रवाद की भावना ने भारत को एक संगठित आंदोलन की ओर अग्रसर किया, जिससे अंततः 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
वर्ष / तिथि
महत्वपूर्ण घटना
1906
आगा खाँ व नवाब सलीमुल्ला द्वारा मुस्लिम लीग की स्थापना
1907
कांग्रेस का विभाजन — नरम दल और गरम दल (सूरत अधिवेशन)
1911
दिल्ली दरबार का आयोजन
1914
प्रथम विश्व युद्ध का प्रारम्भ
1915
महात्मा गांधी की स्वदेश वापसी
1917
गांधी जी द्वारा चम्पारण सत्याग्रह (नील की खेती के विरुद्ध)
1918
गांधी जी द्वारा अहमदाबाद में सूती मिल मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह
1918
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति
1919
रौलट एक्ट लागू हुआ
13 अप्रैल 1919
जलियांवाला बाग हत्याकांड (वैशाख पूर्णिमा को अमृतसर में)
1919
खिलाफत आन्दोलन की शुरुआत
1920
भारतीय औद्योगिक एवं व्यावसायिक कांग्रेस (Indian Industrial Congress) की स्थापना
1920
असहयोग आन्दोलन की शुरुआत
फरवरी 1922
चौरी-चौरा कांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस लिया
मई 1924
अल्लूरी सीताराम राजू की गिरफ्तारी, दो वर्ष पुराना आदिवासी संघर्ष समाप्त
9 अगस्त 1925
काकोरी कांड — क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी खजाना ले जा रही ट्रेन को लूटा
1927
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ (FICCI) की स्थापना
1928
साइमन कमीशन भारत आया, पूरे देश में विरोध हुआ
दिसम्बर 1929
लाहौर कांग्रेस अधिवेशन, पूर्ण स्वराज की माँग स्वीकार
12 मार्च 1930
गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दाण्डी यात्रा की शुरुआत
6 अप्रैल 1930
गांधी जी ने दाण्डी में नमक कानून तोड़ा, सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ
1930
डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने दमित वर्ग एसोसिएशन की स्थापना की
23 मार्च 1931
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को फाँसी दी गई
1931
गांधी-इरविन समझौता, सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित
1931
गांधी जी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया (परन्तु सफलता नहीं मिली)
1932
गांधी जी और डॉ. अम्बेडकर के बीच पूना पैक्ट
अगस्त 1942
भारत छोड़ो आन्दोलन, गांधी जी ने नारा दिया — “करो या मरो”