MP Board 12th Physics electrostatic potential and capacitance :
स्मरण योग्य बिंदु –
1* विद्युत विभव – एकांक धनावेश को विद्युत क्षेत्र के बाहर से विद्युत क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में जो कार्य करना पड़ता है उसे उस बिंदु का विभव कहते है।
2* विभव एक अदिश राशि है । इसका SI मात्रक वोल्ट है ।
3* विभवान्तर – विद्युत क्षेत्र के अन्दर एकांक धनावेश को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने में किये गये कार्य का मान उन दोनों बिन्दुओं का विभवान्तर कहलाता है।
4* विभवान्तर एक अदिश राशि है। इसका SI मात्रक वोल्ट है।
5* बिंदु आवेश के कारण किसी बिंदु पर विभव –
6* अक्षीय स्थिति में विद्युत द्विध्रुव के कारण विभव
7* निरक्षीय स्थिति में विभव
8* विद्युत धारिता – किसी चालक की विद्युत धारिता आंकिक रूप से आवेश की उस मात्रक के बराबर होती है जो चालक के विभव में एक वोल्ट की वृद्धि कर दे।
9* धारिता का SI मात्रक फैराड है किन्तु फैराड बहुत बड़ा मात्रक होने के कारण किसी चालक की धारिता को मिली फैराड या माइक्रो फैराड में प्रदर्शित करते है।
10* किसी गोलीय चालक की धारिता
11* संधारित्र – संधारित्र एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता चालक के आकार या आयतन में बिना वृद्धि किये बिना उसकी धारिता को बढ़ाया जाता है। संधारित्र तीन प्रकार के होते है –
अ. समान्तर प्लेट संधारित्र
ब. गोलीय संधारित्र
स. बेलनाकार संधारित्र
12* समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता का सूत्र |
13* दिए गए धारिता के संधारित्रों से अधिक या कम धारिता के संधारित्र बनाने के लिए संधारित्रों को निम्न दो प्रकार से संयोजित किया जाता है –
1. श्रेणीक्रम संयोजन
2. समान्तर क्रम संयोजन
14* वान डे ग्राफ जनित्र – यह इस प्रकार की मशीन है जिसकी सहायता से दस लाख वोल्ट तक का उच्च विभवान्तर उत्पन्न किया जा सकता है । इसका उपयोग करके प्रोटोन, इलेक्ट्रॉन आदि कणों को त्वरित करके उनकी ऊर्जा में वृद्धि की जाती है ।
सही विकल्प का चयन कीजिए –
- पृथ्वी का विभव माना जाता है –
(a) शून्य
(b) धनात्मक
(c) ऋणात्मक
(d) उपर्युक्त तीनों - विद्युत धारिता का मात्रक नहीं है –
(a) फैराड
(b) कूलाम / वोल्ट
(c) वोल्ट
(d) कूलाम/ जूल
- एक समान्तर प्लेट संधारित्र को आवेशित करने के बाद उनकी प्लेटों के बीच की दुरी बढ़ा दी जाती है तो प्लेटों के बीच विभवान्तर –
(a) बढ़ जायेगा
(b) घट जायेगा
(c) अपरिवर्तित रहेगा
(d) शून्य हो जायेगा - समान्तर प्लेट संधारित्र में विद्युत क्षेत्र के रूप में ऊर्जा संचित रहती है –
(a) धनात्मक प्लेट में
(b) ऋणात्मक प्लेट में
(c) दोनों प्लेटों के बीच परावैद्युत माध्यम में
(d) इनमें से कोई नहीं । - नगण्य मोटाई की एक एलुमिनियम की प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच रख दी जाती है तो संधारित्र की धारिता –
(a) घटेगी
(b) अपरिवर्तित रहेगी
(c) अनंत हो जाएगी
(d)बढ़ेगी - यदि एक धनावेशित चालक को तार द्वारा पृथ्वी से जोड़ दिया जाता है तो –
(a) चालक से प्रोटोन पृथ्वी में जाते है
(b) चालक से इलेक्ट्रॉन पृथ्वी में जाते है
(c) पृथ्वी से इलेक्ट्रॉन चालक में आते है
(d) पृथ्वी से प्रोटोन चालक में आते है - द्विध्रुव की निरक्षीय स्थिति में –
(a) विद्युत क्षेत्र तथा विभव दोनों शून्य होते है
(b) विद्युत क्षेत्र शून्य होता है लेकिन विभव शून्य नहीं होता
(c) विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं होता विभव शून्य होता है
(d)न विद्युत क्षेत्र शून्य होता है और न विभव शून्य होता है - आवेश 10 कूलाम से किसी चालक के विभव में वृद्धि 2 वोल्ट होती है तो चालक की धारिता –
(a) 5 फैराड
(b) 10 फैराड
(c) 20 फैराड
(d)25 फैराड । - दो संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर प्रत्येक पर समान होगा –
(a) आवेश
(b) विभव
(c) आवेश एवं विभव दोनों
(d) न आवेश न विभव - समविभव पृष्ठ और विद्युत क्षेत्र रेखाओं के बीच कोण होता है –
(a)
(b)
(c)
(d) - दो बिन्दु आवेश
एक दुसरे से
दूरी पर रखे है। इनके ठीक मध्य बिन्दु पर विद्युत विभव होगा:
(a)
(b)
(c)
(d) - 10 कूलाम आवेश देने से किसी चालक के विभव में 2 वोल्ट की वृद्धि होती है, तो चालक की धारिता होगी:
(a)F
(b)F
(c)F
(d)F
- दो संधारित्रों को समान्तर क्रम में जोड़ने पर, प्रत्येक संधारित्र पर समान होगा-
(a) आवेश
(b) आवेश व विभव दोनों
(c) विभव
(d) न विभव न आवेश - समान धारिता के दो संधारित्र पहले समान्तर क्रम में, तथा फिर श्रेणी क्रम में जोड़े जाते हैं। दोनों स्थितियों में परिणामी धारिता का अनुपात होगा-
(a)
(b)
(c)
(d) - आवेश
से 5 मीटर दूर स्थित बिन्दु पर विभव का मान होगा –
(a)V
(b)V
(c)V
(d)V
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये –
- 1 फैरड = 9×1011 स्थैत फैरड।
- जूल = कूलॉम × वोल्ट।
- विद्युत विभव एक अदिश राशि है।
- q आवेश से r दूरी पर स्थित किसी बिंदु पर विद्युत विभव का व्यंजक V=4πϵ01rq है।
- विद्युत धारिता का SI मात्रक फैरड है।
- विद्युत क्षेत्र के अनुदिश विद्युत विभव घटता है।
- किसी संधारित्र पर नेट आवेश शून्य होता है।
- समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी बढ़ाने पर उसकी धारिता कम हो जाती है।
- किसी आवेश को विद्युत क्षेत्र के लंबवत ले जाने में किया गया कार्य शून्य होता है।
एक वाक्य में उत्तर दीजिये –
- प्रश्न: समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी बढ़ाने से उसकी धारिता पर क्या प्रभाव होगा? उत्तर: उसकी धारिता कम हो जाएगी।
- प्रश्न: समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच की वायु के स्थान पर कागज भरने से उसकी धारिता पर क्या प्रभाव होगा? उत्तर: उसकी धारिता बढ़ जाएगी।
- प्रश्न: इलेक्ट्रॉन-वोल्ट किसका मात्रक है? उत्तर: ऊर्जा का मात्रक है।
- प्रश्न: एक विद्युत द्विध्रुव के कारण किन बिन्दुओं पर विद्युत विभव का मान अधिकतम होता है? उत्तर: द्विध्रुव की अक्षीय रेखा पर धनात्मक सिरे के पास।
- प्रश्न: आवेशित खोखले गोले के अन्दर विभव कितना होता है? उत्तर: आवेशित खोखले गोले के अन्दर विभव नियत तथा उसकी सतह के विभव के बराबर होता है।
- प्रश्न: एक विद्युत द्विध्रुव के कारण किन बिन्दुओं पर विद्युत विभव का मान शून्य होता है? उत्तर: द्विध्रुव की निरक्षीय रेखा पर।
- प्रश्न: जब किसी परावैद्युत को किसी बाहरी विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है तो उसके अन्दर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कम हो जाती है क्यों? उत्तर: परावैद्युत के अंदर प्रेरित विद्युत क्षेत्र बाहरी क्षेत्र के विपरीत दिशा में होता है, जिससे कुल तीव्रता कम हो जाती है।
- प्रश्न: दो आवेशित चालकों को जोड़ने पर ऊर्जा का क्षय कब नहीं होता है? उत्तर: जब दोनों चालकों का विभव समान हो।
- प्रश्न: किसी आवेशित चालक के चारो ओर कुचालक माध्यम होने पर उसकी धारिता पर क्या प्रभाव पड़ेगा? उत्तर: उसकी धारिता बढ़ जाएगी।
- प्रश्न: संधारित्रों को श्रेणीक्रम में कब जोड़ा जाता है? उत्तर: जब तुल्य धारिता कम करनी हो या उच्च वोल्टता को सहन करना हो।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)-
- प्रश्न: समविभव पृष्ठ किसे कहते है?उत्तर: ऐसा पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विद्युत विभव का मान समान होता है, समविभव पृष्ठ कहलाता है।
- प्रश्न: समविभव पृष्ठ की विशेषताएँ लिखिए।उत्तर:
- समविभव पृष्ठ के किसी भी बिंदु पर आवेश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में किया गया कार्य शून्य होता है।
- विद्युत क्षेत्र रेखाएँ समविभव पृष्ठ के लंबवत होती हैं।
- दो समविभव पृष्ठ एक दूसरे को कभी नहीं काटते।
- प्रश्न: 2pF, 3pF और 4pF धारिता वाले तीन संधारित्र समान्तर क्रम (पार्श्वक्रम) जोड़े गये हैं, संयोजन की कुल धारिता क्या होगी?उत्तर: समान्तर क्रम में कुल धारिता Ceq=C1+C2+C3 होती है।Ceq=2pF+3pF+4pF=9pF
- प्रश्न: किसी चालक की धारिता को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते है?उत्तर:
- चालक का आकार और आकृति।
- चालक के समीप अन्य चालकों की उपस्थिति।
- चालक के चारों ओर के माध्यम की प्रकृति।
- प्रश्न: पृथ्वी के विभव को शून्य क्यों माना जाता है?उत्तर: पृथ्वी का आकार बहुत बड़ा होता है और यह विशाल मात्रा में आवेश को बिना अपने विभव में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए स्वीकार या प्रदान कर सकती है, इसलिए इसे एक संदर्भ बिंदु के रूप में शून्य विभव पर माना जाता है।
- प्रश्न: दो समविभव पृष्ठ एक दुसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करते ?उत्तर: यदि दो समविभव पृष्ठ एक दूसरे को काटते हैं, तो कटान बिंदु पर विभव के दो मान होंगे, जो संभव नहीं है। साथ ही, विद्युत क्षेत्र रेखाएँ उस बिंदु पर दो दिशाओं में होंगी, जो भौतिक रूप से असंभव है।
- प्रश्न: क्या यह संभव है की किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र शून्य हो किन्तु विभव शून्य नहीं हो ?उत्तर: हाँ, यह संभव है। उदाहरण के लिए, एक आवेशित खोखले गोले के अंदर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है, लेकिन विभव नियत और शून्य नहीं होता (सतह के विभव के बराबर होता है)।
- प्रश्न: किसी खोखले गोलीय चालक के अन्दर विभव नियत क्यों रहता है?उत्तर: खोखले गोलीय चालक के अंदर कोई विद्युत क्षेत्र नहीं होता है, इसलिए आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं होता, जिससे विभव नियत रहता है।
- प्रश्न: किसी चालक की विद्युत धारिता से आप क्या समझते है ? इसका मात्रक लिखिये।उत्तर: किसी चालक की विद्युत धारिता उसकी आवेश को संग्रहित करने की क्षमता का माप है। यह चालक को दिए गए आवेश (Q) और उसके विभव में वृद्धि (V) के अनुपात के बराबर होती है, C=Q/V। इसका SI मात्रक फैरड (Farad) है।
- प्रश्न: संधारित्र की दोनों प्लेटों के बीच परावैद्युत माध्यम रखने पर उसकी धारिता क्यों बढ़ जाती है ?उत्तर: परावैद्युत माध्यम रखने पर माध्यम के ध्रुवीकरण के कारण प्लेटों के बीच प्रभावी विद्युत क्षेत्र कम हो जाता है, जिससे उसी आवेश के लिए विभव घट जाता है। चूंकि C=Q/V, विभव घटने से धारिता बढ़ जाती है।
- प्रश्न: क्या एक खोखले गोले की अपेक्षा समान त्रिज्या वाला ठोस गोले को अधिक आवेश दिया जा सकता है जबकि दोनों का विभव एकसमान है?उत्तर: नहीं। समान त्रिज्या और समान विभव पर, दोनों को समान अधिकतम आवेश दिया जा सकता है क्योंकि आवेश हमेशा बाहरी सतह पर वितरित होता है, चाहे वह ठोस गोला हो या खोखला।
- प्रश्न: क्या एक फैराड धारिता का चालक व्यवहार में संभव है ? अपने उत्तर का कारण दीजिये।उत्तर: व्यवहार में एक फैराड धारिता का चालक संभव नहीं है क्योंकि एक फैराड धारिता प्राप्त करने के लिए चालक का आकार बहुत विशाल होना चाहिए, जो व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। (उदाहरण के लिए, पृथ्वी की धारिता भी लगभग 711 माइक्रोफैरड होती है)।
- प्रश्न: क्या यह संभव है की समान आयतन तथा समान आवेश से आवेशित पास रखे दो चालकों के मध्य विभवान्तर हो ?उत्तर: हाँ, यह संभव है। यदि दोनों चालकों की आकृति या उनके आसपास के माध्यम की प्रकृति भिन्न हो, तो समान आयतन और समान आवेश होने पर भी उनके विभव भिन्न हो सकते हैं, जिससे उनके मध्य विभवान्तर उत्पन्न होगा।
- प्रश्न: एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच की दुरी d है । प्लेटों के बीच d/2 मोटी धातु की प्लेट रख दी जाएँ तो धारिता पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?उत्तर: जब प्लेटों के बीच d/2 मोटी धातु की प्लेट रखी जाती है, तो संधारित्र की धारिता बढ़ जाएगी। धातु की प्लेट के कारण प्रभावी दूरी कम हो जाती है, जिससे धारिता बढ़ जाती है। धातु के लिए परावैद्युतांक अनंत होता है, जिससे यह प्रभावी रूप से दो छोटे संधारित्रों के समान्तर संयोजन की तरह व्यवहार करता है, और कुल धारिता बढ़ जाती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न- (3 अंक)
प्रश्न: किसी विद्युत क्षेत्र में एक परावैद्युत रखने पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता क्यों घट जाती है ?
उत्तर: जब किसी विद्युत क्षेत्र में एक परावैद्युत (कुचालक) पदार्थ रखा जाता है, तो बाहरी विद्युत क्षेत्र के कारण परावैद्युत के अंदर के अणु ध्रुवित हो जाते हैं। इससे परावैद्युत के अंदर एक प्रेरित विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है, जिसकी दिशा बाहरी विद्युत क्षेत्र के विपरीत होती है। इस प्रकार, परावैद्युत के अंदर कुल प्रभावी विद्युत क्षेत्र बाहरी क्षेत्र की तुलना में कम हो जाता है, जिससे तीव्रता घट जाती है।
प्रश्न: विभव किसे कहते है ? किसी चालक के विभव को प्रभावित करने वाले कारकों के नाम लिखिये और बताइए कि ये विभव को किस प्रकार प्रभावित करते है ?
उत्तर:
विभव (Potential): एकांक धनावेश को अनंत से विद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु का विद्युत विभव कहते हैं। यह एक अदिश राशि है।
चालक के विभव को प्रभावित करने वाले कारक:
- आवेश की मात्रा (Magnitude of Charge): चालक पर आवेश की मात्रा बढ़ने पर उसका विभव बढ़ता है। (
)
- चालक का आकार (Size of Conductor): चालक का आकार (त्रिज्या) बढ़ने पर उसका विभव घटता है (यदि आवेश समान हो)। (
)
- चालक के समीप अन्य चालकों की उपस्थिति (Presence of other Conductors nearby): यदि किसी चालक के पास दूसरा आवेशित या अनावेशित चालक रखा जाए, तो पहले चालक का विभव प्रभावित होता है। यदि दूसरा चालक भू-संपर्कित हो, तो विभव कम हो जाता है।
- माध्यम की प्रकृति (Nature of the Medium): चालक के चारों ओर के माध्यम का परावैद्युतांक (K) अधिक होने पर उसका विभव घटता है। (
)
प्रश्न: सिद्ध कीजिये कि विद्युत द्विध्रुव की अनुप्रस्थ स्थिति में किसी बिंदु पर विभव शून्य होता है ?
उत्तर: विद्युत द्विध्रुव की अनुप्रस्थ (निरक्षीय) स्थिति में विभव:
माना एक विद्युत द्विध्रुव है, जो
और
आवेशों से बना है, जिनके बीच की दूरी
है। माना द्विध्रुव के केंद्र
से
दूरी पर निरक्षीय रेखा पर एक बिंदु
है।
- बिंदु
की
आवेश से दूरी
- बिंदु
की
आवेश से दूरी
अतः आवेश के कारण बिंदु
पर विभव (
):
आवेश के कारण बिंदु
पर विभव (
):
- बिंदु
पर कुल विभव (
):
चूंकि, इसलिए
अतः, विद्युत द्विध्रुव की अनुप्रस्थ (निरक्षीय) स्थिति में किसी बिंदु पर विद्युत विभव शून्य होता है।
प्रश्न: समविभव पृष्ठ किसे कहते है ? इसकी चार विशेषताएँ लिखिये ।
उत्तर:
समविभव पृष्ठ: ऐसा काल्पनिक पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विद्युत विभव का मान समान होता है, समविभव पृष्ठ कहलाता है।
विशेषताएँ:
- समविभव पृष्ठ के किन्हीं भी दो बिंदुओं के बीच विभवान्तर शून्य होता है।
- किसी आवेश को समविभव पृष्ठ पर एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता है।
- विद्युत क्षेत्र रेखाएँ समविभव पृष्ठ के सदैव लंबवत होती हैं।
- दो समविभव पृष्ठ एक दूसरे को कभी नहीं काटते।
- प्रबल विद्युत क्षेत्र में समविभव पृष्ठ पास-पास होते हैं, जबकि दुर्बल विद्युत क्षेत्र में दूर-दूर होते हैं।
प्रश्न: किसी गोलीय चालक की धारिता के लिए सूत्र का निगमन करो ?
उत्तर: गोलीय चालक की धारिता का निगमन:
माना त्रिज्या का एक विलगित गोलीय चालक है जिसे
आवेश दिया जाता है। यह आवेश चालक की बाहरी सतह पर समान रूप से फैल जाता है।
चालक की सतह पर किसी बिंदु पर विद्युत विभव () निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है:
जहां

विद्युत धारिता की परिभाषा के अनुसार,


यह एक गोलीय चालक की धारिता का सूत्र है। यह दर्शाता है कि धारिता चालक की त्रिज्या के समानुपाती होती है।
प्रश्न: एक आवेशित समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच की दुरी बढ़ाने से उसकी अ. धारिता ब. विभवान्तर स. विद्युत क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर: जब एक आवेशित समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी () बढ़ाई जाती है (जबकि प्लेटों पर आवेश
नियत रहता है):
- अ. धारिता (C): समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता
होती है। दूरी
बढ़ने पर धारिता घट जाएगी।
- ब. विभवान्तर (V): चूंकि
, तो
। धारिता
घटने पर, प्लेटों के बीच का विभवान्तर
बढ़ जाएगा।
- स. विद्युत क्षेत्र (E): प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र
या
होता है। चूंकि आवेश
और क्षेत्रफल
नियत हैं, इसलिए विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
अपरिवर्तित रहेगी।
प्रश्न: क्या कारण है की किसी आवेशित खोखले चालक के अन्दर प्रत्येक बिंदु पर विभव एकसमान होता है ?
उत्तर: गाउस के नियम के अनुसार, एक आवेशित खोखले चालक के अंदर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है। विद्युत क्षेत्र () और विभव (
) के बीच संबंध
होता है। चूंकि अंदर
, इसका अर्थ है कि
, जिसका मतलब है कि विभव (
) दूरी के साथ परिवर्तित नहीं होता है। अतः, चालक के अंदर प्रत्येक बिंदु पर विभव नियत रहता है और यह उसकी सतह के विभव के बराबर होता है।
प्रश्न: एक गोलीय चालक की धारिता 1 माइक्रो फैराड है ? इसका अर्द्धव्यास ज्ञात कीजिये।
उत्तर: गोलीय चालक की धारिता का सूत्र है।
यहां
हम जानते हैं कि
इसलिए मीटर
किलोमीटर।
प्रश्न: 6400 किलोमीटर त्रिज्या वाली पृथ्वी की विद्युत धारिता माइक्रो फैराड में ज्ञात कीजिये।
उत्तर: पृथ्वी को एक गोलीय चालक मानते हुए, उसकी धारिता का सूत्र है।
पृथ्वी की त्रिज्या km
m
m
अतः पृथ्वी की विद्युत धारिता लगभग 711 माइक्रो फैराड है।
प्रश्न: समान्तर क्रम/श्रेणीक्रम में जुड़े संधारित्रों की तुल्य धारिता के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। संयोजन का चित्र बनाइये।
उत्तर:
अ) श्रेणीक्रम संयोजन (Series Combination):
जब संधारित्रों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि पहले संधारित्र की दूसरी प्लेट दूसरे की पहली से, दूसरे की दूसरी तीसरे की पहली से जुड़ी हो, और इसी प्रकार अन्य संधारित्र जुड़े हों, तो यह श्रेणीक्रम संयोजन कहलाता है।
प्रत्येक संधारित्र पर आवेश समान होता है, लेकिन विभवान्तर भिन्न-भिन्न होता है।
कुल विभवान्तर
यदि तुल्य धारिता


ब) समान्तर क्रम संयोजन (Parallel Combination):
जब सभी संधारित्रों की पहली प्लेट एक उभयनिष्ठ बिंदु से और सभी संधारित्रों की दूसरी प्लेट दूसरे उभयनिष्ठ बिंदु से जुड़ी हो, तो यह समान्तर क्रम संयोजन कहलाता है।
प्रत्येक संधारित्र पर विभवान्तर समान होता है, लेकिन आवेश भिन्न-भिन्न होता है।
कुल आवेश
यदि तुल्य धारिता हो, तो
प्रश्न: प्रत्येक धारिता वाले तीन संधारित्रों को किस प्रकार संयोजित किया जाये की परिणामी धारिता अ.
ब.
हो जाये ? चित्र द्वारा स्पष्ट करें
उत्तर: तीन संधारित्रों में से प्रत्येक की धारिता है।
अ. परिणामी धारिता के लिए:
चूंकि , हम जानते हैं कि समान्तर क्रम में धारिताएँ जुड़ जाती हैं।
यदि तीनों संधारित्रों को समान्तर क्रम में जोड़ा जाए:
अतः, तीनों संधारित्रों को समान्तर क्रम में जोड़ना होगा।
ब. परिणामी धारिता के लिए:
यह संयोजन श्रेणी और समान्तर क्रम का मिश्रण होगा।
यदि हम दो संधारित्रों को श्रेणी क्रम में जोड़ें और फिर इस संयोजन को तीसरे संधारित्र के साथ समान्तर क्रम में जोड़ें:
श्रेणी क्रम में दो संधारित्र:
अब और तीसरे संधारित्र (
) को समान्तर क्रम में जोड़ें:
अतः, दो संधारित्रों को श्रेणी क्रम में जोड़कर, फिर इस संयोजन को तीसरे संधारित्र के साथ समान्तर क्रम में जोड़ना होगा।