किसी बिन्दु आवेश के कारण किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव
1. भूमिका (Introduction)
भौतिकी में जब हम विद्युत बल और विद्युत क्षेत्र की चर्चा करते हैं, तो हमें यह जानना होता है कि किसी आवेश का दूसरे आवेश पर क्या प्रभाव पड़ेगा। विद्युत बल हमेशा उस स्थान पर मौजूद आवेश पर निर्भर करता है। लेकिन विभव (Potential) एक ऐसा गुण है, जो केवल स्थान पर निर्भर करता है, चाहे वहाँ कोई आवेश रखा हो या नहीं।
दूसरे शब्दों में, विद्युत क्षेत्र (Electric Field) यह बताता है कि उस स्थान पर आवेश रखने पर उस पर कितना बल लगेगा, जबकि विद्युत विभव (Electrostatic Potential) यह बताता है कि उस स्थान पर एकक धनावेश को अनन्त से लाने में कितना कार्य करना पड़ेगा।
2. विद्युत विभव की परिभाषा (Definition of Electrostatic Potential)
किसी बिन्दु पर विद्युत विभव (V) वह कार्य है जो एकक धनावेश को अनन्त (∞) से उस बिन्दु तक लाने में बाह्य बल द्वारा किया जाता है।
यदि हम किसी आवेश qqq को अनन्त से दूरी rrr पर लाते हैं, तो उस बिन्दु का विभव होगा:
![Rendered by QuickLaTeX.com \[V = \frac{W}{q_{0}}\]](https://mpeducator.co.in/wp-content/ql-cache/quicklatex.com-9b176024f4d0e900da98661d9ce7eb06_l3.png)
जहाँ,
- W = किया गया कार्य
- q0 = परीक्षण आवेश
3. बिन्दु आवेश और विभव (Point Charge and Potential)
मान लीजिए, एक बिन्दु पर स्थिर आवेश +q रखा है। हमें उस आवेश से दूरी rrr पर किसी बिन्दु P का विभव निकालना है।
इसके लिए हमें यह समझना होगा कि:
- आवेश +q अपने चारों ओर विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है।
- जब हम किसी परीक्षण आवेश को अनन्त से उस बिन्दु तक लाते हैं, तो कार्य किया जाता है।
- यह कार्य ही उस बिन्दु पर विभव कहलाता है।
4. गणितीय व्युत्पत्ति (Mathematical Derivation)
(a) दूरी r पर विद्युत क्षेत्र (Electric Field at distance r)
विद्युत क्षेत्र का परिमाण कूलॉम के नियम से:
![Rendered by QuickLaTeX.com \[E = \frac{1}{4\pi\epsilon_0}\frac{q}{r^2}\]](https://mpeducator.co.in/wp-content/ql-cache/quicklatex.com-209ec9a7a1770417650a111abc5df4ea_l3.png)
जहाँ,
- q = स्रोत आवेश
- r = दूरी
- ϵ0\epsilon_0ϵ0 = मुक्त स्थान का विद्युत नियतांक (Permittivity of free space)
(b) विभव और क्षेत्र का संबंध
विद्युत क्षेत्र और विभव के बीच संबंध है:
![Rendered by QuickLaTeX.com \[dV = -E \, dr\]](https://mpeducator.co.in/wp-content/ql-cache/quicklatex.com-4d9bd6db0def4616dfde335fa23f4698_l3.png)
मतलब, किसी छोटे विस्थापन पर विभव का परिवर्तन, उस स्थान पर विद्युत क्षेत्र और दूरी के गुणनफल के बराबर होता है।
(c) कुल विभव निकालने हेतु समाकलन (Integration to find total potential)
अनन्त से दूरी r तक लाने पर कुल विभव होगा:
![Rendered by QuickLaTeX.com \[V = -\int_{\infty}^{r} E \, dr\]](https://mpeducator.co.in/wp-content/ql-cache/quicklatex.com-8e0b5daf2c9b772f246a16f7cbb5f777_l3.png)
अब E का मान रखते हैं:
![Rendered by QuickLaTeX.com \[V = -\int_{\infty}^{r} \frac{1}{4\pi\epsilon_0}\frac{q}{r^2} \, dr\]](https://mpeducator.co.in/wp-content/ql-cache/quicklatex.com-e2d96430b10eb9d279d21795bb5e54b5_l3.png)
(d) समाकल हल करना
![Rendered by QuickLaTeX.com \[V = -\frac{q}{4\pi\epsilon_0} \int_{\infty}^{r} \frac{1}{r^2} \, dr\]](https://mpeducator.co.in/wp-content/ql-cache/quicklatex.com-a477c39dabc924c82c6a00f7ee789c2f_l3.png)
![Rendered by QuickLaTeX.com \[V = -\frac{q}{4\pi\epsilon_0} \left[-\frac{1}{r}\right]_{\infty}^{r}\]](https://mpeducator.co.in/wp-content/ql-cache/quicklatex.com-0f6fccce940afb647cf32bcded376e6f_l3.png)
![Rendered by QuickLaTeX.com \[V = \frac{q}{4\pi\epsilon_0 r}\]](https://mpeducator.co.in/wp-content/ql-cache/quicklatex.com-d546d3e06cb7d9bf5bef8465e3e0b678_l3.png)
5. अंतिम परिणाम (Final Result)
किसी बिन्दु आवेश qqq के कारण दूरी rrr पर विद्युत विभव होगा –
![Rendered by QuickLaTeX.com \[V = \frac{1}{4\pi\epsilon_0}\frac{q}{r}\]](https://mpeducator.co.in/wp-content/ql-cache/quicklatex.com-4f4f06fe49eeb2e6d04d776ddbfdbf2e_l3.png)
6. परिणाम की विशेषताएँ (Features of the Result)
- विभव दूरी rrr के व्युत्क्रमानुपाती है। दूरी बढ़ने पर विभव घटता है।
- विभव केवल स्थान पर निर्भर करता है, उस बिन्दु पर रखे जाने वाले आवेश पर नहीं।
- यदि स्रोत आवेश धनात्मक है, तो विभव धनात्मक होगा। यदि स्रोत आवेश ऋणात्मक है, तो विभव ऋणात्मक होगा।
- विभव एक अदिश राशि (Scalar Quantity) है।
- विभव का मान अनन्त पर शून्य माना जाता है।
7. भौतिक व्याख्या (Physical Interpretation)
यह परिणाम हमें बताता है कि:
- यदि हम किसी स्थान पर एकक धनावेश रखते हैं, तो उस पर स्रोत आवेश के कारण कितनी स्थितिज ऊर्जा होगी।
- यह ऊर्जा सीधे उस दूरी पर निर्भर करती है जिस पर वह आवेश रखा गया है।
- विभव और विद्युत क्षेत्र आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं।
8. ग्राफिक समझ (Graphical Understanding)
यदि हम विभव VVV को दूरी rrr के सापेक्ष चित्रित करें, तो यह हाइपरबोला जैसा होगा:
- r→∞r \to \inftyr→∞ पर, V→0V \to 0V→0
- r→0r \to 0r→0 पर, V→∞V \to \inftyV→∞
9. निष्कर्ष (Conclusion)
किसी बिन्दु आवेश के कारण किसी भी बिन्दु पर विद्युत विभव निकालने का यह सूत्र भौतिकी में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- इससे हमें विद्युत क्षेत्र, स्थितिज ऊर्जा और विद्युत बल के बीच गहरा संबंध समझने में मदद मिलती है।
- यह अवधारणा आगे चलकर अनेक आवेशों के कारण विभव (Superposition Principle), धारिता (Capacitance), और विद्युत स्थितिज ऊर्जा (Electrostatic Potential Energy) की नींव रखती है।
✅ इस प्रकार हमने सिद्ध किया कि:
![Rendered by QuickLaTeX.com \[V = \frac{1}{4\pi\epsilon_0}\frac{q}{r}\]](https://mpeducator.co.in/wp-content/ql-cache/quicklatex.com-4f4f06fe49eeb2e6d04d776ddbfdbf2e_l3.png)
यानी, किसी बिन्दु आवेश qqq के कारण दूरी rrr पर विद्युत विभव, आवेश के अनुपातमूलक और दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है।