MP Board 12th Indian Caste and Tribes Demography : कक्षा 12 के समाजशास्त्र के पाठ्यक्रम में, जाति और जनजाति भारतीय समाज के दो सबसे मौलिक और स्थायी स्तंभों के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। ये केवल पहचान के मार्कर (markers) नहीं हैं; ये भारत में सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification), असमानता (Inequality), आर्थिक अवसरों और राजनीतिक लामबंदी (Political Mobilization) के मुख्य आधार हैं।
भारतीय जनसांख्यिकी: जाति और जनजातीय जनसंख्या का समाजशास्त्रीय विश्लेषण
1. प्रस्तावना: सामाजिक जनसांख्यिकी को समझना
भारतीय समाज (Indian Society) का अध्ययन इसकी जनसांख्यिकीय संरचना (Demographic Structure) को समझे बिना अधूरा है। जनसांख्यिकी, जैसा कि हमने पहले के लेखों में समझा है, जनसंख्या का एक व्यवस्थित अध्ययन है। लेकिन यह केवल ‘कितने’ (आयु, लिंग अनुपात) का अध्ययन नहीं है, बल्कि यह ‘कौन’ (सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक पहचान) का भी अध्ययन है।
कक्षा 12 के समाजशास्त्र के पाठ्यक्रम में, जाति और जनजाति भारतीय समाज के दो सबसे मौलिक और स्थायी स्तंभों के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। ये केवल पहचान के मार्कर (markers) नहीं हैं; ये भारत में सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification), असमानता (Inequality), आर्थिक अवसरों और राजनीतिक लामबंदी (Political Mobilization) के मुख्य आधार हैं।
- जाति (Caste) एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो दुनिया में विशिष्ट रूप से भारतीय है। यह एक पदानुक्रमित (hierarchical) व्यवस्था है जो जन्म पर आधारित है और जिसने सदियों से सामाजिक-आर्थिक जीवन को नियंत्रित किया है।
- जनजाति (Tribe), जिन्हें अक्सर ‘आदिवासी’ (Adivasi) या मूल निवासी कहा जाता है, वे समुदाय हैं जो ऐतिहासिक रूप से भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से मुख्यधारा के जाति-आधारित समाज से अलग-थलग रहे हैं।
यह लेख NCERT पाठ्यक्रम के आधार पर, विशेष रूप से मध्य प्रदेश (MP Board) के छात्रों के लिए, इन दो महत्वपूर्ण सामाजिक समूहों की अवधारणाओं और उनकी जनसंख्या (Population) पर नवीनतम जनगणना (2011) के आँकड़ों के साथ एक विस्तृत समाजशास्त्रीय विश्लेषण प्रस्तुत करेगा।
2. जाति व्यवस्था: परिभाषा और जनसंख्या (The Caste System: Definition and Population)
जाति व्यवस्था को समझना भारतीय समाज को समझने की कुंजी है। यह दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे जटिल सामाजिक स्तरीकरण प्रणालियों में से एक है।
2.1. जाति क्या है? (What is Caste?)
समाजशास्त्रीय रूप से, जाति को दो अलग-अलग अवधारणाओं के माध्यम से समझा जाता है: वर्ण (Varna) और जाति (Jati)।
- वर्ण (Varna): यह एक सैद्धांतिक, चार-स्तरीय विभाजन है (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र)। यह एक ‘आदर्श’ मॉडल है जो ग्रंथों में पाया जाता है।
- जाति (Jati): यह वास्तविकता है, ‘क्षेत्रीय’ (field-level) यथार्थ है। ‘जाति’ हजारों अंतर्विवाही समूहों को संदर्भित करती है जिनमें भारत का समाज वास्तव में विभाजित है।
एनसीईआरटी (NCERT) के अनुसार जाति की प्रमुख विशेषताएँ:
- जन्म से निर्धारण (Ascribed by Birth): एक व्यक्ति की जाति वही होती है जिसमें वह जन्म लेता है। इसे बदला नहीं जा सकता।
- पदानुक्रम (Hierarchy): जातियाँ ‘शुद्धता’ और ‘अपवित्रता’ (Purity and Pollution) के सिद्धांत पर एक ऊर्ध्वाधर सीढ़ी (vertical ladder) में व्यवस्थित होती हैं।
- अंतर्विवाह (Endogamy): यह जाति व्यवस्था का सार है। विवाह केवल अपनी जाति या उप-जाति के भीतर ही किया जाना चाहिए।
- वंशानुगत व्यवसाय (Hereditary Occupation): परंपरागत रूप से, प्रत्येक जाति एक विशिष्ट व्यवसाय से जुड़ी होती थी।
- खान-पान पर प्रतिबंध (Restrictions on Food-Sharing): किसके साथ भोजन किया जा सकता है और क्या खाया जा सकता है, इसके कठोर नियम होते थे।
2.2. अनुसूचित जाति (Scheduled Castes – SCs)
“अनुसूचित जाति” एक संवैधानिक (Constitutional) और प्रशासनिक श्रेणी है।
- इस शब्द का पहली बार ‘भारत सरकार अधिनियम, 1935’ (Government of India Act, 1935) में उपयोग किया गया था।
- आजादी के बाद, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 (Article 341) के तहत, राष्ट्रपति एक सूची (Schedule) जारी करते हैं जिसमें उन जातियों को शामिल किया जाता है, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) और चरम सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन का सामना किया है।
- इन्हें लोकप्रिय रूप से ‘दलित’ (Dalit) भी कहा जाता है, जो एक स्व-चयनित नाम है जिसका अर्थ है ‘उत्पीड़ित’ या ‘टूटा हुआ’।
2.3. अनुसूचित जाति की जनसंख्या (Census 2011)
जनसंख्या के आँकड़े इन समुदायों के पैमाने और वितरण को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- कुल जनसंख्या: 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में अनुसूचित जातियों (SCs) की कुल जनसंख्या 20.14 करोड़ (201.4 मिलियन) थी।
- कुल प्रतिशत: यह भारत की कुल जनसंख्या का 16.6% हिस्सा है। (यह 2001 में 16.2% से मामूली वृद्धि थी)।
- दशकीय वृद्धि (2001-2011): SC जनसंख्या की वृद्धि दर 20.8% रही।
भौगोलिक वितरण (Geographical Distribution):
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। SC आबादी पूरे भारत में फैली हुई है, लेकिन कुछ राज्यों में उनका घनत्व (concentration) अधिक है:
- जनसंख्या के हिसाब से (सर्वाधिक संख्या):
- उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh): यहाँ देश की सबसे बड़ी SC आबादी (लगभग 4.13 करोड़) निवास करती है।
- पश्चिम बंगाल (West Bengal): (लगभग 2.15 करोड़)
- बिहार (Bihar): (लगभग 1.70 करोड़)
- प्रतिशत के हिसाब से (राज्य की कुल आबादी में हिस्सा):
- पंजाब (Punjab): 31.9% (राज्य की आबादी का लगभग एक-तिहाई हिस्सा SC है)।
- हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh): 25.2%
- पश्चिम बंगाल (West Bengal): 23.5%
- महत्वपूर्ण तथ्य: कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोई अधिसूचित अनुसूचित जाति नहीं है, जैसे: अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, और लक्षद्वीप।
2.4. अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes – OBCs) – एक टिप्पणी
छात्रों को अक्सर SC और OBC के बीच भ्रम होता है। OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) भी एक प्रशासनिक श्रेणी है, जिसे ‘मंडल आयोग’ (Mandal Commission) की सिफारिशों के बाद प्रमुखता मिली। ये वे जातियाँ हैं जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हैं, लेकिन उन्होंने SCs की तरह ‘अस्पृश्यता’ का सामना नहीं किया है।
महत्वपूर्ण: 2011 की जनगणना ने SCs और STs की गिनती की, लेकिन इसने OBCs की गिनती नहीं की। OBC आबादी के आँकड़े आमतौर पर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSSO) या 2011 के सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) के जटिल डेटा से आते हैं, लेकिन वे आधिकारिक जनगणना का हिस्सा नहीं हैं।
3. जनजातीय समाज: परिभाषा और जनसंख्या (Tribal Society: Definition and Population)
जनजाति, भारतीय समाज का एक और महत्वपूर्ण घटक है, जो जाति व्यवस्था से विशिष्ट रूप से भिन्न है।
3.1. जनजाति (आदिवासी) क्या है? (What is a Tribe – Adivasi?)
‘जनजाति’ (Tribe) शब्द का उपयोग उन समुदायों के लिए किया जाता है जो मुख्यधारा के समाज से भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से अलग-थलग रहे हैं।
- उन्हें अक्सर ‘आदिवासी’ (Adivasi) कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘मूल निवासी’ या ‘पहले से रहने वाले’।
- समाजशास्त्रीय रूप से, उन्हें एक ऐसे समुदाय के रूप में परिभाषित किया जाता है जो नातेदारी (Kinship) बंधनों से संगठित होते हैं, जिनकी एक विशिष्ट संस्कृति (Distinct Culture) और बोली (Dialect) होती है, और जो परंपरागत रूप से मुख्यधारा के हिंदू जाति पदानुक्रम का हिस्सा नहीं रहे हैं।
3.2. जनजाति की प्रमुख विशेषताएँ (Key Features)
जनजातियों की विशेषताएँ उन्हें जाति-आधारित समाजों से अलग करती हैं:
- पदानुक्रम का अभाव (Lack of Hierarchy): जबकि जाति की परिभाषा ‘पदानुक्रम’ है, जनजातीय समाज परंपरागत रूप से समानतावादी (Egalitarian) होते हैं। (इनमें भी मुखिया या सरदार हो सकते हैं, लेकिन जाति जैसी शुद्धता-अपवित्रता आधारित स्तरीकरण नहीं होता)।
- सामुदायिक स्वामित्व (Community Ownership): जाति समाज में भूमि पर व्यक्तिगत या पारिवारिक स्वामित्व होता है, जबकि जनजातियों में (परंपरागत रूप से) भूमि, जंगल और चरागाहों पर समुदाय का संयुक्त नियंत्रण होता है।
- भौगोलिक अलगाव (Geographical Isolation): वे परंपरागत रूप से पहाड़ियों, जंगलों और दुर्गम क्षेत्रों में रहते आए हैं।
- विशिष्ट संस्कृति: उनकी अपनी विशिष्ट भाषाएँ/बोलियाँ, विवाह के रीति-रिवाज, अनुष्ठान और विश्वास प्रणालियाँ (अक्सर ‘जीववाद’ या Animism) होती हैं।
- आजीविका: उनकी आजीविका सीधे तौर पर जंगलों और प्रकृति पर निर्भर रही है (शिकार, संग्रहण, झूम खेती)।
3.3. अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes – STs)
SCs की तरह ही, “अनुसूचित जनजाति” भी एक संवैधानिक श्रेणी है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 (Article 342) के तहत, राष्ट्रपति उन जनजातियों या आदिवासी समुदायों को सूचीबद्ध (Schedule) करते हैं, जो अपनी आदिम विशेषताओं (primitive traits), विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव और पिछड़ेपन के कारण विशेष ध्यान देने योग्य हैं।
- भारत में 700 से अधिक विभिन्न अनुसूचित जनजातियों को मान्यता प्राप्त है।
3.4. अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या (Census 2011)
- कुल जनसंख्या: 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में अनुसूचित जनजातियों (STs) की कुल जनसंख्या 10.43 करोड़ (104.3 मिलियन) थी।
- कुल प्रतिशत: यह भारत की कुल जनसंख्या का 8.6% हिस्सा है। (यह 2001 में 8.2% से वृद्धि थी)।
- दशकीय वृद्धि (2001-2011): ST जनसंख्या की वृद्धि दर 23.7% रही, जो SC (20.8%) और सामान्य आबादी (17.6%) दोनों से अधिक थी।
भौगोलिक वितरण (Geographical Distribution):
SC आबादी के विपरीत, ST आबादी भारत में बहुत विशिष्ट क्षेत्रों में केंद्रित (Concentrated) है:
1. मध्य भारत का “ट्राइबल बेल्ट” (The “Tribal Belt” of Central India):
यह भारत का हृदय स्थल है जहाँ ST की सबसे बड़ी आबादी रहती है।
- जनसंख्या के हिसाब से (सर्वाधिक संख्या):
- मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh): (लगभग 1.52 करोड़) – पूरे भारत में सबसे अधिक जनजातीय आबादी वाला राज्य।
- महाराष्ट्र (Maharashtra): (लगभग 1.05 करोड़)
- ओडिशा (Odisha): (लगभग 96 लाख)
2. पूर्वोत्तर राज्य (The North-Eastern States):
यहाँ जनजातीय आबादी का प्रतिशत बहुत अधिक है।
- प्रतिशत के हिसाब से (राज्य की कुल आबादी में हिस्सा):
- मिजोरम (Mizoram): 94.4%
- नागालैंड (Nagaland): 86.5% (यहाँ कोई SC आबादी नहीं है)
- मेघालय (Meghalaya): 86.1%
- महत्वपूर्ण तथ्य: कुछ राज्यों में कोई अधिसूचित अनुसूचित जनजाति नहीं है, जैसे: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पुडुचेरी।
मध्य प्रदेश के लिए विशेष (MP Board Special):
मध्य प्रदेश को ‘भारत का जनजातीय हृदय’ कहा जाता है। यहाँ देश की सबसे बड़ी ST आबादी (1.52 करोड़) है, जो राज्य की कुल आबादी का 21.1% है।
- प्रमुख जनजातियाँ: भील (Bhils) (भारत का सबसे बड़ा जनजातीय समूह) और गोंड (Gonds) (दूसरा सबसे बड़ा समूह), दोनों ही मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। अन्य प्रमुख जनजातियों में बैगा, सहरिया और कोरकू शामिल हैं।
4. जाति और जनजाति के बीच मुख्य अंतर
परीक्षा की दृष्टि से, इन दोनों के बीच का अंतर स्पष्ट होना चाहिए:
| आधार (Basis) | जाति (Caste) | जनजाति (Tribe) |
|---|---|---|
| परिभाषा | एक पदानुक्रमित सामाजिक समूह (Hierarchy) | एक समानतावादी क्षेत्रीय समुदाय (Egalitarian) |
| आधार | जन्म, ‘शुद्धता और अपवित्रता’ | नातेदारी, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव |
| व्यवस्था | जटिल, मुख्यधारा के समाज का हिस्सा | सरल, परंपरागत रूप से मुख्यधारा से अलग |
| अर्थव्यवस्था | वंशानुगत व्यवसाय, बड़े समाज पर निर्भर | आत्मनिर्भर (जंगल/कृषि आधारित), सामुदायिक स्वामित्व |
| धर्म | हिंदू धर्म के पदानुक्रम में शामिल | जीववाद (Animism), प्रकृति पूजा, या विशिष्ट विश्वास |
| पदानुक्रम | अत्यंत पदानुक्रमित (Hierarchical) | आंतरिक रूप से समानतावादी (Non-hierarchical) |
5. समकालीन मुद्दे और “जनजाति-जाति सातत्य”
NCERT का पाठ्यक्रम इस बात पर ज़ोर देता है कि आज ‘जाति’ और ‘जनजाति’ स्थिर श्रेणियां नहीं हैं।
- जाति: शहरीकरण, शिक्षा और राजनीति ने जाति व्यवस्था को कमज़ोर किया है (जैसे खान-पान के नियम), लेकिन इसे मज़बूत भी किया है (जैसे ‘जाति-आधारित राजनीति’ और अंतर्विवाह)।
- जनजाति: जनजातियों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा ‘विकास’ (Development) रहा है। बाँधों, खदानों और कारखानों के निर्माण के कारण उनका बड़े पैमाने पर विस्थापन (Displacement) हुआ है। उन्होंने अपनी आजीविका (जंगल) और पहचान (संस्कृति) खो दी है।
जनजाति-जाति सातत्य (Tribe-Caste Continuum):
समाजशास्त्रियों का मानना है कि भारत में जनजाति और जाति दो अलग-थलग बक्से नहीं हैं, बल्कि एक ‘सातत्य’ (Continuum) या पैमाना हैं।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनजातीय समुदाय धीरे-धीरे मुख्यधारा के जाति-आधारित समाज में एकीकृत (integrate) हो जाते हैं। वे अपनी जनजातीय पहचान खो देते हैं और हिंदू समाज के पदानुक्रम में, अक्सर सबसे निचली जातियों में से एक के रूप में, शामिल हो जाते हैं। यह प्रक्रिया आज भी जारी है।
6. निष्कर्ष
2011 की जनगणना हमें बताती है कि भारत की आबादी का 16.6% हिस्सा अनुसूचित जाति (SC) और 8.6% हिस्सा अनुसूचित जनजाति (ST) है। ये केवल आँकड़े नहीं हैं। ये वे समुदाय हैं जिन्होंने क्रमशः ‘उत्पीड़न’ (Oppression) और ‘अलगाव’ (Isolation) का एक लंबा इतिहास झेला है।
- जाति एक ऐसी सामाजिक सच्चाई बनी हुई है जो जन्म, विवाह से लेकर राजनीति तक को प्रभावित करती है।
- जनजाति की आबादी पहचान, आजीविका और विस्थापन के गंभीर संकटों का सामना कर रही है।
एक समाजशास्त्र के छात्र के रूप में, इन जनसांख्यिकीय आँकड़ों को समझना हमें न केवल यह बताता है कि ‘भारत कौन है’, बल्कि यह उन गहरी सामाजिक संरचनाओं और असमानताओं को भी उजागर करता है जिन्हें हमारा संविधान और हमारी नीतियाँ संबोधित करने का प्रयास कर रही हैं।