MP Board 12th Biology Ecosystem Question Bank : पारितंत्र (Ecosystem) MP Board 12th Biology Ecosystem Question Bank
अध्याय – 14 पारितंत्र
स्मरणीय बिंदु –
- पारिस्थितिकी तंत्र दो घटकों से मिलकर बनी इकाई होती है: जैविक घटक, अजैविक घटक।
- पारिस्थितिकी तंत्र के जैविक घटक के अंतर्गत उत्पादक, उपभोक्ता तथा अपघटक आते हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र के अजैविक घटक के अंतर्गत जलवायु व ताप आते हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र शब्द का सबसे पहले प्रयोग वैज्ञानिक टॉन्सले ने किया।
- पारिस्थितिकी तंत्र के जैविक घटक वाले भाग अपना भोजन एक दूसरे से श्रृंखला के रूप में प्राप्त करते हैं।
- विभिन्न श्रृंखलाएँ आपस में मिलकर खाद्य जाल बनाती हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह एक दिशीय होता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य का प्रकाश होता है।
- जब एक पादप समुदाय दूसरे समुदाय में परिवर्तित हो जाता है, तो इसे अनुक्रमण कहा जाता है।
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए –
- मानव निर्मित पारिस्थितिक तंत्र है –
(अ) वन
(ब) झील
(स) मछली घर
(द) इनमें से कोई उत्तर: (स) मछली घर (या एक्वेरियम) - खाद्य श्रृंखला प्रारम्भ होती है –
(अ) प्रकाश संश्लेषण से
(ब) श्वसन से
(स) अपघटन से
(द)स्थिरीकरण से उत्तर: (अ) प्रकाश संश्लेषण से
- तालाब के इकोसिस्टम में ऊर्जा का पिरामिड होता है –
(अ) उल्टा
(ब) सीधा
(स) अनियामित
(द) रेखीय उत्तर: (ब) सीधा - जैवभार का उल्टा पिरामिड निम्न में से किस पारितंत्र में पाया जाता है –
(अ) वन
(ब) घास का मैदान
(स) वृक्ष
(द) समुद्र उत्तर: (द) समुद्र - मृदा से प्रारम्भ होने वाले क्रम को कहते हैं –
(अ) सैमोसियर
(ब) लिथोसियर
(स) हाइड्रोसियर
(द) जीरोसियर उत्तर: (द) जीरोसियर - हरे पौधे सूर्य द्वारा प्राप्त प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करते हैं –
(अ)
(ब)
(स)
(द)उत्तर: (द)
(वास्तव में
से कम, लेकिन विकल्प में निकटतम
नियम दिया गया है, इसलिए
के आसपास ऊर्जा ग्रहण करते हैं।)
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
- पादपों को उत्पादक कहते हैं, क्योंकि वे कार्बन डाइऑक्साइड का स्थिरीकरण करते हैं।
- जलीय पारितंत्रों में उत्पादकता के लिए सीमाकारी कारक प्रकाश है।
- ए.जी. टॉन्सले ने सर्वप्रथम इकोसिस्टम शब्द का उपयोग किया।
- प्रत्येक पारिस्थितिक तंत्र ऊर्जा के लिए सूर्य पर आश्रित होता है।
- पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह एकदिशीय होता है।
प्रश्न 3. सही जोड़ी बनाइए।
अ | ब |
---|---|
1. ![]() | (ब) ऊर्जा प्रवाह |
2. शेर, साँप, चीता | (ए) तृतीयक उपभोक्ता |
3. पायनियर समुदाय | (अ) क्रस्टोज लाइकेन |
4. जीवाणु एवं कवक | (फ) अपघटनकर्ता |
5. चरम समुदाय | (स) पादप प्लवक |
6. स्पाइरोगायरा | (द) क्रमक में अंतिम अनुक्रमण |
सही मिलान:
नियम
(ब) ऊर्जा प्रवाह
शेर, साँप, चीता
(ए) तृतीयक उपभोक्ता
पायनियर समुदाय
(द) क्रमक में अंतिम अनुक्रमण (यह गलत मिलाया गया है, सही होना चाहिए
प्रारम्भिक क्रम या नग्न चट्टान पर क्रस्टोज लाइकेन – विकल्प में (अ) दिया गया है)
जीवाणु एवं कवक
(फ) अपघटनकर्ता
चरम समुदाय
(द) क्रमक में अंतिम अनुक्रमण (यह गलत मिलाया गया है, सही होना चाहिए
स्थायी वन या जंगल)
स्पाइरोगायरा
(स) पादप प्लवक
नोट: प्रश्न 3 के विकल्पों में कुछ त्रुटियाँ या अस्पष्टता है। ऊपर दिया गया मिलान सबसे तार्किक है:
नियम ऊर्जा प्रवाह से संबंधित है।
- शेर/चीता उच्च उपभोक्ता हैं।
- जीवाणु/कवक अपघटन करते हैं।
- स्पाइरोगायरा एक जलीय पौधा है जो उत्पादक (पादप प्लवक) हो सकता है।
प्रश्न 4. एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए।
- पारिस्थितिक तंत्र की मूल इकाई का नाम लिखिए।
उत्तर: जीव (Organism) - बहुत सी खाद्य श्रृंखलाओं के आपस में जुड़ने के कारण बनने वाली संरचना का नाम लिखिए।
उत्तर: खाद्य जाल (Food Web) - ऊर्जा प्रवाह के प्रत्येक स्तर पर कितने प्रतिशत ऊर्जा का हास होता है।
उत्तर: 90 प्रतिशत (केवलऊर्जा ही अगले स्तर तक पहुँचती है)
- एक समान आपस में प्रजनन योग्य जीवों के समूह को क्या कहते हैं?
उत्तर: जाति (Species) - जल के अंदर पाये जाने वाले तैरने वाले पौधों एवं जंतुओं को क्या कहते हैं?
उत्तर: प्लवक (Plankton)
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
प्र.1. पारिस्थितिक तंत्र के मुख्य घटक बताइये।
उत्तर: पारिस्थितिक तंत्र के दो मुख्य घटक होते हैं:
- जैविक घटक (Biotic Components):
- उत्पादक (Producers): जैसे हरे पौधे, जो प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन बनाते हैं।
- उपभोक्ता (Consumers): जो उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं। (जैसे शाकाहारी, मांसाहारी)।
- अपघटक (Decomposers): जैसे जीवाणु और कवक, जो मृत जीवों को विघटित करते हैं।
- अजैविक घटक (Abiotic Components):
- तापमान, प्रकाश, जल, वायु, मृदा, और पोषक तत्व (जैसे कार्बन, नाइट्रोजन)।
प्र.2. अपघटन किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर: अपघटन (Decomposition) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अपघटनकर्ता (जीवाणु और कवक) मृत कार्बनिक पदार्थों (जैसे मृत पौधे, जंतुओं के अवशेष) को जटिल से सरल अकार्बनिक पदार्थों (जैसे , पानी और पोषक तत्व) में तोड़ते हैं।
उदाहरण: मृत पत्तियाँ और जंतु जब जमीन पर गिरते हैं, तो केंचुआ, बैक्टीरिया और फफूंद उन्हें सड़ाकर मिट्टी में मिला देते हैं।
प्र.3. उत्पादक एवं उपभोक्ता में अंतर स्पष्ट कीजिए।
विशेषता | उत्पादक (Producers) | उपभोक्ता (Consumers) |
---|---|---|
परिभाषा | ये अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते हैं। | ये भोजन के लिए उत्पादकों या अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं। |
उदाहरण | हरे पौधे, शैवाल। | सभी जंतु (जैसे गाय, शेर, मनुष्य)। |
पोषण स्तर | इन्हें प्रथम पोषण स्तर पर रखा जाता है। | इन्हें द्वितीयक, तृतीयक आदि पोषण स्तरों पर रखा जाता है। |
प्र.4. खाद्य श्रृंखला एवं खाद्य जाल में तीन अंतर लिखिए।
विशेषता | खाद्य श्रृंखला (Food Chain) | खाद्य जाल (Food Web) |
---|---|---|
संरचना | यह एक सरल, सीधी कड़ी होती है जहाँ ऊर्जा का प्रवाह एक जीव से दूसरे जीव तक होता है। | यह आपस में जुड़ी हुई कई खाद्य श्रृंखलाओं का एक जटिल जाल होता है। |
ऊर्जा प्रवाह | ऊर्जा प्रवाह का केवल एक मार्ग होता है। | ऊर्जा प्रवाह के कई वैकल्पिक मार्ग होते हैं। |
पारिस्थितिक स्थिरता | यह कम स्थिर होती है, एक कड़ी टूटने पर पूरा तंत्र प्रभावित हो सकता है। | यह अधिक स्थिर होती है, भोजन के कई स्रोत उपलब्ध होते हैं। |
प्र.5. प्रकृति में नाइट्रोजन चक्र का रेखाचित्र बनाइये।
उत्तर:
(रेखाचित्र में निम्नलिखित चरण दिखाए जाने चाहिए):
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation): वायुमंडल की
का अमोनिया में बदलना (जीवाणु जैसे राइज़ोबियम द्वारा)।
- अमोनीकरण (Ammonification): मृत कार्बनिक पदार्थ का अमोनिया में बदलना।
- नाइट्रीकरण (Nitrification): अमोनिया का नाइट्राइट (
) और फिर नाइट्रेट (
) में बदलना (जीवाणु जैसे नाइट्रोसोमोनास और नाइट्रोबैक्टर द्वारा)।
- स्वांगीकरण (Assimilation): पौधे नाइट्रेट का उपयोग करते हैं।
- विनाइट्रीकरण (Denitrification): नाइट्रेट का वापस वायुमंडल की
में बदलना।
प्र.6. खाद्य श्रृंखला कितने प्रकार की होती है, उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर: खाद्य श्रृंखला मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:
- चारण खाद्य श्रृंखला (Grazing Food Chain – GFC):
- यह उत्पादकों (हरे पौधे) से शुरू होती है और शाकाहारी से होते हुए मांसाहारी तक जाती है।
- उदाहरण: घास
हिरण
शेर।
- अपरद खाद्य श्रृंखला (Detritus Food Chain – DFC):
- यह मृत कार्बनिक पदार्थों (अपरद) से शुरू होती है और अपघटनकर्ता (जीवाणु, कवक) से होते हुए उन पर निर्भर रहने वाले छोटे जीवों तक जाती है।
- उदाहरण: मृत पत्तियाँ
केंचुआ
पक्षी।
प्र.7. जलक्रमक क्या है, इसके विभिन्न अवस्थाओं के क्रम से नाम लिखिए।
उत्तर: जलक्रमक (Hydrosere) वह पारिस्थितिक अनुक्रमण है जो जल (जैसे झील या तालाब) में शुरू होता है और अंत में एक स्थिर चरम समुदाय (मेसोफाइट जंगल) में परिवर्तित हो जाता है।
क्रमिक अवस्थाएँ (Stages in order):
- पादप प्लवक अवस्था (Phytoplankton Stage)
- निमग्न मूल अवस्था (Submerged Rooted Stage)
- प्लवी पत्ती अवस्था (Floating-leaved Stage)
- रीड-स्वैम्प/कटकी अवस्था (Reed-swamp Stage)
- दलदल/मार्शमीडो अवस्था (Marsh-meadow Stage)
- वन/शर्ब अवस्था (Forest/Shrub Stage – चरम अवस्था के निकट)
प्र.8. किसी प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के जैविक घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर: किसी प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के जैविक घटक तीन मुख्य श्रेणियों में आते हैं:
- उत्पादक (Producers): हरे पौधे, शैवाल।
- उपभोक्ता (Consumers):
- प्राथमिक (Primary): शाकाहारी (जैसे टिड्डा, गाय)।
- द्वितीयक (Secondary): छोटे मांसाहारी (जैसे मेंढक, लोमड़ी)।
- तृतीयक (Tertiary): बड़े मांसाहारी (जैसे शेर, बाज)।
- अपघटक (Decomposers): जीवाणु और कवक।
प्र.9. घास के मैदान पारितंत्र में खाद्य जाल का रेखाचित्र बनाइये।
उत्तर:
(खाद्य जाल में दर्शाए गए उदाहरण):
- घास (उत्पादक) को टिड्डा, चूहा और खरगोश (प्राथमिक उपभोक्ता) खाते हैं।
- टिड्डे को मेंढक और छिपकली (द्वितीयक उपभोक्ता) खाते हैं।
- चूहे को साँप और लोमड़ी (द्वितीयक/तृतीयक उपभोक्ता) खाते हैं।
- साँप को बाज (तृतीयक उपभोक्ता) खाता है।
प्र.10. प्राथमिक एवं द्वितीयक अनुक्रमण को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विशेषता | प्राथमिक अनुक्रमण (Primary Succession) | द्वितीयक अनुक्रमण (Secondary Succession) |
---|---|---|
परिभाषा | यह नग्न क्षेत्र में शुरू होता है जहाँ पहले कभी कोई जीव नहीं रहा हो (जैसे नग्न चट्टान, नया लावा)। | यह उस क्षेत्र में शुरू होता है जहाँ पहले से जीव थे, लेकिन कोई आपदा (जैसे आग, बाढ़) के कारण नष्ट हो गए हों। |
प्रारंभिक मृदा | मृदा अनुपस्थित होती है। बनने में बहुत समय लगता है। | मृदा पहले से मौजूद होती है, इसलिए तेजी से होता है। |
समय | यह बहुत धीमा होता है (सैकड़ों-हजारों वर्ष)। | यह तेज होता है। |
उदाहरण | नई बनी ज्वालामुखी चट्टान पर लाइकेन का विकास। | परित्यक्त खेत या आग से नष्ट हुआ जंगल। |
अति दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (विश्लेषणात्मक) (5 अंक)
प्र.1. पोषण स्तर क्या है? समझाइए।
उत्तर:
पोषण स्तर (Trophic Level) खाद्य श्रृंखला में वह विशिष्ट स्थान है जहाँ कोई जीव ऊर्जा प्राप्त करता है। यह ऊर्जा प्रवाह के क्रम में जीवों की स्थिति को दर्शाता है।
- परिभाषा: किसी पारितंत्र में, विभिन्न जीवों का वह स्थान जो उनके भोजन के स्रोत और ऊर्जा प्राप्ति के तरीके से निर्धारित होता है, पोषण स्तर कहलाता है।
पोषण स्तरों का क्रम:
- प्रथम पोषण स्तर (
): उत्पादक (हरे पौधे, शैवाल) – ये सूर्य की ऊर्जा से भोजन बनाते हैं।
- द्वितीय पोषण स्तर (
): प्राथमिक उपभोक्ता (शाकाहारी) – जो पौधों को खाते हैं (जैसे गाय, टिड्डा)।
- तृतीय पोषण स्तर (
): द्वितीयक उपभोक्ता (छोटे मांसाहारी) – जो प्राथमिक उपभोक्ताओं को खाते हैं (जैसे मेंढक)।
- चतुर्थ पोषण स्तर (
): तृतीयक उपभोक्ता (बड़े मांसाहारी) – जो द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाते हैं (जैसे शेर, बाज)।
प्र.2. अपघटन किसे कहते हैं? अपघटन की क्रिया के विभिन्न चरण लिखिए।
उत्तर:
अपघटन (Decomposition): वह प्रक्रिया जिसके द्वारा अपघटनकर्ता (जीवाणु, कवक) मृत जैव पदार्थों (अपरद) में उपस्थित जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों (जैसे , पानी, और पोषक तत्वों) में तोड़ते हैं। यह पोषक तत्वों को पुनर्चक्रित करने का महत्वपूर्ण कार्य है।
अपघटन की क्रिया के विभिन्न चरण:
- खंडन (Fragmentation): अपरदभोजी (जैसे केंचुआ) अपरद (मृत कार्बनिक पदार्थ) को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं, जिससे सतह का क्षेत्रफल बढ़ जाता है।
- निक्षालन/अपक्षालन (Leaching): जल में घुलनशील अकार्बनिक पोषक तत्व अपघटन के बिना ही मृदा की निचली परतों में चले जाते हैं और अनुपलब्ध लवण के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं।
- अपचय (Catabolism): जीवाणु और कवक द्वारा स्रावित एंजाइम इन छोटे अपरद खंडों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में विघटित करते हैं।
- ह्यूमिफिकेशन (Humification): अपचय के दौरान ह्यूमस (गहरे रंग का, अक्रिस्टलीय पदार्थ) का निर्माण होता है, जो पोषक तत्वों का भंडार होता है और धीमी गति से विघटित होता है।
- खनिजीकरण (Mineralisation): ह्यूमस के आगे अपघटन से अकार्बनिक पोषक तत्व (
आदि) मुक्त होते हैं, जो पौधों के लिए उपलब्ध हो जाते हैं।
प्र.3. कार्बन चक्र को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कार्बन चक्र (Carbon Cycle): वह प्रक्रिया जिसके द्वारा कार्बन, वायुमंडल, जीवमंडल, जलमंडल और भूमंडल के विभिन्न घटकों के बीच घूमता है। यह जीवन के लिए आवश्यक सबसे महत्वपूर्ण चक्रों में से एक है।
रेखाचित्र की सहायता से स्पष्टीकरण:
- वायुमंडलीय
: वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का मुख्य स्रोत है।
- उत्पादकों द्वारा स्थिरीकरण (Photosynthesis): पौधे प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से वायुमंडल से
ग्रहण करते हैं और इसे शर्करा (कार्बनिक पदार्थ) में बदलते हैं।
- उपभोक्ताओं तक कार्बन प्रवाह: प्राथमिक उपभोक्ता पौधों को खाते हैं, द्वितीयक उपभोक्ता उन्हें खाते हैं, जिससे कार्बन श्रृंखला में आगे बढ़ता है।
- श्वसन (Respiration): पौधे, जंतु और अपघटक श्वसन के दौरान
को वापस वायुमंडल में छोड़ते हैं।
- अपघटन: मृत जीवों और अपशिष्टों का अपघटन होने पर
मुक्त होती है।
- जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels): लाखों वर्षों में मृत जैव पदार्थ जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम) में बदल जाते हैं, जिन्हें जलाने पर
तेजी से वायुमंडल में मुक्त होती है।
प्र.4. पारिस्थितिक पिरामिड व इसके प्रकार लिखिए।
उत्तर:
पारिस्थितिक पिरामिड (Ecological Pyramid): यह पोषण स्तरों के बीच कार्यात्मक संबंधों को आरेखीय रूप से प्रदर्शित करने का एक तरीका है। सबसे निचले स्तर पर (आधार पर) उत्पादक होते हैं, और जैसे-जैसे हम शीर्ष की ओर बढ़ते हैं, क्रमिक पोषण स्तरों के जीव कम होते जाते हैं (या कुछ मामलों में बढ़ते हैं)।
पारिस्थितिक पिरामिड के प्रकार:
- संख्या का पिरामिड (Pyramid of Number):
- आधार: उत्पादकों की संख्या।
- यह क्रमिक पोषण स्तरों में जीवों की संख्या को दर्शाता है।
- आकृति: सीधा (घास का मैदान) या उल्टा (एक बड़े पेड़ पर निर्भर कीटों का पारितंत्र)।
- जैवभार का पिरामिड (Pyramid of Biomass):
- आधार: उत्पादकों का कुल शुष्क भार।
- यह क्रमिक पोषण स्तरों में जीवों के कुल शुष्क वजन को दर्शाता है।
- आकृति: सीधा (घास का मैदान) या उल्टा (जलीय पारितंत्र, जहाँ उत्पादक (प्लवक) का जैवभार कम होता है)।
- ऊर्जा का पिरामिड (Pyramid of Energy):
- आधार: उत्पादकों द्वारा संचित कुल ऊर्जा।
- यह क्रमिक पोषण स्तरों में संचित या स्थानांतरित ऊर्जा की मात्रा को दर्शाता है।
- आकृति: यह हमेशा सीधा होता है, क्योंकि ऊर्जा का प्रवाह
नियम के अनुसार होता है और प्रत्येक स्तर पर ऊर्जा का हास होता है।
प्र.5. जैवभार का पिरामिड सीधा एवं उल्टा दोनों प्रकार का हो सकता है, उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जैवभार का पिरामिड पोषण स्तरों के कुल शुष्क भार को दर्शाता है, और यह पारितंत्र के प्रकार के आधार पर सीधा या उल्टा हो सकता है।
- सीधा पिरामिड (Upright Pyramid):
- उत्पादक का जैवभार > प्राथमिक उपभोक्ता का जैवभार > द्वितीयक उपभोक्ता का जैवभार
- उदाहरण:घास का मैदान पारितंत्र (Grassland Ecosystem)
- घास (उत्पादक) का कुल शुष्क भार सबसे अधिक होता है।
- प्राथमिक उपभोक्ता (जैसे गाय) का भार घास से कम होता है।
- द्वितीयक उपभोक्ता (जैसे मनुष्य) का भार सबसे कम होता है।
- उल्टा पिरामिड (Inverted Pyramid):
- उत्पादक का जैवभार < प्राथमिक उपभोक्ता का जैवभार
- उदाहरण:जलीय पारितंत्र/समुद्री पारितंत्र (Aquatic/Marine Ecosystem)
- उत्पादक (
) छोटे पादप प्लवक (Phytoplankton) होते हैं जिनका जीवन काल कम और जैवभार बहुत कम होता है।
- प्राथमिक उपभोक्ता (
) जन्तु प्लवक (Zooplankton) होते हैं, जिनका कुल जैवभार पादप प्लवक से अधिक हो जाता है। (पादप प्लवक तेजी से प्रजनन करते हैं, लेकिन उनका संचित भार कम होता है)।
- उत्पादक (
प्र.6. विभिन्न पोषण स्तरों में ऊर्जा का प्रवाह एक दिशीय एवं अचक्रिय होता है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पोषण स्तरों में ऊर्जा के प्रवाह को नियम द्वारा समझा जा सकता है, जो यह पुष्टि करता है कि प्रवाह एक दिशीय (Unidirectional) और अचक्रिय (Non-cyclic) होता है।
- एक दिशीय (Unidirectional) प्रवाह:
- ऊर्जा हमेशा सूर्य
उत्पादक
प्राथमिक उपभोक्ता
द्वितीयक उपभोक्ता
तृतीयक उपभोक्ता के क्रम में प्रवाहित होती है।
- ऊर्जा कभी भी उच्च पोषण स्तर से वापस निम्न पोषण स्तर की ओर नहीं लौटती है (जैसे उपभोक्ता से उत्पादक की ओर)।
- ऊर्जा हमेशा सूर्य
- अचक्रिय (Non-cyclic) प्रवाह:
- प्रत्येक पोषण स्तर पर, ऊर्जा का एक बड़ा भाग (लगभग
) श्वसन, उपापचय क्रियाओं और ऊष्मा के रूप में वातावरण में लुप्त हो जाता है।
- चूँकि यह ऊर्जा उपयोग होकर ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाती है और इसे पुन: प्राप्त या पुनर्चक्रित नहीं किया जा सकता, इसलिए यह प्रवाह अचक्रिय होता है। नई ऊर्जा केवल सूर्य से ही पारितंत्र में प्रवेश कर सकती है।
- प्रत्येक पोषण स्तर पर, ऊर्जा का एक बड़ा भाग (लगभग
प्र.7. उच्च पोषी स्तर के जीवों को उपलब्ध ऊर्जा की कम मात्रा प्राप्त होती है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उच्च पोषी स्तर (Higher Trophic Levels) के जीवों को कम ऊर्जा प्राप्त होने का कारण लिंडेमान का नियम है।
नियम: यह नियम कहता है कि जब ऊर्जा एक पोषण स्तर से अगले पोषण स्तर में स्थानांतरित होती है, तो केवल
ऊर्जा ही स्थानांतरित होती है, जबकि शेष
ऊर्जा का उपयोग जीव अपने जीवन कार्यों (श्वसन, गति, प्रजनन) में कर लेता है और यह ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाती है।
- ऊर्जा हास (Energy Loss):
- उत्पादक (
) सूर्य से
ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
- प्राथमिक उपभोक्ता (
) को
ऊर्जा मिलती है।
- द्वितीयक उपभोक्ता (
) को
ऊर्जा मिलती है।
- तृतीयक उपभोक्ता (
) को
ऊर्जा मिलती है।
- उत्पादक (
चूँकि प्रत्येक चरण में ऊर्जा नष्ट होती जाती है, इसलिए खाद्य श्रृंखला में ऊपर की ओर जाने वाले जीवों को लगातार कम मात्रा में ऊर्जा उपलब्ध होती है। यही कारण है कि खाद्य श्रृंखलाएँ आमतौर पर 3 से 5 स्तरों तक ही सीमित होती हैं।
प्र.8. किसी मानव निर्मित स्थलीय पारितंत्र के विभिन्न घटकों के नाम एवं उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
मानव निर्मित स्थलीय पारितंत्र का एक अच्छा उदाहरण खेती का मैदान (Crop Field) या कृत्रिम वन है।
घटक एवं उदाहरण:
- उत्पादक (Producers):
- नाम: फसलें (धान, गेहूं, गन्ना), खरपतवार।
- उदाहरण: गेहूं का पौधा, धान का पौधा।
- उपभोक्ता (Consumers):
- प्राथमिक उपभोक्ता: शाकाहारी (टिड्डे, चूहे, गाय जो घास खाती है)।
- द्वितीयक उपभोक्ता: मांसाहारी (मेंढक, साँप, मनुष्य जो चिकन खाता है)।
- तृतीयक उपभोक्ता: उच्च मांसाहारी (बाज, साँप को खाने वाला पक्षी)।
- अपघटक (Decomposers):
- नाम: जीवाणु और कवक।
- उदाहरण: बैक्टीरिया (Bacteria), फंगी (Fungi) जो फसल अवशेषों को विघटित करते हैं।
- अजैविक घटक (Abiotic Components):
- नाम: मिट्टी, पानी, सूर्य का प्रकाश, उर्वरक।
- उदाहरण: नाइट्रोजन उर्वरक, सिंचाई का पानी, तापमान।
प्र.9. अपघटन किसे कहते हैं? अपघटन की क्रिया के विभिन्न चरण लिखिए।
उत्तर: (यह प्रश्न प्र.2 की पुनरावृत्ति है, लेकिन अंक के लिए अधिक विस्तृत उत्तर आवश्यक है।)
अपघटन (Decomposition): वह मौलिक जैविक प्रक्रिया जिसमें जटिल कार्बनिक पदार्थ सरल अकार्बनिक पदार्थों में टूट जाते हैं। यह पोषक तत्वों को प्रकृति में वापस लाने के लिए आवश्यक है।
अपघटन की क्रिया के विभिन्न चरण:
- खंडन (Fragmentation):
- क्रिया: अपरदभोजी जीव (जैसे केंचुआ) मृत पौधों और जंतुओं (अपरद) को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ते हैं।
- महत्व: इससे सतह का क्षेत्रफल बढ़ जाता है, जिससे एन्जाइम की क्रियाशीलता तेज होती है।
- निक्षालन/अपक्षालन (Leaching):
- क्रिया: पानी में घुलनशील अकार्बनिक पोषक तत्व (जैसे
) विघटन से पहले ही मिट्टी की गहरी परतों में रिस जाते हैं।
- महत्व: ये रिसकर अनुपलब्ध लवण के रूप में अवक्षेपित हो सकते हैं।
- क्रिया: पानी में घुलनशील अकार्बनिक पोषक तत्व (जैसे
- अपचय (Catabolism):
- क्रिया: जीवाणु और कवक जैसे अपघटनकर्ता, अपने एन्जाइमों का स्राव करके अपरद के छोटे-छोटे टुकड़ों को सरल कार्बनिक व अकार्बनिक यौगिकों में तोड़ते हैं।
- ह्यूमिफिकेशन (Humification):
- क्रिया: अपघटन के दौरान गहरे रंग के, अक्रिस्टलीय पदार्थ ह्यूमस का निर्माण होता है।
- महत्व: ह्यूमस पोषक तत्वों का भंडार होता है और इसका अपघटन बहुत धीमी गति से होता है, जिससे मिट्टी को धीरे-धीरे पोषक तत्व मिलते रहते हैं।
- खनिजीकरण (Mineralisation):
- क्रिया: ह्यूमस का और अधिक अपघटन होता है।
- महत्व: इस अंतिम चरण में पोषक तत्व
और अकार्बनिक आयनों (
आदि) के रूप में मुक्त होते हैं, जो पौधों द्वारा अवशोषित किए जा सकते हैं।