Classification of the Animal Kingdom
MP Board 11th Biology Classification of the Animal Kingdom : प्राणी जगत में विभिन्न संरचनाओं और स्वरूपों में प्राणी पाए जाते हैं। अब तक लगभग दस लाख से अधिक प्राणियों का वर्णन किया जा चुका है। इसलिए, वर्गीकरण (Classification) का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह नई खोजी गई प्रजातियों (Species) को उचित स्थान पर रखने में सहायता करता है।
पशु जगत का Classification of the Animal Kingdom जीव विज्ञान में एक मौलिक अवधारणा है, जो पृथ्वी पर जीवन की विविधता को समझने के लिए आवश्यक है। वैज्ञानिक जानवरों की विशाल संख्या को एक श्रेणीबद्ध प्रणाली में व्यवस्थित करते हैं, सबसे व्यापक श्रेणी Kingdom Animalia से लेकर विशिष्ट species तक। taxonomy के रूप में जानी जाने वाली यह प्रणाली साझा विशेषताओं के आधार पर विभिन्न जीवों के बीच संबंधों की पहचान करने में हमारी मदद करती है। इस biological classification में प्रमुख विभाजनों में phyla जैसे Chordata (जिसमें कशेरुक शामिल हैं) और Arthropoda (कीड़े, मकड़ी) के साथ-साथ classes, orders, families, genera और species शामिल हैं। Classification of the Animal Kingdom को समझना जीव विज्ञान के छात्रों और प्राकृतिक दुनिया में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पशु विविधता और evolution का अध्ययन करने के लिए एक स्पष्ट ढांचा प्रदान करता है।

4-1 वर्गीकरण का आधार (Basis of Classification)
प्राणियों की संरचना और आकार में भिन्नता होने के बावजूद, उनकी कोशिकीय व्यवस्था (Cellular Organization), शारीरिक सममिति (Symmetry), प्रगुहा (Coelom) की प्रकृति, पाचन तंत्र (Digestive System), परिसंचरण तंत्र (Circulatory System), और जनन तंत्र (Reproductive System) में कुछ मूलभूत समानताएँ पाई जाती हैं। इन विशेषताओं को वर्गीकरण के आधार के रूप में उपयोग किया गया है। निम्नलिखित में कुछ प्रमुख आधारों का वर्णन किया गया है:
4-1-1 संगठन के स्तर (Levels of Organization)
हालांकि प्राणी जगत के सभी सदस्य बहुकोशिकीय (Multicellular) हैं, लेकिन सभी एक ही प्रकार के कोशिकीय संगठन को प्रदर्शित नहीं करते। उदाहरण के लिए:
- कोशिकीय स्तर (Cellular Level): स्पंज (Porifera) में कोशिकाएँ बिखरे हुए समूहों में होती हैं, जो कोशिकीय स्तर का संगठन दर्शाती हैं। कोशिकाओं के बीच कार्य का कुछ विभाजन होता है।
- ऊतक स्तर (Tissue Level): सिलेंटरेट (Cnidaria) में कोशिकाएँ संगठित होकर ऊतक (Tissue) के रूप में कार्य करती हैं। इसे ऊतक स्तर का संगठन कहते हैं।
- अंग और अंग तंत्र स्तर (Organ and Organ System Level): प्लैटिहेल्मिन्थीज (Platyhelminthes) और अन्य उच्च संघों (Phyla) में ऊतक संगठित होकर अंग (Organs) बनाते हैं, और प्रत्येक अंग विशिष्ट कार्य करता है। उदाहरण के लिए, एनिलिड (Annelida), आर्थ्रोपोड (Arthropoda), मोलस्क (Mollusca), एकाइनोडर्म (Echinodermata), और रज्जुकी (Chordata) में अंग तंत्र स्तर का संगठन होता है, जहाँ विभिन्न अंग मिलकर तंत्र (Systems) बनाते हैं।
4-1-2 सममिति (Symmetry)

प्राणियों को सममिति के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है:
- असममित (Asymmetrical): स्पंज (Sponges) मुख्यतः असममित होते हैं, अर्थात् कोई भी काल्पनिक अक्ष उन्हें दो समान भागों में नहीं बाँटता।
- अरीय सममिति (Radial Symmetry): सिलेंटरेट (Cnidaria), टीनोफोर (Ctenophora), और एकाइनोडर्म (Echinodermata) में किसी भी काल्पनिक अक्ष से गुजरने वाली रेखा शरीर को दो समान भागों में बाँटती है।

- द्विपार्श्व सममिति (Bilateral Symmetry): एनिलिड (Annelida), आर्थ्रोपोड (Arthropoda) आदि में एक ही अक्ष से गुजरने वाली रेखा शरीर को दो समान दाएँ और बाएँ भागों में बाँटती है।
4-1-3 द्विकोजी और त्रिकोजी संगठन (Diploblastic and Triploblastic Organization)

- द्विकोजी (Diploblastic): जिन प्राणियों में कोशिकाएँ दो भ्रूणीय स्तरों (बाह्य एक्टोडर्म – Ectoderm और आंतरिक एंडोडर्म – Endoderm) में व्यवस्थित होती हैं, उन्हें द्विकोजी कहते हैं। उदाहरण: सिलेंटरेट (Cnidaria)।
- त्रिकोजी (Triploblastic): जिन प्राणियों में विकसित भ्रूण में तीसरा भ्रूणीय स्तर मेसोडर्म (Mesoderm) होता है, उन्हें त्रिकोजी कहते हैं। उदाहरण: प्लैटिहेल्मिन्थीज (Platyhelminthes) से रज्जुकी (Chordata) तक।
4-1-4 प्रगुहा (Coelom)

शरीर की भित्ति और आहार नाल के बीच प्रगुहा की उपस्थिति या अनुपस्थिति वर्गीकरण का महत्वपूर्ण आधार है:
- प्रगुही (Coelomate): मेसोडर्म से आच्छादित शरीर प्रगुहा को देहप्रगुहा (True Coelom) कहते हैं। उदाहरण: एनिलिड (Annelida), मोलस्क (Mollusca), आर्थ्रोपोड (Arthropoda), एकाइनोडर्म (Echinodermata), और रज्जुकी (Chordata)।
- छद्मप्रगुही (Pseudocoelomate): कुछ प्राणियों में प्रगुहा मेसोडर्म से आच्छादित नहीं होती, बल्कि मेसोडर्म बाह्य और आंतरिक त्वचा के बीच बिखरी थैली के रूप में होती है। उदाहरण: ऐसकेल्मिन्थीज (Aschelminthes)।
- अप्रगुही (Acoelomate): जिन प्राणियों में शरीर प्रगुहा नहीं होती, उन्हें अप्रगुही कहते हैं। उदाहरण: प्लैटिहेल्मिन्थीज (Platyhelminthes)।
4-1-5 खंडीभवन (Segmentation)
कुछ प्राणियों में शरीर बाह्य और आंतरिक दोनों ओर खंडों (Segments) में विभाजित होता है, जिसमें कुछ अंगों की क्रमिक पुनरावृत्ति होती है। इस प्रक्रिया को खंडीभवन कहते हैं। उदाहरण: केंचुआ (Earthworm – Annelida) में खंडीभवन होता है।
4-1-6 पृष्ठरज्जु (Notochord)
पृष्ठरज्जु (Notochord) मेसोडर्म से उत्पन्न होती है और भ्रूणीय परिवर्धन (Embryonic Development) के समय पृष्ठ सतह पर बनती है। पृष्ठरज्जु युक्त प्राणी को रज्जुकी (Chordata) और पृष्ठरज्जु रहित प्राणी को अरज्जुकी (Non-Chordata) कहते हैं।
4-2 प्राणियों का वर्गीकरण (Classification of Animals)
प्राणियों का विस्तृत वर्गीकरण उपरोक्त मूलभूत लक्षणों के आधार पर किया गया है। निम्नलिखित में प्रमुख संघों (Phyla) का वर्णन किया गया है:

4-2-1 संघ पोरिफेरा (Porifera – Sponges)

- विशेषताएँ: इन्हें सामान्यतः स्पंज (Sponges) कहते हैं। ये अधिकतर खारी (Marine) और असममित (Asymmetrical) प्राणी हैं। ये आदिम बहुकोशिकीय प्राणी हैं, जिनका शरीर संगठन कोशिकीय स्तर (Cellular Level) का होता है। स्पंजों में जल परिवहन और नाल तंत्र (Canal System) होता है। जल सूक्ष्म रंध्र (Ostia) द्वारा स्पंज प्रगुहा (Spongocoel) में प्रवेश करता और बड़े रंध्र (Osculum) द्वारा बाहर निकलता है। कोएनोसाइट कोशिकाएँ (Choanocytes) नाल तंत्र को संचालित करती हैं। कंकाल (Skeleton) शरीर को आधार प्रदान करता है, जो कण्टिकाओं (Spicules) और स्पंजी तंतुओं (Spongin Fibers) से बना होता है। ये उभयलिंगी (Hermaphrodite) होते हैं, और नर-मादा एक ही प्राणी में होते हैं।
- प्रजनन: अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction) विखंडन (Fragmentation) द्वारा और लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) युग्मकों (Gametes) द्वारा होता है। निषेचन (Fertilization) आंतरिक और परिवर्धन (Development) अप्रत्यक्ष होता है, जिसमें लार्वा अवस्था (Larval Stage) होती है।
- उदाहरण: साइकॉन (Sycon), स्पंजिला (Spongilla – Freshwater Sponge), यूस्पंजिया (Euspongia – Bath Sponge)।
4-2-2 संघ सिलेंटरेटा (Cnidaria – Stinging Animals)
- विशेषताएँ: ये जलीय, अधिकतर समुद्री (Marine), स्थावर (Sessile) या मुक्त तैरने वाले (Free-Swimming) सममित प्राणी हैं। इनमें नाइडोब्लास्ट (Stinging Cells – Nematocysts) होती हैं, जो रक्षा (Defense) और शिकार (Prey Capture) में सहायक होती हैं। इनका शरीर ऊतक स्तर (Tissue Level) का और द्विकोजी (Diploblastic) होता है। इनमें केंद्रीय गैस्ट्रोवैस्कुलर प्रगुहा (Gastrovascular Cavity) होती है, जो हाइपोस्टोम (Hypostome) पर स्थित मुख द्वारा खुलती है। पाचन अंतःकोशिकीय (Intracellular) और बाह्यकोशिकीय (Extracellular) दोनों प्रकार का होता है।
- आकृति: इनका शरीर पॉलिप (Polyp – Sessile and Cylindrical, जैसे Hydra) और मेड्यूसा (Medusa – Umbrella-shaped and Free-Swimming, जैसे Jellyfish) रूपों में होता है। कुछ प्राणियों में पीढ़ी एकांतरण (Metagenesis) होता है, जैसे ओबेलिया (Obelia)।
- प्रजनन: पॉलिप अलैंगिक जनन द्वारा मेड्यूसा और मेड्यूसा लैंगिक जनन द्वारा पॉलिप उत्पन्न करता है।
- उदाहरण: फिज़ालिया (Physalia – Portuguese Man-of-War), एडम्सिया (Adamsia – Sea Anemone), पेनीट्यूला (Pennatula – Sea Pen), गॉर्गोनिया (Gorgonia – Sea Fan), मेड्रिपोरा (Meandrina – Brain Coral)।

4-2-3 संघ टीनोफोरा (Ctenophora – Comb Jellies)
- विशेषताएँ: इन्हें समुद्री अखरोट (Sea Walnuts) या कंघी जेली (Comb Jellies) कहते हैं। ये सभी समुद्री, अरीय सममित (Radially Symmetrical), और द्विकोजी (Diploblastic) प्राणी हैं। इनमें ऊतक स्तर (Tissue Level) का संगठन और आठ बाह्य पंखनुमा कंघी प्लेट्स (Comb Plates) होती हैं, जो गति में सहायता करती हैं। जैवप्रकाशन (Bioluminescence) इनकी मुख्य विशेषता है। नर और मादा अलग नहीं होते। जनन केवल लैंगिक (Sexual) और बाह्य निषेचन (External Fertilization) द्वारा होता है, जिसमें लार्वा अवस्था (Larval Stage) नहीं होती।
- उदाहरण: प्ल्यूरोब्रैकिया (Pleurobrachia), टीनोप्लाना (Ctenoplana)।
4-2-4 संघ प्लै childbirth।टिहेल्मिन्थीज (Platyhelminthes – Flatworms)

- विशेषताएँ: ये प्राणी पृष्ठीय रूप से चपटे (Dorsoventrally Flattened) होते हैं, इसलिए इन्हें चपटे कृमि (Flatworms) कहते हैं। अधिकांश प्राणी मनुष्यों और अन्य प्राणियों में अंतः परजीवी (Endoparasites) के रूप में पाए जाते हैं। ये द्विपार्श्व सममित (Bilaterally Symmetrical), त्रिकोजी (Triploblastic), और अप्रगुही (Acoelomate) होते हैं। इनमें अंग स्तर (Organ Level) का संगठन होता है। परजीवी प्राणियों में चूषक (Suckers) और अंकुश (Hooks) पाए जाते हैं। पाचन अंतःकोशिकीय और बाह्यकोशिकीय दोनों प्रकार का होता है।
- प्रजनन: नर-मादा अलग नहीं होते। निषेचन आंतरिक और परिवर्धन में कई लार्वा अवस्थाएँ (Larval Stages) होती हैं। प्लैनेरिया (Planaria) में पुनर्जनन (Regeneration) की असाधारण क्षमता होती है।
- उदाहरण: टीनिया (Taenia – Tapeworm), फेसिओला (Fasciola – Liver Fluke)।

4-2-5 संघ ऐसकेल्मिन्थीज (Aschelminthes – Roundworms)
- विशेषताएँ: ये प्राणी अनुप्रस्थ काट में गोलाकार (Circular in Cross-Section) होते हैं, इसलिए इन्हें गोलकृमि (Roundworms) कहते हैं। ये मुक्तजीवी (Free-living), जलीय (Aquatic), स्थलीय (Terrestrial), और परजीवी (Parasitic) होते हैं। ये द्विपार्श्व सममित, त्रिकोजी, और छद्मप्रगुही (Pseudocoelomate) प्राणी हैं। इनका शरीर अंग तंत्र स्तर (Organ System Level) का होता है। आहार नाल (Alimentary Canal) पूर्ण होती है, जिसमें सुविकसित पेशीय ग्रसनी (Muscular Pharynx) होती है।
- उदाहरण: ऐस्केरिस (Ascaris – Roundworm), वुचेरेरिया (Wuchereria – Filaria), एंकिलोस्टोमा (Ancylostoma – Hookworm)।
4-2-6 संघ एनिलिडा (Annelida – Segmented Worms)

- विशेषताएँ: ये प्राणी जलीय (खारा और मीठा जल), स्थलीय, स्वतंत्र जीवी (Free-living), और कभी-कभी परजीवी होते हैं। ये द्विपार्श्व सममित, त्रिकोजी, और प्रगुही प्राणी हैं। इनका शरीर स्पष्ट रूप से खंडों (Segments) में बँटा होता है। जलीय एनिलिड, जैसे नेरिस (Nereis) में, पार्श्वपाद (Parapodia) पाए जाते हैं, जो तैरने में सहायता करते हैं। बंद परिसंचरण तंत्र (Closed Circulatory System) और तंत्रिका तंत्र (Nervous System) होता है।
- उदाहरण: नेरिस (Nereis), पेरीटिमा (Pheretima – Earthworm), हिरुडिनेरिया (Hirudinaria – Leech)।
4-2-7 संघ आर्थ्रोपोडा (Arthropoda – Jointed Leg Animals)
- विशेषताएँ: यह प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है, जिसमें कीट (Insects) शामिल हैं। इनका शरीर काइटिनयुक्त बाह्यकंकाल (Chitinous Exoskeleton) से ढका होता है। शरीर सिर (Head), वक्ष (Thorax), और उदर (Abdomen) में विभाजित होता है। संयुक्त पाद (Jointed Legs) होते हैं। परिसंचरण तंत्र खुला (Open Circulatory System) होता है।
- उदाहरण: ऐपिस (Apis – Honeybee), बॉम्बिक्स (Bombyx – Silkworm), लैसिफर (Laccifer – Lac Insect), पालिन्यूरस (Palinurus – Lobster), स्कॉर्पियो (Scorpio – Scorpion)।


4-2-8 संघ मोलस्का (Mollusca – Soft-bodied Animals)
- विशेषताएँ: ये प्राणी स्थलीय, जलीय (खारी और मीठे जल), और अंग तंत्र स्तर के संगठन वाले होते हैं। इनका शरीर कोमल, कठोर कैल्सियम कार्बोनेट के कवच (Calcareous Shell) से ढका होता है। शरीर अखंड, जिसमें सिर (Head), पेशीय पाद (Muscular Foot), और एक अंतर्जनन कूबड़ (Visceral Hump) होता है। श्वसन और उत्सर्जन पंख जैसे क्लोम (Gills) द्वारा होता है।
- उदाहरण: पाइला (Pila – Snail), पिंकटाडा (Pinctada – Pearl Oyster), सिपिया (Sepia – Cuttlefish), ऑक्टोपस (Octopus)।
4-2-9 संघ एकाइनोडर्मेटा (Echinodermata – Spiny-skinned Animals)

- विशेषताएँ: ये सभी समुद्री प्राणी हैं और अंग तंत्र स्तर का संगठन रखते हैं। वयस्क एकाइनोडर्म अरीय सममित (Radially Symmetrical), जबकि लार्वा द्विपार्श्व सममित (Bilaterally Symmetrical) होते हैं। इनका शरीर कैल्सियम युक्त अंतःकंकाल (Calcareous Endoskeleton) से बना होता है। जल संनादन तंत्र (Water Vascular System) इनकी विशेषता है।
- उदाहरण: ऐस्टेरियस (Asterias – Starfish), एकाइनस (Echinus – Sea Urchin), एंटेडॉन (Antedon – Sea Lily)।
4-2-10 संघ हेमिकॉर्डेटा (Hemichordata)
- विशेषताएँ: इनका शरीर कृमि जैसा (Worm-like) और समुद्री होता है। इनमें स्टोमोकॉर्ड (Stomochord) नामक अल्पविकसित संरचना होती है, जो पृष्ठरज्जु के समान होती है। श्वसन क्लोम (Gills) द्वारा और निषेचन बाह्य (External) होता है।
- उदाहरण: बैलनोग्लॉसस (Balanoglossus), सैकोग्लॉसस (Saccoglossus)।
4-2-11 संघ कॉर्डेटा (Chordata – Animals with Notochord)

- विशेषताएँ: इनमें तीन मूलभूत लक्षण होते हैं: पृष्ठरज्जु (Notochord), पृष्ठीय खोखली तंत्रिका-रज्जु (Dorsal Hollow Nerve Cord), और युग्मित ग्रसनी क्लोम छिद्र (Paired Pharyngeal Gill Slits)। ये द्विपार्श्व सममित, त्रिकोजी, और प्रगुही प्राणी हैं। इनमें बंद परिसंचरण तंत्र (Closed Circulatory System) और गुदा-पश्च पूँछ (Post-anal Tail) होती है।
- उपसंघ (Subphyla):
- यूरोकॉर्डेटा (Urochordata): पृष्ठरज्जु केवल लार्वा की पूँछ में पाई जाती है। उदाहरण: ऐसिडिया (Ascidia), सैल्पा (Salpa), डोलिओलम (Doliolum)।
- सेफैलोकॉर्डेटा (Cephalochordata): पृष्ठरज्जु सिर से पूँछ तक फैली होती है। उदाहरण: ब्रांकियोस्टोमा (Branchiostoma – Amphioxus)।
- वर्टिब्रेटा (Vertebrata): पृष्ठरज्जु भ्रूणीय अवस्था में पाई जाती है, जो वयस्क अवस्था में कशेरुका (Vertebrae) में बदल जाती है।

4-2-11-1 वर्ग साइक्लोस्टोमाटा (Cyclostomata – Jawless Vertebrates)
- विशेषताएँ: ये सभी प्राणी कुछ मछलियों के बाह्य परजीवी (Ectoparasites) होते हैं। इनका शरीर लंबा और श्वसन के लिए 6-15 जोड़ी क्लोम छिद्र (Gill Slits) होते हैं। इनमें जबड़े (Jaws) और युग्मित पंख (Paired Fins) नहीं होते। कपाल (Cranium) और मेरुदंड (Vertebral Column) उपास्थिमय (Cartilaginous) होता है। ये समुद्री और मीठे जल में प्रवास करते हैं।
- उदाहरण: पेट्रोमाइज़ॉन (Petromyzon – Lamprey), मिक्सिन (Myxine – Hagfish)।
4-2-11-2 वर्ग कॉन्ड्रिक्थीज (Chondrichthyes – Cartilaginous Fish)
- विशेषताएँ: ये धारा रेखीय (Streamlined) शरीर वाले समुद्री प्राणी हैं। इनका अंतःकंकाल उपास्थिमय (Cartilaginous) होता है। त्वचा सख्त और सूक्ष्म पर्णनुमा शल्कयुक्त (Placoid Scales) होती है। जबड़े शक्तिशाली होते हैं। हृदय दो प्रकोष्ठों (Two-chambered) का होता है। ये असमरूपी (Poikilothermic) होते हैं।
- उदाहरण: स्कॉलियोडॉन (Scoliodon – Dogfish), प्रिस्टिस (Pristis – Sawfish), कार्करोडॉन (Carcharodon – Great White Shark), ट्राइगॉन (Trygon – Stingray)।
4-2-11-3 वर्ग ऑस्टिक्थीज (Osteichthyes – Bony Fish)
- विशेषताएँ: ये खारी और मीठे दोनों प्रकार के जल में पाए जाते हैं। इनका अंतःकंकाल अस्थिमय (Bony) होता है। शरीर धारा रेखीय होता है। हृदय दो प्रकोष्ठों का होता है। वायुकोष (Air Bladder) उछाल में सहायक होता है। ये असमरूपी होते हैं।
- उदाहरण: एक्सोसेटस (Exocoetus – Flying Fish), हिप्पोकैम्पस (Hippocampus – Seahorse), लैबियो (Labeo – Rohu), क्लारियस (Clarias – Magur)।
4-2-11-4 वर्ग एम्फीबिया (Amphibia – Amphibians)
- विशेषताएँ: ये जल और स्थल दोनों में रह सकते हैं। अधिकांश में दो जोड़ी पैर होते हैं। त्वचा नम और शल्क रहित होती है। श्वसन क्लोम, फुफ्फुस, और त्वचा द्वारा होता है। हृदय तीन प्रकोष्ठों (Three-chambered) का होता है। ये असमरूपी होते हैं।
- उदाहरण: ब्यूफो (Bufo – Toad), राना टिग्रिना (Rana tigrina – Frog), हायला (Hyla – Tree Frog), सैलमैंड्रा (Salamandra – Salamander)।
4-2-11-5 वर्ग रेप्टिलिया (Reptilia – Reptiles)
- विशेषताएँ: इनका शरीर शुष्क, कठोर शल्कयुक्त त्वचा से ढका होता है। श्वसन फुफ्फुस (Lungs) द्वारा होता है। हृदय सामान्यतः तीन प्रकोष्ठों का होता है, लेकिन मगरमच्छ में चार प्रकोष्ठों का होता है। ये असमरूपी होते हैं।
- उदाहरण: किलोन (Chelone – Turtle), टेस्ट्यूडो (Testudo – Tortoise), केमिलियन (Chameleon – Lizard), क्रोकोडाइलस (Crocodilus – Crocodile)।
4-2-11-6 वर्ग एव्स (Aves – Birds)
- विशेषताएँ: इनका मुख्य लक्षण पंखों (Feathers) की उपस्थिति और उड़ने की क्षमता है। अग्रपाद पंखों में रूपांतरित होकर उड़ने में सहायता करते हैं। त्वचा शुष्क होती है। हृदय पूर्ण चार प्रकोष्ठों का होता है। ये समरूपी (Homeothermic) होते हैं।
- उदाहरण: कौर्वस (Corvus – Crow), कोलंबा (Columba – Pigeon), सिट्टाकुला (Psittacula – Parrot), स्ट्रूथियो (Struthio – Ostrich)।
4-2-11-7 वर्ग ममेलिया (Mammalia – Mammals)
- विशेषताएँ: ये सभी प्रकार के पर्यावरण में पाए जाते हैं। इनका मुख्य लक्षण दूध उत्पन्न करने वाली स्तन ग्रंथियाँ (Mammary Glands) हैं। त्वचा पर बाल (Hair) पाए जाते हैं। हृदय चार प्रकोष्ठों का होता है। ये सामान्यतः जरायुज (Viviparous) होते हैं।
- उदाहरण: ऑर्निथोरिंकस (Ornithorhynchus – Platypus), मैक्रोपस (Macropus – Kangaroo), रैटस (Rattus – Rat), फेलिस (Felis – Cat), पैंथेरा टाइग्रिस (Panthera tigris – Tiger)।
सारांश (Summary)
मूलभूत लक्षण जैसे संगठन के स्तर, सममिति, कोशिकीय संगठन, प्रगुहा, खंडीभवन, और पृष्ठरज्जु प्राणी जगत के वर्गीकरण के आधार हैं। इनके अतिरिक्त कई अन्य लक्षण भी हैं जो विशिष्ट संघों या वर्गों की विशेषताएँ हैं।
- पोरिफेरा (Porifera): बहुकोशिकीय प्राणी, कोशिकीय स्तर का संगठन, और कोएनोसाइट कोशिकाएँ (Choanocytes)।
- सिलेंटरेटा (Cnidaria): नाइडोब्लास्ट (Nematocysts) और गैस्ट्रोवैस्कुलर प्रगुहा।
- टीनोफोरा (Ctenophora): कंघी प्लेट्स (Comb Plates) और जैवप्रकाशन।
- प्लैटिहेल्मिन्थीज (Platyhelminthes): चपटा शरीर, परजीवी, और पुनर्जनन की क्षमता।
- ऐसकेल्मिन्थीज (Aschelminthes): गोलकृमि, छद्मप्रगुही।
- एनिलिडा (Annelida): खंडीभवन और बंद परिसंचरण तंत्र।
- आर्थ्रोपोडा (Arthropoda): संयुक्त पाद और काइटिनयुक्त बाह्यकंकाल।
- मोलस्का (Mollusca): कोमल शरीर, कैल्सियम कार्बोनेट कवच।
- एकाइनोडर्मेटा (Echinodermata): जल संनादन तंत्र और अरीय सममिति।
- हेमिकॉर्डेटा (Hemichordata): स्टोमोकॉर्ड और कृमि जैसा शरीर।
- कॉर्डेटा (Chordata): पृष्ठरज्जु, खोखली तंत्रिका-रज्जु, और क्लोम छिद्र।
अभ्यास (Practice Questions)
Animal Kingdom Classification: FAQs
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यदि मूलभूत लक्षण ज्ञात न हों, तो प्राणियों के वर्गीकरण में आप क्या परेशानियाँ महसूस करेंगे?
उत्तर: यदि मूलभूत लक्षण जैसे संगठन का स्तर, सममिति, प्रगुहा, खंडीभवन और पृष्ठरज्जु की उपस्थिति आदि ज्ञात न हों, तो निम्नलिखित परेशानियाँ होंगी:
प्राणी को उचित संघ (Phylum) या वर्ग में रखना कठिन होगा।
प्राणी की संरचना और कार्यों की तुलना अन्य प्राणियों से नहीं की जा सकेगी।
प्रजातियों की पहचान और उनके विकासीय संबंधों का निर्धारण असंभव होगा।
वर्गीकरण में त्रुटियाँ हो सकती हैं, जिससे गलत निष्कर्ष निकल सकते हैं। -
यदि आपको एक नमूना (Specimen) दे दिया जाए तो वर्गीकरण हेतु आप क्या कदम उठाएँगे?
उत्तर: नमूने के वर्गीकरण के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाएँगे:
बाह्य संरचना का अवलोकन: शरीर की आकृति, सममिति (असममित, अरीय, या द्विपार्श्व), और बाह्य अंगों (पंख, पाद, शल्क आदि) की जाँच।
आंतरिक संरचना का अध्ययन: प्रगुहा (प्रगुही, छद्मप्रगुही, अप्रगुही), पाचन तंत्र (पूर्ण या अपूर्ण) और तंत्रिका तंत्र की उपस्थिति।
संगठन स्तर का निर्धारण: कोशिकीय, ऊतक, अंग, या अंग तंत्र स्तर।
विशिष्ट लक्षणों की पहचान: जैसे पृष्ठरज्जु, कंघी प्लेट्स, या जल संनादन तंत्र।
तुलना और वर्गीकरण: लक्षणों की तुलना मानक वर्गीकरण प्रणाली से कर प्राणी को उचित संघ में रखना। -
देहप्रगुहा और प्रगुहा का अध्ययन प्राणियों के वर्गीकरण में किस प्रकार सहायक होता है?
उत्तर: देहप्रगुहा और प्रगुहा का अध्ययन वर्गीकरण में निम्नलिखित रूप से सहायक है:
प्रगुहा की उपस्थिति: प्राणियों को प्रगुही (Coelomate), छद्मप्रगुही (Pseudocoelomate) और अप्रगुही (Acoelomate) में वर्गीकृत करता है। उदाहरण: एनिलिडा (प्रगुही), ऐसकेल्मिन्थीज (छद्मप्रगुही), और प्लैटिहेल्मिन्थीज (अप्रगुही)।
शारीरिक जटिलता: प्रगुहा की उपस्थिति प्राणी की शारीरिक जटिलता और अंगों की व्यवस्था को दर्शाती है।
विकासीय संबंध: प्रगुहा प्राणियों के विकासीय इतिहास और उनके बीच संबंधों को समझने में मदद करती है।
कार्यात्मक महत्व: प्रगुहा अंगों को गति और सुरक्षा प्रदान करती है, जो प्राणी के कार्यों को प्रभावित करती है।
अंतःकोशिकीय पाचन (Intracellular Digestion): पाचन कोशिकाओं के अंदर होता है, जहाँ भोजन कण फागोसाइटोसिस द्वारा कोशिका में अवशोषित किए जाते हैं। उदाहरण: स्पंज (Porifera) और सिलेंटरेट (Cnidaria)।
बाह्यकोशिकीय पाचन (Extracellular Digestion): पाचन शरीर के बाहर या आहार नाल में होता है, जहाँ एंजाइम भोजन को तोड़ते हैं। उदाहरण: एनिलिडा (Annelida), आर्थ्रोपोडा (Arthropoda) और रज्जुकी (Chordata)।
5. प्रश्न: प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परिवर्धन में क्या अंतर है?
उत्तर:
- प्रत्यक्ष परिवर्धन (Direct Development): नवजात प्राणी वयस्क के समान होता है और लार्वा अवस्था नहीं होती। उदाहरण: सरीसृप (Reptilia) और ममेलिया (Mammalia)।
- अप्रत्यक्ष परिवर्धन (Indirect Development): भ्रूण से लार्वा अवस्था उत्पन्न होती है, जो वयस्क से भिन्न होती है और रूपांतरण (Metamorphosis) द्वारा वयस्क बनती है। उदाहरण: एम्फीबिया (Amphibia) और सिलेंटरेट (Cnidaria)।
6. प्रश्न: परजीवी प्लैटिहेल्मिन्थीज के विशेष लक्षण बताएँ।
उत्तर: परजीवी प्लैटिहेल्मिन्थीज (Platyhelminthes) के विशेष लक्षण:
- चपटा शरीर: पृष्ठीय रूप से चपटा (Dorsoventrally Flattened)।
- अप्रगुही: प्रगुहा का अभाव।
- चूषक और अंकुश: परजीवी जीवन के लिए अनुकूलित, जैसे टीनिया (Tapeworm) में।
- पुनर्जनन क्षमता: उच्च पुनर्जनन क्षमता, जैसे प्लैनेरिया (Planaria) में।
- उभयलिंगी: नर और मादा जनन अंग एक ही प्राणी में।
- आंतरिक निषेचन: कई लार्वा अवस्थाओं के साथ अप्रत्यक्ष परिवर्धन।
7. प्रश्न: आर्थ्रोपोडा प्राणी-समूह का सबसे बड़ा वर्ग है, इस कथन के प्रमुख कारण बताएँ।
उत्तर: आर्थ्रोपोडा (Arthropoda) सबसे बड़ा संघ है क्योंकि:
- प्रजातियों की विविधता: लगभग दो-तिहाई प्रजातियाँ (जैसे कीट, मकड़ी, केकड़े) इस संघ में हैं।
- अनुकूलन क्षमता: काइटिनयुक्त बाह्यकंकाल और संयुक्त पाद विभिन्न पर्यावरणों में अनुकूलन प्रदान करते हैं।
- विविध आवास: स्थलीय, जलीय, और हवाई पर्यावरण में पाए जाते हैं।
- उच्च प्रजनन दर: कीटों में तेज प्रजनन और छोटा जीवन चक्र।
- विकासीय सफलता: खंडीभवन और विशिष्ट अंग प्रणालियाँ।
8. प्रश्न: जल संनादन तंत्र किस वर्ग की मुख्य विशेषता है?
(क) पोरिफेरा (ख) टीनोफोरा (ग) एकाइनोडर्मेटा (घ) कॉर्डेटा
उत्तर: (ग) एकाइनोडर्मेटा
विश्लेषण: जल संनादन तंत्र (Water Vascular System) एकाइनोडर्मेटा (Echinodermata) की मुख्य विशेषता है, जो गति, श्वसन, और भोजन संग्रहण में सहायक है। अन्य विकल्पों में यह तंत्र नहीं पाया जाता।
9. प्रश्न: सभी कशेरुकी (Vertebrates) रज्जुकी (Chordates) हैं, लेकिन सभी रज्जुकी कशेरुकी नहीं हैं। इस कथन को सिद्ध करें।
उत्तर:
- कशेरुकी रज्जुकी हैं: सभी कशेरुकी (Vertebrates) में पृष्ठरज्जु (Notochord), पृष्ठीय खोखली तंत्रिका-रज्जु, और क्लोम छिद्र जैसे रज्जुकी लक्षण होते हैं, जो भ्रूणीय अवस्था में मौजूद होते हैं।
- सभी रज्जुकी कशेरुकी नहीं: कुछ रज्जुकी, जैसे यूरोकॉर्डेटा (Urochordata) और सेफैलोकॉर्डेटा (Cephalochordata), में पृष्ठरज्जु होती है, लेकिन कशेरुका (Vertebrae) नहीं बनती। उदाहरण: ऐसिडिया (Ascidia) में केवल लार्वा में पृष्ठरज्जु होती है।
10. प्रश्न: मछलियों में वायु-आशय (Air Bladder) की उपस्थिति का क्या महत्व है?
उत्तर: वायु-आशय (Air Bladder) का महत्व:
- उछाल नियंत्रण: मछलियों को जल में तैरने और गहराई नियंत्रित करने में मदद करता है।
- ऊर्जा संरक्षण: तैरने में कम ऊर्जा खर्च होती है।
- श्वसन सहायता: कुछ मछलियों में वायु-आशय श्वसन में सहायक होता है।
- ध्वनि उत्पादन: कुछ प्रजातियों में ध्वनि उत्पन्न करने में उपयोगी।
उदाहरण: ऑस्टिक्थीज (Bony Fish) जैसे लैबियो (Rohu)।
11. प्रश्न: पक्षियों में उड़ने हेतु क्या-क्या रूपांतरण हैं?
उत्तर: पक्षियों में उड़ने के लिए रूपांतरण:
- पंख (Feathers): हल्के और मजबूत, उड़ान में सहायक।
- अग्रपाद का पंखों में रूपांतरण: उड़ान के लिए अनुकूलित।
- हल्की हड्डियाँ: खोखली हड्डियाँ (Pneumatic Bones) वजन कम करती हैं।
- वायुकोष (Air Sacs): श्वसन और उछाल में सहायक।
- चार प्रकोष्ठीय हृदय: उच्च चयापचय के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति।
12. प्रश्न: अंडजनन और जरायुज द्वारा उत्पन्न अंडे या बच्चे संख्या में बराबर होते हैं? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्यों?
उत्तर: नहीं, अंडजनन (Oviparous) और जरायुज (Viviparous) द्वारा उत्पन्न अंडे या बच्चे संख्या में बराबर नहीं होते।
- अंडजनन: अधिक अंडे उत्पन्न होते हैं क्योंकि बाह्य निषेचन और पर्यावरणीय जोखिमों के कारण जीवित रहने की संभावना कम होती है। उदाहरण: मछलियाँ, उभयचर।
- जरायुज: कम बच्चे उत्पन्न होते हैं क्योंकि आंतरिक निषेचन और मातृ संरक्षण के कारण जीवित रहने की संभावना अधिक होती है। उदाहरण: ममेलिया।
13. प्रश्न: निम्नलिखित में से शारीरिक खंडीभवन किसमें पहले देखा गया?
(क) प्लैटिहेल्मिन्थीज (ख) ऐसकेल्मिन्थीज (ग) एनिलिडा (घ) आर्थ्रोपोडा
उत्तर: (ग) एनिलिडा
विश्लेषण: शारीरिक खंडीभवन (Segmentation) सबसे पहले एनिलिडा (Annelida) में देखा गया, जैसे केंचुआ (Earthworm) में, जहाँ शरीर खंडों में विभाजित होता है। प्लैटिहेल्मिन्थीज और ऐसकेल्मिन्थीज में खंडीभवन नहीं होता, और आर्थ्रोपोडा में यह एनिलिडा के बाद विकसित हुआ।
14. प्रश्न: निम्न का मिलान करें:
(i) प्रणदन (Tentacles) – (क) टीनोफोरा
(ii) पार्श्वपाद (Parapodia) – (ख) मोलस्का
(iii) शल्क (Scales) – (ग) पोरिफेरा
(iv) कंघी प्लेट्स (Comb Plates) – (घ) रेप्टिलिया
(v) रैड्यूला (Radula) – (ङ) एनिलिडा
(vi) बाल (Hair) – (च) साइक्लोस्टोमाटा और कॉन्ड्रिक्थीज
(vii) कोएनोसाइट कोशिकाएँ (Choanocytes) – (छ) ममेलिया
(viii) क्लोम छिद्र (Gill Slits) – (ज) ऑस्टिक्थीज
उत्तर:
(i) प्रणदन – (ख) मोलस्का
(ii) पार्श्वपाद – (ङ) एनिलिडा
(iii) शल्क – (घ) रेप्टिलिया
(iv) कंघी प्लेट्स – (क) टीनोफोरा
(v) रैड्यूला – (ख) मोलस्का
(vi) बाल – (छ) ममेलिया
(vii) कोएनोसाइट कोशिकाएँ – (ग) पोरिफेरा
(viii) क्लोम छिद्र – (ज) ऑस्टिक्थीज
15. प्रश्न: मनुष्यों पर पाए जाने वाले कुछ परजीवियों के नाम लिखें।
उत्तर: मनुष्यों पर पाए जाने वाले परजीवी:
- टीनिया सोलियम (Taenia solium – Pork Tapeworm)
- ऐस्केरिस लुंब्रिकॉइड्स (Ascaris lumbricoides – Roundworm)
- वुचेरेरिया बैंक्रॉफ्टी (Wuchereria bancrofti – Filarial Worm)
- एंटामोइबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica – Amoeba)
- प्लास्मोडियम (Plasmodium – Malaria Parasite)