MP Board 10th SST Print culture and the Modern World Question Answer
MP Board 10th SST Print culture and the Modern World One Liner:
- मुद्रण की सबसे पहली तकनीक चीन, जापान और कोरिया में विकसित हुई।
- पारंपरिक चीनी किताब ‘एकॉडियन’ शैली में किनारों को मोड़ने के बाद सिल कर बनाई जाती थी।
- किताबों का सुलेखन या खुशनवीसी करने वाले लोग दक्ष सुलेखक होते थे।
- मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक चीनी राजतंत्र था।
- चीनी बौद्ध छपाई की तकनीक लेकर जापान आए।
- जापान की सबसे पुरानी पुस्तक डायमंड सूत्र है।
- त्रिपीटका कोरियाना वुडब्लाक्स मुद्रण के रूप में बौद्ध ग्रंथों का कोरियाई संग्रह है।
- कितागावा उतामारो ने उकियो नाम की चित्रकला शैली में अहम योगदान दिया।
- चीन से रेशम और मसाले रेशम मार्ग से यूरोप आते थे।
- मार्को पोलो वुड ब्लाक वाली छपाई की तकनीक चीन से लेकर आया था।
- चर्म पत्र या जानवरों के चमड़े से बनी लेखन की सतह को वेलम कहा जाता था।
- गुटेन्बर्ग के पिता व्यापारी थे।
- गुटेन्बर्ग का पूरा नाम योहान गुटेन्बर्ग था।
- प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार गुटेन्बर्ग ने 1448 में किया।
- गुटेन्बर्ग ने जैतून प्रेस को प्रिंटिंग का मॉडल बनाया था।
- गुटेन्बर्ग ने सबसे पहली किताब बाइबिल छापी थी।
- गुटेन्बर्ग ने बाइबिल की 180 प्रतियाँ छापी थीं।
- गुटेन्बर्ग ने छपाई के लिए रोमन वर्णमाला के 26 अक्षरों के टाइप बनाए।
- गुटेन्बर्ग की प्रिंटिंग मशीन को मूवेबल टाइप प्रिंटिंग मशीन के नाम से जाना गया।
- गुटेन्बर्ग प्रेस एक घंटे में 250 प्रति छाप सकता था।
- लेटरप्रेस छपाई में प्लाटेन एक बोर्ड होता है।
- छपाई के लिए इबारत कम्पोज करने वाले व्यक्ति को कम्पोजीटर कहा जाता था।
- धातुई फ्रेम जिसमें टाइप बिछाकर इबारत बनाई जाती थी, गैली कहलाती थी।
- लोकगीत का ऐतिहासिक आख्यान जिसे गाया या सुनाया जाता था, गाथा गीत कहलाता है।
- मार्टिन लूथर एक धर्म सुधारक थे।
- मार्टिन लूथर ने कहा “मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम् देन है, सबसे बड़ा तोहफ़ा”।
- सोलहवीं सदी में यूरोप में रोमन कैथलिक चर्च में सुधार के आंदोलन को प्रोटेस्टेंट धर्म सुधार कहा गया।
- इटली में धर्म-द्रोहियों की शिनाख्त करने और सजा देने वाली रोमन कैथोलिक संस्था को इन्क्वीजीशन कहा गया।
- इरैस्मस ने कहा “किताबें भिनभिनाती मक्खियों की तरह हैं, दुनिया का कौन सा कोना है जहाँ ये नहीं पहुँच पाती?”
- इंसान या विचार जो चर्च की मान्यताओं से असहमत होते थे, धर्म विरोधी कहलाते थे।
- किसी धर्म का एक उपसमूह संप्रदाय कहा जाता है।
- पकेट बुक के आकार की किताबों को चैपबुक कहा जाता था।
- इंग्लैंड में पेनी चैपबुक्स या एकपैसिया किताबें बेचने वालों को चैपमेन कहा जाता था।
- रूसो एक दार्शनिक थे।
- फ्रांस के उपन्यासकार लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए ने घोषणा की “छापाख़ाना प्रगति का सबसे ताकतवर औज़ार है, इसमें बन रही जनमत की आँधी में निरंकुशवाद उड़ जाएगा”।
- राजकाज की ऐसी व्यवस्था जिसमें किसी एक व्यक्ति को संपूर्ण शक्ति प्राप्त हो, उस पर कोई पाबंदी न हो, निरंकुशवाद कहलाता है।
- बाल पुस्तकें छापने के लिए प्रेस फ्रांस में स्थापित किया गया।
- ग्रिम बंधु जर्मनी के थे।
- अठारहवीं सदी के अंत तक प्रेस धातु से बनने लगे थे।
- “गीत गोविंद” की रचना संस्कृत के महान कवि जयदेव ने की थी।
- पांडुलिपियाँ ताड़ के पत्तों या हाथ से बने कागज पर नकल कर बनाई जाती थीं।
- भारत में प्रिंटिंग प्रेस लाने का श्रेय पुर्तगालियों को जाता है।
- भारत में सबसे पहली प्रिंटिंग प्रेस सोलहवीं सदी में गोवा में लगाई गई थी।·
- भारत में सबसे पहले कोंकणी और तेलुगु भाषाओं में किताबें छापी गईं।
- भारत में प्रेस के जनक जेम्स आगस्टस हिक्की हैं।
- राजा राममोहन राय ने एक बंगाली साप्ताहिक समाचार पत्र संबाद कौमुदी प्रकाशित किया।
- दो फारसी अख़बार जाम-ए-जहाँ नामा और शम्सुल अख़बार 1882 में प्रकाशित हुए।
- इस्लामी कानून और शरिया के विद्वान को उलमा कहा जाता था।
- इस्लामी कानून जानने वाले विद्वान द्वारा की जाने वाली घोषणा फ़तबा कहलाता है।
- तुलसीदास की सोलहवीं सदी की किताब रामचरितमानस का पहला मुद्रित संस्करण कलकत्ता से प्रकाशित हुआ।
- राजा रवि वर्मा उन्नीसवीं सदी के भारत के प्रसिद्ध चित्रकार थे।
- रससुन्दरी देवी बंगाली साहित्य की प्रारम्भिक महिला लेखक थीं।
- हिन्दी छपाई की शुरुआत 1870 के दशक से हुई।
- अमर जीबन नामक आत्मकथा रससुन्दरी देवी ने लिखी।
- ज्योतिबा फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगिरी में जाति प्रथा के अत्याचारों पर लिखा।
- मद्रास में ई.वी. रामास्वामी नायकर को पेरियार नाम से जाना जाता है।
- आधुनिक असमिया साहित्य के एक वरिष्ठ रचनाकार लक्ष्मीनाथ बेजबरूवा थे।
- असम का लोकप्रिय गीत ओ मेरे अपुनर देश लक्ष्मीनाथ बेजबरूवा ने लिखा था।
- बाल गंगाधर तिलक ने मराठी भाषा का समाचार पत्र केसरी निकाला।
- भारतीय भाषाओं के पत्र-पत्रिकाओं पर कड़ा नियंत्रण रखने के लिए बर्नाक्युलर प्रेस एक्ट 1878 में लागू किया गया।