MP Board 10th Hindi Quick Revision Pocket Diary कक्षा 10 हिन्दी पॉकेट डायरी

MP Board 10th Hindi Quick Revision Pocket Diary: कक्षा 10 हिन्दी पॉकेट डायरी

MP Board 10th Hindi Quick Revision Pocket Diary

यह गाइड MP बोर्ड कक्षा 10वीं के हिन्दी पाठ्यक्रम के सभी खंडों (क्षितिज, कृतिका, काव्य बोध, भाषा बोध) के विस्तृत, परीक्षा-केंद्रित और अति-महत्वपूर्ण प्रश्नों के अंतिम रिवीजन के लिए बनाई गई है।

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खंड 1: क्षितिज भाग 2 (काव्य खण्ड)

अध्याय 1: सूरदास – पद

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • कवि: सूरदास।
  • काल: भक्ति काल (कृष्ण भक्ति शाखा, सगुण धारा)।
  • रचना: ‘सूरसागर’ के ‘भ्रमरगीत’ प्रसंग से।
  • भाषा: ब्रजभाषा।
  • मुख्य भाव: गोपियों का कृष्ण के प्रति एकनिष्ठ प्रेम। निर्गुण (ज्ञान) पर सगुण (प्रेम) की विजय। गोपियों की वाक्पटुता (व्यंग्य)।
  • प्रमुख प्रतीक/तुलनाएँ:
  • उद्धव: ‘बड़भागी’ (व्यंग्य में), ‘कमल का पत्ता’ (पुरइनि पात), ‘तेल की गागर’।
  • योग संदेश: ‘कड़वी ककड़ी’ (करुई ककरी), ‘सु व्याधि’ (बीमारी)।
  • गोपियों का प्रेम: ‘गुड़ से लिपटी चींटी’ (गुर चाँटी ज्यौं पागी), ‘हारिल की लकड़ी’।
  • राजधर्म‘: गोपियों के अनुसार, राजधर्म वह है जिसमें प्रजा को सताया न जाए।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) सूरदास के पदों की भाषा है:

(अ) अवधी (ब) ब्रज (स) खड़ी बोली (द) बुंदेली

उत्तर: (ब) ब्रज

(ii) ‘पुरइनि पात’ का अर्थ है:

(अ) पीपल का पत्ता (ब) केले का पत्ता (स) कमल का पत्ता (द) नीम का पत्ता

उत्तर: (स) कमल का पत्ता

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) गोपियों ने उद्धव को ______ कहकर व्यंग्य किया है। (बड़भागी)

(ii) गोपियों ने योग संदेश को ______ के समान कड़वा बताया है। (कड़वी ककड़ी)

(iii) सूरदास जी मुख्यतः ______ रस के सम्राट माने जाते हैं। (वात्सल्य)

3. सत्य/असत्य लिखिए:

(i) गोपियों ने उद्धव के संदेश को सहर्ष स्वीकार कर लिया। (असत्य)

(ii) गोपियों ने अपने प्रेम की तुलना हारिल पक्षी की लकड़ी से की है। (सत्य)

4. सही जोड़ी बनाइए:

| स्तंभ ‘अ’ | स्तंभ ‘ब’ |

| :— | :— |

| (1) सूरदास | (अ) योग संदेश |

| (2) उद्धव | (ब) वात्सल्य सम्राट |

| (3) हारिल की लकरी | (स) कमल का पत्ता |

| (4) पुरइनि पात | (द) कृष्ण के प्रति प्रेम |

उत्तर: (1)-(ब), (2)-(अ), (3)-(द), (4)-(स)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): गोपियों ने ‘बड़भागी’ किसे कहा है?

उत्तर: गोपियों ने ‘बड़भागी’ (भाग्यवान) कहकर उद्धव पर व्यंग्य किया है।

प्रश्न (2 अंक): गोपियों द्वारा उद्धव को ‘भाग्यवान’ कहने में क्या व्यंग्य निहित है?

उत्तर: गोपियाँ उद्धव पर व्यंग्य करती हैं कि वे कृष्ण रूपी प्रेम के सागर के पास रहकर भी उस प्रेम से अछूते (निर्लिप्त) रहे। वे जिसे भाग्य समझ रहे हैं, वह वास्तव में गोपियों की नज़र में दुर्भाग्य है, क्योंकि वे प्रेम के आनंद को नहीं समझ सके।

प्रश्न (3 अंक): गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?

उत्तर: गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने की बात कही है, जिनका मन चंचल है या स्थिर नहीं है (जिनके मन चकरी)। गोपियों का मन तो कृष्ण के प्रेम में पहले से ही एकाग्र और स्थिर है, इसलिए उन्हें योग-साधना की कोई आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न (3 अंक): गोपियों ने ‘राजधर्म’ की क्या परिभाषा बताई है और क्यों?

उत्तर: गोपियों ने उद्धव को याद दिलाया कि ‘राजा का धर्म यह होना चाहिए कि वह अपनी प्रजा को किसी प्रकार से सताए नहीं’ (जासु प्रजा न जाहिं सताई)। गोपियों के अनुसार, कृष्ण ने मथुरा जाकर उन्हें विरह में पीड़ित किया और अब योग संदेश भेजकर उन्हें और सता रहे हैं, जो कि राजधर्म के विरुद्ध है।

अध्याय 2: तुलसीदास – राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • कवि: गोस्वामी तुलसीदास।
  • काल: भक्ति काल (राम भक्ति शाखा)।
  • भाषा: अवधी।
  • स्रोत: ‘रामचरितमानस’ के ‘बालकांड’ से।
  • प्रसंग: सीता स्वयंवर में शिव धनुष टूटने पर परशुराम का क्रोध।
  • मुख्य भाव: परशुराम का क्रोध, लक्ष्मण का व्यंग्यपूर्ण एवं तर्कपूर्ण उत्तर, और श्रीराम की विनम्रता।
  • रस: रौद्र रस (परशुराम) और वीर रस (लक्ष्मण)।
  • मुख्य पात्र/शब्द: ‘भृगुसुत’, ‘भृगुकुलकेतु’ (परशुराम), ‘कुम्हड़बतिया’ (छुईमुई/कमजोर), ‘कुठारु’ (कुल्हाड़ी), ‘गाधिसूनु’ (विश्वामित्र)।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) यह संवाद ‘रामचरितमानस’ के किस कांड से लिया गया है?

(अ) अरण्यकांड (ब) बालकांड (स) सुंदरकांड (द) उत्तरकांड

उत्तर: (ब) बालकांड

(ii) ‘भृगुसुत’ किसे कहा गया है?

(अ) लक्ष्मण को (ब) राम को (स) परशुराम को (द) विश्वामित्र को

उत्तर: (स) परशुराम को

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) ‘रामचरितमानस’ की मुख्य भाषा ______ है। (अवधी)

(ii) परशुराम के गुरु भगवान ______ थे। (शिव)

(iii) लक्ष्मण के वचन परशुराम के क्रोध रूपी अग्नि में ______ का काम कर रहे थे। (आहुति)

3. सत्य/असत्य लिखिए:

(i) परशुराम के क्रोध का कारण लक्ष्मण का व्यवहार था। (असत्य – मुख्य कारण शिव धनुष का टूटना था)

(ii) श्रीराम के वचन सुनकर परशुराम का क्रोध शांत हो गया। (सत्य)

4. सही जोड़ी बनाइए:

| स्तंभ ‘अ’ | स्तंभ ‘ब’ |

| :— | :— |

| (1) तुलसीदास | (अ) परशुराम |

| (2) भृगुकुलकेतु | (ब) अवधी भाषा |

| (3) कुम्हड़बतिया | (स) लक्ष्मण |

| (4) रघुकुलभानु | (द) श्रीराम |

उत्तर: (1)-(ब), (2)-(अ), (3)-(स), (4)-(द)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): परशुराम के क्रोध करने का मुख्य कारण क्या था?

उत्तर: उनके आराध्य भगवान शिव के धनुष का खंडित होना (टूटना)।

प्रश्न (2 अंक): लक्ष्मण ने ‘कुम्हड़बतिया’ के उदाहरण से क्या सिद्ध करना चाहा?

उत्तर: लक्ष्मण ने ‘कुम्हड़बतिया’ (छुईमुई का पौधा) का उदाहरण देकर यह सिद्ध करना चाहा कि वे भी उस पौधे की तरह कमज़ोर नहीं हैं, जो तर्जनी (उँगली) दिखाने मात्र से मुरझा जाए। अर्थात्, वे परशुराम के केवल फरसे को देखकर डरने वाले नहीं हैं।

प्रश्न (3 अंक): लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?

उत्तर: लक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं:

  1. वीर योद्धा धैर्यवान और क्षोभरहित होता है।
  2. वह युद्धभूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन करता है, न कि अपने बल का व्यर्थ बखान करता है।
  3. वह देवता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गाय पर अपनी शूरवीरता नहीं दिखाता, क्योंकि इनसे हारना अपयश और इन्हें मारना पाप होता है।

प्रश्न (3 अंक): परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा? (अपनी किन विशेषताओं का बखान किया?)

उत्तर: परशुराम ने अपने विषय में कहा:

  1. वे ‘बाल ब्रह्मचारी’ और अत्यंत क्रोधी (अति कोही) हैं।
  2. वे क्षत्रिय कुल के घोर शत्रु के रूप में विश्व-विदित हैं।
  3. उन्होंने अपनी भुजाओं के बल पर पृथ्वी को कई बार राजाओं से रहित (क्षत्रिय-विहीन) कर दिया और उसे ब्राह्मणों को दान में दे दिया।
  4. उनका ‘कुठारु’ (फरसा) अत्यंत भयानक है, जिसने सहस्रबाहु की भुजाओं को काट डाला था।

अध्याय 7: पद्य साहित्य का इतिहास एवं काल विभाजन

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • काल विभाजन: 1. आदिकाल (वीरगाथा काल), 2. भक्तिकाल (पूर्व मध्यकाल), 3. रीतिकाल (उत्तर मध्यकाल), 4. आधुनिक काल।
  • भक्ति काल (स्वर्ण युग): हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग।
  • निर्गुण धारा: 1. ज्ञानमार्गी (कबीर), 2. प्रेममार्गी (जायसी)।
  • सगुण धारा: 1. रामभक्ति (तुलसीदास), 2. कृष्णभक्ति (सूरदास)।
  • रीति काल: श्रृंगार और अलंकार प्रधान (केशव, बिहारी, भूषण)।
  • आधुनिक काल:
  • छायावाद (प्रमुख): 4 स्तंभ – जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा।
  • प्रगतिवाद: शोषितों और किसानों की बात (नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल)।
  • प्रयोगवाद: नए बिम्ब, प्रतीक (अज्ञेय – ‘तार सप्तक’ के प्रवर्तक)।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) हिन्दी साहित्य का ‘स्वर्ण युग’ कहलाता है:

(अ) आदिकाल (ब) भक्तिकाल (स) रीतिकाल (द) आधुनिक काल

उत्तर: (ब) भक्तिकाल

(ii) निम्नलिखित में से कौन छायावादी कवि नहीं हैं?

(अ) जयशंकर प्रसाद (ब) सूरदास (स) सुमित्रानंदन पंत (द) महादेवी वर्मा

उत्तर: (ब) सूरदास

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) ‘पृथ्वीराज रासो’ ______ काल की रचना है। (आदिकाल)

(ii) कबीरदास ______ काव्यधारा के कवि हैं। (ज्ञानमार्गी/निर्गुण)

(iii) ‘प्रयोगवाद’ के जनक ______ माने जाते हैं। (अज्ञेय)

3. सत्य/असत्य लिखिए:

(i) रीतिकाल में श्रृंगार रस की प्रधानता थी। (सत्य)

(ii) ‘कामायनी’ आधुनिक काल की रचना है। (सत्य – यह छायावाद का महाकाव्य है)

4. सही जोड़ी बनाइए:

| स्तंभ ‘अ’ | स्तंभ ‘ब’ |

| :— | :— |

| (1) छायावाद के स्तंभ | (अ) रामभक्ति |

| (2) तुलसीदास | (ब) प्रगतिवाद |

| (3) नागार्जुन | (स) जयशंकर प्रसाद |

| (4) सूरदास | (द) कृष्णभक्ति |

उत्तर: (1)-(स), (2)-(अ), (3)-(ब), (4)-(द)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): छायावाद के चार प्रमुख स्तंभ (कवियों) के नाम लिखिए।

उत्तर: जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा।

प्रश्न (2 अंक): प्रगतिवाद की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर: (1) शोषितों (मजदूरों, किसानों) के प्रति सहानुभूति और शोषक वर्ग के प्रति आक्रोश। (2) सामाजिक यथार्थ का चित्रण और रूढ़ियों का विरोध।

प्रश्न (3 अंक): भक्ति काल को ‘हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?

उत्तर: भक्ति काल को हिन्दी साहित्य का ‘स्वर्ण युग’ कहने के निम्नलिखित कारण हैं:

  1. इस काल में सूरदास, तुलसीदास, कबीर और जायसी जैसे सर्वश्रेष्ठ कवियों ने साहित्य को समृद्ध किया।
  2. इस काल में भक्ति, कला, साहित्य और समाज सुधार का अभूतपूर्व समन्वय देखने को मिलता है।
  3. इस काल की रचनाएँ (जैसे रामचरितमानस) आज भी जन-सामान्य के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और लोक-मंगल की भावना से ओत-प्रोत हैं।

अध्याय 8: कवि परिचय (क्षितिज – काव्य)

(नोट: यह प्रश्न 3 अंक में सीधे पूछा जाता है)

प्रश्न (3 अंक): सूरदास अथवा तुलसीदास का कवि परिचय निम्न बिंदुओं पर दीजिए:

(1) दो रचनाएँ (2) भावपक्ष-कलापक्ष

उत्तर (सूरदास):

  • दो रचनाएँ: सूरसागर, सूरसारावली।
  • भावपक्ष-कलापक्ष: सूरदास जी भक्तिकाल की कृष्ण भक्ति शाखा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। आपके काव्य में (भावपक्ष) वात्सल्य और शृंगार रस का अद्भुत चित्रण मिलता है, इसलिए आपको ‘वात्सल्य सम्राट’ कहा जाता है। आपने सगुण भक्ति और गोपियों के विरह का मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। (कलापक्ष) आपकी भाषा सहज, सरल और मधुर ‘ब्रजभाषा’ है। आपने ‘गेय पदों’ का प्रयोग किया है, जिसमें उपमा, रूपक और उत्प्रेक्षा अलंकार सहज ही मिल जाते हैं।

उत्तर (तुलसीदास):

  • दो रचनाएँ: रामचरितमानस, विनयपत्रिका।
  • भावपक्ष-कलापक्ष: तुलसीदास जी भक्तिकाल की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि हैं। आपके काव्य में (भावपक्ष) ‘दास्य भाव’ की भक्ति और ‘लोक-मंगल’ की कामना सर्वोपरि है। आप एक ‘समन्वयवादी’ कवि हैं, जिन्होंने निर्गुण-सगुण, शैव-वैष्णव आदि का समन्वय किया। (कलापक्ष) आपने मुख्य रूप से ‘अवधी’ भाषा का प्रयोग किया है, साथ ही ब्रजभाषा पर भी आपका समान अधिकार था। आपने ‘दोहा-चौपाई’ छंद शैली को अपनाकर ‘रामचरितमानस’ जैसा महाकाव्य रचा।

प्रश्न (3 अंक): जयशंकर प्रसाद अथवा सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का कवि परिचय निम्न बिंदुओं पर दीजिए:

(1) दो रचनाएँ (2) भावपक्ष-कलापक्ष

उत्तर (जयशंकर प्रसाद):

  • दो रचनाएँ: कामायनी (महाकाव्य), आँसू, लहर।
  • भावपक्ष-कलापक्ष: प्रसाद जी छायावाद के प्रवर्तक हैं। आपके काव्य में (भावपक्ष) प्रेम और सौंदर्य, प्रकृति प्रेम, रहस्यवाद और राष्ट्रप्रेम की भावनाएँ प्रमुख हैं। ‘कामायनी’ में आपने आनंदवाद की स्थापना की है। (कलापक्ष) आपकी भाषा तत्सम प्रधान (संस्कृतनिष्ठ) खड़ी बोली है। आपने बिम्बों और प्रतीकों का सुंदर प्रयोग किया है। आपकी शैली प्रबंध और मुक्तक दोनों रूपों में मिलती है।

उत्तर (निराला):

  • दो रचनाएँ: अनामिका, परिमल, ‘उत्साह’।
  • भावपक्ष-कलापक्ष: ‘निराला’ जी को ‘महाप्राण’ और ‘क्रांतिकारी कवि’ कहा जाता है। आपके काव्य में (भावपक्ष) एक ओर क्रांति और विद्रोह का ‘ओज’ गुण है (‘उत्साह’), तो दूसरी ओर प्रकृति का कोमल और रहस्यवादी चित्रण भी है। आपने शोषितों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की है। (कलापक्ष) आप ‘मुक्त छंद’ के प्रवर्तक हैं। आपकी भाषा तत्सम प्रधान होने के साथ-साथ भावों के अनुरूप बदलती रहती है।

खंड 2: काव्य बोध (काव्य के भेद, रस, छंद, अलंकार)

1. काव्य की परिभाषा एवं भेद

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • परिभाषा: “रसात्मकं वाक्यं काव्यं” (आचार्य विश्वनाथ) – अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।
  • भेद (मुख्य): 1. श्रव्य काव्य (सुनने/पढ़ने योग्य), 2. दृश्य काव्य (देखने योग्य – नाटक, एकांकी)।
  • श्रव्य काव्य के भेद:
  • प्रबंध काव्य: कथा क्रमबद्ध और विस्तृत होती है। (भेद: 1. महाकाव्य – जीवन का संपूर्ण चित्रण, 2. खंडकाव्य – जीवन का कोई एक खंड/घटना)।
  • मुक्तक काव्य: हर पद/छंद अपने आप में स्वतंत्र और पूर्ण होता है। (जैसे- सूर के पद, बिहारी के दोहे)।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) “रसात्मकं वाक्यं काव्यं” यह परिभाषा किसकी है?

(अ) आचार्य मम्मट (ब) आचार्य विश्वनाथ (स) पंडितराज जगन्नाथ (द) भरत मुनि

उत्तर: (ब) आचार्य विश्वनाथ

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) महाकाव्य में जीवन का ______ चित्रण होता है। (संपूर्ण/समग्र)

(ii) ‘पंचवटी’ (मैथिलीशरण गुप्त) एक ______ है। (खंडकाव्य)

3. सत्य/असत्य लिखिए:

(i) नाटक, काव्य का श्रव्य भेद है। (असत्य – यह दृश्य काव्य है)

(ii) मुक्तक काव्य में प्रत्येक पद अपने आप में स्वतंत्र होता है। (सत्य)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): काव्य के मुख्य भेद कौन-से हैं?

उत्तर: श्रव्य काव्य और दृश्य काव्य।

प्रश्न (2 अंक): प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य में एक अंतर लिखिए।

उत्तर: प्रबंध काव्य में कथा क्रमबद्ध होती है और छंदों में पूर्वापर (पहले-बाद का) संबंध होता है, जबकि मुक्तक काव्य में प्रत्येक छंद अपने आप में स्वतंत्र और पूर्ण अर्थ देने वाला होता है।

प्रश्न (3 अंक): महाकाव्य और खंडकाव्य में कोई तीन अंतर लिखिए।

उत्तर:

| महाकाव्य | खंडकाव्य |

| :— | :— |

| 1. इसमें नायक के संपूर्ण जीवन का चित्रण होता है। | 1. इसमें नायक के जीवन के किसी एक खंड/घटना का चित्रण होता है। |

| 2. इसमें अनेक सर्ग (अध्याय) होते हैं (प्रायः 8 से अधिक)। | 2. इसमें सर्गों की संख्या सीमित होती है। |

| 3. इसमें अनेक रसों का समावेश होता है, पर एक रस प्रधान होता है। | 3. इसमें प्रायः एक ही रस की प्रधानता होती है। |

| उदाहरण: रामचरितमानस, कामायनी | उदाहरण: पंचवटी, सुदामा चरित |

2. रस (अंग एवं प्रकार)

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • परिभाषा: काव्य को पढ़ने, सुनने या देखने से श्रोता/पाठक को जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे ‘रस’ कहते हैं।
  • अंग (4): 1. स्थायी भाव (मुख्य भाव), 2. विभाव (कारण), 3. अनुभाव (शारीरिक चेष्टा), 4. संचारी भाव (क्षणिक भाव)।
  • संचारी भावों की संख्या: 33 मानी गई है।
  • रसराज‘: शृंगार रस को रसों का राजा कहते हैं।
  • 10 रस और उनके स्थायी भाव (अति-महत्वपूर्ण):
  • श्रृंगार (रति), हास्य (हास), करुण (शोक), रौद्र (क्रोध), वीर (उत्साह), भयानक (भय), वीभत्स (जुगुप्सा/घृणा), अद्भुत (विस्मय), शांत (निर्वेद), वात्सल्य (वत्सल)।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) ‘रसराज’ किस रस को कहते हैं?

(अ) वीर (ब) शांत (स) करुण (द) शृंगार

उत्तर: (द) शृंगार

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) रस के कुल ______ अंग माने गए हैं। (चार)

(ii) वीर रस का स्थायी भाव ______ है। (उत्साह)

(iii) संचारी भावों की संख्या ______ है। (33)

3. सत्य/असत्य लिखिए:

(i) करुण रस का स्थायी भाव ‘रति’ है। (असत्य – ‘शोक’ है)

(ii) विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से स्थायी भाव रस दशा को प्राप्त होता है। (सत्य)

4. सही जोड़ी बनाइए:

| स्तंभ ‘अ’ (रस) | स्तंभ ‘ब’ (स्थायी भाव) |

| :— | :— |

| (1) शृंगार | (अ) शोक |

| (2) वीर | (ब) क्रोध |

| (3) करुण | (स) रति |

| (4) रौद्र | (द) उत्साह |

उत्तर: (1)-(स), (2)-(द), (3)-(अ), (4)-(ब)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): शृंगार रस का स्थायी भाव क्या है?

उत्तर: रति।

प्रश्न (2 अंक): रस के चार अंगों के नाम लिखिए।

उत्तर: 1. स्थायी भाव, 2. विभाव, 3. अनुभाव, 4. संचारी भाव।

प्रश्न (3 अंक): वीर रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर:

  • परिभाषा: जब किसी काव्य को पढ़कर या सुनकर मन में ‘उत्साह’ नामक स्थायी भाव जाग्रत हो, वहाँ वीर रस होता है। यह उत्साह युद्ध, दान, दया या धर्म के लिए हो सकता है।
  • उदाहरण: “बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।”

प्रश्न (3 अंक): करुण रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर:

  • परिभाषा: जब किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से मन में ‘शोक’ नामक स्थायी भाव जाग्रत हो, वहाँ करुण रस होता है।
  • उदाहरण: “अभी तो मुकुट बँधा था माथ, हुए कल ही हल्दी के हाथ। खुले भी न थे लाज के बोल, खिले थे चुम्बन शून्य कपोल। हाय, रुक गया यहीं संसार, बना सिंदूर अनल अंगार।”

3. छंद (दोहा एवं चौपाई)

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • परिभाषा: मात्रा एवं वर्णों के क्रमबद्ध नियोजन (रचना) को छंद कहते हैं।
  • दोहा (अर्द्ध-मात्रिक छंद): इसमें 4 चरण होते हैं। इसके विषम (1, 3) चरणों में 13-13 मात्राएँ और सम (2, 4) चरणों में 11-11 मात्राएँ होती हैं। (यह सोरठा का उल्टा होता है)।
  • चौपाई (सम-मात्रिक छंद): इसमें 4 चरण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) किस छंद के प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं?

(अ) दोहा (ब) सोरठा (स) चौपाई (द) रोला

उत्तर: (स) चौपाई

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) दोहा के पहले और तीसरे चरण में ______ मात्राएँ होती हैं। (13-13)

(ii) दोहा का उल्टा छंद ______ है। (सोरठा)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): मात्रा की गणना के अनुसार छंद कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: तीन प्रकार: (1) मात्रिक छंद, (2) वर्णिक छंद, (3) मुक्तक छंद।

प्रश्न (2 अंक): दोहा छंद की परिभाषा (लक्षण) लिखिए।

उत्तर: यह एक अर्द्ध-मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते हैं। इसके पहले और तीसरे (विषम) चरणों में 13-13 मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे (सम) चरणों में 11-11 मात्राएँ होती हैं।

प्रश्न (3 अंक): चौपाई छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर:

  • परिभाषा: यह एक सम-मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते हैं और इसके प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं। चरण के अंत में प्रायः गुरु-लघु (S I) नहीं होता।
  • उदाहरण:
    “मंगल भवन अमंगल हारी। (16)
    द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी।।” (16)

4. अलंकार

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • परिभाषा: काव्य की शोभा (सौंदर्य) बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं।
  • अनुप्रास: एक वर्ण (अक्षर) की बार-बार आवृत्ति। (जैसे – चारु चंद्र की चंचल किरणें)
  • यमक: एक शब्द दो या अधिक बार आए, और हर बार अर्थ भिन्न (अलग) हो। (जैसे – कनक कनक ते सौ गुनी)
  • श्लेष: एक शब्द के एक से अधिक अर्थ चिपके हों। (जैसे – रहिमन पानी राखिये…)
  • उपमा: अत्यधिक समानता के कारण तुलना। (वाचक शब्द: सा, सी, सम, सरिस)।
  • रूपक: उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप (तुलना नहीं, वही रूप दे देना)। (जैसे – चरण-कमल)
  • उत्प्रेक्षा: संभावना या कल्पना। (वाचक शब्द: मनु, मानो, जनु, जानो, मनों, जनों)।
  • मानवीकरण: प्रकृति (अमानव) पर मानवीय क्रियाओं का आरोप। (जैसे – मेघ आए बन-ठन के)

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) ‘पीपर पात सरिस मन डोला’ में कौन-सा अलंकार है?

(अ) रूपक (ब) उपमा (स) उत्प्रेक्षा (द) मानवीकरण

उत्तर: (ब) उपमा ( ‘सरिस’ वाचक शब्द है)

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) ‘मुख मानो चंद्र है’ में ______ अलंकार है। (उत्प्रेक्षा – ‘मानो’ के कारण)

(ii) ‘चरण-कमल बंदौ हरि राइ’ में ______ अलंकार है। (रूपक)

(iii) जहाँ एक ही वर्ण की बार-बार आवृत्ति हो, वहाँ ______ अलंकार होता है। (अनुप्रास)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): ‘कनक-कनक ते सौ गुनी’ में कौन-सा अलंकार है?

उत्तर: यमक अलंकार (एक ‘कनक’=सोना, दूसरा ‘कनक’=धतूरा)।

प्रश्न (2 अंक): उपमा अलंकार के चार अंग कौन-कौन से हैं?

उत्तर: (1) उपमेय (जिसकी तुलना हो), (2) उपमान (जिससे तुलना हो), (3) वाचक शब्द (सा, सी, सम), (4) साधारण धर्म (समान गुण)।

प्रश्न (3 अंक): मानवीकरण अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर:

  • परिभाषा: जब जड़ (अमानव) पदार्थों या प्रकृति (जैसे – नदी, पर्वत, बादल, फूल) पर मानवीय क्रियाओं (जैसे – हँसना, रोना, चलना, सजना-सँवरना) का आरोप किया जाता है, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।
  • उदाहरण: “मेघ आए बड़े बन-ठन के, सँवर के।” (यहाँ बादलों को एक सजे-सँवरे मेहमान की तरह आते हुए दिखाया गया है)।

प्रश्न (3 अंक): रूपक अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर:

  • परिभाषा: जब उपमेय (जिसकी बात हो रही है) पर उपमान (जिससे तुलना की जाती है) का अभेद आरोप किया जाता है, अर्थात् उपमेय और उपमान को एक ही मान लिया जाता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
  • उदाहरण: “चरण-कमल बंदौ हरि राइ।” (यहाँ ‘चरण’ (उपमेय) पर ‘कमल’ (उपमान) का आरोप है, ‘चरण जैसे कमल’ न कहकर ‘चरण ही कमल’ कहा गया है)।

खंड 3: क्षितिज भाग 2 (गद्य खण्ड)

अध्याय 1: नेताजी का चश्मा – स्वयं प्रकाश

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • लेखक: स्वयं प्रकाश।
  • विधा: कहानी।
  • मुख्य पात्र: हालदार साहब (भावुक देशभक्त), पानवाला (मजाकिया, पर संवेदनशील), कैप्टन चश्मेवाला (गरीब, लँगड़ा, देशभक्त)।
  • विषय: देशभक्ति का भाव, जो देश के आम नागरिकों (जैसे कैप्टन) में भी होता है। देशभक्ति किसी आयु या साधन की मोहताज नहीं है।
  • प्रमुख घटना: कैप्टन द्वारा नेताजी (सुभाष चंद्र बोस) की बिना चश्मे वाली मूर्ति पर बार-बार चश्मा लगाना।
  • मूर्तिकार: मोतीलाल (स्थानीय स्कूल का ड्राइंग मास्टर)।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) नेताजी की मूर्ति पर चश्मा कौन बदलता था?

(अ) पानवाला (ब) हालदार साहब (स) कैप्टन (द) मूर्तिकार मोतीलाल

उत्तर: (स) कैप्टन

(ii) मूर्ति बनाने वाले का नाम क्या था?

(अ) मोतीराम (ब) मोतीलाल (स) हीरालाल (द) मदनलाल

उत्तर: (ब) मोतीलाल

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) हालदार साहब हर ______ दिन कस्बे से गुजरते थे। (पंद्रहवें)

(ii) ‘दिल्ली चलो’ नारा ______ ने दिया था। (नेताजी सुभाष चंद्र बोस)

3. सत्य/असत्य लिखिए:

(i) कैप्टन एक अमीर और प्रभावशाली व्यक्ति था। (असत्य – वह गरीब और लँगड़ा था)

(ii) पानवाला स्वभाव से बहुत भावुक था। (असत्य – वह मजाकिया था, पर बाद में भावुक हुआ)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): हालदार साहब को पानवाले की कौन-सी बात अच्छी नहीं लगी?

उत्तर: पानवाले द्वारा कैप्टन को ‘लँगड़ा’ कहना और उसका मजाक उड़ाना हालदार साहब को अच्छा नहीं लगा।

प्रश्न (2 अंक): “सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?”

उत्तर: चश्मेवाले के मन में देशभक्ति और नेताजी के प्रति सम्मान की गहरी भावना थी। वह नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखकर आहत होता था। उसके इसी देशप्रेम और फौजी जैसी अनुशासन की भावना के कारण लोग (शायद व्यंग्य में या सम्मान में) उसे कैप्टन कहते थे।

प्रश्न (3 अंक): पानवाले का एक शब्द-चित्र (रेखाचित्र) प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: पानवाला एक काला, मोटा और खुशमिजाज आदमी था। उसके मुँह में हमेशा पान ठुँसा रहता था, जिसके कारण बात करते समय उसकी तोंद थिरकती थी और वह बार-बार पीक थूकता था। उसकी बत्तीसी (दाँत) लाल-काली थी। वह स्वभाव से मजाकिया था, पर कैप्टन की मृत्यु की खबर देते समय उसकी आँखों में आँसू आ गए, जो उसकी संवेदनशीलता को भी प्रकट करता है।

प्रश्न (3 अंक): हालदार साहब मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखकर भावुक क्यों हो उठे?

उत्तर: हालदार साहब कैप्टन की मृत्यु के बाद यह सोचकर निराश थे कि अब नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कोई नहीं बचा और नई पीढ़ी में देशभक्ति समाप्त हो गई है। लेकिन जब उन्होंने बच्चों द्वारा बनाया गया सरकंडे का छोटा-सा चश्मा मूर्ति पर देखा, तो वे भावुक हो उठे। यह चश्मा उन्हें उम्मीद की किरण लगा कि देश का भविष्य सुरक्षित हाथों में है और बच्चों में देशभक्ति की भावना अभी भी जीवित है।

अध्याय 2: बालगोबिन भगत – रामवृक्ष बेनीपुरी

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • लेखक: रामवृक्ष बेनीपुरी (उपाधि: ‘कलम का जादूगर’)।
  • विधा: रेखाचित्र।
  • पात्र: बालगोबिन भगत (कबीरपंथी, गृहस्थ साधु)।
  • विषय: एक गृहस्थ साधु का चित्रण, जो कबीर के आदर्शों पर चलते हुए सामाजिक रूढ़ियों (कुरीतियों) पर प्रहार करता है।
  • प्रमुख कार्य (रूढ़ियों पर प्रहार):
  • पुत्र की मृत्यु पर शोक न मनाना, बल्कि उसे ‘आत्मा-परमात्मा का मिलन’ मानकर उत्सव (गीत) गाना।
  • पतोहू (पुत्रवधू) से मुखाग्नि दिलवाना।
  • पतोहू के भाई को बुलाकर उसके पुनर्विवाह का आदेश देना।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) बालगोबिन भगत किनके गीतों को गाते थे?

(अ) सूरदास (ब) तुलसीदास (स) कबीर (द) मीरा

उत्तर: (स) कबीर

(ii) ‘कलम का जादूगर’ किसे कहा जाता है?

(अ) स्वयं प्रकाश (ब) रामवृक्ष बेनीपुरी (स) यशपाल (द) मन्नू भण्डारी

उत्तर: (ब) रामवृक्ष बेनीपुरी

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) बालगोबिन भगत का व्यवसाय ______ था। (खेती-बाड़ी)

(ii) भगत जी अपने बेटे की मृत्यु पर ______ मना रहे थे। (उत्सव/गीत गा रहे थे)

3. सत्य/असत्य लिखिए:

(i) बालगोबिन भगत हर वर्ष गंगा स्नान के लिए जाते थे। (सत्य)

(ii) भगत जी ने अपने पुत्र को मुखाग्नि स्वयं दी। (असत्य – पतोहू से दिलवाई)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): बालगोबिन भगत की पतोहू उन्हें छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहती थी?

उत्तर: क्योंकि उसे चिंता थी कि बुढ़ापे में भगत जी के लिए भोजन कौन बनाएगा और बीमार पड़ने पर उनकी सेवा कौन करेगा।

प्रश्न (2 अंक): बालगोबिन भगत को ‘गृहस्थ साधु’ क्यों कहा गया है? (या भगत की ‘साधु’ परिभाषा क्या थी?)

उत्तर: बालगोबिन भगत गृहस्थ होते हुए भी साधुओं जैसे गुण रखते थे। वे कबीर के आदर्शों पर चलते, सादा जीवन जीते, स्पष्ट बात कहते, किसी की चीज़ बिना पूछे नहीं छूते थे। वे मोह-माया और आडंबरों से परे थे, इसलिए वे ‘गृहस्थ साधु’ थे।

प्रश्न (3 अंक): पुत्र की मृत्यु पर बालगोबिन भगत की प्रतिक्रिया क्या थी? (उन्होंने पतोहू को क्या समझाया?)

उत्तर: अपने इकलौते पुत्र की मृत्यु पर भी बालगोबिन भगत ने शोक नहीं मनाया। उन्होंने पुत्र के शव को आँगन में लिटाकर उस पर फूल और तुलसी दल बिखेर दिए और सिरहाने दीपक जलाकर वे कबीर के भजन गाने लगे। उन्होंने अपनी रोती हुई पतोहू को भी समझाया कि यह रोने का नहीं, बल्कि उत्सव मनाने का समय है, क्योंकि ‘विरहिणी आत्मा अपने प्रेमी परमात्मा से जा मिली है।’

अध्याय 7: गद्य की प्रमुख एवं गौण विधाएं

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • विधा: साहित्य को प्रस्तुत करने का तरीका या शैली।
  • प्रमुख विधाएँ: कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, निबंध।
  • गौण विधाएँ (अन्य): संस्मरण (यादों पर आधारित), रेखाचित्र (शब्दों से चित्र), आत्मकथा (स्वयं का जीवन), जीवनी (दूसरे का जीवन), रिपोर्ताज, डायरी, यात्रा वृत्तांत।
  • उपन्यास सम्राट‘: मुंशी प्रेमचंद।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) ‘उपन्यास सम्राट’ किसे कहते हैं?

(अ) जयशंकर प्रसाद (ब) यशपाल (स) प्रेमचंद (द) अज्ञेय

उत्तर: (स) प्रेमचंद

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) गद्य की सबसे लोकप्रिय विधा ______ है। (कहानी)

(ii) स्वयं के जीवन के बारे में लिखना ______ कहलाता है। (आत्मकथा)

3. सत्य/असत्य लिखिए:

(i) नाटक में एक अंक होता है। (असत्य – एकांकी में एक अंक होता है)

(ii) कहानी, उपन्यास की अपेक्षा आकार में बड़ी होती है। (असत्य)

4. सही जोड़ी बनाइए:

| स्तंभ ‘अ’ | स्तंभ ‘ब’ |

| :— | :— |

| (1) कहानी | (अ) संपूर्ण जीवन का चित्रण |

| (2) उपन्यास | (ब) स्वयं का जीवन |

| (3) नाटक | (स) किसी एक घटना का चित्रण |

| (4) आत्मकथा | (द) दृश्य विधा |

उत्तर: (1)- (स), (2)-(अ), (3)-(द), (4)-(ब)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): गद्य की कोई दो प्रमुख विधाओं के नाम लिखिए।

उत्तर: कहानी और उपन्यास।

प्रश्न (2 अंक): ‘कहानी’ और ‘उपन्यास’ में कोई दो अंतर लिखिए।

उत्तर: (1) कहानी आकार में छोटी होती है, जबकि उपन्यास बड़ा होता है। (2) कहानी में जीवन के किसी एक खंड या घटना का चित्रण होता है, जबकि उपन्यास में जीवन का समग्र (संपूर्ण) चित्रण होता है।

प्रश्न (3 अंक): ‘जीवनी’ और ‘आत्मकथा’ में तीन अंतर लिखिए।

उत्तर:

| जीवनी | आत्मकथा |

| :— | :— |

| 1. यह किसी दूसरे (महान) व्यक्ति के जीवन पर लिखी जाती है। | 1. यह लेखक द्वारा स्वयं अपने जीवन पर लिखी जाती है। |

| 2. इसमें तथ्यों और अनुसंधान (Research) की आवश्यकता होती है। | 2. यह स्मृति (याददाश्त) के आधार पर लिखी जाती है। |

| 3. यह प्रायः उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद लिखी जाती है। | 3. यह जीवनकाल में भी लिखी जा सकती है। |

प्रश्न (3 अंक): ‘नाटक’ और ‘एकांकी’ में तीन अंतर लिखिए।

उत्तर:

| नाटक | एकांकी |

| :— | :— |

| 1. इसमें अनेक अंक (Episodes) होते हैं। | 1. इसमें केवल एक अंक होता है। |

| 2. इसमें पात्रों की संख्या अधिक होती है। | 2. इसमें पात्रों की संख्या सीमित (कम) होती है। |

| 3. इसमें मुख्य कथा के साथ-साथ सहायक (गौण) कथाएँ भी होती हैं। | 3. इसमें केवल एक ही कथा या घटना पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। |

खंड 4: भाषा बोध (व्याकरण)

1. संधि एवं समास

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • संधि: दो वर्णों (अक्षरों) के मेल से होने वाला विकार (परिवर्तन)। (3 भेद: स्वर, व्यंजन, विसर्ग)।
  • समास: दो या अधिक शब्दों (पदों) के मेल से नया शब्द बनाने की प्रक्रिया। (6 भेद)।
  • समास के 6 भेद:
  • अव्ययीभाव: पहला पद अव्यय/उपसर्ग (जैसे – यथाशक्ति, प्रतिदिन)।
  • तत्पुरुष: कारक चिह्न का लोप (जैसे – रसोईघर, राजपुत्र)।
  • कर्मधारय: विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय (जैसे – नीलकमल, चंद्रमुख)।
  • द्विगु: पहला पद संख्यावाची (जैसे – चौराहा, नवरात्रि)।
  • द्वंद्व: दोनों पद प्रधान, बीच में ‘और’ या ‘-‘ (जैसे – माता-पिता, सुख-दुःख)।
  • बहुव्रीहि: दोनों पद गौण, कोई तीसरा अर्थ प्रधान (जैसे – दशानन (रावण), लंबोदर (गणेश))।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) ‘यथाशक्ति’ में कौन-सा समास है?

(अ) तत्पुरुष (ब) अव्ययीभाव (स) कर्मधारय (द) द्वंद्व

उत्तर: (ब) अव्ययीभाव

(ii) ‘हिमालय’ का सही संधि-विच्छेद है:

(अ) हिम + आलय (ब) हिमा + लय (स) हि + मालय (द) हेम + आलय

उत्तर: (अ) हिम + आलय (दीर्घ स्वर संधि)

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) दो वर्णों के मेल को ______ कहते हैं। (संधि)

(ii) ‘दशानन’ (रावण) में ______ समास है। (बहुव्रीहि)

3. सत्य/असत्य लिखिए:

(i) ‘माता-पिता’ में द्विगु समास है। (असत्य – द्वंद्व समास है)

(ii) ‘नीलकमल’ में कर्मधारय समास है। (सत्य – नीला है जो कमल)

4. सही जोड़ी बनाइए:

| स्तंभ ‘अ’ (शब्द) | स्तंभ ‘ब’ (समास) |

| :— | :— |

| (1) यथाशक्ति | (अ) द्वंद्व |

| (2) माता-पिता | (ब) द्विगु |

| (3) चौराहा | (स) बहुव्रीहि |

| (4) लंबोदर | (द) अव्ययीभाव |

उत्तर: (1)-(द), (2)-(अ), (3)-(ब), (4)-(स)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): ‘सूर्योदय’ का संधि-विच्छेद कर संधि का नाम लिखिए।

उत्तर: सूर्य + उदय (गुण स्वर संधि)।

प्रश्न (2 अंक): संधि और समास में कोई दो अंतर लिखिए।

उत्तर: (1) संधि में दो वर्णों का मेल होता है, जबकि समास में दो शब्दों (पदों) का मेल होता है। (2) संधि को तोड़ने को ‘विच्छेद’ कहते हैं, जबकि समास को तोड़ने को ‘विग्रह’ कहते हैं।

प्रश्न (3 अंक): ‘कर्मधारय’ और ‘बहुव्रीहि’ समास में उदाहरण सहित अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

  • कर्मधारय: इसमें एक पद विशेषण और दूसरा विशेष्य होता है (जैसे – नीलकमल = नीला कमल)। इसमें दूसरा पद प्रधान होता है।
  • बहुव्रीहि: इसमें दोनों पद मिलकर किसी तीसरे (अन्य) पद की ओर संकेत करते हैं और वही तीसरा पद प्रधान होता है (जैसे – नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका, अर्थात् ‘शिव’)।

2. वाच्य, क्रिया के भेद एवं क्रिया विशेषण

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • वाच्य (Voice): क्रिया का वह रूप जिससे पता चले कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव में से कौन प्रधान है।
  • कर्तृवाच्य: (कर्ता प्रधान) – “राम पत्र लिखता है।”
  • कर्मवाच्य: (कर्म प्रधान, ‘द्वारा’, सकर्मक) – “राम द्वारा पत्र लिखा जाता है।”
  • भाववाच्य: (भाव प्रधान, ‘नहीं’, अकर्मक) – “मोहन से चला नहीं जाता।”
  • क्रिया (Verb):
  • सकर्मक: (कर्म सहित) – “मोहन आम खाता है।” (क्या खाता है? – आम)
  • अकर्मक: (कर्म रहित) – “बच्चा रोता है।” (क्या रोता है? – उत्तर नहीं)
  • क्रिया विशेषण (Adverb): जो क्रिया की विशेषता बताए। (4 भेद: रीति, काल, स्थान, परिमाण)।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1ंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) “मोहन से चला नहीं जाता।” – वाक्य में कौन-सा वाच्य है?

(अ) कर्तृवाच्य (ब) कर्मवाच्य (स) भाववाच्य (द) कोई नहीं

उत्तर: (स) भाववाच्य

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) वाच्य के ______ भेद होते हैं। (तीन)

(ii) “वह धीरे-धीरे चलता है।” – में ‘धीरे-धीरे’ ______ क्रिया विशेषण है। (रीतिवाचक)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं?

उत्तर: जिस क्रिया का फल कर्म पर पड़ता है (या जिसमें कर्म की अपेक्षा होती है), उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।

प्रश्न (2 अंक): वाच्य के तीन भेदों के नाम लिखिए।

उत्तर: (1) कर्तृवाच्य, (2) कर्मवाच्य, (3) भाववाच्य।

प्रश्न (3 अंक): निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए:

(i) “राम पत्र लिखता है।” (कर्मवाच्य में बदलिए)

उत्तर: राम द्वारा पत्र लिखा जाता है।

(ii) “पक्षी उड़ते हैं।” (भाववाच्य में बदलिए)

उत्तर: पक्षियों द्वारा उड़ा जाता है। (या पक्षियों से उड़ा जाता है)

(iii) “मोहन द्वारा गीत गाया गया।” (कर्तृवाच्य में बदलिए)

उत्तर: मोहन ने गीत गाया।

3/4/5. मुहावरें, अनेकार्थी, वाक्यांश के लिए एक शब्द

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • मुहावरा: वाक्यांश, जो लाक्षणिक (विशेष) अर्थ दे। (जैसे – 9-2-11 होना)।
  • लोकोक्ति: पूर्ण वाक्य, जो अनुभव पर आधारित हो। (जैसे – अधजल गगरी छलकत जाए)।
  • अनेकार्थी: एक शब्द के अनेक अर्थ।
  • वाक्यांश के लिए एक शब्द: पूरी बात को एक शब्द में कहना।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. अनेकार्थी शब्द (एक-एक शब्द में उत्तर):

  • ‘कर’ के दो अर्थ लिखिए: उत्तर: हाथ, टैक्स (Tax)
  • ‘अंबर’ के दो अर्थ लिखिए: उत्तर: आकाश, वस्त्र (कपड़ा)
  • ‘कनक’ के दो अर्थ लिखिए: उत्तर: सोना, धतूरा
  • ‘पत्र’ के दो अर्थ लिखिए: उत्तर: पत्ता, चिट्ठी

2. वाक्यांश के लिए एक शब्द (एक-एक शब्द में उत्तर):

  • जो ईश्वर में विश्वास रखे: उत्तर: आस्तिक
  • जिसका कोई शत्रु न हो: उत्तर: अजातशत्रु
  • रास्ता दिखाने वाला: उत्तर: पथप्रदर्शक
  • जो कम बोलता हो: उत्तर: मितभाषी
  • जो सब कुछ जानता हो: उत्तर: सर्वज्ञ

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (2 अंक): मुहावरे और लोकोक्ति में कोई दो अंतर लिखिए।

उत्तर: (1) मुहावरा एक वाक्यांश होता है, जबकि लोकोक्ति एक पूर्ण वाक्य होती है। (2) मुहावरे का स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता (वाक्य में होता है), जबकि लोकोक्ति का स्वतंत्र प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न (3 अंक): निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:

(i) आँखों का तारा होना:

* अर्थ: बहुत प्यारा होना।

* वाक्य: हर बच्चा अपनी माँ की आँखों का तारा होता है।

(ii) नौ दो ग्यारह होना:

* अर्थ: भाग जाना।

* वाक्य: पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।

(iii) आग बबूला होना:

* अर्थ: अत्यंत क्रोधित होना।

* वाक्य: बेटे के फेल होने की खबर सुनकर पिताजी आग बबूला हो गए।

खंड 5: कृतिका भाग 2

अध्याय 1: माता का आँचल – शिवपूजन सहाय

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • लेखक: शिवपूजन सहाय।
  • स्रोत: उपन्यास ‘देहाती दुनिया’ का अंश (हिन्दी का पहला आंचलिक उपन्यास)।
  • शैली: आंचलिक (ग्रामीण जीवन का चित्रण), आत्मकथात्मक।
  • मुख्य पात्र: भोलानाथ (लेखक का बचपन का नाम: तारकेश्वरनाथ)।
  • विषय: ग्रामीण जीवन, 1930 के दशक का बचपन, बच्चों के खेल, माँ-बच्चे का स्नेह।
  • मूल भाव: विपत्ति के समय बच्चे को पिता की अपेक्षा माँ का आँचल (स्नेह) ही अधिक सुरक्षा और शांति देता है।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) ‘माता का आँचल’ पाठ किस उपन्यास का अंश है?

(अ) गोदान (ब) देहाती दुनिया (स) मैला आँचल (द) परती परिकथा

उत्तर: (ब) देहाती दुनिया

(ii) भोलानाथ का असली नाम क्या था?

(अ) तारकेश्वरनाथ (ब) अमरनाथ (स) केदारनाथ (द) विश्वनाथ

उत्तर: (अ) तारकेश्वरनाथ

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): लेखक के पिता उन्हें ‘भोलानाथ’ कहकर क्यों पुकारते थे?

उत्तर: क्योंकि वे भोले-भाले थे और माथे पर ‘त्रिपुंड’ (तिलक) लगाकर भोले बाबा (शिव) जैसे लगते थे।

प्रश्न (2 अंक): भोलानाथ और उसके साथी अपने खेल के लिए क्या-क्या सामग्री प्रयोग करते थे?

उत्तर: भोलानाथ और उसके साथी खेल के लिए मिट्टी के बर्तन, कंकड़, पत्तों, पेड़ों की टहनियों, गीली मिट्टी और घर की टूटी-फूटी चीज़ों (जैसे दीये की बटिया, घड़े के टुकड़े) का प्रयोग करते थे।

प्रश्न (3 अंक): ‘माता का आँचल’ शीर्षक की सार्थकता (उपयुक्तता) बताइए।

उत्तर: यह शीर्षक पूर्णतः सार्थक और उपयुक्त है। यद्यपि पाठ में भोलानाथ का अधिकांश समय अपने पिता के साथ ही बीतता है और वह उन्हीं के साथ खेलता-खाता है। परन्तु जब साँप निकलने पर वह विपत्ति (भय) में पड़ता है, तब उसे पिता की गोद की अपेक्षा अपनी माँ का आँचल ही अधिक सुरक्षित और शांतिदायक लगता है। वह माँ के आँचल में छिपकर ही सुरक्षा महसूस करता है। यह पाठ माँ के स्नेह और सुरक्षा के भाव को ही उजागर करता है।

अध्याय 2: साना साना हाथ जोड़ि – मधु कांकरिया

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • लेखिका: मधु कांकरिया।
  • विधा: यात्रा वृत्तांत।
  • स्थान: सिक्किम (गंगटोक, यूमथांग, कटाओ)।
  • मुख्य पात्र: लेखिका, जितेन नार्गे (गाइड और ड्राइवर)।
  • विषय: हिमालय का अद्भुत सौंदर्य और वहाँ के लोगों का कठिन, श्रमसाध्य जीवन।
  • मुख्य बिंदु: ‘कटाओ’ (भारत का स्विट्जरलैंड), पहाड़ी औरतों का श्रम, प्रदूषण की समस्या।
  • साना साना हाथ जोड़ि‘: (नेपाली प्रार्थना) “छोटे-छोटे हाथ जोड़कर…”

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1 अंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) ‘साना साना हाथ जोड़ि’ पाठ की विधा है:

(अ) कहानी (ब) निबंध (स) यात्रा वृत्तांत (द) संस्मरण

उत्तर: (स) यात्रा वृत्तांत

(ii) ‘भारत का स्विट्जरलैंड’ किसे कहा गया है?

(अ) यूमथांग (ब) लायुंग (स) कटाओ (द) गंगटोक

उत्तर: (स) कटाओ

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): ‘गैंतोक’ (गंगटोक) का क्या अर्थ है?

उत्तर: पहाड़।

प्रश्न (2 अंक): ‘साना साना हाथ जोड़ि’ का क्या अर्थ है? यह प्रार्थना किसने और कहाँ की?

उत्तर: इसका अर्थ है “छोटे-छोटे हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूँ कि…”। यह एक नेपाली युवती द्वारा सुबह यूमथांग के रास्ते में की गई प्रार्थना थी।

प्रश्न (3 अंक): लेखिका ने पहाड़ी औरतों को ‘श्रम-सुंदरियाँ’ क्यों कहा? (या पहाड़ी लोगों के कठिन जीवन का वर्णन)

उत्तर: लेखिका ने देखा कि हिमालय का सौंदर्य जितना मनमोहक है, वहाँ के लोगों का जीवन उतना ही कठिन है। उन्होंने देखा कि पहाड़ी औरतें अपने बच्चों को पीठ पर बाँधकर, कठिन रास्तों पर पत्थर तोड़ने जैसा कठोर श्रम कर रही थीं। इस कठोर परिश्रम के बावजूद उनके चेहरे पर एक अद्भुत सौंदर्य और शांति थी, इसीलिए लेखिका ने उन्हें ‘श्रम-सुंदरियाँ’ कहा।

अध्याय 3: मैं क्यों लिखता हूँ – अज्ञेय

महत्वपूर्ण तथ्य (Important Facts):

  • लेखक: ‘अज्ञेय’ (सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन)।
  • विधा: निबंध।
  • विषय: लेखन के कारण (प्रेरणा) की खोज।
  • लेखन के कारण (2):
  • आंतरिक विवशता (अभ्यंतर प्रेरणा): लेखक के भीतर से उठने वाली जानने और व्यक्त करने की इच्छा (सबसे मुख्य कारण)।
  • बाहरी दबाव: संपादकों का आग्रह, आर्थिक आवश्यकता, सामाजिक घटनाएँ।
  • मुख्य प्रसंग: हिरोशिमा (जापान) में अणु बम विस्फोट का अनुभव। लेखक ने वहाँ एक पत्थर पर मनुष्य की जली हुई छाया देखी, जिसने उन्हें लिखने के लिए विवश कर दिया।

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न (1ंक)

1. सही विकल्प चुनिए:

(i) ‘अज्ञेय’ किस वाद के प्रवर्तक हैं?

(अ) छायावाद (ब) प्रगतिवाद (स) प्रयोगवाद (द) हालावाद

उत्तर: (स) प्रयोगवाद

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) लेखक ने अणु बम विस्फोट का अनुभव ______ (देश) में किया। (जापान/हिरोशिमा)

महत्वपूर्ण लघु/अति-लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1 अंक): ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के लेखक कौन हैं?

उत्तर: सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’।

प्रश्न (2 अंक): लेखक के अनुसार लिखने के दो प्रमुख कारण कौन-से हैं?

उत्तर: (1) आंतरिक विवशता (भीतर से लिखने की प्रेरणा)। (2) बाहरी दबाव (जैसे- संपादक का आग्रह या आर्थिक आवश्यकता)।

प्रश्न (3 अंक): हिरोशिमा की घटना ने लेखक को लिखने के लिए कैसे प्रेरित किया? (या प्रत्यक्ष अनुभव का क्या महत्व है?)

उत्तर: लेखक ने हिरोशिमा के बारे में पढ़ा और सुना था, पर उन पर गहरा असर नहीं हुआ। लेकिन जब वे स्वयं हिरोशिमा गए और अस्पताल में घायलों को देखा तथा एक जले हुए पत्थर पर एक मनुष्य की उजली छाया देखी, तब उन्हें अणु बम की विभीषिका का ‘प्रत्यक्ष अनुभव’ हुआ। वह अनुभव उनकी ‘आंतरिक विवशता’ बन गया और उसी पीड़ा को व्यक्त करने के लिए उन्होंने हिरोशिमा पर कविता लिखी।

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