MP Board 10th Hindi Practice Set B Model Answer : 10वी हिन्दी परीक्षा पूर्व अभ्यास प्रश्न पत्र आदर्श उत्तर

MP Board 10th Hindi Practice Set B Model Answer : यहाँ एमपी बोर्ड कक्षा 10वीं हिंदी अभ्यास प्रश्न पत्र सेट-अ का संपूर्ण मॉडल उत्तर (MP Board 10th Hindi Practice Set B Model Answer) उपलब्ध कराया गया है। विद्यार्थी इस उत्तर कुंजी की सहायता से अपने लिखे हुए उत्तरों का मूल्यांकन कर सकते हैं और यह समझ सकते हैं कि परीक्षा में प्रश्नों के सटीक उत्तर कैसे लिखें। यह आपकी वार्षिक परीक्षा की तैयारी को मजबूत करने में अत्यंत सहायक होगा।

परीक्षा पूर्व अभ्यास प्रश्न का आदर्श उत्तर

कक्षा – 10वीं (सेट – ब)

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विषय – हिन्दी पूर्णांक – 75

1. सही विकल्प – (1×6=6)

(i) ब – रीतिसिद्ध काव्यधारा

(ii) द – बादलों को

(iii) स – विभाव से

(iv) स – संस्कृत मानव

(v) अ – समास

(vi) ब – साफ करना

2. रिक्त स्थान – (1×6=6)

(i) उद्धव

(ii) श्रृंगार

(iii) अलंकार

(iv) चावल

(v) विसर्ग

(vi) काशी

3. सत्य/असत्य – (1×6=6)

(i) असत्य

(ii) सत्य

(iii) सत्य

(iv) सत्य

(v) असत्य

(vi) असत्य

4. सही जोड़ी – (1×6=6)

स्तम्भ (अ)स्तम्भ (ब)
i. दंतुरित(ज) बच्चों के नए नए दाँत
ii. अधिक बढ़ा चढ़ाकर कहना(च) अतिशयोक्ति अलंकार
iii. रेल का टिकट(छ) भदंत आनंद कौसल्यायन
iv. क्रिया कर्ता के अनुसार(ग) कर्तृ वाच्य
v. मीठा बोलने वाला(ख) मृदुभाषी
vi. अणु बम विस्फोट(क) विज्ञान का दुरूपयोग

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए – (1×6=6)

i. मुख्य गायक को ढाँढस बंधाने का काम संगतकार करता है।

ii. काव्य की आत्मा रस को कहा गया है।

iii. बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ कार्तिक माह से शुरू होती थी।

iv. वीर रस की कविताओं में ओज शब्द गुण होता है।

v. ‘साना साना हाथ जोड़ि’ पाठ के अनुसार कुटिया में घूमता चक्र धर्म चक्र अर्थात् प्रेयर व्हील है।

vi. लेखक अज्ञेय ने मानव निर्मित सूरज अणु बम को कहा है।

भाग – ब (वर्णनात्मक प्रश्न)

6. प्रयोगवाद की कोई दो विशेषताएँ:

  1. नवीन उपमानों एवं प्रतीकों का प्रयोग।
  2. बौद्धिकता की प्रधानता तथा वैयक्तिक अनुभूतियों का चित्रण।

अथवा

नई कविता के दो कवि और उनकी रचनाएँ:

  1. भवानी प्रसाद मिश्र – गीत फरोश
  2. कुँवर नारायण – चक्रव्यूह

7. तुलसीदास अथवा मंगलेश डबराल की काव्यगत विशेषताएँ:

तुलसीदास

  • दो रचनाएँ: रामचरितमानस, विनय पत्रिका।
  • भावपक्ष-कलापक्ष: तुलसीदास जी रामभक्ति शाखा के सर्वप्रमुख कवि हैं। उनकी रचनाओं में भक्ति, समन्वय और लोक-मंगल का भाव प्रमुख है। उन्होंने अवधी और ब्रजभाषा दोनों में काव्य रचना की। उनकी भाषा सहज, सरल और भावपूर्ण है, जिसमें दोहा, चौपाई, सोरठा जैसे छंदों का सुंदर प्रयोग मिलता है।

अथवा

मंगलेश डबराल

  • दो रचनाएँ: ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’।
  • भावपक्ष-कलापक्ष: मंगलेश डबराल की कविताओं में सामंती बोध और पूँजीवादी छल-छद्म का प्रतिरोध है। वे पहाड़ी जीवन के संघर्ष, प्रेम और प्रकृति का सुंदर चित्रण करते हैं। उनकी भाषा अत्यंत सहज और पारदर्शी है, जिसमें बिंबों और प्रतीकों का सुंदर प्रयोग मिलता है।

8. परशुराम ने सहस्त्रबाहु का वध इसलिए किया था क्योंकि सहस्त्रबाहु ने उनके पिता ऋषि जमदग्नि की कामधेनु गाय का बलपूर्वक अपहरण कर लिया था। जब ऋषि ने विरोध किया तो सहस्त्रबाहु ने उनका वध कर दिया। पिता की हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए ही परशुराम ने सहस्त्रबाहु का वध किया।

अथवा

मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ:

मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ मनुष्य के जीवन की नश्वरता और दुखों का प्रतीक हैं। इनके माध्यम से कवि जयशंकर प्रसाद यह कहना चाहते हैं कि उनका जीवन भी इन्हीं मुरझाई हुई पत्तियों की तरह दुखों और निराशाओं से भरा हुआ है और उसमें सुख का कोई क्षण नहीं है।

9. कवि नागार्जुन ने फसल को ‘हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म’ इसलिए कहा है क्योंकि फसल किसी एक खेत की मिट्टी से नहीं, बल्कि अनगिनत खेतों की मिट्टी के पोषक तत्वों, गुणों और स्वरूप से मिलकर तैयार होती है। इसमें अनेक मिट्टियों की उर्वरा शक्ति समाहित होती है।

अथवा

संगतकार की भूमिका:

संगतकार निम्नलिखित रूपों में मुख्य गायक की मदद करते हैं:

  1. जब मुख्य गायक का स्वर भारी होने लगता है या वे थक जाते हैं, तो संगतकार उनके स्वर में अपना स्वर मिलाकर उन्हें बल प्रदान करते हैं।
  2. जब गायक अंतरे की जटिल तानों में खो जाते हैं, तो संगतकार स्थायी पंक्ति को गाकर उन्हें वापस मूल स्वर पर ले आते हैं।

10. खण्डकाव्य की दो विशेषताएँ:

  1. खण्डकाव्य में जीवन के किसी एक पक्ष या घटना का चित्रण होता है।
  2. इसका आकार सीमित होता है और कथावस्तु संक्षिप्त होती है।

अथवा

स्थायीभाव और संचारीभाव में अंतर:

  1. स्थायीभाव मानव हृदय में स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं, जबकि संचारीभाव कुछ समय के लिए उत्पन्न होकर समाप्त हो जाते हैं।
  2. एक रस में एक ही स्थायीभाव होता है, जबकि संचारीभावों की संख्या अनेक हो सकती है।

11. मात्रिक छंद और वर्णिक छंद में अंतर:

  1. मात्रिक छंद में मात्राओं की गणना की जाती है, जबकि वर्णिक छंद में वर्णों (अक्षरों) की गणना की जाती है।
  2. मात्रिक छंद के उदाहरण दोहा, चौपाई हैं, जबकि वर्णिक छंद के उदाहरण सवैया, कवित्त हैं।

अथवा

मानवीकरण अलंकार:

परिभाषा: जब जड़ या प्राकृतिक वस्तुओं पर मानवीय क्रियाओं या भावनाओं का आरोप किया जाता है, तो वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।

उदाहरण: मेघ आए बड़े बन-ठन के, सँवर के।

12. ‘आना एक उनि’ सूत्र के अनुसार गद्य की प्रमुख विधाएँ:

आ – आत्मकथा, ना – नाटक, ए – एकांकी, क – कहानी, उ – उपन्यास, नि – निबंध।

अथवा

कहानी और उपन्यास में अंतर:

  1. कहानी का आकार छोटा होता है और इसे एक बैठक में पढ़ा जा सकता है, जबकि उपन्यास विस्तृत होता है।
  2. कहानी में पात्रों की संख्या कम होती है, जबकि उपन्यास में पात्रों की संख्या अधिक होती है।

13. स्वयं प्रकाश अथवा यशपाल की साहित्यिक विशेषताएँ:

स्वयं प्रकाश

  • दो रचनाएँ: ‘सूरज कब निकलेगा’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’।
  • भाषा-शैली: स्वयं प्रकाश जी अपनी कहानियों में मध्यमवर्गीय जीवन का कुशल चित्रण करते हैं। उनकी भाषा आम बोलचाल की खड़ी बोली है, जिसमें तत्सम, तद्भव, देशज और आगत शब्दों का सहज प्रयोग मिलता है। उनकी शैली रोचक, किस्सागोई और व्यंग्यात्मक है।

अथवा

यशपाल

  • दो रचनाएँ: ‘झूठा सच’, ‘दिव्या’।
  • भाषा-शैली: यशपाल जी यथार्थवादी शैली के लेखक हैं। उनकी रचनाओं में सामाजिक विषमता और राजनीतिक पाखंड पर गहरा व्यंग्य मिलता है। उनकी भाषा अत्यंत सजीव, स्वाभाविक और भावपूर्ण है, जिसमें उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है।

14. कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा इसलिए लगा देता था क्योंकि उसके मन में देश के शहीदों, विशेषकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रति गहरा सम्मान और देशभक्ति की भावना थी। उसे बिना चश्मे वाली नेताजी की मूर्ति आहत करती थी।

अथवा

लेखक और नवाब साहब:

लेखक के डिब्बे में प्रवेश करने पर नवाब साहब ने उनसे कोई उत्साह नहीं दिखाया, न ही बातचीत करने का प्रयास किया। वे लेखक से नज़रें चुराते रहे और खिड़की से बाहर देखते रहे। उनके इन हाव-भावों से लेखक को महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए उत्सुक नहीं हैं।

15. लेखिका मन्नू भंडारी के पिताजी के मुख पर गर्व और संतोष का कारण यह था कि जब कॉलेज की प्रिंसिपल ने लेखिका की गतिविधियों की शिकायत की, तो पिताजी क्रोधित होने के बजाय यह सुनकर खुश हुए कि उनकी बेटी के एक इशारे पर लड़कियाँ कक्षाएं छोड़कर बाहर आ जाती हैं और आंदोलन में भाग लेती हैं। उन्हें अपनी बेटी की नेतृत्व क्षमता पर गर्व हुआ।

अथवा

सुई-धागे का आविष्कार:

सुई-धागे का आविष्कार तन ढकने और शरीर को सर्दी-गर्मी से बचाने जैसी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हुआ होगा। इसके अलावा, दो अलग-अलग कपड़ों के टुकड़ों को जोड़कर एक सुंदर परिधान बनाने की इच्छा भी इसके पीछे एक प्रेरणा रही होगी।

16. निम्नलिखित वाक्यांश के लिए एक शब्द:

i. जो पहले कभी नहीं हुआ – अभूतपूर्व

ii. जिसे बाँटा न जा सके – अविभाज्य

अथवा

अनेकार्थी शब्द:

  • कनक: सोना, धतूरा
  • आम: एक फल, साधारण
  • मनका: माला का दाना, हृदय
  • कर: हाथ, टैक्स (राजस्व)

17. भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना इसलिए भूल जाता है क्योंकि बच्चों का स्वभाव सहज और चंचल होता है। वे अपनी पीड़ा को भूलकर अपने मित्रों के साथ खेलकूद में मग्न हो जाते हैं। अपने साथियों के साथ खेलने का आनंद उसे अपने दुख को भुला देता है।

अथवा

रचनाकारों पर बाहरी दबाव:

कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति के साथ-साथ बाहरी दबाव भी महत्वपूर्ण होते हैं। ये बाहरी दबाव हो सकते हैं:

  • संपादकों का आग्रह: किसी पत्रिका या समाचार पत्र के संपादक का किसी विशेष विषय पर लिखने का आग्रह।
  • आर्थिक आवश्यकताएँ: धन की आवश्यकता के कारण प्रकाशक के कहने पर कुछ लिखना।
  • सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियाँ: देश की तत्कालीन परिस्थितियाँ भी लेखक को लिखने के लिए प्रेरित या बाध्य कर सकती हैं।

18. निम्नलिखित काव्यांश का संदर्भ-प्रसंग सहित भावार्थ लिखिए

  • काव्यांश: उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ… मुसक्या कर जो भाग गया।
  • संदर्भ: प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज भाग-2’ में संकलित कवि ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित कविता ‘आत्मकथ्य’ से लिया गया है।
  • प्रसंग: कवि अपने जीवन के निजी और सुखद क्षणों को सबके सामने प्रकट नहीं करना चाहते क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके जीवन में ऐसा कोई विशेष सुख नहीं था जिसे वे दूसरों को बता सकें।
  • भावार्थ: कवि कहते हैं कि मैं अपने जीवन की मधुर चाँदनी रातों की प्रेम भरी कहानियाँ कैसे सुनाऊँ? मैं उन खिल-खिलाकर हँसने वाली बातों को कैसे कहूँ? मुझे वह सुख कभी मिला ही नहीं जिसका मैं सपना देखता रहा और सपना टूटते ही जाग गया। मेरा सुख तो मेरे आलिंगन में आने से पहले ही मुस्कुरा कर दूर भाग गया।

19. निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या लिखिए –

  • गद्यांश: हमारी समझ में मानव संस्कृति… सब हमारी सभ्यता हैं।
  • संदर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज भाग-2’ के पाठ ‘संस्कृति’ से लिया गया है। इसके लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन हैं।
  • प्रसंग: लेखक ने यहाँ संस्कृति और सभ्यता के अंतर को स्पष्ट किया है। वे बताते हैं कि आविष्कार करने की योग्यता संस्कृति है और उस आविष्कार का उपयोग सभ्यता है।
  • व्याख्या: लेखक कहते हैं कि हमारी दृष्टि में मानव संस्कृति वह योग्यता है जो आग और सुई-धागे जैसे आविष्कार कराती है या तारों की जानकारी प्राप्त कराती है। किसी महामानव से सर्वस्व त्याग कराने वाली योग्यता भी संस्कृति ही है। और सभ्यता, संस्कृति का परिणाम है। हमारे खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने के तरीके, आने-जाने के साधन और यहाँ तक कि लड़ने-मरने के तरीके भी हमारी सभ्यता का ही अंग हैं।

20. ‘समय का महत्त्व’ विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।

समय संसार की सबसे मूल्यवान वस्तु है। बीता हुआ धन पुनः कमाया जा सकता है, किन्तु बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है, सफलता उसके कदम चूमती है। विद्यार्थी जीवन में तो समय का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। प्रत्येक विद्यार्थी को एक समय-सारणी बनाकर उसका दृढ़ता से पालन करना चाहिए। जो आज समय को नष्ट करता है, समय कल उसे नष्ट कर देता है। इसलिए हमें समय के हर पल का सदुपयोग करना चाहिए, क्योंकि यही सफलता का मूलमंत्र है।

अथवा

वार्षिक परीक्षा की तैयारी के संबंध में दो मित्रों के मध्य संवाद:

  • रोहन: नमस्ते सोहन! कैसे हो? तुम्हारी परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही है?
  • सोहन: नमस्ते रोहन! मैं ठीक हूँ। तैयारी तो अच्छी चल रही है, बस गणित में थोड़ी परेशानी हो रही है।
  • रोहन: हाँ, गणित थोड़ा कठिन है। मैंने तो सभी विषयों के लिए एक समय-सारणी बनाई है और उसी के अनुसार पढ़ रहा हूँ।
  • सोहन: यह तो बहुत अच्छा विचार है। मैं भी आज से ही ऐसा करूंगा। क्या हम कल शाम को मिलकर गणित के कुछ कठिन सवालों को हल कर सकते हैं?
  • रोहन: हाँ, क्यों नहीं! कल शाम 5 बजे मेरे घर आ जाना। मिलकर तैयारी करने से दोनों को लाभ होगा।
  • सोहन: ठीक है, धन्यवाद मित्र! कल मिलता हूँ।

21. निम्नलिखित अपठित काव्यांश के उत्तर:

i. उपयुक्त शीर्षक: “माता का स्नेह” या “माँ का कर्तव्य”।

ii. स्नेह की दयामयी मूर्ति कौन है?

स्नेह की दयामयी मूर्ति ‘माता’ है।

iii. उपर्युक्त पद्यांश का भावार्थ:

कवि कहते हैं कि माँ स्नेह और दया की साक्षात मूर्ति होती है। उसके प्रति हमारा भी कर्तव्य बनता है। यह वही माँ है जिसने हमारा हाथ पकड़कर हमें पहली बार चलना सिखाया और हमें बोलना सिखाकर हमारे हृदय के भावों को व्यक्त करने का माध्यम दिया।

22. वार्ड में व्याप्त गंदगी को दूर करवाने हेतु आवेदन-पत्र:

सेवा में,

श्रीमान नगरपालिका अधिकारी,

नगर पालिका, भोपाल (म.प्र.)

विषय: वार्ड क्रमांक 15 में व्याप्त गंदगी को दूर करवाने हेतु।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि हम वार्ड क्रमांक 15, अरेरा कॉलोनी के निवासी हैं। हमारे वार्ड में पिछले कई दिनों से सफाई कर्मचारी नहीं आ रहे हैं, जिस कारण जगह-जगह कूड़े के ढेर लग गए हैं और नालियाँ भी जाम हो गई हैं। इस गंदगी के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है और बीमारियाँ फैलने का खतरा बना हुआ है।

अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया हमारे वार्ड का निरीक्षण करवाकर शीघ्र-अतिशीघ्र नियमित सफाई करवाने की कृपा करें।

धन्यवाद!

समस्त निवासीगण,

वार्ड क्रमांक 15,

अरेरा कॉलोनी, भोपाल

दिनांक: [आज की तारीख]

23. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए:

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