MP Board 10th Hindi Chhand Doha Choupai : छंद भारतीय काव्यशास्त्र का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह कविता को लयबद्ध, प्रभावशाली और गेय बनाता है। छंदों का प्रयोग प्राचीन काल से ही साहित्य में किया जाता रहा है। संस्कृत, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में छंदों की विविधता देखने को मिलती है। छंदों का प्रयोग मुख्य रूप से कविता, भजन, श्लोक, दोहे, चौपाई आदि में किया जाता है।
छंद: दोहा एवं चौपाई का विस्तृत अध्ययन (मात्रा गणना सहित)
छंद की परिभाषा : छंद वह काव्य रचना है जिसमें मात्राओं, वर्णों और यति का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह कविता को एक निश्चित लय और प्रवाह प्रदान करता है। छंदों का प्रयोग मुख्य रूप से कविता, भजन, श्लोक, दोहे, चौपाई आदि में किया जाता है।
छंद के प्रकार
छंद कई प्रकार के होते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
- मात्रिक छंद – इसमें मात्राओं की संख्या निश्चित होती है।
- वर्णिक छंद – इसमें वर्णों की संख्या निश्चित होती है।
- सममात्रिक छंद – सभी चरणों में समान मात्राएँ होती हैं।
- विषममात्रिक छंद – चरणों में मात्राओं की संख्या भिन्न होती है।
- गणात्मक छंद – इसमें वर्णों के समूह (गण) का विशेष ध्यान रखा जाता है।
दोहा
परिभाषा:
दोहा एक प्रसिद्ध मात्रिक छंद है जिसमें दो पंक्तियाँ होती हैं। पहली पंक्ति में 13 मात्राएँ और दूसरी पंक्ति में 11 मात्राएँ होती हैं।
विशेषताएँ:
- दोहा में कुल 24 मात्राएँ होती हैं।
- यह संक्षिप्त और प्रभावशाली होता है।
- इसमें गहरी बात को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया जाता है।
उदाहरण (मात्रा गणना सहित):
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।।
मात्रा गणना:
- रहिमन पानी राखिए → 13 मात्राएँ
- बिन पानी सब सून → 11 मात्राएँ
- पानी गए न ऊबरे → 13 मात्राएँ
- मोती, मानुष, चून → 11 मात्राएँ
महत्व:
- दोहा का प्रयोग नीति, भक्ति और ज्ञानवर्धक साहित्य में किया जाता है।
- यह शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक होता है।
- संत रहीम, कबीर और तुलसीदास ने दोहे का व्यापक प्रयोग किया है।
चौपाई
परिभाषा:
चौपाई एक मात्रिक छंद है जिसमें प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं। यह चार चरणों में लिखा जाता है।
विशेषताएँ:
- प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।
- यह सरल, प्रवाहपूर्ण और गेय होता है।
- भक्ति साहित्य में इसका विशेष स्थान है।
उदाहरण (मात्रा गणना सहित):
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चार।।
मात्रा गणना:
- श्री गुरु चरण सरोज रज → 16 मात्राएँ
- निज मन मुकुर सुधार → 16 मात्राएँ
- बरनऊँ रघुबर बिमल जसु → 16 मात्राएँ
- जो दायक फल चार → 16 मात्राएँ
महत्व:
- चौपाई का प्रयोग मुख्य रूप से भक्ति साहित्य में किया जाता है।
- यह रामचरितमानस, हनुमान चालीसा आदि में प्रमुख रूप से प्रयुक्त होता है।
- यह कविता को लयबद्ध और प्रभावशाली बनाता है।
छंदों का उपयोग
छंदों का उपयोग विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक संदर्भों में किया जाता है:
- भक्ति साहित्य – रामचरितमानस, हनुमान चालीसा आदि।
- नीति साहित्य – रहीम और कबीर के दोहे।
- महाकाव्य – महाभारत, रामायण आदि।
- लोकगीत – पारंपरिक गीतों में छंदों का प्रयोग।
निष्कर्ष
छंद भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। दोहा और चौपाई जैसे छंदों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। इनका प्रयोग कविता को प्रभावशाली और गेय बनाने के लिए किया जाता है। छंदों की संरचना, लय और प्रवाह साहित्य को अधिक आकर्षक और प्रेरणादायक बनाते हैं।