Harrappa Civilization City Planning and Architecture
हड़प्पा सभ्यता: नगर नियोजन और वास्तुकला
(कक्षा 12 इतिहास, NCERT पर आधारित छात्रों के लिए नोट्स)
1. परिचय (Introduction)
हड़प्पा सभ्यता की सबसे असाधारण विशेषताओं में से एक उसके शहरी केंद्रों का योजनाबद्ध विकास था। यह उसकी उन्नत इंजीनियरिंग और संगठनात्मक क्षमताओं को दर्शाता है। मोहनजोदड़ो, जो सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल है इस नगर नियोजन का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है, यद्यपि हड़प्पा सबसे पहले खोजा गया स्थल था।
2. शहरों का विभाजन और नियोजन (Division and Planning of Cities)
हड़प्पा की अधिकांश बस्तियाँ (शहर) आमतौर पर दो मुख्य भागों में विभाजित थीं जिन्हें पुरातत्वविदों ने क्रमशः दुर्ग (Citadel) और निचला शहर (Lower Town) का नाम दिया है।
2.1 दुर्ग (Citadel)
- यह बस्ती का छोटा लेकिन ऊँचाई पर बनाया गया भाग था।
- इसकी ऊँचाई का मुख्य कारण यह था कि यहाँ की संरचनाएँ कच्ची ईंटों के विशाल चबूतरे पर बनी थीं।
- दुर्ग को चारों ओर से एक ऊँची दीवार से घेरा गया था, जिसका स्पष्ट अर्थ है कि इसे निचले शहर से भौतिक रूप से अलग किया गया था।
- दुर्ग पर मिली संरचनाओं के साक्ष्य बताते हैं कि इनका प्रयोग संभवतः विशिष्ट सार्वजनिक या अनुष्ठानिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था।
2.2 निचला शहर (Lower Town)
- यह बस्ती का कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे की भूमि पर बनाया गया भाग था।
- निचला शहर भी आमतौर पर एक दीवार से घेरा गया था।
- कई भवनों को ऊँचे चबूतरों पर निर्मित किया गया था, जो उनकी नींव का कार्य करते थे। इन आधारभूत चबूतरों के निर्माण में अत्यधिक श्रम लगा होगा, जिसका अनुमान चालीस लाख श्रम-दिवसों से अधिक लगाया गया है।
2.3 योजनाबद्ध कार्यान्वयन (Planned Implementation)
हड़प्पा शहरों का नियोजन अत्यंत व्यवस्थित था:
- चबूतरों के निर्माण के बाद, शहर का सारा भवन-निर्माण कार्य इन चबूतरों पर एक निश्चित क्षेत्र तक सीमित था।
- यह दर्शाता है कि बस्ती का नियोजन पहले किया गया था और फिर उसके अनुसार निर्माण कार्य का कार्यान्वयन हुआ।
- नियोजन के अन्य महत्वपूर्ण लक्षण ईंटें थीं। ये ईंटें, चाहे वे धूप में सुखाकर बनाई गई हों या भट्टी में पकाकर, एक निश्चित अनुपात (लंबाई और चौड़ाई, ऊँचाई की क्रमशः चार गुनी और दोगुनी) की होती थीं, अर्थात् 1:2:4 का अनुपात। इस प्रकार की मानकीकृत ईंटें सभी हड़प्पा बस्तियों में व्यापक रूप से प्रयोग में लाई गई थीं, जो एक केंद्रीकृत योजना और माप की प्रणाली को दर्शाती है।
3. गृह स्थापत्य (Domestic Architecture)
मोहनजोदड़ो का निचला शहर हड़प्पा सभ्यता के आवासीय भवनों का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
- आँगन-केंद्रित भवन: अधिकांश आवासीय भवन एक आँगन पर केंद्रित थे, जिसके चारों ओर कमरे बने थे।
- संभवतः आँगन, खाना पकाने और कताई करने जैसी दैनिक गतिविधियों का केंद्र था, विशेषकर गर्म और शुष्क मौसम में।
- एकांतता पर जोर: हड़प्पावासी अपनी एकांतता (privacy) को अत्यधिक महत्व देते थे:
- भूमि तल पर बनी दीवारों में कोई खिड़कियाँ नहीं थीं, जो बाहर से सीधे अंदर देखने से रोकती थीं।
- मुख्य द्वार से घर के आंतरिक भाग अथवा आँगन का सीधा अवलोकन नहीं होता था, जिससे बाहरी लोगों की सीधी नज़र से बचा जा सके।
- स्नानघर और नालियाँ:
- हर घर का ईंटों के फ़र्श (paved) से बना अपना एक निजी स्नानघर होता था।
- इन स्नानघरों की नालियाँ दीवार के माध्यम से सड़क की मुख्य नालियों से जुड़ी हुई थीं, जो स्वच्छता के प्रति उनके ध्यान को दर्शाता है।
- बहुमंजिला संरचनाएँ: कुछ घरों में दूसरे तल या छत पर जाने हेतु बनाई गई सीढ़ियों के अवशेष मिले थे, जिससे पता चलता है कि कुछ घर बहुमंजिला थे।
- कुएँ:
- कई आवासों में कुएँ मौजूद थे।
- अधिकांशतः ये कुएँ ऐसे कक्ष में बनाए गए थे जहाँ बाहर से आसानी से आया जा सकता था, और इनका प्रयोग संभवतः राहगीरों द्वारा भी किया जाता था।
- विद्वानों ने अनुमान लगाया है कि मोहनजोदड़ो में कुओं की कुल संख्या लगभग 700 थी।
4. जल निकास प्रणाली (Drainage System)
हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी और प्रभावशाली विशेषताओं में से एक उनकी अत्यंत ध्यानपूर्वक नियोजित जल निकास प्रणाली थी।
- ग्रिड पद्धति: सड़कों तथा गलियों को लगभग एक ‘ग्रिड’ पद्धति में बनाया गया था, और ये एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
- नियोजन का क्रम: ऐसा प्रतीत होता है कि शहरी नियोजन में पहले नालियों के साथ गलियों को बनाया गया था और फिर उनके अगल-बगल आवासों का निर्माण किया गया था।
- घरों से जुड़ाव: यदि घरों के गंदे पानी को गलियों की नालियों से जोड़ना था, तो प्रत्येक घर की कम से कम एक दीवार का गली से सटा होना आवश्यक था, जिससे व्यवस्थित जल निकासी सुनिश्चित हो सके।
- मुख्य नाले:
- मुख्य नाले गारे में जमाई गई ईंटों से बने थे।
- इन्हें ऐसी ईंटों से ढँका गया था जिन्हें सफ़ाई के लिए आसानी से हटाया जा सके। कुछ स्थानों पर ढँकने के लिए चूना पत्थर की पट्टिकाओं का भी प्रयोग किया गया था।
- हौदी/मलकुंड (Cesspits/Settling Pits):
- घरों की नालियाँ पहले एक छोटी हौदी या मलकुंड में खाली होती थीं।
- इसमें ठोस पदार्थ जमा हो जाता था और केवल गंदा पानी ही गली की मुख्य नालियों में बहता था, जिससे मुख्य नालियों को बंद होने से बचाया जा सके।
- बहुत लंबे नालों में कुछ अंतरालों पर सफ़ाई के लिए हौदियाँ बनाई गई थीं।
- पुरातात्विक अवलोकन: पुरातत्वविदों को अक्सर नालों के अगल-बगल रेत के छोटे-छोटे ढेर मिलते हैं, जो यह दर्शाते हैं कि नालों की सफ़ाई के बाद कचरे को हमेशा तुरंत हटाया नहीं जाता था।
यह जल निकास प्रणाली उस समय की अन्य सभ्यताओं की तुलना में अत्यंत उन्नत थी और हड़प्पावासियों की स्वच्छता तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को दर्शाती है।

5. दुर्ग पर विशिष्ट संरचनाएँ (Special Structures on the Citadel)
दुर्ग पर हमें कुछ ऐसी विशिष्ट संरचनाओं के साक्ष्य मिलते हैं जिनका प्रयोग संभवतः सार्वजनिक या सामुदायिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था। इनमें दो प्रमुख संरचनाएँ हैं:
5.1 मालगोदाम (Warehouse)
- यह एक विशाल संरचना थी।
- इसके केवल ईंटों से बने निचले हिस्से ही शेष हैं, जबकि ऊपरी हिस्से जो संभवतः लकड़ी से निर्मित थे, समय के साथ नष्ट हो गए।
- इसका उपयोग संभवतः अनाज या अन्य वस्तुओं के भंडारण के लिए किया जाता था, जो एक केंद्रीकृत आर्थिक प्रणाली का संकेत है।
5.2 विशाल स्नानागार (Great Bath)
- यह मोहनजोदड़ो के दुर्ग की सबसे प्रसिद्ध संरचनाओं में से एक है।
- यह एक आयताकार जलाशय है जो एक बड़े आँगन में बना है और चारों ओर से एक गलियारे से घिरा हुआ है।
- प्रवेश और निकास: जलाशय के तल तक जाने के लिए इसके उत्तरी और दक्षिणी भाग में दो सीढ़ियाँ बनी थीं।
- जल-अवरोधन (Waterproofing): जलाशय के किनारों पर ईंटों को जमाकर तथा जिप्सम के गारे (gypsum mortar) के प्रयोग से इसे जलबद्ध (water-tight) किया गया था, जो उनकी इंजीनियरिंग दक्षता को दर्शाता है।
- अन्य कक्ष: इसके तीनों ओर कक्ष बने हुए थे, जिनमें से एक में एक बड़ा कुआँ था। जलाशय से पानी एक बड़े नाले में बह जाता था।
- संभावित उपयोग: यह संभवतः किसी विशेष, अनुष्ठानिक स्नान (ritual bathing) के लिए उपयोग होता था, जो हड़प्पावासियों के धार्मिक या सामाजिक अनुष्ठानों की ओर संकेत करता है।
- स्नानागार परिसर: इसके उत्तर में एक छोटी संरचना थी जिसमें आठ स्नानघर थे, जो गलियारे के दोनों ओर चार-चार बने थे। प्रत्येक स्नानघर से नाला गली में जाता था।
यह समग्र नगर नियोजन और वास्तुकला हड़प्पा सभ्यता की अद्वितीय शहरी संस्कृति और एक उन्नत, संगठित समाज को उजागर करती है।